क्या वोटर लिस्ट से नाम काटना इतना आसान है? तेजस्वी के दावे और पटना DM का जवाब
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने एक सनसनीखेज दावा किया कि उनका और उनकी पत्नी का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। यह बयान उनके द्वारा अपने वोट डालने के अधिकार को लेकर चिंता व्यक्त करने के तुरंत बाद आया, जिससे राजनीतिक हलकों और आम जनता के बीच यह सवाल उठा कि क्या वाकई मतदाता सूचियों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है या यह कोई चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है। पटना के जिला मजिस्ट्रेट (DM) द्वारा इस दावे को खारिज करने और मतदाता सूची में उनके नाम के अस्तित्व की पुष्टि करने के बाद यह मामला और भी चर्चा में आ गया। यह घटना न केवल एक राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा है, बल्कि यह भारत की मतदाता सूची की अखंडता, चुनावी पारदर्शिता और नागरिकों के मताधिकार के महत्व पर भी प्रकाश डालती है। UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटना भारतीय चुनावी प्रणाली, मतदाता पंजीकरण प्रक्रियाओं और सरकारी अधिकारियों की भूमिकाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है।
पृष्ठभूमि: मतदाता सूची का महत्व
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, और यहां चुनाव लोकतंत्र का आधार स्तंभ हैं। इन चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए मतदाता सूची (Voter List) एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह वह सूची है जो यह निर्धारित करती है कि कौन मतदान करने का पात्र है। चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) देश भर में मतदाता सूचियों को तैयार करने, संशोधित करने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। मतदाता सूची को नियमित रूप से अपडेट किया जाता है ताकि नए मतदाताओं को जोड़ा जा सके, मृत या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें, और किसी भी त्रुटि को सुधारा जा सके। मतदाता सूची की सटीकता और अद्यतनता सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित करती है।
तेजस्वी यादव का दावा और विवाद
तेजस्वी यादव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जब वे अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे, तो पता चला कि उनका और उनकी पत्नी का नाम मतदाता सूची से गायब है। उन्होंने इस घटना को “लोकतंत्र के लिए खतरा” बताते हुए चुनाव अधिकारियों पर सवाल उठाए। उनके इस दावे ने तुरंत ही राजनीतिक गरमाहट पैदा कर दी, खासकर विरोधी दलों के नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया। इस तरह के आरोप, खासकर एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती द्वारा, मतदाता पंजीकरण और निष्पक्ष चुनाव कराने की क्षमता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाते हैं।
“लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति उसका मतदाता है। यदि मतदाता सूची से नाम ही हटा दिए जाएंगे, तो यह कैसे सुनिश्चित होगा कि लोग अपने वोट का प्रयोग कर सकें? यह सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर हमला है।”
– तेजस्वी यादव (संभावित बयान का सार)
पटना DM का खंडन और स्पष्टीकरण
तेजस्वी यादव के दावे के जवाब में, पटना के जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate – DM) ने तुरंत एक स्पष्टीकरण जारी किया। DM ने दावा किया कि मतदाता सूची की गहन जांच की गई है और तेजस्वी यादव का नाम सूची में मौजूद है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में 416वें नंबर पर दर्ज है। DM ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची से नाम हटाने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, जिसमें कई स्तरों पर जांच और सत्यापन शामिल होता है। उनके अनुसार, इस तरह से किसी व्यक्ति का नाम बिना उचित प्रक्रिया के नहीं हटाया जा सकता। DM का बयान इस घटना के विवादास्पद पहलू को संबोधित करता है और चुनाव अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया का पालन करने के दावे को पुष्ट करता है।
मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया (Process of Deletion from Voter List):
यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत में मतदाता सूची से नाम हटाना कोई मनमानी प्रक्रिया नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित एक सख्त प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इसमें शामिल मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
- स्वैच्छिक विलोपन (Voluntary Deletion): यदि कोई मतदाता किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हो जाता है या अब मतदान करने का पात्र नहीं है, तो वह स्वयं मतदाता सूची से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन कर सकता है।
- मृत्यु की सूचना (Intimation of Death): यदि किसी मतदाता की मृत्यु हो जाती है, तो संबंधित अधिकारियों (जैसे रजिस्ट्रार ऑफ डेथ्स) को इसकी सूचना चुनाव आयोग को देनी होती है।
- स्थायी रूप से स्थानांतरित (Permanently Shifted): यदि कोई मतदाता स्थायी रूप से दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में स्थानांतरित हो जाता है, तो उसके नाम को हटा दिया जाता है।
- दोहरे पंजीकरण (Duplicate Registrations): यदि किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाया जाता है, तो एक स्थान से उसका नाम हटा दिया जाता है।
- पहचान योग्य अयोग्यता (Identifiable Disqualifications): यदि कोई व्यक्ति किसी कानून के तहत मतदान करने के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है, तो उसका नाम हटाया जा सकता है।
प्रत्येक मामले में, नाम हटाने से पहले संभावित मतदाता को नोटिस जारी किया जाता है और उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है (Hearing)। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि किसी भी पात्र मतदाता को गलत तरीके से सूची से बाहर न किया जाए।
घटना के संभावित कारण और विश्लेषण
तेजस्वी यादव के दावे और DM के खंडन के बीच के अंतर के कई संभावित कारण हो सकते हैं:
- तकनीकी त्रुटि (Technical Glitch): कभी-कभी, मतदाता सूची को डिजिटाइज करते समय या अपडेट करते समय तकनीकी त्रुटियां हो सकती हैं। हो सकता है कि किसी विशेष पोलिंग स्टेशन पर सूची का एक पुराना या अधूरा संस्करण प्रदर्शित हुआ हो।
- गलत पहचान (Misidentification): संभव है कि तेजस्वी यादव या उनके प्रतिनिधियों ने गलत पोलिंग स्टेशन या गलत मतदाता सूची की जांच की हो।
- प्रशासनिक चूक (Administrative Lapses): हालांकि DM ने प्रक्रिया का पालन करने का दावा किया है, यह भी संभव है कि डेटा एंट्री या सूची अद्यतन के दौरान कोई प्रशासनिक चूक हुई हो, जिसे बाद में सुधारा गया हो।
- राजनीतिक बयानबाजी (Political Rhetoric): यह भी एक संभावना है कि यह बयान राजनीतिक लाभ उठाने या चुनावी माहौल को प्रभावित करने के उद्देश्य से दिया गया हो, खासकर यदि दावे की सत्यता का तुरंत खंडन हो गया।
DM द्वारा 416 नंबर पर नाम की पुष्टि करना इस ओर इशारा करता है कि सूची में उनका नाम मौजूद है, लेकिन यह सवाल बना रहता है कि प्रारंभिक विसंगति क्यों हुई।
UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से प्रासंगिकता
यह घटना UPSC परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती है:
- भारतीय चुनावी प्रणाली: चुनाव आयोग की भूमिका, मतदाता पंजीकरण, और चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदम।
- नागरिकों के अधिकार: मताधिकार एक मौलिक अधिकार है (हालांकि कानूनी रूप से एक अधिकार, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत यह एक सांविधिक अधिकार है) और इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार की है।
- प्रशासनिक जवाबदेही: जिला मजिस्ट्रेट जैसे अधिकारियों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां, खासकर चुनावी प्रक्रिया के प्रबंधन में।
- चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता: मतदाता सूची की सटीकता इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- सूचना का अधिकार (RTI): इस तरह के विवादों में, RTI जैसे तंत्र नागरिकों को जानकारी प्राप्त करने और सरकारी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाने का अधिकार देते हैं।
शासन (Governance) के नजरिए से:
यह घटना दर्शाती है कि कैसे जमीनी स्तर पर प्रशासनिक कार्यप्रणाली की सटीकता और संवेदनशीलता राजनीतिक विश्वास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। जब एक प्रमुख व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से गायब होने का दावा किया जाता है, तो यह आम जनता के मन में भी संदेह पैदा कर सकता है। इसलिए, चुनाव अधिकारियों को न केवल प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए, बल्कि उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि मतदाताओं के साथ संवाद स्पष्ट और प्रभावी हो, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या आरोप की गुंजाइश न रहे।
चुनौतियां और भविष्य की राह
भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में मतदाता सूचियों को अद्यतन रखना एक सतत चुनौती है। इसमें शामिल हैं:
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन: बड़े पैमाने पर प्रवासन, मृत्यु दर और जन्म दर के कारण सूची को लगातार अपडेट करना पड़ता है।
- डिजिटल विभाजन: दूरदराज के इलाकों में अभी भी प्रौद्योगिकी की पहुंच सीमित है, जिससे डिजिटल डेटाबेस को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
- जागरूकता की कमी: कई नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकरण करने या अपने नाम की जांच करने के महत्व को नहीं समझते हैं।
- डेटा का सत्यापन: विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी (जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र) को मतदाता सूची के साथ सटीक रूप से सत्यापित करना।
भविष्य में, चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों की सटीकता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नई तकनीकों (जैसे बायोमेट्रिक्स, आधार लिंकिंग – हालांकि यह अभी भी बहस का विषय है) और बेहतर डेटा प्रबंधन प्रणालियों को अपनाना जारी रखना चाहिए। साथ ही, नागरिक जागरूकता कार्यक्रमों को भी मजबूत करना होगा ताकि हर पात्र व्यक्ति का नाम सूची में हो और वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके।
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव के वोटर लिस्ट विवाद ने भले ही एक राजनीतिक मोड़ लिया हो, लेकिन इसने हमें भारतीय चुनावी प्रक्रिया की नाजुकता और महत्व की याद दिलाई है। मतदाता सूची केवल एक सूची नहीं है, बल्कि यह लाखों नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रतीक है। चुनाव अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे इसे त्रुटिहीन और अद्यतन रखें, और किसी भी आरोप पर तत्काल और पारदर्शी प्रतिक्रिया दें। इसी तरह, नागरिकों का भी यह दायित्व है कि वे अपनी मतदाता पहचान की जांच करें और सुनिश्चित करें कि उनका नाम सूची में शामिल है। इस तरह के मामले हमें याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र की मजबूती प्रत्येक नागरिक की भागीदारी और चुनावी प्रक्रिया में विश्वास पर निर्भर करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का प्रावधान है?
a) अनुच्छेद 325
b) अनुच्छेद 326
c) अनुच्छेद 320
d) अनुच्छेद 324
उत्तर: b) अनुच्छेद 326
व्याख्या: अनुच्छेद 326 भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जो लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन, वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा, अर्थात प्रत्येक नागरिक जो एक वर्ष या उसके पश्चात्, बीस वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है (अब 18 वर्ष) और जो इस संविधान के उपबंधों द्वारा किसी कारण से इस हेतु अन्यथा अपात्र घोषित नहीं कर दिया गया है, ऐसे निर्वाचन में मतदाता होगा।
2. चुनाव आयोग (ECI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह एक स्थायी संवैधानिक निकाय है।
2. इसका कार्य मतदाता सूची तैयार करना, चुनावों का संचालन करना और उम्मीदवारों का मार्गदर्शन करना है।
3. मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
4. मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) केवल 1 और 3
b) केवल 2, 3 और 4
c) केवल 1, 2 और 3
d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: d) 1, 2, 3 और 4
व्याख्या: चुनाव आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। यह मतदाता सूची तैयार करने, चुनावों का संचालन करने, आचार संहिता लागू करने और उम्मीदवारों के लिए दिशानिर्देश जारी करने जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त को उसी प्रक्रिया से हटाया जाता है जिससे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव शामिल है, जिसे महाभियोग कहा जाता है।
3. मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. नाम हटाने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसमें नोटिस जारी करना और सुनवाई का अवसर देना शामिल है।
2. मृत्यु या स्थायी स्थानांतरण होने पर सीधे नाम हटा दिया जाता है।
3. यह प्रक्रिया केवल राजनीतिक दलों के अनुरोध पर ही की जा सकती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही नहीं है/हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2 और 3
c) केवल 3
d) केवल 1 और 2
उत्तर: c) केवल 3
व्याख्या: मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है (कथन 1 सही है)। मृत्यु, स्थायी स्थानांतरण, या दोहरे पंजीकरण जैसे कारणों से नाम हटाए जा सकते हैं (कथन 2 सही है, लेकिन “सीधे” शब्द थोड़ा अतिसरलीकृत है क्योंकि प्रक्रिया का पालन होता है)। यह प्रक्रिया केवल राजनीतिक दलों के अनुरोध पर नहीं, बल्कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर या स्वैच्छिक विलोपन के लिए आवेदनों पर भी की जा सकती है (कथन 3 गलत है)।
4. “निर्वाचन क्षेत्र” (Electoral Roll/Constituency) शब्द का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?
a) चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों की सूची
b) किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र के लिए पात्र मतदाताओं की सूची
c) मतदान केंद्रों की कुल संख्या
d) चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र
उत्तर: b) किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र के लिए पात्र मतदाताओं की सूची
व्याख्या: निर्वाचन क्षेत्र (Electoral Roll) उस विशेष भौगोलिक क्षेत्र के सभी पात्र मतदाताओं की एक सूची होती है, जिन्हें उस क्षेत्र में मतदान करने का अधिकार प्राप्त है।
5. यदि कोई व्यक्ति भारत में नागरिकता छोड़ देता है या उसे प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाता है, तो वह मतदान करने के लिए पात्र नहीं रह जाता है। यह किस पर आधारित है?
a) नागरिकता अधिनियम, 1955
b) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951
c) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: b) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951
व्याख्या: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, नागरिकता और मतदाता पंजीकरण के बीच संबंध को परिभाषित करता है। यदि कोई व्यक्ति नागरिकता खो देता है, तो वह स्वतः ही मतदान करने के अयोग्य हो जाता है।
6. भारत में मतदाता पंजीकरण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकता है।
2. पंजीकरण के लिए निवास स्थान का प्रमाण आवश्यक है।
3. मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया साल भर चलती रहती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) केवल 1
b) केवल 1 और 2
c) केवल 2 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: b) केवल 1 और 2
व्याख्या: 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाला कोई भी भारतीय नागरिक पंजीकरण करा सकता है (कथन 1 सही है)। सामान्यतः मतदाता सूची में नाम जोड़ने या सुधार के लिए एक निर्धारित तिथि या अवधि होती है, जिसे ‘विशेष संक्षिप्त संशोधन’ कहा जाता है, हालांकि वर्ष भर के दौरान कुछ सुधार की प्रक्रियाएं भी हो सकती हैं (कथन 3 पूरी तरह सटीक नहीं है, क्योंकि बड़े पैमाने पर सुधार एक निश्चित अवधि में होता है)। निवास स्थान का प्रमाण (जैसे आधार, बिजली बिल, आदि) अक्सर आवश्यक होता है (कथन 2 सही है)।
7. ‘मतदाता सूची की अखंडता’ (Integrity of Voter List) से आप क्या समझते हैं?
a) सूची में केवल राजनीतिक दलों के सदस्यों के नाम शामिल हों।
b) सूची सटीक, अद्यतन और पक्षपात रहित हो, जिसमें सभी पात्र मतदाताओं के नाम हों और कोई अवैध नाम न हो।
c) सूची में केवल उन मतदाताओं के नाम हों जिन्होंने पिछली बार वोट डाला था।
d) सूची को केवल चुनाव के समय ही सार्वजनिक किया जाए।
उत्तर: b) सूची सटीक, अद्यतन और पक्षपात रहित हो, जिसमें सभी पात्र मतदाताओं के नाम हों और कोई अवैध नाम न हो।
व्याख्या: मतदाता सूची की अखंडता का अर्थ है कि सूची विश्वसनीय, सटीक और अद्यतित हो, और इसमें कोई भी ऐसे नाम शामिल न हों जो पात्र नहीं हैं, और न ही कोई पात्र मतदाता का नाम अनजाने में या जानबूझकर हटाया गया हो।
8. तेजस्वी यादव के दावे के संदर्भ में, पटना DM का यह कहना कि ‘सूची में 416 नंबर पर नाम है’, किस बिंदु पर जोर देता है?
a) तेजस्वी यादव को वोट डालने की अनुमति नहीं दी गई।
b) मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम मौजूद है।
c) DM ने तेजस्वी यादव के दावे को स्वीकार कर लिया।
d) सूची में विसंगतियां हैं।
उत्तर: b) मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम मौजूद है।
व्याख्या: DM का यह कथन सीधे तौर पर तेजस्वी यादव के उस दावे का खंडन करता है कि उनका नाम सूची से हटा दिया गया था, और यह पुष्टि करता है कि उनका नाम सूची में है, विशेष रूप से 416वें क्रमांक पर।
9. भारतीय लोकतंत्रीय प्रक्रिया में मतदाता की भूमिका को सशक्त बनाने के लिए निम्नलिखित में से क्या महत्वपूर्ण है?
a) मतदाता सूची को अद्यतन और सुलभ रखना
b) मतदाताओं को उनके मताधिकार के महत्व के बारे में शिक्षित करना
c) मतदान की प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बनाना
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ये सभी उपाय मतदाता की भूमिका को सशक्त बनाने और एक मजबूत लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
10. यदि किसी नागरिक का नाम मतदाता सूची से गलती से या किसी प्रशासनिक चूक के कारण हटा दिया जाता है, तो वह किस सरकारी तंत्र का सहारा ले सकता है?
a) केवल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करना
b) चुनाव आयोग से शिकायत करना और यदि आवश्यक हो तो कानूनी सहारा लेना
c) सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क करना
d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b) चुनाव आयोग से शिकायत करना और यदि आवश्यक हो तो कानूनी सहारा लेना
व्याख्या: नागरिक सबसे पहले चुनाव अधिकारियों (ब्लॉक लेवल ऑफिसर, इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) से संपर्क कर सकते हैं। यदि समस्या का समाधान नहीं होता है, तो वे चुनाव आयोग (ECI) में शिकायत कर सकते हैं। अंतिम उपाय के रूप में, वे उपयुक्त उच्च न्यायालय में भी जा सकते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. भारत में मतदाता सूचियों की सटीकता और अद्यतनता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया की व्याख्या करें। इसमें आने वाली चुनौतियों और इन चुनौतियों को दूर करने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर भी चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)
2. “लोकतंत्र में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करना केवल चुनाव कराने से कहीं अधिक है; इसके लिए एक मजबूत और पारदर्शी मतदाता पंजीकरण प्रणाली की आवश्यकता होती है।” इस कथन के आलोक में, भारत में मतदाता सूची की वर्तमान स्थिति और इसमें सुधार के उपायों का विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
3. तेजस्वी यादव के वोटर लिस्ट विवाद के संदर्भ में, एक जिला मजिस्ट्रेट (DM) या जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) की मतदाता सूची के प्रबंधन और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा में भूमिका का वर्णन करें। चुनाव प्रक्रिया में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी महत्वपूर्ण है? (लगभग 250 शब्द)
4. भारत में ‘मतदान का अधिकार’ (Right to Vote) और ‘मतदान के अधिकार का प्रयोग’ (Exercise of Right to Vote) के बीच क्या अंतर है? मतदाता सूची से नाम हटाने जैसी परिस्थितियाँ इन दोनों के बीच संबंध को कैसे प्रभावित करती हैं? (लगभग 150 शब्द)