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गाजा संकट: एक उत्पीड़ित राष्ट्र की त्रासदी – भू-राजनीति, मानवीय पहलू और UPSC के लिए गहन विश्लेषण

गाजा संकट: एक उत्पीड़ित राष्ट्र की त्रासदी – भू-राजनीति, मानवीय पहलू और UPSC के लिए गहन विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?): गाजा पट्टी, जो लंबे समय से इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के केंद्र में रही है, एक बार फिर गहन मानवीय त्रासदी का सामना कर रही है। समाचार शीर्षक “Gaza: The Tragedy of an Oppressed Nation” इस क्षेत्र में व्याप्त जटिल और गहरी समस्याओं की ओर इशारा करता है। हाल ही में, गाजा में हमास और इजरायल के बीच तीव्र सैन्य टकराव ने हजारों लोगों की जान ले ली है, लाखों को विस्थापित किया है और क्षेत्र में एक अभूतपूर्व मानवीय संकट पैदा कर दिया है। बिजली, पानी, भोजन और चिकित्सा आपूर्ति की गंभीर कमी ने गाजा को एक मानवीय आपदा के कगार पर धकेल दिया है। यह विषय UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह GS पेपर I (विश्व इतिहास, भूगोल – पश्चिम एशिया का भूगोल), GS पेपर II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध, शासन, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ), GS पेपर III (अर्थव्यवस्था – पुनर्निर्माण, मानवीय सहायता) और GS पेपर IV (नैतिकता – युद्ध, मानवीय संकट, नैतिक दुविधाएँ) से संबंधित है। गाजा का भविष्य न केवल पश्चिम एशिया की स्थिरता को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य और अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को भी चुनौती देता है।


गाजा: एक उत्पीड़ित राष्ट्र की त्रासदी का विस्तृत विश्लेषण

विषय का परिचय

गाजा पट्टी भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित एक छोटा, घना आबादी वाला क्षेत्र है, जो दक्षिण-पश्चिम में मिस्र और उत्तर व पूर्व में इजरायल से घिरा हुआ है। मात्र 365 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 2.3 मिलियन फिलिस्तीनियों का घर, गाजा दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। इसकी पहचान न केवल इसकी भौगोलिक स्थिति से है, बल्कि दशकों से चले आ रहे इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के कारण भी है, जिसने इसे ‘खुली हवा की जेल’ जैसी स्थिति में ला खड़ा किया है। गाजा की त्रासदी केवल हाल के संघर्षों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें एक सदी से भी अधिक पुरानी ऐतिहासिक, राजनीतिक और धार्मिक जटिलताओं में गहरी धँसी हुई हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ आत्मनिर्णय की आकांक्षा, सुरक्षा चिंताएँ और अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का लगातार टकराव होता रहा है। इस विश्लेषण में, हम गाजा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान मानवीय स्थिति, भू-राजनीतिक आयामों और इस जटिल संकट के संभावित समाधानों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि UPSC उम्मीदवारों को इस महत्वपूर्ण विषय की एक समग्र समझ प्रदान की जा सके।

प्रमुख आयाम और मुख्य बिंदु

गाजा संकट को समझने के लिए इसके विभिन्न आयामों को जानना आवश्यक है। यहाँ इसके प्रमुख ऐतिहासिक, राजनीतिक और मानवीय पहलू विस्तृत रूप से दिए गए हैं:

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: जड़ों की तलाश
    • ओटोमन शासन और ब्रिटिश मैंडेट (1517-1948): सदियों तक ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहने के बाद, प्रथम विश्व युद्ध के बाद फिलिस्तीन क्षेत्र ब्रिटिश मैंडेट के अधीन आ गया। इस दौरान यहूदी आप्रवासन बढ़ा, जिससे स्थानीय अरब आबादी के साथ तनाव उत्पन्न हुआ। गाजा उस समय ब्रिटिश मैंडेट के एक प्रशासनिक जिले का हिस्सा था।
    • 1948 का अरब-इजरायल युद्ध और ‘नकबा’ (विपदा): संयुक्त राष्ट्र के विभाजन प्रस्ताव (UN Partition Plan) के बाद इजरायल राज्य की स्थापना हुई, जिसके परिणामस्वरूप पहला अरब-इजरायल युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान, इजरायल ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया और बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी विस्थापित हुए। गाजा पट्टी मिस्र के नियंत्रण में आ गई और शरणार्थियों से भर गई, जिन्होंने इसे अपना अस्थायी घर बनाया। ‘नकबा’ शब्द इस विस्थापन और नुकसान को दर्शाता है।
    • 1967 का छह-दिवसीय युद्ध और इजरायली कब्ज़ा: 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में इजरायल ने गाजा पट्टी, पश्चिमी तट, पूर्वी यरुशलम, सीरिया के गोलन हाइट्स और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। गाजा तब से इजरायल के सैन्य कब्जे में है, जिसने इसकी प्रशासनिक और सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया।
    • ओस्लो समझौते (1993-1995) और फिलिस्तीनी अथॉरिटी: ओस्लो समझौतों ने फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) और इजरायल के बीच पहली बार एक अंतरिम स्वशासन समझौता स्थापित किया। इसके तहत, गाजा पट्टी और पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) का गठन किया गया, जिसे सीमित स्वायत्तता मिली। हालांकि, इजरायल ने सुरक्षा नियंत्रण और सीमा नियंत्रण बनाए रखा।
    • 2005 में इजरायली विस्थापन और हमास का उदय: 2005 में, इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना और यहूदी बस्तियों को पूरी तरह से हटा लिया। इसके दो साल बाद, 2007 में, इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने गाजा में चुनाव जीता और सैन्य बल के माध्यम से फिलिस्तीनी अथॉरिटी (फatah) से नियंत्रण छीन लिया। इसे इजरायल, अमेरिका और कई पश्चिमी देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है।
    • नाकाबंदी की शुरुआत (2007): हमास के सत्ता में आने के बाद, इजरायल और मिस्र ने गाजा पर एक व्यापक नाकाबंदी लगा दी, जिसका उद्देश्य हमास की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना और इजरायल पर रॉकेट हमलों को रोकना था। इस नाकाबंदी ने गाजा को वस्तुतः बाहरी दुनिया से काट दिया और इसकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया, जिससे लाखों लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हो गए।
  • गाजा की वर्तमान स्थिति: मानवीय संकट का केंद्र
    • भौगोलिक अलगाव और घना जनसंख्या घनत्व: गाजा अपनी सीमाओं पर इजरायल और मिस्र की नाकेबंदी के कारण भौगोलिक रूप से अलग-थलग है। इसकी छोटी सी पट्टी पर लाखों लोग फंसे हुए हैं, जिससे जनसंख्या घनत्व अत्यधिक है।
    • नाकाबंदी का प्रभाव: अर्थव्यवस्था और मानवीय स्थिति: नाकाबंदी ने गाजा की अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया है। आयात और निर्यात पर सख्त प्रतिबंधों के कारण बेरोजगारी दर बहुत अधिक है, और अधिकांश आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी और स्वच्छता प्रणालियों की गंभीर कमी है, जिससे बीमारियाँ फैलती हैं। चिकित्सा आपूर्ति और दवाओं की कमी स्वास्थ्य प्रणाली को तोड़ रही है।
    • हमास की भूमिका और शासन: हमास गाजा पट्टी का वास्तविक शासक है। यह इजरायल के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध में शामिल है और उसकी नीतियों ने अक्सर गाजा के निवासियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता और आवाजाही को जटिल बना दिया है। हमास की कार्यप्रणाली पर आंतरिक और बाहरी दोनों तरफ से सवाल उठते रहे हैं।
    • इजरायल-गाजा संघर्षों की पुनरावृत्ति: 2008-09 (ऑपरेशन कास्ट लीड), 2012 (ऑपरेशन पिलर ऑफ डिफेंस), 2014 (ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज), 2021 और अक्टूबर 2023 के बाद के प्रमुख सैन्य संघर्षों ने गाजा में भारी विनाश किया है। इन संघर्षों में हजारों नागरिक हताहत हुए हैं और बुनियादी ढाँचा तबाह हो गया है, जिससे पुनर्निर्माण की आवश्यकता बार-बार उत्पन्न होती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवीय पहलू:
    • जेनेवा कन्वेंशन और कब्जे वाले क्षेत्रों के कानून: अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL), विशेष रूप से चौथे जेनेवा कन्वेंशन, कब्जे वाले क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा का प्रावधान करता है। इजरायल को गाजा पर कब्ज़ा करने वाली शक्ति माना जाता है (भले ही उसने 2005 में पीछे हट गया हो, लेकिन वह सीमाओं, हवाई क्षेत्र और समुद्री क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है), और इसलिए उसकी जिम्मेदारियाँ हैं।
    • नागरिकों की सुरक्षा: संघर्षों के दौरान नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा एक प्राथमिक चिंता का विषय है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, सैन्य अभियानों में आनुपातिकता और विवेक के सिद्धांत का पालन करना अनिवार्य है, ताकि नागरिक हताहतों को कम किया जा सके।
    • मानवीय सहायता की आवश्यकता और चुनौतियाँ: गाजा में मानवीय सहायता की आवश्यकता गंभीर है, लेकिन इसे पहुंचाने में राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी बाधाएँ आती हैं। सीमा पार करने पर प्रतिबंध और सुरक्षा जांच प्रक्रियाएँ सहायता प्रवाह को बाधित करती हैं।
    • युद्ध अपराधों के आरोप: दोनों पक्षों पर अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और युद्ध अपराधों के आरोप लगते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने इन आरोपों की जाँच की है।
  • भू-राजनीतिक निहितार्थ:
    • क्षेत्रीय अस्थिरता: गाजा संघर्ष पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय अस्थिरता का एक प्रमुख स्रोत है। यह इज़राइल और उसके पड़ोसी देशों, विशेषकर मिस्र और जॉर्डन के साथ-साथ ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह जैसे गैर-राज्य अभिनेताओं के बीच तनाव बढ़ाता है।
    • संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), महासभा और विभिन्न मानवीय एजेंसियाँ गाजा संकट पर नियमित रूप से चर्चा करती हैं और सहायता प्रदान करती हैं। हालांकि, UNSC में स्थायी सदस्यों के बीच मतभेदों के कारण अक्सर प्रभावी कार्रवाई बाधित होती है।
    • भारत का रुख और नीति: भारत ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी कारण का समर्थन करता रहा है, लेकिन साथ ही इजरायल के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत किया है। भारत “टू-स्टेट सॉल्यूशन” का समर्थन करता है और दोनों पक्षों से संयम बरतने का आह्वान करता रहा है। यह एक नाजुक संतुलनकारी कार्य है।
    • अरब-इजरायल सामान्यीकरण: हाल के वर्षों में अब्राहम एकॉर्ड्स जैसे समझौतों के माध्यम से कुछ अरब देशों और इजरायल के बीच संबंध सामान्य हुए हैं। गाजा संघर्ष इन सामान्यीकरण प्रयासों को जटिल बनाता है और क्षेत्रीय एकता को बाधित करता है।
  • दो-राज्य समाधान (Two-State Solution):
    • अवधारणा: यह समाधान इजरायल के साथ-साथ एक स्वतंत्र, संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य के सह-अस्तित्व की परिकल्पना करता है, जिसमें गाजा पट्टी और पश्चिमी तट फिलिस्तीनी राज्य का हिस्सा होंगे और यरुशलम दोनों की राजधानी के रूप में साझा या विभाजित हो सकता है। इसे लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा संघर्ष का सबसे व्यवहार्य समाधान माना गया है।
    • चुनौतियाँ: इस समाधान के रास्ते में कई बाधाएँ हैं, जिनमें इजरायली बस्तियों का विस्तार, यरुशलम की स्थिति, शरणार्थियों की वापसी का अधिकार, इजरायल की सुरक्षा चिंताएँ, फिलिस्तीनी गुटों (हमास और फatah) के बीच विभाजन और दोनों पक्षों में विश्वास की कमी शामिल हैं। हालिया संघर्ष ने इस समाधान की संभावनाओं को और भी कमजोर कर दिया है।
    • विकल्प: कुछ विश्लेषक अन्य विकल्पों पर भी विचार करते हैं, जैसे ‘वन-स्टेट सॉल्यूशन’ (एकल, द्विपक्षीय राज्य जहाँ सभी को समान अधिकार हों) या क्षेत्रीय संघ। हालांकि, इन विकल्पों में भी अपनी अनूठी चुनौतियाँ हैं और इन्हें व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं है।

विभिन्न दृष्टिकोण और चुनौतियाँ

गाजा संकट को विभिन्न पक्षों द्वारा अलग-अलग नजरिए से देखा जाता है, जो इसे और भी जटिल बना देता है। इन दृष्टिकोणों को समझना इस संघर्ष के बहुआयामी स्वरूप को समझने के लिए महत्वपूर्ण है:

इज़रायली परिप्रेक्ष्य (Israeli Perspective)

इजरायल अपनी कार्रवाइयों को मुख्य रूप से अपनी सुरक्षा चिंताओं से जोड़ता है। उनका तर्क है कि हमास एक आतंकवादी संगठन है जो इजरायल के अस्तित्व को नकारता है और उसके नागरिकों पर लगातार रॉकेट हमले करता है। इजरायल के अनुसार:

  • गाजा पर नाकाबंदी हमास को हथियार और सैन्य क्षमताएँ प्राप्त करने से रोकने के लिए आवश्यक है।
  • सैन्य अभियान हमास के आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और अपने नागरिकों को रॉकेट हमलों से बचाने के लिए रक्षात्मक कार्रवाई हैं।
  • किसी भी फिलिस्तीनी राज्य को इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बनना चाहिए।
  • इजरायल की आत्मरक्षा का अधिकार अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत निहित है।

फिलिस्तीनी परिप्रेक्ष्य (Palestinian Perspective)

फिलिस्तीनी गाजा की स्थिति को इजरायली कब्जे और नाकाबंदी के परिणामस्वरूप एक मानवीय त्रासदी और अपने आत्मनिर्णय के अधिकार के उल्लंघन के रूप में देखते हैं। उनके अनुसार:

  • नाकाबंदी सामूहिक दंड है और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती है।
  • गाजा एक ‘खुली हवा की जेल’ है जहाँ लाखों लोग बिना किसी मौलिक अधिकार के सीमित संसाधनों के साथ जी रहे हैं।
  • हमास इजरायली कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध आंदोलन का हिस्सा है, भले ही उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हों।
  • फिलिस्तीनी लोगों को अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने और अपनी ज़मीन पर वापस लौटने का अधिकार है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया (International Community’s Response)

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय गाजा संकट को लेकर विभाजित है, हालांकि मानवीय सहायता प्रदान करने और शांति स्थापित करने की आवश्यकता पर व्यापक सहमति है।

  • संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र गाजा में मानवीय सहायता का सबसे बड़ा प्रदाता है और कई प्रस्तावों के माध्यम से संघर्ष विराम और मानवीय पहुंच की मांग करता रहा है। हालांकि, सुरक्षा परिषद में अक्सर वीटो का उपयोग प्रभावी कार्रवाई को रोकता है।
  • पश्चिमी देश: अमेरिका और यूरोपीय संघ के अधिकांश देश इजरायल की सुरक्षा का समर्थन करते हैं, लेकिन गाजा में मानवीय स्थिति पर भी चिंता व्यक्त करते हैं और दो-राज्य समाधान का समर्थन करते हैं।
  • अरब और मुस्लिम देश: अधिकांश अरब और मुस्लिम देश फिलिस्तीनी कारण का पुरजोर समर्थन करते हैं और इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा करते हैं, लेकिन राजनीतिक और सैन्य रूप से उनके पास सीमित विकल्प हैं।
  • भारत: भारत हमेशा से फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन करता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इजरायल के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। भारत दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने का आग्रह करता है।

चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward)

गाजा संकट का समाधान अत्यंत जटिल है, जिसमें कई अंतर्निहित चुनौतियाँ हैं। इन चुनौतियों को संबोधित किए बिना स्थायी शांति स्थापित करना असंभव है:

प्रमुख चुनौतियाँ

  • स्थायी शांति की कमी: इज़राइल और फिलिस्तीनी दोनों पक्षों के बीच स्थायी संघर्ष विराम और शांति समझौते का अभाव।
  • विश्वास का अभाव: दशकों के संघर्ष, हिंसा और वादों के उल्लंघन ने दोनों समुदायों के बीच गहरे अविश्वास को जन्म दिया है।
  • चरमपंथ का उदय: दोनों पक्षों में चरमपंथी तत्वों का उदय, जो किसी भी प्रकार के समझौते या मध्यस्थता को अस्वीकार करते हैं और हिंसा को बढ़ावा देते हैं।
  • फिलिस्तीनी गुटों में विभाजन: हमास (गाजा में) और फatah (पश्चिमी तट में) के बीच राजनीतिक विभाजन, जिससे एक एकीकृत फिलिस्तीनी वार्ताकार का अभाव है।
  • अंतर्राष्ट्रीय निष्क्रियता/विभाजन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों के बीच मतभेद, विशेष रूप से अमेरिका का इजरायल के लिए मजबूत समर्थन, अक्सर एक प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को बाधित करता है।
  • मानवीय संकट का समाधान: गाजा में मानवीय सहायता की गंभीर आवश्यकता, नाकाबंदी और पुनर्निर्माण की चुनौतियाँ।
  • आबादी का दबाव और संसाधन की कमी: गाजा में अत्यधिक जनसंख्या घनत्व, सीमित पानी, बिजली और अन्य बुनियादी संसाधनों की उपलब्धता।

आगे की राह: इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक, बहुआयामी और सतत दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल होना चाहिए:

  • तत्काल मानवीय सहायता और पहुंच: गाजा में निर्बाध और सुरक्षित मानवीय सहायता की अनुमति देना, जिसमें भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति और ईंधन शामिल हों। संघर्ष क्षेत्र में सभी मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • स्थायी संघर्ष विराम और डी-एस्केलेशन: सभी पक्षों द्वारा हिंसा को तुरंत समाप्त करना और एक दीर्घकालिक संघर्ष विराम समझौते पर पहुँचना। शत्रुता को बढ़ाने वाले कृत्यों से बचना।
  • नाकाबंदी की समीक्षा और आंशिक उठाव: गाजा पर नाकाबंदी की समीक्षा करना और उन प्रतिबंधों को कम करना जो आवश्यक मानवीय वस्तुओं और पुनर्निर्माण सामग्री की पहुंच को रोकते हैं, जबकि इजरायल की वैध सुरक्षा चिंताओं को भी संबोधित किया जाता है।
  • राजनीतिक समाधान की आवश्यकता: केवल सैन्य कार्रवाई से यह संघर्ष समाप्त नहीं हो सकता। एक व्यापक और समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया की आवश्यकता है जो फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार और इजरायल की सुरक्षा चिंताओं दोनों को संबोधित करे।
  • दो-राज्य समाधान का पुनरुद्धार: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दो-राज्य समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना चाहिए और इसे साकार करने के लिए एक विश्वसनीय रोडमैप तैयार करना चाहिए, जिसमें सीमाएँ, यरुशलम की स्थिति और शरणार्थियों का मुद्दा शामिल हो।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सक्रिय और एकजुट भूमिका: संयुक्त राष्ट्र, क्षेत्रीय शक्तियों और प्रमुख वैश्विक देशों को एक मजबूत और एकजुट कूटनीतिक प्रयास करना चाहिए ताकि दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाया जा सके और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
  • विश्वास बहाली के उपाय: दोनों समुदायों के बीच विश्वास बनाने के लिए जमीनी स्तर पर पहल, जिसमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संयुक्त आर्थिक परियोजनाएँ और लोगों से लोगों के बीच संपर्क शामिल हैं।
  • गाजा का पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास: संघर्ष के बाद गाजा के बुनियादी ढांचे, घरों और अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण। दीर्घकालिक आर्थिक विकास के अवसर प्रदान करना ताकि गाजा के लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिल सके।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और मानवाधिकारों के हनन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना, जिससे भविष्य में ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. गाजा पट्टी के भौगोलिक स्थिति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. गाजा पट्टी भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है।
    2. यह दक्षिण में मिस्र और उत्तर व पूर्व में जॉर्डन से घिरा है।
    3. यह दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I
    • (b) केवल I और II
    • (c) केवल I और III
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: कथन I सही है – गाजा पट्टी भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर है। कथन II गलत है – गाजा पट्टी दक्षिण में मिस्र और उत्तर व पूर्व में इजरायल से घिरी है, न कि जॉर्डन से। कथन III सही है – अपनी छोटी भूमि पर अत्यधिक जनसंख्या के कारण यह दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।

  2. ‘नकबा’ शब्द का संबंध किस ऐतिहासिक घटना से है?

    • (a) 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में इजरायल का गाजा पर कब्जा।
    • (b) 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान फिलिस्तीनियों का विस्थापन।
    • (c) ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर।
    • (d) हमास का गाजा में सत्ता में आना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘नकबा’ (अरबी में “विपदा” या “आपदा”) 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान और उसके बाद लाखों फिलिस्तीनियों के विस्थापन और उनकी भूमि व संपत्ति के नुकसान को संदर्भित करता है।

  3. इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना और बस्तियों को कब पूरी तरह से हटा लिया था?

    • (a) 1993
    • (b) 2000
    • (c) 2005
    • (d) 2007

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: इजरायल ने 2005 में गाजा पट्टी से अपनी सभी यहूदी बस्तियों और सैन्य उपस्थिति को हटा लिया था, जिसे “एकतरफा विस्थापन” के रूप में जाना जाता है।

  4. गाजा पट्टी पर नाकाबंदी किस वर्ष शुरू हुई और इसका मुख्य कारण क्या था?

    • (a) 2000, दूसरा इंतिफादा
    • (b) 2005, इजरायली विस्थापन
    • (c) 2007, हमास का सत्ता में आना
    • (d) 2014, ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: गाजा पर इजरायली और मिस्र की नाकाबंदी 2007 में शुरू हुई, जब हमास ने गाजा में चुनाव जीता और सैन्य बल के माध्यम से सत्ता पर कब्जा कर लिया। इसका मुख्य उद्देश्य हमास की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना था।

  5. इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के संदर्भ में, ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ की अवधारणा में क्या शामिल है?

    • (a) गाजा और पश्चिमी तट को इजरायल का हिस्सा बनाना।
    • (b) इजरायल के साथ-साथ एक संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य का सह-अस्तित्व।
    • (c) संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में गाजा को एक अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र घोषित करना।
    • (d) इजरायल और मिस्र के बीच गाजा का विभाजन।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ इजरायल के साथ-साथ एक स्वतंत्र, संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य के सह-अस्तित्व की परिकल्पना करता है, जो आमतौर पर 1967 की सीमाओं के आधार पर होता है, जिसमें गाजा पट्टी और पश्चिमी तट फिलिस्तीनी राज्य का हिस्सा होते हैं।

  6. निम्नलिखित में से कौन-सा अंतर्राष्ट्रीय कानून गाजा जैसे कब्जे वाले क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा का प्रावधान करता है?

    • (a) क्योटो प्रोटोकॉल
    • (b) जेनेवा कन्वेंशन
    • (c) वियना कन्वेंशन
    • (d) रोम स्टैच्यू ऑफ द इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: चौथा जेनेवा कन्वेंशन विशेष रूप से सशस्त्र संघर्षों के दौरान नागरिकों की सुरक्षा का प्रावधान करता है, जिसमें कब्जे वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी शामिल हैं। रोम स्टैच्यू ICC की स्थापना से संबंधित है, जबकि जेनेवा कन्वेंशन IHL का हिस्सा है।

  7. अब्राहम एकॉर्ड्स का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?

    • (a) फिलिस्तीनी अथॉरिटी और इजरायल के बीच शांति समझौता।
    • (b) इजरायल और कुछ अरब देशों के बीच संबंधों का सामान्यीकरण।
    • (c) गाजा पर नाकाबंदी हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव।
    • (d) इजरायल और मिस्र के बीच 1979 की शांति संधि।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: अब्राहम एकॉर्ड्स (2020) संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में इजरायल और कुछ अरब देशों (जैसे संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को) के बीच संबंधों के सामान्यीकरण के समझौतों को संदर्भित करते हैं।

  8. गाजा में सक्रिय इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन कौन-सा है, जिसने 2007 में वहां सत्ता संभाली?

    • (a) फatah
    • (b) हिजबुल्लाह
    • (c) हमास
    • (d) पीएलओ (PLO)

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: हमास (इस्लामिक रेसिस्टेंस मूवमेंट) ने 2006 के चुनाव जीते और 2007 में गाजा में फatah से नियंत्रण छीन लिया, जिसके बाद से वह वहां का वास्तविक शासक है।

  9. भारत का इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर ऐतिहासिक रुख क्या रहा है?

    1. भारत ऐतिहासिक रूप से इजरायल के अस्तित्व के अधिकार का समर्थन करता रहा है।
    2. भारत ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता रहा है।
    3. भारत ‘वन-स्टेट सॉल्यूशन’ का प्रबल समर्थक है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I
    • (b) केवल II
    • (c) I और II दोनों
    • (d) न तो I और न ही II

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: भारत ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी कारण और आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता रहा है। हाल के वर्षों में इजरायल के साथ संबंध मजबूत हुए हैं, लेकिन भारत अभी भी ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ का समर्थन करता है, न कि ‘वन-स्टेट सॉल्यूशन’ का। इजरायल के अस्तित्व को भारत ने डी-फैक्टो और बाद में डी-जूरे मान्यता दी है, लेकिन फिलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन की प्राथमिकता अधिक स्पष्ट रही है।

  10. गाजा में मानवीय संकट को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अपनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण तत्काल उपाय क्या हैं?

    1. गाजा की सीमाएँ पूरी तरह से खोल देना।
    2. तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता की अनुमति देना।
    3. हमास को सत्ता से हटाना।
    4. दीर्घकालिक संघर्ष विराम स्थापित करना।

    सही विकल्प चुनें:

    • (a) I और III
    • (b) II और IV
    • (c) I, II और IV
    • (d) I, II, III और IV

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: गाजा में तत्काल मानवीय संकट को कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय तत्काल मानवीय सहायता की अनुमति देना (पानी, भोजन, दवा) और दीर्घकालिक संघर्ष विराम स्थापित करना है ताकि राहत कार्य हो सके। सीमाएं पूरी तरह से खोलना या हमास को सत्ता से हटाना दीर्घकालिक राजनीतिक समाधानों का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन यह तत्काल मानवीय उपाय नहीं हैं और जटिल राजनीतिक आयाम रखते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. “गाजा पट्टी को अक्सर ‘खुली हवा की जेल’ के रूप में वर्णित किया जाता है।” इस कथन के आलोक में, गाजा में मानवीय संकट के मूल कारणों का विश्लेषण करें और इस त्रासदी को कम करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
  2. इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के संदर्भ में ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ की अवधारणा को विस्तार से समझाइए। इस समाधान को साकार करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं, और क्या यह अभी भी सबसे व्यवहार्य विकल्प है? चर्चा करें।
  3. गाजा में हमास के उदय और उसके शासन ने इस क्षेत्र के भू-राजनीतिक परिदृश्य और इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष की प्रकृति को कैसे प्रभावित किया है? भारत इस जटिल स्थिति में अपनी विदेश नीति को किस प्रकार संतुलित कर रहा है?
  4. गाजा संकट अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और युद्ध अपराधों से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक बहस को कैसे जन्म देता है? मानवीय सहायता तक पहुँच सुनिश्चित करने और संघर्ष के दौरान नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचा कितना प्रभावी रहा है? विस्तार से विश्लेषण करें।

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