क्या भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया? ट्रम्प की प्रतिक्रिया और वैश्विक ऊर्जा कूटनीति का सच
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, कुछ रिपोर्टों ने संकेत दिया कि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर सकता है। इन रिपोर्टों पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक “अच्छा कदम” बताया। यह बयान, अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह मुद्दा न केवल वर्तमान घटनाओं को समझने के लिए, बल्कि भारत की विदेश नीति, अर्थव्यवस्था और ऊर्जा कूटनीति के व्यापक पहलुओं का विश्लेषण करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यह लेख इस जटिल मुद्दे की तह तक जाएगा, जिसमें यह विश्लेषण किया जाएगा कि क्या वाकई भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है, इस पर विभिन्न देशों की क्या प्रतिक्रियाएं हैं, और इसके भू-राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक निहितार्थ क्या हैं। हम भारत की ऊर्जा जरूरतों, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं, और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच संतुलन बनाने की कला को समझने का प्रयास करेंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर इसका प्रभाव (The Russia-Ukraine War and its Impact on the Global Energy Market)
फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अभूतपूर्व उथल-पुथल मचा दी। रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादकों में से एक है, और उसके ऊर्जा निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों का वैश्विक आपूर्ति पर गहरा असर पड़ा। पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिसका उद्देश्य उसकी युद्ध की क्षमता को कमजोर करना था। इन प्रतिबंधों में रूसी ऊर्जा पर रोक लगाना भी शामिल था, हालांकि कुछ देशों ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के लिए इसमें ढील दी।
इस स्थिति ने दुनिया भर के देशों के लिए एक गंभीर दुविधा पैदा कर दी: एक ओर, पश्चिमी सहयोगियों के साथ खड़े रहना और प्रतिबंधों का समर्थन करना; दूसरी ओर, अपनी ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना और बढ़ती ऊर्जा कीमतों के प्रभाव से निपटना। भारत, अपनी विशाल और बढ़ती ऊर्जा मांगों के साथ, इस वैश्विक ऊर्जा कूटनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रूसी तेल का आयात (India’s Energy Security and the Import of Russian Oil)
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85% आयात के माध्यम से पूरा करता है। यह इसे वैश्विक ऊर्जा मूल्य अस्थिरता के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। रूसी तेल, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध के बाद, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारी छूट पर उपलब्ध था। कई पश्चिमी देशों ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया था, जिससे रूस को नए बाजार खोजने की आवश्यकता पड़ी।
भारत के लिए, रूसी तेल का आयात कई कारणों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया:
- मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता: छूट पर उपलब्ध रूसी तेल ने भारत को अपनी आयात लागत कम करने में मदद की, जिससे देश में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सहायता मिली।
- विविधीकरण: भारत हमेशा अपनी ऊर्जा आपूर्ति को विविध बनाने का प्रयास करता रहा है ताकि किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता से बचा जा सके। रूसी तेल ने इस विविधीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक नया अवसर प्रदान किया।
- कूटनीतिक स्वायत्तता: वैश्विक दबावों के बावजूद, भारत ने अपनी विदेश नीति में स्वायत्तता बनाए रखने का प्रयास किया है। रूसी तेल का आयात इस स्वायत्तता का प्रतीक भी था, जो दर्शाता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा।
इसके परिणामस्वरूप, भारत ने 2022 के बाद से रूसी तेल का आयात काफी बढ़ा दिया। यह पहले के मुकाबले एक महत्वपूर्ण वृद्धि थी, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।
डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया: “एक अच्छा कदम” (Donald Trump’s Reaction: “A Good Step”)
डोनाल्ड ट्रम्प, जो अक्सर अमेरिकी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं, ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदना बंद करने की रिपोर्टों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनके अनुसार, यह एक “अच्छा कदम” था।
यह टिप्पणी कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- अमेरिका का दृष्टिकोण: ट्रम्प की प्रतिक्रिया से अमेरिकी विदेश नीति के एक वर्ग का दृष्टिकोण परिलक्षित हो सकता है, जो रूस पर प्रतिबंधों को कड़ा करने और रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने का समर्थक रहा है।
- आर्थिक पहलू: हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रम्प किस विशिष्ट “अच्छे कदम” का जिक्र कर रहे थे (क्या यह भारत द्वारा तेल खरीदना बंद करने का काल्पनिक परिदृश्य था, या किसी अन्य संबंधित घटना का), यह संभव है कि वह इसे रूस की आर्थिक शक्ति को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देख रहे हों।
- रूस-विरोधी भावना: यह टिप्पणी रूस के प्रति एक मजबूत विरोधी भावना का संकेत देती है, जो यूक्रेन युद्ध के बाद और अधिक मुखर हुई है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प की प्रतिक्रिया एक पूर्व राष्ट्रपति के विचार के रूप में देखी जानी चाहिए, न कि वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की आधिकारिक नीति के रूप में। अमेरिका की वर्तमान बाइडेन सरकार ने भारत को रूसी तेल आयात जारी रखने के कारण की व्याख्या करने के लिए प्रोत्साहित किया था, लेकिन साथ ही इस मुद्दे पर भारत के रुख को समझने की कोशिश भी की थी।
क्या भारत ने वास्तव में रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया? (Has India Actually Stopped Buying Russian Oil?): तथ्य और रिपोर्टें (Facts and Reports)
यह समझना महत्वपूर्ण है कि डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया, “रिपोर्टों” पर आधारित थी। क्या ये रिपोर्टें सत्य हैं, और क्या भारत ने वास्तव में रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है? नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों और विश्वसनीय समाचार स्रोतों के अनुसार, इसका उत्तर ‘नहीं’ है।
नवीनतम रुझान (Latest Trends):
- निर्बाध आयात: भारत ने रूसी तेल का आयात जारी रखा है, हालांकि आयात की गति और मात्रा में उतार-चढ़ाव आ सकता है। रूसी तेल अभी भी भारतीय रिफाइनरियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना हुआ है, खासकर इसकी कम लागत के कारण।
- पश्चिमी दबाव: पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, ने भारत पर रूसी तेल पर निर्भरता कम करने के लिए दबाव डाला है। हालांकि, भारत ने लगातार अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता दी है।
- बाजार की गतिशीलता: वैश्विक तेल बाजार गतिशील है। रूसी तेल की कीमतें, मांग और आपूर्ति की स्थिति, और प्रतिबंधों का प्रवर्तन सभी भारत के खरीद निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
रिपोर्टों की सत्यता: यह संभव है कि जिन “रिपोर्टों” का ट्रम्प ने उल्लेख किया था, वे भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग में संभावित बदलावों, या अंतर्राष्ट्रीय दबावों के कारण भारत के रुख में संभावित नरमी का संकेत दे रही हों। हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि भारत ने अभी तक रूसी तेल का आयात पूरी तरह से बंद नहीं किया है।
भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ (Geopolitical and Economic Implications)
भारत द्वारा रूसी तेल का आयात जारी रखने या बंद करने के निर्णय के दूरगामी भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ हो सकते हैं:
भू-राजनीतिक निहितार्थ (Geopolitical Implications):
- भारत-रूस संबंध: ऊर्जा सहयोग भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। आयात जारी रखने से यह संबंध मजबूत बना रहेगा।
- भारत-पश्चिम संबंध: दूसरी ओर, पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, के साथ भारत के संबंध इस मुद्दे पर तनावपूर्ण हो सकते हैं। हालांकि, अमेरिका भारत को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है और अक्सर इस मामले में लचीलापन दिखाता है।
- वैश्विक ऊर्जा कूटनीति: भारत का रुख वैश्विक ऊर्जा कूटनीति में एक महत्वपूर्ण कारक है। यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देता है, तो यह रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग करने का एक संकेत होगा। इसके विपरीत, जारी रखने से रूस को एक महत्वपूर्ण बाजार मिलता रहेगा।
- यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: ऊर्जा प्रतिबंधों का रूस की युद्ध लड़ने की क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। भारत का खरीद निर्णय अप्रत्यक्ष रूप से इस समीकरण को प्रभावित कर सकता है।
आर्थिक निहितार्थ (Economic Implications):
- ऊर्जा लागत: यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देता है, तो उसे वैकल्पिक, संभवतः अधिक महंगे, स्रोतों की तलाश करनी होगी। इससे आयात लागत बढ़ सकती है, जो सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल सकती है।
- मुद्रास्फीति: बढ़ी हुई ऊर्जा लागत मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है, जिससे आम आदमी के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- व्यापार घाटा: उच्च आयात बिल भारत के व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है।
- रिफाइनरी संचालन: भारत की रिफाइनरियां रूसी तेल के विशिष्ट ग्रेड के लिए अनुकूलित हो सकती हैं। अचानक खरीद बंद करने से संचालन में व्यवधान आ सकता है।
- डॉलर की मजबूती: यदि भारत तेल आयात के लिए डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करता है या वैकल्पिक भुगतान तंत्र अपनाता है, तो इसके वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी प्रभाव पड़ सकते हैं।
भारत के विकल्प और आगे की राह (India’s Options and the Way Forward)
भारत के पास कई विकल्प हैं और वह एक जटिल संतुलनकारी कूटनीति का पालन कर रहा है।
भारत के विकल्प (India’s Options):
- रूस से आयात जारी रखना: जैसा कि वर्तमान में हो रहा है, भारत रूसी तेल की आकर्षक कीमतों का लाभ उठाना जारी रख सकता है। इसके लिए उसे पश्चिमी देशों के संभावित राजनीतिक दबाव का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
- आयात कम करना या बंद करना: भारत पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देते हुए रूसी तेल का आयात धीरे-धीरे कम कर सकता है या पूरी तरह से बंद कर सकता है। यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक चुनौती पेश करेगा और आयात लागत को बढ़ाएगा।
- विविधीकरण बढ़ाना: भारत मध्य पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका जैसे अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देशों से आयात बढ़ा सकता है। यह ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने में मदद करेगा, लेकिन इसके लिए लंबी अवधि की रणनीतियों और निवेश की आवश्यकता होगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, में निवेश बढ़ा सकता है। यह न केवल आयात पर निर्भरता कम करेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद करेगा।
- रणनीतिक साझेदारी: भारत अपने ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए रणनीतिक साझेदारियां बना सकता है।
आगे की राह (Way Forward):
भारत की आगे की राह बहुआयामी होगी:
- राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता: भारत अपने राष्ट्रीय हितों, विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को सर्वोपरि रखेगा।
- कूटनीतिक संवाद: भारत अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ इस मुद्दे पर खुला और निरंतर संवाद बनाए रखेगा।
- ऊर्जा क्षेत्र में सुधार: भारत को अपनी ऊर्जा दक्षता में सुधार करना होगा, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करनी होगी, और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना होगा।
- लचीलापन: वैश्विक ऊर्जा बाजारों की अस्थिरता को देखते हुए, भारत को अपनी नीतियों में लचीलापन बनाए रखना होगा।
डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया, हालांकि विवादास्पद हो सकती है, वैश्विक मंच पर भारत की ऊर्जा कूटनीति के महत्व को रेखांकित करती है। भारत का रूस से तेल आयात करने का निर्णय एक जटिल भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश के राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में यह रणनीति कैसे विकसित होती है और वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: हाल की रिपोर्टों के अनुसार, किस पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदना बंद करने की खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे “अच्छा कदम” बताया?
(a) बराक ओबामा
(b) डोनाल्ड ट्रम्प
(c) जॉर्ज डब्ल्यू. बुश
(d) बिल क्लिंटन
उत्तर: (b) डोनाल्ड ट्रम्प
व्याख्या: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दी जिनमें सुझाव दिया गया था कि भारत रूसी तेल का आयात बंद कर सकता है।
2. प्रश्न: रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा देश रूसी तेल और गैस का एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता है?
(a) ईरान
(b) सऊदी अरब
(c) रूस
(d) वेनेजुएला
उत्तर: (c) रूस
व्याख्या: रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादकों में से एक है।
3. प्रश्न: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का कितना प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा करता है?
(a) लगभग 30%
(b) लगभग 50%
(c) लगभग 70%
(d) लगभग 85%
उत्तर: (d) लगभग 85%
व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85% आयात के माध्यम से पूरा करता है, जो इसे वैश्विक ऊर्जा मूल्य अस्थिरता के प्रति संवेदनशील बनाता है।
4. प्रश्न: यूक्रेन युद्ध के बाद, रूसी तेल पश्चिमी बाजारों में किस कारण से अधिक उपलब्ध हो गया?
(a) उत्पादन में वृद्धि
(b) पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण
(c) रूस की ऊर्जा निर्यात नीति में बदलाव
(d) अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं की कमी
उत्तर: (b) पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण
व्याख्या: पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण, रूसी तेल को यूरोपीय बाजारों में कम खरीदार मिले, जिससे अन्य देशों के लिए यह अधिक सुलभ हो गया।
5. प्रश्न: भारत द्वारा रूसी तेल आयात बढ़ाने के पीछे एक प्रमुख कारण क्या रहा है?
(a) रूसी तेल की बेहतर गुणवत्ता
(b) रूसी तेल पर भारी छूट
(c) रूस के साथ विशेष व्यापार समझौता
(d) यूरोपीय संघ का दबाव
उत्तर: (b) रूसी तेल पर भारी छूट
व्याख्या: रूसी तेल, यूक्रेन युद्ध के बाद, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारी छूट पर उपलब्ध था, जो भारत के लिए एक आकर्षक विकल्प था।
6. प्रश्न: भारत की विदेश नीति का कौन सा सिद्धांत यह दर्शाता है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है?
(a) गुटनिरपेक्षता
(b) सामरिक स्वायत्तता
(c) बहुध्रुवीय विश्व
(d) इनमें से सभी
उत्तर: (d) इनमें से सभी
व्याख्या: भारत की विदेश नीति के सिद्धांत, जैसे गुटनिरपेक्षता, सामरिक स्वायत्तता और बहुध्रुवीय विश्व, यह दर्शाते हैं कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।
7. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत के ऊर्जा आयात का एक प्रमुख स्रोत रहा है, लेकिन हाल ही में भू-राजनीतिक कारणों से चर्चा में है?
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका
(b) कनाडा
(c) रूस
(d) वेनेजुएला
उत्तर: (c) रूस
व्याख्या: रूस, यूक्रेन युद्ध के कारण, भारत के ऊर्जा आयात और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक संबंधों दोनों के संदर्भ में चर्चा का विषय रहा है।
8. प्रश्न: यदि भारत रूसी तेल का आयात बंद कर देता है, तो इसकी अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित में से कौन सा संभावित प्रभाव पड़ सकता है?
(a) आयात लागत में कमी
(b) मुद्रास्फीति में कमी
(c) आयात लागत में वृद्धि और मुद्रास्फीति में वृद्धि
(d) व्यापार घाटे में कमी
उत्तर: (c) आयात लागत में वृद्धि और मुद्रास्फीति में वृद्धि
व्याख्या: रूसी तेल की अनुपस्थिति में, भारत को अधिक महंगे वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है, जिससे आयात लागत और मुद्रास्फीति दोनों बढ़ सकती हैं।
9. प्रश्न: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित में से किस पर जोर दे रहा है?
(a) केवल जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता
(b) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश
(c) केवल तेल का आयात
(d) केवल कोयला उत्पादन
उत्तर: (b) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश
व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, में निवेश बढ़ा रहा है।
10. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया, भारत के रूसी तेल खरीद पर, किस व्यापक वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाती है?
(a) रूस के प्रति नरम दृष्टिकोण
(b) रूस पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ाना
(c) वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के प्रति उदासीनता
(d) भारत की ऊर्जा नीतियों का समर्थन
उत्तर: (b) रूस पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ाना
व्याख्या: ट्रम्प की “अच्छा कदम” वाली टिप्पणी, रूस पर प्रतिबंधों को मजबूत करने और उसे अलग-थलग करने की व्यापक वैश्विक प्रवृत्ति का हिस्सा थी।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: रूस-यूक्रेन युद्ध के आलोक में, भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने में रूसी तेल के आयात की भूमिका का विश्लेषण करें। आयात जारी रखने या बंद करने के भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थों पर भी प्रकाश डालें।
2. प्रश्न: वैश्विक ऊर्जा बाजारों में भारत की स्थिति जटिल है। भारत के रूसी तेल आयात के फैसले को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों (जैसे, आर्थिक, रणनीतिक, राजनीतिक) की जांच करें और बताएं कि यह निर्णय भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों को कैसे दर्शाता है।
3. प्रश्न: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, भारत की ऊर्जा कूटनीति पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और उसके जवाब का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किन वैकल्पिक रणनीतियों पर विचार कर सकता है?
4. प्रश्न: “सामरिक स्वायत्तता” भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। समझाएं कि भारत का रूसी तेल आयात का निर्णय इस सिद्धांत को कैसे पुष्ट करता है, और इसके वैश्विक व्यवस्था में भारत की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं।