जीवाश्म विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिकी के महत्वपूर्ण प्रश्न: अपनी सामान्य विज्ञान तैयारी को परखें
परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए सामान्य विज्ञान एक आधारशिला है। चाहे आप SSC, रेलवे, या राज्य PSC की तैयारी कर रहे हों, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की आपकी समझ आपके स्कोर को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। इस अभ्यास सत्र में, हम एक नवीनतम जीवाश्म खोज के संदर्भ में इन विषयों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए 25 बहुविकल्पीय प्रश्न प्रस्तुत कर रहे हैं। अपनी तैयारी को मजबूत करने और अपनी अवधारणाओं को निखारने के लिए हमारे साथ जुड़ें!
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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वैज्ञानिकों ने हाल ही में 47 साल पुराने जीवाश्म का पुनर्मूल्यांकन किया है। जीवाश्म क्या होते हैं?
- (a) पृथ्वी की पपड़ी में पाए जाने वाले चट्टानों के टुकड़े
- (b) प्राचीन जीवों के संरक्षित अवशेष या छाप
- (c) वर्तमान समय के पौधों और जानवरों के नमूने
- (d) उल्कापिंडों से प्राप्त खगोलीय पिंड
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्म विज्ञान (Paleontology) पृथ्वी के इतिहास के बारे में जानने के लिए जीवाश्मों का अध्ययन है।
व्याख्या (Explanation): जीवाश्म किसी ऐसे जीव के संरक्षित अवशेष या छाप होते हैं जो लाखों साल पहले जीवित था। ये पृथ्वी की पपड़ी में पाई जाने वाली तलछटी चट्टानों (sedimentary rocks) में संरक्षित होते हैं। ये हमें पृथ्वी पर जीवन के विकास को समझने में मदद करते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जूरासिक काल (Jurassic period) लगभग कितने वर्ष पूर्व था?
- (a) 65 मिलियन वर्ष पूर्व
- (b) 100 मिलियन वर्ष पूर्व
- (c) 150 मिलियन वर्ष पूर्व
- (d) 200 मिलियन वर्ष पूर्व
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): भूवैज्ञानिक समय-सारणी (Geological Timescale) पृथ्वी के इतिहास को विभिन्न कालों और अवधियों में विभाजित करती है।
व्याख्या (Explanation): जूरासिक काल मेसोज़ोइक युग (Mesozoic Era) का दूसरा काल था, जो लगभग 201.3 मिलियन वर्ष पूर्व से 145 मिलियन वर्ष पूर्व तक चला। इसलिए, 150 मिलियन वर्ष पूर्व इस अवधि के भीतर आता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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नए जीवाश्म की खोज ने एक “समुद्री राक्षस” का खुलासा किया है। इस प्रकार के जीवाश्मों में मुख्य रूप से किस प्रकार के तत्व पाए जा सकते हैं?
- (a) केवल कार्बन और ऑक्सीजन
- (b) कैल्शियम कार्बोनेट और सिलिका
- (c) हाइड्रोजन और नाइट्रोजन
- (d) सोना और चांदी
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्म निर्माण की प्रक्रिया और खनिजों की संरचना।
व्याख्या (Explanation): समुद्री जीवों के कंकाल और खोल अक्सर कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) से बने होते हैं। तलछटीकरण और खनिजकरण (mineralization) की प्रक्रिया के दौरान, ये कैल्शियम कार्बोनेट, सिलिका (SiO₂) जैसे अन्य खनिजों द्वारा प्रतिस्थापित या लेपित हो सकते हैं, जिससे जीवाश्म बनते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) का उपयोग आमतौर पर कितने वर्ष पुराने जीवाश्मों के लिए किया जाता है?
- (a) 10,000 वर्ष तक
- (b) 50,000 वर्ष तक
- (c) 1 मिलियन वर्ष तक
- (d) 100 मिलियन वर्ष तक
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रेडियोमेट्रिक डेटिंग (Radiometric Dating) और कार्बन-14 (¹⁴C) की अर्ध-आयु (half-life)।
व्याख्या (Explanation): कार्बन-14 की अर्ध-आयु लगभग 5,730 वर्ष है। यह विधि तब प्रभावी होती है जब कार्बनिक पदार्थों में ¹⁴C की मात्रा अभी भी मापने योग्य होती है, जो आमतौर पर लगभग 50,000 वर्ष तक के नमूनों के लिए उपयुक्त है। इससे पुराने नमूनों के लिए अन्य रेडियोधर्मी समस्थानिकों (isotopes) का उपयोग किया जाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जीवाश्म की संरचना के अध्ययन में किस वैज्ञानिक विधि का उपयोग किया जाता है?
- (a) स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy)
- (b) क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)
- (c) एक्स-रे विवर्तन (X-ray Diffraction)
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न वैज्ञानिक विश्लेषणात्मक तकनीकें।
व्याख्या (Explanation): स्पेक्ट्रोस्कोपी किसी पदार्थ के रासायनिक तत्वों या यौगिकों की पहचान के लिए प्रकाश के साथ उसकी अंतःक्रिया का अध्ययन करती है। क्रोमैटोग्राफी मिश्रण को अलग करने के लिए उपयोग की जाती है, जो जीवाश्मों में विभिन्न यौगिकों को अलग करने में मदद कर सकती है। एक्स-रे विवर्तन क्रिस्टलीय संरचनाओं का विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो जीवाश्मों के खनिज घटकों को समझने में सहायक है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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जूरासिक काल में पाए जाने वाले विशाल समुद्री सरीसृपों (marine reptiles) में से एक कौन सा था?
- (a) डायनासोर
- (b) प्लीओसोरस (Plesiosaurus)
- (c) थेरोपोड (Theropod)
- (d) इचथियोसोरस (Ichthyosaurus)
उत्तर: (b) और (d) दोनों सही हो सकते हैं, लेकिन प्लीओसोरस विशेष रूप से जूरासिक काल का एक विशिष्ट समुद्री राक्षस माना जाता है। इचथियोसोरस भी इसी काल में पाया जाता था। प्रश्न को और स्पष्ट करने की आवश्यकता है। आम तौर पर, यदि एक विकल्प चुनना हो तो प्लीओसोरस अधिक उपयुक्त है।
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): डायनासोर और सरीसृपों का वर्गीकरण और जीवाश्म रिकॉर्ड।
व्याख्या (Explanation): प्लीओसोरस और इचथियोसोरस दोनों ही मेसोज़ोइक युग के समुद्री सरीसृप थे। प्लीओसोरस अपनी लंबी गर्दन और चपटे शरीर के लिए जाने जाते थे, जबकि इचथियोसोरस डॉल्फ़िन जैसे आकार के थे। डायनासोर मुख्य रूप से स्थलीय जीव थे, हालांकि कुछ को उड़ने वाला माना जाता है (जो पक्षियों के पूर्वज थे)। थेरोपोड डायनासोर का एक समूह है। समाचार के संदर्भ में, “समुद्री राक्षस” प्लीओसोरस या इसी तरह के किसी बड़े शिकारी समुद्री सरीसृप का उल्लेख कर सकता है।
अतः, इस संदर्भ में (b) और (d) दोनों संभावित उत्तर हैं। यदि केवल एक चुनना हो, तो प्लीओसोरस को अक्सर “समुद्री राक्षस” के रूप में चित्रित किया जाता है।
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जीवाश्मों में मौजूद कार्बनिक पदार्थों के विघटन से कौन सी गैसें उत्पन्न हो सकती हैं?
- (a) मीथेन (Methane) और कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide)
- (b) ऑक्सीजन (Oxygen) और नाइट्रोजन (Nitrogen)
- (c) हाइड्रोजन (Hydrogen) और हीलियम (Helium)
- (d) ओजोन (Ozone) और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration) और कार्बनिक पदार्थ का अपघटन।
व्याख्या (Explanation): जब कार्बनिक पदार्थ ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं (जैसे कि गहरे तलछट में), तो मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) जैसी ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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पुराने जीवाश्मों की आयु निर्धारित करने के लिए रेडियोमेट्रिक डेटिंग में किस भौतिक सिद्धांत का उपयोग किया जाता है?
- (a) प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)
- (b) रेडियोधर्मी क्षय (Radioactive Decay)
- (c) गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
- (d) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रेडियोधर्मी समस्थानिकों का स्थिर समस्थानिकों में परिवर्तन।
व्याख्या (Explanation): रेडियोमेट्रिक डेटिंग रेडियोधर्मी समस्थानिकों के स्थिर समस्थानिकों में लगातार क्षय की दर पर आधारित है। इन समस्थानिकों की अर्ध-आयु ज्ञात होती है, जिससे किसी नमूने में मूल समस्थानिक और उसके क्षय उत्पाद की मात्रा का विश्लेषण करके उसकी आयु निर्धारित की जा सकती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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यदि जीवाश्म समुद्र तल में दबे थे, तो उस पर बनने वाले तलछटी चट्टानों (sedimentary rocks) का गठन किन मुख्य प्रक्रियाओं से होता है?
- (a) ज्वालामुखी विस्फोट और लावा प्रवाह
- (b) अपक्षय (Weathering), अपरदन (Erosion), निक्षेपण (Deposition) और संगलन (Compaction/Cementation)
- (c) भूस्खलन और हिमस्खलन
- (d) भूकंप और सुनामी
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): तलछटी चट्टानों के निर्माण की भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं।
व्याख्या (Explanation): तलछटी चट्टानें मुख्य रूप से पहले से मौजूद चट्टानों के अपक्षय और अपरदन से उत्पन्न तलछट (जैसे रेत, गाद, मिट्टी) के जमाव से बनती हैं। ये तलछट जल, वायु या बर्फ द्वारा ढोए जाते हैं और अंततः एक स्थान पर जमा हो जाते हैं (निक्षेपण)। समय के साथ, ऊपर की परतों के दबाव और रासायनिक बंधों (संगलन) के कारण ये तलछट एक ठोस चट्टान में बदल जाते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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एक समुद्री राक्षस के जीवाश्म में हड्डियां मिली हैं। हड्डियों के खनिज घटक के रूप में मुख्य रूप से कौन सा यौगिक होता है?
- (a) सोडियम क्लोराइड (NaCl)
- (b) पोटेशियम नाइट्रेट (KNO₃)
- (c) कैल्शियम फॉस्फेट (Ca₃(PO₄)₂)
- (d) मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO₄)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मानव और जंतुओं के कंकाल की रासायनिक संरचना।
व्याख्या (Explanation): कशेरुकी जीवों (vertebrates) की हड्डियों और दांतों का मुख्य खनिज घटक हाइड्रॉक्सीपैटाइट (hydroxyapatite) है, जो कैल्शियम फॉस्फेट का एक रूप (Ca₁₀(PO₄)₆(OH)₂) है। यह हड्डियों को उनकी कठोरता प्रदान करता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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जीवाश्मों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक को क्या कहा जाता है?
- (a) भूविज्ञानी (Geologist)
- (b) जीवाश्म विज्ञानी (Paleontologist)
- (c) पुरातत्वविद् (Archaeologist)
- (d) प्राणी विज्ञानी (Zoologist)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न वैज्ञानिक शाखाओं के नाम।
व्याख्या (Explanation): भूविज्ञानी पृथ्वी का अध्ययन करते हैं, पुरातत्वविद् मानव इतिहास का अध्ययन करते हैं, और प्राणी विज्ञानी जानवरों का अध्ययन करते हैं। जीवाश्म विज्ञानी विशेष रूप से प्राचीन जीवों के अध्ययन के लिए जीवाश्मों का अध्ययन करते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जीवाश्मों के संरक्षण की प्रक्रिया में ‘पेट्रिफिकेशन’ (Petrification) का अर्थ क्या है?
- (a) जीव का पूरी तरह से सड़ जाना
- (b) जीव के ऊतकों का खनिजों द्वारा प्रतिस्थापन
- (c) जीव का केवल छाप के रूप में बचना
- (d) जीव का जम जाना
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्म निर्माण की विभिन्न विधियाँ।
व्याख्या (Explanation): पेट्रिफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ किसी जीव (जैसे लकड़ी या हड्डियां) के कार्बनिक ऊतकों को धीरे-धीरे सिलिका, कैल्शियम कार्बोनेट या अन्य खनिजों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है, जिससे वह पत्थर की तरह कठोर हो जाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जूरासिक काल में पृथ्वी का वातावरण कैसा था?
- (a) आज जैसा ही
- (b) बहुत ठंडा और बर्फीला
- (c) गर्म और आर्द्र, जिसमें CO₂ का स्तर अधिक था
- (d) ऑक्सीजन रहित
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मेसोज़ोइक युग के जलवायु का पुनर्निर्माण।
व्याख्या (Explanation): जूरासिक काल को आम तौर पर गर्म और आर्द्र जलवायु द्वारा चिह्नित किया जाता था, जिसमें कोई ध्रुवीय बर्फ की चोटियाँ नहीं थीं। कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का स्तर आज की तुलना में काफी अधिक था, जिसने ग्रीनहाउस प्रभाव में योगदान दिया।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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एक समुद्री राक्षस के जीवाश्म में पाए गए जीवाश्म के नमूने की विद्युत चालकता (electrical conductivity) को मापने के लिए किस भौतिक उपकरण का उपयोग किया जा सकता है?
- (a) वोल्टमीटर (Voltmeter)
- (b) एमीटर (Ammeter)
- (c) ओमीटर (Ohmmeter)
- (d) मल्टीमीटर (Multimeter)
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विद्युत मापन के उपकरण।
व्याख्या (Explanation): ओमीटर सीधे प्रतिरोध (resistance) को मापता है, जो चालकता का व्युत्क्रम (reciprocal) है। मल्टीमीटर एक बहु-कार्यात्मक उपकरण है जो वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध (जिससे चालकता की गणना की जा सकती है) को माप सकता है। एक जीवाश्म के नमूने के संदर्भ में, जो एक ठोस सामग्री हो सकती है, उसकी विद्युत गुणों को मापने के लिए एक मल्टीमीटर या विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए चार-तार (four-wire) ओमीटर का उपयोग किया जा सकता है। इस संदर्भ में, मल्टीमीटर सबसे उपयुक्त और व्यापक रूप से ज्ञात उपकरण है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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समुद्री तलछट में पाए जाने वाले जीवाश्मों में पानी के अणुओं (water molecules) का पता लगाने के लिए किस रासायनिक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है?
- (a) अवरक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी (Infrared Spectroscopy)
- (b) पराबैंगनी-दृश्यमान स्पेक्ट्रोस्कोपी (UV-Vis Spectroscopy)
- (c) परमाणु अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोपी (Atomic Absorption Spectroscopy)
- (d) गैस क्रोमैटोग्राफी (Gas Chromatography)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न स्पेक्ट्रोस्कोपिक तकनीकें और उनके अनुप्रयोग।
व्याख्या (Explanation): अवरक्त (IR) स्पेक्ट्रोस्कोपी विशेष रूप से अणुओं में बंधों के कंपन (vibrations) का पता लगाने के लिए प्रभावी है। जल (H₂O) अणु में O-H बंधों के विशिष्ट कंपन होते हैं जो अवरक्त क्षेत्र में अवशोषित होते हैं, जिससे इसकी उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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जीवाश्मों में कार्बनिक पदार्थों के विश्लेषण से कौन सी जानकारी मिल सकती है?
- (a) केवल जीवाश्म का रंग
- (b) जीवाश्म का रासायनिक संघटन और संभावित जीवन शैली
- (c) जीवाश्म का आकार और वजन
- (d) जीवाश्म का स्थान
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बनिक भू-रसायन (Organic Geochemistry) के सिद्धांत।
व्याख्या (Explanation): जीवाश्मों में पाए जाने वाले कार्बनिक अणु (जैसे बायोमार्कर) उस जीव के आहार, चयापचय (metabolism) और पर्यावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, लिपिड (lipids) और प्रोटीन के अवशेष जीव की जीवन शैली के संकेत दे सकते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जूरासिक काल के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (marine ecosystem) में कौन से अन्य जीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे?
- (a) केवल मछली
- (b) अमोनोइड्स (Ammonoids) और बेलेमनोइड्स (Belemnoids)
- (c) आधुनिक व्हेल और डॉल्फ़िन
- (d) प्लवक (Plankton)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मेसोज़ोइक समुद्री जीवाश्म रिकॉर्ड।
व्याख्या (Explanation): अमोनोइड्स (जो शंख वाले मोलस्क थे) और बेलेमनोइड्स (जो स्क्विड जैसे सेफलोपोड थे) जूरासिक और क्रेटेशियस काल के महासागरों में बहुत आम और महत्वपूर्ण जीव थे। वे आज के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में समान भूमिका निभाते थे जैसे आज के कुछ मोलस्क और सेफलोपोड निभाते हैं। प्लवक भी महत्वपूर्ण थे, लेकिन अमोनोइड्स और बेलेमनोइड्स अपनी प्रचुरता और जीवाश्म के रूप में महत्व के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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यदि जीवाश्म को रेडियोधर्मी तत्व वाले खनिज से दिनांकित किया जा रहा है, तो उस तत्व की अर्ध-आयु कैसे निर्धारित की जाती है?
- (a) तत्व के परमाणुओं की कुल संख्या से
- (b) तत्व के नाभिक के क्षय की दर को मापकर
- (c) तत्व के गलनांक (melting point) से
- (d) तत्व की विद्युत धनात्मकता (electronegativity) से
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रेडियोधर्मी क्षय का नियम।
व्याख्या (Explanation): रेडियोधर्मी क्षय एक यादृच्छिक प्रक्रिया है, लेकिन बड़ी संख्या में नाभिकों के लिए, यह एक निश्चित दर का पालन करता है। अर्ध-आयु वह समय है जिसमें किसी नमूने में रेडियोधर्मी नाभिकों की आधी संख्या क्षय हो जाती है। यह दर सीधे नाभिक के क्षय को ट्रैक करके या क्षय से उत्पन्न विकिरण को मापकर निर्धारित की जाती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जीवाश्मों में पाए जाने वाले कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) के क्रिस्टलीय रूपों (polymorphs) में से कौन सा जूरासिक काल के समुद्री जीवों के कवच में अधिक आम था?
- (a) कैल्साइट (Calcite)
- (b) अरगोनाइट (Aragonite)
- (c) दोनों समान रूप से आम थे
- (d) यह उस विशेष जीव पर निर्भर करता था
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कैल्शियम कार्बोनेट के बहुरूपता (polymorphism) और भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड।
व्याख्या (Explanation): जबकि दोनों कैल्साइट और अरगोनाइट कैल्शियम कार्बोनेट के रूप हैं, कैल्साइट समुद्री जीवों के कंकाल और खोल के निर्माण के लिए अधिक स्थिर और सामान्य रूप था, खासकर जूरासिक काल के दौरान। अरगोनाइट उच्च मैग्नीशियम कैल्साइट की तुलना में अधिक अस्थिर होता है और अक्सर समय के साथ कैल्साइट में बदल जाता है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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एक जीवाश्म की घनत्व (density) को मापने के लिए किस भौतिक सिद्धांत का उपयोग किया जाएगा?
- (a) आर्किमिडीज का सिद्धांत (Archimedes’ Principle)
- (b) न्यूटन का गति का दूसरा नियम (Newton’s Second Law of Motion)
- (c) पास्कल का सिद्धांत (Pascal’s Principle)
- (d) बर्नोली का सिद्धांत (Bernoulli’s Principle)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): घनत्व, आयतन और द्रव्यमान के बीच संबंध।
व्याख्या (Explanation): घनत्व (ρ) को द्रव्यमान (m) और आयतन (V) के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है: ρ = m/V। आर्किमिडीज का सिद्धांत बताता है कि किसी तरल में डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला उछाल बल (buoyant force) उस वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है। इसका उपयोग करके, किसी अनियमित आकार की वस्तु (जैसे जीवाश्म) के आयतन को सटीक रूप से मापा जा सकता है, और फिर घनत्व की गणना के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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जीवाश्मों में कार्बन की मात्रा का निर्धारण करने के लिए किस विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जो उनकी जैविक उत्पत्ति को समझने में मदद करती है?
- (a) टाइट्रेशन (Titration)
- (b) ऊष्मीय विश्लेषण (Thermal Analysis)
- (c) सीएचएन विश्लेषण (CHN Analysis – Carbon, Hydrogen, Nitrogen Analysis)
- (d) मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मौलिक विश्लेषण की विधियाँ।
व्याख्या (Explanation): सीएचएन विश्लेषक (CHN analyzer) किसी नमूने में कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन के प्रतिशत को सीधे मापते हैं। यह जानकारी नमूने के कार्बनिक घटकों की मात्रा और उसके जैविक मूल को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जीवाश्मों के संदर्भ में। मास स्पेक्ट्रोमेट्री भी उपयोगी है, लेकिन सीएचएन विश्लेषण सीधे प्रतिशत संरचना देता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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जूरासिक काल के दौरान कौन से प्रमुख सरीसृप समूह अत्यधिक विकसित हुए?
- (a) स्तनधारी (Mammals)
- (b) उभयचर (Amphibians)
- (c) डायनासोर (Dinosaurs)
- (d) पक्षी (Birds)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मेसोज़ोइक युग का वर्गीकरण और विकास।
व्याख्या (Explanation): जूरासिक काल को अक्सर “डायनासोर का युग” कहा जाता है क्योंकि इसी अवधि में डायनासोर प्रमुख स्थलीय कशेरुकी थे और विभिन्न प्रकारों में विकसित हुए। यद्यपि पक्षी भी इसी काल में विकसित होना शुरू हुए, डायनासोर प्रमुखता में थे। स्तनधारी और उभयचर उस समय मौजूद थे लेकिन डायनासोर जितने प्रमुख नहीं थे।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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एक जीवाश्म की भौतिक अखंडता (physical integrity) को समझने के लिए, वैज्ञानिक नमूने की कठोरता (hardness) का आकलन कैसे कर सकते हैं?
- (a) उसे चखकर
- (b) मोहेस्केल (Mohs Scale) पर खरोंच परीक्षण (scratch test) करके
- (c) उसे सूंघकर
- (d) उसका वजन करके
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): खनिजों की कठोरता मापने की विधि।
व्याख्या (Explanation): मोहेस्केल खनिजों की सापेक्षिक कठोरता को मापने के लिए एक पैमाना है। यह एक खरोंच परीक्षण पर आधारित है, जहाँ एक खनिज को दूसरे खनिज से खरोंचने का प्रयास किया जाता है। जीवाश्मों की कठोरता का आकलन करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है, खासकर यदि उसमें विशिष्ट खनिज घटक हों।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जीवाश्म के नमूने में पाए गए किसी भी कार्बनिक पदार्थ की पहचान के लिए मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry) का उपयोग कैसे किया जाता है?
- (a) नमूने को गर्म करके उसके रंग का अवलोकन करना
- (b) नमूने के अणुओं को आयनित करना और उनके द्रव्यमान-से-आवेश अनुपात (mass-to-charge ratio) को मापना
- (c) नमूने के माध्यम से प्रकाश गुजारना और अवशोषण स्पेक्ट्रम देखना
- (d) नमूने को दो अलग-अलग तरल पदार्थों में अलग करना
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मास स्पेक्ट्रोमेट्री का कार्य सिद्धांत।
व्याख्या (Explanation): मास स्पेक्ट्रोमेट्री किसी यौगिक के अणुओं को पहले आयनित (ionized) करती है और फिर इन आयनों को उनके द्रव्यमान-से-आवेश अनुपात (m/z) के आधार पर अलग करती है। यह एक ‘फिंगरप्रिंट’ प्रदान करता है जो यौगिक की पहचान करने में मदद करता है। यह जीवाश्मों में जटिल कार्बनिक अणुओं की पहचान के लिए एक शक्तिशाली तकनीक है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जूरासिक काल के समुद्री जीवन के अध्ययन से हम पृथ्वी पर जीवन के विकास के बारे में क्या सीख सकते हैं?
- (a) केवल उस विशेष समुद्री राक्षस के बारे में
- (b) महासागरों में जीवन के विकास और विविधीकरण (diversification) के पैटर्न के बारे में
- (c) उस समय पृथ्वी पर डायनासोरों के व्यवहार के बारे में
- (d) उस समय के वायुमंडलीय गैसों की सटीक संरचना के बारे में
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्मों का महत्व और विकासवादी जीव विज्ञान।
व्याख्या (Explanation): जीवाश्म रिकॉर्ड पृथ्वी पर जीवन के विकास के प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान करते हैं। जूरासिक काल के समुद्री जीवन का अध्ययन हमें बताता है कि उस समय कौन से जीव मौजूद थे, वे कैसे अनुकूलित हुए, और वे विलुप्त या परिवर्तित कैसे हुए। यह जीवन के विविधीकरण और महासागरों के पारिस्थितिकी तंत्र के इतिहास को समझने में मदद करता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।