जम्मू सीमा पर तनाव: क्या सच है और क्या झूठ? सेना ने की मीडिया खबरों की पोल खोल!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर के उल्लंघन की खबरें तेजी से फैलीं। ये खबरें कई मीडिया आउटलेट्स द्वारा प्रसारित की गईं, जिससे एक बार फिर सीमा पर तनाव की स्थिति पैदा होने की आशंका जताई जाने लगी। हालांकि, भारतीय सेना ने इन रिपोर्टों का कड़ा खंडन किया है। सेना ने इन दावों को “असत्य” और “भ्रमक” करार देते हुए स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इस घटनाक्रम ने न केवल जमीनी हकीकत पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि कैसे गलत सूचना या अधूरी जानकारी का प्रसार राष्ट्रीय सुरक्षा और जन धारणा को प्रभावित कर सकता है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, मीडिया की भूमिका, और सूचना युद्ध (Information Warfare) जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ा हुआ है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा, जिसमें सेना के खंडन के निहितार्थ, पाकिस्तान की चालें, सीजफायर समझौते का महत्व, सीमा पर वर्तमान स्थिति, और इससे जुड़े सुरक्षा पहलू शामिल होंगे। हम यह भी जानेंगे कि UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इस तरह की घटनाओं को कैसे समझना चाहिए और किन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
पृष्ठभूमि: सीजफायर और जम्मू-कश्मीर में इसकी स्थिति
सीजफायर, जिसे युद्धविराम भी कहा जाता है, एक औपचारिक समझौता है जो दो या दो से अधिक विरोधी पक्षों के बीच लड़ाई को अस्थायी या स्थायी रूप से रोकने के लिए किया जाता है। यह सैन्य कार्रवाई को थामने, बातचीत की मेज पर आने, या मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर का इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। दोनों देश 2003 से प्रभावी सीजफायर समझौते का पालन करने का दावा करते रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, इस समझौते का बार-बार उल्लंघन होता रहा है। पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और घुसपैठ के प्रयास सीजफायर उल्लंघन के प्रमुख कारण रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर, विशेष रूप से नियंत्रण रेखा के साथ सटी सीमावर्ती चौकियों और गांवों में, इन उल्लंघनों का सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ता है। आम नागरिक, सैनिक और सीमावर्ती अवसंरचना (infrastructure) अक्सर इन घटनाओं के शिकार होते हैं।
सेना का खंडन: एक महत्वपूर्ण जवाबी कार्रवाई
जब जम्मू में सीजफायर उल्लंघन की खबरें आई थीं, तो प्रारंभिक प्रतिक्रिया यही थी कि सीमा पर फिर से तनाव बढ़ गया है। हालांकि, भारतीय सेना का त्वरित और स्पष्ट खंडन इस कहानी को एक नया मोड़ देता है। सेना के प्रवक्ता द्वारा इन खबरों को “असत्य” और “भ्रमक” बताना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इसके कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं:
- गलत सूचना का मुकाबला: सेना का यह कदम स्पष्ट रूप से गलत सूचना या दुष्प्रचार (disinformation) का मुकाबला करने के लिए था। ऐसी खबरें अगर बिना खंडन के फैलती रहतीं, तो जनता में भय और अनिश्चितता का माहौल बन सकता था, जो राष्ट्र की मनोबल को गिरा सकता था।
- ऑपरेशनल सीक्रेसी: सेना कभी भी अपने ऑपरेशनल डिटेल्स को सार्वजनिक नहीं करती, जब तक कि वह खुद ऐसा न करना चाहे। सीजफायर उल्लंघन की पुष्टि या खंडन सीधा सेना का डोमेन है।
- अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति: ऐसे दावे, यदि सच होते, तो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत की स्थिति को मजबूत करते। लेकिन जब ये दावे झूठे साबित होते हैं, तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान या उसके समर्थकों द्वारा झूठी जानकारी फैलाई जा रही है। सेना का खंडन पाकिस्तान के झूठे दावों को भी अप्रत्यक्ष रूप से उजागर करता है।
- जनता का विश्वास: सेना का स्पष्टीकरण जनता के बीच सेना की विश्वसनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
सेना की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि इस विशिष्ट मामले में, ज़मीनी हकीकत कुछ और थी, और मीडिया में आई खबरें ज़मीनी हकीकत से मेल नहीं खाती थीं। यह एक गंभीर मुद्दा है कि क्यों और कैसे ऐसी “भ्रमक” खबरें सामने आईं।
पाकिस्तान की संभावित चालें: ‘Information Warfare’ का एक नया रूप?
यह प्रश्न उठता है कि अगर सीमा पर वास्तव में सीजफायर का उल्लंघन नहीं हुआ था, तो ऐसी खबरें क्यों फैलीं? इसके पीछे पाकिस्तान की कुछ सोची-समझी रणनीतियाँ हो सकती हैं:
- मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare): लगातार सीजफायर उल्लंघनों की खबरें फैलाकर, पाकिस्तान भारत को एक ऐसी स्थिति में धकेलने की कोशिश करता है जहाँ भारत को लगातार सतर्क रहना पड़ता है। यह भारत के सुरक्षा बलों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना: पाकिस्तान अक्सर कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के लिए सीमा पर तनाव का माहौल बनाने की कोशिश करता है। झूठे सीजफायर उल्लंघन के दावे इस एजेंडे का हिस्सा हो सकते हैं।
- आतंकवादी घुसपैठ को कवर करना: कभी-कभी, पाकिस्तान एलओसी पर अपनी सेना की गतिविधियों को छिपाने के लिए सीजफायर उल्लंघन का शोर मचाता है, ताकि आतंकवादी समूहों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने में आसानी हो।
- घरेलू राजनीति: पाकिस्तान अपनी घरेलू राजनीति को साधने के लिए भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का दिखावा कर सकता है।
- ‘Hybrid Warfare’ का हिस्सा: आधुनिक युद्ध केवल पारंपरिक हथियारों तक सीमित नहीं है। ‘Hybrid Warfare’ में सैन्य, राजनीतिक, आर्थिक और सूचनात्मक साधनों का मिश्रण शामिल होता है। झूठी खबरें फैलाना सूचना युद्ध का एक प्रमुख अंग है।
सेना का खंडन इस प्रकार पाकिस्तान के ‘Hybrid Warfare’ के प्रयास को विफल करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि भारत सरकार और सेना सूचना के मोर्चे पर भी सतर्क है।
सीजफायर उल्लंघन के निहितार्थ: एक गहरा विश्लेषण
जब वास्तव में सीजफायर का उल्लंघन होता है, तो इसके गंभीर परिणाम होते हैं:
- मानव जीवन की हानि: सबसे प्रत्यक्ष और दुखद परिणाम नागरिकों और सैनिकों के जीवन की हानि होती है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: सीमावर्ती क्षेत्रों में अक्सर खेती और पशुपालन मुख्य व्यवसाय होते हैं। गोलाबारी के कारण ये गतिविधियाँ बाधित होती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।
- लोगों का विस्थापन: लगातार खतरे के कारण लोगों को अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है, जिससे वे अपनी आजीविका और संपत्तियों से वंचित हो जाते हैं।
- बुनियादी ढांचे को नुकसान: घर, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य सार्वजनिक संपत्ति सीजफायर उल्लंघन का शिकार हो सकते हैं।
- सामरिक और राजनीतिक परिणाम: हर उल्लंघन भारत को जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर करता है, जिससे तनाव और बढ़ सकता है। यह द्विपक्षीय संबंधों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
इस विशेष मामले में, क्योंकि सेना ने उल्लंघन का खंडन किया है, ये सभी तात्कालिक परिणाम टल गए हैं। लेकिन यह घटना एक बड़े सवाल को जन्म देती है: कैसे मीडिया रिपोर्टिंग इतनी भ्रामक हो सकती है?
मीडिया की भूमिका और ज़िम्मेदारी
यह घटना मीडिया की भूमिका और उसकी ज़िम्मेदारी पर भी प्रकाश डालती है। आज के “ब्रेकिंग न्यूज़” के युग में, कई बार खबरें बिना पूरी तरह से सत्यापित हुए प्रसारित कर दी जाती हैं।
“गलत सूचना का प्रसार लोकतंत्र के लिए उतना ही खतरनाक हो सकता है जितना कि एक बाहरी दुश्मन। यह विश्वास को तोड़ता है, समाज को विभाजित करता है, और निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकृत करता है।”
मीडिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे:
- सत्यापित जानकारी: किसी भी खबर को प्रसारित करने से पहले, उसके स्रोतों की प्रामाणिकता और तथ्य-जांच (fact-checking) को सुनिश्चित करें।
- संतुलित रिपोर्टिंग: किसी भी घटना के सभी पक्षों को प्रस्तुत करें और केवल एकतरफा बयानबाजी से बचें।
- जिम्मेदार भाषा: अपनी भाषा के प्रयोग में सतर्क रहें, ताकि अनावश्यक भय या उन्माद न फैले।
- सकारात्मक योगदान: राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाली रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित करें।
सेना के खंडन के बाद, उन मीडिया आउटलेट्स के लिए अपनी रिपोर्टिंग की समीक्षा करना और स्पष्टीकरण देना उचित होगा जिन्होंने प्रारंभिक रूप से झूठी खबरें प्रसारित की थीं।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: किन पहलुओं पर ध्यान दें?
UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह घटना कई महत्वपूर्ण विषयों को कवर करती है:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: सीमा प्रबंधन, घुसपैठ की रोकथाम, और सीमा पार आतंकवाद से निपटना।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत-पाकिस्तान संबंध, सीमा विवाद, और कूटनीतिक पैंतरेबाज़ी।
- रक्षा: भारतीय सेना की भूमिका, ऑपरेशनल तत्परता, और सुरक्षा बल।
- संचार और सूचना: सूचना युद्ध, दुष्प्रचार का मुकाबला, और मीडिया की भूमिका।
- आंतरिक सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति, अलगाववाद, और उग्रवाद।
- भू-राजनीति: दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन और क्षेत्रीय स्थिरता।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऐसी घटनाओं का विश्लेषण कैसे किया जाए। केवल घटना के सतही विवरण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, इसके पीछे के कारणों, पाकिस्तान की मंशाओं, भारत की प्रतिक्रियाओं, और व्यापक सुरक्षा परिदृश्य पर विचार करना आवश्यक है।
भविष्य की राह: क्या किया जाना चाहिए?
इस तरह की घटनाओं के बार-बार होने से बचने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- रक्षा सहयोग को मजबूत करना: सेना और असैन्य (civilian) एजेंसियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान को और अधिक सुव्यवस्थित करना।
- तकनीकी निगरानी: एलओसी पर निगरानी के लिए उन्नत तकनीक, जैसे ड्रोन, सेंसर और उपग्रह इमेजरी का प्रभावी उपयोग।
- जन जागरूकता: सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को दुष्प्रचार के प्रति जागरूक करना और उन्हें सही सूचना स्रोत पहचानने के लिए प्रशिक्षित करना।
- कूटनीतिक दबाव: पाकिस्तान पर सीजफायर समझौते का पालन करने और सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर निरंतर दबाव बनाना।
- रणनीतिक संचार: भारत को अपनी सुरक्षा स्थिति और पाकिस्तान की नापाक हरकतों के बारे में स्पष्ट और प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम होना चाहिए।
सेना का यह खंडन एक मजबूत संदेश देता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और झूठी सूचनाओं के आगे नहीं झुकेगा। यह घटना हमें सिखाती है कि आज के दौर में, जमीनी हकीकत को समझना और सूचना के हर स्रोत पर सवाल उठाना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर हो।
निष्कर्ष
जम्मू सीमा पर सीजफायर उल्लंघन की खबरों का सेना द्वारा खंडन, सूचना युद्ध के इस युग में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल पाकिस्तान की भ्रामक रणनीतियों को उजागर करता है, बल्कि मीडिया की ज़िम्मेदारी और राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर भारत की सतर्कता को भी दर्शाता है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह घटना सुरक्षा, कूटनीति, संचार और भू-राजनीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों के बीच जटिल संबंधों को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है। इस प्रकार की घटनाओं का गहन विश्लेषण हमें एक सूचित और सक्षम नागरिक बनाता है, जो राष्ट्र की सुरक्षा और प्रगति में योगदान देने के लिए तैयार होता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: भारतीय सेना द्वारा सीजफायर उल्लंघन की खबरों का खंडन करने का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करना
(b) दुष्प्रचार का मुकाबला करना और जनता को भ्रमित होने से बचाना
(c) सीमा पर अपनी सैन्य तैयारियों का प्रदर्शन करना
(d) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगना
उत्तर: (b)
व्याख्या: सेना का खंडन सीधे तौर पर उन “असत्य और भ्रमक” खबरों का मुकाबला करने के लिए है जो जनता में डर और अनिश्चितता फैला सकती हैं। यह दुष्प्रचार का मुकाबला करने और राष्ट्रीय मनोबल को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम है। - प्रश्न 2: भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर समझौता पहली बार किस वर्ष प्रभावी हुआ था?
(a) 1971
(b) 1999
(c) 2003
(d) 2014
उत्तर: (c)
व्याख्या: भारत और पाकिस्तान ने नवंबर 2003 में नियंत्रण रेखा पर एक प्रभावी सीजफायर समझौते पर सहमति व्यक्त की थी, हालांकि इसका लगातार उल्लंघन होता रहा है। - प्रश्न 3: “Hybrid Warfare” का संदर्भ क्या है?
(a) केवल पारंपरिक सैन्य साधनों का उपयोग
(b) सैन्य, राजनीतिक, आर्थिक और सूचनात्मक साधनों का मिश्रण
(c) केवल कूटनीतिक माध्यमों से युद्ध लड़ना
(d) केवल साइबर हमलों का प्रयोग
उत्तर: (b)
व्याख्या: Hybrid Warfare एक बहुआयामी दृष्टिकोण है जिसमें सैन्य, राजनीतिक, आर्थिक और सूचनात्मक (जैसे दुष्प्रचार) साधनों का समन्वित उपयोग शामिल होता है। - प्रश्न 4: नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर उल्लंघन के प्रमुख कारणों में से एक क्या है?
(a) भारत की सैन्य मज़बूती
(b) पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना
(c) द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना
(d) संयुक्त राष्ट्र की हस्तक्षेप की मांग
उत्तर: (b)
व्याख्या: पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना, घुसपैठ के प्रयास और आतंकवादी समूहों को समर्थन देना LoC पर सीजफायर उल्लंघन के प्रमुख कारणों में से एक रहा है। - प्रश्न 5: जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सीजफायर उल्लंघन के प्रत्यक्ष परिणाम क्या हैं?
(a) आर्थिक विकास में वृद्धि
(b) बेहतर शिक्षा सुविधाएं
(c) जान-माल की हानि और विस्थापन
(d) राजनीतिक स्थिरता में वृद्धि
उत्तर: (c)
व्याख्या: सीजफायर उल्लंघन के सबसे प्रत्यक्ष और गंभीर परिणाम सीमावर्ती नागरिकों और सैनिकों के जीवन की हानि, संपत्ति को नुकसान और लोगों के अपने घरों से विस्थापन के रूप में होते हैं। - प्रश्न 6: सेना द्वारा “असत्य और भ्रमक खबर” कहने का क्या अर्थ हो सकता है?
(a) खबर के स्रोत गलत थे
(b) खबर पूरी तरह से मनगढ़ंत या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई थी
(c) खबर गलत समय पर प्रसारित की गई थी
(d) खबर का उद्देश्य केवल ध्यान आकर्षित करना था
उत्तर: (b)
व्याख्या: “असत्य और भ्रमक” का अर्थ है कि जो जानकारी दी गई है, वह तथ्यों पर आधारित नहीं है और इसका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना या गलत धारणा बनाना हो सकता है। - प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ के प्रयास में शामिल हो सकता है?
(a) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
(b) सीमा सुरक्षा बल (BSF)
(c) जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
(d) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
उत्तर: (c)
व्याख्या: जैश-ए-मोहम्मद (JeM) एक आतंकवादी संगठन है जिसका भारत के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में शामिल होने का इतिहास रहा है, जिसमें घुसपैठ के प्रयास भी शामिल हैं। BSF सीमा की रक्षा करता है, NHAI बुनियादी ढांचा बनाता है और RBI मौद्रिक नीति का प्रबंधन करता है। - प्रश्न 8: सूचना युद्ध (Information Warfare) का उद्देश्य क्या है?
(a) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना
(b) सूचना का उपयोग करके विरोधी को कमजोर करना या प्रभावित करना
(c) शैक्षिक संस्थानों को बढ़ावा देना
(d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
व्याख्या: सूचना युद्ध का मुख्य उद्देश्य सूचना, दुष्प्रचार और मनोवैज्ञानिक साधनों का उपयोग करके दुश्मन के इरादों, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करना या कमजोर करना है। - प्रश्न 9: जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों में क्या शामिल हो सकता है?
(a) केवल सैन्य कार्रवाई पर निर्भर रहना
(b) सीमा पर बाड़ लगाना और निगरानी बढ़ाना
(c) पाकिस्तान के साथ सभी राजनयिक संबंध तोड़ना
(d) स्थानीय आबादी को कोई भी सहायता प्रदान न करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: सीमा पर प्रभावी निगरानी और बाड़ लगाना घुसपैठ को रोकने और सीमा पर स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। सैन्य कार्रवाई, कूटनीति और विकास कार्य भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन केवल एक उपाय पर्याप्त नहीं है। - प्रश्न 10: “ब्रेकिंग न्यूज़” के युग में मीडिया की सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी क्या है?
(a) सबसे पहले खबर प्रकाशित करना, भले ही वह अधूरी हो
(b) केवल सनसनीखेज कहानियों पर ध्यान केंद्रित करना
(c) किसी भी खबर को प्रसारित करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करना
(d) केवल सरकारी स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: “ब्रेकिंग न्यूज़” के दबाव में भी, मीडिया का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य किसी भी खबर को प्रसारित करने से पहले उसकी सत्यता, प्रामाणिकता और सटीकता सुनिश्चित करना है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर उल्लंघनों की प्रकृति और कारणों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। सेना द्वारा हालिया सीजफायर उल्लंघन की खबरों के खंडन के संदर्भ में, सूचना युद्ध (Information Warfare) की भूमिका पर चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आम नागरिकों पर भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर सीजफायर उल्लंघनों के सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का वर्णन करें। ऐसी स्थिति में सरकार और सेना की प्रतिक्रिया तंत्र की प्रभावशीलता का विश्लेषण करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 3: हाल की घटनाओं को देखते हुए, भारतीय मीडिया की भूमिका और जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालें, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग के दौरान। दुष्प्रचार (Disinformation) के प्रसार को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 4: “Hybrid Warfare” की अवधारणा को समझाएं और भारतीय उपमहाद्वीप में इसके अनुप्रयोग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। जम्मू सीमा पर सीजफायर उल्लंघन की झूठी खबरों का प्रसार किस प्रकार इस अवधारणा से जुड़ा है? (लगभग 150 शब्द)