कुरील द्वीप पर 7.0 तीव्रता का भूकंप: प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ की सक्रियता और सुनामी का खतरा
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास, प्रशांत महासागर के कुरील द्वीप समूह में रिक्टर पैमाने पर 7.0 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया। इस भूकंप के कारण सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई, जिसने इस क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संवेदनशीलता और इसके वैश्विक प्रभाव पर फिर से प्रकाश डाला है। यह घटना UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भूविज्ञान, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और पर्यावरण जैसे विभिन्न पहलुओं को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
प्रशांत महासागर के उत्तरी भाग में स्थित कुरील द्वीप, एक अत्यंत सक्रिय भूवैज्ञानिक क्षेत्र का हिस्सा हैं, जिसे ‘प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ (Pacific Ring of Fire) के नाम से जाना जाता है। यह वह क्षेत्र है जहाँ पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं, जिससे यहाँ अक्सर भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं। इस विशेष भूकंप की गहराई, तीव्रता और सुनामी की चेतावनी ने इसे अंतर्राष्ट्रीय समाचारों में ला दिया है, और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को समझना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
भूकंपीय गतिविधि का वैज्ञानिक विश्लेषण (Scientific Analysis of Seismic Activity)
भूकंप, पृथ्वी की सतह की अचानक हलचल के कारण होने वाली कंपन है, जो मुख्य रूप से पृथ्वी की पपड़ी (Earth’s Crust) में टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण उत्पन्न होती है। ये प्लेटें, पृथ्वी के ऊपरी, कठोर आवरण (Lithosphere) का हिस्सा हैं, जो मैग्मा (Magma) की एक अर्ध-तरल परत, एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) पर धीरे-धीरे तैरती रहती हैं।
टेक्टोनिक प्लेटों की गतियाँ (Types of Plate Movements):
- अपसारी सीमाएँ (Divergent Boundaries): जहाँ प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं, जिससे नया क्रस्ट बनता है (जैसे मध्य-अटलांटिक रिज)।
- अभिसारी सीमाएँ (Convergent Boundaries): जहाँ प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं। यह तीन प्रकार की हो सकती हैं:
- महाद्वीपीय-महाद्वीपीय टकराव (Continental-Continental Collision): जिससे पर्वत श्रृंखलाएँ बनती हैं (जैसे हिमालय)।
- महासागरीय-महाद्वीपीय टकराव (Oceanic-Continental Collision): जहाँ भारी महासागरीय प्लेट हल्की महाद्वीपीय प्लेट के नीचे दब जाती है (Subduction), जिससे खाई (Trench) और ज्वालामुखी चाप (Volcanic Arc) बनते हैं (जैसे एंडीज पर्वत)।
- महासागरीय-महासागरीय टकराव (Oceanic-Oceanic Collision): जहाँ एक महासागरीय प्लेट दूसरी के नीचे दब जाती है, जिससे गहरी समुद्री खाई और द्वीप चाप (Island Arc) बनते हैं (जैसे कुरील द्वीप)।
- रूपांतरित सीमाएँ (Transform Boundaries): जहाँ प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं, जिससे भूकंप आते हैं (जैसे सैन एंड्रियास फॉल्ट)।
कुरील द्वीप क्षेत्र, विशेष रूप से प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ में, एक **अभिसारी सीमा (Convergent Boundary)** का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ पैसिफिक प्लेट (Pacific Plate) उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ती है और ओखोटस्क प्लेट (Okhotsk Plate) के नीचे **अवशोषित (Subduct)** हो जाती है। ओखोटस्क प्लेट, हालाँकि अक्सर यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) का हिस्सा मानी जाती है, फिर भी यह एक अलग इकाई के रूप में व्यवहार कर सकती है, या इसे पैसिफिक और यूरेशियन प्लेटों के बीच एक मध्यवर्ती प्लेट माना जा सकता है। इस **सबडक्शन ज़ोन (Subduction Zone)** में, पैसिफिक प्लेट के मुड़ने और नीचे की ओर जाने से भारी मात्रा में तनाव (Stress) उत्पन्न होता है। जब यह तनाव प्लेटों को एक साथ जकड़ने वाली शक्तियों से अधिक हो जाता है, तो अचानक ऊर्जा का विमोचन होता है, जिसे हम भूकंप के रूप में अनुभव करते हैं।
भूकंप की तीव्रता (Magnitude of Earthquake): रिक्टर पैमाने पर 7.0 की तीव्रता एक **प्रमुख भूकंप (Major Earthquake)** का संकेत देती है। रिक्टर स्केल एक लघुगणकीय (Logarithmic) पैमाना है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक पूर्ण संख्या वृद्धि का मतलब आयाम में 10 गुना वृद्धि और जारी ऊर्जा में लगभग 32 गुना वृद्धि है। इसलिए, 7.0 की तीव्रता, 6.0 की तीव्रता वाले भूकंप की तुलना में 10 गुना अधिक भूकंपीय तरंग आयाम और 32 गुना अधिक ऊर्जा जारी करती है।
भूकंप की गहराई (Depth of Earthquake): भूकंप की गहराई भी उसके प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- उथले-केंद्रित भूकंप (Shallow-focus Earthquakes): 0-70 किमी की गहराई पर। ये सबसे अधिक विनाशकारी होते हैं क्योंकि ऊर्जा पृथ्वी की सतह के करीब जारी होती है।
- मध्यम-केंद्रित भूकंप (Intermediate-focus Earthquakes): 70-300 किमी की गहराई पर।
- गहन-केंद्रित भूकंप (Deep-focus Earthquakes): 300 किमी से अधिक की गहराई पर। ये सतह पर कम विनाशकारी होते हैं, लेकिन ये उन क्षेत्रों में होते हैं जहाँ प्लेटें बहुत नीचे तक डूब जाती हैं।
कुरील द्वीप सबडक्शन ज़ोन में, भूकंप विभिन्न गहराइयों पर हो सकते हैं, जो प्लेटों के बीच इंटरैक्शन की जटिलता को दर्शाते हैं। इस विशिष्ट भूकंप की गहराई का सटीक विश्लेषण, सुनामी की क्षमता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
सुनामी की चेतावनी: एक गंभीर खतरा (Tsunami Warning: A Grave Danger)
सुनामी (Tsunami) क्या है? सुनामी, एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है ‘बंदरगाह की लहर’ (Harbour Wave)। यह समुद्री जल की विशाल तरंगों की एक श्रृंखला है जो मुख्य रूप से समुद्र तल पर अचानक होने वाली विस्थापन (Displacement) के कारण उत्पन्न होती है। समुद्र तल पर ये विस्थापन निम्न कारणों से हो सकते हैं:
- पानी के नीचे भूकंप (Undersea Earthquakes): विशेष रूप से, जब भूकंप का केंद्र समुद्र तल पर हो और लंबवत (Vertical) गति का कारण बने।
- ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruptions): पानी के नीचे या तट के पास बड़े ज्वालामुखी विस्फोट।
- भूस्खलन (Landslides): तट के पास बड़े पैमाने पर होने वाले भूस्खलन या पानी के नीचे होने वाले भूस्खलन।
- उल्का पिंड का गिरना (Meteorite Impacts): अत्यंत दुर्लभ, लेकिन संभावित कारण।
सुनामी कैसे उत्पन्न होती है? 7.0 तीव्रता का भूकंप, यदि यह समुद्र तल पर होता है और महत्वपूर्ण ऊर्ध्वाधर गति (Vertical Displacement) का कारण बनता है, तो यह समुद्र के पानी को भी विस्थापित कर सकता है। यह विस्थापित पानी, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में, तट की ओर तरंगों की एक श्रृंखला के रूप में फैलना शुरू कर देता है। खुले समुद्र में, सुनामी की लहरें बहुत लंबी (कुछ सौ किलोमीटर) और अपेक्षाकृत कम ऊँची (कुछ सेंटीमीटर से एक मीटर तक) हो सकती हैं, लेकिन वे अविश्वसनीय रूप से तेज गति से (लगभग 500-800 किमी प्रति घंटा, जेट विमान की गति के बराबर) यात्रा करती हैं।
“जैसे ही सुनामी उथले पानी में प्रवेश करती है, उसकी गति कम हो जाती है, लेकिन उसकी ऊँचाई तेजी से बढ़ती है, जिससे यह विशाल, विनाशकारी दीवार बन जाती है।”
कुरील द्वीप क्षेत्र, अपनी सबडक्शन ज़ोन प्रकृति के कारण, सुनामी के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। प्रशांत महासागर में ऐतिहासिक रूप से कई विनाशकारी सुनामी इसी क्षेत्र से उत्पन्न हुई हैं। इस विशिष्ट भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी, इस बात का संकेत है कि भूवैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंप ने समुद्र तल में पर्याप्त बदलाव किया है जिससे सुनामी उत्पन्न होने की संभावना है।
प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ और इसके निहितार्थ (The Pacific ‘Ring of Fire’ and its Implications)
‘रिंग ऑफ फायर’ क्या है? ‘रिंग ऑफ फायर’ पृथ्वी की परिधि के चारों ओर एक विशाल घोड़े की नाल के आकार का क्षेत्र है, जो प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला हुआ है। यह लगभग 40,000 किलोमीटर (25,000 मील) लंबा है और इसमें दुनिया के 75% से अधिक सक्रिय और सुप्त ज्वालामुखी और 90% से अधिक ज्ञात भूकंपीय घटनाएँ होती हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कई टेक्टोनिक प्लेटें (जैसे पैसिफिक, कोकोस, नाज़्का, उत्तर अमेरिकी, यूरेशियन, फिलिपिनियन, इंडो-ऑस्ट्रेलियन और अंटार्कटिक प्लेटें) मिलती हैं और एक-दूसरे के साथ जटिल तरीके से इंटरैक्ट करती हैं।
‘रिंग ऑफ फायर’ की संरचना:
- सबडक्शन ज़ोन (Subduction Zones): अधिकांश ‘रिंग ऑफ फायर’ अभिसारी सीमाओं से बनता है, जहाँ एक प्लेट दूसरी के नीचे डूब जाती है। यह प्रक्रिया गहन भूकंपीय गतिविधि और ज्वालामुखी गतिविधि के लिए जिम्मेदार है।
- द्वीप चाप (Island Arcs): जहाँ महासागरीय प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, वहाँ अवतल आकार में द्वीपों की श्रृंखलाएँ बन जाती हैं, जैसे कि जापान, फिलीपींस और कुरील द्वीप।
- ज्वालामुखी चाप (Volcanic Arcs): जहाँ महासागरीय प्लेटें महाद्वीपीय प्लेटों के नीचे डूब जाती हैं, वहाँ महाद्वीपीय किनारों के साथ ज्वालामुखी पर्वत श्रृंखलाएँ बनती हैं, जैसे कि एंडीज और कैस्केड पर्वत।
‘रिंग ऑफ फायर’ की सक्रियता: यह क्षेत्र लगातार सक्रिय रहता है। हाल के वर्षों में, हम ‘रिंग ऑफ फायर’ के विभिन्न हिस्सों में भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोटों में वृद्धि देख रहे हैं। यह जरूरी नहीं कि एक विशेष पैटर्न का संकेत हो, बल्कि यह प्लेट टेक्टोनिक्स की निरंतर और स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा है। हालांकि, इन घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता का अध्ययन वैज्ञानिकों को पृथ्वी की आंतरिक गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।
भारत के लिए प्रासंगिकता (Relevance for India)
हालाँकि कुरील द्वीप भौगोलिक रूप से भारत से काफी दूर हैं, फिर भी इस तरह की घटनाएँ भारत के लिए कई मायनों में प्रासंगिक हैं:
- आपदा प्रबंधन (Disaster Management): भारत स्वयं एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र में, जहाँ भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे अवशोषित हो रही है। कुरील द्वीप जैसे क्षेत्रों में होने वाली बड़ी भूकंपीय घटनाओं से हमें अपनी तैयारी और प्रतिक्रिया रणनीतियों को बेहतर बनाने की प्रेरणा लेनी चाहिए। इसमें मजबूत भवन कोड, प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और सार्वजनिक जागरूकता अभियान शामिल हैं।
- भूवैज्ञानिक अनुसंधान (Geological Research): ‘रिंग ऑफ फायर’ की घटनाओं का अध्ययन पृथ्वी की आंतरिक संरचना, प्लेट टेक्टोनिक्स और भूकंप तथा ज्वालामुखी की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण है। यह ज्ञान भारत को अपने भूकंपीय जोखिम वाले क्षेत्रों के लिए मॉडल विकसित करने में मदद कर सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation): प्राकृतिक आपदाओं के समय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण होता है। भारत को सुनामी चेतावनी प्रणालियों और भूकंपीय निगरानी में अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना चाहिए।
- पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact): बड़े भूकंप और सुनामी के पारिस्थितिक तंत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे कि तटीय कटाव, आवासों का विनाश और समुद्री जीवन पर प्रभाव। यह पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है।
UPSC परीक्षा के लिए विस्तृत सामग्री (Detailed Content for UPSC Exam)
1. भूगोल (Geography)
- विषय: भूकंप, सुनामी, प्लेट टेक्टोनिक्स, ‘रिंग ऑफ फायर’, सबडक्शन ज़ोन, द्वीप चाप।
- महत्व: UPSC प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पेपर I (भूगोल) के लिए महत्वपूर्ण।
- अवधारणाएँ:
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Internal structure of Earth)।
- विविध प्लेट सीमाएँ और उनके संबंधित भूवैज्ञानिक लक्षण।
- भूकंपीय तरंगें (Seismic waves): P-waves, S-waves, Surface waves।
- भूकंप का मापन: रिक्टर स्केल और मर्कल्ली स्केल (Mercalli Scale)।
- सुनामी निर्माण के तंत्र और प्रसार।
- ‘रिंग ऑफ फायर’ का वैश्विक महत्व और इससे जुड़े जोखिम।
- कुरील द्वीप समूह का भूवैज्ञानिक और भौगोलिक महत्व।
2. पर्यावरण (Environment)
- विषय: प्राकृतिक आपदाओं का पारिस्थितिक प्रभाव, तटीय पर्यावरण पर सुनामी का प्रभाव।
- महत्व: सामान्य अध्ययन पेपर I (भूगोल) और सामान्य अध्ययन पेपर III (पर्यावरण)।
- अवधारणाएँ:
- प्राकृतिक आपदाओं से पारिस्थितिक तंत्र का व्यवधान।
- तटीय मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव।
- आपदाओं के बाद पुनर्प्राप्ति और पुनर्वास की चुनौतियाँ।
3. आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
- विषय: भूकंपीय जोखिम न्यूनीकरण, सुनामी चेतावनी प्रणाली, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया तंत्र।
- महत्व: सामान्य अध्ययन पेपर III (सुरक्षा और आपदा प्रबंधन) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।
- अवधारणाएँ:
- आपदा प्रबंधन के चरण: रोकथाम, शमन (Mitigation), तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति।
- भूकंपरोधी संरचनाएँ (Earthquake-resistant structures) और उनकी आवश्यकता।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों (Early Warning Systems) की भूमिका और प्रभावकारिता (जैसे सुनामी चेतावनी केंद्र)।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की भूमिका।
- आपदाओं से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे UN-ISDR) का योगदान।
- भारत के लिए भूकंप और सुनामी के खतरे का आकलन।
4. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations)
- विषय: भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय आपदा सहायता।
- महत्व: सामान्य अध्ययन पेपर II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)।
- अवधारणाएँ:
- जापान, रूस, अमेरिका (अलास्का) जैसे प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ भारत के संबंध, जहाँ ऐसी घटनाएँ आम हैं।
- आपदाओं के समय सूचना और संसाधन साझा करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्व।
- जलवायु परिवर्तन और टेक्टोनिक घटनाओं के बीच संभावित अप्रत्यक्ष संबंध (हालांकि सीधा कारण नहीं)।
संभावित पक्ष, विपक्ष, चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Pros, Cons, Challenges, and Way Forward)
पक्ष (Pros):
- वैज्ञानिक समझ में वृद्धि: ये घटनाएँ वैज्ञानिकों को पृथ्वी की आंतरिक क्रियाओं और प्लेट टेक्टोनिक्स को बेहतर ढंग से समझने का अवसर प्रदान करती हैं।
- प्रौद्योगिकी का विकास: भूकंपीय निगरानी, चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रतिक्रिया प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करता है।
- जन जागरूकता: जनता को प्राकृतिक आपदाओं के जोखिमों और तैयारियों के महत्व के बारे में जागरूक करता है।
विपक्ष (Cons):
- मानवीय त्रासदी: बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि, चोटें और विस्थापन।
- आर्थिक प्रभाव: बुनियादी ढांचे का विनाश, अर्थव्यवस्थाओं का पतन, और पुनर्निर्माण पर भारी व्यय।
- पर्यावरणीय क्षरण: तटीय पारिस्थितिक तंत्र का विनाश, समुद्री प्रदूषण।
चुनौतियाँ (Challenges):
- भूकंप की भविष्यवाणी: भूकंपों की सटीक भविष्यवाणी (कब, कहाँ और कितनी तीव्रता का) अभी भी एक बड़ी वैज्ञानिक चुनौती है।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की सीमाएँ: कुछ क्षेत्रों में चेतावनी प्रणालियों की पहुंच और प्रभावकारिता सीमित हो सकती है, खासकर दूरदराज के इलाकों में।
- लचर शहरी नियोजन: अनियोजित शहरीकरण और कमजोर भवन निर्माण प्रथाएँ जोखिम को बढ़ाती हैं।
- संसाधन की कमी: विकासशील देशों में प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए आवश्यक संसाधन और विशेषज्ञता की कमी एक बड़ी बाधा है।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जबकि सीधे तौर पर संबंधित नहीं, जलवायु परिवर्तन अप्रत्यक्ष रूप से तटीय कमजोरियों को बढ़ा सकता है, जो सुनामी के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं।
भविष्य की राह (Way Forward):
- वैज्ञानिक अनुसंधान में निवेश: भूकंपीय भविष्यवाणी और शमन तकनीकों में निरंतर अनुसंधान आवश्यक है।
- मजबूत शहरी नियोजन और भवन कोड: सभी निर्माणों में भूकंपरोधी मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का सुदृढ़ीकरण: विश्वसनीय चेतावनी प्रणालियों का विस्तार और रखरखाव, साथ ही जनता को इन चेतावनियों पर प्रतिक्रिया करने के लिए प्रशिक्षित करना।
- सामुदायिक तैयारी और क्षमता निर्माण: स्थानीय समुदायों को आपदाओं का सामना करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सूचना, प्रौद्योगिकी और संसाधनों के आदान-प्रदान के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना।
- नियमित अभ्यास और मॉक ड्रिल: यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रतिक्रिया तंत्र प्रभावी है।
कुरील द्वीप पर आया 7.0 तीव्रता का भूकंप, ‘रिंग ऑफ फायर’ की निरंतर सक्रियता और इससे जुड़े खतरों की एक और गवाही है। यह घटना हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अपनी तैयारी और प्रतिक्रिया को निरंतर बेहतर बनाने की आवश्यकता की याद दिलाती है, ताकि हम ऐसी घटनाओं के विनाशकारी प्रभावों को कम कर सकें। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह भूविज्ञान, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन के सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक दुनिया की घटनाओं से जोड़ने का एक उत्कृष्ट अवसर है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: ‘प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह दुनिया का सबसे शांत भूवैज्ञानिक क्षेत्र है।
- यहाँ पृथ्वी के लगभग 75% सक्रिय ज्वालामुखी और 90% भूकंप आते हैं।
- इसमें मुख्य रूप से अपसारी प्लेट सीमाएँ शामिल हैं।
- यह मुख्य रूप से अटलांटिक महासागर के चारों ओर फैला हुआ है।
उत्तर: B
व्याख्या: ‘रिंग ऑफ फायर’ पैसिफिक प्लेट की सीमाओं पर स्थित है और यह अभिसारी प्लेट सीमाओं का क्षेत्र है जहाँ अधिकांश भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधि होती है। - प्रश्न 2: सुनामी का निर्माण मुख्य रूप से किसके कारण होता है?
- समुद्र में तेज हवाएँ
- समुद्र तल पर ज्वालामुखी विस्फोट या भूकंप के कारण जल का अचानक विस्थापन
- समुद्री धाराओं में परिवर्तन
- ज्वारीय बल
उत्तर: B
व्याख्या: सुनामी तब उत्पन्न होती है जब समुद्र तल पर बड़ी मात्रा में पानी अचानक विस्थापित होता है, जो अक्सर पानी के नीचे भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण होता है। - प्रश्न 3: रिक्टर पैमाने पर 7.0 तीव्रता के भूकंप की तुलना में 6.0 तीव्रता के भूकंप में कितना कम ऊर्जा जारी होती है?
- 10 गुना कम
- 32 गुना कम
- लगभग 1000 गुना कम
- लगभग 32000 गुना कम
उत्तर: B
व्याख्या: रिक्टर पैमाना लघुगणकीय है। प्रत्येक पूर्ण संख्या वृद्धि आयाम में 10 गुना वृद्धि और ऊर्जा में लगभग 32 गुना वृद्धि दर्शाती है। इसलिए, 7.0 की तीव्रता 6.0 की तुलना में 32 गुना अधिक ऊर्जा जारी करती है। - प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबडक्शन ज़ोन (Subduction Zone) का सबसे अच्छा वर्णन करता है?
- जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं।
- जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं।
- जहाँ एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरी टेक्टोनिक प्लेट के नीचे धँस जाती है।
- जहाँ नई समुद्री पर्पटी (Oceanic Crust) का निर्माण होता है।
उत्तर: C
व्याख्या: सबडक्शन ज़ोन वह क्षेत्र है जहाँ एक टेक्टोनिक प्लेट (आमतौर पर सघन महासागरीय प्लेट) दूसरी (कम सघन महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट) के नीचे धँस जाती है। - प्रश्न 5: कुरील द्वीप समूह किस प्रकार की भूवैज्ञानिक संरचना का उदाहरण हैं?
- मध्य-महासागरीय कटक (Mid-Ocean Ridge)
- महाद्वीपीय दरार (Continental Rift)
- ज्वालामुखी चाप (Volcanic Arc)
- रूपांतरित भ्रंश (Transform Fault)
उत्तर: C
व्याख्या: कुरील द्वीप समूह, पैसिफिक प्लेट के ओखोटस्क प्लेट के नीचे सबडक्ट होने से बने एक द्वीप चाप का निर्माण करते हैं। - प्रश्न 6: भारत के लिए, हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि का मुख्य कारण क्या है?
- अफ्रीकी प्लेट और भारतीय प्लेट का टकराव।
- भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच अभिसारी सीमा।
- भारतीय प्लेट का पैसिफिक प्लेट से दूर जाना।
- अरेबियन प्लेट का भारतीय प्लेट के नीचे सबडक्ट होना।
उत्तर: B
व्याख्या: भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है और उसके नीचे धीरे-धीरे अवशोषित हो रही है, जिससे हिमालयी क्षेत्र में अत्यधिक भूकंपीय गतिविधि होती है। - प्रश्न 7: सुनामी चेतावनी प्रणाली का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- तूफानों की भविष्यवाणी करना।
- भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना।
- समुद्री जल स्तर में अचानक वृद्धि की चेतावनी देना ताकि तटीय आबादी को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सके।
- ज्वालामुखी विस्फोट की चेतावनी देना।
उत्तर: C
व्याख्या: सुनामी चेतावनी प्रणाली तटीय क्षेत्रों को आसन्न सुनामी खतरों के बारे में समय पर सूचित करती है, जिससे जान-माल की क्षति को कम करने में मदद मिलती है। - प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण चरण है?
- केवल प्रतिक्रिया (Response)
- केवल पुनर्प्राप्ति (Recovery)
- शमन (Mitigation), तैयारी (Preparation), प्रतिक्रिया (Response) और पुनर्प्राप्ति (Recovery)
- केवल रोकथाम (Prevention)
उत्तर: C
व्याख्या: प्राकृतिक आपदा प्रबंधन एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जिसमें शमन (खतरे को कम करना), तैयारी (संसाधन जुटाना), प्रतिक्रिया (तत्काल कार्रवाई) और पुनर्प्राप्ति (सामान्य स्थिति बहाल करना) शामिल हैं। - प्रश्न 9: भूकंपीय तरंगों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- P-तरंगें (Primary waves) S-तरंगों (Secondary waves) की तुलना में अधिक धीमी होती हैं।
- S-तरंगें ठोस माध्यम से गुजर सकती हैं लेकिन तरल माध्यम से नहीं।
- सतही तरंगें (Surface waves) सबसे विनाशकारी होती हैं।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
- केवल A
- केवल B और C
- केवल C
- A, B और C
उत्तर: B
व्याख्या: P-तरंगें S-तरंगों से तेज होती हैं। S-तरंगें केवल ठोस माध्यम से गुजर सकती हैं। सतह की तरंगें (Love waves और Rayleigh waves) सबसे लंबी अवधि की होती हैं और अक्सर सतह के पास सबसे अधिक कंपन और क्षति का कारण बनती हैं। - प्रश्न 10: ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधि के लिए मुख्य रूप से कौन सी टेक्टोनिक प्रक्रिया जिम्मेदार है?
- महाद्वीपीय बहाव (Continental Drift)
- सबडक्शन (Subduction)
- पवनावन (Weathering)
- ग्लेशिएशन (Glaciation)
उत्तर: B
व्याख्या: ‘रिंग ऑफ फायर’ मुख्य रूप से अभिसारी प्लेट सीमाओं की एक श्रृंखला है जहाँ सबडक्शन की प्रक्रिया हावी है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि होती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: “प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ में टेक्टोनिक प्लेटों की गति पृथ्वी पर सबसे तीव्र भूवैज्ञानिक गतिविधियों का कारण बनती है। 7.0 तीव्रता के भूकंप और सुनामी की चेतावनी के हालिया मामले के आलोक में, सबडक्शन ज़ोन (Subduction Zones) की अवधारणा, ‘रिंग ऑफ फायर’ के भूवैज्ञानिक महत्व और ऐसे क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिए निहित जोखिमों का विश्लेषण करें।” (250 शब्द, 15 अंक)
मुख्य बिंदु:
- सबडक्शन ज़ोन की परिभाषा और निर्माण प्रक्रिया।
- ‘रिंग ऑफ फायर’ क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है (भूकंप, ज्वालामुखी)।
- कुरील द्वीप क्षेत्र का सबडक्शन ज़ोन के रूप में वर्णन।
- 7.0 तीव्रता के भूकंप का मतलब और सुनामी की संभावना।
- इन क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिए उच्च जोखिम (भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी)।
- शहरी नियोजन, भवन कोड और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की आवश्यकता पर जोर।
- प्रश्न 2: “प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से भूकंप और सुनामी के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए, भारत को अपनी आपदा प्रबंधन रणनीतियों को मजबूत करने की आवश्यकता है। भारत में आपदा प्रबंधन की वर्तमान स्थिति की विवेचना करें और हिमालयी क्षेत्र जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भूकंपीय जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव दें।” (250 शब्द, 15 अंक)
मुख्य बिंदु:
- भारत के प्रमुख प्राकृतिक आपदा जोखिम (भूकंप, बाढ़, चक्रवात, सूखा)।
- भारत के भूकंपीय जोखिम वाले क्षेत्र (भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र, हिमालय की भूमिका)।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और संबंधित एजेंसियों की भूमिका।
- वर्तमान आपदा प्रबंधन ढाँचा (रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति)।
- सुधार के लिए सुझाव:
- मजबूत भवन निर्माण कोड का कार्यान्वयन और प्रवर्तन।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का आधुनिकीकरण।
- जन जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रम।
- सामुदायिक क्षमता निर्माण।
- आपदा प्रतिक्रिया बल का प्रशिक्षण और आधुनिकीकरण।
- शहरी नियोजन में जोखिम मूल्यांकन का एकीकरण।
- प्रश्न 3: “सुनामी के निर्माण, प्रसार और विनाशकारी क्षमता के वैज्ञानिक सिद्धांतों की व्याख्या करें। हालिया कुरील द्वीप भूकंप के उदाहरण का उपयोग करते हुए, यह बताएं कि इस तरह की घटना के बाद सुनामी की चेतावनी क्यों जारी की जाती है और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालें।” (150 शब्द, 10 अंक)
मुख्य बिंदु:
- सुनामी के कारण (पानी के नीचे भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन)।
- सुनामी का निर्माण (जल का विस्थापन)।
- सुनामी का प्रसार (खुले समुद्र में गति और तरंग दैर्ध्य)।
- उथले पानी में सुनामी का व्यवहार (गति में कमी, ऊंचाई में वृद्धि)।
- कुरील द्वीप भूकंप के संदर्भ में चेतावनी का कारण (संभावित ऊर्ध्वाधर विस्थापन)।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का महत्व (समय पर निकासी, क्षति को कम करना)।
- प्रश्न 4: “वैश्विक भूवैज्ञानिक सुरक्षा के लिए ‘प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ का क्या महत्व है? यह क्षेत्र अपनी उच्च भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधि के लिए क्यों जाना जाता है? भारत जैसे दूरस्थ देशों पर भी ऐसी घटनाओं का अप्रत्यक्ष प्रभाव क्या हो सकता है?” (150 शब्द, 10 अंक)
मुख्य बिंदु:
- ‘रिंग ऑफ फायर’ की परिभाषा और भौगोलिक विस्तार।
- कारण: अभिसारी प्लेट सीमाएँ और सबडक्शन ज़ोन।
- महत्व: पृथ्वी की टेक्टोनिक और ज्वालामुखीय गतिविधि का केंद्र।
- भारत पर अप्रत्यक्ष प्रभाव:
- आपदा प्रबंधन से सीखना।
- भूकंपीय अनुसंधान में प्रगति।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (सूचना, विशेषज्ञता)।
- विश्व अर्थव्यवस्था पर वैश्विक प्रभाव।