जनांकिकी का अन्य शास्त्रों से सम्बन्ध
( Relationship of Demography with other disciplines )
रसियन जनांकिकीविद् Victor Petrov लिखते हैं कि , ” चूँकि सभी सामाजिक घटनाओं का विषय जनसंख्या होता है , अतः जनांकिकी सभी सामाजिक एवं अन्य विज्ञानों का स्पर्श करती है । “
मानव समुदाय के आकार , संरचना एवं वितरण का विश्लेषण करने वाला शास्त्र जनांकिकी है । मानव समुदाय के अध्ययन के अन्य अनेक पहलू हैं , जैसे- सामाजिक , जैविकीय , भौगोलिक , आर्थिक आदि । इन सभी शास्त्रों का अध्ययन विषय मनुष्य ही है । अन्तर केवल इतना है कि प्रत्येक शास्त्र मनुष्य की केवल एक प्रकार की भूमिका को ही अपना विषयवस्तु बनाता है । आर्थिक पहलू का अध्ययन करने वाला शास्त्र अर्थशास्त्र , प्राकृतिक पर्यावरण से सम्बन्ध रखने वाला शास्त्र भूगोल , समाज में मनुष्य की भूमिका का अध्ययन समाजशास्त्र में होता है ।
अतः यह स्वाभाविक है कि प्रत्येक शास्त्र का एक दूसरे शास्त्र के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है । ये सभी विषय एक दूसरे की सीमाओं में अतिक्रमण भी करते रहते हैं क्योंकि किसी भी सामाजिक विज्ञान को सदैव के लिए स्थिर सीमाओं के अन्तर्गत बांध नहीं सकते । सामाजिक विज्ञान की उपयोगिता इसी बात में है कि उसमें अन्तरशास्त्रीय दृष्टिकोण अपनाया जाता है । जनांकिकी अपनी विषय सामग्री के अध्ययन के लिए अन्य विज्ञानों पर उतना ही आश्रित है जितना अन्य विज्ञान जनांकिकी पर ।अब तक के अध्ययन से हमें स्पष्ट हो जाता है कि जनांकिकी का क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है । अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से जनांकिकी अपने विषय सामग्री के अध्ययन के लिए जिन अन्य ज्ञान की शाखाओं से सम्बन्धित है तथा उससे सम्बन्धित जिन तथ्यों का अध्ययन करती है , वे निम्न हैं
जीवशास्त्र एवं जनांकिकी ( Zoology and Demography )
जनसंख्या जीवशास्त्रीय तथ्य है अतः जनांकिकी के अन्तर्गत जनसंख्या के निम्न जीवशास्त्रीय तथ्यों का अध्ययन किया जाता है
- जन्मदर एवं मृत्यु दर 2. जन्मदर एवं मृत्यु दर में परिवर्तन 3. जन्मदर एवं मृत्यु दर की प्रवृत्तियां 4. लैंगिक अनुपात 5. आयु संरचना 6. स्वास्थ्य स्तर 7. जनसंख्या वृद्धि आदि
समाजशास्त्र एवं जनांकिकी ( Sociology and Demography )
जनसंख्या एक सामाजिक प्रमेय है । इस दृष्टि सम्बन्धी निम्नलिखित तथ्यों का अध्ययन किया जाता है से समाजशास्त्र के अन्तर्गत जनसंख्या
- पारिवारिक संरचना 2. समाज एवं समुदाय 3. धर्म का स्वरूप 4. शिक्षा का स्तर 5 , जाति व्यवस्था
- संस्कृति एवं संस्कार 7. प्रवास के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण जनांकिकी अध्ययन के समाजशास्त्रीय पहलू को स्पष्ट करते हुए E.W. Notestein ने कहा है कि , ” जब एक जनसंख्याशास्त्री जन्मदर के आंकड़ों को व्यक्त करता है तब उसकी याद के रखना पड़ता है कि प्रत्येक संख्या एक पुत्र था पुत्री की अभिव्यक्ति करती है , जब मृत्यु आंकड़े सामने आते हैं तब उसे याद रखना पड़ता है कि प्रत्येक संख्या एक दुखद घटना को व्यक्त करती है , जब वह विवाह का अध्ययन करता है तो उसे याद रखना पड़ता है कि उसका सम्बन्ध मानव समाज की एक आधारभूत संस्था से है । “
भूगोल एवं जनांकिकी ( Geography and Demography )
जनसंख्या परिस्थितिशास्त्रीय घटना है । भूगल एवं जनांकिकी को एकरमैन ने बड़े ही अच्छे ढंग से व्यक्त किया है । ” आधुनिक भूगोलवेत्ताओं ने पृथ्वी के सांस्कृतिक पहलू को लिया है । उन्होंने इसको जातीय एवं जैविक सिद्धान्तों तथा स्थान से सम्बन्धित कर विश्लेषित करने का प्रयास किया तथा सांस्कृतिक पहलुओं को भौतिक एवं जीवन सम्बन्धी विशेषताओं से सह – सम्बन्धित किया । इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या के वितरण का अध्ययन किया । यह वितरण का पहलू जनांकिकी तथा भूगोल दोनों में शामिल है । ” इस दृष्टि से भूगोल विषय में जनसंख्या की निम्न विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है
- भौगोलिक वितरण । 2 भौगोलिक वितरण के कारण । 3. नगरीकरण 4. प्रवास ।
अर्थशास्त्र एवं जनांकिकी अर्थशास्त्र के अन्तर्गत जनसंख्या सम्बन्धी निम्न विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है
- जनसंख्या और रोजगार की स्थिति । 2 जनसंख्या का जीवन स्तर 3. आय का स्तर 14. जनसंख्या और खाद्य सामग्री का सम्बन्ध |
- जनसंख्या की गतिशीलता ।
- श्रम – पूंजी का निर्माण 7. विनियोजन । 8. उत्पादकता ।
- जनसंख्या की कार्यक्षमता ।
- श्रमशक्ति नियोजन ( Man Power Planning )
जनांकिकी एवं अर्थशास्त्र के सम्बन्ध में अपना मत व्यक्त करते हुए जे ० जे ० स्पैग्लर ने कहा है , सामान्यतया जनसंख्या परिवर्तन को मात्र समंकों में परिवर्तन मान लिया जाता है जबकि जनसंख्या के परिवर्तन समस्त आर्थिक प्रणाली में परिवर्तन लाते हैं । अतः जनांकिकी चरों में आर्थिक चरों की परस्पर निर्भरता को ध्यान में रखना अनिवार्य है , यह भी आवश्यक है कि उन कारणों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जो कि आर्थिक स्तरों में इस प्रकार परिवर्तन लाते हैं कि उनसे जनांकिकी घटकों में भी परिवर्तन आते हैं । प्रो ० पीगू के अनुसार ” मनुष्य आर्थिक क्रियाओं का उद्देश्य भी है और उत्पत्ति का साधन भी । इस तरह मनुष्य ही समस्त आर्थिक क्रियाओं का सृजक भी है तथा साध्य भी है ।
विद्वानों के मतों से स्पष्ट है कि जनांकिकी तथा अर्थशास्त्र एक – दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है ।
जनांकिकी एवं मानवशास्त्र ( Demography and Anthropology )
- जनांकिकी तथा मानवशास्त्र में भी बहुत निकट का सह – सम्बन्ध पाया जाता है । आक्सफोर्ड यूनिवर्सल डिक्शनरी ने जनांकिकी को मानवशास्त्र के एक अंग के रूप में परिभाषित किया है Demography is that branch of anthroplogy which treats of the statistics of births , deaths diseases etc. प्रो ० हैरीसन एवं वायसी ने मानवशास्त्र की जनांकिकी के लिए उपयोगिता को व्यक्त करते हुए लिखा है , ” प्राचीन अवशेषों का अध्ययन करने की मानव विकास शास्त्र की विधि जनांकिकी के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि इसके माध्यम से हम इतिहास के गर्त में छुपी हुई सभ्यताओं से सम्बन्धित अनेक जनांकिकीय सूचनायें एकत्र कर लेते हैं । इन दोनों शास्त्रों में जिन समान विषयों का अध्ययन होता है , वे निम्न है
अन्तः प्रजनन का अध्ययन ( study of Inbreeding )
सजातीय प्रजनन ( Indogamous Breeding )
समवर्गीय सहवास एवं प्रजनन ( Assortative Mating and Breeding )
उत्परिवर्तन ( Mutation )
-जीन – प्रवाह ( Gene flow )
इस तरह मानव शास्त्र तथा जनांकिकी एक दूसरे से घनिष्ट रूप से सम्बन्धित है