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क्या ट्रंप की व्यापारिक नीतियां भारत-अमेरिका संबंधों को नया मोड़ दे रही हैं?

क्या ट्रंप की व्यापारिक नीतियां भारत-अमेरिका संबंधों को नया मोड़ दे रही हैं?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल के दिनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापारिक नीतियों में आए बदलावों ने भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है। “व्यापार युद्ध: महामारियों का सम्राट बनाम शुल्कों का महाराजा” जैसी उपाधियों से विभूषित यह परिदृश्य, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है। यह स्थिति UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति जैसे विषयों के गहन अध्ययन का अवसर प्रदान करती है।

यह ब्लॉग पोस्ट, राष्ट्रपति ट्रम्प की नीतियों के मूल, भारत पर उनके प्रभाव, और भविष्य में संभावित दिशाओं का एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा, ताकि UPSC परीक्षार्थी इस जटिल मुद्दे की तह तक पहुँच सकें।

राष्ट्रपति ट्रम्प का “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा और व्यापारिक युद्ध का उदय

“अमेरिका फर्स्ट” का नारा, राष्ट्रपति ट्रम्प के चुनावी अभियान और उनके प्रशासन की केंद्रीय धुरी रहा है। इस एजेंडे के तहत, उन्होंने अमेरिकी नौकरियों और उद्योगों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उनका मानना है कि वैश्विक व्यापार समझौते अक्सर अमेरिकी हितों के खिलाफ काम करते हैं और अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस दृष्टिकोण ने टैरिफ (शुल्क) को एक प्रमुख नीतिगत उपकरण के रूप में पुनः स्थापित किया है।

ट्रम्प की व्यापारिक नीति के मुख्य स्तंभ:

  • उच्च टैरिफ: ट्रम्प प्रशासन ने विभिन्न देशों, विशेष रूप से चीन, यूरोपीय संघ और भारत से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाए हैं। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बचाना और विदेशी देशों को व्यापार घाटे को कम करने के लिए दबाव डालना है।
  • “फेयर” ट्रेड की मांग: ट्रम्प ने अक्सर “फेयर” (निष्पक्ष) ट्रेड की बात की है, जिसका अर्थ है कि वे ऐसे व्यापारिक संबंध चाहते हैं जहां अमेरिकी कंपनियों को विदेशी बाजारों में समान पहुंच मिले और वे अनुचित प्रतिस्पर्धा का सामना न करें।
  • द्विपक्षीय समझौते: बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के बजाय, ट्रम्प प्रशासन ने द्विपक्षीय समझौतों पर जोर दिया है, जिससे वे अपनी शर्तों पर बेहतर सौदे करने की उम्मीद करते हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क: कुछ टैरिफ को राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क के तहत उचित ठहराया गया है, जैसे स्टील और एल्यूमीनियम पर लगाए गए शुल्क।

“व्यापार एकतरफा होना चाहिए। यदि यह एकतरफा है, तो यह काम नहीं करेगा। व्यापार को उचित और बुद्धिमानी से होना चाहिए।” – डोनाल्ड ट्रम्प

भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: एक बहुआयामी विश्लेषण

राष्ट्रपति ट्रम्प के “टैरिफ युद्ध” का भारत पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। भारत, जो वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, कई वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव से अछूता नहीं रहा है।

प्रत्यक्ष प्रभाव:

  • निर्यात पर मार: कुछ भारतीय निर्यात, जैसे कि स्टेनलेस स्टील उत्पाद, पर अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा है, जिससे उनके लाभ मार्जिन पर असर पड़ा है।
  • व्यापार संतुलन पर दबाव: अमेरिका, भारत के साथ अपने व्यापार घाटे को लेकर चिंतित रहा है और उसने भारत से कुछ विशेष वस्तुओं के आयात पर टैरिफ बढ़ाए हैं, जिससे द्विपक्षीय व्यापार संतुलन को लेकर तनाव बढ़ा है।
  • जनरलइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (GSP) का निलंबन: 2019 में, अमेरिका ने भारत की GSP स्थिति को निलंबित कर दिया। GSP एक विशेष व्यापार व्यवस्था है जिसके तहत विकासशील देशों को अमेरिकी बाजार में कुछ निश्चित उत्पादों पर शुल्क-मुक्त पहुंच मिलती है। इस निलंबन का भारत के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि कई भारतीय निर्यातकों को अब अधिक शुल्क देना पड़ रहा है।

अप्रत्यक्ष प्रभाव:

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान: वैश्विक व्यापार युद्धों का सबसे बड़ा प्रभाव आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) में अनिश्चितता पैदा करना है। यह भारतीय कंपनियों को भी प्रभावित करता है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा हैं।
  • निवेश पर अनिश्चितता: व्यापारिक अनिश्चितता के कारण, विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से हिचकिचा सकते हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को धीमा कर सकता है।
  • भू-राजनीतिक समीकरणों में बदलाव: व्यापारिक तनावों के कारण भारत को अपनी विदेश नीति और भू-राजनीतिक गठजोड़ पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

“महामारियों का सम्राट” बनाम “शुल्कों का महाराजा”: यह उपाधि क्यों?

यह उपाधि, “Emperor of Maladies v Maharaja of Tariffs,” राष्ट्रपति ट्रम्प की नीतियों की दोहरी प्रकृति को दर्शाती है।

  • “Emperor of Maladies” (महामारियों का सम्राट): यह उपाधि, राष्ट्रपति ट्रम्प के वैश्विक व्यापार व्यवस्थाओं के प्रति उनके अप्रत्याशित और अक्सर अस्थिर दृष्टिकोण को इंगित करती है। उनकी नीतियां, जैसे कि अचानक टैरिफ लगाना या व्यापार समझौतों से हटना, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और “बीमारियों” (समस्याओं) को जन्म देती हैं। यह वैश्विक व्यापार प्रणाली को अस्थिर करने की उनकी क्षमता को दर्शाता है।
  • “Maharaja of Tariffs” (शुल्कों का महाराजा): यह उपाधि, टैरिफ को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में इस्तेमाल करने में राष्ट्रपति ट्रम्प की मुखरता और आक्रामकता को दर्शाती है। “महाराजा” शब्द, एक संप्रभु शासक की शक्ति और प्रभुत्व का प्रतीक है, जो यह बताता है कि ट्रम्प टैरिफ के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में कितनी दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं।

यह तुलना राष्ट्रपति ट्रम्प के वैश्विक व्यापार के प्रति दृष्टिकोण को एक आक्रामक और परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है, जो मौजूदा व्यवस्थाओं को चुनौती दे रहा है और अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे के माध्यम से नई व्यवस्थाएं स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।

क्या ट्रम्प अमेरिकी नीति को “अपेंडिंग” (उलट) कर रहे हैं?

यह एक जटिल प्रश्न है जिसके कई पहलू हैं। हाँ, कुछ मायनों में, ट्रम्प प्रशासन ने निश्चित रूप से अमेरिकी विदेश और व्यापार नीति के कुछ पहलुओं को **”अपेंडिंग”** (उलट) किया है, या कम से कम उन्हें महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है।

नीतिगत बदलावों के उदाहरण:

  • बहुपक्षीयता से द्विपक्षीयता की ओर: ट्रम्प प्रशासन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय व्यापार मंचों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया है और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। यह पिछली अमेरिकी सरकारों के बहुपक्षीय व्यवस्थाओं को मजबूत करने के रुख से एक महत्वपूर्ण विचलन है।
  • “राष्ट्र पहले” का पुनरुत्थान: ट्रम्प की नीति ने “राष्ट्र पहले” के विचार को फिर से बल दिया है, जहां राष्ट्रीय हित को वैश्विक सहयोग से ऊपर रखा जाता है। इसने अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और संधियों के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता को भी प्रभावित किया है।
  • आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय: टैरिफ का उपयोग, संरक्षणवाद और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट झुकाव दिखाता है, जो पिछले कुछ दशकों की मुक्त व्यापार नीतियों से भिन्न है।
  • अप्रत्याशित कूटनीति: ट्रम्प का ट्वीट-आधारित कूटनीति और अचानक नीतिगत घोषणाएं, अमेरिकी विदेश नीति में एक अप्रत्याशितता का तत्व लाई हैं, जो पारंपरिक कूटनीतिक चैनलों से भिन्न है।

क्या यह स्थायी बदलाव है?

यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या ये बदलाव स्थायी हैं। प्रत्येक अमेरिकी प्रशासन की अपनी विदेश और व्यापार नीतियां होती हैं। जब नया प्रशासन सत्ता में आता है, तो वह नीतियों की समीक्षा कर सकता है और उन्हें बदल सकता है। हालांकि, ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान हुई कुछ नीतिगत शिफ्ट, जैसे कि बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्थाओं की आलोचना, ने वैश्विक व्यापार संवाद में एक नई बहस को जन्म दिया है।

भारत की प्रतिक्रिया और रणनीतियां

भारतीय सरकार, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कई रणनीतियों पर काम कर रही है:

  • बातचीत जारी रखना: भारत अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखे हुए है ताकि व्यापारिक मुद्दों पर आम सहमति बन सके और GSP की बहाली सहित पुराने मुद्दों का समाधान हो सके।
  • व्यापार भागीदारों का विविधीकरण: भारत अपनी निर्यात निर्भरता को कम करने के लिए अपने व्यापार भागीदारों का विविधीकरण कर रहा है और नए बाजारों की तलाश कर रहा है।
  • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा: “मेक इन इंडिया” जैसी पहलें घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और आयात पर निर्भरता कम करने पर केंद्रित हैं।
  • संरक्षणवादी उपायों का अध्ययन: भारतीय सरकार अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का सावधानीपूर्वक अध्ययन कर रही है और यदि आवश्यक हो तो जवाबी उपाय करने पर विचार कर सकती है, हालांकि वह व्यापार युद्ध को और बढ़ाने से बचना चाहती है।

UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, यह विषय निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है:

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR): भारत-अमेरिका संबंध, वैश्विक व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका, बहुपक्षीय बनाम द्विपक्षीय व्यापार, संरक्षणवाद बनाम मुक्त व्यापार।
  • अर्थव्यवस्था: व्यापार घाटा, टैरिफ का प्रभाव, GSP, आपूर्ति श्रृंखलाएं, विदेशी निवेश, विनिर्माण क्षेत्र।
  • विदेश नीति: विदेश नीति के उपकरण, कूटनीतिक बातचीत, भू-राजनीतिक रणनीति।
  • समसामयिक मामले: वर्तमान वैश्विक आर्थिक प्रवृत्तियां, प्रमुख देशों की व्यापारिक नीतियां।

चुनौतियां और भविष्य की राह

भारत के लिए, अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध एक नाजुक संतुलनकारी कार्य है। एक तरफ, अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है और रक्षा तथा रणनीतिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, अमेरिकी टैरिफ और व्यापारिक नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां पेश करती हैं।

मुख्य चुनौतियां:

  • बढ़ता संरक्षणवाद: वैश्विक स्तर पर संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के निर्यात-उन्मुख विकास मॉडल के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • तकनीकी हस्तांतरण और बौद्धिक संपदा अधिकार: अमेरिका से जुड़ी इन चिंताओं का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है।
  • अमेरिका की घरेलू राजनीति का प्रभाव: अमेरिकी घरेलू राजनीति में बदलाव का सीधा असर भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ सकता है।

भविष्य की राह:

भविष्य में, भारत को एक बहु-आयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता होगी:

  • रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना: अमेरिका के साथ अन्य क्षेत्रों, जैसे रक्षा, प्रौद्योगिकी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करना, व्यापारिक मुद्दों पर सौदेबाजी की शक्ति बढ़ा सकता है।
  • विविधतापूर्ण व्यापार नीतियां: अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जैसे यूरोपीय संघ, आसियान और अफ्रीका के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना, अमेरिका पर निर्भरता को कम करेगा।
  • “आत्मनिर्भर भारत” को मजबूत करना: घरेलू विनिर्माण और नवाचार को बढ़ावा देकर, भारत अपनी आर्थिक संप्रभुता को बढ़ा सकता है और बाहरी झटकों का बेहतर ढंग से सामना कर सकता है।
  • WTO को मजबूत करने के प्रयास: बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमजोर करने के बजाय, भारत को इसे मजबूत करने के लिए वैश्विक मंचों पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

संक्षेप में, ट्रम्प प्रशासन की व्यापारिक नीतियां, विशेष रूप से टैरिफ का उपयोग, भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह भारत के लिए अपनी आर्थिक और विदेश नीति की रणनीतियों पर पुनर्विचार करने और बदलती वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य के अनुकूल ढलने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा राष्ट्रपति ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ है?
    1. बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को मजबूत करना
    2. आयात पर टैरिफ बढ़ाना
    3. वैश्विक जलवायु समझौतों का समर्थन करना
    4. अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को वित्तीय सहायता बढ़ाना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: राष्ट्रपति ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का एक प्रमुख पहलू संरक्षणवाद था, जिसमें अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों की रक्षा के लिए आयात पर टैरिफ बढ़ाना शामिल था।

  2. प्रश्न: जनरलइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (GSP) की सुविधा के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
    1. यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो विकासशील देशों को ऋण प्रदान करता है।
    2. यह उन देशों को अमेरिकी बाजार में कुछ निश्चित उत्पादों पर शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है जो कुछ मानदंडों को पूरा करते हैं।
    3. इसका उद्देश्य केवल विकसित देशों के लिए व्यापार बाधाओं को दूर करना है।
    4. भारत को हाल ही में GSP का दर्जा दिया गया है।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: GSP एक तरजीही व्यापार व्यवस्था है जो विकासशील देशों को अमेरिकी बाजार में कुछ चुनिंदा उत्पादों पर तरजीही शुल्क उपचार प्रदान करती है। भारत का GSP दर्जा 2019 में निलंबित कर दिया गया था।

  3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी वस्तुएं राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए कुछ शुल्कों का कारण बनी हैं?
    1. सूचना प्रौद्योगिकी (IT) उत्पाद
    2. स्टील और एल्यूमीनियम उत्पाद
    3. कृषि उत्पाद
    4. कपड़ा उत्पाद

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क के तहत स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ लगाए थे, जिससे भारत जैसे देशों के निर्यातकों पर असर पड़ा था।

  4. प्रश्न: “राष्ट्र पहले” (Nation First) की अवधारणा किस प्रकार की विदेश नीति का सूचक है?
    1. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जोर
    2. वैश्विक शासन को मजबूत करना
    3. राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना
    4. मानव अधिकारों को बढ़ावा देना

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: “राष्ट्र पहले” की अवधारणा वह विदेश नीति है जो अन्य देशों के साथ सहयोग की तुलना में अपने देश के हितों और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

  5. प्रश्न: विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह एक बहुपक्षीय संगठन है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों को विनियमित करता है।
    2. यह सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को निपटाने में मदद करता है।
    3. राष्ट्रपति ट्रम्प ने WTO की प्रभावशीलता पर अक्सर सवाल उठाए हैं।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    1. केवल 1
    2. 1 और 2
    3. 2 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: WTO एक बहुपक्षीय संगठन है जो वैश्विक व्यापार के नियमों को स्थापित करता है और विवादों को सुलझाने में मदद करता है। ट्रम्प प्रशासन ने इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए थे।

  6. प्रश्न: संरक्षणवाद (Protectionism) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    1. मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना
    2. आयात को हतोत्साहित करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना
    3. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना
    4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार घाटे को कम करना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: संरक्षणवाद एक आर्थिक नीति है जो घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर टैरिफ, कोटा या अन्य प्रतिबंधों का उपयोग करती है।

  7. प्रश्न: भारत की “मेक इन इंडिया” पहल का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
    1. सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देना
    2. घरेलू विनिर्माण और निवेश को प्रोत्साहित करना
    3. कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना
    4. विदेशी सहायता पर निर्भरता कम करना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: “मेक इन इंडिया” का लक्ष्य भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाना और घरेलू तथा विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।

  8. प्रश्न: हाल के व्यापारिक तनावों के संदर्भ में, भारत के लिए “व्यापार भागीदारों का विविधीकरण” (Diversification of Trade Partners) क्यों महत्वपूर्ण है?
    1. केवल अमेरिका पर निर्भरता को बढ़ाना
    2. एकल व्यापार भागीदार पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम को कम करना
    3. निर्यात बाजारों को सीमित करना
    4. आयात शुल्क को बढ़ाना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: व्यापार भागीदारों का विविधीकरण भारत को किसी एक देश के साथ व्यापार संबंधी मुद्दों के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

  9. प्रश्न: “राष्ट्र पहले” नीति के तहत, राष्ट्रपति ट्रम्प ने किस प्रकार के व्यापारिक सौदों को प्राथमिकता दी?
    1. बहुपक्षीय व्यापार समझौते
    2. द्विपक्षीय व्यापार समझौते
    3. क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते
    4. सभी प्रकार के व्यापार समझौते

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: ट्रम्प प्रशासन ने बहुपक्षीय समझौतों के बजाय, अमेरिका के लिए अधिक अनुकूल द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर जोर दिया।

  10. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कारक भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक व्यापार युद्धों का अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है?
    1. निर्यात में वृद्धि
    2. स्थिर आपूर्ति श्रृंखलाएं
    3. निवेश पर अनिश्चितता
    4. कम आयात शुल्क

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: वैश्विक व्यापार युद्धों से उत्पन्न अनिश्चितता विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती है, जिससे निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” की विदेश नीति के तहत राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अपनाई गई संरक्षणवादी व्यापारिक नीतियों का विश्लेषण करें और वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन करें। भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के संदर्भ में इन नीतियों के निहितार्थों पर चर्चा करें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न: हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में आई प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें। भारत द्वारा इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न: “महामारियों का सम्राट बनाम शुल्कों का महाराजा” जैसी उपाधियां राष्ट्रपति ट्रम्प के व्यापारिक दृष्टिकोण को कैसे दर्शाती हैं? इस संदर्भ में, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के भविष्य पर चर्चा करें। (150 शब्द)
  4. प्रश्न: वैश्वीकरण के वर्तमान युग में, संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति और इसके साथ जुड़े भू-राजनीतिक और आर्थिक परिणाम क्या हैं? भारत की आर्थिक संप्रभुता और विकास के लिए ये प्रवृत्तियां क्या मायने रखती हैं? (250 शब्द)

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