कैलाश मानसरोवर यात्रा में बड़ा हादसा: मीनाक्षी लेखी घायल, क्या है इस दुर्गम यात्रा का सच?

कैलाश मानसरोवर यात्रा में बड़ा हादसा: मीनाक्षी लेखी घायल, क्या है इस दुर्गम यात्रा का सच?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में पूर्व केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान घोड़े से गिरने के कारण घायल होना, इस दुर्गम आध्यात्मिक यात्रा से जुड़ी चुनौतियों और खतरों को एक बार फिर सुर्खियों में ले आया है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत हादसा नहीं है, बल्कि यह हिमालयी क्षेत्रों में तीर्थयात्रा की जटिलताओं, सुरक्षा प्रोटोकॉल और भारत-चीन संबंधों के सूक्ष्म पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, यह घटना केवल एक समाचार शीर्षक नहीं, बल्कि भूगोल, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और कला व संस्कृति जैसे विभिन्न विषयों को आपस में जोड़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

कैलाश मानसरोवर: एक पवित्र, रहस्यमयी और भू-रणनीतिक केंद्र

कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भू-रणनीतिक अनुभव है। आइए इसके विभिन्न आयामों को समझें:

1. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: आस्था का शिखर

कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और तिब्बत के प्राचीन बॉन धर्म के अनुयायियों के लिए सर्वोच्च पवित्र स्थलों में से एक हैं।

  • हिंदू धर्म: यह भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान माना जाता है। भक्त मानते हैं कि कैलाश परिक्रमा और मानसरोवर में स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह ‘अष्टपद’ तीर्थ स्थल भी है, जहां पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने निर्वाण प्राप्त किया था।
  • बौद्ध धर्म: बौद्धों का मानना है कि मानसरोवर झील के पास महान गुरु पद्मसंभव ने ध्यान किया था, जिन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। इसे बौद्ध ब्रह्मांड विज्ञान में ‘सुमेरु पर्वत’ से भी जोड़ा जाता है।
  • जैन धर्म: जैन धर्म में, कैलाश पर्वत को ‘अष्टपद’ के रूप में जाना जाता है, जहाँ प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था।
  • बॉन धर्म: तिब्बत का प्राचीन बॉन धर्म इसे ‘पवित्र पर्वत कंग री’ मानता है, जो उनकी संस्कृति और विश्वास का केंद्र है।

यह बहु-धार्मिक महत्व कैलाश मानसरोवर को एक अद्वितीय वैश्विक आध्यात्मिक स्थल बनाता है।

2. भू-रणनीतिक महत्व: भारत-चीन-नेपाल का मिलन बिंदु

कैलाश मानसरोवर क्षेत्र भारत, चीन (तिब्बत) और नेपाल के त्रिकोण पर स्थित है, जिससे इसका भू-रणनीतिक महत्व बढ़ जाता है।

  • सीमा विवाद: यह क्षेत्र भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों से जुड़ा है, विशेषकर लिपुलेख दर्रे और कालापानी क्षेत्र के संदर्भ में।
  • बुनियादी ढाँचा विकास: चीन इस क्षेत्र में लगातार बुनियादी ढाँचे का विकास कर रहा है, जैसे सड़कें, रेलवे लाइनें और सैन्य प्रतिष्ठान, जिसका भारत की सुरक्षा चिंताओं पर सीधा असर पड़ता है।
  • सांस्कृतिक कूटनीति: यह यात्रा भारत के लिए चीन के साथ सांस्कृतिक कूटनीति और ‘सॉफ्ट पावर’ के उपयोग का एक माध्यम भी है। तीर्थयात्रा की सुविधा दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने में सहायक हो सकती है।
  • पारिस्थितिक संवेदनशीलता: यह क्षेत्र कई महत्वपूर्ण नदियों (सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलज) का उद्गम स्थल है और तिब्बती पठार की नाजुक पारिस्थितिकी का हिस्सा है, जिसका संरक्षण क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

यात्रा के मार्ग और असाधारण चुनौतियाँ

कैलाश मानसरोवर यात्रा को विश्व की सबसे कठिन तीर्थयात्राओं में से एक माना जाता है। इसके लिए न केवल शारीरिक दृढ़ता, बल्कि मानसिक दृढ़ता और भाग्य की भी आवश्यकता होती है।

1. भारत से पारंपरिक मार्ग:

भारत सरकार (विदेश मंत्रालय के माध्यम से) द्वारा दो मुख्य मार्गों से कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन किया जाता है:

  • उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से मार्ग: यह मार्ग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर गुजरता है। यह पैदल यात्रा का एक लंबा और थकाऊ मार्ग है, जिसमें ट्रेकिंग के कई कठिन चरण शामिल हैं। धारचूला से लिपुलेख दर्रे तक के मार्ग में कई ऊँचे दर्रे और खड़ी चढ़ाई वाले रास्ते आते हैं। यह अपेक्षाकृत सस्ता है लेकिन अधिक समय (लगभग 24-25 दिन) लेता है और शारीरिक रूप से अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।
  • सिक्किम के नाथुला दर्रे से मार्ग: यह मार्ग सिक्किम के गंगटोक से शुरू होता है और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में प्रवेश करता है। यह बस या वाहन से यात्रा करने का विकल्प प्रदान करता है, जिससे यह शारीरिक रूप से कम थकाऊ होता है। यह मार्ग अधिक आरामदायक है, लेकिन महंगा और समय लेने वाला (लगभग 21-22 दिन) भी है। यह विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिज़ाइन किया गया था।

नेपाल से भी मार्ग: कुछ निजी ऑपरेटर काठमांडू, नेपाल के रास्ते यात्रा का आयोजन करते हैं, जिसमें हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर का उपयोग शामिल होता है, जो इसे अपेक्षाकृत कम समय और प्रयास में पूरा करने का विकल्प देता है, लेकिन यह सबसे महंगा विकल्प है।

2. असाधारण चुनौतियाँ:

मीनाक्षी लेखी के साथ हुई घटना जैसी दुर्घटनाएँ इन यात्राओं की अंतर्निहित चुनौतियों को उजागर करती हैं।

  • भौगोलिक और शारीरिक चुनौतियाँ:
    • उच्च ऊँचाई (High Altitude): कैलाश मानसरोवर समुद्र तल से 20,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित है। ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी (हाइपोक्सिया) ‘एक्यूट माउंटेन सिकनेस’ (AMS) का कारण बन सकती है, जिसके लक्षण सिरदर्द, मतली, चक्कर आना और गंभीर मामलों में पल्मोनरी एडिमा या सेरेब्रल एडिमा हो सकते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं।
    • दुर्गम भूभाग (Difficult Terrain): यात्रा मार्ग में ऊबड़-खाबड़ पहाड़, ग्लेशियर, पथरीले रास्ते और नदियों को पार करना पड़ता है। कई जगहों पर घोड़े या याक ही एकमात्र परिवहन का साधन होते हैं, और इन जानवरों से जुड़ी दुर्घटनाओं का जोखिम हमेशा बना रहता है, जैसा कि मीनाक्षी लेखी के साथ हुआ।
    • अत्यधिक मौसम (Extreme Weather): इस क्षेत्र में मौसम अप्रत्याशित और अत्यधिक ठंडा होता है। अचानक बर्फबारी, तेज हवाएँ और तापमान में भारी गिरावट यात्रा को और भी कठिन बना देती है।
    • सीमित बुनियादी ढाँचा (Limited Infrastructure): यात्रा मार्ग पर चिकित्सा सुविधाएँ, संचार नेटवर्क और आश्रय स्थल बहुत सीमित होते हैं, जिससे आपात स्थिति में सहायता मिलना मुश्किल हो जाता है।
  • सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ:
    • भूस्खलन और चट्टान गिरना (Landslides and Rockfalls): मानसून के दौरान या पहाड़ों में अस्थिरता के कारण भूस्खलन और चट्टान गिरने की घटनाएँ आम हैं, जो मार्ग को अवरुद्ध कर सकती हैं या यात्रियों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।
    • जानवरों से जुड़े खतरे (Animal-related Risks): घोड़े, खच्चर और याक जैसे जानवर जो परिवहन के लिए उपयोग किए जाते हैं, वे भी अप्रशिक्षित या अनियंत्रित होने पर दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं।
    • चिकित्सा आपात स्थिति (Medical Emergencies): ऊँचाई पर किसी भी गंभीर बीमारी या चोट का इलाज बहुत मुश्किल होता है और अक्सर तत्काल हेलीकॉप्टर निकासी की आवश्यकता होती है, जो हमेशा संभव नहीं होती।
  • राजनीतिक और राजनयिक चुनौतियाँ:
    • परमिट और वीजा (Permits and Visas): यात्रा चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से होकर गुजरती है, जिसके लिए चीनी सरकार से विशेष परमिट और वीजा की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली हो सकती है।
    • सीमा नियंत्रण (Border Controls): सीमा पर सख्त चीनी नियंत्रण और नियमों का पालन करना होता है, जिसमें यात्रा प्रतिबंध और समूह में रहने की बाध्यता शामिल है।
    • राजनयिक संबंध (Diplomatic Relations): भारत और चीन के बीच संबंधों में तनाव की स्थिति में यात्रा पर सीधा असर पड़ सकता है, जैसे यात्रा का निलंबन या परमिट जारी करने में देरी।

भारत सरकार की भूमिका और तीर्थयात्रा को सुगम बनाने के प्रयास

भारत सरकार, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय (MEA), कैलाश मानसरोवर यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • विदेश मंत्रालय की पहल:
    • आयोजन और समन्वय: MEA ही भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा का वार्षिक आयोजन और समन्वय करता है। इसमें चीनी अधिकारियों से परमिट प्राप्त करना, मार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करना और चिकित्सा तथा रसद सहायता प्रदान करना शामिल है।
    • स्वास्थ्य जाँच: यात्रा से पहले तीर्थयात्रियों के लिए कठोर चिकित्सा जाँच अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे उच्च ऊँचाई के लिए शारीरिक रूप से फिट हैं।
    • संचार और सहायता: यात्रा के दौरान, MEA के अधिकारी और आईटीबीपी के जवान तीर्थयात्रियों के साथ रहते हैं, उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और आपात स्थिति में सहायता करते हैं।
    • बुनियादी ढाँचा विकास: भारत सरकार ने उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख दर्रे तक सड़क निर्माण में तेजी लाई है, जिसका उद्देश्य यात्रा के कुछ कठिन पैदल मार्गों को सुगम बनाना और यात्रा के समय को कम करना है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा विकास का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल और मार्गदर्शन:
    • समूह यात्रा: तीर्थयात्री छोटे समूहों में यात्रा करते हैं, और उनके साथ अनुभवी गाइड, डॉक्टर और आईटीबीपी के कर्मी होते हैं।
    • acclimatization: ऊँचाई के अनुसार शरीर को ढालने के लिए विभिन्न शिविरों में रुक-रुक कर acclimatization (अनुकूलन) प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है।
    • आपातकालीन निकासी: आपात स्थिति में, विशेषकर चिकित्सा आपातकाल में, वायु सेना के हेलीकॉप्टरों या अन्य साधनों से निकासी की व्यवस्था की जाती है, हालाँकि यह हमेशा आसान नहीं होता।

इन प्रयासों के बावजूद, मीनाक्षी लेखी जैसी घटनाएँ बताती हैं कि दुर्गम हिमालयी इलाकों में जोखिम हमेशा बने रहते हैं, चाहे यात्री कितना भी अनुभवी या अधिकारी वर्ग का क्यों न हो।

पर्यावरणीय संवेदनशीलता और सतत पर्यटन: एक नाजुक संतुलन

कैलाश मानसरोवर क्षेत्र न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक अत्यंत संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र का भी हिस्सा है। यह तिब्बती पठार पर स्थित है, जिसे “विश्व की छत” कहा जाता है, और यह एशिया की कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है।

  • नाजुक पारिस्थितिकी:
    • जैव विविधता: यहाँ की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु उच्च ऊँचाई और कठोर जलवायु के अनुकूल हैं, लेकिन ये अत्यधिक संवेदनशील भी हैं।
    • जलीय पारिस्थितिकी: मानसरोवर और राक्षसताल झीलें अपनी शुद्धता और अद्वितीय जलीय पारिस्थितिकी के लिए जानी जाती हैं।
    • ग्लेशियर और जल स्रोत: यह क्षेत्र विशाल ग्लेशियरों का घर है जो करोड़ों लोगों के लिए मीठे पानी का स्रोत हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इन ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा बढ़ रहा है।
  • पर्यटन का प्रभाव:
    • कचरा और प्रदूषण: बढ़ती तीर्थयात्री संख्या के कारण कचरे का ढेर लगना, जल स्रोतों का दूषित होना और स्थानीय पर्यावरण पर दबाव बढ़ना एक बड़ी चिंता है।
    • स्थानीय संसाधनों पर दबाव: तीर्थयात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय संसाधनों जैसे लकड़ी और पानी पर दबाव बढ़ता है।
    • पारिस्थितिक पदचिह्न: वाहनों का उपयोग और यात्रा के दौरान मानव गतिविधियों से क्षेत्र का पारिस्थितिक पदचिह्न बढ़ रहा है।
  • सतत पर्यटन की आवश्यकता:
    • जागरूकता अभियान: तीर्थयात्रियों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने और “लीव नो ट्रेस” (कोई निशान न छोड़ें) सिद्धांत का पालन करने के लिए शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
    • कचरा प्रबंधन: प्रभावी कचरा संग्रह और निपटान प्रणालियों की स्थापना, जिसमें बायोडिग्रेडेबल और नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरे का पृथक्करण शामिल है।
    • पर्यावरण-अनुकूल विकल्प: ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करना, इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना और प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करना।
    • स्थानीय समुदायों की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को सतत पर्यटन प्रथाओं में शामिल करना ताकि उन्हें आर्थिक लाभ भी मिल सके और पर्यावरण की रक्षा में उनकी हिस्सेदारी बढ़े।

यह आवश्यक है कि धार्मिक भावनाओं और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच एक नाजुक संतुलन स्थापित किया जाए ताकि यह पवित्र स्थल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अपनी दिव्यता और शुद्धता बनाए रख सके।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: बहुआयामी दृष्टिकोण

मीनाक्षी लेखी की कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान हुई घटना यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए कई विषयों को एक साथ समझने और उनका विश्लेषण करने का अवसर प्रदान करती है।

  • भूगोल (Geography):
    • हिमालयी भूविज्ञान और भू-आकृति विज्ञान (Himalayan Geology and Geomorphology)
    • ऊँचाई वाले पारिस्थितिकी तंत्र और उनकी जलवायु (High Altitude Ecosystems and Climate)
    • प्रमुख नदियाँ (सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलज) और उनके उद्गम स्थल (Major Rivers and their Origin Points)
    • पर्वतीय दर्रे (लिपुलेख, नाथुला) और उनकी रणनीतिक स्थिति (Mountain Passes and their Strategic Location)
  • कला और संस्कृति (Art & Culture):
    • हिंदू, बौद्ध, जैन और बॉन धर्म में कैलाश मानसरोवर का महत्व (Significance of Kailash Mansarovar in various religions)
    • भारतीय तीर्थयात्राओं का सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव (Cultural and Social Impact of Indian Pilgrimages)
    • सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy)
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):
    • भारत-चीन संबंध, सीमा विवाद (India-China Relations, Border Disputes)
    • सॉफ्ट पावर कूटनीति में तीर्थयात्रा की भूमिका (Role of Pilgrimage in Soft Power Diplomacy)
    • सीमा पार बुनियादी ढाँचा विकास (Cross-border Infrastructure Development)
  • पर्यावरण (Environment):
    • उच्च ऊँचाई वाले पारिस्थितिकी तंत्र की भेद्यता (Vulnerability of High Altitude Ecosystems)
    • सतत पर्यटन और इको-टूरिज्म (Sustainable Tourism and Ecotourism)
    • जलवायु परिवर्तन का हिमालयी ग्लेशियरों और जल स्रोतों पर प्रभाव (Impact of Climate Change on Himalayan Glaciers and Water Resources)
    • कचरा प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण (Waste Management and Pollution Control)
  • आपदा प्रबंधन (Disaster Management):
    • पर्वतीय क्षेत्रों में आपदाएँ (भूस्खलन, हिमस्खलन) (Disasters in Mountainous Regions – Landslides, Avalanches)
    • उच्च ऊँचाई पर चिकित्सा आपात स्थिति का प्रबंधन (Managing Medical Emergencies at High Altitude)
    • जोखिम मूल्यांकन और शमन रणनीतियाँ (Risk Assessment and Mitigation Strategies)
  • शासन और नीतिशास्त्र (Governance and Ethics):
    • तीर्थयात्राओं का प्रबंधन और सुरक्षा प्रोटोकॉल (Management of Pilgrimages and Safety Protocols)
    • तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा में सरकार की भूमिका (Government’s Role in Pilgrim Safety and Facilitation)
    • नैतिक पर्यटन और स्थानीय पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी (Ethical Tourism and Responsibility towards Local Environment)

आगे की राह: संतुलन और सुरक्षा की ओर

कैलाश मानसरोवर यात्रा को भविष्य में और अधिक सुरक्षित, सुगम और टिकाऊ बनाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. बुनियादी ढाँचे में सुधार:
    • लिपुलेख मार्ग पर सड़क निर्माण को तेजी से पूरा करना और इसे हर मौसम के अनुकूल बनाना।
    • यात्रा मार्ग पर आपातकालीन आश्रय स्थलों, बेहतर चिकित्सा सुविधाओं और संचार नेटवर्क का विकास करना।
  2. सुरक्षा उपायों को मजबूत करना:
    • घोड़ों और खच्चरों के संचालकों के लिए सख्त प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम।
    • यात्रियों के लिए अनिवार्य बीमा और आपातकालीन निकासी योजनाओं को और प्रभावी बनाना।
    • मौसम की सटीक भविष्यवाणी और यात्रियों को वास्तविक समय पर जानकारी उपलब्ध कराना।
    • ऊँचाई पर चिकित्सा आपातकाल से निपटने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता बढ़ाना।
  3. पर्यावरण संरक्षण पर जोर:
    • कचरा प्रबंधन के लिए कड़े नियम लागू करना और तीर्थयात्रियों के लिए ‘जीरो वेस्ट’ नीति को बढ़ावा देना।
    • प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना और वैकल्पिक, पर्यावरण-अनुकूल सामग्री को प्रोत्साहित करना।
    • पर्यावरण के प्रति जागरूकता अभियान चलाना और स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करना।
  4. द्विपक्षीय सहयोग और कूटनीति:
    • भारत और चीन के बीच यात्रा को लेकर नियमित संवाद और प्रोटोकॉल को सरल बनाना।
    • तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।
  5. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • यात्रियों की निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए जीपीएस ट्रैकिंग और ड्रोन जैसी तकनीकों का उपयोग।
    • ऑनलाइन पंजीकरण और परमिट प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करना।
  6. जागरूकता और तैयारी:
    • यात्रियों को यात्रा की चुनौतियों, आवश्यक शारीरिक तैयारी और चिकित्सा सलाह के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना।
    • उच्च ऊँचाई पर होने वाली बीमारियों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में अनिवार्य परामर्श सत्र आयोजित करना।

निष्कर्ष

कैलाश मानसरोवर यात्रा एक अनूठा अनुभव है जो आध्यात्मिकता, रोमांच और चुनौतियों का संगम है। मीनाक्षी लेखी के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमें इस बात की याद दिलाती है कि हिमालयी क्षेत्र की यात्रा में जोखिम हमेशा मौजूद रहते हैं। यह घटना हमें इस पवित्र यात्रा को और अधिक सुरक्षित, सुलभ और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए लगातार प्रयास करने की प्रेरणा देती है। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, यह घटना विभिन्न विषयों को एक साथ जोड़कर समग्र दृष्टिकोण विकसित करने का एक आदर्श केस स्टडी है, जो उन्हें जटिल मुद्दों को समझने और उनका विश्लेषण करने में मदद करेगा।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: कैलाश मानसरोवर यात्रा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह यात्रा केवल हिंदुओं के लिए पवित्र मानी जाती है।
    2. भारत सरकार द्वारा आयोजित यात्रा के लिए दो मुख्य मार्ग हैं: उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और सिक्किम के नाथुला दर्रे से।
    3. मानसरोवर झील सतलज नदी का उद्गम स्थल है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (A) केवल a और b
    (B) केवल b और c
    (C) केवल a और c
    (D) a, b और c

    उत्तर: (B)

    व्याख्या: कथन (a) गलत है क्योंकि कैलाश मानसरोवर हिंदुओं के अलावा बौद्धों, जैनियों और तिब्बत के बॉन धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र है। कथन (b) सही है, ये दोनों भारत सरकार द्वारा आयोजित मुख्य मार्ग हैं। कथन (c) सही है, मानसरोवर झील के पास से ही सतलज नदी का उद्गम होता है।

  2. प्रश्न 2: भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से दर्रा कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक मार्ग के रूप में कार्य करता है/करते हैं?

    1. नाथुला
    2. लिपुलेख
    3. ज़ोजिला
    4. रोहतांग

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (A) केवल 1 और 2
    (B) केवल 1, 3 और 4
    (C) केवल 2, 3 और 4
    (D) 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: (A)

    व्याख्या: नाथुला (सिक्किम) और लिपुलेख (उत्तराखंड) दोनों भारत सरकार द्वारा आयोजित कैलाश मानसरोवर यात्रा के मुख्य मार्ग हैं। ज़ोजिला दर्रा (जम्मू-कश्मीर/लद्दाख) और रोहतांग दर्रा (हिमाचल प्रदेश) कैलाश मानसरोवर यात्रा से सीधे संबंधित नहीं हैं।

  3. प्रश्न 3: ‘एक्यूट माउंटेन सिकनेस’ (AMS) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है।
    2. सिरदर्द, मतली और चक्कर आना इसके सामान्य लक्षण हैं।
    3. यह केवल प्रशिक्षित पर्वतारोहियों को प्रभावित करता है, आम यात्रियों को नहीं।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (A) केवल a
    (B) केवल b और c
    (C) केवल a और b
    (D) a, b और c

    उत्तर: (C)

    व्याख्या: कथन (a) और (b) सही हैं। AMS उच्च ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है और इसके सामान्य लक्षण सिरदर्द, मतली और चक्कर आना हैं। कथन (c) गलत है क्योंकि AMS किसी को भी प्रभावित कर सकता है, चाहे वह कितना भी प्रशिक्षित क्यों न हो, यदि शरीर को ऊँचाई के अनुसार ढलने का पर्याप्त समय न मिले।

  4. प्रश्न 4: तिब्बती पठार, जिस पर कैलाश मानसरोवर स्थित है, को अक्सर किस नाम से जाना जाता है?

    (A) विश्व का कटोरा
    (B) विश्व की छत
    (C) एशिया का स्विट्जरलैंड
    (D) महान मरुस्थल

    उत्तर: (B)

    व्याख्या: तिब्बती पठार को उसकी अत्यधिक ऊँचाई और बड़े क्षेत्रफल के कारण “विश्व की छत” (Roof of the World) के रूप में जाना जाता है।
  5. प्रश्न 5: कैलाश मानसरोवर यात्रा के पर्यावरणीय प्रभावों से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा गलत है?

    (A) बढ़ती तीर्थयात्री संख्या से कचरा और प्रदूषण बढ़ता है।
    (B) यह क्षेत्र कई प्रमुख एशियाई नदियों का उद्गम स्थल है।
    (C) ग्लेशियर पिघलना इस क्षेत्र के लिए कोई गंभीर पर्यावरणीय चिंता नहीं है।
    (D) सतत पर्यटन पद्धतियों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

    उत्तर: (C)

    व्याख्या: कथन (C) गलत है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघलना इस क्षेत्र के लिए एक बहुत गंभीर पर्यावरणीय चिंता है, क्योंकि यह जल स्रोतों को प्रभावित करता है और आपदाओं के जोखिम को बढ़ाता है।
  6. प्रश्न 6: मानसरोवर झील निम्नलिखित में से किन नदियों का उद्गम स्थल मानी जाती है?

    1. सिंधु
    2. ब्रह्मपुत्र
    3. सतलज
    4. यमुना

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (A) केवल 1, 2 और 3
    (B) केवल 1 और 4
    (C) केवल 2, 3 और 4
    (D) 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: (A)

    व्याख्या: मानसरोवर झील के आस-पास के क्षेत्र से सिंधु, ब्रह्मपुत्र और सतलज नदियाँ निकलती हैं। यमुना नदी हिमालय की यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है, जो कैलाश मानसरोवर से बहुत दूर है।

  7. प्रश्न 7: भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन कौन-सा मंत्रालय करता है?

    (A) गृह मंत्रालय
    (B) पर्यटन मंत्रालय
    (C) विदेश मंत्रालय
    (D) संस्कृति मंत्रालय

    उत्तर: (C)

    व्याख्या: भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन और समन्वय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs – MEA) द्वारा किया जाता है।
  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन-सा कथन कैलाश मानसरोवर यात्रा के भू-रणनीतिक महत्व को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है?

    (A) यह केवल एक धार्मिक तीर्थयात्रा है जिसका कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं है।
    (B) यह भारत, चीन और नेपाल के त्रिकोण पर स्थित है और सीमा विवादों से जुड़ा है।
    (C) यह भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री व्यापार मार्ग को नियंत्रित करता है।
    (D) इसका उपयोग केवल पर्यटन राजस्व उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

    उत्तर: (B)

    व्याख्या: कैलाश मानसरोवर क्षेत्र भारत, चीन (तिब्बत) और नेपाल के त्रिकोण पर स्थित होने के कारण अत्यधिक भू-रणनीतिक महत्व रखता है और अक्सर भारत-चीन सीमा विवादों से जुड़ा रहता है।
  9. प्रश्न 9: हाल ही में भारत सरकार द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने के लिए उत्तराखंड में किस मार्ग पर सड़क निर्माण को तेजी से पूरा किया गया है?

    (A) मनाली-लेह राजमार्ग
    (B) श्रीनगर-लेह राजमार्ग
    (C) धारचूला-लिपुलेख मार्ग
    (D) चार धाम महामार्ग

    उत्तर: (C)

    व्याख्या: धारचूला-लिपुलेख मार्ग, जो कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण भारतीय मार्ग है, पर भारत सरकार द्वारा सड़क निर्माण को तेजी से पूरा किया गया है ताकि तीर्थयात्रियों की सुविधा बढ़ाई जा सके।
  10. प्रश्न 10: बॉन धर्म, जो कैलाश पर्वत को पवित्र मानता है, मुख्य रूप से कहाँ प्रचलित है?

    (A) भारत के उत्तरी मैदानों में
    (B) चीन के सिचुआन प्रांत में
    (C) तिब्बत में
    (D) नेपाल की तराई में

    उत्तर: (C)

    व्याख्या: बॉन धर्म तिब्बत का एक प्राचीन और स्वदेशी धर्म है, जो बौद्ध धर्म के आगमन से पहले से प्रचलित था और कैलाश पर्वत को पवित्र मानता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. “कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक आध्यात्मिक तीर्थयात्रा नहीं है, बल्कि भारत की विदेश नीति और सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।” इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)
  2. उच्च ऊँचाई वाले पर्यटन और तीर्थयात्राओं के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में, कैलाश मानसरोवर जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्रों के लिए ‘सतत पर्यटन’ क्यों महत्वपूर्ण है? भारत और चीन इस दिशा में क्या कदम उठा सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)
  3. कैलाश मानसरोवर यात्रा को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? मीनाक्षी लेखी के साथ हुई हाल की घटना के आलोक में, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की भूमिका और आगे की राह पर चर्चा कीजिए। (20 अंक, 300 शब्द)

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