क्या अमेरिकी टैरिफ हटाना 1929 जैसी महामंदी को बुलावा देगा? ट्रंप की चेतावनी का विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक साहसिक और संभावित रूप से परेशान करने वाली चेतावनी जारी की है। उनका दावा है कि यदि वर्तमान अमेरिकी सरकार टैरिफ (आयात शुल्क) हटाती है, तो देश 1929 की भयानक महामंदी जैसी आर्थिक आपदा का सामना कर सकता है। यह बयान न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जटिलताओं पर एक नई बहस छेड़ता है, बल्कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए भी सामरिक, आर्थिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम ट्रम्प की चेतावनी के पीछे के कारणों, टैरिफ की भूमिका, 1929 की महामंदी के सबक और इस घटना के बहुआयामी प्रभावों का गहराई से विश्लेषण करेंगे।
1. ट्रम्प की चेतावनी को समझना: टैरिफ और महामंदी का संबंध
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान एक सीधे कारण-कार्य संबंध को दर्शाता है: टैरिफ हटाना = महामंदी। लेकिन यह इतना सरल नहीं है। ट्रम्प के तर्क के पीछे कुछ मुख्य बिंदु हो सकते हैं:
* घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: ट्रम्प प्रशासन का मुख्य जोर “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर था, जिसका अर्थ था कि वे अमेरिकी नौकरियों और उद्योगों को प्राथमिकता देना चाहते थे। उनका मानना था कि टैरिफ विदेशी उत्पादों को महंगा बनाकर घरेलू निर्माताओं को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देते हैं। यदि टैरिफ हटा दिए जाते हैं, तो सस्ते विदेशी उत्पाद अमेरिकी बाजारों में भर सकते हैं, जिससे घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुँच सकता है।
* व्यापार घाटे को कम करना: ट्रम्प अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका के बड़े व्यापार घाटे (जहां आयात निर्यात से अधिक होता है) को एक राष्ट्रीय समस्या के रूप में देखते थे। उनका मानना था कि टैरिफ अन्य देशों को अनुचित व्यापार प्रथाओं से रोककर घाटे को कम करने में मदद कर सकते हैं।
* प्रतिशोध (Retaliation) का डर: ट्रम्प का यह भी तर्क हो सकता है कि यदि अमेरिका अपने टैरिफ हटाता है, तो अन्य देश भी अपने टैरिफ कम कर सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में एक सकारात्मक चक्र शुरू हो सकता है। लेकिन यदि अमेरिका ऐसा नहीं करता है और टैरिफ बनाए रखता है, तो अन्य देश अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाकर प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होगा।
* 1929 का संदर्भ: ट्रम्प द्वारा 1929 की महामंदी का उल्लेख एक शक्तिशाली प्रतीकात्मक रणनीति है। यह उस समय का प्रतिनिधित्व करता है जब अमेरिका और दुनिया ने अभूतपूर्व आर्थिक पतन का अनुभव किया था। इस संदर्भ का उपयोग वह अपनी चेतावनी के गंभीर परिणामों को उजागर करने के लिए कर रहे हैं।
2. टैरिफ क्या हैं और वे कैसे काम करते हैं?
सरल शब्दों में, टैरिफ एक प्रकार का कर (tax) है जो किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है।
* मूल उद्देश्य:
* राजस्व संग्रह (Revenue Generation): सरकारें टैरिफ से प्राप्त धन से राजस्व उत्पन्न करती हैं।
* घरेलू उद्योगों की सुरक्षा (Protectionism): यह एक देश के घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए एक प्रमुख उपकरण है। जब आयातित सामान पर कर लगाया जाता है, तो वे अधिक महंगे हो जाते हैं, जिससे घरेलू उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते लगने लगते हैं।
* राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): कुछ सामरिक या महत्वपूर्ण उद्योगों (जैसे रक्षा या कृषि) को विदेशी निर्भरता से बचाने के लिए भी टैरिफ का उपयोग किया जा सकता है।
* राजनीतिक उपकरण (Political Tool): देशों के बीच व्यापार संबंधों को प्रभावित करने या किसी देश पर दबाव बनाने के लिए भी टैरिफ का उपयोग किया जा सकता है।
* कार्यान्वयन के तरीके:
* विशिष्ट टैरिफ (Specific Tariffs): यह प्रति यूनिट वस्तु पर एक निश्चित राशि के रूप में लगाया जाता है (उदाहरण के लिए, प्रति किलोग्राम $1)।
* मूल्य-आधारित टैरिफ (Ad Valorem Tariffs): यह वस्तु के मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है (उदाहरण के लिए, आयातित कार के मूल्य का 10%)।
* हाइब्रिड टैरिफ (Hybrid Tariffs): दोनों का मिश्रण।
उदाहरण: कल्पना कीजिए कि भारत स्टील का उत्पादन करता है। यदि चीन से भारी मात्रा में सस्ता स्टील आयात होता है, तो भारतीय स्टील उत्पादकों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में, भारत सरकार चीनी स्टील पर 20% का टैरिफ लगा सकती है। इससे चीनी स्टील महंगा हो जाएगा, और भारतीय उपभोक्ता या तो महंगा चीनी स्टील खरीदेंगे या फिर भारतीय उत्पादकों से अधिक महंगा भारतीय स्टील खरीदेंगे, जिससे भारतीय उत्पादकों को फायदा होगा।
3. 1929 की महामंदी: एक भयानक सबक
ट्रम्प की चेतावनी का मूल 1929 में शुरू हुई ग्रेट डिप्रेशन (Great Depression) से जुड़ा है, जो अब तक की सबसे गंभीर वैश्विक आर्थिक मंदी थी। इस मंदी के कई कारण थे, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों, विशेष रूप से टैरिफ, ने निश्चित रूप से इसमें भूमिका निभाई।
* कारण (Causes):
* स्टॉक मार्केट क्रैश (1929): वॉल स्ट्रीट क्रैश ने विश्वास को हिला दिया और आर्थिक गतिविधि को धीमा कर दिया।
* बैंकिंग विफलताएं: कई बैंक दिवालिया हो गए, जिससे लोगों की बचत खत्म हो गई और ऋण मिलना मुश्किल हो गया।
* कृषि संकट: अत्यधिक उत्पादन और गिरती कीमतों ने किसानों को तबाह कर दिया।
* अत्यधिक उत्पादन (Overproduction): औद्योगिक क्षमता उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति से अधिक हो गई थी।
* अप्रभावी मौद्रिक नीति: फेडरल रिजर्व की गलत नीतियों ने स्थिति को और खराब कर दिया।
* संरक्षणवाद (Protectionism) और टैरिफ युद्ध (Tariff Wars): यह वह कारक है जो ट्रम्प के बयान से सीधे जुड़ता है। 1930 में, अमेरिकी कांग्रेस ने स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम (Smoot-Hawley Tariff Act) पारित किया। इसका उद्देश्य अमेरिकी कृषि और उद्योगों की रक्षा करना था, लेकिन इसने आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया।
* स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम का प्रभाव:
* प्रतिशोध (Retaliation): जैसे ही अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाए, अन्य देशों ने भी अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैरिफ लगा दिए।
* वैश्विक व्यापार का पतन: इस “टैरिफ युद्ध” के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नाटकीय रूप से गिर गया। 1929 और 1932 के बीच, अमेरिकी आयात 66% और निर्यात 63% कम हो गया।
* आर्थिक संकुचन (Economic Contraction): व्यापार में आई इस गिरावट ने पहले से ही कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था को और भी बदतर बना दिया, जिससे बेरोजगारी बढ़ी और आर्थिक गतिविधि ठप हो गई।
* पूंजीवाद का संकट: इसने पूंजीवाद और मुक्त बाजार की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए और विश्व स्तर पर आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
सीख: 1929 की महामंदी का सबसे बड़ा सबक यह है कि संरक्षणवाद और टैरिफ युद्ध, जो अल्पकालिक घरेलू लाभ के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं और लंबे समय में सभी के लिए आर्थिक कल्याण को कम कर सकते हैं।
4. क्या टैरिफ हटाने से वास्तव में 1929 जैसी महामंदी आ सकती है? विश्लेषण
ट्रम्प का दावा एक मजबूत चेतावनी है, लेकिन आधुनिक आर्थिक परिदृश्य 1929 से बहुत अलग है। इन दोनों अवधियों की तुलना करने के लिए हमें विभिन्न कारकों पर विचार करना होगा:
* आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्वरूप:
* आंतक-निर्भरता (Interdependence): आज की अर्थव्यवस्थाएं 1920 के दशक की तुलना में कहीं अधिक आपस में जुड़ी हुई हैं। आपूर्ति श्रृंखलाएं (Supply Chains) वैश्विक हैं।
* सेवा क्षेत्र का प्रभुत्व: कई विकसित देशों में, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा सेवाओं पर आधारित है, जो वस्तुओं के व्यापार से अलग तरह से प्रभावित होता है।
* विश्व व्यापार संगठन (WTO): WTO जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन व्यापार विवादों को सुलझाने और संरक्षणवाद को सीमित करने के लिए एक ढाँचा प्रदान करते हैं (हालांकि इसकी प्रभावशीलता पर बहस जारी है)।
* लचीली विनिमय दरें (Flexible Exchange Rates): आधुनिक अर्थव्यवस्थाएं विनिमय दरों के माध्यम से बाहरी झटकों को अवशोषित करने में सक्षम हैं, जो 1929 के स्वर्ण मानक (Gold Standard) युग से एक बड़ा अंतर है।
* टैरिफ हटाने के संभावित सकारात्मक प्रभाव:
* उपभोक्ता मूल्य में कमी: टैरिफ हटाए जाने से आयातित वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा (कम मुद्रास्फीति)।
* उत्पादकता और नवाचार में वृद्धि: विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने वाली कंपनियों को अधिक कुशल बनने और नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
* वैश्विक व्यापार में वृद्धि: टैरिफ हटाने से वैश्विक व्यापार सुगम होगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
* संबंधों में सुधार: यह अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत कर सकता है।
* टैरिफ हटाने के संभावित नकारात्मक प्रभाव (जैसा कि ट्रम्प इंगित करते हैं):
* घरेलू उद्योगों को झटका: जैसा कि पहले चर्चा की गई, जो उद्योग टैरिफ पर निर्भर थे, वे विदेशी प्रतिस्पर्धा से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। इससे छंटनी (layoffs) और औद्योगिक पतन हो सकता है।
* व्यापार असंतुलन का बढ़ना: यदि टैरिफ हटाने से आयात बढ़ता है और निर्यात नहीं बढ़ता है, तो व्यापार घाटा और भी बढ़ सकता है।
* अन्य देशों से प्रतिक्रिया: यदि अमेरिका टैरिफ हटाता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि वह संरक्षणवाद से पीछे हट रहा है। लेकिन यदि अन्य देश टैरिफ बनाए रखते हैं, तो अमेरिकी निर्यातकों को अभी भी नुकसान हो सकता है।
क्या यह 1929 जैसा होगा?
यह कहना अत्यंत कठिन है कि टैरिफ हटाने से ठीक 1929 जैसी महामंदी आएगी। आज की अर्थव्यवस्थाएं, संस्थाएं और उपकरण बहुत भिन्न हैं। हालाँकि, ट्रम्प की चेतावनी इस संभावना को खारिज नहीं करती है कि टैरिफ हटाने का एक **अव्यवस्थित या अचानक** निर्णय, विशेष रूप से यदि यह अन्य देशों द्वारा समन्वित नहीं किया जाता है, तो महत्वपूर्ण आर्थिक व्यवधान पैदा कर सकता है।
* “अचानक” और “अव्यवस्थित” क्यों महत्वपूर्ण हैं? यदि टैरिफ धीरे-धीरे और व्यवस्थित तरीके से हटाए जाते हैं, तो उद्योगों और श्रमिकों को समायोजित करने का समय मिल सकता है। लेकिन यदि यह एक झटके में होता है, तो नुकसान बहुत अधिक हो सकता है।
* “समन्वित” क्यों महत्वपूर्ण है? यदि सभी प्रमुख देश एक साथ टैरिफ हटाते हैं, तो वैश्विक व्यापार में एक सकारात्मक गति बन सकती है। लेकिन अगर केवल एक देश ऐसा करता है, तो वह दूसरों की नीतियों से प्रभावित हो सकता है।
5. UPSC के लिए प्रासंगिकता: बहुआयामी विश्लेषण
यह मुद्दा UPSC परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ है:
* अर्थव्यवस्था (GS-I/III):
* अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: टैरिफ, व्यापार संतुलन, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार।
* वित्तीय नीतियां: मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां, मुद्रास्फीति, मंदी।
* वैश्वीकरण: इसके फायदे और नुकसान, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं।
* भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: यदि वैश्विक व्यापार नीतियां बदलती हैं तो भारत कैसे प्रभावित हो सकता है।
* अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS-II):
* व्यापार कूटनीति: देशों के बीच व्यापारिक संबंध, व्यापार समझौते, व्यापार युद्ध।
* भू-राजनीति: आर्थिक नीतियों का भू-राजनीतिक प्रभाव।
* अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं: WTO, IMF, World Bank की भूमिका।
* इतिहास (GS-I):
* विश्व इतिहास: 1929 की महामंदी, इसके कारण और परिणाम।
* आर्थिक इतिहास: संरक्षणवाद का इतिहास, मुक्त व्यापार के सिद्धांत।
* प्रशासन (GS-IV):
* निर्णय लेने की प्रक्रिया: आर्थिक नीतियों के निर्णय में विभिन्न हितधारकों (उद्योग, उपभोक्ता, सरकार) के हितों का संतुलन।
* दूरदर्शिता: अल्पकालिक बनाम दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण।
6. टैरिफ और संरक्षणवाद: भारत के परिप्रेक्ष्य में
ट्रम्प की चेतावनी सीधे तौर पर भारत को प्रभावित करती है, क्योंकि भारत भी एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर है।
* **भारत की अपनी टैरिफ नीतियां:** भारत ने ऐतिहासिक रूप से घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं का उपयोग किया है। हाल के वर्षों में, “आत्मनिर्भर भारत” जैसी पहलों के तहत कुछ क्षेत्रों में आयात शुल्क बढ़ाए गए हैं।
* **संभावित प्रभाव (यदि अमेरिका टैरिफ हटाता है):**
* सकारात्मक:
* आयातित वस्तुएं सस्ती: भारत के लिए कुछ आयातित वस्तुएं (जैसे मशीनरी, विशेष रसायन) सस्ती हो सकती हैं, जिससे उत्पादन लागत कम हो सकती है।
* निर्यात के अवसर: यदि वैश्विक व्यापार बढ़ता है, तो भारत के निर्यातकों के लिए भी अवसर बढ़ सकते हैं।
* नकारात्मक:
* घरेलू प्रतिस्पर्धा: यदि भारतीय उद्योग अमेरिकी टैरिफ हटाने के कारण कम कीमत वाले विदेशी सामानों के दबाव में आते हैं, तो उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
* कृषि क्षेत्र: कुछ कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम होने से भारतीय किसानों पर दबाव आ सकता है।
* **वैश्विक मंदी का खतरा:** यदि अमेरिका या अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी आती है, तो भारत के निर्यात और समग्र आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
7. समाधान और आगे की राह
यह मुद्दा केवल “टैरिफ हटाओ” या “टैरिफ लगाओ” का नहीं है, बल्कि एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का है।
* समझौतावादी दृष्टिकोण: देशों को संरक्षणवाद से दूर हटकर और बहुपक्षीय व्यापार समझौतों (Multilateral Trade Agreements) को मजबूत करके सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
* **रणनीतिक टैरिफ:** टैरिफ का उपयोग केवल “सामरिक” और “सीमित” उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, न कि व्यापक संरक्षणवाद के लिए।
* **घरेलू क्षमता निर्माण:** संरक्षणवाद के बजाय, देशों को अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता, नवाचार और तकनीकी कौशल को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
* **आर्थिक नीति समन्वय:** प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को अपनी नीतियों के वैश्विक प्रभावों पर विचार करना चाहिए और अनपेक्षित परिणामों से बचने के लिए समन्वय करना चाहिए।
* **WTO की भूमिका को मजबूत करना:** WTO जैसे मंचों को अधिक प्रभावी बनाना चाहिए ताकि व्यापार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान हो सके और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके।
8. निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी, भले ही एक अतिरंजित या राजनीतिक बयान के रूप में देखी जाए, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की नाजुक प्रकृति और संरक्षणवाद के संभावित विनाशकारी परिणामों की ओर इशारा करती है। 1929 की महामंदी एक भयानक अनुस्मारक है कि व्यापार युद्ध और अत्यधिक टैरिफ किसी भी देश के लिए फायदेमंद नहीं होते, चाहे उनका इरादा कुछ भी हो।
जबकि आज की दुनिया 1929 से बहुत अलग है, आर्थिक इतिहास के सबक आज भी प्रासंगिक हैं। टैरिफ को अचानक और अव्यवस्थित तरीके से हटाने से उत्पन्न होने वाले व्यवधानों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। एक संतुलित, सहयोगात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण ही सभी देशों के लिए स्थायी आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे का विश्लेषण करना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, आर्थिक सिद्धांत और भू-राजनीतिक गतिशीलता की गहरी समझ विकसित करने का एक उत्कृष्ट अवसर है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम (Smoot-Hawley Tariff Act) को 1930 में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था।
कथन 2: इस अधिनियम का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा के लिए आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को कम करना था।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल कथन 1
(b) केवल कथन 2
(c) दोनों कथन 1 और 2
(d) न तो कथन 1 और न ही कथन 2
उत्तर: (a)
व्याख्या: स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम 1930 में अमेरिकी उद्योगों और कृषि की रक्षा के लिए पारित किया गया था, जिसने आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को काफी बढ़ा दिया था, न कि कम किया था। इसलिए, कथन 2 गलत है।
2. निम्नलिखित में से कौन 1929 की महामंदी के कारणों में से एक माना जाता है, जिसका संबंध संरक्षणवाद से है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना
(b) यूरो का परिचय
(c) स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम
(d) ब्रेटन वुड्स समझौता
उत्तर: (c)
व्याख्या: स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम, जिसने टैरिफ युद्धों को बढ़ावा दिया, 1929 की महामंदी के कई प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।
3. “संरक्षणवाद” (Protectionism) का सबसे अच्छा वर्णन निम्नलिखित में से कौन सा है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना
(b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए सरकारी नीतियां
(c) देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों को प्रोत्साहित करना
(d) राष्ट्रीय ऋण को कम करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: संरक्षणवाद उन नीतियों को संदर्भित करता है जिनका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को सस्ते आयातित सामानों से बचाना है, अक्सर टैरिफ या कोटा जैसी बाधाओं का उपयोग करके।
4. टैरिफ (Tariff) का प्राथमिक उद्देश्य निम्नलिखित में से कौन सा नहीं है?
(a) घरेलू राजस्व बढ़ाना
(b) घरेलू उद्योगों की रक्षा करना
(c) आयातित वस्तुओं के उपभोग को प्रोत्साहित करना
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: टैरिफ आमतौर पर आयातित वस्तुओं को महंगा बनाकर उनके उपभोग को हतोत्साहित करते हैं, न कि प्रोत्साहित।
5. आयात शुल्क (Import Duty) किस प्रकार का कर है?
(a) प्रत्यक्ष कर
(b) अप्रत्यक्ष कर
(c) पूंजीगत लाभ कर
(d) संपत्ति कर
उत्तर: (b)
व्याख्या: आयात शुल्क एक अप्रत्यक्ष कर है क्योंकि यह सीधे व्यक्ति की आय या संपत्ति पर नहीं, बल्कि वस्तुओं के उपभोग या बिक्री पर लगाया जाता है।
6. निम्नलिखित में से कौन सी संस्था वैश्विक व्यापार के नियमों को निर्धारित करने और व्यापार विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(b) विश्व बैंक (World Bank)
(c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(d) संयुक्त राष्ट्र (UN)
उत्तर: (c)
व्याख्या: विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों से संबंधित है।
7. “व्यापार घाटा” (Trade Deficit) तब होता है जब:
(a) एक देश दूसरे देश को निर्यात से अधिक आयात करता है।
(b) एक देश दूसरे देश से आयात से अधिक निर्यात करता है।
(c) एक देश अपने स्वयं के माल का उपभोग करता है।
(d) एक देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग नहीं लेता है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।
8. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) के संदर्भ में, यदि एक प्रमुख देश अप्रत्याशित रूप से टैरिफ हटा देता है, तो इसका तत्काल प्रभाव क्या हो सकता है?
(a) सभी देशों के लिए निर्यात में भारी वृद्धि
(b) आयातित वस्तुओं की कीमतों में संभावित कमी और घरेलू उद्योगों के लिए प्रतिस्पर्धा में वृद्धि
(c) देशों के बीच व्यापार संबंधों में तत्काल सुधार
(d) वैश्विक मौद्रिक नीति में तत्काल बदलाव
उत्तर: (b)
व्याख्या: टैरिफ हटाने से आयातित सामान सस्ते हो सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होता है, लेकिन यह घरेलू उत्पादकों के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है।
9. “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति का मुख्य उद्देश्य क्या था?
(a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
(b) वैश्विक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना
(c) अमेरिकी नौकरियों, उद्योगों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना
(d) एक स्वतंत्र व्यापार क्षेत्र बनाना
उत्तर: (c)
व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का केंद्र बिंदु अमेरिकी अर्थव्यवस्था और अमेरिकी लोगों के हितों को वैश्विक एजेंडे पर प्राथमिकता देना था।
10. 1929 की महामंदी के दौरान, अमेरिकी संरक्षणवाद में वृद्धि का एक प्रमुख परिणाम क्या था?
(a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुधार
(b) विश्व स्तर पर टैरिफ युद्धों की शुरुआत
(c) वैश्विक आर्थिक सहयोग में वृद्धि
(d) वित्तीय बाजारों का स्थिरीकरण
उत्तर: (b)
व्याख्या: अमेरिकी संरक्षणवाद में वृद्धि, विशेष रूप से स्मूट-हॉली अधिनियम के साथ, अन्य देशों द्वारा जवाबी टैरिफ लगाए जाने और वैश्विक टैरिफ युद्धों की शुरुआत का कारण बनी।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. डोनाल्ड ट्रम्प की “टैरिफ हटाने पर 1929 जैसी महामंदी” की चेतावनी के आलोक में, वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर संरक्षणवाद (Protectionism) और मुक्त व्यापार (Free Trade) के प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
* संकेत: संरक्षणवाद के पक्ष और विपक्ष, मुक्त व्यापार के लाभ और सीमाएं, 1929 की महामंदी का उदाहरण, वर्तमान वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में इनकी प्रासंगिकता।
2. स्मूट-हॉली टैरिफ अधिनियम (Smoot-Hawley Tariff Act) को 1929 की महामंदी के एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में क्यों माना जाता है? टैरिफ युद्धों (Tariff Wars) के माध्यम से यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है? (150 शब्द, 10 अंक)
* संकेत: अधिनियम का उद्देश्य, टैरिफ में वृद्धि, अन्य देशों की प्रतिक्रिया, व्यापार में गिरावट, आर्थिक संकुचन।
3. “आत्मनिर्भर भारत” जैसी पहलों के संदर्भ में, भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण, व्यापार उदारीकरण और संरक्षणवादी प्रवृत्तियों के बीच संतुलन बनाने की चुनौतियों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
* संकेत: भारत की व्यापारिक नीतियां, “आत्मनिर्भर भारत” का उद्देश्य, उदारीकरण के लाभ, संरक्षणवाद के संभावित फायदे और नुकसान, संतुलन बनाने की आवश्यकता।
4. आधुनिक अर्थव्यवस्था में, क्या ट्रम्प की चेतावनी कि “टैरिफ हटाने से 1929 जैसी महामंदी आ सकती है” यथार्थवादी है? तर्कसंगत विश्लेषण प्रदान करें, जिसमें वैश्विक आर्थिक अंतर्निर्भरता, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका और समकालीन आर्थिक उपकरणों को ध्यान में रखा जाए। (150 शब्द, 10 अंक)
* संकेत: 1929 और वर्तमान की तुलना, आर्थिक संरचना में अंतर, WTO की भूमिका, आपूर्ति श्रृंखलाएं, विनिमय दरें, “अचानक” बनाम “व्यवस्थित” नीति परिवर्तन।