क्या आप हैं असली समाजशास्त्री? आज की चुनौती स्वीकार करें!
समाजशास्त्र की दुनिया में आपका स्वागत है, जहाँ हर दिन अवधारणाओं की परतें खुलती हैं! अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और आज के विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को निखारें। तैयार हो जाइए, यह आपके ज्ञान का अग्नि-परीक्षण है!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “कार्यात्मक अनिवार्यता” (Functional Imperative) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार किसी भी समाज को जीवित रहने के लिए चार बुनियादी कार्यों (अनुकूलन, लक्ष्य-साधन, एकीकरण, अव्यवस्था-प्रतिधारण) को पूरा करना होता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टैल्कॉट पार्सन्स
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने अपने “एजीआईएल मॉडल” (AGIL Model) में “कार्यात्मक अनिवार्यता” की अवधारणा विकसित की। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए चार मुख्य कार्यों को पूरा करना आवश्यक है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य-साधन (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और अव्यवस्था-प्रतिधारण (Latency/Pattern Maintenance)।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार पार्सन्स के संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) के सिद्धांत का केंद्र है, जिसे उन्होंने अपनी कृति ‘Towards a General Theory of Action’ में प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का जोर वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता की व्याख्या पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और आत्महत्या के कारणों का अध्ययन किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “वर्ग चेतना” (Class Consciousness) के बारे में एमिल दुर्खीम के विचारों को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?
- यह पूंजीवादी समाज में सर्वहारा वर्ग द्वारा अपनी शोषक स्थिति को पहचानने और उसके खिलाफ एकजुट होने की क्षमता है।
- यह सामाजिक श्रम विभाजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली सामूहिक चेतना है जो व्यक्तियों को समाज से जोड़ती है।
- यह समाज में व्यक्ति की स्थिति के बारे में जागरूकता है, जो उसकी सामाजिक गतिशीलता को निर्धारित करती है।
- यह उस स्थिति की अज्ञानता है जो सामाजिक स्तरीकरण के कारण उत्पन्न होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के लिए, “वर्ग चेतना” (या अधिक सामान्यतः “सामूहिक चेतना” – Collective Consciousness) समाज में श्रम विभाजन के कारण उत्पन्न होती है। यह चेतना व्यक्तियों को समाज से बांधती है और यह दर्शाती है कि कैसे लोगों के विचार और भावनाएँ समाज में साझा किए जाते हैं। मार्क्सवादी संदर्भ में “वर्ग चेतना” का अर्थ भिन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में दर्शाया कि कैसे सरल समाजों में “यांत्रिक एकजुटता” (Mechanical Solidarity) के विपरीत, जटिल समाजों में “जैविक एकजुटता” (Organic Solidarity) श्रम विभाजन से उत्पन्न होती है, जो एक साझा चेतना पर आधारित होती है।
- गलत विकल्प: (a) यह कार्ल मार्क्स की “वर्ग चेतना” की परिभाषा के करीब है। (c) यह सामाजिक गतिशीलता के बारे में है, न कि वर्ग चेतना के बारे में। (d) यह अज्ञानता के बारे में है, न कि चेतना के बारे में।
प्रश्न 3: “आत्मसात्करण” (Assimilation) की प्रक्रिया, जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समूह की संस्कृति, मूल्यों और जीवन शैली को अपनाता है, को मुख्य रूप से किस समाजशास्त्रीय उपागम से जोड़ा जाता है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- संघर्ष सिद्धांत
- नारीवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आत्मसात्करण की प्रक्रिया को प्रायः संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जोड़ा जाता है, क्योंकि यह उपागम समाज को एक एकीकृत व्यवस्था के रूप में देखता है जहाँ विभिन्न समूह (अल्पसंख्यक सहित) समाज के सुचारू संचालन के लिए मुख्यधारा की संस्कृति को अपनाकर योगदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विशेष रूप से अमेरिकी समाजशास्त्र में आप्रवासियों और जातीय समूहों के एकीकरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण रही है।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर जोर देता है। नारीवाद लिंग आधारित असमानताओं का विश्लेषण करता है।
प्रश्न 4: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) के औपचारिक साधनों में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल नहीं है?
- कानून और न्यायपालिका
- पुलिस और जेल
- जनता का जनमत
- शिक्षा प्रणाली
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जनता का जनमत (Public Opinion) सामाजिक नियंत्रण का एक अनौपचारिक साधन है। औपचारिक साधन वे होते हैं जो स्पष्ट रूप से परिभाषित नियमों, विनियमों और अधिकारियों पर आधारित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण में राज्य द्वारा स्थापित संस्थाएं जैसे पुलिस, अदालतें, जेल आदि शामिल होती हैं, जो दंड के माध्यम से व्यवहार को नियंत्रित करती हैं। शिक्षा प्रणाली भी अप्रत्यक्ष रूप से मूल्यों और मानदंडों को स्थापित करके नियंत्रण का काम करती है, लेकिन जनमत प्रत्यक्ष रूप से संस्थागत नहीं है।
- गलत विकल्प: कानून, न्यायपालिका, पुलिस और जेल स्पष्ट रूप से औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं। शिक्षा प्रणाली भी एक संस्थागत ढाँचा है जो सामाजिक नियंत्रण में भूमिका निभाता है, हालाँकि यह जनमत जितना अनौपचारिक नहीं है।
प्रश्न 5: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा, जो बताती है कि समाज के भौतिक पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक पहलू (जैसे मूल्य, मानदंड) की तुलना में तेजी से बदलते हैं, किसने प्रस्तुत की?
- रॉबर्ट ई. पार्क
- विलियम एफ. ओगबर्न
- सोरोकिन
- इरावती कर्वे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की।
- संदर्भ और विस्तार: उनका तर्क था कि तकनीकी नवाचार (भौतिक संस्कृति) अक्सर सामाजिक संस्थानों, कानूनों और नैतिक मूल्यों (अभौतिक संस्कृति) में परिवर्तन से आगे निकल जाते हैं, जिससे सामाजिक तनाव और अव्यवस्था उत्पन्न होती है।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के एक प्रमुख समाजशास्त्री थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र पर काम किया। सोरोकिन ने सामाजिक गतिशीलता और संस्कृति के उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया। इरावती कर्वे एक प्रसिद्ध भारतीय मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थीं जिन्होंने नातेदारी और परिवार पर काम किया।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में, “द्वितीयक जातियाँ” (Secondary Jatis) की अवधारणा का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है?
- वे जातियाँ जो प्राचीन काल से ही एक समान स्थिति रखती हैं।
- वे जातियाँ जिन्हें भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित जातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- वे जातियाँ जो व्यवसाय की बजाय रक्त संबंध के आधार पर संगठित होती हैं।
- वे जातियाँ जो अपनी उत्पत्ति को किसी प्रमुख जाति के साथ जोड़ती हैं, लेकिन उनके रीति-रिवाज या स्थिति भिन्न होती है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “द्वितीयक जातियाँ” (Secondary Jatis) वे जातियाँ होती हैं जो अपनी उत्पत्ति को किसी प्रमुख या “प्राथमिक” जाति से जोड़ती हैं, लेकिन जिनके रीति-रिवाज, अनुष्ठान, या सामाजिक-आर्थिक स्थिति थोड़ी भिन्न हो सकती है। यह विभाजन कभी-कभी विभिन्न उप-समूहों या क्षेत्रीय भिन्नताओं को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द विभिन्न समाजशास्त्रियों द्वारा भारतीय जाति व्यवस्था की जटिलताओं को समझने के लिए प्रयोग किया गया है।
- गलत विकल्प: (a) यह परिभाषा प्राथमिक जातियों के लिए अधिक उपयुक्त हो सकती है। (b) अनुसूचित जातियाँ एक संवैधानिक वर्गीकरण है। (c) यह जनों (Clans) या गोत्रों (Lineages) के वर्णन जैसा है, जातियों का नहीं।
प्रश्न 7: “पावर एलीट” (Power Elite) की अवधारणा, जो बताती है कि आधुनिक समाज में निर्णय लेने की शक्ति मुट्ठी भर व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित है, किसने विकसित की?
- C. Wright Mills
- Max Weber
- G. H. Mead
- Ferdinand Tönnies
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: C. Wright Mills ने अपनी 1956 की पुस्तक ‘The Power Elite’ में यह अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने तर्क दिया कि सेना, उद्योग और सरकार के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति मिलकर एक “शक्ति अभिजात वर्ग” बनाते हैं जो देश की नीतियों को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स का विश्लेषण अमेरिकी समाज पर केंद्रित था और यह संघर्ष सिद्धांत से प्रभावित था।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने सत्ता (Power) और अधिकार (Authority) के विभिन्न प्रकारों पर काम किया। G. H. Mead प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े थे। Ferdinand Tönnies ने ‘Gemeinschaft’ (समुदाय) और ‘Gesellschaft’ (सोसाइटी) की अवधारणाएं दीं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा परिवार का एक प्रकार है जहाँ पति अपनी पत्नी के परिवार के साथ रहता है?
- पैट्रिलॉजिकल (Patrilogical)
- मैट्रिलॉजिकल (Matrilogical)
- बि लोकॉसल (Bilocal)
- मैट्रीफोकल (Matrifocal)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: बि लोकॉसल (Bilocal) निवास पैटर्न वह होता है जहाँ नवविवाहित जोड़ा अपनी पसंद के अनुसार पति के परिवार के साथ या पत्नी के परिवार के साथ रहता है। प्रश्न में स्पष्ट रूप से पत्नी के परिवार के साथ रहने का उल्लेख है, जो बि लोकॉसल का एक रूप है (कभी-कभी इसे ‘dual residence’ भी कहा जाता है), या विशेष रूप से ‘Uxorilocal’ (पत्नी के घर रहना) के रूप में भी देखा जा सकता है, जो बि लोकॉसल का हिस्सा है। हालाँकि, दिए गए विकल्पों में से बि लोकॉसल सबसे प्रासंगिक है।
- संदर्भ और विस्तार: निवास पैटर्न (Residence Patterns) विवाह के बाद जोड़े के रहने के स्थान को संदर्भित करते हैं। अन्य विकल्प हैं: पैट्रिलॉजिकल (पति के पिता के घर), मैट्रिलॉजिकल (पत्नी के माँ के घर – यह अक्सर मैट्रिलॉजिकल शब्द के साथ भ्रमित होता है, मैट्रिलॉजिकल स्वयं निवास नहीं, बल्कि माँ के वंश को दर्शाता है)।
- गलत विकल्प: पैट्रिलॉजिकल (a) पति के पिता के घर रहना है। मैट्रिलॉजिकल (b) यह शब्द आमतौर पर माँ के वंश या मातृसत्तात्मक व्यवस्था से जुड़ा है, सीधे निवास से नहीं। मैट्रिफोकल (d) यह उस परिवार संरचना को संदर्भित करता है जहाँ माँ मुख्य भूमिका निभाती है, न कि निवास स्थान को।
प्रश्न 9: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) की अवधारणा का मुख्य सरोकार किससे है?
- समाज में शक्ति का वितरण।
- समाज में व्यक्ति की स्थिति के अनुसार संसाधनों का असमान वितरण।
- समाज में व्यक्तिगत उपलब्धियों का मूल्यांकन।
- समाज में संस्थागत असमानताओं का अभाव।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज में लोगों के विभिन्न समूहों में क्रमबद्ध या स्तरित होने की प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप संसाधनों (जैसे धन, शक्ति, प्रतिष्ठा) का असमान वितरण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विभिन्न समाजों में वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि जैसे आधारों पर उत्पन्न होने वाली स्थायी असमानताओं की व्याख्या करती है।
- गलत विकल्प: (a) शक्ति का वितरण स्तरीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह पूरी अवधारणा नहीं है। (c) व्यक्तिगत उपलब्धियों का मूल्यांकन सामाजिक गतिशीलता से अधिक जुड़ा है। (d) यह स्तरीकरण के विपरीत है।
प्रश्न 10: वेबर के अनुसार, “कैरिस्मैटिक अथॉरिटी” (Charismatic Authority) किस पर आधारित होती है?
- परंपरा और स्थापित अधिकार।
- कानून और नियम।
- नेता के असाधारण व्यक्तित्व गुण और अलौकिक क्षमताएँ।
- प्रशासनिक कौशल और दक्षता।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, कानूनी-तर्कसंगत और करिश्माई। कैरिस्मैटिक अथॉरिटी नेता के असाधारण, चमत्कारी व्यक्तित्व गुणों, उनकी दिव्यता या अलौकिक शक्ति में अनुयायियों के विश्वास पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर क्रांतिकारी आंदोलनों या धार्मिक नेताओं में देखी जाती है। वेबर ने ‘Economy and Society’ में इन प्रकारों का वर्णन किया है।
- गलत विकल्प: (a) यह पारंपरिक अधिकार है। (b) यह कानूनी-तर्कसंगत अधिकार है। (d) यह भी कानूनी-तर्कसंगत अधिकार का हिस्सा है।
प्रश्न 11: “सार्वभौमिकता” (Universality) के संदर्भ में, एमिल दुर्खीम ने किस सामाजिक तथ्य का अध्ययन किया?
- पूंजीवाद का विकास
- आत्महत्या के विभिन्न रूप
- वर्ग संघर्ष
- प्रतीकात्मक अंतःक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘Suicide’ (1897) में विभिन्न समाजों में आत्महत्या की दरों और प्रकारों का तुलनात्मक अध्ययन किया। उन्होंने दिखाया कि आत्महत्याएँ व्यक्तिगत घटनाएँ होने के बावजूद, सामाजिक कारकों (जैसे सामाजिक एकीकरण और विनियमन की मात्रा) से प्रभावित होती हैं, जो उन्हें सामाजिक तथ्य (Social Fact) बनाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के विभिन्न स्तरों के आधार पर एकाकी (Egoistic), परोपकारी (Altruistic) और एनोमिक (Anomic) आत्महत्याओं का वर्णन किया।
- गलत विकल्प: (a) पूंजीवाद का विकास कार्ल मार्क्स के अध्ययन का मुख्य विषय था। (c) वर्ग संघर्ष भी मार्क्स का केंद्रीय विचार है। (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद जॉर्ज हर्बर्ट मीड से जुड़ा है।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह मुख्य रूप से पश्चिमीकरण (Westernization) के समान है।
- यह धर्मनिरपेक्षता (Secularization) को बढ़ावा देता है।
- यह हमेशा रैखिक (Linear) और सकारात्मक होता है।
- यह जाति व्यवस्था को और मज़बूत करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण, विशेष रूप से सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में, प्रायः धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देता है, जहाँ धार्मिक प्रभाव कम हो जाता है और तर्कसंगत, धर्मनिरपेक्ष संस्थाएँ प्रमुख हो जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि आधुनिकीकरण में पश्चिमीकरण के कुछ तत्व शामिल हो सकते हैं, यह केवल उसी तक सीमित नहीं है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण और शिक्षा का प्रसार शामिल है। यह रैखिक नहीं है और इसके नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। यह जाति व्यवस्था को चुनौती देता है, न कि मज़बूत करता है, यद्यपि इसके प्रभाव विविध हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण पश्चिमीकरण से व्यापक है। (c) यह रैखिक नहीं है और इसके नकारात्मक पहलू भी हैं। (d) यह सामान्यतः जाति व्यवस्था को कमजोर करता है, या कम से कम उसमें परिवर्तन लाता है।
प्रश्न 13: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य बल किस पर है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ और संस्थाएँ।
- समाज में शक्ति और संघर्ष।
- व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाएँ और प्रतीकों का उपयोग।
- सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाले कार्य।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- Correctness: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) सिद्धांत है जो इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव, वस्तुएँ) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ कैसे संवाद करते हैं और इन अंतःक्रियाओं से वे कैसे अर्थ (Meaning) का निर्माण करते हैं, जो उनके व्यवहार को आकार देते हैं।
- Context & Elaboration: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और अर्ल्विंग गॉफमैन जैसे समाजशास्त्री इस उपागम से जुड़े हैं। यह मानता है कि वास्तविकता सामाजिक रूप से निर्मित होती है।
- Incorrect Options: (a) यह संरचनात्मक प्रकार्यवाद का मुख्य फोकस है। (b) यह संघर्ष सिद्धांत का मुख्य फोकस है। (d) यह भी संरचनात्मक प्रकार्यवाद का मुख्य फोकस है।
प्रश्न 14: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, साझा विश्वासों और नियमों को संदर्भित करती है जो सहयोग को सक्षम बनाते हैं, को किसने प्रमुखता से विकसित किया?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा विभिन्न समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित की गई है। पियरे बॉर्डियू ने इसे व्यक्तियों के लिए संसाधनों के रूप में देखा जो उनके सामाजिक संपर्कों से प्राप्त होते हैं। जेम्स कॉलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं की एक विशेषता के रूप में देखा जो कुछ कार्यों को सुगम बनाती है। रॉबर्ट पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन से जोड़ा। इसलिए, तीनों ने इस अवधारणा को महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे पूंजी के एक रूप के रूप में देखा, जो आर्थिक और सांस्कृतिक पूंजी के समान है। कॉलमैन ने इसे शिक्षा और अन्य सामाजिक परिणामों के लिए महत्वपूर्ण माना। पुटनम ने इसे अमेरिकी लोकतंत्र के क्षरण के संदर्भ में चर्चा की।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प केवल एक या दो योगदानकर्ताओं को सूचीबद्ध करते हैं, जबकि तीनों इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं।
प्रश्न 15: भारतीय समाज में “उल-गुलान” (Ulgulan) आंदोलन का संबंध किस आदिवासी समुदाय से है?
- संथाल
- मुंडा
- भील
- गोंड
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “उल-गुलान” (Ulgulan) का अर्थ ‘महान हंगामा’ या ‘विद्रोह’ है, और यह 19वीं सदी के अंत में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा जनजाति द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ किए गए एक महत्वपूर्ण आदिवासी विद्रोह से जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन मुंडाओं के अधिकारों, भूमि और पहचान की रक्षा के लिए था।
- गलत विकल्प: संथालों का विद्रोह (जैसे हुल आंदोलन), भीलों और गोंडों के भी अपने प्रतिरोध आंदोलन रहे हैं, लेकिन “उल-गुलान” विशेष रूप से मुंडा विद्रोह का पर्याय है।
प्रश्न 16: “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों की शिथिलता या अनुपस्थिति की स्थिति को दर्शाती है, किसने विकसित की?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने “एनोमी” की अवधारणा को प्रमुखता से प्रस्तुत किया, विशेषकर ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में। इसका अर्थ एक ऐसी स्थिति है जहाँ सामाजिक मानदंड कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति दिशाहीन महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्थिति तब उत्पन्न हो सकती है जब समाज में अचानक परिवर्तन आता है, या जब व्यक्ति समाज के लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के साधनों के बीच संतुलन नहीं बिठा पाते।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का जोर वर्ग संघर्ष और अलगाव पर था। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर काम किया। रॉबर्ट मर्टन ने एनोमी को अनुरूपता (Conformity) और नवाचार (Innovation) जैसे साधनों के उपयोग से जोड़ा, लेकिन मूल अवधारणा दुर्खीम की है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी एक “गौण संस्था” (Secondary Institution) का उदाहरण है?
- परिवार
- धर्म
- शिक्षा
- राजनीति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में, परिवार और धर्म को अक्सर “प्राथमिक संस्थाएँ” (Primary Institutions) माना जाता है क्योंकि वे समाजीकरण और मौलिक सामाजिक मूल्यों के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा, राजनीति और अर्थव्यवस्था को आमतौर पर “गौण संस्थाएँ” माना जाता है, जिनका कार्य अधिक विशिष्ट और कम व्यक्तिगत होता है, हालांकि वे भी समाज के कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक संस्थाएँ मानव जीवन के मूलभूत पहलुओं (जैसे प्रजनन, पोषण, भावनाएँ) को पूरा करती हैं, जबकि गौण संस्थाएँ समाज की अधिक जटिल आवश्यकताओं (जैसे ज्ञान प्रसार, सत्ता प्रबंधन) को पूरा करती हैं।
- गलत विकल्प: परिवार और धर्म प्राथमिक संस्थाएँ हैं। राजनीति भी एक प्रमुख संस्था है, लेकिन अक्सर शिक्षा की तुलना में इसे प्राथमिक के करीब माना जा सकता है क्योंकि यह सामाजिक व्यवस्था और शक्ति से सीधे जुड़ी है। शिक्षा का प्राथमिक कार्य ज्ञान और कौशल का हस्तांतरण है, जो इसे गौण बनाता है।
प्रश्न 18: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का क्या अर्थ है?
- अन्य संस्कृतियों के प्रति श्रेष्ठता की भावना रखना।
- यह विश्वास कि सभी संस्कृतियाँ अपनी ही संस्कृति के मानकों से श्रेष्ठ हैं।
- यह विश्वास कि किसी संस्कृति के व्यवहारों और विश्वासों को उस संस्कृति के अपने संदर्भ में समझा और मूल्यांकित किया जाना चाहिए।
- यह विश्वास कि सभी संस्कृतियाँ अनिवार्य रूप से समान हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह सिद्धांत है कि किसी भी संस्कृति को उस संस्कृति के भीतर के दृष्टिकोण से समझा और उसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी, अक्सर अपनी संस्कृति के मानदंडों के आधार पर।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य पूर्वाग्रहों से बचना और विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं को उनके अपने संदर्भ में समझना है। यह “जाति-केंद्रवाद” (Ethnocentrism) के विपरीत है।
- गलत विकल्प: (a) यह जाति-केंद्रवाद है। (b) यह भी एक प्रकार का जाति-केंद्रवाद है। (d) यह सत्य नहीं है, क्योंकि संस्कृतियाँ भिन्न होती हैं।
प्रश्न 19: “समाज” (Society) को परिभाषित करने वाले प्राथमिक कारकों में कौन सा शामिल है?
- केवल व्यक्तियों का समूह।
- जाति व्यवस्था का अस्तित्व।
- साझा संस्कृति, सामाजिक संरचना और अंतःक्रिया।
- सरकारी नियंत्रण की डिग्री।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाज को व्यक्तियों के एक ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक सामान्य क्षेत्र साझा करते हैं और जो एक-दूसरे पर काफी हद तक निर्भर होते हैं। समाज की पहचान में साझा संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड, विश्वास), एक संगठित सामाजिक संरचना और सदस्यों के बीच निरंतर अंतःक्रिया शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: केवल व्यक्तियों का समूह होना पर्याप्त नहीं है; उनके बीच एक सुसंगत संबंध और साझा पहचान होनी चाहिए। जाति व्यवस्था या सरकारी नियंत्रण समाज की विशेषताएँ हो सकती हैं, लेकिन वे समाज की परिभाषा के प्राथमिक कारक नहीं हैं।
- गलत विकल्प: (a) केवल व्यक्तियों का समूह समाज नहीं बनाता। (b) जाति व्यवस्था भारत जैसे कुछ समाजों की विशेषता है, लेकिन यह समाज की सार्वभौमिक परिभाषा नहीं है। (d) सरकारी नियंत्रण समाज के संगठन का एक पहलू है, लेकिन यह समाज को परिभाषित नहीं करता।
प्रश्न 20: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, जिसका अर्थ है व्यक्ति का समाज, उसके श्रम, या स्वयं से कटा हुआ महसूस करना, को मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री ने विकसित किया?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव का वर्णन किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद पर नियंत्रण खो देते हैं और वे केवल मशीनों के पुर्जे बन जाते हैं, जिससे उनमें अलगाव की भावना पैदा होती है। यह उनके ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से मिलता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर, दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी पर, और सिमेल ने शहरी जीवन और सामाजिक अंतरक्रिया के रूपों पर काम किया।
प्रश्न 21: भारत में, “प्रॉस्पेरिटी पैराडॉक्स” (Prosperity Paradox) की अवधारणा का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है?
- आर्थिक विकास के बावजूद गरीबी का बना रहना।
- गरीबी को दूर करने के लिए सरकारी योजनाओं की विफलता।
- उच्च आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक असमानता का बढ़ना।
- आर्थिक सुधारों का समावेशी विकास पर नकारात्मक प्रभाव।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “प्रॉस्पेरिटी पैराडॉक्स” (Prosperity Paradox) या “समृद्धि का विरोधाभास” उस स्थिति को दर्शाता है जहाँ किसी देश या समाज में आर्थिक विकास और समृद्धि बढ़ रही होती है, लेकिन साथ ही सामाजिक असमानताएँ, विशेष रूप से आय और धन के वितरण में, भी बढ़ती जाती हैं। यह दर्शाता है कि आर्थिक वृद्धि का लाभ सभी वर्गों तक समान रूप से नहीं पहुँच रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द अक्सर भारत जैसे विकासशील देशों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है जहाँ सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तो बढ़ रहा है, लेकिन अमीरों और गरीबों के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) कुछ हद तक विरोधाभास के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन (c) विरोधाभास की मुख्य परिभाषा को सटीक रूप से दर्शाता है।
प्रश्न 22: “अभिजात वर्ग” (Elite) के सिद्धांत के अनुसार, समाज में शक्ति और विशेषाधिकार मुख्य रूप से एक छोटे, विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक समूह के पास केंद्रित होते हैं। इस सिद्धांत का समर्थन निम्नलिखित में से किसने किया?
- C. Wright Mills
- Vilfredo Pareto
- Gaetano Mosca
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अभिजात वर्ग (Elite) के सिद्धांत के अनुसार, समाज हमेशा शासितों और शासक वर्ग (या अभिजात वर्ग) में विभाजित होता है। विल्फ्रेडो पैरेटो (Vilfredo Pareto) ने “शेरों” (शेर जो बल प्रयोग करते हैं) और “लोमड़ियों” (जो चालाकी से काम करते हैं) के अभिजात वर्ग के चक्रीय सिद्धांत पर काम किया। गैएटानो मोस्का (Gaetano Mosca) ने तर्क दिया कि किसी भी समाज में हमेशा एक संगठित अल्पसंख्यक शासक वर्ग होता है। C. Wright Mills ने अमेरिकी समाज में “शक्ति अभिजात वर्ग” (Power Elite) की अवधारणा विकसित की। इसलिए, तीनों ही इस सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इन विचारकों ने तर्क दिया कि भले ही शासक वर्ग बदल जाए, शासन हमेशा एक अल्पसंख्यक द्वारा ही किया जाएगा।
- गलत विकल्प: केवल एक या दो विकल्प चुनने से अन्य प्रमुख योगदानकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा सकता है।
प्रश्न 23: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया का पैटर्न।
- एक व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना।
- सामाजिक संरचना का समय के साथ बदलना।
- समाज में व्यक्तियों की संख्या का बढ़ना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति (जैसे आय, शिक्षा, व्यवसाय, वर्ग) में परिवर्तन करते हैं। यह क्षैतिज (Horizontal) हो सकती है (एक ही स्तर पर स्थिति बदलना) या ऊर्ध्वाधर (Vertical) हो सकती है (ऊपर या नीचे की ओर स्थिति बदलना)।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत (Intragenerational – एक ही पीढ़ी में) या अंतर-पीढ़ी (Intergenerational – पीढ़ियों के बीच) हो सकती है।
- गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक अंतःक्रिया का वर्णन है। (c) यह सामाजिक परिवर्तन का वर्णन है, न कि व्यक्तिगत गतिशीलता का। (d) यह जनसंख्या वृद्धि का वर्णन है।
प्रश्न 24: “पैटर्न मेंटेनेंस” (Pattern Maintenance) की अवधारणा, जो सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक सांस्कृतिक मूल्यों और भावनाओं के संरक्षण से संबंधित है, किस समाजशास्त्रीय उपागम का हिस्सा है?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- घटना विज्ञान
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “पैटर्न मेंटेनेंस” (Pattern Maintenance) टैल्कॉट पार्सन्स के AGIL मॉडल का एक प्रमुख कार्य है, जो संरचनात्मक प्रकार्यवाद का हिस्सा है। यह सुनिश्चित करता है कि समाज अपने सदस्यों को उन मूल्यों, मान्यताओं और भावनाओं से प्रेरित करे जो सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, जैसे कि परिवार, शिक्षा और धर्म द्वारा।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, किसी भी सामाजिक व्यवस्था को कार्य करने के लिए अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य-साधन (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और पैटर्न मेंटेनेंस (Pattern Maintenance) इन चार कार्यों को पूरा करना होता है।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-स्तरीय अर्थों पर केंद्रित है। (d) घटना विज्ञान (Phenomenology) चेतना और अनुभव की संरचनाओं पर केंद्रित है।
प्रश्न 25: भारतीय समाज में “हरित क्रांति” (Green Revolution) के सामाजिक प्रभावों में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल नहीं है?
- किसानों के बीच आय असमानता का बढ़ना।
- भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार।
- कृषि के मशीनीकरण में वृद्धि।
- क्षेत्रीय असमानताओं का बढ़ना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: हरित क्रांति के सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभावों में से एक यह था कि इसने बड़े किसानों (जो नई तकनीकों और बीजों में निवेश कर सकते थे) और छोटे किसानों या भूमिहीन मजदूरों के बीच आय की असमानता को बढ़ाया। अक्सर, भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार होने के बजाय, वे प्रौद्योगिकी के कारण विस्थापित भी हुए या उनके लिए अवसर सीमित हो गए।
- संदर्भ और विस्तार: हरित क्रांति ने गेहूं और चावल जैसी फसलों के उत्पादन में वृद्धि की, जिससे भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बना। हालाँकि, इसके लाभ समान रूप से वितरित नहीं हुए। इसने कृषि के मशीनीकरण को भी बढ़ावा दिया और उन क्षेत्रों में अधिक समृद्धि लाई जहाँ नई तकनीकें अधिक प्रभावी थीं, जिससे क्षेत्रीय असमानताएँ बढ़ीं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) हरित क्रांति के ज्ञात सामाजिक प्रभाव हैं। (b) भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार होना एक सामान्य परिणाम नहीं था, बल्कि अक्सर इसका विपरीत हुआ।