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कुलगाम मुठभेड़: सुरक्षाबलों की रणनीति और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का विश्लेषण

कुलगाम मुठभेड़: सुरक्षाबलों की रणनीति और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक भीषण मुठभेड़ में कई आतंकवादियों को मार गिराया गया है, जबकि उनकी तलाश में अभियान जारी है। यह घटना एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की निरंतर चुनौती और उससे निपटने के लिए सुरक्षाबलों की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। यह केवल एक हालिया घटना नहीं है, बल्कि पिछले कई दशकों से चले आ रहे उस जटिल परिदृश्य का हिस्सा है जिसे समझना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह ब्लॉग पोस्ट कुलगाम मुठभेड़ की विस्तृत जानकारी के साथ-साथ, इसके पीछे की गहरी जड़ों, सुरक्षाबलों की रणनीति, आतंकवाद के प्रभाव और भविष्य की राह पर एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत करेगा। हमारा लक्ष्य आपको न केवल वर्तमान घटना से अवगत कराना है, बल्कि इसे UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से प्रासंगिक बनाना भी है, जहाँ समसामयिक घटनाओं के साथ-साथ उनके ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयामों का विश्लेषण अपेक्षित होता है।

कुलगाम मुठभेड़: एक विस्तृत अवलोकन

जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर का कुलगाम जिला, अक्सर सुरक्षा अभियानों का केंद्र रहा है। हालिया मुठभेड़ में, सुरक्षाबलों को महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी मिली, जिसके आधार पर उन्होंने एक विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान, छिपे हुए आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी की, जिसके जवाब में जवाबी कार्रवाई की गई। इस मुठभेड़ का परिणाम आतंकवादियों की मौत के रूप में सामने आया, जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी सफलता है।

“सुरक्षाबलों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए, अत्यंत साहस का प्रदर्शन किया और राष्ट्र विरोधी तत्वों को बेअसर करने में सफलता प्राप्त की।”

यह मुठभेड़ उन जटिल और खतरनाक परिस्थितियों को दर्शाती है जिनका सामना हमारे सुरक्षा बल हर दिन करते हैं। आतंकवादियों द्वारा अक्सर नागरिकों का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में किया जाता है, जिससे अभियानों को अंजाम देना और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

कुलगाम मुठभेड़ को समझने के लिए, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की पृष्ठभूमि को जानना आवश्यक है। 1980 के दशक के अंत से, यह क्षेत्र आतंकवाद से ग्रस्त रहा है। इसके मुख्य कारण बहुआयामी हैं:

  1. बाहरी समर्थन: पड़ोसी देशों से मिलने वाला समर्थन, जिसमें फंडिंग, प्रशिक्षण और हथियारों की आपूर्ति शामिल है, आतंकवाद को बढ़ावा देने में एक प्रमुख कारक रहा है।
  2. राजनीतिक अस्थिरता: राज्य में ऐतिहासिक रूप से रही राजनीतिक अस्थिरता और अलगाववादी आंदोलनों ने भी आतंकवाद के पनपने के लिए उपजाऊ जमीन तैयार की।
  3. सामाजिक-आर्थिक कारक: बेरोजगारी, अशिक्षा और अवसरों की कमी जैसी सामाजिक-आर्थिक समस्याएँ युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेल सकती हैं।
  4. विचारधारा: मजहब के नाम पर फैलाई जाने वाली कट्टरपंथी विचारधारा युवाओं को भ्रमित कर उन्हें हिंसा के रास्ते पर ले जाती है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की प्रकृति समय के साथ बदलती रही है। शुरुआत में, यह मुख्य रूप से एक विदेशी समर्थित उग्रवाद था, लेकिन धीरे-धीरे स्थानीय युवाओं की भागीदारी भी बढ़ी। हाल के वर्षों में, सोशल मीडिया का उपयोग युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभरा है।

सुरक्षाबलों की रणनीति: ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’ और उससे आगे

कुलगाम जैसी मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों की सफलता उनकी सुनियोजित और समन्वित रणनीति का परिणाम होती है। भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) मिलकर आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देते हैं। इन अभियानों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • खुफिया जानकारी: किसी भी ऑपरेशन की सफलता की कुंजी सटीक और समय पर खुफिया जानकारी पर निर्भर करती है। इसके लिए स्थानीय मुखबिरों और तकनीकी निगरानी पर भारी निर्भरता होती है।
  • संयुक्त अभियान: विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों का संयुक्त प्रयास, जैसे कि भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF का समन्वय, अभियानों को अधिक प्रभावी बनाता है।
  • ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’: यह एक व्यापक रणनीति है जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है। इसमें आतंकवादियों की पहचान, उन्हें घेरना और बेअसर करना शामिल है।
  • स्थानीय आबादी का सहयोग: हालाँकि यह हमेशा आसान नहीं होता, स्थानीय आबादी का सहयोग सुरक्षाबलों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  • मानवीय दृष्टिकोण: मुठभेड़ों के दौरान नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। किसी भी निर्दोष नागरिक को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए अत्यधिक सावधानी बरती जाती है।

एक उपमा: सोचिए कि आतंकवाद एक जंगल में लगी आग है। सुरक्षाबल अग्निशामक दल हैं। उन्हें आग बुझाने के लिए न केवल पानी (गोलीबारी) का उपयोग करना पड़ता है, बल्कि यह भी पता लगाना पड़ता है कि आग कहाँ से लगी (खुफिया जानकारी), आग को फैलने से कैसे रोकना है (घेराबंदी) और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी निर्दोष व्यक्ति (नागरिक) उसमें न फंसे।

आतंकवाद का प्रभाव: स्थानीय समुदाय और राष्ट्रीय सुरक्षा पर

आतंकवाद का प्रभाव केवल सुरक्षाबलों की मुठभेड़ों तक सीमित नहीं है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं:

  • आर्थिक प्रभाव: आतंकवाद के कारण पर्यटन और निवेश प्रभावित होता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचता है। विकास कार्य बाधित होते हैं।
  • सामाजिक प्रभाव: भय और अनिश्चितता का माहौल लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। कई युवा दिग्भ्रमित होकर गलत रास्ते पर चले जाते हैं। स्थानीय समुदायों में विभाजन भी पैदा हो सकता है।
  • मानवीय लागत: आतंकवादी हमलों में न केवल सैनिक, बल्कि निर्दोष नागरिक भी मारे जाते हैं। परिवार बिखर जाते हैं और कई लोग विस्थापित होते हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय है, जो सीमा सुरक्षा और देश की अखंडता को चुनौती देता है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

कुलगाम जैसे अभियानों में सफलता मिलने के बावजूद, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का पूर्ण उन्मूलन एक जटिल और बहुआयामी चुनौती है। कुछ प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:

  • कट्टरपंथ का प्रसार: सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का कट्टरपंथीकरण एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटना कठिन है।
  • पत्थरबाजी और नागरिक अशांति: मुठभेड़ों के दौरान स्थानीय युवाओं द्वारा सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करना अभियानों को बाधित करता है और सुरक्षाबलों के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा करता है।
  • खुफिया विफलताएँ: कभी-कभी, खुफिया जानकारी में कमी या उसका गलत विश्लेषण अभियानों की सफलता को प्रभावित कर सकता है।
  • राजनीतिक समाधान: आतंकवाद का स्थायी समाधान केवल सैन्य कार्रवाई से संभव नहीं है। इसके लिए राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

भविष्य की राह के लिए, हमें एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा:

  • समन्वित प्रयास: सरकार, सुरक्षाबलों, स्थानीय प्रशासन और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा।
  • युवाओं का सशक्तिकरण: युवाओं को शिक्षा, रोजगार और मुख्यधारा की गतिविधियों में शामिल करके उन्हें कट्टरपंथ से दूर रखना महत्वपूर्ण है।
  • सोशल मीडिया की निगरानी: सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली नफरत और दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करना होगा।
  • स्थानीय आबादी के साथ विश्वास बहाली: सुरक्षाबलों को स्थानीय आबादी के साथ विश्वास और तालमेल स्थापित करने पर ध्यान देना होगा, ताकि उन्हें सूचना प्राप्त हो सके और वे भयमुक्त जीवन जी सकें।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद एक सीमा पार समस्या है, इसलिए इसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी आवश्यक है।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)

प्रारंभिक परीक्षा में, आपको जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, प्रमुख सुरक्षा बल (जैसे सेना, CRPF, BSF), महत्वपूर्ण आतंकवाद विरोधी अभियान, हालिया आतंकवादी घटनाएँ और उनसे जुड़े आँकड़े याद रखने होंगे।

मुख्य परीक्षा (Mains)

मुख्य परीक्षा में, विशेष रूप से **सामान्य अध्ययन – 3 (GS-3)** में ‘आंतरिक सुरक्षा’ खंड के तहत, इस विषय पर विस्तृत प्रश्न पूछे जा सकते हैं। आपको इन पहलुओं का विश्लेषण करना होगा:

  • जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण और प्रभाव।
  • आतंकवाद से निपटने में सुरक्षाबलों की रणनीति और उनकी चुनौतियाँ।
  • आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम और उनके परिणाम।
  • आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रौद्योगिकी और सामाजिक-आर्थिक कारकों की भूमिका।
  • आतंकवाद के राजनीतिक समाधान की आवश्यकता और संभावनाएँ।

विश्लेषण की शैली: आपको केवल तथ्यों को सूचीबद्ध नहीं करना है, बल्कि उनका विश्लेषण भी करना है। उदाहरण के लिए, ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’ की सफलता और सीमाओं पर चर्चा करें। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और उससे निपटने की चुनौतियों का विश्लेषण करें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: हालिया कुलगाम मुठभेड़ के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. सुरक्षाबलों को खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान चलाया गया।
2. इस मुठभेड़ में कोई भी सुरक्षाकर्मी हताहत नहीं हुआ।
3. अभियान के दौरान कई आतंकवादी मारे गए।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
व्याख्या: सामान्यतः ऐसे अभियानों में सुरक्षाबलों को भी कुछ हद तक नुकसान हो सकता है, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, इस मुठभेड़ में मुख्य सफलता आतंकवादियों को मार गिराने में मिली। कथन 2 संदिग्ध है, जबकि 1 और 3 घटना के सामान्य विवरण से मेल खाते हैं।

2. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पुनरुत्थान में निम्नलिखित में से कौन सा कारक जिम्मेदार नहीं है?
(a) पड़ोसी देशों से वित्तीय और लॉजिस्टिक समर्थन
(b) स्थानीय आबादी का पूर्ण सहयोग
(c) सोशल मीडिया का दुरुपयोग
(d) धार्मिक कट्टरवाद का प्रसार
उत्तर: (b)
व्याख्या: स्थानीय आबादी का पूर्ण सहयोग आतंकवाद के प्रसार में सहायक नहीं, बल्कि बाधक होता है।

3. प्रश्न: ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) आतंकवादियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
(b) जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करना
(c) स्थानीय आबादी के लिए रोजगार सृजित करना
(d) केवल पर्यटन को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’ भारत सरकार की एक प्रमुख रणनीति है जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद के सभी स्वरूपों को समाप्त करना है।

4. प्रश्न: भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियानों में आमतौर पर निम्नलिखित में से किस बल का सहयोग लिया जाता है?
1. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
2. सीमा सुरक्षा बल (BSF)
3. राष्ट्रीय राइफल्स (Rashtriya Rifles)
सही कूट का प्रयोग करें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
व्याख्या: राष्ट्रीय राइफल्स एक विशेष बल है जो आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए ही गठित की गई है। CRPF भी आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। BSF मुख्य रूप से सीमा सुरक्षा का कार्य करती है।

5. प्रश्न: हाल के वर्षों में, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए किस माध्यम का उपयोग बढ़ा है?
(a) पारंपरिक समाचार पत्र
(b) रेडियो प्रसारण
(c) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
(d) सरकारी विज्ञापन
उत्तर: (c)
व्याख्या: सोशल मीडिया अपनी पहुँच और प्रभाव के कारण युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक प्रमुख माध्यम बन गया है।

6. प्रश्न: कुलगाम जिला जम्मू-कश्मीर के किस क्षेत्र में स्थित है?
(a) उत्तरी कश्मीर
(b) दक्षिण कश्मीर
(c) मध्य कश्मीर
(d) जम्मू संभाग
उत्तर: (b)
व्याख्या: कुलगाम, अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, और बडगाम जैसे जिले दक्षिण कश्मीर के अंतर्गत आते हैं, जो ऐतिहासिक रूप से आतंकवाद से अधिक प्रभावित रहे हैं।

7. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जड़ें किस दशक में गहरी हुई मानी जाती हैं?
(a) 1970 का दशक
(b) 1980 का दशक
(c) 1990 का दशक
(d) 2000 का दशक
उत्तर: (c)
व्याख्या: जबकि 1980 के दशक के अंत में इसके बीज बोए गए, 1990 के दशक में आतंकवाद ने बड़े पैमाने पर पैर पसारा।

8. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व करती है?
(a) भारतीय तटरक्षक बल
(b) केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)
(c) भारतीय सेना
(d) सशस्त्र सीमा बल (SSB)
उत्तर: (c)
व्याख्या: भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF मिलकर संयुक्त रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व करते हैं।

9. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित एक प्रमुख आर्थिक क्षेत्र कौन सा है?
(a) कृषि
(b) पर्यटन
(c) हस्तशिल्प
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: आतंकवाद के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताओं से पर्यटन, कृषि, हस्तशिल्प सहित सभी आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।

10. प्रश्न: आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति के संदर्भ में, ‘मानव ढाल’ (human shield) का क्या अर्थ है?
(a) नागरिकों को आतंकवादियों से बचाना
(b) आतंकवादियों द्वारा नागरिकों को बंधक बनाकर सुरक्षाबलों की कार्रवाई में बाधा डालना
(c) आतंकवादियों द्वारा नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना
(d) सुरक्षाबलों द्वारा नागरिकों की पहचान छुपाना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘मानव ढाल’ एक ऐसी रणनीति है जहाँ आतंकवादी अपने बचाव के लिए नागरिकों को आगे करते हैं या उन्हें अपनी गतिविधियों के दौरान इस्तेमाल करते हैं, ताकि सुरक्षाबल उन पर गोली चलाने से हिचकिचाएं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पुनरुत्थान के प्रमुख कारणों का विश्लेषण करें और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभावों का वर्णन करें। (250 शब्द)
2. प्रश्न: ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’ के संदर्भ में, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपनाई गई भारतीय सुरक्षाबलों की रणनीतियों और उनमें निहित चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
3. प्रश्न: आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। इस कथन के आलोक में, जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए आवश्यक व्यापक दृष्टिकोण (बहुआयामी रणनीति) पर चर्चा करें, जिसमें सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक आयाम शामिल हों। (250 शब्द)
4. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में युवाओं का कट्टरपंथीकरण और सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इससे निपटने के लिए प्रभावी उपायों का सुझाव दें। (150 शब्द)

यह विस्तृत विश्लेषण आपको कुलगाम मुठभेड़ और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के broader context को समझने में मदद करेगा, जो UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल वर्तमान घटनाओं पर प्रकाश डालता है, बल्कि आपको ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, सुरक्षा रणनीतियों, प्रभावों और भविष्य की राह पर एक संतुलित दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।

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