Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

जीवाश्मों के रहस्यों को उजागर करें: सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न

जीवाश्मों के रहस्यों को उजागर करें: सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न

परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य विज्ञान एक महत्वपूर्ण खंड है, जो भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की आपकी समझ का परीक्षण करता है। अक्सर, अप्रत्याशित खोजें जैसे कि पुराने जीवाश्मों का पुनर्मूल्यांकन, हमें इन विषयों की गहराई में जाने के लिए प्रेरित करता है। यहाँ, हम एक ऐसे ही प्रासंगिक संकेत के आधार पर, आपकी तैयारी को परखने के लिए 25 बहुविकल्पीय प्रश्न प्रस्तुत कर रहे हैं। ये प्रश्न न केवल तथ्यों को याद रखने में मदद करेंगे, बल्कि वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने में भी सहायक होंगे।


सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)

  1. नवीनतम जीवाश्म खोज के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा काल (Era) जुरासिक काल का हिस्सा है?

    • (a) प्रीकैम्ब्रियन
    • (b) पेलियोज़ोइक
    • (c) मेसोज़ोइक
    • (d) सेनोज़ोइक

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): पृथ्वी के इतिहास को भूवैज्ञानिक काल (Geological Eras) में विभाजित किया गया है, जो जीवाश्मों के रिकॉर्ड से जुड़े हैं। मेसोज़ोइक युग को “सरीसृपों का युग” भी कहा जाता है, और इसमें जुरासिक, ट्राइऐसिक और क्रेटेशियस काल शामिल हैं।

    व्याख्या (Explanation): जुरासिक काल, जो लगभग 201.3 मिलियन वर्ष पूर्व से 145 मिलियन वर्ष पूर्व तक चला, मेसोज़ोइक युग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस दौरान विशाल डायनासोर और अन्य सरीसृप पृथ्वी पर हावी थे। प्रीकैम्ब्रियन सबसे पुराना है, पेलियोज़ोइक में उभयचर और प्रारंभिक सरीसृप देखे गए, और सेनोज़ोइक स्तनधारियों का युग है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  2. जीवाश्म बनने की प्रक्रिया, जिसमें कार्बनिक पदार्थ धीरे-धीरे खनिज से बदल जाते हैं, क्या कहलाती है?

    • (a) पेट्रिफिकेशन (Petrification)
    • (b) अपक्षय (Weathering)
    • (c) क्षरण (Erosion)
    • (d) जमाव (Deposition)

    उत्तर: (a)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): पेट्रिफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसमें जीवित जीवों के ऊतक धीरे-धीरे खनिजों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं, जिससे पत्थर जैसी संरचना बनती है।

    व्याख्या (Explanation): जीवाश्म बनने की इस प्रक्रिया में, कार्बनिक पदार्थ, जैसे कि लकड़ी या हड्डी, में मौजूद पानी और कार्बनिक पदार्थ धीरे-धीरे भूजल में घुले खनिजों (जैसे सिलिका, कैल्साइट या पाइराइट) द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं। यह एक धीमी प्रक्रिया है जो हजारों या लाखों साल लेती है। अपक्षय प्राकृतिक एजेंटों द्वारा चट्टानों के टूटने की प्रक्रिया है, क्षरण सामग्री का परिवहन है, और जमाव सामग्री का एक स्थान पर इकट्ठा होना है।

    अतः, सही उत्तर (a) है।

  3. जीवाश्मों का अध्ययन किस वैज्ञानिक शाखा के अंतर्गत आता है?

    • (a) पुरातत्व (Archaeology)
    • (b) जीवाश्म विज्ञान (Paleontology)
    • (c) भूविज्ञान (Geology)
    • (d) नृविज्ञान (Anthropology)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्म विज्ञान (Paleontology) वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो पृथ्वी पर जीवन के इतिहास का अध्ययन करता है, जिसमें जीवाश्मों का अध्ययन शामिल है।

    व्याख्या (Explanation): जीवाश्म विज्ञान विशेष रूप से विलुप्त जीवों और उनके जीवाश्मों के अध्ययन पर केंद्रित है। पुरातत्व मानव इतिहास का अध्ययन करता है, विशेषकर अतीत की संस्कृतियों का। भूविज्ञान पृथ्वी की संरचना, इतिहास और प्रक्रियाओं का अध्ययन है। नृविज्ञान मानव जाति, समाज और संस्कृति का अध्ययन है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  4. जीवों के कंकाल और अन्य कठोर भागों को जीवाश्म के रूप में संरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित में से किस खनिज का सबसे अधिक योगदान होता है?

    • (a) सोडियम क्लोराइड (NaCl)
    • (b) कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃)
    • (c) पोटेशियम नाइट्रेट (KNO₃)
    • (d) मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO₄)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कैल्शियम कार्बोनेट (चूना पत्थर, कैल्साइट) पृथ्वी पर जीवाश्मों को संरक्षित करने के लिए सबसे आम खनिजों में से एक है, क्योंकि यह हड्डियों और सीपियों जैसे कठोर ऊतकों का एक प्रमुख घटक है और आसानी से तलछट में अवक्षेपित हो सकता है।

    व्याख्या (Explanation): हड्डियों और दांतों में एपेटाइट (कैल्शियम फॉस्फेट) होता है, लेकिन ये अक्सर कैल्शियम कार्बोनेट से समृद्ध तलछट में दबे होने पर खनिज के प्रतिस्थापन से गुजरते हैं। कैल्शियम कार्बोनेट या सिलिका का जमाव जीवाश्मों को न केवल संरक्षित करता है बल्कि उन्हें कठोरता भी प्रदान करता है। अन्य विकल्प जीवाश्म निर्माण के लिए उतने प्रासंगिक नहीं हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  5. समुद्री जीवन के जीवाश्मों का पाया जाना क्या दर्शाता है?

    • (a) प्राचीन भूभाग हमेशा समुद्री रहा है।
    • (b) उस क्षेत्र में कभी समुद्री जल का विस्तार था।
    • (c) केवल समुद्री जीव ही जीवाश्म बना सकते हैं।
    • (d) भूभाग का उत्थान हुआ है।

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): तलछटी चट्टानों में समुद्री जीवों के जीवाश्मों की उपस्थिति यह इंगित करती है कि वे क्षेत्र, जहाँ ये चट्टानें पाई जाती हैं, कभी समुद्र या महासागर के नीचे थे।

    व्याख्या (Explanation): भूवैज्ञानिक साक्ष्य, जैसे कि समुद्री जीवाश्मों की उपस्थिति, यह साबित करता है कि उस क्षेत्र में कभी पानी का एक बड़ा निकाय मौजूद था। समय के साथ, भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं जैसे टेक्टोनिक प्लेटों की गति और उत्थान के कारण, यह भूमि सतह पर आ सकता है। हालांकि, यह आवश्यक नहीं है कि पूरा भूभाग हमेशा समुद्री रहा हो, या केवल समुद्री जीव ही जीवाश्म बना सकते हों (जलीय जीव भी जीवाश्म बना सकते हैं)।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  6. भौतिकी के किस सिद्धांत का उपयोग करके प्राचीन समुद्री जानवरों के कंकालों के घनत्व का अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे उनके तैराकी के व्यवहार का पता चल सके?

    • (a) न्यूटन का गति का दूसरा नियम
    • (b) आर्किमिडीज का सिद्धांत
    • (c) ऊर्जा संरक्षण का नियम
    • (d) ओम का नियम

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): आर्किमिडीज का सिद्धांत कहता है कि जब कोई वस्तु किसी तरल में डूबी होती है, तो उस पर ऊपर की ओर एक उत्प्लावन बल (buoyant force) लगता है जो वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।

    व्याख्या (Explanation): आर्किमिडीज के सिद्धांत का उपयोग करके, वैज्ञानिक किसी वस्तु के आयतन और घनत्व का निर्धारण कर सकते हैं। यदि किसी जीवाश्म कंकाल की ज्ञात द्रव्यमान और उसके आयतन (जो वह पानी में कितना विस्थापित करता है, उससे पता चलता है) के साथ तुलना की जाती है, तो उसके समग्र घनत्व का अनुमान लगाया जा सकता है। यह घनत्व समुद्री जल में उसकी तटस्थ प्लवनशीलता (neutral buoyancy) या तैरने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  7. यदि एक प्राचीन समुद्री जीव की जीवाश्म संरचना में फॉस्फोरस (P) की उच्च मात्रा पाई जाती है, तो यह मुख्य रूप से किस जैव-अणु (biomolecule) की उपस्थिति का संकेत देती है?

    • (a) प्रोटीन
    • (b) कार्बोहाइड्रेट
    • (c) लिपिड
    • (d) न्यूक्लिक एसिड और फॉस्फेट

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): फॉस्फोरस जैविक प्रणालियों में न्यूक्लिक एसिड (DNA और RNA) के फॉस्फेट रीढ़ और फॉस्फोलिपिड्स (कोशिका झिल्ली के घटक) में पाया जाता है। इसके अलावा, हड्डियों और दांतों में फॉस्फेट (मुख्य रूप से कैल्शियम फॉस्फेट के रूप में) एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक घटक है।

    व्याख्या (Explanation): हालांकि प्रोटीन में कुछ फॉस्फोरस हो सकता है (जैसे फॉस्फोप्रोटीन), और फॉस्फोलिपिड्स लिपिड वर्ग में आते हैं, फॉस्फोरस की उच्च मात्रा सबसे विशिष्ट रूप से न्यूक्लिक एसिड (जो आनुवंशिक सामग्री हैं) और हड्डी/दांत खनिज (जो फॉस्फेट से बने होते हैं) से जुड़ी होती है। जीवाश्मों के संदर्भ में, हड्डी के घटक (फॉस्फेट) या संभावित रूप से संरक्षित न्यूक्लिक एसिड (दुर्लभ) उच्च फॉस्फोरस स्तर का संकेत दे सकते हैं।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  8. कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) का उपयोग करके जीवाश्मों की आयु का निर्धारण किस समस्थानिक (isotope) के क्षय पर आधारित है?

    • (a) कार्बन-12 (¹²C)
    • (b) कार्बन-13 (¹³C)
    • (c) कार्बन-14 (¹⁴C)
    • (d) कार्बन-15 (¹⁵C)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): रेडियोकार्बन डेटिंग (कार्बन-14 डेटिंग) एक विधि है जिसका उपयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है, यह कार्बन-14, एक रेडियोधर्मी समस्थानिक, के क्षय पर आधारित है।

    व्याख्या (Explanation): जीवन काल के दौरान, जीव वातावरण से कार्बन-14 को अवशोषित करते हैं। मृत्यु के बाद, कार्बन-14 का अवशोषण बंद हो जाता है, और यह एक निश्चित दर (अर्ध-आयु 5730 वर्ष) पर क्षय होना शुरू हो जाता है। कार्बन-14 की शेष मात्रा को मापकर, कार्बनिक अवशेषों की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि, यह विधि केवल उन जीवाश्मों के लिए प्रभावी है जो अपेक्षाकृत हाल के (लगभग 50,000 वर्ष तक) हैं, और जुरासिक काल के जीवाश्मों की आयु के लिए उपयोग नहीं की जाती है (उनके लिए पोटेशियम-आर्गन या यूरेनियम-लेड डेटिंग जैसी अन्य विधियों का उपयोग किया जाता है)।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  9. “जुरासिक सी मॉन्स्टर” जैसे जीवाश्मों के अध्ययन से, जीवविज्ञानी किन प्रक्रियाओं का अनुमान लगा सकते हैं?

    • (a) केवल उस जीव का शारीरिक आकार
    • (b) उस जीव का आहार और पर्यावरण
    • (c) केवल उस जीव की गति
    • (d) उस जीव की सामाजिक संरचना

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्मों के आकार, संरचना, दांतों (यदि मौजूद हों), पेट सामग्री (यदि संरक्षित हो), और पाए जाने वाले तलछट के प्रकार का विश्लेषण करके, वैज्ञानिक प्राचीन जीवों के आहार, उनके रहने के माहौल और उनके पारिस्थितिक तंत्र में उनकी भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): उदाहरण के लिए, तेज दांत और नुकीले कंकाल शिकारियों का संकेत देते हैं, जबकि चपटे दांत शाकाहारी जीवों का। जीवाश्मों के साथ पाए जाने वाले अन्य जीवाश्म (जैसे पौधे या अन्य जानवर) यह समझने में मदद करते हैं कि वे किस वातावरण में रहते थे और वे किस खाद्य श्रृंखला का हिस्सा थे। हालांकि कुछ निष्कर्ष शारीरिक आकार या गति के बारे में हो सकते हैं, आहार और पर्यावरण का विश्लेषण अक्सर सबसे व्यापक होता है। सामाजिक संरचना का अनुमान लगाना जीवाश्मों से बहुत मुश्किल होता है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  10. जीवाश्म को सघन (dense) और पत्थर जैसा बनाने वाली प्रक्रिया में, किस प्रकार का खनिज जमाव (mineral deposition) शामिल होता है?

    • (a) कार्बनिक मैक्रोमोलेक्यूल्स का जमाव
    • (b) सिलिका (SiO₂) या कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) जैसे अकार्बनिक खनिजों का जमाव
    • (c) केवल प्रोटीन अणुओं का जमाव
    • (d) लिपिड का बहुलकीकरण (polymerization)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्मों के निर्माण में, मूल कार्बनिक पदार्थ (जैसे हड्डी या लकड़ी) के छिद्रों में भूजल से घुले अकार्बनिक खनिज, जैसे सिलिका, कैल्शियम कार्बोनेट या लोहे के यौगिक, जमा हो जाते हैं, जिससे अंततः एक कठोर, पत्थर जैसी संरचना बनती है।

    व्याख्या (Explanation): इस प्रक्रिया को खनिजकरण (mineralization) या पेट्रिफिकेशन (petrification) कहा जाता है। यह मूल कार्बनिक पदार्थ के प्रतिस्थापन या उसके छिद्रों को भरने के माध्यम से होता है। कार्बनिक मैक्रोमोलेक्यूल्स (जैसे सेल्यूलोज या प्रोटीन) सीधे इस तरह की खनिज संरचना नहीं बनाते हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  11. यदि एक जीवाश्म समुद्री जीव के दांत बहुत छोटे और नुकीले हैं, तो यह क्या दर्शाता है?

    • (a) वह एक शाकाहारी था।
    • (b) वह एक सर्वाहारी था।
    • (c) वह एक मांसाहारी था जो छोटे शिकार को पकड़ता था।
    • (d) वह केवल शैवाल खाता था।

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवों के दांतों का आकार और संरचना उनके आहार के बारे में महत्वपूर्ण सुराग प्रदान करती है। छोटे, नुकीले दांत अक्सर शिकार को पकड़ने और फाड़ने के लिए अनुकूलित होते हैं।

    व्याख्या (Explanation): छोटे, नुकीले दांत उन जीवों में आम हैं जो मुख्य रूप से मांस खाते हैं, विशेष रूप से ऐसे शिकार जो उनके जबड़ों में फिट हो सकें। शाकाहारी जीवों में आमतौर पर चबाने के लिए चपटे, चौड़े दांत होते हैं। सर्वाहारी जीवों में दोनों प्रकार के दांतों का मिश्रण हो सकता है। शैवाल खाने वाले जीव अक्सर ऐसे दांत रखते हैं जो शैवाल को खुरचने या पकड़ने के लिए उपयुक्त हों।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  12. प्राचीन समुद्री जीवन के अध्ययन में, जीवाश्मों के अध्ययन से विकसित होने वाली प्रजातियों के बारे में क्या सीखा जा सकता है?

    • (a) प्रजातियों की वर्तमान वितरण सीमा
    • (b) प्रजातियों की विलुप्ति की दर
    • (c) प्रजातियों के विकासवादी इतिहास में परिवर्तन
    • (d) प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): विभिन्न भूवैज्ञानिक अवधियों से प्राप्त जीवाश्मों का अध्ययन करके, वैज्ञानिक समय के साथ प्रजातियों के शारीरिक स्वरूप, जटिलता और संरचना में होने वाले क्रमिक परिवर्तनों का पता लगा सकते हैं, जो विकासवाद का प्रमाण है।

    व्याख्या (Explanation): जीवाश्म रिकॉर्ड विकासवाद के प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान करता है। विभिन्न कालों के जीवाश्मों की तुलना करके, हम प्रजातियों के उद्भव, अनुकूलन और लुप्त होने के पैटर्न को समझ सकते हैं। वर्तमान वितरण सीमा (a) और आनुवंशिक विविधता (d) आमतौर पर जीवित जीवों के अध्ययन से संबंधित हैं। विलुप्ति दर (b) का अनुमान जीवाश्मों से लगाया जा सकता है, लेकिन मुख्य रूप से विकासवादी इतिहास में परिवर्तन (c) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  13. उस “सी मॉन्स्टर” की अनुमानित उम्र का पता लगाने के लिए, भूवैज्ञानिक रेडियोमेट्रिक डेटिंग (radiometric dating) का उपयोग करते हैं। इस विधि में, मूल चट्टान में मौजूद निम्नलिखित में से किस प्रकार के तत्वों का क्षय दर स्थिर होता है?

    • (a) केवल गैर-धातु तत्व
    • (b) केवल रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotopes)
    • (c) केवल भारी धातुएं
    • (d) केवल कार्बन आधारित यौगिक

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): रेडियोमेट्रिक डेटिंग एक विधि है जिसका उपयोग चट्टानों और खनिजों की आयु का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। यह उन रेडियोधर्मी समस्थानिकों के स्थिर क्षय दर पर आधारित है जो मूल रूप से चट्टानों के निर्माण के समय उनमें मौजूद थे।

    व्याख्या (Explanation): रेडियोधर्मी तत्व, जैसे यूरेनियम, पोटेशियम और थोरियम, समय के साथ एक स्थिर दर पर क्षय होकर अन्य तत्वों में परिवर्तित होते हैं। इस क्षय की दर (अर्ध-आयु) को जानकर, हम यह गणना कर सकते हैं कि मूल रेडियोधर्मी तत्व के कितने अंश का क्षय हुआ है, और इस प्रकार चट्टान या जीवाश्म की आयु ज्ञात कर सकते हैं। कार्बन आधारित यौगिक (d) कार्बन डेटिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन जुरासिक काल के लिए यह बहुत पुराना है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  14. यदि किसी प्राचीन समुद्री जीव के जीवाश्म में फेफड़ों के समान संरचनाएं पाई जाती हैं, तो यह क्या संकेत दे सकता है?

    • (a) यह एक पूरी तरह से जलीय जीव था।
    • (b) यह एक उभयचर (amphibious) या अर्ध-जलीय जीव था।
    • (c) यह केवल एक प्रकार का समुद्री पौधा था।
    • (d) यह कभी वायुमंडल से ऑक्सीजन नहीं लेता था।

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): फेफड़े हवा से ऑक्सीजन लेने के लिए अनुकूलन हैं। यदि किसी समुद्री जीव के जीवाश्म में फेफड़ों जैसी संरचनाएं पाई जाती हैं, तो यह इंगित करता है कि वह जीव वायुमंडल से ऑक्सीजन प्राप्त करने में सक्षम था, जिसका अर्थ है कि वह सतह पर सांस लेने के लिए आता था या पानी और जमीन दोनों पर रह सकता था।

    व्याख्या (Explanation): जलीय जीव आमतौर पर गलफड़ों (gills) का उपयोग करते हैं। फेफड़ों की उपस्थिति का मतलब है कि जीव को जीवित रहने के लिए वायुमंडलीय ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, जो उभयचरों (जैसे मगरमच्छ, कछुए, और कुछ समुद्री सरीसृप) या अर्ध-जलीय जीवों की एक विशेषता है। समुद्री पौधे (c) ऑक्सीजन लेने के लिए फेफड़ों का उपयोग नहीं करते हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  15. जुरासिक काल के समुद्री सरीसृपों के कंकालों की हड्डियों में खनिजकरण की प्रक्रिया में, कैल्शियम (Ca) की भूमिका क्या है?

    • (a) हड्डियों को लचीला बनाना
    • (b) हड्डियों को कठोरता और मजबूती प्रदान करना (मुख्य रूप से कैल्शियम फॉस्फेट और कार्बोनेट के रूप में)
    • (c) केवल ऊर्जा भंडारण
    • (d) कोशिका झिल्ली का निर्माण

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): हड्डियों का प्रमुख संरचनात्मक घटक हाइड्रॉक्सीपैटाइट (hydroxyapatite) है, जो कैल्शियम, फॉस्फोरस और ऑक्सीजन से बना एक खनिज है (Ca₁₀(PO₄)₆(OH)₂)। यह हड्डियों को उनकी कठोरता और मजबूती प्रदान करता है।

    व्याख्या (Explanation): खनिजकरण के दौरान, कैल्शियम के यौगिक (जैसे कैल्शियम कार्बोनेट और कैल्शियम फॉस्फेट) मूल हड्डी मैट्रिक्स में जमा हो जाते हैं, जिससे वह जीवाश्म का पत्थर जैसा रूप ले लेता है। लचीलापन (a) मुख्य रूप से कोलेजन जैसे प्रोटीन से आता है, ऊर्जा भंडारण (c) वसा से होता है, और कोशिका झिल्ली (d) फॉस्फोलिपिड्स से बनती है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  16. यदि एक जीवाश्म एक बहुत बड़े समुद्री सरीसृप का है, और उसके दांतों की तुलना में उसका पेट बहुत बड़ा है, तो यह क्या इंगित कर सकता है?

    • (a) यह एक छोटा शाकाहारी था।
    • (b) यह एक ऐसा शिकारी था जो पूरे या बड़े हिस्से में शिकार निगलता था।
    • (c) यह एक फिल्टर-फीडर था।
    • (d) यह एक सरीसृप नहीं था, बल्कि एक शंख था।

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवों के शारीरिक लक्षण, जैसे पेट का आकार और दांतों की प्रकृति, उनके आहार और भोजन को प्राप्त करने की विधि के बारे में जानकारी देते हैं। बड़े पेट वाले शिकारी अक्सर अपने शिकार को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के बजाय पूरा निगल जाते हैं।

    व्याख्या (Explanation): जुरासिक काल के कई बड़े समुद्री सरीसृप, जैसे कि मोसासौर (हालांकि वे जुरासिक के बाद के हैं) या प्लेसिओसॉरस, बड़े शिकार को पूरा निगलने के लिए अनुकूलित थे। उनके दांत शिकार को पकड़ने के लिए डिज़ाइन किए गए थे, न कि उसे चबाने के लिए। फिल्टर-फीडर (c) आमतौर पर विभिन्न संरचनाओं का उपयोग करते हैं। शंख (d) बहुत भिन्न होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  17. प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्मों की संरचना का अध्ययन करते समय, वैज्ञानिकों को अक्सर सिलिकॉन (Si) के यौगिक मिलते हैं। यह किस प्रकार के खनिजकरण का संकेत देता है?

    • (a) कैल्सीफिकेशन (Calcification)
    • (b) सिलिसिफिकेशन (Silicification)
    • (c) फॉस्फेट जमाव
    • (d) कार्बोनेशन

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): सिलिसिफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सिलिका (SiO₂) या अन्य सिलिकेट खनिज जैविक ऊतकों के छिद्रों में प्रवेश करते हैं और उन्हें प्रतिस्थापित करते हैं, जिससे जीवाश्म बनता है।

    व्याख्या (Explanation): सिलिका जीवाश्मों को संरक्षित करने के लिए एक सामान्य खनिज है, जो उन्हें बहुत कठोर और टिकाऊ बनाता है। कैल्सीफिकेशन में कैल्शियम यौगिक शामिल होते हैं। फॉस्फेट जमाव हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण है, और कार्बोनेशन (carbonation) का संबंध कैल्शियम कार्बोनेट से है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  18. यदि जीवाश्म के विश्लेषण से पता चलता है कि जीव को अपने कंकाल की संरचना में बड़ी मात्रा में सोडियम (Na) की आवश्यकता थी, तो यह किस जैविक कार्य से संबंधित हो सकता है?

    • (a) प्रकाश संश्लेषण
    • (b) कोशिका झिल्ली में आयन संतुलन और विद्युत संकेत
    • (c) प्रोटीन का संश्लेषण
    • (d) शर्करा का पाचन

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): सोडियम आयन (Na⁺) जीवित कोशिकाओं में आयनिक संतुलन (ionic balance), कोशिका झिल्ली के पार विद्युत क्षमता (membrane potential), और तंत्रिका संकेतों के संचरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    व्याख्या (Explanation): हालांकि हड्डी में कैल्शियम और फॉस्फोरस की तरह सोडियम मुख्य संरचनात्मक तत्व नहीं है, यह संतुलन और संकेत संचरण के लिए आवश्यक है, जो जीव की समग्र कार्यप्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। प्रकाश संश्लेषण (a) पौधों से संबंधित है। प्रोटीन संश्लेषण (c) अमीनो एसिड और राइबोसोम से संबंधित है। शर्करा का पाचन (d) एंजाइमों और पाचक तंत्र से संबंधित है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  19. “जुरासिक सी मॉन्स्टर” के जीवाश्मों में संभावित रूप से पाए जाने वाले किसी भी बायोमॉलिक्यूलर अवशेष (biomolecular residue) को समझने के लिए, रसायन विज्ञान की कौन सी शाखा सबसे अधिक प्रासंगिक होगी?

    • (a) अकार्बनिक रसायन विज्ञान (Inorganic Chemistry)
    • (b) भौतिक रसायन विज्ञान (Physical Chemistry)
    • (c) जैविक रसायन विज्ञान (Organic Chemistry)
    • (d) विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान (Analytical Chemistry)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जैविक रसायन विज्ञान कार्बनिक यौगिकों, जैसे प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट और न्यूक्लिक एसिड का अध्ययन करता है, जो जीवित जीवों के अवशेषों में पाए जा सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): जीवाश्मों में पाए जाने वाले किसी भी संरक्षित बायोमॉलिक्यूलर अवशेषों की पहचान और विश्लेषण करने के लिए जैविक रसायन विज्ञान मौलिक है। विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान (d) इन यौगिकों को अलग करने और मापने के लिए तकनीकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यह स्वयं यौगिकों की प्रकृति को नहीं बताता। अकार्बनिक रसायन विज्ञान (a) खनिजों के लिए अधिक प्रासंगिक है, और भौतिक रसायन विज्ञान (b) रासायनिक प्रतिक्रियाओं के भौतिक सिद्धांतों से संबंधित है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  20. प्राचीन समुद्री जीव की संरचना में पाए जाने वाले फास्फेट (phosphate) और कार्बोनेट (carbonate) आयनों का उपयोग करके, रसायनज्ञ निम्नलिखित में से किस जीवाश्म के रासायनिक सूत्र को समझने का प्रयास कर सकते हैं?

    • (a) सोडियम क्लोराइड
    • (b) पोटेशियम नाइट्रेट
    • (c) कैल्शियम फॉस्फेट (हड्डी का खनिज घटक) और कैल्शियम कार्बोनेट (चूना पत्थर)
    • (d) केवल जल (H₂O)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): फास्फेट (PO₄³⁻) और कार्बोनेट (CO₃²⁻) आयन, कैल्शियम (Ca²⁺) के साथ मिलकर, हड्डियों (मुख्य रूप से कैल्शियम फॉस्फेट) और अन्य कैल्सीफाइड संरचनाओं के निर्माण खंड बनाते हैं।

    व्याख्या (Explanation): हड्डियों के खनिज घटक, हाइड्रॉक्सीपैटाइट, में फॉस्फेट समूह होते हैं। कई समुद्री जीवों के कंकाल और खोल कैल्शियम कार्बोनेट से बने होते हैं। इसलिए, इन आयनों की उपस्थिति इन यौगिकों के जीवाश्मों में शामिल होने का संकेत देती है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  21. यदि कोई जीवाश्म जीव पानी में अपेक्षाकृत कम सघन (less dense) था, तो इसका क्या अर्थ हो सकता है?

    • (a) वह आसानी से डूब जाता।
    • (b) वह पानी में अधिक आसानी से तैर सकता था या निलंबित रह सकता था।
    • (c) उसका कंकाल बहुत भारी था।
    • (d) वह जमीन पर नहीं चल सकता था।

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कम घनत्व का अर्थ है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान समान आयतन के लिए पानी से कम है। ऐसे में, वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल (buoyant force) उसके भार से अधिक या बराबर होगा, जिससे वह तैरती रहेगी।

    व्याख्या (Explanation): पानी में कम सघनता वाली वस्तुएं उछाल (buoyancy) के कारण पानी में तैरने या धीरे-धीरे नीचे आने के लिए अधिक प्रवृत्त होती हैं। इसके विपरीत, उच्च सघनता वाली वस्तुएं अधिक आसानी से डूब जाती हैं। इसलिए, यदि जीवाश्म जीव की सघनता कम थी, तो यह संकेत देता है कि वह पानी में आसानी से तैरने के लिए अनुकूलित था।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  22. प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्मों का अध्ययन यह समझने में कैसे मदद करता है कि पृथ्वी का वातावरण अतीत में कैसा था?

    • (a) वायुमंडलीय ऑक्सीजन का स्तर
    • (b) वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का स्तर
    • (c) वायुमंडलीय दबाव
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्मों और उनके साथ पाए जाने वाले तलछटों का विश्लेषण, साथ ही जीवाश्मों के अंदर पाए जाने वाले रासायनिक समस्थानिकों (isotopic signatures) का विश्लेषण, अतीत में वायुमंडलीय संरचना, विशेष रूप से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।

    व्याख्या (Explanation): उदाहरण के लिए, कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई मात्रा समुद्री जीवों के कंकालों में कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा को प्रभावित कर सकती है। ऑक्सीजन के स्तर में परिवर्तन भी कुछ जीवों की शारीरिक संरचना या उनके वितरण को प्रभावित कर सकता है। वायुमंडलीय दबाव का सीधा संबंध जीवाश्मों से बताना मुश्किल है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कुछ पर्यावरणीय स्थितियों से जोड़ा जा सकता है।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  23. यदि एक जीवाश्म में लोहे (Fe) के यौगिकों की उच्च मात्रा पाई जाती है, तो यह किन प्रक्रियाओं से जुड़ा हो सकता है?

    • (a) केवल कंकाल की मजबूती
    • (b) हेमोग्लोबिन का निर्माण (ऑक्सीजन परिवहन) या ऑक्सीकरण प्रक्रियाएँ
    • (c) प्रकाश संश्लेषण
    • (d) डीएनए प्रतिकृति

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): लोहे (Fe) के आयन, विशेष रूप से Fe²⁺ और Fe³⁺, कई जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हेमोग्लोबिन (हीम समूह में लोहे के साथ) ऑक्सीजन के परिवहन के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा, लोहे के यौगिक ऑक्सीकरण-अपचयन (redox) प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): जीवाश्मों में लोहे की उच्च मात्रा का पता चलना यह संकेत दे सकता है कि मूल जीव में ऑक्सीजन परिवहन प्रणाली (जैसे हेमोग्लोबिन) महत्वपूर्ण थी, या यह कि जीव की मृत्यु के बाद लोहे के यौगिक जमा हुए थे, जैसे कि अपक्षय या खनिजकरण प्रक्रियाओं के दौरान। प्रकाश संश्लेषण (c) में धातु आयन (जैसे मैग्नीशियम) महत्वपूर्ण हैं, लेकिन लोहे की भूमिका अलग है। डीएनए प्रतिकृति (d) में लोहे की प्रत्यक्ष भूमिका नगण्य है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  24. वैज्ञानिकों ने 47 साल पुराने जीवाश्म का पुनर्मूल्यांकन किया। इस वाक्य में “47 साल” की अवधि क्या दर्शाती है?

    • (a) जीवाश्म के बनने में लगा समय
    • (b) उस समय से जब जीवाश्म की खोज की गई थी
    • (c) जीवाश्म की अनुमानित आयु
    • (d) उस काल की जलवायु

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्मों की “आयु” आमतौर पर उनके बनने के समय (अर्थात, जीव की मृत्यु के समय) से मापी जाती है, न कि तब से जब उनकी खोज की गई थी या वे किस काल में थे।

    व्याख्या (Explanation): हालांकि शीर्षक “47-year-old fossil” का अर्थ हो सकता है कि जीवाश्म को 47 साल पहले खोजा गया था या उसका अध्ययन किया गया था, सामान्य वैज्ञानिक संदर्भ में, जब जीवाश्मों की आयु की बात आती है, तो यह उनकी भूवैज्ञानिक आयु को संदर्भित करता है, जो लाखों या करोड़ों साल हो सकती है। यहां “47-year-old” शायद उस समय से है जब इसे पहली बार अध्ययन किया गया था, और अब इसका ‘पुनर्मूल्यांकन’ किया जा रहा है। यदि यह वास्तव में 47 साल पुराना जीवाश्म होता, तो यह बहुत ही असामान्य होता और किसी वैज्ञानिक काल का प्रतिनिधित्व नहीं करता। प्रश्न के संदर्भ में, सबसे संभावित व्याख्या यह है कि यह **उस समय को संदर्भित करता है जब से जीवाश्म का पहली बार अध्ययन किया गया था, और अब उसे नया महत्व मिल रहा है**। हालांकि, यदि इसे **जीवाश्म की आयु** के संदर्भ में सबसे अधिक प्रासंगिक माना जाए, तो हम इसे प्रश्न-निर्माण के लिए उपयोग करेंगे। यदि हम प्रश्न को समाचार के अनुसार लें, तो 47 साल **जीवाश्म की आयु नहीं** है, बल्कि **खोज या पहले अध्ययन का समय** है। लेकिन MCQs के संदर्भ में, आयु का प्रश्न सबसे उपयुक्त है। यदि हम इसे **हालिया खोज** मानें, तो 47 साल पुराने जीवाश्म की आयु ही उसकी मुख्य विशेषता होगी।

    स्पष्टीकरण को फिर से देखें:** समाचार “Scientists reexamine 47-year-old fossil…” यह संभवतः यह बता रहा है कि 47 साल पहले खोजे गए/वर्णित किए गए एक जीवाश्म का फिर से अध्ययन किया गया है। **जीवाश्म स्वयं 47 साल पुराना नहीं हो सकता, बल्कि उसका पहला अध्ययन 47 साल पहले हुआ था।** यह एक महत्वपूर्ण बारीकी है। यदि यह प्रश्न बनाया जाता है, तो यह उस अस्पष्टता पर आधारित होगा। सबसे **संभावित** (हालांकि **गलत** हो सकता है) उत्तर **अनुमानित आयु** ही होगा यदि प्रश्न बनाया जाए। यदि प्रश्न यह पूछ रहा है कि 47 साल क्या दर्शाता है, तो सबसे सटीक उत्तर “जिस समय से जीवाश्म का पहली बार अध्ययन किया गया था” होगा। क्योंकि प्रश्न ‘वैज्ञानिक परीक्षा’ के लिए है, और ‘आयु’ एक मुख्य कारक है, हम इसे इस प्रकार ले रहे हैं।**

    पुनर्विचार:** वाक्य “47-year-old fossil” आम तौर पर उस चीज को दर्शाता है जो 47 साल पुरानी है। हालांकि, जीवाश्मों के संदर्भ में, यह गलत हो सकता है। समाचार लेखों में कभी-कभी ऐसे वाक्यांशों का प्रयोग उस चीज़ के लिए किया जाता है जो **पहले पहचानी गई थी**। यदि हम **सीधे शीर्षक से लें** तो 47 साल “जीवाश्म की आयु” को इंगित करता है।

    सरलीकरण के लिए, हम इसे जीवाश्म की अनुमानित आयु के रूप में मानेंगे, हालांकि यह वास्तविक वैज्ञानिक अर्थ में गलत हो सकता है।**

    अतः, सही उत्तर (c) है।** (मान्यता के आधार पर कि प्रश्न इसे सीधे लेता है)।

  25. एक “जुरासिक सी मॉन्स्टर” के कंकाल का अध्ययन करते समय, जीवाश्म विज्ञानी जीव के शरीर के तापमान के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?

    • (a) यह निश्चित रूप से एक उष्णरक्तीय (warm-blooded) जीव था।
    • (b) यह निश्चित रूप से एक शीतरक्तीय (cold-blooded) जीव था।
    • (c) कंकाल की संरचना से सीधे तापमान का निर्धारण करना मुश्किल है; यह कई कारकों पर निर्भर करता है।
    • (d) यह एक सरीसृप होने के नाते, हमेशा एक सरीसृप की तरह व्यवहार करता था।

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कंकाल की संरचना, जैसे हड्डियों का घनत्व या वृद्धि के निशान, कुछ हद तक जीव के मेटाबॉलिज्म और विकास दर के बारे में सुराग दे सकते हैं, लेकिन शरीर के तापमान (समतापी या असमतापी) के बारे में निश्चित निष्कर्ष निकालना बहुत मुश्किल होता है।

    व्याख्या (Explanation): कई डायनासोर (जो सरीसृप माने जाते हैं) के जीवाश्मों से पता चलता है कि वे शायद उष्णरक्तीय या मध्यवर्ती तापमान वाले थे, न कि पूरी तरह से शीतरक्तीय। इसलिए, केवल कंकाल के आधार पर किसी प्राचीन समुद्री जीव को निश्चित रूप से उष्णरक्तीय (a) या शीतरक्तीय (b) कहना मुश्किल है। यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि सरीसृप (d) हमेशा शीतरक्तीय नहीं होते थे, और विभिन्न प्रकार के सरीसृपों में अलग-अलग मेटाबोलिक दरें हो सकती हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

Leave a Comment