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क्या पहलगाम हमला पाकिस्तान की चाल है? पीओके में अंतिम संस्कार और स्थानीय प्रतिरोध का पूरा सच

क्या पहलगाम हमला पाकिस्तान की चाल है? पीओके में अंतिम संस्कार और स्थानीय प्रतिरोध का पूरा सच

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में सुरक्षा बलों पर हुए एक दुखद हमले के बाद, जिस तरह से हमले में शामिल एक आतंकवादी के अंतिम संस्कार की रस्में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में हुईं, उसने एक बार फिर भारत की उस चिंता को बल दिया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं। दूसरी ओर, इसी हमले के संदर्भ में स्थानीय लोगों द्वारा लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकवादी संगठनों की उपस्थिति को लेकर व्यक्त किया गया विरोध, कश्मीर घाटी में बदलती सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता और आतंकवाद के खिलाफ स्थानीय स्तर पर पनप रहे असंतोष को भी उजागर करता है। यह घटना भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सबक और विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है।

परिचय (Introduction): आतंकवाद का जटिल ताना-बाना

जम्मू और कश्मीर की खूबसूरत वादियों में शांति भंग करने वाली ये घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हालांकि, पहलगाम हमले और उसके बाद की घटनाओं ने आतंकवाद के इस जटिल ताने-बाने के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकाश में लाया है। एक ओर, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में एक आतंकवादी के अंतिम संस्कार में जिस तरह से भारी संख्या में लोगों की भागीदारी और उसके ‘शहीदी’ के रूप में महिमामंडन किया गया, वह पाकिस्तान सरकार की संलिप्तता और आतंकवाद को बढ़ावा देने की उसकी पुरानी नीति की ओर स्पष्ट संकेत देता है। दूसरी ओर, इसी घटना के साथ, पहलगाम के स्थानीय लोगों द्वारा ‘आतंकवादी का हमारी धरती पर स्वागत नहीं’ जैसे नारे लगाकर लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की उपस्थिति का विरोध करना, यह दर्शाता है कि घाटी में भी आतंकवाद के प्रति एक जन-आक्रोश पनप रहा है। यह विरोधाभास भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन का विषय है, जिसे हम विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने का प्रयास करेंगे।

पहलगाम हमला: घटना का विवरण और महत्वपूर्ण बिंदु

सबसे पहले, हमें उस विशिष्ट घटना को समझना होगा जिसने इस पूरी चर्चा को जन्म दिया। पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, हाल ही में तब सुर्खियों में आया जब सुरक्षा बलों पर एक आतंकवादी हमला हुआ। इस हमले में हमारे वीर जवानों ने अपनी जान गंवाई।:

  • समय और स्थान: घटना का सटीक समय और स्थान सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह दर्शाता है कि आतंकवादी किस तरह से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
  • हमलावर की पहचान: प्रारंभिक जांच में, हमलावर की पहचान की गई और यह पता चला कि वह पाकिस्तान से जुड़ा था।
  • आतंकवादी की मौत और अंतिम संस्कार: हमले के दौरान या उसके तुरंत बाद, आतंकवादी मारा गया। उसके बाद, उसके शव को POK ले जाया गया, जहाँ उसके अंतिम संस्कार को एक प्रदर्शन के रूप में उपयोग किया गया।
  • स्थानीय प्रतिक्रिया: पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों के स्थानीय लोगों ने घटना के बाद इस तरह के कृत्यों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और आतंकवादी समूहों के खिलाफ विरोध व्यक्त किया।

POK में अंतिम संस्कार: पाकिस्तान की भूमिका का ‘खुला राज’

किसी आतंकवादी के अंतिम संस्कार को जिस तरह से POK में आयोजित किया गया, वह कई गंभीर सवालों को जन्म देता है और पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भारत के दावों को पुष्ट करता है।

पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति:

  • ‘स्टेट-स्पॉन्सर्ड टेररिज्म’ का प्रमाण: POK में हुए ये आयोजन पाकिस्तान की ‘स्टेट-स्पॉन्सर्ड टेररिज्म’ (राज्य-प्रायोजित आतंकवाद) की नीति का एक स्पष्ट उदाहरण हैं। एक देश का अपने ही क्षेत्रों में आतंकवादियों का इस तरह से महिमामंडन करना, यह दर्शाता है कि आतंकवाद उनकी विदेश नीति का एक उपकरण बन गया है।
  • लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का प्रभाव: यह घटना लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की पाकिस्तान में सक्रियता और उनके स्थानीय कैडरों पर नियंत्रण को उजागर करती है। अंतिम संस्कार में LeT के झंडे और नारों का इस्तेमाल इस बात का प्रमाण है कि ये संगठन न केवल सक्रिय हैं, बल्कि उन्हें राज्य का अप्रत्यक्ष समर्थन भी प्राप्त है।
  • अंतरराष्ट्रीय दबाव का खंडन: पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता रहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। हालांकि, POK में ऐसे आयोजनों से यह बात झूठी साबित होती है और पाकिस्तान की दोहरी नीति का पर्दाफाश होता है।
  • मानव अधिकार हनन का औजार: आतंकवाद का महिमामंडन वास्तव में मानव अधिकारों के घोर उल्लंघन का एक रूप है। जब ऐसे लोग, जो निर्दोषों की हत्या करते हैं, उन्हें ‘शहीद’ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो यह उस समाज में भय और अस्थिरता को बढ़ावा देता है।

“पाकिस्तान की सरकार और उसकी एजेंसियां ​​लगातार उन तत्वों का समर्थन करती रही हैं जो भारत में अशांति फैलाना चाहते हैं। POK में यह अंतिम संस्कार पाकिस्तान की उस रणनीति का हिस्सा है जहाँ वे आतंकवादियों को नायक के रूप में पेश कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं।” – एक वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक

स्थानीय प्रतिरोध: कश्मीर में बदलती ज़मीनी हकीकत

जहां POK में घटना पाकिस्तान की मंशा को दर्शाती है, वहीं पहलगाम और आसपास के स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया कश्मीर की ज़मीनी हकीकत में आ रहे बदलावों की ओर इशारा करती है।

आतंकवाद के खिलाफ जन-आक्रोश:

  • स्थानीय लोगों की थकावट: लंबे समय से चल रहे आतंकवाद और हिंसा ने स्थानीय कश्मीरी जनता को भी थका दिया है। वे अब अपने घरों को अशांति से मुक्त देखना चाहते हैं।
  • अलगाववादी एजेंडे का विरोध: स्थानीय लोगों का यह विरोध स्पष्ट रूप से उन अलगाववादी और चरमपंथी एजेंडों के खिलाफ है जो उनकी शांतिपूर्ण जीवन शैली को बाधित करते हैं। वे किसी भी ऐसे समूह का समर्थन नहीं करना चाहते जो निर्दोष लोगों की जान लेता हो।
  • सुरक्षा बलों के साथ सहयोग की संभावना: इस तरह का स्थानीय समर्थन, सुरक्षा बलों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह दर्शाता है कि सही दृष्टिकोण अपनाए जाने पर, स्थानीय आबादी आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • ‘सॉफ्ट पावर’ का प्रयोग: यह स्थानीय प्रतिरोध ‘सॉफ्ट पावर’ का एक रूप है, जहाँ आम नागरिक अपनी आवाज उठाकर चरमपंथियों और उनके समर्थकों को संदेश देते हैं कि वे उनके जीवन को प्रभावित नहीं कर सकते।

केस स्टडी: 2019 के पुलवामा हमले के बाद स्थानीय प्रतिक्रिया

2019 में पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद भी, कश्मीर के कुछ हिस्सों में स्थानीय लोगों ने आतंकवाद के इस कृत्य की निंदा की थी। हालांकि, उस समय यह विरोध उतना मुखर नहीं था जितना कि पहलगाम मामले में देखा गया है। समय के साथ, स्थानीय लोगों की यह भावना मुखर हो रही है कि वे हिंसा के इस चक्र का हिस्सा नहीं बनना चाहते।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: विश्लेषण के मुख्य बिंदु

यह पूरी घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी है, खासकर सामान्य अध्ययन (GS) पेपर III (सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा) और GS पेपर II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)।

1. आंतरिक सुरक्षा (GS Paper III):

  • सीमा पार आतंकवाद: पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकवाद, सीमा पार घुसपैठ और आतंकवादी समूहों को मिलने वाले समर्थन का विश्लेषण।
  • आतंकवाद का महिमामंडन: आतंकवादी संगठनों द्वारा अपनी विचारधारा को फैलाने और नए कैडरों की भर्ती के लिए किस प्रकार के औजारों (जैसे अंतिम संस्कार, सोशल मीडिया) का उपयोग किया जाता है।
  • सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका: आतंकवाद से निपटने में भारतीय सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका, चुनौतियाँ और उपलब्धियाँ।
  • स्थानीय आबादी की भूमिका: आतंकवाद विरोधी अभियानों में स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्त करना और उनका विश्वास जीतना कितना महत्वपूर्ण है।
  • खुफिया तंत्र की मजबूती: सीमा पार से होने वाली आतंकी गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता।

2. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS Paper II):

  • भारत-पाकिस्तान संबंध: आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच चल रहा तनाव, कूटनीतिक प्रयास और उनके प्रभाव।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का चेहरा: FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) जैसी संस्थाओं में पाकिस्तान की स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय दबाव का सामना।
  • मानवाधिकार और आतंकवाद: आतंकवाद का मानवाधिकारों पर प्रभाव और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया।

3. सामाजिक मुद्दे (GS Paper I):

  • कश्मीर में सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता: कश्मीर घाटी में आतंकवाद का सामाजिक ताने-बाने पर प्रभाव और स्थानीय समाज में पनप रहे विभिन्न विचार।
  • अलगाववाद और राष्ट्रवाद: कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन और राष्ट्रीय एकता के बीच संघर्ष।

चुनौतियाँ और आगे की राह

इस जटिल परिदृश्य से निपटने के लिए भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

चुनौतियाँ:

  • पाकिस्तान की लगातार टालमटोल: पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने से इनकार करना।
  • सीमा प्रबंधन: लंबी और दुर्गम सीमा का प्रबंधन तथा घुसपैठ रोकना।
  • आंतरिक मुखबिर नेटवर्क: आतंकवादी योजनाओं का पता लगाने के लिए प्रभावी मुखबिर नेटवर्क का अभाव।
  • युवाओं को चरमपंथ से बचाना: कश्मीर घाटी में युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से दूर रखना।
  • कूटनीतिक दबाव बनाए रखना: पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के माध्यम से लगातार दबाव बनाना।

आगे की राह:

  • ‘कठोर’ और ‘नरम’ नीति का संयोजन: सुरक्षा संबंधी कड़े उपायों के साथ-साथ, विकास, रोजगार और स्थानीय स्तर पर विश्वास बहाली के उपायों पर भी ध्यान देना।
  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान को बेहतर बनाना।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों का प्रभावी उपयोग: पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले एजेंडे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उजागर करना।
  • स्थानीय समर्थन को बढ़ावा: स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित करना और उनके मुद्दों को हल करना ताकि वे आतंकवाद के खिलाफ मुखर आवाज बन सकें।
  • सकारात्मक आख्यान (Narrative) का निर्माण: कश्मीर की असली तस्वीर को दुनिया के सामने रखना, जहाँ शांति और विकास की संभावनाएं भी मौजूद हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):

पहलगाम हमला और उसके बाद की घटनाओं ने एक बार फिर भारत को यह याद दिलाया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक सतत प्रक्रिया है। POK में आतंकवादी का अंतिम संस्कार पाकिस्तान की उस मंशा का प्रमाण है जो भारत को अस्थिर करने की है, जबकि पहलगाम के स्थानीय लोगों का विरोध कश्मीर के आम नागरिकों के बढ़ते विवेक और शांति की आकांक्षा को दर्शाता है। भारत को अपनी सुरक्षा रणनीति में इस दोहरे पहलू को शामिल करना होगा – एक ओर पाकिस्तान पर कूटनीतिक और सुरक्षा दबाव बनाए रखना, और दूसरी ओर कश्मीर के लोगों का विश्वास जीतना और उन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल करना। केवल तभी हम आतंकवाद के इस जटिल जाल को सफलतापूर्वक काट पाएंगे और जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति स्थापित कर पाएंगे।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल के पहलगाम हमले के संदर्भ में, किस देश में आतंकवादी के अंतिम संस्कार की घटना ने पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए?
a) भारत
b) अफगानिस्तान
c) पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (POK)
d) बांग्लादेश
* उत्तर: c) पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (POK)
* व्याख्या: घटना की रिपोर्टों के अनुसार, पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादी के अंतिम संस्कार की रस्में POK में हुईं, जिससे पाकिस्तान की भूमिका पुष्ट होती है।

2. पहलगाम हमले के संबंध में स्थानीय लोगों द्वारा किस आतंकवादी संगठन की उपस्थिति का विरोध किया गया?
a) जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
b) हिजबुल मुजाहिदीन (HM)
c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
d) अल-कायदा
* उत्तर: c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
* व्याख्या: समाचारों के अनुसार, स्थानीय लोगों ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की उपस्थिति का विरोध किया।

3. “स्टेट-स्पॉन्सर्ड टेररिज्म” (State-Sponsored Terrorism) का क्या अर्थ है?
a) जब कोई राज्य आतंकवादियों को वित्तीय सहायता देता है।
b) जब कोई राज्य आतंकवादियों को राजनीतिक शरण देता है।
c) जब कोई राज्य आतंकवादियों को प्रशिक्षण, समर्थन और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देता है।
d) उपरोक्त सभी
* उत्तर: d) उपरोक्त सभी
* व्याख्या: स्टेट-स्पॉन्सर्ड टेररिज्म में आतंकवाद को बढ़ावा देने के सभी तरीके शामिल हैं, जैसे कि वित्तीय, राजनीतिक और लॉजिस्टिक समर्थन।

4. FATF (Financial Action Task Force) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विनियमित करना।
b) आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन (Money Laundering) से मुकाबला करना।
c) मानवाधिकारों की रक्षा करना।
d) साइबर सुरक्षा को मजबूत करना।
* उत्तर: b) आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन (Money Laundering) से मुकाबला करना।
* व्याख्या: FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने के लिए नीतियां निर्धारित करता है।

5. कश्मीर घाटी में स्थानीय आबादी का आतंकवाद के प्रति विरोध किस बात का संकेत देता है?
a) स्थानीय आबादी पूरी तरह से पाकिस्तान का समर्थन करती है।
b) स्थानीय आबादी हिंसा से थक चुकी है और शांति चाहती है।
c) स्थानीय आबादी केवल आर्थिक सहायता की मांग कर रही है।
d) स्थानीय आबादी अलगाववादी एजेंडे को पूरी तरह से स्वीकार करती है।
* उत्तर: b) स्थानीय आबादी हिंसा से थक चुकी है और शांति चाहती है।
* व्याख्या: स्थानीय लोगों का विरोध यह दर्शाता है कि वे लंबे समय से चली आ रही हिंसा से त्रस्त हैं और सामान्य जीवन जीना चाहते हैं।

6. GS पेपर III के संदर्भ में, “सीमा पार आतंकवाद” (Cross-border Terrorism) से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए जाने वाले संभावित कदम क्या हो सकते हैं?
a) केवल कूटनीतिक प्रयास।
b) केवल सीमा पर सैन्य उपस्थिति बढ़ाना।
c) खुफिया तंत्र को मजबूत करना, सीमा प्रबंधन और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करना।
d) केवल स्थानीय पुलिस बल पर निर्भर रहना।
* उत्तर: c) खुफिया तंत्र को मजबूत करना, सीमा प्रबंधन और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करना।
* व्याख्या: सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसमें खुफिया जानकारी, सीमा नियंत्रण और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति शामिल है।

7. “सॉफ्ट पावर” (Soft Power) की अवधारणा का संबंध किससे है?
a) सैन्य शक्ति का प्रयोग।
b) आर्थिक प्रतिबंध लगाना।
c) सांस्कृतिक आकर्षण, राजनीतिक आदर्शों और विदेश नीतियों के माध्यम से किसी देश के प्रभाव को बढ़ाना।
d) जासूसी और गुप्त अभियान।
* उत्तर: c) सांस्कृतिक आकर्षण, राजनीतिक आदर्शों और विदेश नीतियों के माध्यम से किसी देश के प्रभाव को बढ़ाना।
* व्याख्या: सॉफ्ट पावर का अर्थ है किसी देश की अपनी संस्कृति, राजनीतिक मूल्यों और नीतियों के माध्यम से दूसरों को आकर्षित करना।

8. निम्नलिखित में से कौन सा संगठन कश्मीर घाटी में आतंकवाद में लिप्त होने के लिए जाना जाता है और जिसका उल्लेख पहलगाम मामले में भी हुआ?
a) अल-कायदा
b) तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP)
c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
d) बोको हराम
* उत्तर: c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
* व्याख्या: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) एक पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन है जो कश्मीर में आतंकवाद में लिप्त रहा है।

9. पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर आतंकवादी हमले के क्या निहितार्थ हो सकते हैं?
a) केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
b) स्थानीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन और क्षेत्रीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव।
c) पर्यटन में वृद्धि।
d) स्थानीय लोगों के बीच एकता का बढ़ना।
* उत्तर: b) स्थानीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन और क्षेत्रीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव।
* व्याख्या: ऐसे हमले न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यटन पर भी विनाशकारी प्रभाव डालते हैं।

10. कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी लड़ाई के लिए “विश्वास बहाली के उपाय” (Confidence Building Measures – CBMs) क्यों महत्वपूर्ण हैं?
a) ये केवल पाकिस्तान के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए हैं।
b) ये स्थानीय आबादी के बीच सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास पैदा करने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए हैं।
c) ये केवल सैन्य अभियानों को आसान बनाने के लिए हैं।
d) इनका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है।
* उत्तर: b) ये स्थानीय आबादी के बीच सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास पैदा करने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए हैं।
* व्याख्या: CBMs का उद्देश्य स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना और उन्हें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करना है, जो आतंकवाद को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. पहलगाम हमले के बाद POK में आतंकवादी के अंतिम संस्कार की घटना ने पाकिस्तान की “स्टेट-स्पॉन्सर्ड टेररिज्म” की नीति के बारे में क्या उजागर किया है? इस संदर्भ में, भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के क्या निहितार्थ हैं? (250 शब्द)
2. जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय आबादी का समर्थन प्राप्त करना क्यों महत्वपूर्ण है? पहलगाम मामले में स्थानीय विरोध ने कश्मीर की सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता के बारे में क्या संकेत दिया है? (250 शब्द)
3. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सीमा पार आतंकवाद एक निरंतर चुनौती है। पहलगाम जैसे हमलों के विश्लेषण के आधार पर, इस चुनौती से निपटने के लिए सुरक्षा बलों और सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली बहुआयामी रणनीति पर चर्चा करें, जिसमें खुफिया तंत्र, सीमा प्रबंधन और स्थानीय आबादी की भागीदारी जैसे पहलुओं को शामिल किया गया हो। (250 शब्द)
4. “आतंकवाद का महिमामंडन” (Glorification of Terrorism) किसी भी समाज के लिए गंभीर खतरा है। पहलगाम हमले के संदर्भ में, इस घटना का विश्लेषण करें और बताएं कि कैसे आतंकवादी संगठन अपनी विचारधारा का प्रसार करने और भर्ती को बढ़ावा देने के लिए अंतिम संस्कार जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक अवसरों का दुरुपयोग करते हैं। इसके दीर्घकालिक समाधान क्या हो सकते हैं? (250 शब्द)

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