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क्या भारत में वोटर लिस्ट सुरक्षित है? जानिए पूरा मामला और इसके निहितार्थ!

क्या भारत में वोटर लिस्ट सुरक्षित है? जानिए पूरा मामला और इसके निहितार्थ!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ी का आरोप लगाए जाने के बाद देश की चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस आरोप को “हदें पार” करने वाला बताया है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव आयोग (EC) को “सरकार का नुमाइंदा” करार दिया है। यह घटनाक्रम न केवल राजनीतिक गलियारों में गरमागरम बहस का विषय बना है, बल्कि आम नागरिकों और विशेष रूप से UPSC उम्मीदवारों के लिए भी चुनावी सुधारों, चुनाव आयोग की भूमिका और लोकतंत्र के स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चिंतन का अवसर प्रदान करता है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस पूरे विवाद को गहराई से समझने, वोटर लिस्ट से जुड़े विभिन्न पहलुओं को उजागर करने और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व को रेखांकित करने का प्रयास करेगा। हम जानेंगे कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप क्यों लगाए जाते हैं, इनके पीछे की संभावित प्रक्रियाएं क्या हो सकती हैं, और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं की क्या भूमिका होती है। साथ ही, हम भारत में चुनावी सुधारों की आवश्यकता और भविष्य की राह पर भी प्रकाश डालेंगे।

वोटर लिस्ट: लोकतंत्र का आधार स्तंभ

वोटर लिस्ट, जिसे निर्वाचक नामावली भी कहा जाता है, किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव की रीढ़ होती है। यह एक ऐसी सूची है जिसमें किसी निर्वाचन क्षेत्र के सभी पात्र मतदाताओं के नाम, पते और अन्य प्रासंगिक विवरण सूचीबद्ध होते हैं। इसी सूची के आधार पर चुनाव अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि कौन मतदान करने के योग्य है और कौन नहीं। एक निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव तभी संभव है जब वोटर लिस्ट त्रुटिहीन, अद्यतन (up-to-date) और सभी के लिए सुलभ हो।

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

  • योग्यता का निर्धारण: यह सुनिश्चित करता है कि केवल पात्र नागरिक ही मतदान कर सकें।
  • धोखाधड़ी की रोकथाम: डुप्लिकेट या मृत मतदाताओं के नामों को हटाकर चुनावी धोखाधड़ी को रोकने में मदद करती है।
  • प्रतिनिधित्व: यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक पात्र नागरिक को वोट देने का अवसर मिले, जिससे ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ का सिद्धांत लागू हो।
  • चुनाव प्रबंधन: मतदान केंद्रों की योजना बनाने, मतदान कर्मियों की नियुक्ति और चुनावी सामग्री के वितरण के लिए आधार प्रदान करती है।

राहुल गांधी का आरोप: मामला क्या है?

रिपोर्टों के अनुसार, राहुल गांधी ने हाल ही में यह आरोप लगाया है कि कुछ स्थानों पर वोटर लिस्ट में हेरफेर किया गया है। उन्होंने विशेष रूप से कुछ ऐसी जगहों का उल्लेख किया है जहाँ कथित तौर पर ऐसे नामों को शामिल किया गया है जो वहां के निवासी नहीं हैं, या फिर वास्तविक मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया गया है। इन आरोपों के माध्यम से, कांग्रेस पार्टी ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है।

कथित गड़बड़ी के प्रकार:

  • डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ: एक ही व्यक्ति के नाम का कई बार सूची में होना।
  • मृत मतदाताओं के नाम: उन व्यक्तियों के नाम जो अब जीवित नहीं हैं, लेकिन सूची में बने हुए हैं।
  • अप्रासंगिक पते: ऐसे व्यक्तियों के नाम जो उस विशेष निर्वाचन क्षेत्र के स्थायी निवासी नहीं हैं।
  • पात्र मतदाताओं का निष्कासन: योग्य मतदाताओं को अनुचित कारणों से सूची से हटा दिया जाना।

सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया: “सारी हदें पार”

भाजपा ने राहुल गांधी के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे उनकी हताशा या राजनीतिक दुष्प्रचार का परिणाम बताया है। भाजपा नेताओं का तर्क है कि वोटर लिस्ट बनाने और उसे अद्यतन करने की एक स्थापित प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर जांच और सार्वजनिक आपत्ति की व्यवस्था होती है। वे कांग्रेस पर चुनावी हार के डर से संस्थाओं पर सवाल उठाने का आरोप लगा रहे हैं।

भाजपा के तर्क:

  • स्थापित प्रक्रिया: वोटर लिस्ट का संशोधन नियमित रूप से निर्धारित मापदंडों के अनुसार होता है।
  • राजनीतिक मंशा: यह आरोप चुनावी हार को स्वीकार न कर पाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • चुनाव आयोग की स्वायत्तता: चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, और उसके कार्य पर संदेह करना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।

कांग्रेस का पलटवार: “EC सरकार का नुमाइंदा”

कांग्रेस पार्टी, विशेष रूप से मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेताओं ने, न केवल आरोपों का समर्थन किया है, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, चुनाव आयोग को पूरी तरह से निष्पक्ष रहना चाहिए, लेकिन हाल के वर्षों में ऐसा नहीं हुआ है। खड़गे ने चुनाव आयोग को “सरकार का नुमाइंदा” कहकर यह संकेत दिया है कि आयोग पर सत्ताधारी दल का प्रभाव हो सकता है, जिससे उसकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

कांग्रेस की चिंताएं:

  • निष्पक्षता का अभाव: चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह।
  • सरकारी प्रभाव: आयोग पर सरकार के हस्तक्षेप का आरोप।
  • पारदर्शिता की मांग: वोटर लिस्ट की अद्यतन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता।

वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप: वास्तविक चुनौतियाँ और प्रक्रिया

यह समझना महत्वपूर्ण है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप कितने जायज हो सकते हैं और इस प्रक्रिया में क्या चुनौतियाँ आती हैं। भारत में वोटर लिस्ट को मुख्य रूप से ‘निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960’ के तहत तैयार और संशोधित किया जाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें वर्ष में कई बार विशेष अभियान चलाकर सूची को अद्यतन किया जाता है।

“लोकतंत्र में, चुनाव प्रक्रिया की अखंडता सर्वोपरि है। वोटर लिस्ट इसकी नींव है, और इसमें किसी भी प्रकार की सेंधमारी हमारे गणराज्य के विश्वास पर हमला है।”

वोटर लिस्ट को अद्यतन करने की प्रक्रिया:

  1. दावा और आपत्तियां: मतदाता या कोई भी नागरिक किसी भी दावे (नए नाम जोड़ने) या आपत्ति (नाम हटाने) को दर्ज करा सकता है।
  2. क्षेत्र भ्रमण: बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करते हैं।
  3. जांच समितियाँ: प्राप्त दावों और आपत्तियों की जांच की जाती है।
  4. सार्वजनिक प्रकाशन: संशोधित सूची का मसौदा (draft) सार्वजनिक किया जाता है, ताकि लोग अंतिम प्रकाशन से पहले पुनः आपत्तियां दर्ज करा सकें।
  5. अंतिम प्रकाशन: सभी आपत्तियों और दावों के निपटान के बाद सूची को अंतिम रूप से प्रकाशित किया जाता है।

चुनौतियाँ:

  • मानव त्रुटि: बूथ स्तर के अधिकारियों से अनजाने में त्रुटियां हो सकती हैं।
  • जानबूझकर हेरफेर: राजनीतिक दलों या असामाजिक तत्वों द्वारा वोटर लिस्ट में हेरफेर का प्रयास किया जा सकता है।
  • जन जागरूकता की कमी: कई बार आम नागरिक सक्रिय रूप से सूची की जांच या सुधार में भाग नहीं लेते।
  • तकनीकी सीमाएं: हालाँकि डिजिटलीकरण बढ़ा है, फिर भी भौतिक सत्यापन की आवश्यकता बनी रहती है, जिसमें समय और संसाधन लगते हैं।
  • राजनीतिकरण: जब कोई आरोप लगता है, तो यह अक्सर राजनीतिक रंग ले लेता है, जिससे निष्पक्ष जांच बाधित हो सकती है।

चुनाव आयोग की भूमिका और स्वायत्तता

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित, चुनाव आयोग (EC) भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार शीर्ष निकाय है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्त शामिल होते हैं। आयोग के पास मतदाता सूची तैयार करने, चुनाव कराने और चुनाव कानूनों को लागू करने की शक्तियाँ हैं।

चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य:

  • मतदाता सूचियों की तैयारी: वोटर लिस्ट को तैयार करना, संशोधित करना और अद्यतन करना।
  • चुनाव अधिसूचना जारी करना: चुनाव की तारीखों की घोषणा करना।
  • चुनाव चिह्न आवंटित करना: मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न देना।
  • चुनाव प्रचार नियमों का प्रवर्तन: आदर्श आचार संहिता (MCC) को लागू करना।
  • चुनावों का संचालन: मतदान, मतगणना और परिणामों की घोषणा कराना।
  • विवादों का निपटारा: चुनावी कदाचार या धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की जांच करना।

स्वायत्तता का महत्व:

चुनाव आयोग की स्वायत्तता भारत के लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। यह सुनिश्चित करती है कि चुनाव किसी भी बाहरी दबाव, चाहे वह राजनीतिक हो या प्रशासनिक, से मुक्त होकर आयोजित किए जा सकें। हालांकि, जब सत्ताधारी दल या विपक्षी दल जैसे प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ियों द्वारा आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाते हैं, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। “EC सरकार का नुमाइंदा” जैसे आरोप आयोग की विश्वसनीयता को कम कर सकते हैं, जो अंततः चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को प्रभावित करता है।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह राजनीतिक विवाद UPSC परीक्षा के लिए अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि यह कई महत्वपूर्ण जीएस (GS) पेपरों से जुड़ा है:

  • GS-I: भारतीय समाज (जनसांख्यिकी, चुनावी प्रक्रिया में नागरिक भागीदारी)।
  • GS-II: शासन (चुनाव आयोग की भूमिका, संवैधानिक निकाय, चुनावी सुधार, सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप)।
  • GS-II: भारतीय राजव्यवस्था (संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता, लोकतंत्र के सिद्धांत)।
  • GS-IV: नैतिकता (सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, सार्वजनिक जीवन में नैतिकता)।

उम्मीदवारों के लिए मुख्य बिंदु:

  • चुनाव आयोग की शक्तियाँ और सीमाएँ: अनुच्छेद 324 को समझें।
  • निर्वाचक नामावली निर्माण की प्रक्रिया: यह कैसे काम करती है और इसमें क्या सुधार संभव हैं।
  • चुनावी सुधार: वोटर लिस्ट में सुधार, डेटाबेस का डिजिटलीकरण, EVM की सुरक्षा, वीवीपीएटी (VVPAT) आदि।
  • राजनीतिक दल और चुनावी प्रक्रिया: उनके आरोप-प्रत्यारोप का चुनाव की विश्वसनीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है।
  • संस्थाओं पर विश्वास: जब प्रमुख राजनीतिक दल स्वतंत्र निकायों पर सवाल उठाते हैं तो क्या होता है।

आगे की राह: सुधार और विश्वास बहाली

वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ी के आरोप और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठ रहे सवाल, भारतीय चुनावी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। विश्वास बहाली के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. डिजिटलीकरण और डेटा सुरक्षा: वोटर डेटाबेस को पूरी तरह से डिजिटल और सुरक्षित बनाना, ताकि हेरफेर की संभावना कम हो। बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग भी एक विकल्प हो सकता है।
  2. पारदर्शिता में वृद्धि: वोटर लिस्ट की अद्यतन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाना। आम नागरिकों के लिए ऑनलाइन माध्यमों से सूची की जांच और सुधार की प्रक्रिया को सुगम बनाना।
  3. बूथ स्तर के अधिकारियों (BLO) का प्रशिक्षण: BLO को नियमित और गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देना ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से समझ सकें और मानव त्रुटि को कम कर सकें।
  4. चुनाव आयोग की स्वायत्तता को मजबूत करना: आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में अधिक सर्वसम्मति (consensus) सुनिश्चित करना और उसके वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता को बढ़ाना।
  5. नागरिक सहभागिता को बढ़ावा: नागरिकों को सक्रिय रूप से वोटर लिस्ट की शुद्धता बनाए रखने में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
  6. राजनीतिक दलों के बीच संवाद: चुनावी प्रक्रियाओं और सुधारों पर राजनीतिक दलों के बीच रचनात्मक संवाद को बढ़ावा देना।

यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर ऐसे सार्वजनिक आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पूरी तरह जांच करें। वहीं, चुनाव आयोग को भी ऐसी चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए और अपनी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता व पारदर्शिता को लगातार सुनिश्चित करना चाहिए।

निष्कर्ष

राहुल गांधी द्वारा वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप और उसके बाद हुई राजनीतिक प्रतिक्रिया, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह हमें याद दिलाता है कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता (purity) और निष्पक्षता बनाए रखना कितना आवश्यक है। वोटर लिस्ट, मतदाता पंजीकरण और चुनाव आयोग की भूमिका जैसे मुद्दे सीधे तौर पर ‘सुशासन’ और ‘लोकतंत्र’ के सिद्धांतों से जुड़े हैं, जो UPSC परीक्षा के लिए केंद्रीय विषय हैं।

यह आवश्यक है कि हम सभी – नागरिक, राजनीतिक दल और चुनाव आयोग – मिलकर काम करें ताकि भारत की चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास अटूट बना रहे। किसी भी आरोप का समाधान संवाद, पारदर्शिता और स्थापित प्रक्रियाओं के माध्यम से ही किया जाना चाहिए, न कि संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाकर। एक मजबूत और निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए, चुनाव प्रक्रिया की हर कड़ी का मजबूत होना अनिवार्य है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारत के चुनाव आयोग की स्थापना से संबंधित है?

    a) अनुच्छेद 315

    b) अनुच्छेद 324

    c) अनुच्छेद 330

    d) अनुच्छेद 342

    उत्तर: b) अनुच्छेद 324

    व्याख्या: अनुच्छेद 324 (1) में प्रावधान है कि भारत में, जिसमें संसद, राज्य विधानमंडलों, राष्ट्रपति पद और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव, अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति एक ‘चुनाव आयोग’ में निहित होगी।
  2. प्रश्न 2: वोटर लिस्ट (निर्वाचक नामावली) को अद्यतन करने की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह प्रक्रिया सतत चलती रहती है और इसमें विशेष अभियान भी चलाए जाते हैं।
    2. बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करते हैं।
    3. किसी भी नागरिक को सूची से नाम हटाने या जोड़ने के लिए आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार है।

    उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

    a) केवल A

    b) A, B और C

    c) केवल C

    d) A और B

    उत्तर: b) A, B और C

    व्याख्या: उपरोक्त सभी कथन वोटर लिस्ट अद्यतन प्रक्रिया के संदर्भ में सत्य हैं।

  3. प्रश्न 3: भारत में चुनाव आयोग की निम्नलिखित में से क्या भूमिका है?
    1. चुनाव की तारीखों की घोषणा करना।
    2. राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न आवंटित करना।
    3. चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर दलों के खिलाफ कार्रवाई करना।

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:

    a) केवल A

    b) A, B और C

    c) केवल B और C

    d) केवल A और C

    उत्तर: b) A, B और C

    व्याख्या: चुनाव आयोग के ये सभी महत्वपूर्ण कार्य हैं।

  4. प्रश्न 4: ‘निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960’ किससे संबंधित है?

    a) चुनाव प्रचार के नियम

    b) मतदान की प्रक्रिया

    c) वोटर लिस्ट तैयार करने और संशोधन की प्रक्रिया

    d) चुनाव घोषणा पत्र

    उत्तर: c) वोटर लिस्ट तैयार करने और संशोधन की प्रक्रिया

    व्याख्या: यह नियम वोटर लिस्ट बनाने और उसमें सुधार करने के कानूनी ढांचे को परिभाषित करता है।
  5. प्रश्न 5: किस राजनीतिक दल ने हाल ही में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया है, जिसके कारण यह चर्चा में आया?

    a) भारतीय जनता पार्टी (BJP)

    b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)

    c) आम आदमी पार्टी (AAP)

    d) बहुजन समाज पार्टी (BSP)

    उत्तर: b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)

    व्याख्या: समाचार के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया है।
  6. प्रश्न 6: चुनाव आयोग की नियुक्ति की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
    2. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
    3. नियुक्ति में प्रधानमंत्री की सलाह का महत्व होता है।

    उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

    a) केवल A

    b) A, B और C

    c) केवल B और C

    d) A और C

    उत्तर: b) A, B और C

    व्याख्या: संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री की सलाह ली जाती है। (वर्तमान में, नियुक्ति समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं, जिसमें पीएम, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं)।

  7. प्रश्न 7: यदि किसी वोटर लिस्ट में एक ही व्यक्ति का नाम दो या दो से अधिक स्थानों पर सूचीबद्ध है, तो इसे क्या कहा जाता है?

    a) डुप्लिकेट प्रविष्टि (Duplicate Entry)

    b) मृत मतदाता (Deceased Voter)

    c) अप्रासंगिक निवासी (Irrelevant Resident)

    d) अप्रमाणित मतदाता (Unverified Voter)

    उत्तर: a) डुप्लिकेट प्रविष्टि (Duplicate Entry)

    व्याख्या: यह वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का एक सामान्य रूप है जो चुनावी अखंडता को प्रभावित कर सकता है।
  8. प्रश्न 8: किस संवैधानिक प्रावधान के तहत चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट तैयार करने और संशोधित करने की शक्ति प्राप्त है?

    a) अनुच्छेद 19

    b) अनुच्छेद 324

    c) अनुच्छेद 243K

    d) अनुच्छेद 326

    उत्तर: b) अनुच्छेद 324

    व्याख्या: अनुच्छेद 324 (1) चुनाव आयोग को मतदाताओं की सूचियों को तैयार करने और अद्यतन करने सहित चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है।
  9. प्रश्न 9: किस कारण से एक आदर्श वोटर लिस्ट महत्वपूर्ण है?
    1. यह सुनिश्चित करती है कि केवल पात्र नागरिक ही मतदान करें।
    2. यह चुनावी धोखाधड़ी को रोकने में मदद करती है।
    3. यह हर पात्र व्यक्ति को वोट देने का अवसर सुनिश्चित करती है।

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:

    a) केवल A

    b) A, B और C

    c) केवल B और C

    d) केवल A और C

    उत्तर: b) A, B और C

    व्याख्या: एक अद्यतन और निष्पक्ष वोटर लिस्ट लोकतंत्र की नींव है और ये सभी कारण इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं।

  10. प्रश्न 10: हाल के विवाद में, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने चुनाव आयोग को “सरकार का नुमाइंदा” कहकर उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाया। यह नेता कौन थे?

    a) सोनिया गांधी

    b) राहुल गांधी

    c) मल्लिकार्जुन खड़गे

    d) पी. चिदंबरम

    उत्तर: c) मल्लिकार्जुन खड़गे

    व्याख्या: समाचार रिपोर्टों के अनुसार, मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह टिप्पणी की थी।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: भारत में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता सुनिश्चित करने में मतदाता सूचियों (वोटर लिस्ट) की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। वोटर लिस्ट में पाई जाने वाली संभावित विसंगतियों और उन्हें दूर करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं पर विस्तार से चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: हालिया राजनीतिक विवादों के संदर्भ में, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की स्वायत्तता और निष्पक्षता की अवधारणा पर प्रकाश डालें। चुनाव आयोग की शक्तियों, सीमाओं और उसकी निष्पक्षता पर संदेह उठने के संभावित कारणों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न 3: “भारत में चुनावी सुधारों का एजेंडा लगातार चर्चा में रहा है, जिसमें मतदाता सूची के प्रबंधन से लेकर मतदान की प्रक्रिया तक शामिल है।” इस कथन के आलोक में, भारतीय चुनावी प्रणाली में सुधार के लिए प्रमुख सुझावों पर चर्चा करें, विशेष रूप से मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पहुंच बढ़ाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए। (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न 4: “लोकतंत्र में संस्थाओं में जनता का विश्वास सर्वोपरि है।” इस कथन के संदर्भ में, राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठाने के परिणामों का विश्लेषण करें। सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? (250 शब्द, 15 अंक)

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