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जम्मू-कश्मीर की ग्राउंड रिपोर्ट: कुलगाम में 3 आतंकी ढेर, 6 दिनों में 3 एनकाउंटर – सुरक्षा का जटिल जाल

जम्मू-कश्मीर की ग्राउंड रिपोर्ट: कुलगाम में 3 आतंकी ढेर, 6 दिनों में 3 एनकाउंटर – सुरक्षा का जटिल जाल

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में हाल ही में एक बड़ा सुरक्षा अभियान चला, जिसमें सुरक्षाबलों ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया। यह घटना जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य की एक महत्वपूर्ण झलक पेश करती है, खासकर जब यह पिछले छह दिनों में तीसरे बड़े एनकाउंटर के रूप में सामने आई है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह 28 जुलाई को पहलगाम में हुए उस विनाशकारी आतंकी हमले से जुड़ा हुआ है, जिसमें पांच पुलिसकर्मी और एक सेना के जवान सहित सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। इस समसामयिक घटनाक्रम के गहन विश्लेषण की आवश्यकता है, खासकर UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, और जम्मू-कश्मीर के अशांत क्षेत्र की जटिलताओं जैसे महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित है।

आतंकवाद का बढ़ता खतरा और सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी

जम्मू-कश्मीर, भारत का ताज, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन यह दशकों से सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का भी सामना कर रहा है। हालिया कुलगाम एनकाउंटर, जहां तीन आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया, इस बात का प्रमाण है कि घाटी में आतंकवाद का ख़तरा अभी टला नहीं है। यह अभियान सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह पिछले कुछ समय से जारी सुरक्षा चुनौतियों और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे निरंतर ऑपरेशनों का एक हिस्सा है।

कुलगाम एनकाउंटर: एक विस्तृत विश्लेषण

कुलगाम में चलाए गए ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने असाधारण साहस और सामंजस्य का प्रदर्शन करते हुए तीन आतंकवादियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन की सफलता का श्रेय संयुक्त सुरक्षा ग्रिड को जाता है, जिसमें भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जैसी विभिन्न एजेंसियां शामिल हैं।

  • लक्ष्य का निर्धारण: खुफिया एजेंसियों से प्राप्त सटीक जानकारी के आधार पर, सुरक्षाबलों ने कुलगाम के एक विशिष्ट क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी का पता लगाया।
  • ऑपरेशन की योजना: जानकारी की पुष्टि होने पर, एक सुनियोजित घेराबंदी और तलाशी अभियान (CASO) शुरू किया गया। सुरक्षाबलों ने क्षेत्र को सील कर दिया ताकि कोई भी आतंकवादी बच न सके या बाहर से सहायता प्राप्त न कर सके।
  • गतिरोध और गोलीबारी: जैसे ही सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों को चुनौती दी, जवाबी कार्रवाई में गोलीबारी शुरू हो गई। यह गोलीबारी कई घंटों तक चली, जिससे ऑपरेशन की गंभीरता का पता चलता है।
  • आतंकवादियों का सफाया: अंततः, सुरक्षाबलों ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया। मारे गए आतंकवादियों के पास से हथियार, गोला-बारूद और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई, जिससे उनके आतंकवादी नेटवर्क और इरादों का और अधिक खुलासा हो सकता है।

इस तरह के ऑपरेशनों की सफलता न केवल आतंकवादियों को बेअसर करने में मदद करती है, बल्कि यह युवाओं को आतंकवाद की ओर जाने से रोकने के लिए एक निवारक के रूप में भी कार्य करती है।

6 दिनों में तीसरा एनकाउंटर: एक चिंताजनक पैटर्न

कुलगाम एनकाउंटर को पिछले छह दिनों में हुए तीसरे बड़े एनकाउंटर के रूप में देखा जाना जम्मू-कश्मीर में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को उजागर करता है। यह बार-बार होने वाले एनकाउंटर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करते हैं:

  • आतंकवादी समूहों की सक्रियता: यह पैटर्न इंगित करता है कि आतंकवादी समूह, संभवतः सीमा पार से समर्थन प्राप्त करके, घाटी में अपनी गतिविधियों को तेज करने का प्रयास कर रहे हैं।
  • नई रणनीति? क्या ये लगातार एनकाउंटर एक नई रणनीति का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य सुरक्षाबलों को लगातार व्यस्त रखना और उन्हें कमजोर करना है?
  • खुफिया जानकारी का प्रवाह: एक तरफ, लगातार एनकाउंटर सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ती खुफिया क्षमता और त्वरित कार्रवाई को दर्शाते हैं; वहीं दूसरी ओर, यह भी दर्शाता है कि आतंकवादी लगातार घुसपैठ करने और अपनी उपस्थिति बनाए रखने में सफल हो रहे हैं।

“लगातार एनकाउंटर इस बात के संकेत हैं कि हम आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहे हैं, जहां खुफिया जानकारी, त्वरित कार्रवाई और जमीनी स्तर पर समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुरक्षाबलों की क्षमता का प्रमाण है, लेकिन यह इस बात का भी सूचक है कि दुश्मन भी अपनी रणनीति बदल रहा है।”

– एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी (अनाम)

28 जुलाई, पहलगाम हमला: एक काला दिन

कुलगाम एनकाउंटर की पृष्ठभूमि को बेहतर ढंग से समझने के लिए, 28 जुलाई को अनंतनाग जिले के पहलगाम के पास हुए उस भयावह आतंकी हमले को याद करना आवश्यक है, जिसमें दस सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। यह हमला जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए एक बड़ा झटका था और इसने राज्य में आतंकवाद की गंभीर प्रकृति को फिर से उजागर किया।

  • हमले का विवरण: आतंकवादियों ने एक पुलिस दल पर घात लगाकर हमला किया था, जो अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था से लौट रहा था।
  • हताहतों की संख्या: इस हमले में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर, चार कांस्टेबल और दो विशेष पुलिस अधिकारी (SPOs) सहित सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। (कृपया ध्यान दें: मूल शीर्षक में 3 आतंकी मारे गए थे, लेकिन पहलगाम हमले का संदर्भ 7 सुरक्षाकर्मियों की शहादत से जुड़ा है, जो इसे और अधिक गंभीर बनाता है।)
  • संदेश: आतंकवादियों का लक्ष्य स्पष्ट था – सुरक्षाबलों का मनोबल तोड़ना और घाटी में भय का माहौल बनाना।
  • सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया: पहलगाम हमले के बाद, सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादियों को पकड़ने या बेअसर करने के लिए व्यापक तलाशी और घेराबंदी अभियान शुरू किए, और कुलगाम में हुई हालिया कार्रवाई उसी प्रतिक्रिया का एक हिस्सा मानी जा सकती है।

यह स्पष्ट है कि कुलगाम में मारे गए आतंकवादी संभवतः पहलगाम हमले में शामिल समूह का हिस्सा थे या उसी आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े हुए थे। सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस नेटवर्क को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: विभिन्न पहलू

यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:

1. राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा (GS Paper III)

  • सुरक्षा चुनौतियाँ: जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद भारत के लिए प्रमुख आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां हैं।
  • सुरक्षा ग्रिड: विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों (सेना, पुलिस, CRPF, IB, RAW) के बीच समन्वय और सहयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। कुलगाम एनकाउंटर इस समन्वय का एक उदाहरण है।
  • सीमा प्रबंधन: पाकिस्तान के साथ लंबी और संवेदनशील सीमा होने के कारण घुसपैठ एक निरंतर चुनौती है, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।
  • आतंकवाद का वित्तपोषण: यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे आतंकवादी संगठनों को धन मुहैया कराया जाता है और उनकी वित्तीय जड़ों को कैसे काटा जाए।

2. शासन (GS Paper II)

  • सरकार की नीतियां: केंद्र और राज्य सरकारें जम्मू-कश्मीर में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न नीतियां और रणनीतियां अपनाती हैं, जैसे कि विकास, रोजगार, राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूत करना और सुरक्षा।
  • कानून और व्यवस्था: पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां कैसे काम करती हैं, और उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, यह महत्वपूर्ण है।
  • मानवाधिकार: आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण पहलू है, खासकर जब घेराबंदी और तलाशी अभियान चलते हैं।

3. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS Paper II)

  • सीमा पार आतंकवाद: भारत के लिए पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद एक प्रमुख कूटनीतिक मुद्दा है।
  • भू-राजनीति: जम्मू-कश्मीर की स्थिति का क्षेत्रीय भू-राजनीति पर भी प्रभाव पड़ता है।

4. रक्षा (GS Paper III)

  • सैन्य आधुनिकीकरण: आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षाबलों के पास आधुनिक हथियार और तकनीक होनी चाहिए।
  • खुफिया जानकारी: प्रभावी खुफिया जानकारी प्राप्त करना और उसका विश्लेषण करना किसी भी सुरक्षा अभियान की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

चुनौतियाँ और समाधान

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने में सुरक्षा एजेंसियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  • दुर्गम इलाका: पहाड़ी और जंगली इलाके आतंकवादियों को छिपने और संचालन करने के लिए अनुकूल अवसर प्रदान करते हैं।
  • स्थानीय समर्थन: कुछ स्थानीय लोगों का आतंकवादियों को समर्थन मिलना सुरक्षा अभियानों को कठिन बना देता है।
  • युवाओं का कट्टरपंथीकरण: सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से युवाओं का कट्टरपंथीकरण एक बड़ी चुनौती है।
  • सीमा पार हस्तक्षेप: पाकिस्तान से निरंतर समर्थन और घुसपैठ के प्रयास।

इन चुनौतियों का समाधान बहुआयामी होना चाहिए:

  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: जमीनी स्तर पर प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए तकनीक और मानव स्रोतों का उपयोग बढ़ाना।
  • स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना: विकास, रोजगार के अवसर प्रदान करके और स्थानीय समुदायों के साथ संवाद स्थापित करके विश्वास बढ़ाना।
  • कट्टरपंथीकरण पर लगाम: युवाओं को गलत सूचना और कट्टरपंथ से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
  • कड़ी सीमा सुरक्षा: घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर कड़ी निगरानी और तकनीकी साधनों का प्रयोग।
  • आर्थिक विकास: जम्मू-कश्मीर में आर्थिक अवसरों को बढ़ाना ताकि युवाओं को आतंकवाद की ओर आकर्षित होने से रोका जा सके।
  • सॉफ्ट पावर का प्रयोग: सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शांति प्रयासों को बढ़ावा देना।

भविष्य की राह

कुलगाम और पहलगाम की घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता प्राप्त करना एक जटिल और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। सुरक्षाबलों की बहादुरी और दृढ़ संकल्प सराहनीय है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए केवल सैन्य या पुलिस कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। इसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो आतंकवाद की जड़ों को संबोधित करे, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम शामिल हों।

UPSC उम्मीदवारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन घटनाओं को केवल समाचार के रूप में न देखें, बल्कि इसके पीछे के गहन कारणों, सरकारी नीतियों, सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका और भविष्य की रणनीतियों का विश्लेषण करें। इस तरह का विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण उन्हें परीक्षा में सफल होने में मदद करेगा और देश की सुरक्षा चुनौतियों को समझने में भी सहायक होगा।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. निम्नलिखित में से कौन सी सुरक्षा एजेंसियां ​​जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं?

  1. भारतीय सेना
  2. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
  3. जम्मू-कश्मीर पुलिस
  4. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA)

विकल्प:

a) केवल A और B

b) A, B और C

c) A, B, C और D

d) केवल A और D

उत्तर: b) A, B और C

व्याख्या: भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस जमीनी स्तर पर आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व करती हैं। NIA जैसी एजेंसियां ​​आतंकवादी मामलों की जांच और अभियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन प्रत्यक्ष जमीनी अभियानों में नहीं।

2. “घेराबंदी और तलाशी अभियान” (CASO) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

a) केवल स्थानीय आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करना

b) आतंकवादियों की आवाजाही को रोकना और उन्हें बेअसर करना

c) खुफिया जानकारी एकत्र करना

d) क्षेत्र में विकास परियोजनाओं की निगरानी करना

उत्तर: b) आतंकवादियों की आवाजाही को रोकना और उन्हें बेअसर करना

व्याख्या: CASO का प्राथमिक उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी का पता लगाना, उन्हें घेरना और उन्हें सुरक्षित रूप से बेअसर करना है, ताकि वे भाग न सकें या कोई नुकसान न पहुंचा सकें।

3. 28 जुलाई को पहलगाम के पास हुए आतंकी हमले में कौन से सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे?

a) केवल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान

b) केवल भारतीय सेना के जवान

c) जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान और सेना के जवान

d) सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान

उत्तर: c) जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान और सेना के जवान

व्याख्या: पहलगाम हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के सात कर्मी (जिनमें पांच पुलिसकर्मी और दो SPO शामिल थे) और एक सेना का जवान शहीद हुआ था।

4. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के संदर्भ में “सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद” का क्या अर्थ है?

a) आतंकवादियों द्वारा दूसरे देशों में किए जाने वाले हमले

b) बाहरी ताकतों द्वारा किसी क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देना, जिसमें प्रशिक्षण, धन और हथियार शामिल हैं

c) आतंकवादियों का अपनी मातृभूमि से भागना

d) अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा आतंकवाद की निंदा

उत्तर: b) बाहरी ताकतों द्वारा किसी क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देना, जिसमें प्रशिक्षण, धन और हथियार शामिल हैं

व्याख्या: यह शब्द विशेष रूप से भारत के संदर्भ में पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जाता है।

5. युवाओं का कट्टरपंथीकरण (Radicalization) रोकने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन से उपाय किए जा सकते हैं?

  1. आर्थिक विकास और रोजगार सृजन
  2. युवाओं के लिए परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सहायता
  3. सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले भाषणों को नियंत्रित करना
  4. कठोर सैन्य कार्रवाई

विकल्प:

a) A, B और C

b) A और D

c) B और C

d) A, B, C और D

उत्तर: a) A, B और C

व्याख्या: कट्टरपंथीकरण को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जिसमें सामाजिक-आर्थिक सुधार, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सूचना पारिस्थितिकी को नियंत्रित करना शामिल है। केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है।

6. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. जम्मू-कश्मीर में हालिया एनकाउंटर ने सुरक्षाबलों की बढ़ी हुई खुफिया क्षमता का संकेत दिया है।
  2. यह लगातार होने वाले एनकाउंटर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों की सक्रियता में वृद्धि को दर्शाते हैं।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

a) केवल A

b) केवल B

c) A और B दोनों

d) न तो A और न ही B

उत्तर: c) A और B दोनों

व्याख्या: लगातार एनकाउंटर दोनों बातों के संकेत देते हैं – सुरक्षा एजेंसियों की बेहतर खुफिया जानकारी और आतंकवादियों की निरंतर सक्रियता।

7. भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में “सॉफ्ट पावर” के उपयोग का क्या अर्थ हो सकता है?

a) केवल सैन्य बल का प्रयोग

b) सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शिक्षा और विकास के माध्यम से लोगों का दिल और दिमाग जीतना

c) अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सख्त नियंत्रण

d) कश्मीर को एक विशेष आर्थिक क्षेत्र घोषित करना

उत्तर: b) सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शिक्षा और विकास के माध्यम से लोगों का दिल और दिमाग जीतना

व्याख्या: सॉफ्ट पावर का अर्थ है बिना बल प्रयोग के, आकर्षण और अनुनय के माध्यम से प्रभाव डालना, जो जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में सांस्कृतिक और विकासात्मक पहलों से संभव है।

8. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की प्राथमिक भूमिका क्या है?

a) जम्मू-कश्मीर में सीमा सुरक्षा का प्रबंधन करना

b) आतंकवाद, उग्रवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गंभीर अपराधों की जांच और अभियोजन करना

c) कश्मीर में विकासात्मक परियोजनाओं की योजना बनाना

d) स्थानीय पुलिस को प्रशिक्षण देना

उत्तर: b) आतंकवाद, उग्रवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गंभीर अपराधों की जांच और अभियोजन करना

व्याख्या: NIA को आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच और अभियोजन के लिए स्थापित किया गया है।

9. कुलगाम एनकाउंटर के बाद, मारे गए आतंकवादियों के पास से क्या बरामद होने की उम्मीद है, जो उनके नेटवर्क का खुलासा कर सकता है?

a) केवल हथियार और गोला-बारूद

b) स्थानीय मुद्रा

c) पहचान पत्र और संचार उपकरण

d) उपरोक्त सभी

उत्तर: d) उपरोक्त सभी

व्याख्या: आतंकवादियों के पास से हथियार, गोला-बारूद, संचार उपकरण (जैसे मोबाइल फोन, सिम कार्ड), पहचान पत्र, मानचित्र और अन्य दस्तावेज बरामद हो सकते हैं, जो उनके नेटवर्क, प्रशिक्षण और फंडिंग स्रोतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं।

10. निम्नलिखित में से कौन सा विषय GS Paper III (विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन) के अंतर्गत आता है?

a) राष्ट्रीय सुरक्षा

b) भारतीय समाज की प्रमुख विशेषताएं

c) भारतीय संस्कृति का इतिहास

d) शासन के सिद्धांत

उत्तर: a) राष्ट्रीय सुरक्षा

व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा GS Paper III का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसमें आतंकवाद, सीमा प्रबंधन और आंतरिक सुरक्षा जैसे विषय शामिल हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. जम्मू-कश्मीर में हालिया आतंकवाद विरोधी अभियानों, विशेष रूप से कुलगाम एनकाउंटर और पहलगाम हमले के संदर्भ में, राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियों और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

2. “जमीनी स्तर पर विकास और स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना, जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सैन्य अभियानों के पूरक के रूप में महत्वपूर्ण है।” इस कथन के आलोक में, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा की गई पहलों का मूल्यांकन कीजिए।

3. सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है। इस संदर्भ में, भारत की सीमा प्रबंधन रणनीतियों, खुफिया तंत्र की प्रभावशीलता और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

4. युवाओं का कट्टरपंथीकरण (Radicalization) जम्मू-कश्मीर में एक चिंता का विषय है। इसके सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारणों का पता लगाएं और सरकार तथा समाज द्वारा इस प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर सुझाव दें।

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