जापान-रूस तटों पर सुनामी का डबल स्ट्राइक: विनाश, समुद्री जीवन का संकट और भविष्य की चेतावनी
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, प्रशांत महासागर में आई एक शक्तिशाली भूकंपीय घटना के कारण जापान और रूस के सुदूर पूर्वी तटों पर विनाशकारी सुनामी लहरों ने तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा ने बंदरगाहों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है, तटीय समुदायों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचाया है, और सबसे दुखद बात यह है कि हजारों की संख्या में व्हेल सहित अनगिनत समुद्री जीव तटों पर बहकर आ गए, जो इस आपदा की भयावहता को दर्शाते हैं। यह घटना न केवल तत्काल मानवीय और पर्यावरणीय संकट का प्रतीक है, बल्कि पृथ्वी की प्राकृतिक शक्तियों की अप्रत्याशितता और हमारे तटीय पारिस्थितिक तंत्र की नाजुकता पर भी प्रकाश डालती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना भूगोल, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन, और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों जैसे विषयों की गहरी समझ का अवसर प्रदान करती है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न आयामों का गहराई से विश्लेषण करेगा, इसके कारणों, प्रभावों, और भविष्य के लिए आवश्यक सबक पर प्रकाश डालेगा।
1. सुनामी: प्रकृति का अप्रत्याशित प्रकोप (Tsunami: Nature’s Unpredictable Fury)
सुनामी, जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘बंदरगाह लहर’। यह तब उत्पन्न होती है जब समुद्र तल पर बड़ी मात्रा में पानी अचानक विस्थापित हो जाता है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- भूकंप: समुद्र के नीचे आने वाले तीव्र भूकंप, विशेष रूप से जब वे ऊर्ध्वाधर गति (vertical displacement) उत्पन्न करते हैं, सुनामी का सबसे आम कारण हैं। रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire), प्रशांत महासागर के चारों ओर स्थित एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ दुनिया के अधिकांश भूकंप और ज्वालामुखी आते हैं। जापान इसी क्षेत्र में स्थित है, जो इसे सुनामी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाता है।
- ज्वालामुखी विस्फोट: समुद्र के नीचे या तट के पास बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट भी सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं।
- भूस्खलन: समुद्र के नीचे या तटरेखा पर बड़े पैमाने पर भूस्खलन से भी सुनामी आ सकती है।
- उल्कापिंड का प्रभाव: हालांकि दुर्लभ, समुद्र में बड़े उल्कापिंड के गिरने से भी विशाल सुनामी उत्पन्न हो सकती है।
सुनामी लहरें खुले समुद्र में कम ऊँची लेकिन बहुत तेज गति से यात्रा करती हैं (लगभग 800 किमी/घंटा तक), लेकिन जैसे ही वे उथले पानी और तट के पास पहुँचती हैं, उनकी गति धीमी हो जाती है और ऊँचाई नाटकीय रूप से बढ़ जाती है, जिससे वे अत्यंत विनाशकारी हो जाती हैं।
“सुनामी केवल एक लहर नहीं है, यह समुद्र की विशाल ऊर्जा का एक अप्रत्याशित विस्फोट है जो सब कुछ बहा ले जाने की क्षमता रखता है।”
2. हालिया घटना का विश्लेषण: जापान और रूस पर प्रभाव (Analysis of the Recent Event: Impact on Japan and Russia)
प्रशांत महासागर में आई इस हालिया घटना ने जापान और रूस के सुदूर पूर्वी तटों पर गंभीर प्रभाव डाला।
2.1. जापान पर प्रभाव:
- बंदरगाहों का विनाश: ओखोटस्क सागर (Sea of Okhotsk) के पास केंद्रित भूकंप ने सुनामी को जन्म दिया। जापान के उत्तरी तटों पर कई छोटे और मध्यम आकार के बंदरगाहों को भारी क्षति पहुँची है। इससे मछली पकड़ने के उद्योग, समुद्री माल ढुलाई और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है।
- तटीय बुनियादी ढाँचा: तटबंध, सड़कें, पुल और तटीय आवास भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
- समुद्री जीवन पर संकट: सबसे चिंताजनक बात यह है कि हजारों की संख्या में व्हेल, डॉल्फ़िन और अन्य समुद्री स्तनधारी तटों पर बहकर आ गए। यह घटना न केवल इन जीवों के लिए दुखद है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि सुनामी की लहरें और उससे उत्पन्न होने वाले सदमे (shockwaves) समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गहराई से प्रभावित करते हैं। व्हेल जैसे बड़े स्तनधारियों का एक साथ तट पर आना कई कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution): भूकंप और सुनामी द्वारा उत्पन्न निम्न-आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगें (low-frequency sound waves) समुद्री जीवों, विशेष रूप से व्हेल के ध्वनि-संचार (echolocation) और नेविगेशन को बाधित कर सकती हैं, जिससे वे भ्रमित होकर गलत दिशा में जा सकते हैं।
- चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंपीय गतिविधि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में सूक्ष्म परिवर्तन ला सकती है, जो दिशा-ज्ञान के लिए समुद्री जीवों पर निर्भर करते हैं, उनके नेविगेशन को प्रभावित कर सकता है।
- भूकंपीय तरंगों का प्रभाव: भूकंपीय तरंगें सीधे तौर पर पानी के भीतर कंपन पैदा करती हैं, जिससे समुद्री जीवों को सदमा लग सकता है और वे पानी की सतह या तट की ओर बढ़ सकते हैं।
2.2. रूस पर प्रभाव:
- कुरील द्वीप समूह: रूस के कुरील द्वीप समूह, जो जापान के होक्काइडो के उत्तर में स्थित हैं, भी इस सुनामी से प्रभावित हुए हैं। इन द्वीपों पर भी तटीय समुदायों को नुकसान हुआ है और बंदरगाहों को क्षति पहुँची है।
- सामरिक महत्व: रूस के लिए, इन क्षेत्रों में नौसैनिक अड्डे और मछली पकड़ने के महत्वपूर्ण केंद्र हैं, जिन्हें इस आपदा से नुकसान हुआ है।
- पर्यावरणीय चिंताएं: जापान की तरह, रूस के तटों पर भी समुद्री जीवों के बहकर आने की खबरें मिली हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र पर व्यापक प्रभाव का संकेत देती हैं।
3. सुनामी और समुद्री जीवन: एक जटिल संबंध (Tsunamis and Marine Life: A Complex Relationship)
हजारों व्हेल का तटों पर बहकर आना एक भयानक दृश्य है और यह कई जटिल सवालों को जन्म देता है। यह घटना केवल सुनामी के प्रत्यक्ष विनाशकारी प्रभाव का परिणाम नहीं है, बल्कि यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की नाजुकता और उसमें होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों के प्रति जीवों की संवेदनशीलता को भी उजागर करती है।
- पारिस्थितिकी तंत्र पर समग्र प्रभाव: सुनामी केवल तटवर्ती क्षेत्रों को ही नहीं, बल्कि महासागर के मध्यवर्ती पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित करती है। पानी के नीचे अचानक होने वाले कंपन, ध्वनि तरंगें, और पानी के तापमान और लवणता में परिवर्तन समुद्री जीवों के व्यवहार और अस्तित्व को प्रभावित कर सकते हैं।
- भोजन श्रृंखला का विघटन: सुनामी के कारण बड़े पैमाने पर तटीय और समुद्री वनस्पति नष्ट हो जाती है, जो खाद्य श्रृंखला की शुरुआत करती है। इससे छोटी मछलियों से लेकर बड़े समुद्री स्तनधारियों तक सभी प्रभावित होते हैं।
- मानवीय गतिविधियों का योगदान?: यह बहस का विषय है कि क्या मानवीय गतिविधियाँ, जैसे महासागरों में बढ़ता प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण (जहाजों, सोनार, और तेल अन्वेषण से), और जलवायु परिवर्तन, समुद्री जीवों को पहले से ही तनावग्रस्त कर रहे हैं, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
“समुद्री जीवन का तट पर आना केवल एक चेतावनी संकेत है; यह एक संकेत है कि हम अनजाने में एक ऐसी दुनिया को बिगाड़ रहे हैं जिसकी जटिलताओं को हम पूरी तरह से समझते भी नहीं हैं।”
4. अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान और आपदा प्रबंधन के परिप्रेक्ष्य (International Geological and Disaster Management Perspectives)
यह घटना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण सबक प्रस्तुत करती है:
4.1. भूवैज्ञानिक संवेदनशीलता:
- रिंग ऑफ फायर की गतिशीलता: जापान और रूस प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ का हिस्सा हैं, जो टेक्टोनिक प्लेटों की सबसे सक्रिय सीमा है। यहाँ भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि एक सतत प्रक्रिया है। इस क्षेत्र में रहने वाले देशों के लिए, भूकंप और सुनामी की भविष्यवाणी और तैयारी एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है।
- भूकंपीय निगरानी: विश्वसनीय भूकंपीय निगरानी प्रणाली, जैसे कि जापान की उन्नत प्रणाली, प्रारंभिक चेतावनी (early warning) प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन प्रणालियों को लगातार अद्यतन और विस्तारित करने की आवश्यकता है।
4.2. आपदा प्रबंधन की चुनौतियाँ:
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे कितनी प्रभावी हैं यह सुनामी की गति, उसकी गहराई और प्रभावित क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है। जैसे ही भूकंप आता है, चेतावनी जारी हो जाती है, लेकिन लहरों को तट तक पहुँचने में कुछ ही मिनट लग सकते हैं।
- अनुकूलन और शमन (Adaptation and Mitigation):
- तटीय सुरक्षा: समुद्री दीवारों (sea walls), तटबंधों (embankments), और मैंग्रोव वनों (mangrove forests) का रोपण तटवर्ती क्षेत्रों को सुनामी से बचाने में मदद कर सकता है। मैंग्रोव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं क्योंकि वे लहरों की ऊर्जा को अवशोषित करते हैं।
- भवन निर्माण संहिता: भूकंप और सुनामी प्रतिरोधी भवन निर्माण संहिताओं का कड़ाई से पालन आवश्यक है।
- जन जागरूकता और प्रशिक्षण: स्थानीय समुदायों को सुनामी से बचने के लिए मॉक ड्रिल (mock drills) और प्रशिक्षण प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकासी के मार्गों के बारे में पता होना चाहिए।
- शहरी नियोजन: तटीय क्षेत्रों में संवेदनशील बुनियादी ढांचे (जैसे अस्पताल, स्कूल, बिजली संयंत्र) को अधिक सुरक्षित स्थानों पर ले जाने या उन्हें विशेष रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सुनामी एक सीमा पार आपदा है। इसलिए, सूचना साझाकरण, संयुक्त अनुसंधान, और चेतावनी प्रणालियों के समन्वय के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है।
“एक अच्छी तरह से डिजाइन की गई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, प्रभावी निकासी योजना और समुदाय की सक्रिय भागीदारी, किसी भी सुनामी आपदा के विनाशकारी प्रभाव को काफी कम कर सकती है।”
5. आर्थिक और सामाजिक परिणाम (Economic and Social Consequences)
प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव केवल भौतिक क्षति तक सीमित नहीं होते, बल्कि उनके दूरगामी आर्थिक और सामाजिक परिणाम भी होते हैं:
- आजीविका का नुकसान: मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर समुदायों के लिए, बंदरगाहों और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश सीधे तौर पर उनकी आजीविका को प्रभावित करता है।
- पुनर्निर्माण की लागत: क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में भारी लागत आती है, जो प्रभावित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर एक बड़ा बोझ डालती है।
- मानसिक स्वास्थ्य: प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों के लिए, ऐसी भयावह घटनाओं का अनुभव गहरा मानसिक आघात पहुँचा सकता है, जिसके लिए दीर्घकालिक सहायता की आवश्यकता होती है।
- खाद्य सुरक्षा: तटीय मत्स्य पालन पर निर्भरता वाले क्षेत्रों में, सुनामी खाद्य सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती है।
6. भविष्य की राह: क्या सीखें? (The Way Forward: What to Learn?)
जापान और रूस के तटों पर आई यह सुनामी घटना हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती है:
- प्रकृति का सम्मान: हमें प्रकृति की शक्ति का सम्मान करना सीखना चाहिए और उसके साथ सामंजस्य बिठाकर रहना चाहिए।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: उन्नत भूकंपीय और सुनामी निगरानी प्रौद्योगिकियों में निवेश बढ़ाना और उनका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना।
- अनुकूली क्षमता: जलवायु परिवर्तन और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ सकती है। हमें अपनी आपदा प्रबंधन रणनीतियों को अधिक अनुकूलनीय (adaptive) बनाने की आवश्यकता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली: क्षतिग्रस्त तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, विशेष रूप से मैंग्रोव और कोरल रीफ, की बहाली पर ध्यान देना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता: आपदाओं के समय, देशों के बीच सहयोग और सहायता महत्वपूर्ण है।
- समुद्री जीवन का संरक्षण: हमें समुद्री जीवन के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और उन मानवीय गतिविधियों को कम करना होगा जो उन्हें खतरे में डालती हैं। व्हेल जैसे प्रजातियों का संकट, समुद्र के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
यह घटना एक स्पष्ट संदेश देती है कि प्रशांत महासागर के “रिंग ऑफ फायर” में रहने वाले समुदायों को हमेशा सतर्क रहना होगा। सुनामी केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे ग्रह के साथ हमारे जटिल संबंधों का प्रतिबिंब है। सीखे गए सबक हमें भविष्य के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद कर सकते हैं, ताकि हम इस तरह की आपदाओं के विनाशकारी प्रभावों को कम कर सकें और अपने ग्रह के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा कर सकें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: सुनामी के निर्माण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- सुनामी का सबसे आम कारण समुद्र के नीचे आने वाले बड़े भूकंप हैं।
- ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन भी सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं।
- सुनामी लहरें खुले समुद्र में ऊँची लेकिन धीमी गति से यात्रा करती हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
उत्तर: (a) 1 और 2 केवल
व्याख्या: कथन 1 और 2 सही हैं। कथन 3 गलत है क्योंकि सुनामी लहरें खुले समुद्र में तेज गति से (लगभग 800 किमी/घंटा) यात्रा करती हैं, न कि धीमी गति से।
- प्रश्न: ‘रिंग ऑफ फायर’ (Ring of Fire) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
उत्तर: (b) यह प्रशांत महासागर के चारों ओर एक क्षेत्र है जहाँ सबसे अधिक भूकंप और ज्वालामुखी आते हैं।
व्याख्या: रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर बेसिन के चारों ओर स्थित एक विशाल चाप है जहाँ टेक्टोनिक प्लेटों की सक्रियता के कारण लगभग 90% भूकंप और 80% बड़े भूकंपीय ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं।
- प्रश्न: हालिया सुनामी घटना में जापान और रूस के तटों पर हजारों व्हेल के बहकर आने के संभावित कारणों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भूकंपीय तरंगों द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण।
- भूकंपीय गतिविधि से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन।
- समुद्री जीवों का शिकारियों से बचने के लिए गलत दिशा में जाना।
उपरोक्त कथनों में से कौन से संभावित कारण हैं?
उत्तर: (a) 1 और 2 केवल
व्याख्या: भूकंपीय तरंगों से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण और चुंबकीय क्षेत्र में संभावित परिवर्तन समुद्री जीवों के नेविगेशन को बाधित कर सकते हैं। शिकारियों से बचना एक सामान्य कारण हो सकता है, लेकिन इस विशिष्ट सामूहिक घटना के लिए प्राथमिक कारण नहीं माना गया है।
- प्रश्न: सुनामी के प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी उपाय सबसे प्रभावी माने जाते हैं?
उत्तर: (c) मैंग्रोव वनों का रोपण और तटीय क्षेत्रों में बेहतर भवन निर्माण संहिता का पालन
व्याख्या: मैंग्रोव अपने घने जड़ तंत्र के साथ लहरों की ऊर्जा को अवशोषित करते हैं, और भूकंप/सुनामी प्रतिरोधी निर्माण तटीय संरचनाओं को सुरक्षित रखता है।
- प्रश्न: प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर: (b) सुनामी लहरों के तट पर पहुँचने से पहले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का अवसर प्रदान करना।
व्याख्या: प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ भूकंप का पता चलते ही जारी की जाती हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों को समय पर सूचित किया जा सके ताकि वे निकासी कर सकें।
- प्रश्न: ‘सुनामी’ शब्द किस भाषा से लिया गया है?
उत्तर: (d) जापानी
व्याख्या: ‘सुनामी’ एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है ‘बंदरगाह लहर’।
- प्रश्न: समुद्री जीवन के तट पर आने (mass stranding) के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कारक जिम्मेदार हो सकता है?
- समुद्री धाराएँ
- जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान
- प्रदूषण
- समुद्री जीवों का रोगग्रस्त होना
सही कूट का प्रयोग कर उत्तर दें:
उत्तर: (d) 1, 2, 3 और 4
व्याख्या: सामूहिक समुद्री जीवन के तट पर आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें समुद्री धाराएँ, पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान, प्रदूषण, और जीवों का रोगग्रस्त होना शामिल है।
- प्रश्न: जापान की भूकंपीय निगरानी प्रणाली को किस रूप में जाना जाता है?
उत्तर: (a) उन्नत भूकंपीय नेटवर्क
व्याख्या: जापान के पास दुनिया की सबसे उन्नत भूकंपीय निगरानी प्रणालियों में से एक है, जो जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) द्वारा संचालित है।
- प्रश्न: सुनामी से बचाव के लिए ‘शमन’ (mitigation) का क्या अर्थ है?
उत्तर: (c) आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए पहले से कदम उठाना।
व्याख्या: शमन का अर्थ है आपदा के होने से पहले ही उसके संभावित नुकसान को कम करने के लिए उपाय करना, जैसे कि मजबूत निर्माण और बुनियादी ढांचा।
- प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश ‘रिंग ऑफ फायर’ का हिस्सा है और सुनामी के प्रति संवेदनशील है?
- चिली
- इंडोनेशिया
- न्यूजीलैंड
- जापान
सही कूट का प्रयोग कर उत्तर दें:
उत्तर: (d) 1, 2, 3 और 4
व्याख्या: ये सभी देश प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ के प्रमुख हिस्से हैं और सुनामी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में भूकंप और सुनामी की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता के आलोक में, भारत जैसे अन्य भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों के लिए आपदा प्रबंधन रणनीतियों को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? जापान और चिली जैसे देशों के अनुभवों से क्या सीखा जा सकता है? (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ न केवल तटीय बुनियादी ढांचे को नष्ट करती हैं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गहरा और बहुआयामी प्रभाव डालती हैं। इस संदर्भ में, हालिया जापान-रूस सुनामी घटना के आलोक में समुद्री जीवन के तट पर आने (mass stranding) के पीछे के संभावित वैज्ञानिक कारणों और पारिस्थितिकीय परिणामों का विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों (Early Warning Systems) और सामुदायिक भागीदारी (Community Participation) के महत्व पर प्रकाश डालें, विशेष रूप से सुनामी जैसी अचानक आने वाली आपदाओं के संदर्भ में। इन प्रणालियों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? (लगभग 150 शब्द)