जम्मू-कश्मीर: कुलगाम एनकाउंटर के 3 दिन, 3 आतंकी ढेर – इस साल का सबसे बड़ा सुरक्षा अभियान!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच एक लंबा और भीषण मुठभेड़ हुआ, जो तीसरे दिन भी जारी रहा। इस ऑपरेशन में अब तक तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया है, जो इस साल सुरक्षा बलों द्वारा अंजाम दिए गए सबसे बड़े और सफल अभियानों में से एक माना जा रहा है। यह घटना एक बार फिर जम्मू-कश्मीर की जटिल सुरक्षा परिदृश्य और आतंकवाद के खिलाफ चल रहे राष्ट्रव्यापी संघर्ष को रेखांकित करती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, आंतरिक सुरक्षा, भू-राजनीति और जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति जैसे महत्वपूर्ण विषयों की गहन समझ के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी प्रस्तुत करती है।
यह ब्लॉग पोस्ट कुलगाम एनकाउंटर के विस्तृत विश्लेषण के साथ-साथ इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेगी, जिसमें शामिल हैं:
- एनकाउंटर का घटनाक्रम और इसके पीछे की रणनीतियाँ।
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की वर्तमान स्थिति और इसके बदलते स्वरूप।
- सुरक्षा बलों के सामने आने वाली चुनौतियाँ और उनके द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियाँ।
- आतंकवाद विरोधी अभियानों के भू-राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ।
- UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इन मुद्दों का महत्व।
एनकाउंटर का विस्तृत विश्लेषण: कुलगाम में क्या हुआ?
कुलगाम जिले के एक घने आबादी वाले इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने एक सुनियोजित घेराबंदी और तलाशी अभियान (CASO) शुरू किया। यह अभियान कई दिनों तक चला, जो इस बात का संकेत था कि आतंकवादी अच्छी तरह से प्रशिक्षित और संगठित थे, और उन्होंने इलाके का रणनीतिक रूप से उपयोग किया।
घटनाक्रम के मुख्य बिंदु:
- खुफिया जानकारी: अभियान की शुरुआत सटीक और विश्वसनीय खुफिया जानकारी पर आधारित थी, जो आतंकवादियों के स्थान और उनकी संभावित गतिविधियों को इंगित करती थी। इस तरह की खुफिया जानकारी एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना किसी भी आतंकवाद विरोधी अभियान की सफलता की पहली सीढ़ी है।
- घेराबंदी और तलाशी: सुरक्षा बलों ने तुरंत उस क्षेत्र को घेर लिया जहाँ आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना थी। घने आबादी वाले इलाकों में यह एक नाजुक काम होता है, क्योंकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
- लंबा खिंचाव: एनकाउंटर का तीसरे दिन तक चलना दर्शाता है कि आतंकवादियों ने कड़ा प्रतिरोध किया और वे इलाके की भौगोलिक जानकारी का कुशलता से उपयोग कर रहे थे। यह सुरक्षा बलों के लिए धैर्य और उच्च स्तर की रणनीति की मांग करता है।
- हताहत: तीन आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। उनकी पहचान और उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों और गोला-बारूद के बरामद होने से अभियान की सफलता का पता चलता है। सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या का विवरण आमतौर पर अभियान के तुरंत बाद नहीं दिया जाता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि उन्होंने अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए यह कार्रवाई की।
- बरामदगी: मारे गए आतंकवादियों के पास से बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है, जो उनके इरादों और उनके पीछे के संगठनात्मक ढांचे पर प्रकाश डाल सकती है।
विशेषज्ञ की टिप्पणी: “यह एनकाउंटर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई की प्रकृति को दर्शाता है। आतंकवादी अक्सर घनी आबादी वाले इलाकों का लाभ उठाते हैं, जिससे सुरक्षा बलों के लिए ‘क्लीन ऑपरेशन’ चलाना एक बड़ी चुनौती बन जाता है। इस मामले में, तीसरे दिन तक एनकाउंटर का चलना न केवल आतंकवादियों के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, बल्कि यह भी कि सुरक्षा बल किसी भी कीमत पर उन्हें निष्क्रिय करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, भले ही इसमें अधिक समय लगे।”
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद: बदलता स्वरूप और वर्तमान स्थिति
पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की प्रकृति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। जहाँ एक ओर विदेशी आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय युवाओं का आतंकवाद में शामिल होने की दर बढ़ी है। इसके कई कारण हैं, जिनमें सामाजिक-आर्थिक कारक, दुष्प्रचार और कुछ कट्टरपंथी विचारधाराओं का प्रभाव शामिल है।
आतंकवाद के बदलते स्वरूप के पहलू:
- स्थानीय भर्ती: आतंकवाद की घटनाओं में स्थानीय युवाओं की भागीदारी एक गंभीर चिंता का विषय है। सुरक्षा बल और सरकार इन युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों पर काम कर रहे हैं, लेकिन इस चुनौती से निपटना जटिल है।
- सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया का उपयोग आतंकवादियों द्वारा प्रचार, भर्ती और हमलों के समन्वय के लिए किया जा रहा है। यह सुरक्षा बलों के लिए एक नया मोर्चा खोलता है, जहाँ उन्हें दुष्प्रचार का मुकाबला करना होता है।
- हल्के हथियारों का प्रयोग: पिछले कुछ वर्षों में, आतंकवादी समूह अक्सर पिस्तौल और एके-47 जैसे हल्के हथियारों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें छिपने और छोटे पैमाने पर हमले करने में आसानी होती है।
- रणनीतिक हमले: आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों, अल्पसंख्यकों और सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति जारी है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करना और भय का माहौल बनाना है।
UPSC प्रासंगिकता: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का यह बदलता स्वरूप ‘आंतरिक सुरक्षा’ (Internal Security) के पेपर के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। उम्मीदवारों को इसके कारणों, प्रभावों और इससे निपटने के लिए सरकार की नीतियों और रणनीतियों को समझना चाहिए।
सुरक्षा बलों के सामने चुनौतियाँ और रणनीतियाँ
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देना एक बहुआयामी चुनौती है। सुरक्षा बलों को न केवल आतंकवादियों का मुकाबला करना होता है, बल्कि स्थानीय आबादी की सुरक्षा, मानवाधिकारों का सम्मान और नागरिक जीवन को न्यूनतम असुविधा पहुँचाना भी सुनिश्चित करना होता है।
प्रमुख चुनौतियाँ:
- जन-जन का समर्थन: आतंकवादियों को अक्सर स्थानीय आबादी के कुछ हिस्सों का समर्थन या शरण मिलती है, जिससे उन्हें छिपने और अपना नेटवर्क बनाए रखने में मदद मिलती है।
- भू-भाग: जम्मू-कश्मीर का पहाड़ी और जंगली इलाका आतंकवादियों को छिपने और सुरक्षा बलों को चकमा देने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
- बार-बार होने वाली घुसपैठ: नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से घुसपैठ एक लगातार बनी रहने वाली समस्या है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के प्रवाह को बनाए रखती है।
- मानवाधिकारों का मुद्दा: आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप सुरक्षा बलों की छवि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और स्थानीय लोगों में अविश्वास पैदा कर सकते हैं।
- “ऑपरेशन ऑल आउट” की सीमाएँ: हालाँकि “ऑपरेशन ऑल आउट” जैसे अभियानों ने आतंकवादियों की संख्या को कम करने में मदद की है, लेकिन इसका पूर्ण उन्मूलन एक जटिल प्रक्रिया है।
सुरक्षा बलों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियाँ:
- खुफिया-संचालित अभियान: सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर लक्षित ऑपरेशन करना, जिससे नागरिक हताहतों की संभावना कम हो।
- “सामुदायिक पुलिसिंग” और “जन संपर्क”: स्थानीय आबादी के साथ विश्वास बनाने और उनका सहयोग प्राप्त करने का प्रयास।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: निगरानी, संचार और डेटा विश्लेषण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग।
- नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा: घुसपैठ को रोकने के लिए नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी और सुरक्षा उपाय।
- आतंकवादी वित्तपोषण पर अंकुश: आतंकवादियों को मिलने वाले धन के स्रोतों को बाधित करना।
- युवाओं के लिए वैकल्पिक रोज़गार: आतंकवाद में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए रोज़गार और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना।
“जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करना एक निरंतर प्रक्रिया है। यह सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई का मामला नहीं है, बल्कि इसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जिसमें विकास, शासन और सामाजिक एकीकरण शामिल हो।”
आतंकवाद विरोधी अभियानों के भू-राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ
कुलगाम जैसे एनकाउंटर का केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है। ये घटनाएँ देश की आंतरिक सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित करती हैं।
भू-राजनीतिक निहितार्थ:
- पाकिस्तान के साथ संबंध: आतंकवाद को पाकिस्तान से मिलने वाले समर्थन के आरोप भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव का एक प्रमुख कारण रहे हैं। इस तरह के एनकाउंटर इन आरोपों को बल देते हैं।
- क्षेत्रीय स्थिरता: जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा को प्रभावित करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दृष्टिकोण: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर बारीकी से नज़र रखता है, और इन अभियानों का संचालन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों के अनुसार होना महत्वपूर्ण है।
सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ:
- पर्यटन और निवेश: सुरक्षा की स्थिति का सीधा असर जम्मू-कश्मीर के पर्यटन और आर्थिक विकास पर पड़ता है। लगातार हिंसा पर्यटकों को हतोत्साहित करती है और निवेश को रोकती है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था: आतंकवाद का प्रभाव स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ता है, जिससे व्यापार और आजीविका के अवसर सीमित हो जाते हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: संघर्ष और असुरक्षा बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को भी प्रभावित कर सकती है।
- पुनर्वास और सामान्यीकरण: आतंकवाद विरोधी अभियानों के बाद, प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास, विस्थापितों की वापसी और सामान्य जीवन को बहाल करना एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक चुनौती है।
UPSC परीक्षा के लिए इस घटना का महत्व
कुलगाम एनकाउंटर UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उम्मीदवारों को वर्तमान घटनाओं का विश्लेषण करने, जटिल मुद्दों को समझने और विभिन्न दृष्टिकोणों से समाधान प्रस्तावित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करता है।
जीएस पेपर I (इतिहास/भूगोल/समाज):
- जम्मू-कश्मीर का इतिहास और वर्तमान स्थिति।
- क्षेत्र की जनसांख्यिकी और सामाजिक संरचना।
- विभिन्न समुदायों के बीच संबंध।
जीएस पेपर II (शासन/अंतर्राष्ट्रीय संबंध):
- भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ (आतंकवाद, उग्रवाद)।
- राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सरकारी नीतियाँ और संस्थाएँ (जैसे, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, गृह मंत्रालय)।
- भारत-पाकिस्तान संबंध और सीमा प्रबंधन।
- सुरक्षा बलों की भूमिका और उनका आधुनिकीकरण।
- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और भारत की स्थिति।
जीएस पेपर III (अर्थव्यवस्था/पर्यावरण/विज्ञान और प्रौद्योगिकी):
- जम्मू-कश्मीर का आर्थिक विकास और चुनौतियाँ।
- पर्यटन और बुनियादी ढाँचा।
- सुरक्षा से संबंधित प्रौद्योगिकी (जैसे, ड्रोन, निगरानी प्रणाली)।
- पर्यावरण पर संघर्ष का प्रभाव।
निबंध (Essay):
यह विषय आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत के विकास में सुरक्षा की भूमिका, या जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर एक निबंध के लिए आधार प्रदान कर सकता है।
व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test/Interview):
साक्षात्कार में, आपसे इस तरह की घटनाओं के बारे में आपकी राय, इसके कारणों और प्रभावों के बारे में पूछा जा सकता है, और यह भी कि आप इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या समाधान सुझाएंगे।
तैयारी के लिए सुझाव:
- नियमित रूप से समाचार पत्रों (विशेष रूप से संपादकीय) और विश्वसनीय समाचार स्रोतों को पढ़ें।
- सरकारी रिपोर्टों और नीति दस्तावेजों से जानकारी प्राप्त करें।
- विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने के लिए पुस्तकें और विश्लेषण पढ़ें।
- अपनी उत्तर-लेखन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का अभ्यास करें।
निष्कर्ष
कुलगाम एनकाउंटर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रव्यापी संघर्ष का एक और महत्वपूर्ण अध्याय है। यह सुरक्षा बलों के शौर्य, समर्पण और राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालाँकि, यह घटना उन गहरी जड़ों को भी उजागर करती है जो आतंकवाद की समस्या के साथ जुड़ी हुई हैं, विशेष रूप से स्थानीय भर्ती और दुष्प्रचार के संदर्भ में।
UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस एनकाउंटर का अध्ययन केवल एक समसामयिक घटना का विश्लेषण मात्र नहीं है, बल्कि यह भारत की आंतरिक सुरक्षा, भू-राजनीति और शासन के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का एक अवसर है। एक विश्लेषणात्मक और व्यापक दृष्टिकोण के साथ, उम्मीदवार न केवल परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि देश की गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के समाधान में भी योगदान दे सकते हैं। इस तरह के अभियानों की सफलता, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्र में शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर सतर्कता, प्रभावी खुफिया जानकारी और एक बहु-आयामी रणनीति की मांग करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में हालिया कुलगाम एनकाउंटर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह एनकाउंटर तीसरे दिन भी जारी रहा।
2. इस ऑपरेशन में अब तक तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया है।
3. यह इस साल सुरक्षा बलों द्वारा अंजाम दिए गए सबसे बड़े ऑपरेशनों में से एक है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: दिए गए समाचार के अनुसार, तीनों कथन सत्य हैं। एनकाउंटर तीसरे दिन तक चला, तीन आतंकवादी मारे गए, और इसे इस साल के सबसे बड़े ऑपरेशनों में से एक माना जा रहा है। - प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के बदलते स्वरूप के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?
(a) विदेशी आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है।
(b) स्थानीय युवाओं का आतंकवाद में शामिल होने की दर बढ़ी है।
(c) सोशल मीडिया का उपयोग आतंकवादियों द्वारा प्रचार और भर्ती के लिए नहीं किया जाता है।
(d) आतंकवादी अक्सर पिस्तौल और एके-47 जैसे हल्के हथियारों का प्रयोग करते हैं।
उत्तर: (c)
व्याख्या: सोशल मीडिया का उपयोग आतंकवादियों द्वारा प्रचार, भर्ती और हमलों के समन्वय के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसलिए, कथन (c) असत्य है। - प्रश्न: “ऑपरेशन ऑल आउट” का संबंध मुख्य रूप से किससे है?
(a) सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोकना।
(b) जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को निष्क्रिय करने का एक व्यापक अभियान।
(c) प्रशिक्षित आतंकवादियों की भर्ती को हतोत्साहित करना।
(d) आतंकवादी वित्तपोषण के स्रोतों को बाधित करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: “ऑपरेशन ऑल आउट” जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को पूरी तरह से खत्म करने के उद्देश्य से सुरक्षा बलों द्वारा चलाया जाने वाला एक व्यापक अभियान है। - प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों के सामने एक प्रमुख चुनौती क्या है?
(a) आतंकवादियों का अभाव
(b) स्थानीय आबादी का पूर्ण सहयोग
(c) घनी आबादी वाले इलाकों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
(d) पर्याप्त हथियारों की कमी
उत्तर: (c)
व्याख्या: घनी आबादी वाले इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाते समय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सुरक्षा बलों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और जटिल चुनौती होती है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी सरकारी एजेंसी भारत में आंतरिक सुरक्षा की निगरानी और प्रबंधन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
(a) रक्षा मंत्रालय
(b) विदेश मंत्रालय
(c) गृह मंत्रालय
(d) वित्त मंत्रालय
उत्तर: (c)
व्याख्या: गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs – MHA) भारत में आंतरिक सुरक्षा के प्रबंधन और रखरखाव के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार है। - प्रश्न: कुलगाम एनकाउंटर जैसे ऑपरेशन के भू-राजनीतिक निहितार्थों में निम्नलिखित में से क्या शामिल हो सकता है?
1. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि
2. क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बढ़ी हुई रुचि
3. भारत की आर्थिक विकास दर में प्रत्यक्ष सुधार
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
व्याख्या: ऐसे एनकाउंटर अक्सर भारत-पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बढ़ाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की रुचि को आकर्षित करते हैं। इनका सीधा प्रभाव राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर तत्काल नहीं होता, बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता से जुड़ता है। - प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मूल कारणों में से एक के रूप में किसे माना जा सकता है?
(a) अत्यधिक कुशल श्रम बल की उपलब्धता
(b) पर्यटन का तेजी से विकास
(c) सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ और दुष्प्रचार
(d) सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली मुफ्त शिक्षा
उत्तर: (c)
व्याख्या: सामाजिक-आर्थिक कारक, जैसे कि बेरोजगारी, अवसर की कमी, और कट्टरपंथी विचारधाराओं द्वारा दुष्प्रचार, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मूल कारणों में योगदान करते हैं। - प्रश्न: नियंत्रण रेखा (Line of Control – LoC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) यह भारत और चीन के बीच की सीमा है।
(b) यह वह सीमा है जहाँ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत से अलग होता है।
(c) इसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित किया गया था।
(d) यह पूर्ण रूप से एक पारगमन रेखा है जिसमें कोई सैन्य गतिविधि नहीं होती।
उत्तर: (b)
व्याख्या: नियंत्रण रेखा (LoC) भारत और पाकिस्तान के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा है, जो जम्मू-कश्मीर को विभाजित करती है, जहाँ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत से अलग होता है। - प्रश्न: “खुफिया-संचालित अभियान” (Intelligence-led Operations) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) नागरिकों को अधिकतम असुविधा पहुँचाना
(b) आतंकवादियों को बिना किसी हानि के पकड़ना
(c) लक्षित कार्रवाई करना और नागरिक हताहतों को कम करना
(d) सीमा पार से घुसपैठ बढ़ाना
उत्तर: (c)
व्याख्या: खुफिया जानकारी के आधार पर किए जाने वाले अभियान सटीक होते हैं और उनका उद्देश्य विशिष्ट लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय करना होता है, जबकि नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी तकनीकें भारत में आंतरिक सुरक्षा के लिए उपयोग की जा सकती हैं?
1. ड्रोन और हवाई निगरानी
2. डेटा एनालिटिक्स और बिग डेटा
3. सैटेलाइट इमेजिंग
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: ड्रोन, डेटा एनालिटिक्स और सैटेलाइट इमेजिंग जैसी उन्नत तकनीकें आंतरिक सुरक्षा, निगरानी, खुफिया जानकारी एकत्र करने और खतरे का विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की वर्तमान प्रकृति का विश्लेषण करें और सुरक्षा बलों द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालें। इसके साथ ही, इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों की आलोचनात्मक समीक्षा करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: “आतंकवाद का मुकाबला केवल सैन्य कार्रवाई का मामला नहीं है, बल्कि इसके लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है जिसमें सामाजिक-आर्थिक विकास, कूटनीति और प्रभावी संचार शामिल हों।” इस कथन के आलोक में, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण का मूल्यांकन करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: कुलगाम जैसे एनकाउंटर के भू-राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? भारत को इन निहितार्थों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए किन नीतियों को अपनाना चाहिए? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न: “जम्मू-कश्मीर में स्थानीय युवाओं का आतंकवाद में शामिल होना एक गंभीर चिंता का विषय है।” इस प्रवृत्ति के कारणों का विश्लेषण करें और इसे रोकने के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर सुझाव दें। (लगभग 150 शब्द)