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कालचक्र की दौड़: आपकी ऐतिहासिक समझ का परीक्षण

कालचक्र की दौड़: आपकी ऐतिहासिक समझ का परीक्षण

नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! आज फिर हम समय की गहराइयों में उतरने और अपने ज्ञान के क्षितिज को विस्तृत करने के लिए तैयार हैं। यह केवल एक प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि अतीत के महत्वपूर्ण पलों के साथ सीधा संवाद है। अपनी कमर कस लीजिए और देखें कि आप इतिहास के इस महासागर में कितनी गहराई तक गोता लगा सकते हैं!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सैंधव सभ्यता के किस स्थल से जल प्रबंधन की उत्कृष्ट प्रणाली के प्रमाण मिलते हैं, जिसमें विशाल जलाशय शामिल थे?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. धौलावीरा
  4. लोथल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: धौलावीरा। गुजरात में स्थित धौलावीरा, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है, जो अपनी उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहाँ खोजे गए विशाल जलाशय, वर्षा जल को संग्रहित करने और शहर को पानी की आपूर्ति करने के लिए एक परिष्कृत प्रणाली का हिस्सा थे।
  • संदर्भ और विस्तार: धौलावीरा की जल प्रबंधन प्रणाली में बांध, नहरें और जलाशय शामिल थे, जो उस समय की अभियांत्रिकी क्षमता को दर्शाते हैं। यह स्थल जल संरक्षण के महत्व को समझने में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में भी शहरी नियोजन के अच्छे प्रमाण मिले हैं, जिनमें स्नानागार और जल निकासी व्यवस्था शामिल है, लेकिन धौलावीरा के जलाशय विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। लोथल एक बंदरगाह शहर था, जहाँ गोदी (dockyard) के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: ऋग्वैदिक काल में ‘गोत्र’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसके लिए किया गया था?

  1. गायों के समूह के लिए
  2. वंश या कुल के लिए
  3. पूरे कबीले या ग्राम के लिए
  4. भूमि के टुकड़े के लिए

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: वंश या कुल के लिए। ऋग्वैदिक काल में, ‘गोत्र’ शब्द का मूल अर्थ ‘गौओं का समूह’ या ‘गोशाला’ था, लेकिन समय के साथ इसका अर्थ विस्तारित हुआ और यह एक ही पूर्वज से उत्पन्न होने वाले व्यक्तियों के समूह, यानी वंश या कुल का प्रतीक बन गया।
  • संदर्भ और विस्तार: बाद के वैदिक काल और उत्तर-वैदिक काल में, गोत्र व्यवस्था अधिक दृढ़ हो गई और विवाहों में गोत्र- बहिर्विवाह (exogamy) का नियम महत्वपूर्ण हो गया।
  • गलत विकल्प: यद्यपि गायें ऋग्वैदिक काल में अत्यंत महत्वपूर्ण थीं, ‘गोत्र’ का प्राथमिक अर्थ बाद में वंश से जुड़ा, न कि केवल ‘गायों के समूह’ से। ग्राम या कबीला ‘विष’ या ‘जन’ जैसे शब्दों से सूचित होता था।

प्रश्न 3: मौर्य सम्राट अशोक के किस अभिलेख में कलिंग युद्ध के विनाशकारी प्रभावों का उल्लेख किया गया है और उसने बौद्ध धर्म स्वीकार करने की प्रेरणा के बारे में बताया है?

  1. शिलालेख 1
  2. शिलालेख 7
  3. शिलालेख 13
  4. शिलालेख 14

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शिलालेख 13। अशोक का 13वां शिलालेख सबसे प्रसिद्ध है क्योंकि इसमें कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) के भयानक परिणामों का विस्तृत वर्णन है, जिसने सम्राट को गहरा आघात पहुँचाया और उसे बौद्ध धर्म अपनाने व धर्म-विजय की नीति अपनाने के लिए प्रेरित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख में अशोक ने कहा है कि कलिंग युद्ध के बाद उसने पश्चाताप किया और भविष्य में ऐसी हिंसा न करने का संकल्प लिया। उसने बौद्ध भिक्षुओं के माध्यम से धर्म के प्रसार पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: अन्य शिलालेखों में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे कि पशुओं के प्रति क्रूरता का निषेध (शिलालेख 1), या विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता (शिलालेख 12), लेकिन कलिंग युद्ध और उसके बाद के परिवर्तन का सीधा उल्लेख 13वें शिलालेख में ही है।

प्रश्न 4: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. स्कंदगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: समुद्रगुप्त। यह उपाधि प्रसिद्ध इतिहासकार वी.ए. स्मिथ द्वारा समुद्रगुप्त को दी गई थी। समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ई.) एक महान विजेता था जिसने अपने साम्राज्य का विस्तार उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों और दक्षिण में कई राज्यों तक किया।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त की विजयों का वर्णन उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख) में मिलता है। उसकी सैन्य शक्ति और विजयों की संख्या को देखते हुए उसे ‘भारत का नेपोलियन’ कहा गया।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) एक प्रतापी शासक था जिसने मालवा पर विजय प्राप्त की और अपने दरबार में नवरत्न रखे। स्कंदगुप्त ने हूणों के आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया।

प्रश्न 5: प्राचीन भारत में ‘उत्तरी पथ’ (Northern Path) के नाम से विख्यात सड़क मार्ग, जिसका निर्माण मौर्य काल में हुआ था, का प्रमुख केंद्र कौन सा था?

  1. पाटलिपुत्र
  2. तक्षशिला
  3. वाराणसी
  4. उज्जैन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: तक्षशिला। मौर्य काल में, एक सुव्यवस्थित सड़क नेटवर्क था जो व्यापार और संचार के लिए महत्वपूर्ण था। ‘उत्तरी पथ’ या उत्तर-पश्चिम की ओर जाने वाला प्रमुख मार्ग तक्षशिला से होकर गुजरता था, जो गांधार क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और शैक्षिक केंद्र था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सड़क मार्ग भारत को मध्य एशिया से जोड़ता था। पाटलिपुत्र साम्राज्य की राजधानी थी, लेकिन तक्षशिला इस विशेष मार्ग का प्रमुख उत्तर-पश्चिमी केंद्र था।
  • गलत विकल्प: पाटलिपुत्र राजधानी थी, लेकिन उत्तरी पथ का अंतिम बिंदु नहीं। वाराणसी एक महत्वपूर्ण शहर था, लेकिन तक्षशिला की तरह उत्तर-पश्चिम की ओर विस्तार का केंद्र नहीं। उज्जैन पश्चिम की ओर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।

प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने कुतुब मीनार के निर्माण का कार्य शुरू किया था?

  1. इल्तुतमिश
  2. कुतुबुद्दीन ऐबक
  3. बलबन
  4. अलाउद्दीन खिलजी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कुतुबुद्दीन ऐबक। कुतुबुद्दीन ऐबक, दिल्ली सल्तनत का संस्थापक और गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। उसने 12वीं शताब्दी के अंत में भारत में इस्लामिक वास्तुकला के एक उत्कृष्ट उदाहरण, कुतुब मीनार का निर्माण कार्य शुरू करवाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: ऐबक ने इस मीनार का निर्माण सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में करवाया था। मीनार का निर्माण कार्य उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया था, और बाद में फिरोज शाह तुगलक ने इसकी क्षतिग्रस्त ऊपरी मंजिलों की मरम्मत करवाई थी।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने इसे पूरा करवाया, लेकिन शुरू कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था। बलबन और अलाउद्दीन खिलजी ने अन्य निर्माण करवाए थे, जैसे बलबन का मकबरा और अलाउद्दीन का अलाई दरवाजा।

प्रश्न 7: मुगल सम्राट अकबर ने अपने प्रशासन में ‘मनसबदारी प्रणाली’ की शुरुआत की थी। इस प्रणाली के मुख्य उद्देश्य क्या थे?

  1. सैनिकों की भर्ती और वेतन निर्धारण
  2. जमींदारी व्यवस्था का सरलीकरण
  3. न्याय प्रणाली का पुनर्गठन
  4. कृषि कर का एकत्रीकरण

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सैनिकों की भर्ती और वेतन निर्धारण। मनसबदारी प्रणाली, जिसे अकबर ने 1571 ई. में पेश किया था, एक नौकरशाही और सैन्य ग्रेडिंग प्रणाली थी। इसके तहत अधिकारियों को ‘मनसब’ (पद) प्रदान किए जाते थे, जिसमें उनके सैन्य उत्तरदायित्व (सवारों की संख्या) और नागरिक भूमिकाएँ निर्दिष्ट होती थीं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली का उद्देश्य साम्राज्य में एक सुव्यवस्थित, पदानुक्रमित सैन्य बल बनाए रखना, अधिकारियों की वफादारी सुनिश्चित करना और साम्राज्य के विस्तार व प्रशासन को कुशल बनाना था। मनसबदारों को नगद वेतन या जागीर (भूमि) के रूप में भुगतान किया जाता था।
  • गलत विकल्प: यह प्रणाली मुख्य रूप से सैन्य और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति, ग्रेडिंग और प्रबंधन से संबंधित थी, न कि सीधे जमींदारी, न्याय या कर संग्रह से, यद्यपि यह इन पहलुओं को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती थी।

प्रश्न 8: विजयनगर साम्राज्य के महान शासक कृष्ण देव राय द्वारा लिखित प्रसिद्ध ग्रंथ ‘आमुक्तमाल्यदा’ किस भाषा में है?

  1. संस्कृत
  2. कन्नड़
  3. तमिल
  4. तेलुगु

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: तेलुगु। कृष्ण देव राय (शासनकाल 1509-1530 ई.) विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रतापी शासकों में से एक थे और स्वयं एक विद्वान तथा कवि थे। उन्होंने कई भाषाओं में कार्य किए, लेकिन उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना ‘आमुक्तमाल्यदा’ (जिसे ‘विष्णुचित्तियम्’ भी कहा जाता है) एक महाकाव्य है जो तेलुगु भाषा में लिखा गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘आमुक्तमाल्यदा’ 12 आलवार संतों में से एक, विष्णुचित्त (पेरियालवार) की आत्मकथा और उनकी बेटी गोदा (अंडाल) की कहानी बताती है। कृष्ण देव राय के दरबार में तेलुगु साहित्य का उत्कृष्ट विकास हुआ।
  • गलत विकल्प: हालांकि विजयनगर साम्राज्य में संस्कृत, कन्नड़ और तमिल का भी महत्वपूर्ण योगदान था, लेकिन कृष्ण देव राय की यह विशिष्ट रचना तेलुगु में है, जो उनके शासनकाल की प्रमुख साहित्यिक भाषा थी।

प्रश्न 9: 15वीं शताब्दी में भारत में भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत ‘कबीर’ के गुरु कौन थे?

  1. रामानुजाचार्य
  2. वल्लभाचार्य
  3. नरहरिदास
  4. रामानंद

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रामानंद। संत कबीर, जो निर्गुण भक्ति धारा के सबसे प्रभावशाली संतों में से एक थे, ने 15वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन को नई दिशा दी। उनके गुरु रामानंद थे, जो उत्तरी भारत में भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक माने जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: रामानंद ने जाति-पाति के भेदभाव को अस्वीकार किया और सभी के लिए सुलभ भक्ति मार्ग का उपदेश दिया। कबीर ने अपने दोहों (साखी), शबदों और रमैनी के माध्यम से रूढ़ियों पर प्रहार किया और प्रेम, समानता तथा भाईचारे का संदेश दिया।
  • गलत विकल्प: रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत के प्रतिपादक थे (11वीं-12वीं शताब्दी)। वल्लभाचार्य पुष्टिमार्ग के संस्थापक थे (15वीं-16वीं शताब्दी)। नरहरिदास, गोस्वामी तुलसीदास के गुरु थे।

प्रश्न 10: चिश्ती सिलसिले के किस सूफी संत ने भारत में सबसे पहले अपनी खानकाह (धार्मिक केंद्र) स्थापित की और दिल्ली के सुल्तानों के साथ घनिष्ठ संबंध रखे?

  1. शेख निजामुद्दीन औलिया
  2. शेख सलीम चिश्ती
  3. शेख मोइनुद्दीन चिश्ती
  4. शेख अब्दुल कादिर जिलानी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शेख मोइनुद्दीन चिश्ती। 12वीं शताब्दी के अंत में, चिश्ती सिलसिले के सबसे प्रमुख संत, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, भारत आए और अजमेर में अपनी खानकाह स्थापित की। वे अपनी दरियादिली, मानवीयता और आध्यात्मिक शिक्षाओं के लिए जाने गए।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने भारत में सूफीवाद के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तत्कालीन शासकों, जैसे पृथ्वीराज चौहान (प्रारंभ में) और बाद में मुहम्मद गोरी के साथ उनका संबंध था। उनके मकबरे को आज भी लोग श्रद्धा से नमन करते हैं।
  • गलत विकल्प: शेख निजामुद्दीन औलिया दिल्ली के एक अन्य महान सूफी संत थे (14वीं शताब्दी)। शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे और फतेहपुर सीकरी में रहते थे। शेख अब्दुल कादिर जिलानी कादिरिया सिलसिले के संस्थापक थे और उनका प्रभाव मध्य पूर्व में अधिक था।

प्रश्न 11: मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कब और कहाँ हुआ था?

  1. 1674 ई. में रायगढ़ में
  2. 1674 ई. में सिंहगढ़ में
  3. 1680 ई. में प्रतापगढ़ में
  4. 1674 ई. में पुरंदर में

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: 1674 ई. में रायगढ़ में। मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 6 जून 1674 ई. को रायगढ़ के किले में एक भव्य समारोह में हुआ था, जहाँ उन्होंने ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की।
  • संदर्भ और विस्तार: इस राज्याभिषेक ने शिवाजी के संप्रभु राज्य की स्थापना को आधिकारिक रूप दिया और मराठों को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह तत्कालीन मुगल साम्राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती थी।
  • गलत विकल्प: रायगढ़ मराठों की राजधानी और राज्याभिषेक का स्थान था। सिंहगढ़ और प्रतापगढ़ महत्वपूर्ण युद्धों के स्थल थे, जबकि पुरंदर की संधि (1665) मराठों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना थी, लेकिन राज्याभिषेक से संबंधित नहीं।

प्रश्न 12: दक्षिण भारत के गोलकुंडा सल्तनत का प्रमुख राजवंश ‘कुतुब शाही’ किस ऐतिहासिक घटना के बाद समाप्त हुआ?

  1. अकबर द्वारा बीजापुर पर विजय
  2. शाहजहाँ द्वारा औरंगजेब को गोलकुंडा भेजने का आदेश
  3. औरंगजेब द्वारा गोलकुंडा का विलय
  4. शिवाजी द्वारा सल्तनत पर आक्रमण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: औरंगजेब द्वारा गोलकुंडा का विलय। कुतुब शाही राजवंश, जिसने लगभग 1518 से 1687 ई. तक गोलकुंडा (वर्तमान हैदराबाद) पर शासन किया, का अंत मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा 1687 ई. में गोलकुंडा को मुगल साम्राज्य में मिलाने के साथ हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: औरंगजेब ने लंबे घेराबंदी के बाद गोलकुंडा के किले पर कब्जा कर लिया, जिसके साथ ही कुतुब शाही वंश का पतन हो गया।
  • गलत विकल्प: अकबर ने दक्कन में बड़े पैमाने पर विजय प्राप्त नहीं की थी। शाहजहाँ के समय में दक्कन में मुगल प्रभाव बढ़ा, लेकिन अंतिम विलय औरंगजेब के समय हुआ। शिवाजी ने कुतुब शाही सल्तनत पर विजय प्राप्त की थी, लेकिन इससे राजवंश समाप्त नहीं हुआ।

प्रश्न 13: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सहायक संधि प्रणाली (Subsidiary Alliance) का प्रमुख प्रतिपादक कौन था, जिसने इस नीति को बड़े पैमाने पर लागू किया?

  1. लॉर्ड कार्नवालिस
  2. लॉर्ड वेलेजली
  3. लॉर्ड डलहौजी
  4. लॉर्ड विलियम बेंटिक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: लॉर्ड वेलेजली। लॉर्ड वेलेजली (गवर्नर-जनरल 1798-1805) को सहायक संधि प्रणाली का प्रमुख वास्तुकार माना जाता है। उसने इस नीति का उपयोग करके भारतीय राज्यों को ब्रिटिश राजनीतिक प्रभाव में लाने और ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेना भंग कर ब्रिटिश सेना की टुकड़ी रखनी पड़ती थी, अपने राज्य में फ्रांसीसी या किसी अन्य यूरोपीय शक्ति को रखना मना था, और ब्रिटिश रेजिडेंट की नियुक्ति स्वीकार करनी पड़ती थी। बदले में, ब्रिटिश कंपनी उस राज्य की बाहरी शत्रुओं से रक्षा करती थी।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कार्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया था। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिक ने कई सामाजिक सुधार किए।

प्रश्न 14: 19वीं शताब्दी में भारत में हुए सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों में, राजा राममोहन राय ने किस प्रमुख संस्था की स्थापना की थी?

  1. आर्य समाज
  2. ब्रह्म समाज
  3. रामकृष्ण मिशन
  4. थियोसोफिकल सोसाइटी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ब्रह्म समाज। राजा राममोहन राय, जिन्हें ‘आधुनिक भारत का अग्रदूत’ भी कहा जाता है, ने 1828 ई. में ब्रह्म समाज की स्थापना की। इसका उद्देश्य एकेश्वरवाद का प्रचार करना, मूर्तिपूजा और अंधविश्वासों का खंडन करना तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्रह्म समाज ने सती प्रथा के उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह और स्त्री शिक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया। इसने तत्कालीन बंगाल में बौद्धिक और सामाजिक पुनर्जागरण की नींव रखी।
  • गलत विकल्प: आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 ई. में की थी। रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1897 ई. में की थी। थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना मैडम ब्लावत्स्की और कर्नल ऑलकॉट ने की थी।

प्रश्न 15: 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, अवध (लखनऊ) में विद्रोह का नेतृत्व करने वाली प्रमुख भारतीय हस्ती कौन थी?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. बेगम हजरत महल
  3. तात्या टोपे
  4. कुँवर सिंह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: बेगम हजरत महल। 1857 के विद्रोह के दौरान, जब अंग्रेजों ने अवध का विलय किया और नवाब वाजिद अली शाह को निर्वासित कर दिया, तब बेगम हजरत महल, जो अवध की बेगम हजरत महल थीं, ने अपने नाबालिग बेटे बिरजिस कद्र को गद्दी पर बिठाकर लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अवध के ताल्लुकदारों और सैनिकों को संगठित कर अंग्रेजों का जोरदार मुकाबला किया। हालाँकि अंततः वे पराजित हुईं और नेपाल भाग गईं।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई झाँसी से, तात्या टोपे कानपुर और ग्वालियर से, और कुँवर सिंह जगदीशपुर (बिहार) से विद्रोह का नेतृत्व कर रहे थे।

प्रश्न 16: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन (1885) के अध्यक्ष कौन थे?

  1. दादाभाई नौरोजी
  2. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
  3. व्योमेश चंद्र बनर्जी
  4. एलन ऑक्टेवियन ह्यूम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: व्योमेश चंद्र बनर्जी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को ए.ओ. ह्यूम द्वारा की गई थी, लेकिन इसके प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता एक भारतीय, व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी, जो एक प्रसिद्ध वकील थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिवेशन बंबई (अब मुंबई) में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत पाठशला में आयोजित किया गया था, जिसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन के तहत राजनीतिक सुधारों की मांग करना था।
  • गलत विकल्प: दादाभाई नौरोजी कांग्रेस के कई बार अध्यक्ष रहे और ‘भारत का वयोवृद्ध व्यक्ति’ कहलाए। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने ‘इंडियन नेशनल एसोसिएशन’ की स्थापना की थी, जो बाद में कांग्रेस में विलीन हो गया। ए.ओ. ह्यूम कांग्रेस के संस्थापक थे, लेकिन उन्होंने अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं किया।

प्रश्न 17: महात्मा गांधी द्वारा 1930 में शुरू किए गए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ का प्रमुख उद्देश्य क्या था?

  1. पूर्ण स्वराज की मांग
  2. असहयोग आंदोलन को फिर से शुरू करना
  3. नमक कानून का उल्लंघन कर ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाना
  4. भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: नमक कानून का उल्लंघन कर ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाना। 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च (नमक मार्च) के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के एकाधिकार वाले नमक कानून को तोड़कर ब्रिटिश शासन की अन्यायपूर्ण प्रकृति को उजागर करना और ब्रिटिश सरकार को भारत के लिए स्वशासन (डोमिनियन स्टेटस) देने के लिए मजबूर करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: दांडी में समुद्र तट पर नमक बनाकर गांधीजी ने नमक कानून तोड़ा, जिसके बाद देश भर में इस आंदोलन ने जोर पकड़ा। इस आंदोलन में लाखों भारतीयों ने भाग लिया।
  • गलत विकल्प: पूर्ण स्वराज की मांग 1929 के लाहौर अधिवेशन में की गई थी। असहयोग आंदोलन 1920-22 में हुआ था। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ 1942 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 18: भारत के विभाजन और सत्ता के हस्तांतरण के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत ‘माउंटबेटन योजना’ की मुख्य विशेषता क्या थी?

  1. संपूर्ण भारत के लिए एक संघ का निर्माण
  2. पाकिस्तान की स्वतंत्रता की तत्काल घोषणा
  3. भारत और पाकिस्तान में सत्ता का हस्तांतरण, जिसमें देशी रियासतों को स्वतंत्रता
  4. बंगाल और पंजाब का अविभाजित रहना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारत और पाकिस्तान में सत्ता का हस्तांतरण, जिसमें देशी रियासतों को स्वतंत्रता। माउंटबेटन योजना (3 जून 1947) ने भारत के विभाजन को स्वीकार किया और दो स्वतंत्र डोमिनियन – भारत और पाकिस्तान – की स्थापना की घोषणा की।
  • संदर्भ और विस्तार: योजना में यह भी प्रावधान था कि देशी रियासतें अपनी स्वतंत्रता बनाए रख सकती हैं या किसी भी डोमिनियन में शामिल हो सकती हैं। इस योजना के आधार पर ही भारत को स्वतंत्रता मिली और देश का विभाजन हुआ।
  • गलत विकल्प: संपूर्ण भारत के लिए एक संघ का विचार पहले के प्रस्तावों में था, लेकिन विभाजन योजना ने इसे अस्वीकार कर दिया। पाकिस्तान की स्वतंत्रता की तत्काल घोषणा योजना का हिस्सा थी, लेकिन यह पूरी तस्वीर नहीं थी। बंगाल और पंजाब का अविभाजित रहना (हालांकि कुछ हद तक उनके विभाजन पर विचार हुआ) योजना का मुख्य बिंदु नहीं था।

प्रश्न 19: ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में राष्ट्रीय आय के अनुमान का सर्वप्रथम वैज्ञानिक प्रयास करने वाले राष्ट्रवादी अर्थशास्त्री कौन थे?

  1. गोपाल कृष्ण गोखले
  2. सुरेंद्रनाथ बनर्जी
  3. दादाभाई नौरोजी
  4. फिरोजशाह मेहता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: दादाभाई नौरोजी। ‘भारत का वयोवृद्ध व्यक्ति’ कहलाने वाले दादाभाई नौरोजी पहले भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई और भारत की राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने का प्रयास किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी ‘ड्रेन ऑफ वेल्थ’ (धन के निष्कासन) सिद्धांत के माध्यम से समझाया कि कैसे अंग्रेज भारत से धन निकालकर ब्रिटेन ले जा रहे हैं। उनके अनुमानों ने भारत की गरीबी और ब्रिटिश आर्थिक शोषण पर प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: गोखले, बनर्जी और मेहता महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी नेता थे, लेकिन राष्ट्रीय आय के अनुमान का पहला वैज्ञानिक प्रयास दादाभाई नौरोजी द्वारा किया गया था।

प्रश्न 20: 1859-60 के नील विद्रोह (Indigo Revolt) में, बंगाल के किसानों ने किस यूरोपीय फसल के खिलाफ विद्रोह किया था?

  1. चाय
  2. कॉफी
  3. नील (Indigo)
  4. अफीम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: नील (Indigo)। 1859-60 का नील विद्रोह बंगाल के किसानों द्वारा यूरोपीय नील बागान मालिकों के उत्पीड़न के खिलाफ एक प्रमुख किसान आंदोलन था। किसानों को कम कीमत पर नील उगाने के लिए मजबूर किया जाता था और उनके साथ क्रूर व्यवहार होता था।
  • संदर्भ और विस्तार: दिगंबर विश्वास और विष्णु विश्वास जैसे नेताओं के नेतृत्व में किसानों ने नील की खेती बंद कर दी और विद्रोह किया। इस विद्रोह को दीनबंधु मित्र के प्रसिद्ध नाटक ‘नील दर्पण’ में दर्शाया गया है, जिसने लोगों में जागरूकता फैलाई।
  • गलत विकल्प: चाय, कॉफी और अफीम अन्य महत्वपूर्ण नकदी फसलें थीं, लेकिन नील विद्रोह विशेष रूप से नील की खेती के खिलाफ था।

प्रश्न 21: ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा किसने दिया और आर्य समाज की स्थापना कब की?

  1. स्वामी विवेकानंद, 1893
  2. राजा राममोहन राय, 1828
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती, 1875
  4. महात्मा ज्योतिबा फुले, 1873

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती, 1875। स्वामी दयानंद सरस्वती (मूल नाम मूलशंकर) 19वीं सदी के एक प्रमुख समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। उन्होंने 1875 ई. में आर्य समाज की स्थापना की।
  • संदर्भ और विस्तार: उनका प्रसिद्ध नारा ‘वेदों की ओर लौटो’ इस बात पर जोर देता था कि वैदिक धर्म ही सच्चा और शुद्ध धर्म है और उसमें सभी समस्याओं का समाधान निहित है। उन्होंने तत्कालीन हिंदू समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, मूर्तिपूजा और जातिगत भेदभाव का विरोध किया।
  • गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। महात्मा ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी।

प्रश्न 22: 1905 में बंगाल के विभाजन के विरोध में शुरू हुआ ‘स्वदेशी आंदोलन’ किस प्रमुख उद्देश्य के साथ चलाया गया था?

  1. पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना
  2. ब्रिटिश माल का बहिष्कार कर भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देना
  3. बंगाल के विभाजन को रद्द करवाना
  4. सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: बंगाल के विभाजन को रद्द करवाना। 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन के फैसले के विरोध में स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ था। इसका तात्कालिक लक्ष्य विभाजन को रद्द करवाना था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन में ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया गया और भारतीय निर्मित वस्तुओं (स्वदेशी) के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। इसने राष्ट्रीय चेतना को तीव्र किया और भारत में औद्योगिक विकास को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया। यह आंदोलन भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
  • गलत विकल्प: पूर्ण स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) की मांग बाद में और अधिक मुखर हुई। स्वदेशी आंदोलन का प्राथमिक लक्ष्य विभाजन रद्द करवाना था, हालांकि इसने राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाया। सविनय अवज्ञा आंदोलन बाद में शुरू हुआ।

प्रश्न 23: 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच यूरोप में हुए पुनर्जागरण (Renaissance) काल की एक प्रमुख विशेषता क्या थी?

  1. धार्मिक रूढ़िवादिता का प्रसार
  2. मानववाद (Humanism) और व्यक्तिगत क्षमता पर जोर
  3. सामंतवाद का सुदृढ़ीकरण
  4. युद्धों की समाप्ति और शांति की स्थापना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मानववाद (Humanism) और व्यक्तिगत क्षमता पर जोर। पुनर्जागरण काल, जिसका अर्थ है ‘पुनर्जन्म’, कला, साहित्य, विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का काल था। इस काल की केंद्रीय विशेषता मानववाद थी, जिसने मध्यकालीन धार्मिक और सामंती विचारों से हटकर मानव के तर्क, बुद्धि, क्षमता और इस संसार में उसके महत्व पर बल दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: लियोनार्डो दा विंची, माइकल एंजेलो, राफेल जैसे कलाकारों और दांते, पेट्रार्क, मैकियावेली जैसे विचारकों ने मानव अनुभव और व्यक्तिगत उपलब्धियों का जश्न मनाया। यह काल प्राचीन ग्रीक और रोमन ज्ञान के पुनरुत्थान से भी प्रेरित था।
  • गलत विकल्प: पुनर्जागरण ने धार्मिक रूढ़िवादिता को चुनौती दी, सामंतवाद को कमजोर किया और कई युद्धों को जन्म दिया (हालांकि इसमें कला और ज्ञान का विकास हुआ)।

प्रश्न 24: 1789 में शुरू हुई फ्रांसीसी क्रांति का प्रसिद्ध नारा क्या था, जिसने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को फैलाया?

  1. ‘जनता की शक्ति!’
  2. ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व!’
  3. ‘राष्ट्र प्रथम!’
  4. ‘सभी के लिए शांति!’

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व!’ (Liberté, égalité, fraternité!)। यह फ्रांसीसी क्रांति का केंद्रीय आदर्श था, जिसने दुनिया भर में क्रांतिकारी आंदोलनों को प्रेरित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस नारे ने राजशाही के उन्मूलन, विशेषाधिकारों के अंत और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की वकालत की। यह फ्रांसीसी गणराज्य का आधिकारिक आदर्श वाक्य भी बन गया।
  • गलत विकल्प: अन्य नारे किसी अन्य संदर्भ में प्रासंगिक हो सकते हैं, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति का सबसे प्रतिष्ठित और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व!’ ही है।

प्रश्न 25: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद, जर्मनी पर थोपी गई वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) का सबसे विवादास्पद प्रावधान क्या था, जिसे अक्सर भविष्य के संघर्षों का कारण माना जाता है?

  1. जर्मनी को अपने सभी उपनिवेशों से वंचित करना
  2. जर्मनी पर भारी युद्ध क्षतिपूर्ति (Reparations) थोपना
  3. जर्मनी की सेना की संख्या सीमित करना
  4. राइनलैंड क्षेत्र का विसैन्यीकरण (Demilitarization)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जर्मनी पर भारी युद्ध क्षतिपूर्ति (Reparations) थोपना। 1919 की वर्साय की संधि ने प्रथम विश्व युद्ध के लिए जर्मनी को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया और उस पर भारी वित्तीय दंड (क्षतिपूर्ति) लगाया, जो जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर एक बहुत बड़ा बोझ साबित हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: इस भारी क्षतिपूर्ति, सैन्य प्रतिबंधों और क्षेत्रीय नुकसान ने जर्मनी में गंभीर आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और राष्ट्रीय अपमान की भावना पैदा की, जिसने अंततः एडॉल्फ हिटलर के उदय और द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करने में योगदान दिया।
  • गलत विकल्प: उपनिवेशों का छीनना, सेना की संख्या सीमित करना और राइनलैंड का विसैन्यीकरण भी संधि के महत्वपूर्ण प्रावधान थे, लेकिन उन पर थोपी गई भारी क्षतिपूर्ति को अक्सर सबसे अधिक विवादास्पद और विनाशकारी माना जाता है।

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