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जब सुरक्षा का पहरा बना मौत का जाल: उधमपुर में CRPF वाहन दुर्घटना का पूरा विश्लेषण

जब सुरक्षा का पहरा बना मौत का जाल: उधमपुर में CRPF वाहन दुर्घटना का पूरा विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में, जम्मू के उधमपुर जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक वाहन का अनियंत्रित होकर लगभग 200 फीट गहरी खाई में गिर जाना एक अत्यंत दुखद और चिंताजनक घटना है। इस भयावह दुर्घटना में तीन वीर जवानों ने अपने प्राण गंवा दिए, जबकि पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे में कुल 21 जवान सवार थे, जिनमें से कई को चोटें आईं। यह घटना न केवल जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही से जुड़े जोखिमों को उजागर करती है, बल्कि हमारे सुरक्षा बलों के लिए उपलब्ध बुनियादी ढांचे, सड़क सुरक्षा उपायों और परिचालन तैयारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह मामला न केवल सामयिकी (Current Affairs) का हिस्सा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, परिवहन प्रबंधन, आपदा प्रतिक्रिया और शासन जैसे जीएस (GS) पेपर के विभिन्न पहलुओं से भी जुड़ा है।

क्या हुआ था? (What Happened?):**

यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना जम्मू संभाग के उधमपुर जिले में घटी। CRPF का एक वाहन, जो संभवतः जवानों को किसी महत्वपूर्ण स्थान पर ले जा रहा था, एक खतरनाक मोड़ पर या किसी अन्य कारण से अनियंत्रित हो गया। तीव्र गति, खराब सड़क की स्थिति, वाहन की तकनीकी खराबी, या चालक की गलती जैसे विभिन्न कारक इस दुर्घटना का कारण बन सकते थे। जो भी कारण रहा हो, परिणाम विनाशकारी था। वाहन सड़क से फिसल गया और एक अत्यंत गहरी खाई में जा गिरा। 200 फीट की ऊंचाई से गिरना जीवन के लिए घातक साबित हुआ। तत्काल बचाव अभियान शुरू किया गया, जिसमें स्थानीय पुलिस, सेना और अन्य अर्धसैनिक बल शामिल थे। घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा के लिए ले जाया गया, जबकि शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को निकालने के लिए एक बड़े बचाव कार्य की आवश्यकता पड़ी।

घटना का प्रभाव और संवेदनशीलता (Impact and Sensitivity of the Incident):**

इस दुर्घटना के कई गंभीर प्रभाव हैं:

  • मानवीय क्षति: तीन वीर जवानों की शहादत राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ये वे व्यक्ति थे जो देश की सेवा और सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके थे। उनके परिवारों को इस दुखद घटना से गहरा आघात लगा है।
  • परिचालन क्षमता पर प्रभाव: दुर्घटना में घायल हुए या हताहत हुए जवान सीधे तौर पर CRPF की परिचालन क्षमता को प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से उस क्षेत्र में जहां उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है।
  • मनोबल पर असर: इस तरह की घटनाएं अग्रिम पंक्ति के कर्मियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, जिन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है।
  • सार्वजनिक चिंता: यह घटना सड़क सुरक्षा और सुरक्षा बलों के आवागमन से जुड़े जोखिमों के बारे में जनता के बीच चिंता पैदा करती है।
  • सुरक्षा संबंधी सवाल: जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्र में, जहां आतंकवाद और उग्रवाद का खतरा बना रहता है, सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही की सुरक्षा सर्वोपरि है। ऐसी दुर्घटनाएं इन व्यवस्थाओं की पर्याप्तता पर सवाल उठाती हैं।

जम्मू और कश्मीर, अपनी विशिष्ट भौगोलिक और भू-राजनीतिक स्थिति के कारण, अर्धसैनिक बलों के लिए एक चुनौतीपूर्ण परिचालन क्षेत्र है। यहां की सड़कें अक्सर संकरी, घुमावदार और खराब स्थिति में होती हैं। इसके अतिरिक्त, खराब मौसम की स्थिति, भूस्खलन का खतरा और आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए जाने वाले हमलों की आशंका भी सुरक्षा कर्मियों के लिए अतिरिक्त जोखिम पैदा करती है।

घटना के संभावित कारण (Potential Causes of the Incident):**

इस तरह की दुर्घटनाओं के पीछे कई कारक हो सकते हैं, जिन्हें समझना UPSC के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है:

  • सड़क अवसंरचना (Road Infrastructure):
    • खराब सड़क की स्थिति: पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में सड़कों का रखरखाव एक बड़ी चुनौती है। उबड़-खाबड़, संकरी और खराब गुणवत्ता वाली सड़कें वाहन चालकों के लिए जोखिम पैदा करती हैं।
    • असुरक्षित मोड़ और ढलान: कई पहाड़ी सड़कों पर खतरनाक मोड़ (hairpin bends) और खड़ी ढलानें होती हैं, जहां सावधानी न बरतने पर वाहन अनियंत्रित हो सकता है।
    • अपर्याप्त सुरक्षा बैरिकेड्स: गहरी खाई वाली सड़कों पर यदि मजबूत सुरक्षा बैरिकेड्स (roadside barriers) नहीं हैं, तो वाहन के फिसलने पर वह सीधे खाई में गिर सकता है।
  • वाहन और चालक (Vehicle and Driver):**
    • वाहन की तकनीकी खराबी: ब्रेक फेल होना, स्टीयरिंग का जाम होना या टायर फटना जैसे यांत्रिक मुद्दे दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। नियमित रखरखाव की कमी इसमें योगदान कर सकती है।
    • गति सीमा का उल्लंघन: विशेष रूप से कठिन रास्तों पर, तेज गति से वाहन चलाना एक बड़ा खतरा है।
    • चालक की थकान या अनुभव की कमी: लंबी ड्यूटी के कारण चालक थका हुआ हो सकता है, या वह विशेष रूप से उस मार्ग पर अनुभवहीन हो सकता है।
    • ओवरलोडिंग: यदि वाहन में क्षमता से अधिक यात्री या सामान हो, तो इससे वाहन का संतुलन बिगड़ सकता है।
  • परिचालन संबंधी कारण (Operational Factors):**
    • जल्दबाजी में आवाजाही: कभी-कभी, परिचालन की तात्कालिकता के कारण, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा सकता है।
    • मौसम की स्थिति: भारी बारिश, कोहरा, या बर्फबारी के कारण दृश्यता कम हो जाती है और सड़क फिसलन भरी हो जाती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
  • मानवीय भूल (Human Error): उपर्युक्त सभी कारकों के अलावा, एक पल की असावधानी या गलत निर्णय भी घातक साबित हो सकता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: शासन और सुरक्षा के आयाम (Relevance for UPSC: Governance and Security Dimensions):**

यह घटना UPSC परीक्षा के विभिन्न वर्गों के लिए महत्वपूर्ण है:

  • जीएस पेपर I – समाज (Society):
    • दुर्घटनाएं समाज पर प्रभाव डालती हैं, विशेषकर परिवारों और समुदायों पर।
    • सुरक्षा कर्मियों की शहादत राष्ट्र के लिए एक बड़ी हानि है।
  • जीएस पेपर II – शासन (Governance):
    • सुरक्षा तंत्र: गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) अर्धसैनिक बलों के संचालन की देखरेख करता है। इस घटना ने सुरक्षा तंत्र में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
    • परिवहन प्रबंधन: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) सड़कों के विकास और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण और रखरखाव में सुधार की आवश्यकता है।
    • जवाबदेही: ऐसी दुर्घटनाओं के लिए कौन जवाबदेह है? क्या नियमित सुरक्षा ऑडिट (safety audits) किए जाते हैं?
    • आपदा प्रबंधन: बचाव कार्यों की प्रभावशीलता और तत्परता महत्वपूर्ण है।
  • जीएस पेपर III – आंतरिक सुरक्षा (Internal Security):
    • सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की आवाजाही की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
    • बुनियादी ढांचा: सुरक्षा बलों को आधुनिक और सुरक्षित वाहनों और बेहतर सड़क अवसंरचना की आवश्यकता है।
    • चुनौतियाँ: दुर्गम इलाकों में लॉजिस्टिक्स और आवाजाही की अपनी चुनौतियां हैं।
  • जीएस पेपर III – प्रौद्योगिकी (Technology):
    • वाहन सुरक्षा प्रौद्योगिकियां (जैसे ABS, ESP, GPS ट्रैकिंग)।
    • सड़क सुरक्षा के लिए जीआईएस (GIS) मैपिंग और जोखिम मूल्यांकन।

“जब हम अपने सुरक्षा कर्मियों को राष्ट्र की रक्षा के लिए आगे भेजते हैं, तो यह सुनिश्चित करना हमारी नैतिक और प्रशासकीय जिम्मेदारी है कि उनकी यात्रा यथासंभव सुरक्षित हो। यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमें अपने सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के हर पहलू पर गहराई से विचार करना होगा।”

समाधान और भविष्य की राह (Solutions and Way Forward):**

इस तरह की घटनाओं को रोकने और भविष्य में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. सड़क अवसंरचना में सुधार:
    • पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों में सड़कों का नियमित रखरखाव और अपग्रेडेशन।
    • खतरनाक मोड़ों पर उचित साइनेज (signage), स्पीड ब्रेकर और सुरक्षा बैरिकेड्स की स्थापना।
    • भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित सड़कों के लिए विशेष सुरक्षा उपाय।
  2. वाहन सुरक्षा और रखरखाव:
    • सभी परिचालन वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS), इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम (ESP) जैसी आधुनिक सुरक्षा सुविधाओं को अनिवार्य करना।
    • वाहनों का नियमित और कड़ाई से गुणवत्तापूर्ण रखरखाव सुनिश्चित करना।
    • विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों के लिए डिजाइन किए गए ऑफ-रोड सक्षम और सुरक्षित वाहनों का उपयोग।
  3. चालक प्रशिक्षण और कल्याण:
    • सुरक्षा कर्मियों के ड्राइवरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, जिसमें पहाड़ी ड्राइविंग, आपातकालीन प्रतिक्रिया और वाहन रखरखाव शामिल हो।
    • चालकों की ड्यूटी के घंटों को विनियमित करना और थकान प्रबंधन पर ध्यान देना।
    • ड्राइवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच।
  4. परिचालन संबंधी प्रोटोकॉल:
    • संचालन की तत्कालता के बावजूद, सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल और गति सीमाओं का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना।
    • कठिन रास्तों पर काफिले के साथ एक अनुरक्षण वाहन (escort vehicle) या लीड वाहन (lead vehicle) रखना।
    • मौसम की स्थिति और सड़क सुरक्षा का नियमित आकलन करके ही यात्रा की अनुमति देना।
  5. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • सभी वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम (GPS Tracking Systems) लगाना ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।
    • वाहन में लगे सेंसर के माध्यम से वाहन की स्थिति (जैसे ब्रेक, इंजन) की निगरानी करना।
  6. खतरे का आकलन और शमन (Risk Assessment and Mitigation):
    • संवेदनशील क्षेत्रों में यात्रा मार्गों का नियमित जोखिम मूल्यांकन करना और असुरक्षित हिस्सों को चिह्नित करना।
    • इन क्षेत्रों में सुधार के लिए संबंधित विभागों (जैसे लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के साथ समन्वय करना।
  7. घटना के बाद की प्रतिक्रिया (Post-Incident Response):
    • बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया टीमों (Quick Reaction Teams) को तैनात करना।
    • घायलों के लिए तत्काल चिकित्सा सहायता और ट्रॉमा केयर की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • शहीद जवानों के परिवारों को हर संभव सहायता और सम्मान प्रदान करना।

निष्कर्ष (Conclusion):**

उधमपुर में CRPF वाहन का खाई में गिरना एक दुखद घटना थी जिसने तीन वीर जवानों की जान ले ली और कई को घायल कर दिया। यह घटना केवल सड़क सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन की प्रभावशीलता और हमारे सुरक्षा कर्मियों के कल्याण से जुड़े गहरे सरोकारों को भी सामने लाती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह एक केस स्टडी है जो सुरक्षा चुनौतियों, अवसंरचनात्मक कमियों और नीतिगत सुधारों की आवश्यकता को दर्शाती है। हमारी सरकार और संबंधित एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे सुरक्षा कर्मियों को उन साधनों और वातावरण के साथ सुसज्जित किया जाए जो उनकी यात्रा को सुरक्षित बनाते हैं, ताकि वे राष्ट्र की सेवा निर्बाध रूप से कर सकें। इस तरह की घटनाओं से सीखना और भविष्य के लिए मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल स्थापित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: हाल ही में उधमपुर, जम्मू में हुई CRPF वाहन दुर्घटना के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक सड़क सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है?
    1. खराब सड़क की स्थिति और असुरक्षित मोड़
    2. वाहन की तकनीकी खराबी या रखरखाव की कमी
    3. अत्यधिक गति या चालक की थकान
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
    व्याख्या: उपरोक्त सभी कारक मिलकर किसी भी वाहन दुर्घटना का कारण बन सकते हैं, विशेषकर पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में। CRPF वाहन दुर्घटना में भी ये सभी संभावित कारण माने जा सकते हैं।

  2. प्रश्न 2: जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों की आवाजाही की सुरक्षा के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
    2. आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में, यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
    3. सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन स्वयं जवानों की सतर्कता पर भी निर्भर करता है।
    सही कथन चुनें:

    1. केवल 1 और 2
    2. केवल 2 और 3
    3. केवल 1 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: (b) केवल 2 और 3
    व्याख्या: अर्धसैनिक बल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) हैं, जिनका प्रशासन और नियंत्रण मुख्य रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन होता है। इसलिए, उनकी आवाजाही की सुरक्षा में केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। हालाँकि, राज्य सरकार भी समन्वय और सहायता प्रदान करती है। जवानों की अपनी सतर्कता भी महत्वपूर्ण है।

  3. प्रश्न 3: पहाड़ी इलाकों में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी होगा?
    1. सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना
    2. सड़कों पर मजबूत सुरक्षा बैरिकेड्स और स्पष्ट साइनेज लगाना
    3. सभी वाहनों के लिए जीपीएस ट्रैकिंग अनिवार्य करना
    4. वाहनों की गति सीमा बढ़ाना

    उत्तर: (b) सड़कों पर मजबूत सुरक्षा बैरिकेड्स और स्पष्ट साइनेज लगाना
    व्याख्या: पहाड़ी इलाकों में, जहाँ खाई जैसी खतरनाक संरचनाएँ होती हैं, मजबूत बैरिकेड्स और स्पष्ट साइनेज (जैसे मोड़, ढलान, गति सीमा) वाहन चालकों को खतरे से आगाह करने और अनियंत्रित वाहन को खाई में गिरने से रोकने में सबसे प्रत्यक्ष और प्रभावी उपाय हैं।

  4. प्रश्न 4: CRPF (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह भारत का एक प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है।
    2. इसका प्राथमिक कार्य राज्य पुलिस बलों की सहायता के लिए है।
    3. यह आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    सही कथन चुनें:

    1. केवल 1 और 2
    2. केवल 2 और 3
    3. केवल 1 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: (d) 1, 2 और 3
    व्याख्या: CRPF भारत का एक प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य पुलिस की सहायता करना, आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना, आतंकवाद का मुकाबला करना और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की रक्षा करना है।

  5. प्रश्न 5: जम्मू-कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा कर्मियों के लिए, निम्नलिखित में से कौन सी लॉजिस्टिक्स चुनौती सबसे अधिक महत्वपूर्ण है?
    1. पर्याप्त मात्रा में ईंधन की उपलब्धता
    2. खराब और दुर्गम सड़कों पर आवाजाही
    3. जवानों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले भोजन की व्यवस्था
    4. संचार उपकरणों का रखरखाव

    उत्तर: (b) खराब और दुर्गम सड़कों पर आवाजाही
    व्याख्या: जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी और अशांत क्षेत्रों में, दुर्गम और अक्सर खराब रहने वाली सड़कें सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही, रसद (logistics) और अभियानों के संचालन में एक प्रमुख चुनौती पेश करती हैं, जो इस तरह की दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकती है।

  6. प्रश्न 6: एक “ऑपरेशनल रिस्क असेसमेंट” (Operational Risk Assessment) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    1. संचालन की लागत को कम करना
    2. संभावित खतरों की पहचान करना और उन्हें कम करने के उपाय खोजना
    3. विपक्षी ताकतों की संख्या का अनुमान लगाना
    4. जवानों के लिए केवल मनोरंजन की व्यवस्था करना

    उत्तर: (b) संभावित खतरों की पहचान करना और उन्हें कम करने के उपाय खोजना
    व्याख्या: ऑपरेशनल रिस्क असेसमेंट किसी भी ऑपरेशन में शामिल संभावित जोखिमों, जैसे कि यात्रा के दौरान सड़क सुरक्षा, दुश्मन की कार्रवाई, या परिचालन संबंधी विफलता, की पहचान करने और उन्हें कम करने या समाप्त करने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने की प्रक्रिया है।

  7. प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा मंत्रालय सड़क अवसंरचना के विकास और रखरखाव के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
    1. गृह मंत्रालय
    2. रक्षा मंत्रालय
    3. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
    4. ग्रामीण विकास मंत्रालय

    उत्तर: (c) सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
    व्याख्या: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य प्रमुख सड़कों के विकास, निर्माण, रखरखाव और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।

  8. प्रश्न 8: “ड्राइवर की थकान” (Driver Fatigue) को कम करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा कदम उठाया जा सकता है?
    1. चालकों के लिए नियमित विश्राम के घंटों को अनिवार्य करना।
    2. लंबे मार्गों पर ड्राइवरों की शिफ्ट बदलना।
    3. वाहन निर्माण कंपनियों द्वारा थकान-पहचान प्रणाली (fatigue-detection systems) को एकीकृत करना।
    सही कथन चुनें:

    1. केवल 1 और 2
    2. केवल 2 और 3
    3. केवल 1 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: (d) 1, 2 और 3
    व्याख्या: ये सभी उपाय ड्राइवर की थकान को कम करने और सड़क सुरक्षा में सुधार करने के लिए प्रभावी माने जाते हैं।

  9. प्रश्न 9: यदि कोई वाहन 200 फीट गहरी खाई में गिरता है, तो बचाव अभियान में मुख्य चुनौतियाँ क्या होंगी?
    1. वाहन और यात्रियों तक पहुंचना।
    2. घायलों को सुरक्षित निकालना और तत्काल चिकित्सा प्रदान करना।
    3. मृतकों के शवों को निकालना।
    4. दुर्घटना के कारण का पता लगाना।
    सही कथन चुनें:

    1. केवल 1, 2 और 3
    2. केवल 1, 2 और 4
    3. केवल 1, 3 और 4
    4. 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: (a) केवल 1, 2 और 3
    व्याख्या: बचाव अभियान का प्राथमिक उद्देश्य जीवन बचाना और हताहतों को सुरक्षित निकालना होता है। दुर्घटना के कारण का पता लगाना जांच का हिस्सा है, जो प्राथमिक बचाव के बाद होता है।

  10. प्रश्न 10: ‘अंतर्देशीय सुरक्षा’ (Internal Security) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण पहलू है?
    1. देश के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखना।
    2. सीमा पार आतंकवाद को रोकना।
    3. the infrastructure of the country.
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
    व्याख्या: अंतर्देशीय सुरक्षा में देश के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखना, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना, सीमा पार से उत्पन्न खतरों (जैसे आतंकवाद) को रोकना और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा शामिल है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: उधमपुर में CRPF वाहन दुर्घटना के संदर्भ में, जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील और पहाड़ी क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों की आवाजाही से जुड़े लॉजिस्टिक और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुझाई गई नीतियों और प्रौद्योगिकीय समाधानों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: भारत में सड़क सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है, विशेष रूप से पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में। CRPF वाहन दुर्घटना जैसी घटनाओं को देखते हुए, सड़क अवसंरचना, वाहन रखरखाव, चालक प्रशिक्षण और नियामक ढाँचे में सुधार की आवश्यकता का मूल्यांकन करें। (150 शब्द, 10 अंक)
  3. प्रश्न 3: राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के संदर्भ में, सुरक्षा कर्मियों की परिचालन क्षमता और कल्याण सुनिश्चित करने में सरकार की भूमिका पर प्रकाश डालें। दुर्घटनाओं को रोकने और हताहतों को कम करने के लिए सुरक्षा बलों के लिए किस प्रकार के अवसंरचनात्मक और तकनीकी संवर्द्धन आवश्यक हैं? (250 शब्द, 15 अंक)

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