चुनाव आयोग और ‘राहुल’ का ‘दावे-आपत्ति’ वाला खेल: क्या है असली मुद्दा?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, एक राजनीतिक बयानबाजी के दौरान, चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। आरोप है कि कांग्रेस नेता ‘हमेशा की तरह’ अपने दावे और आपत्तियां चुनाव संपन्न होने के बाद ही प्रस्तुत करते हैं। यह बयान चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली, राजनीतिक दलों की जिम्मेदारियों और भारतीय चुनावी प्रक्रिया की बारीकियों पर प्रकाश डालता है। यह घटनाक्रम विशेष रूप से UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे तौर पर भारत की संवैधानिक संस्थाओं, चुनावी सुधारों और राजनीतिक नैतिकता जैसे विषयों से जुड़ा हुआ है।
यह केवल एक राजनीतिक बयानबाजी नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक संदर्भ का हिस्सा है जहां चुनावी अखंडता, निष्पक्षता और समय पर निर्णय लेने का महत्व सर्वोपरि है। चुनाव आयोग, जो भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का संरक्षक है, की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब किसी राजनीतिक नेता पर ऐसे आरोप लगते हैं, तो यह न केवल उस व्यक्ति या दल पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरी चुनावी व्यवस्था पर भी विचार-विमर्श को प्रेरित करता है।
आइए, इस ‘दावे और आपत्ति’ के खेल को गहराई से समझें। यह क्या है, क्यों महत्वपूर्ण है, और भारतीय चुनावी परिदृश्य में इसका क्या स्थान है।
‘दावे और आपत्ति’: चुनावी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण स्तंभ
भारतीय चुनावी प्रणाली एक जटिल और बहुस्तरीय प्रक्रिया है। मतदाता सूची का निर्माण और उसमें सुधार, नामांकन प्रक्रिया, मतदान, मतगणना, और परिणामों की घोषणा – हर चरण में बारीकी से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ‘दावे और आपत्ति’ की प्रक्रिया, विशेष रूप से मतदाता सूची के संबंध में, इसी प्रणाली का एक अभिन्न अंग है।
क्या हैं दावे और आपत्तियां?
- दावा (Claim): यह किसी व्यक्ति द्वारा मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने, किसी प्रविष्टि में सुधार करवाने, या अपने मताधिकार से संबंधित किसी अन्य जानकारी को सही करवाने के लिए किया गया आवेदन है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, या उसमें कोई गलती है (जैसे पता या नाम की वर्तनी), तो वह ‘दावा’ प्रस्तुत कर सकता है।
- आपत्ति (Objection): यह किसी मतदाता या आम नागरिक द्वारा मतदाता सूची में किसी प्रविष्टि पर आपत्ति जताने के लिए किया गया आवेदन है। इसका मतलब है कि सूची में किसी ऐसे व्यक्ति का नाम है जिसका नाम नहीं होना चाहिए (जैसे मृत व्यक्ति, या दोहरे नाम)। आपत्ति जताने वाला व्यक्ति उस प्रविष्टि को हटाने या उसमें सुधार की मांग करता है।
कौन कर सकता है दावा या आपत्ति?
आम तौर पर, भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है, और जो किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र का निवासी है, मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए दावा कर सकता है। इसी तरह, कोई भी नागरिक मतदाता सूची में किसी भी प्रविष्टि पर आपत्ति जता सकता है, बशर्ते उसके पास उचित कारण और प्रमाण हों।
प्रक्रिया क्या है?
- अधिसूचना (Notification): चुनाव आयोग या संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी (District Election Officer – DEO) द्वारा मतदाता सूची के मसौदे (Draft Electoral Roll) के प्रकाशन की घोषणा की जाती है।
- दावे और आपत्तियों की अवधि (Period for Claims and Objections): इस अधिसूचना के साथ ही, एक निश्चित अवधि (आमतौर पर कुछ सप्ताह) निर्धारित की जाती है जिसके दौरान नागरिक दावे और आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं।
- दावे/आपत्ति प्रस्तुत करना (Submission): नागरिक निर्धारित प्रपत्रों (Form 6, Form 7, Form 8 आदि) को भरकर संबंधित निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (Electoral Registration Officer – ERO) के कार्यालय में या ऑनलाइन माध्यमों से जमा करते हैं।
- समीक्षा और सुनवाई (Scrutiny and Hearing): ERO प्राप्त सभी दावों और आपत्तियों की समीक्षा करते हैं। यदि आवश्यक हो, तो संबंधित व्यक्तियों को सुनवाई के लिए बुलाया जाता है, जहाँ वे अपने पक्ष को साबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
- निर्णय (Decision): ERO सभी साक्ष्यों और सुनवाई के आधार पर निर्णय लेते हैं और मतदाता सूची को अंतिम रूप देते हैं।
- अंतिम प्रकाशन (Final Publication): संशोधित मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाता है।
समय-सीमा का महत्व (Importance of Timelines):
इस पूरी प्रक्रिया में समय-सीमा का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होता है कि मतदाता सूची अद्यतन (updated) और त्रुटि रहित हो, ताकि सभी योग्य नागरिक मतदान कर सकें और कोई भी अयोग्य व्यक्ति वोट न डाल सके। यदि दावे और आपत्तियां समय पर प्रस्तुत नहीं की जाती हैं, तो उनका महत्व कम हो जाता है, और यदि उन पर समय पर कार्रवाई नहीं होती है, तो इससे चुनावी प्रक्रिया में देरी हो सकती है या उसमें कमियां रह सकती हैं।
“मतदाता सूची का अद्यतन किसी भी लोकतंत्र का आधार है। यदि सूची में ही गड़बड़ी होगी, तो निष्पक्ष चुनाव कैसे होंगे?”
‘राहुल’ का ‘कटाक्ष’: क्या है आरोप की जड़?
चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी पर लगाए गए आरोप का सीधा संबंध मतदाता सूची से जुड़े दावों और आपत्तियों से हो सकता है, या यह एक व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। यदि आरोप मतदाता सूची के संबंध में हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि:
- देरी से प्रस्तुतियाँ (Late Submissions): संभवतः, कांग्रेस या राहुल गांधी से जुड़े व्यक्तियों द्वारा दावे या आपत्तियां निर्धारित समय-सीमा के बाद प्रस्तुत की जा रही थीं।
- जानबूझकर देरी (Intentional Delay): यह आरोप लग सकता है कि यह रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि चुनावी प्रक्रिया को किसी तरह से प्रभावित किया जा सके या सरकार/चुनाव आयोग पर दबाव बनाया जा सके।
- बार-बार दोहराव (Repetition of Behavior): ‘हमेशा की तरह’ जैसे शब्दों का प्रयोग यह दर्शाता है कि यह पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि यह व्यवहार बार-बार दोहराया जा रहा है।
यह क्यों एक ‘कटाक्ष’ है?
चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकाय द्वारा किसी राजनीतिक नेता पर इस तरह का सार्वजनिक बयान देना या ‘कटाक्ष’ करना असामान्य है। यह दर्शाता है कि चुनाव आयोग उस व्यवहार से व्यथित है और इस मुद्दे को सार्वजनिक पटल पर लाना चाहता है। यह एक चेतावनी भी हो सकती है कि वे ऐसी किसी भी कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से समझौता करती हो।
संभावित निहितार्थ (Potential Implications):
- लोकप्रियता पर प्रभाव (Impact on Popularity): ऐसे आरोप राजनीतिक दलों की छवि को प्रभावित कर सकते हैं।
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर बहस (Debate on EC’s Independence): यह एक बार फिर चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और उसकी शक्तियों के दुरुपयोग की बहस को हवा दे सकता है।
- चुनावी सुधारों की मांग (Demand for Electoral Reforms): यह चुनावी प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए सुधारों की मांग को बल दे सकता है।
UPSC परिप्रेक्ष्य:
- भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI): इसके गठन, शक्तियां, कार्य, स्वतंत्रता, स्वायत्तता, और भूमिका। (अनुच्छेद 324)।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951): यह अधिनियम चुनावी प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करता है, जिसमें मतदाता सूची तैयार करना और उसमें सुधार भी शामिल है।
- चुनावी आचार संहिता (Model Code of Conduct): चुनाव के दौरान नियमों का पालन।
- राजनीतिक नैतिकता (Political Ethics): नेताओं और दलों का व्यवहार।
चुनावी प्रक्रिया में चुनौतियां और सुधार
भारत जैसी विशाल और विविधतापूर्ण भूमि में, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना एक कठिन कार्य है। मतदाता सूची का अद्यतन इन चुनौतियों में से एक है।
वर्तमान चुनौतियां (Current Challenges):
- डुप्लीकेट एंट्री (Duplicate Entries): एक ही व्यक्ति का नाम एक से अधिक स्थानों पर मतदाता सूची में होना।
- मृत व्यक्तियों के नाम (Names of Deceased Persons): मतदाताओं की मृत्यु के बावजूद उनके नाम सूची में बने रहना।
- स्थान परिवर्तन (Address Changes): मतदाताओं द्वारा अपना निवास स्थान बदलने के बाद भी उनके नाम पुरानी सूची में बने रहना।
- तकनीकी बाधाएं (Technological Hurdles): ऑनलाइन पंजीकरण और सुधार प्रक्रियाओं में तकनीकी खामियां या डिजिटल डिवाइड।
- अज्ञानता और जागरूकता की कमी (Ignorance and Lack of Awareness): कई नागरिक अपनी मतदाता सूची में नाम की जांच करने या दावे/आपत्ति करने के महत्व से अनजान होते हैं।
- राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference): कुछ मामलों में, राजनीतिक दल मतदाता सूची में अपने पक्ष में हेरफेर करने की कोशिश कर सकते हैं।
- समय-सीमा का पालन (Adherence to Timelines): जैसा कि आरोप से प्रतीत होता है, दावों और आपत्तियों पर समय पर कार्रवाई न होना।
सुझाए गए सुधार (Suggested Reforms):
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, विभिन्न स्तरों पर सुधारों की आवश्यकता है:
- डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण (Strengthening Digital Infrastructure): मतदाता सूची प्रबंधन के लिए एक मजबूत और उपयोगकर्ता-अनुकूल डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करना। आधार कार्ड, पासपोर्ट, या अन्य सरकारी पहचान पत्रों के साथ मतदाता डेटा को निर्बाध रूप से एकीकृत करना (हालांकि गोपनीयता चिंताओं को दूर करते हुए)।
- जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns): नागरिकों को मतदाता सूची में अपने नाम की जांच करने, नामांकन करने और सुधारों के लिए सक्रिय रूप से भाग लेने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना।
- प्रशासनिक दक्षता (Administrative Efficiency): EROs और BLOs (Booth Level Officers) के लिए बेहतर प्रशिक्षण और संसाधनों की व्यवस्था करना ताकि वे दावों और आपत्तियों पर तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें।
- स्वचालित अद्यतन तंत्र (Automated Update Mechanisms): जन्म और मृत्यु पंजीकरण डेटा को स्वचालित रूप से मतदाता सूची से जोड़ने के लिए एक तंत्र स्थापित करना (कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करते हुए)।
- डेटा मिलान (Data Matching): विभिन्न सरकारी डेटाबेस (जैसे आधार, मतदाता पहचान पत्र) के बीच डेटा मिलान के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करके डुप्लीकेट प्रविष्टियों और मृत व्यक्तियों के नामों को हटाना।
- प्रक्रिया का सरलीकरण (Simplification of Process): दावा और आपत्ति प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को और सरल बनाना, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए।
- समय-सीमा में लचीलापन (Flexibility in Timelines): कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, जहां उचित कारण हों, समय-सीमा में थोड़ा लचीलापन दिया जा सकता है, लेकिन यह दुरुपयोग को बढ़ावा देने वाला नहीं होना चाहिए।
‘ब्लॉकचेन’ का संभावित उपयोग (Potential Use of ‘Blockchain’):
ब्लॉकचेन तकनीक डेटा की अपरिवर्तनीयता (immutability) और पारदर्शिता (transparency) प्रदान कर सकती है। यदि मतदाता सूची प्रबंधन के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग किया जाए, तो यह डुप्लीकेट एंट्री और हेरफेर की संभावना को काफी कम कर सकता है। प्रत्येक मतदाता का एक अद्वितीय डिजिटल पहचान पत्र बनाया जा सकता है, जो सुरक्षित और सत्यापित हो। हालांकि, इसे बड़े पैमाने पर लागू करने में तकनीकी और नियामक चुनौतियां हो सकती हैं।
“भारतीय लोकतंत्र की ताकत उसके नागरिकों की सक्रिय भागीदारी में निहित है, और मतदाता सूची उस भागीदारी की पहली सीढ़ी है।”
राजनीतिक दलों की भूमिका और जिम्मेदारी
राजनीतिक दलों की यह जिम्मेदारी है कि वे न केवल चुनाव लड़ने के नियमों का पालन करें, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखने में भी सक्रिय भूमिका निभाएं। मतदाता सूची को सही और अद्यतन रखना एक सामूहिक जिम्मेदारी है।
सकारात्मक भूमिका (Positive Role):
- जागरूकता फैलाना (Spreading Awareness): अपने समर्थकों और आम जनता के बीच मतदाता पंजीकरण और सूची अद्यतन के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना।
- BLO के साथ सहयोग (Collaboration with BLOs): बूथ स्तर के अधिकारियों (BLOs) के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना कि सूची सही हो।
- सक्रिय भागीदारी (Active Participation): अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दावे और आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि सूची में सुधार हो सके।
नकारात्मक पहलू (Negative Aspects):
- राजनीतिकरण (Politicization): मतदाता सूची में सुधार को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश करना, जैसे कि विरोधी दलों के समर्थकों के नाम हटवाने की कोशिश करना।
- जानबूझकर चूक (Intentional Omissions): अपने स्वयं के मतदाताओं के नाम सूची से हटवा देना या उन्हें गलत तरीके से पंजीकृत करवाना (हालांकि यह बहुत कम होता है)।
- प्रक्रियात्मक देरी (Procedural Delays): जानबूझकर या अनजाने में समय-सीमा का उल्लंघन करके चुनावी प्रक्रिया को बाधित करना।
जब चुनाव आयोग जैसा निकाय किसी राजनीतिक नेता पर ‘देरी’ या ‘हमेशा की तरह’ जैसे आरोप लगाता है, तो यह दर्शाता है कि ऐसे व्यवहार से चुनावी प्रक्रिया की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगता है। यह एक अनुस्मारक है कि राजनीतिक दल, भले ही वे सत्ता में हों या विपक्ष में, उन्हें जवाबदेह होना चाहिए।
भविष्य की राह: निष्पक्षता और दक्षता
चुनावों की निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए, हमें एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है जहां सभी हितधारक – चुनाव आयोग, राजनीतिक दल, प्रशासन और नागरिक – एक साथ मिलकर काम करें। ‘राहुल’ के ‘दावे-आपत्ति’ वाले बयान से यह स्पष्ट है कि इस दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
UPSC उम्मीदवारों के लिए सीख:
- संस्थागत समझ (Institutional Understanding): भारतीय निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका, शक्तियों और सीमाओं को समझना।
- कानूनी ढांचा (Legal Framework): लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम जैसे कानूनों की जानकारी रखना।
- प्रशासनिक प्रक्रियाएं (Administrative Processes): मतदाता सूची निर्माण जैसी प्रशासनिक प्रक्रियाओं को जानना।
- वर्तमान मुद्दे (Current Issues): चुनावी सुधारों, आचार संहिता, और राजनीतिक व्यवहार से जुड़े वर्तमान मुद्दों पर पैनी नजर रखना।
- विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण (Analytical Approach): किसी भी घटना को केवल एक राजनीतिक बयान के रूप में नहीं, बल्कि उसके व्यापक संवैधानिक और प्रशासनिक संदर्भ में देखना।
यह सुनिश्चित करना कि हर योग्य नागरिक का नाम मतदाता सूची में हो और हर अयोग्य नाम हटा दिया जाए, एक सतत प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया जितनी मजबूत होगी, भारतीय लोकतंत्र उतना ही अधिक जीवंत और मजबूत होगा। चुनाव आयोग का यह ‘कटाक्ष’ एक संकेत है कि इस प्रक्रिया को और अधिक गंभीर और समयबद्ध तरीके से लेने की आवश्यकता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना, संरचना, शक्तियों और कार्यों से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 315
(b) अनुच्छेद 324
(c) अनुच्छेद 342
(d) अनुच्छेद 280
उत्तर: (b) अनुच्छेद 324
व्याख्या: अनुच्छेद 324 भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना, नियंत्रक, निर्देशन और संचालन की शक्ति प्रदान करता है। - प्रश्न: मतदाता सूची के संबंध में ‘दावा’ (Claim) का क्या अर्थ है?
(a) किसी प्रविष्टि को सूची से हटाने के लिए आवेदन।
(b) किसी गलत प्रविष्टि पर आपत्ति जताना।
(c) मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने या उसमें सुधार करवाने के लिए आवेदन।
(d) चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाना।
उत्तर: (c) मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने या उसमें सुधार करवाने के लिए आवेदन।
व्याख्या: ‘दावा’ एक ऐसा आवेदन है जिसके द्वारा कोई नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवाने या किसी मौजूदा प्रविष्टि में सुधार का अनुरोध करता है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में मतदाता सूची के निर्माण और अद्यतन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
(a) भारत का सर्वोच्च न्यायालय
(b) संसद
(c) भारत का निर्वाचन आयोग
(d) गृह मंत्रालय
उत्तर: (c) भारत का निर्वाचन आयोग
व्याख्या: भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन के लिए जिम्मेदार है, जिसमें मतदाता सूची का निर्माण और अद्यतन भी शामिल है। - प्रश्न: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का संबंध किससे है?
(a) पंचायती राज संस्थाओं का गठन
(b) भारतीय प्रशासनिक सेवा का गठन
(c) संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के लिए प्रक्रियाओं का विनियमन
(d) राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना
उत्तर: (c) संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के लिए प्रक्रियाओं का विनियमन
व्याख्या: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के लिए प्रक्रियाओं को विनियमित करता है, जिसमें मतदाता सूची से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं। - प्रश्न: मतदाता सूची में ‘आपत्ति’ (Objection) प्रस्तुत करने का उद्देश्य क्या है?
(a) नए मतदाताओं को पंजीकृत करना।
(b) मतदाता सूची में किसी गलत प्रविष्टि को हटाने या संशोधित करने की मांग करना।
(c) मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाना।
(d) चुनाव घोषणापत्र जारी करना।
उत्तर: (b) मतदाता सूची में किसी गलत प्रविष्टि को हटाने या संशोधित करने की मांग करना।
व्याख्या: आपत्ति का उद्देश्य मतदाता सूची में मौजूद किसी ऐसी प्रविष्टि को हटाना या सुधारना है जो गलत है, जैसे कि मृत व्यक्ति का नाम या डुप्लीकेट एंट्री। - प्रश्न: भारत में ‘बूथ लेवल ऑफिसर’ (BLO) की प्राथमिक भूमिका क्या है?
(a) मतदान केंद्र पर सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(b) मतदाता सूची को अद्यतन करने और उसमें सुधारों को बढ़ावा देने में सहायता करना।
(c) मतदाताओं को सीधे चुनावी पर्ची बांटना।
(d) मतगणना की निगरानी करना।
उत्तर: (b) मतदाता सूची को अद्यतन करने और उसमें सुधारों को बढ़ावा देने में सहायता करना।
व्याख्या: BLOs मतदाता सूची के निर्माण और अद्यतन में सहायक होते हैं, जैसे कि घर-घर जाकर डेटा एकत्र करना और मतदाताओं को पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित करना। - प्रश्न: चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और डेटा की अपरिवर्तनीयता (Immutability) बढ़ाने के लिए किस नई तकनीक का उपयोग किया जा सकता है?
(a) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
(b) ब्लॉकचेन
(c) इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
(d) 5G तकनीक
उत्तर: (b) ब्लॉकचेन
व्याख्या: ब्लॉकचेन तकनीक अपनी विकेन्द्रीकृत और अपरिवर्तनीय प्रकृति के कारण डेटा की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक हो सकती है, जैसे मतदाता सूची के प्रबंधन में। - प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- चुनाव आयोग मतदाताओं की सूची तैयार करने के अलावा, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नामांकन की जांच भी करता है।
- मतदाता सूची में संशोधन केवल विशेष अभियान अवधि के दौरान ही हो सकता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (a) केवल 1
व्याख्या: कथन 1 सही है क्योंकि चुनाव आयोग उम्मीदवारों के नामांकन की जांच करता है। कथन 2 गलत है क्योंकि मतदाता सूची में संशोधन निरंतर आधार पर भी किया जा सकता है, हालांकि विशेष अभियान अवधियों में विशेष जोर दिया जाता है। - प्रश्न: ‘मतदाता पहचान पत्र’ (EPIC) जारी करने के लिए कौन जिम्मेदार है?
(a) भारत का गृह मंत्रालय
(b) भारत का निर्वाचन आयोग
(c) राष्ट्रीय मतदाता दिवस समिति
(d) राज्य सरकारें
उत्तर: (b) भारत का निर्वाचन आयोग
व्याख्या: मतदाता पहचान पत्र (EPIC) भारत का निर्वाचन आयोग जारी करता है, जो मतदाताओं की पहचान का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। - प्रश्न: यदि किसी राजनीतिक नेता पर चुनावी प्रक्रिया में ‘देरी’ या ‘अवरोध’ पैदा करने का आरोप लगता है, तो यह किस व्यापक मुद्दे की ओर इशारा करता है?
(a) केवल व्यक्तिगत आचरण
(b) चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और दक्षता
(c) मतदान की गोपनीयता
(d) चुनाव प्रचार का तरीका
उत्तर: (b) चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और दक्षता
व्याख्या: ऐसे आरोप सीधे तौर पर इस बात पर सवाल उठाते हैं कि क्या चुनावी प्रक्रिया कुशलतापूर्वक और निष्पक्ष रूप से संचालित हो रही है, और क्या सभी दल नियमों का पालन कर रहे हैं।मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: भारत में मतदाता सूची के निर्माण और अद्यतन में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुझाई गई चुनावी सुधारों पर चर्चा करें, जिनमें नई तकनीकों के संभावित उपयोग भी शामिल हैं। (250 शब्द)
2. प्रश्न: भारतीय निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने में मतदाता सूची का अद्यतन कितना महत्वपूर्ण है? चुनाव आयोग द्वारा किसी राजनीतिक दल या नेता पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने के औचित्य और निहितार्थों का विश्लेषण करें। (250 शब्द)
3. प्रश्न: ‘दावे और आपत्तियों’ की प्रक्रिया भारतीय चुनावी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक क्यों है? इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों और नागरिकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, चुनावी व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सुझाव दें। (150 शब्द)
4. प्रश्न: “मतदाता सूची की त्रुटियां लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकती हैं।” इस कथन के आलोक में, मतदाता सूची को निर्बाध, पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल बनाने के लिए वर्तमान तंत्र की कमियों और आवश्यक सुधारों पर आलोचनात्मक टिप्पणी करें। (150 शब्द)