क्या पाकिस्तान भारत को तेल बेच रहा है? ट्रम्प के दावे के पीछे की पूरी कहानी और भंडार का सच
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि पाकिस्तान, भारत को तेल बेच रहा है, जबकि पाकिस्तान के पास ‘विशाल’ तेल भंडार होने की बात कही जा रही है। यह बयान न केवल भू-राजनीतिक हलकों में बल्कि भारत और पाकिस्तान के ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस दावे की सच्चाई, पाकिस्तान के तेल भंडार की वर्तमान स्थिति, और इसके संभावित प्रभावों को समझना UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह मामला अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीति जैसे विषयों के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रदान करता है।
यह ब्लॉग पोस्ट ट्रम्प के इस दावे की पड़ताल करेगा, पाकिस्तान के वास्तविक तेल भंडार का विश्लेषण करेगा, और इस मुद्दे के बहुआयामी पहलुओं को उजागर करेगा, जो परीक्षा के दृष्टिकोण से प्रासंगिक हैं।
ट्रम्प का दावा: एक भू-राजनीतिक फुसफुसाहट
डोनाल्ड ट्रम्प का यह दावा, जो उन्होंने हाल के एक सार्वजनिक भाषण में किया, कई कारणों से ध्यान खींचता है:
- ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता: भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी सर्वविदित है। ऐसे में, एक-दूसरे के साथ आर्थिक या ऊर्जा संबंधी किसी भी प्रकार के सहयोग की संभावना, विशेष रूप से तेल के क्षेत्र में, स्वाभाविक रूप से संदेह और अटकलों को जन्म देती है।
- अमेरिकी विदेश नीति का संदर्भ: अमेरिका, विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों और भू-राजनीतिक गठबंधनों पर कड़ी नजर रखता था। पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध भी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं।
- ‘विशाल’ भंडार का उल्लेख: ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान के तेल भंडार को ‘विशाल’ बताना, इस दावे में एक अतिरिक्त परत जोड़ता है। यह संकेत देता है कि शायद अमेरिका के पास ऐसी खुफिया जानकारी है जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है, या यह एक राजनीतिक बयान है जिसका उद्देश्य किसी खास एजेंडे को आगे बढ़ाना है।
सवाल यह उठता है कि क्या यह दावा तथ्यों पर आधारित है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान है? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, हमें पाकिस्तान के तेल भंडार की वास्तविकता और भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी संभावित तेल व्यापार की संभावनाओं का गंभीर विश्लेषण करना होगा।
पाकिस्तान के तेल भंडार की वास्तविकता: ‘विशाल’ या ‘अल्प’?
ट्रम्प के ‘विशाल’ भंडार वाले दावे के विपरीत, पाकिस्तान के वास्तविक तेल भंडार को समझना महत्वपूर्ण है।
ऐतिहासिक और वर्तमान उत्पादन:
पाकिस्तान, जिसे अक्सर ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ता है, बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर रहा है। दशकों से, देश के भीतर तेल और गैस की खोज और उत्पादन सीमित रहा है।:
- खोज की चुनौतियाँ: हालाँकि पाकिस्तान में तेल और गैस के भंडार पाए गए हैं, लेकिन उनकी खोज, निष्कर्षण और व्यावसायीकरण में कई चुनौतियाँ रही हैं, जिनमें तकनीकी बाधाएँ, उच्च लागत, और राजनीतिक अस्थिरता शामिल हैं।
- उत्पादन के आँकड़े: Pakistan Bureau of Statistics (PBS) और Ministry of Energy के आँकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान की अपनी तेल उत्पादन क्षमता उसकी घरेलू मांग का एक बहुत छोटा हिस्सा ही पूरा करती है। देश अपनी लगभग 80-85% कच्चे तेल की ज़रूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है।
- ‘विशाल’ भंडार का मिथक: ट्रम्प द्वारा ‘विशाल’ भंडार का उल्लेख संभवतः या तो अतिशयोक्ति है, या यह उस क्षमता की ओर इशारा करता है जिसे अभी तक पूरी तरह से विकसित या सत्यापित नहीं किया गया है। कुछ भूवैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार, देश में कुछ महत्वपूर्ण भंडार हो सकते हैं, लेकिन उन्हें निकालना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं रहा है।
खोज के क्षेत्र:
पाकिस्तान के कुछ प्रमुख तेल और गैस उत्पादक क्षेत्रों में शामिल हैं:
- the Punjab province (जैसे कि the Potohar region)
- Baluchistan
- Sindh province (विशेष रूप से the Indus Basin)
इन क्षेत्रों में अन्वेषण जारी है, लेकिन उत्पादन के स्तर अभी भी राष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं।
ऊर्जा आयात पर निर्भरता:
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर ऊर्जा आयात का भारी बोझ है। यह न केवल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित करता है, बल्कि इसे अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के प्रति भी संवेदनशील बनाता है।
“पाकिस्तान अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है, जिसने हाल के वर्षों में देश के चालू खाते के घाटे (current account deficit) को और बढ़ा दिया है।”
क्या पाकिस्तान भारत को तेल बेच रहा है? विश्लेषण
अब हम सीधे ट्रम्प के दावे पर आते हैं: क्या पाकिस्तान भारत को तेल बेच रहा है?
भारत की ऊर्जा स्थिति:
भारत, दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ताओं में से एक है, और अपनी 85% से अधिक तेल ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। भारत विभिन्न देशों, विशेष रूप से मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से तेल खरीदता है।
भारत-पाकिस्तान व्यापार संबंध:
भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार, राजनीतिक तनावों के कारण, अक्सर प्रभावित होता है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान से “मोस्ट फेवर्ड नेशन” (MFN) का दर्जा छीन लिया था, जिससे व्यापार और भी कम हो गया।
संभावित व्यापार की जाँच:
- उत्पादन और निर्यात की क्षमता: जैसा कि ऊपर बताया गया है, पाकिस्तान का अपना घरेलू उत्पादन उसकी मांग का एक छोटा सा अंश ही पूरा करता है। इस सीमित उत्पादन के साथ, भारत जैसे बड़े आयातक को महत्वपूर्ण मात्रा में तेल बेचने की क्षमता लगभग न के बराबर है।
- आर्थिक व्यवहार्यता: यदि पाकिस्तान के पास अतिरिक्त तेल होता भी, तो इसे भारत को बेचना आर्थिक रूप से कितना व्यवहार्य होगा? क्या यह अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की तुलना में प्रतिस्पर्धी मूल्य पर होगा? क्या इसमें रसद (logistics) की कोई बड़ी बाधा होगी?
- आयात पर निर्भरता: यदि पाकिस्तान को तेल की अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए आयात पर ही निर्भर रहना पड़ता है, तो यह संभावना कम है कि वह भारत को निर्यात कर पाएगा, खासकर जब उसके अपने भंडार सीमित हों।
- रूस से तेल खरीद का संदर्भ: हाल के वर्षों में, भारत ने रूस से तेल की खरीद में भारी वृद्धि की है, जो कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंधों के बाद रियायती दरों पर उपलब्ध है। ऐसे में, भारत के लिए पाकिस्तान जैसे स्रोत से तेल खरीदना, यदि संभव भी हो, तो कम आकर्षक होगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर, यह कहना बेहद मुश्किल है कि पाकिस्तान भारत को तेल बेच रहा है। पाकिस्तान की अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता और आयात पर उसकी भारी निर्भरता को देखते हुए, इस दावे को विश्वसनीय मानना कठिन है, जब तक कि कोई ठोस प्रमाण सामने न आए।
ट्रम्प के दावे के पीछे की संभावित वजहें
यदि दावा तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है, तो ट्रम्प ने ऐसा क्यों कहा होगा? इसके कई कारण हो सकते हैं:
- राजनीतिक लाभ: ट्रम्प अपने बयानों से अक्सर सुर्खियाँ बटोरते हैं। भारत या पाकिस्तान से संबंधित किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी करके, वह घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
- पाकिस्तान को संकेत: यह संभव है कि यह बयान पाकिस्तान को किसी विशेष दिशा में कार्य करने या न करने के लिए एक संकेत था, शायद अमेरिकी विदेश नीति के किसी व्यापक एजेंडे के तहत।
- गलत सूचना: यह भी संभव है कि पूर्व राष्ट्रपति को गलत या अधूरी जानकारी प्रदान की गई हो, जिसके आधार पर उन्होंने यह दावा किया।
- क्षेत्रीय भू-राजनीति को प्रभावित करना: ऐसे बयानों का उद्देश्य क्षेत्र की भू-राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित करना या मौजूदा तनावों को हवा देना भी हो सकता है।
पाकिस्तान के ‘विशाल’ भंडार की खोज: एक विस्तृत दृष्टिकोण
यदि हम ट्रम्प के ‘विशाल’ भंडार वाले हिस्से को लें, तो यह जानने योग्य है कि क्या वास्तव में पाकिस्तान के पास अप्रयुक्त तेल क्षमता है:
भूवैज्ञानिक क्षमता:
पाकिस्तान के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कंपनियों द्वारा किए गए अन्वेषणों से पता चला है कि देश में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के महत्वपूर्ण भंडार हो सकते हैं। विशेष रूप से the Indus Basin और Baluchistan के कुछ हिस्से संभावित रूप से समृद्ध माने जाते हैं।
चुनौतियाँ और बाधाएँ:
- निष्कर्षण की लागत: गहरे कुओं की ड्रिलिंग, नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग, और दुर्गम क्षेत्रों तक पहुँचने की लागत पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी बाधा है।
- बुनियादी ढाँचा: पाइपलाइन, रिफाइनरी और परिवहन नेटवर्क जैसे आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव भी उत्पादन और वितरण को सीमित करता है।
- स्थिरता और सुरक्षा: राजनीतिक अस्थिरता, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ (विशेष रूप से Baluchistan जैसे क्षेत्रों में) और विदेशी निवेश के लिए अनिश्चित नियामक वातावरण भी तेल अन्वेषण और उत्पादन में बाधा डालते हैं।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: तेल निष्कर्षण के पर्यावरणीय प्रभाव भी एक महत्वपूर्ण विचार हैं, खासकर संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र वाले क्षेत्रों में।
“पाकिस्तान में तेल और गैस के विशाल भंडार की संभावनाओं को लेकर अटकलें लगाई जाती रही हैं, लेकिन तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक बाधाओं ने इन संभावनाओं को वास्तविकता में बदलने में भारी अड़चनें पैदा की हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय निवेश का प्रभाव:
पाकिस्तान ने विदेशी कंपनियों को तेल और गैस क्षेत्र में निवेश के लिए आकर्षित करने के कई प्रयास किए हैं। हालाँकि, सुरक्षा और स्थिरता की चिंताओं के कारण, बड़े पैमाने पर निवेश अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: किन पहलुओं पर ध्यान दें?
यह पूरा मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ा है:
1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):
- भारत-पाकिस्तान संबंध: ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता, व्यापार, और सीमा पार तनाव।
- भू-राजनीतिक समीकरण: अमेरिका, चीन, रूस और दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय गतिशीलता।
- ऊर्जा कूटनीति: विभिन्न देशों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए नीतियाँ और गठजोड़।
2. अर्थव्यवस्था (Economy):
- ऊर्जा सुरक्षा: आयात पर निर्भरता, ऊर्जा मिश्रण, और आत्मनिर्भरता की रणनीतियाँ।
- चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit): आयात बिलों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
- विदेशी निवेश: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने में चुनौतियाँ।
- ऊर्जा बाज़ार: अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतें और उनका प्रभाव।
3. भूगोल (Geography):
- ऊर्जा संसाधन: तेल और गैस के प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता क्षेत्र।
- भू-आर्थिक और भू-सामरिक महत्व: ऊर्जा गलियारे और उनके नियंत्रण की प्रतिस्पर्धा।
4. अंतर्राष्ट्रीय संगठन और संस्थाएँ:
- OPEC (Organization of the Petroleum Exporting Countries): तेल की कीमतों और आपूर्ति पर इसका प्रभाव।
- IEA (International Energy Agency): वैश्विक ऊर्जा नीतियों और डेटा का स्रोत।
5. समसामयिक मामले (Current Affairs):
- वर्तमान भू-राजनीतिक घटनाएँ: जैसे यूक्रेन युद्ध और उसका ऊर्जा बाज़ारों पर प्रभाव, जिससे भारत की रूस से तेल खरीद बढ़ी है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे: जैसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में स्थिरता का ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव।
निष्कर्ष: तथ्यों को अटकलों से अलग करना
डोनाल्ड ट्रम्प का यह दावा कि पाकिस्तान भारत को तेल बेच रहा है, भू-राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हालाँकि, पाकिस्तान की अपनी सीमित उत्पादन क्षमता और आयात पर भारी निर्भरता को देखते हुए, इस दावे की सत्यता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। जहाँ पाकिस्तान में तेल और गैस के भंडार की संभावनाएँ मौजूद हैं, वहीं तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक बाधाएँ उन्हें व्यावसायीकरण से रोकती हैं।
UPSC उम्मीदवारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस तरह के बयानों का विश्लेषण करते समय तथ्यों, आँकड़ों और गहन शोध पर भरोसा करें। राजनीतिक बयान अक्सर प्रचार या रणनीतिक उद्देश्य के लिए होते हैं, और उनकी सत्यता की पुष्टि स्वतंत्र स्रोतों से की जानी चाहिए।
यह मामला हमें याद दिलाता है कि ऊर्जा सुरक्षा, भू-राजनीतिक हित और अंतर्राष्ट्रीय संबंध आपस में कैसे जुड़े हुए हैं। इस मुद्दे के हर पहलू को समझना, विशेष रूप से भारत के लिए, महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को सुरक्षित करने और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. पाकिस्तान अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात से पूरा करता है।
II. भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ताओं में से एक है और आयात पर अत्यधिक निर्भर है।
III. भारत ने हाल के वर्षों में रूस से तेल की खरीद में काफी वृद्धि की है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल I और III
(c) केवल II और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन सत्य हैं। पाकिस्तान ऊर्जा आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, और भारत भी अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आयात पर निर्भर है। यूक्रेन युद्ध के बाद, भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल की खरीद बढ़ाई है।
2. प्रश्न: पाकिस्तान में तेल और गैस के अन्वेषण और उत्पादन में प्रमुख बाधाओं में से एक क्या है?
(a) अत्यधिक भूवैज्ञानिक जटिलता
(b) अपर्याप्त विदेशी निवेश
(c) कुशल श्रम की कमी
(d) अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनियों की अनिच्छा
उत्तर: (b)
व्याख्या: जबकि भूवैज्ञानिक चुनौतियाँ मौजूद हैं, राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और अनिश्चित नियामक वातावरण विदेशी निवेश को हतोत्साहित करते हैं, जो पाकिस्तान के तेल और गैस क्षेत्र में विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा है।
3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश OPEC (Organization of the Petroleum Exporting Countries) का सदस्य है?
(a) पाकिस्तान
(b) भारत
(c) ईरान
(d) संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
उत्तर: (c)
व्याख्या: OPEC एक तेल-निर्यात करने वाले देशों का संगठन है। ईरान, सऊदी अरब, UAE, इराक, कुवैत आदि इसके सदस्य हैं। पाकिस्तान और भारत OPEC के सदस्य नहीं हैं, हालांकि वे इसके नीतियों से प्रभावित होते हैं।
4. प्रश्न: ‘चालू खाते का घाटा’ (Current Account Deficit) को कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल हो सकता है?
I. निर्यात को बढ़ावा देना
II. गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात को कम करना
III. घरेलू ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना
(a) केवल I और II
(b) केवल I और III
(c) केवल II और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
व्याख्या: चालू खाते का घाटा, जो मुख्य रूप से व्यापार घाटे (निर्यात से अधिक आयात) के कारण होता है, को कम करने के लिए निर्यात बढ़ाना, आयात (विशेष रूप से गैर-आवश्यक वस्तुओं) को कम करना और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण आयात पर निर्भरता को कम करना (जैसे घरेलू उत्पादन बढ़ाकर) प्रभावी कदम हैं।
5. प्रश्न: पाकिस्तान के मुख्य तेल और गैस उत्पादक क्षेत्रों में से एक, जो ‘The Potohar region’ का हिस्सा है, वह किस प्रांत में स्थित है?
(a) सिंध (Sindh)
(b) खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa)
(c) पंजाब (Punjab)
(d) बलूचिस्तान (Balochistan)
उत्तर: (c)
व्याख्या: The Potohar region, जिसमें इस्लामाबाद भी शामिल है, पंजाब प्रांत का हिस्सा है और यहाँ तेल और गैस के भंडार पाए जाते हैं।
6. प्रश्न: हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में, भारत की रूस से तेल खरीद में वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
(a) रूस की आपूर्ति में वृद्धि
(b) रूस द्वारा तेल पर भारी छूट की पेशकश
(c) भारत-रूस रक्षा समझौतों का विस्तार
(d) पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण तेल की उपलब्धता
उत्तर: (b)
व्याख्या: पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने अन्य देशों, विशेष रूप से भारत और चीन को, रियायती दरों पर तेल की पेशकश की है, जिससे उनकी खरीद बढ़ी है।
7. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कारक पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है?
I. घरेलू तेल उत्पादन का स्तर
II. आयातित ईंधन पर निर्भरता
III. देश के भीतर राजनीतिक स्थिरता
(a) केवल I और II
(b) केवल I और III
(c) केवल II और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
व्याख्या: किसी भी देश की ऊर्जा सुरक्षा कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें उसका अपना उत्पादन, आयात पर निर्भरता का स्तर और देश के भीतर राजनीतिक व आर्थिक स्थिरता शामिल है। ये सभी कारक पाकिस्तान पर लागू होते हैं।
8. प्रश्न: भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र सबसे बड़ा योगदानकर्ता है?
(a) घरेलू तेल उत्पादन
(b) प्राकृतिक गैस
(c) कोयला
(d) नवीकरणीय ऊर्जा
उत्तर: (c)
व्याख्या: हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ रहा है, भारत की कुल ऊर्जा खपत का सबसे बड़ा हिस्सा अभी भी कोयले से आता है, उसके बाद तेल और प्राकृतिक गैस का स्थान है।
9. प्रश्न: यदि पाकिस्तान के पास वास्तव में ‘विशाल’ तेल भंडार हैं, तो इसे भारत को बेचने में सबसे बड़ी बाधा क्या हो सकती है?
(a) भारत की तेल की मांग का कम होना
(b) पाकिस्तान की स्वयं की अपर्याप्त उत्पादन क्षमता और निर्यात की सीमित क्षमता
(c) अंतरराष्ट्रीय तेल मूल्य निर्धारण तंत्र
(d) रसद और परिवहन की उच्च लागत
उत्तर: (b)
व्याख्या: भले ही भंडार हों, अगर पाकिस्तान खुद अपनी मांग पूरी करने के लिए आयात पर निर्भर है और उसका उत्पादन सीमित है, तो उसके पास भारत जैसे बड़े बाजार को आपूर्ति करने के लिए अधिशेष (surplus) नहीं होगा।
10. प्रश्न: ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा, जो भारत ने 2019 में पाकिस्तान से छीन लिया था, का संबंध मुख्य रूप से किस क्षेत्र से है?
(a) सैन्य सहायता
(b) द्विपक्षीय व्यापार
(c) सांस्कृतिक आदान-प्रदान
(d) सीमा सुरक्षा
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सिद्धांतों से जुड़ा है और यह व्यापार के संदर्भ में अन्य देशों को दी जाने वाली व्यापारिक रियायतों से संबंधित है। इसे छीनने का मतलब है व्यापार में दी जाने वाली विशेष तरजीहों को समाप्त करना।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: पाकिस्तान के तेल और गैस क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों का विश्लेषण करें और उन कारकों पर प्रकाश डालें जिन्होंने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उसके प्रयासों को बाधित किया है। (250 शब्द)
2. प्रश्न: भारत की ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में, वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य (जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध) के आलोक में विभिन्न स्रोतों से तेल आयात की बदलती गतिशीलता की व्याख्या करें। (250 शब्द)
3. प्रश्न: ‘क्या पाकिस्तान भारत को तेल बेच रहा है?’ – इस दावे के तथ्यात्मक आधार की जाँच करते हुए, पाकिस्तान की अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता और भारत-पाकिस्तान व्यापार संबंधों पर एक संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत करें। (150 शब्द)
4. प्रश्न: समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ऊर्जा सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालें और बताएं कि कैसे यह विभिन्न देशों के बीच सहयोग और संघर्ष का कारण बन सकती है। (150 शब्द)