जनसंख्या नीति की विषय सामग्री का उल्लेख कीजिए ।
Describe subject matter of population policy .
जनसंख्या नीति की विषय – सामग्री
( Subject – Matter of Population Policy )
किसी देश की जनसंख्या नीति का निर्धारण चार जनांकिकीय चरों आकार , दरो , वितरण तथा गठन को वहाँ के आर्थिक , राजनैतिक , पारिस्थितिक तथा सामाजिक आदि विज्ञानों से सम्बन्धित करके किया जाता है ।
उपर्युक्त चरों की व्याख्या इस प्रकार है जनांकिकीय चर-
( i ) आकार ( Size ) से तात्पर्य किसी क्षेत्र की सम्पूर्ण जनसंख्या से है ।
( ii ) दर ( Rate ) से तात्पर्य जन्म – दर , मृत्यु दर , प्राकृतिक वृद्धि एवं सम्पूर्ण वृद्धि दर
( iii ) वितरण ( Distribution ) से तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष के लोगों की गतिशीलता , फैलाव तथा आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास आदि से है ।
( iv ) गठन या संरचना ( Composition ) के अन्तर्गत विशेषताओं के अतिरिक्त जनसंख्या के सामाजिक , जैविक तथा जातीय आधार पर वितरण सम्मिलित है ।
व्यावहारिक विज्ञानों के चर– ( i ) आर्थिक ( Economic ) चर में कुल राष्ट्रीय उत्पादन , प्रति व्यक्ति आय प्रति परिवार आय , राष्ट्रीय आय का वितरण , रहन – सहन का स्तर , आर्थिक कल्याण , पूँजीगत निवेश , श्रम शक्ति , रोजगार के अवसर , मजदूरी , आवास व्यवस्था तथा परिवहन के साधनों आदि को सम्मिलित किया जाता है । ( ii ) राजनैतिक ( Political ) चर में राज्य की कार्य प्रणाली , राजनैतिक प्रदर्शन एवं निर्णय , जातीय आधार तन्त्रता को पर राजनैतिक हलचल , अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध , सुरक्षा तथा राजनैतिक सम्मिलित किया जाता है । ( iii ) पारिस्थितिकी या परिवेशीय ( Ecological or Environmental ) चर में संसाधनों का वस्तु के रूप में दोहरा प्रयोग जैसे प्राकृतिक संसाधनों का आरेचन और शक्ति की आवश्यकता , वातावरण को संसाधनों के रूप में मानकर प्रयोग करना आदि शामिल किया जाता है । ( iv ) सामाजिक ( Social ) चर में स्वास्थ्य , शिक्षा , काम के अवसर , स्त्री का महत्व , परिवार का आकार , परिवार को संस्था के रूप में जानना तथा जीवन के सुख – साधन आदि आते हैं । इस तरह , इन चरों को एक दूसरे से क्रमशः सम्बन्धित कर जनसंख्या नीति से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है ।
आर्थिक कारक – संयुक्त राज्य अमेरिका में कई दशकों से जनसंख्या के आकार एवं दर के कारण उपभोग्य वस्तुओं के उत्पादन में एवं जीवन स्तर की समस्या नहीं उत्पन्न हुई जबकि भारत सहित अन्य देशों के सम्बन्ध में आकार एवं दर दोनों समस्या बनी हुई हैं । R1 – संयुक्त राज्य अमेरिका में आने वाले कुछ दशकों में यदि जनसंख्या में वृद्धि + 2 % और 0.5 % के बीच रहती है तो वह आर्थिक जीवन स्तर के लिए कोई समस्या नहीं बनेगी । अन्य देशों के लिए इसका सही होना आवश्यक नहीं है । इन तथ्यों से स्वतः ही कई प्रश्न उठ खड़े होते हैं — क्या अर्थशास्त्र को किसी तरह की हानि पहुँचाए बगैर जनसंख्या वृद्धि दर को शून्य या उससे किया जा सकता है ? क्या कोई देश बिना आर्थिक स्थिरता प्राप्त किए जनसंख्या की स्थिरता प्राप्त कर सकता है । D ] – किसी देश के आन्तरिक एवं बाह्य प्रवास पर क्षेत्रीय – समृद्धि अथवा तकनीक का क्या प्रभाव पड़ता है ? उपयुक्त संचार तथा यातायात का , चाहे वह सरकारी हो अथवा निजी , शहरीकरण पर अथवा फिर आर्थिक आकर्षण रोजगार आदि पर प्रभाव को प्रदर्शित करता है ।
– किसी जाति विशेष में जन्म दर क्या हो ताकि आय अथवा धन का वितरण समान हो सके । राजनैतिक कारक Sn – क्या जनसंख्या आकार को किसी लोकतान्त्रिक देश का निर्धारिक तत्व माना जा सकता है ? क्या किसी देश की कार्यक्षमता तथा बजटीय आवश्यकताओं को वृद्धि दर प्रभावित करती है ? क्या किसी देश में कोई अनुकूलतम जनसंख्या आकार भी हो सकता है ? परस्पर सम्बन्धित रहने के कारण क्या जनसंख्या के आकार को राज्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है ? Rs – किन अवस्थाओं में विभिन्न देशों के मध्य वृद्धि दर विभिन्नता अन्तर्राष्ट्रीय स्नेह भाव से प्रभावित होती है ? D , – किस तरह ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या के वितरण में होने वाले परिवर्तन को राजनैतिक प्रतिनिधित्व या प्रयासों द्वारा रोका जाय ? C2 – विभिन्न जातियों के मध्य जन्म दर एवं मृत्यु दर की विभिन्नता उस देश की राजनीति को किस तरह प्रभावित करती है ? पारिस्थितिक कारक S3 / R3 / D3 – जनसंख्या का आकार या वृद्धि दर किसी स्थान के प्राकृतिक परिवेश को किस तरह प्रभावित कर पाते हैं ? वितरण का प्रभाव राष्ट्रीय उत्पादन या तकनीकी अस्त – व्यस्तता की अपेक्षा कम ही होता है । D3 – क्या जनसंख्या वितरण द्वारा निर्जन व्यवस्था प्राप्त होने की सम्भावना है ? सामाजिक कारक S4 / R4 – संयुक्त राज्य अमेरिका में न आकार न जनसंख्या वृद्धि इस प्रकार की है जो वहाँ की शैक्षणिक , भौतिक अथवा सांस्कृतिक सेवाओं के लिए समस्या बने । यदि इनको उचित ढंग से संगठित नहीं किया जाता तो संसाधनों के गुणात्मक पहलू प्रभावित हो सकते हैं । R4 – क्या कल्याणकारी पद्धति संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रजनन क्षमता को बढ़ा रही है ? क्या नारी के प्रति उदारतावाद की नीति वास्तव में अमेरिका में जन्म दर को घटा रही है ? D4 – क्या कल्याणकारी भुगतान में विभिन्नता के कारण अवांछनीय गतिशीलता को बढ़ावा मिलता है ? क्या जनसंख्या का घनत्व तथा सघनता जनसंख्या में मनोवैज्ञानिक विक्षोभ उत्पन्न करता है ? C4- अल्पसंख्यकों के अमेरिकी जीवन पद्धति में सम्मिलित हो जाने से जन्म दर एवं मृत्यु दर की विषमता को दूर किया जा सकता है क्या इसे वंश के सामाजिक जीवन से परे रखा जा सकता है । यह विश्लेषण एक ऐसा विन्यास है जिसमें किसी भी अर्थव्यवस्था के नीतिगत विषयों को स्थापित किया जा सकता है । विषय वर्तमान में ही उत्पन्न एवं नवीनता लिए हुए
अत : इस समस्या को न तो समझा जा सकता है और न ही परिभाषित किया जा सका है । इस तरह प्रत्येक कोष्ठक से और भी समस्याओं का जन्म होता रहता है । इस तरह जनसंख्या नीति में आर्थिक , राजनैतिक , पारिस्थितिक परिवेशीय तथा सामाजिक कारकों को जनांकिकीय चरों से सम्बन्धित करके निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति का प्रयास किया जाता है आर्थिक ( Economic ) – आर्थिक समृद्धि के साथ – साथ देश में धन का समान एवं न्यायोचित वितरण हो । राजनैतिक ( Political ) — शान्ति , स्वतन्त्रता , प्रजातन्त्र , न्याय तथा समतामूलक समाज की स्थापना हो । पारिस्थितिक परिवेशीय ( Ecological / Environmental ) – पारिस्थितिक साम्य बना रहे तथा परिवेश स्वच्छ रहे । सामाजिक ( Social ) – स्वास्थ्य एवं सुरक्षा , शिक्षा तथा ललित कला में नवीनता व प्रवीणता आए और मनुष्य के गुणात्मक पहलू का विकास हो । अतः जनसंख्या को अनुकूलतम स्तर पर लाने के लिए जनसंख्या के गुणात्मक पहलू के ध्यान में रखना चाहिए ।