कालचक्र की कसौटी: आज का इतिहास महा-अभ्यास!
ऐतिहासिक यात्रा के लिए तैयार हो जाइए! समय के गलियारों में गहराई से उतरें और आज के इस विशेष अभ्यास सत्र के साथ अपने ज्ञान की परीक्षा लें। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग की उथल-पुथल तक, प्रत्येक प्रश्न आपको इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों और किरदारों से रूबरू कराएगा। आइए, अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से ‘हल से जुताई’ के प्रमाण मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- कालीबंगन
- लोथल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: कालीबंगन। राजस्थान में स्थित कालीबंगन (शाब्दिक अर्थ: काली चूड़ियाँ) सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्यों में पक्की मिट्टी की ईंटों के बने चबूतरे, वेदी, और सबसे महत्वपूर्ण, हल से जुताई के प्रमाण मिले हैं। यह दर्शाता है कि उस काल में कृषि तकनीक काफी उन्नत थी।
- संदर्भ और विस्तार: कालीबंगन से मिली जुती हुई खेत की पगडंडियाँ हमें उस काल की कृषि पद्धतियों की जानकारी देती हैं। यह स्थल सिंधु घाटी सभ्यता के प्रारंभिक और परिपक्व दोनों चरणों के साक्ष्य प्रस्तुत करता है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता के विशालतम और सर्वाधिक प्रसिद्ध शहर थे, जहाँ से नगर नियोजन, स्नानागार, और अन्नागार जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, लेकिन हल जुताई के स्पष्ट प्रमाण कालीबंगन से ही मिले हैं। लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था।
प्रश्न 2: ऋग्वेदिक काल में ‘वनस्पतियों का देवता’ किसे माना जाता था?
- सोम
- बृहस्पति
- इंद्र
- वरुण
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सोम। ऋग्वेद में ‘सोम’ का उल्लेख एक महत्वपूर्ण पेय और एक देवता के रूप में किया गया है। सोम एक पौधा था जिससे यह पवित्र पेय बनाया जाता था, और इस पौधे को ही देवता माना जाता था, जो देवताओं को शक्ति और आनंद प्रदान करता था। इसका उल्लेख ऋग्वेद के नवें मंडल में विशेष रूप से है।
- संदर्भ और विस्तार: सोम अनुष्ठानों का एक अभिन्न अंग था और इसे ‘वनस्पतियों का राजा’ भी कहा गया है। इसका रस देवताओं को अर्पित किया जाता था और पुरोहित इसका सेवन करते थे।
- गलत विकल्प: बृहस्पति को देवताओं का पुरोहित माना जाता था, इंद्र युद्ध और वर्षा के देवता थे, और वरुण को नैतिक व्यवस्था और जल का देवता माना जाता था।
प्रश्न 3: सम्राट अशोक के किस शिलालेख में कलिंग युद्ध के विनाशकारी परिणामों का वर्णन है?
- प्रथम मुख्य शिलालेख
- सातवाँ मुख्य शिलालेख
- तेरहवाँ मुख्य शिलालेख
- चौदहवाँ मुख्य शिलालेख
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: तेरहवाँ मुख्य शिलालेख। सम्राट अशोक के कालिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) के बाद, उन्होंने युद्ध की विभीषिका को देखकर शांति और धर्म की ओर उन्मुख हुए। इस युद्ध के प्रत्यक्ष उल्लेख और अशोक के पश्चाताप का वर्णन उनके तेरहवें मुख्य शिलालेख में विस्तृत रूप से मिलता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख में अशोक ने कलिंग के युद्ध में हुई भयानक हत्याओं और पीड़ा पर अपनी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इस घटना को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया है। इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने ‘धम्म विजय’ (धर्म द्वारा विजय) की नीति अपनाई।
- गलत विकल्प: प्रथम मुख्य शिलालेख पशु बलि का निषेध करता है, सातवाँ मुख्य शिलालेख सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता की बात करता है, और चौदहवाँ मुख्य शिलालेख शिलालेखों के महत्व पर प्रकाश डालता है।
प्रश्न 4: “भारत का नेपोलियन” किस गुप्त शासक को कहा जाता है?
- श्रीगुप्त
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: समुद्रगुप्त। समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ई.) गुप्त वंश का एक अत्यंत शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी शासक था। उसने अपने साम्राज्य का विस्तार उत्तर भारत से लेकर दक्षिण के राज्यों तक किया। उसकी विजयों और साम्राज्यवादी नीतियों के कारण ही इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने उसे “भारत का नेपोलियन” कहा है।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त की प्रशस्ति (प्रताप प्रशस्ति) इलाहाबाद स्तंभ लेख में खुदी हुई है, जिसमें उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन है। उसने अश्वमेध यज्ञ भी किया था।
- गलत विकल्प: श्रीगुप्त गुप्त वंश का संस्थापक था। चंद्रगुप्त प्रथम ने ‘महाराजधिराज’ की उपाधि धारण की और गुप्त संवत चलाया। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल को गुप्त काल का स्वर्ण युग माना जाता है।
प्रश्न 5: बौद्ध धर्म के ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ से क्या तात्पर्य है?
- बुद्ध का महापरिनिर्वाण
- बुद्ध द्वारा अपना प्रथम उपदेश देना
- बुद्ध द्वारा संन्यास लेना
- बुद्ध का ज्ञान प्राप्ति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: बुद्ध द्वारा अपना प्रथम उपदेश देना। ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ बौद्ध धर्म की वह महत्वपूर्ण घटना है जब गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् अपना पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपतन मृगदाव) में अपने पाँच शिष्यों को दिया था। इसी घटना को धर्मचक्रप्रवर्तन कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस उपदेश में बुद्ध ने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का वर्णन किया, जो बौद्ध धर्म का मूल सिद्धांत है। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् बुद्ध ने लगभग 45 वर्षों तक धर्म का प्रचार किया।
- गलत विकल्प: महापरिनिर्वाण बुद्ध की मृत्यु से संबंधित है। संन्यास लेना ‘महाभिनिष्क्रमण’ कहलाता है, और ज्ञान प्राप्ति ‘निर्वाण’ या ‘बोधि’ कहलाती है।
प्रश्न 6: उत्तरी भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कौन था, जिसके शासनकाल को ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- हर्षवर्धन
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- सम्राट अशोक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: हर्षवर्धन। वर्धन वंश के सम्राट हर्षवर्धन (शासनकाल 606-647 ई.) को उत्तरी भारत का अंतिम महान हिंदू सम्राट माना जाता है। उनके शासनकाल में कला, साहित्य, और विज्ञान का खूब विकास हुआ, और राज्य में शांति और समृद्धि बनी रही। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग (युवान-चांग) ने उनके शासनकाल का विस्तृत विवरण दिया है।
- संदर्भ और विस्तार: हर्षवर्धन स्वयं एक विद्वान, कवि और नाटककार थे। उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया और एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया। उनके काल को अक्सर गुप्तोत्तर काल का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। चंद्रगुप्त द्वितीय गुप्त शासक थे, जिनके काल को गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। सम्राट अशोक मौर्य वंश के थे और उनके काल को भी महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन हर्षवर्धन को ‘उत्तरी भारत का अंतिम हिंदू सम्राट’ माना जाता है।
प्रश्न 7: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘इक्ता प्रणाली’ को विस्तृत रूप से लागू किया?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोज शाह तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: इल्तुतमिश। इल्तुतमिश (शासनकाल 1211-1236 ई.) दिल्ली सल्तनत का तीसरा सुल्तान था और उसने ‘इक्ता प्रणाली’ को व्यवस्थित रूप से लागू किया। इस प्रणाली के तहत, राज्य के राजस्व वाले क्षेत्रों को इलत (इक्ता) नामक इकाइयों में विभाजित किया जाता था, और इन इकाइयों को प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारियों (इक्तादार या मुक्ता) को सौंप दिया जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: इक्तादार इन क्षेत्रों से राजस्व वसूलते थे और अपने वेतन के साथ-साथ सेना के रखरखाव का भी जिम्मा उठाते थे। इल्तुतमिश ने इस प्रणाली को सुल्तान की शक्ति को मजबूत करने और साम्राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया।
- गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने सल्तनत की नींव रखी। अलाउद्दीन खिलजी ने प्रशासनिक और आर्थिक सुधार किए, लेकिन इक्ता प्रणाली को सुल्तान के सीधे नियंत्रण में लाने का प्रयास किया। फिरोजशाह तुगलक ने इक्ता को वंशानुगत बनाने की अनुमति दी, जो प्रणाली के पतन का कारण बनी।
प्रश्न 8: अलाउद्दीन खिलजी द्वारा स्थापित ‘दीवान-ए-रिसालत’ का कार्य क्या था?
- बाजार नियंत्रण
- खुफिया विभाग
- न्याय विभाग
- विदेश विभाग
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: विदेश विभाग। अलाउद्दीन खिलजी के प्रमुख प्रशासनिक सुधारों में से एक ‘दीवान-ए-रिसालत’ की स्थापना थी, जिसका कार्य विदेशी मामलों, राजदूतों के स्वागत और पत्राचार का प्रबंधन करना था। इसने विदेशी कूटनीति को सुचारू रूप से चलाने में मदद की।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, अलाउद्दीन खिलजी को उनके ‘बाजार नियंत्रण’ (The Market Regulations) के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, जिसके तहत उन्होंने वस्तुओं की कीमतें तय कीं, मुनाफाखोरी रोकी और व्यापारियों पर सख्त नियंत्रण रखा। ‘दीवान-ए-रियासत’ नामक अधिकारी बाजार का अधीक्षक होता था, न कि ‘दीवान-ए-रिसालत’। ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ राजस्व विभाग से संबंधित था।
- गलत विकल्प: बाजार नियंत्रण दीवान-ए-रियासत का कार्य था। खुफिया विभाग ‘बरीद-ए-मुमालिक’ देखता था, और न्याय विभाग ‘काजी’ देखता था।
प्रश्न 9: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘टंका’ (चांदी का सिक्का) और ‘जीतल’ (तांबे का सिक्का) जारी किए?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: इल्तुतमिश। इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का वह सुल्तान था जिसने शुद्ध अरबी पद्धति पर आधारित सिक्कों का प्रचलन शुरू किया। उसने चांदी का ‘टंका’ (लगभग 175 ग्रेन) और तांबे का ‘जीतल’ (लगभग 60 ग्रेन) नामक सिक्के जारी किए, जिन्होंने सल्तनत की अर्थव्यवस्था में स्थायित्व लाया।
- संदर्भ और विस्तार: इन सिक्कों ने भारतीय मुद्रा व्यवस्था को एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ये सल्तनत काल के दौरान व्यापक रूप से उपयोग किए जाते रहे। इल्तुतमिश को ‘सिक्का सुधारक’ के रूप में भी जाना जाता है।
- गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में स्थापित की और अपनी उपाधि ‘लाख बख्श’ के लिए जाने जाते हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार सुधारों के लिए ख्याति पाई। गयासुद्दीन तुगलक तुगलक वंश के संस्थापक थे।
प्रश्न 10: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?
- 1336 ईस्वी
- 1348 ईस्वी
- 1350 ईस्वी
- 1360 ईस्वी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: 1336 ईस्वी। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम नामक दो भाइयों ने की थी, जो पहले वारंगल के काकतीय शासक प्रताप रुद्र देव के सामंत थे। उन्होंने तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर (विजय का शहर) नामक एक नए शहर की नींव रखी, जो आगे चलकर एक शक्तिशाली साम्राज्य की राजधानी बना।
- संदर्भ और विस्तार: विजयनगर साम्राज्य का उत्कर्ष लगभग 200 वर्षों तक रहा और यह दक्षिण भारत में इस्लामी आक्रमणों के विरुद्ध एक मजबूत हिंदू शक्ति के रूप में उभरा। कृष्ण देवराय इस वंश के सबसे महान शासकों में से एक थे।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के गलत वर्ष हैं।
प्रश्न 11: प्रसिद्ध ‘अष्टप्रधान’ किस मराठा शासक के प्रशासन से संबंधित था?
- शिवाजी महाराज
- बाजीराव प्रथम
- मल्हार राव होल्कर
- पेशवा बाजीराव द्वितीय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: शिवाजी महाराज। शिवाजी महाराज (शासनकाल 1630-1680) ने अपने शासनकाल में एक कुशल और सुव्यवस्थित प्रशासन की स्थापना की, जिसे ‘अष्टप्रधान’ के नाम से जाना जाता है। यह आठ मंत्रियों की एक परिषद थी, जो राज्य के विभिन्न विभागों का प्रमुख होती थी।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), सर-ए-नौबत (सेनापति), पंडितराव (धर्माधिकारी), न्यायधीश (मुख्य न्यायाधीश), और वाकया-नवीस (सूचना मंत्री) शामिल थे। यह व्यवस्था मराठा साम्राज्य की प्रशासनिक शक्ति का आधार बनी।
- गलत विकल्प: बाजीराव प्रथम, मल्हार राव होल्कर और बाजीराव द्वितीय पेशवा थे और उन्होंने शिवाजी के बाद के काल में मराठा शक्ति का नेतृत्व किया, लेकिन अष्टप्रधान शिवाजी के शासनकाल की विशेषता थी।
प्रश्न 12: मुगल बादशाह अकबर का प्रसिद्ध दरबारी संगीतकार कौन था?
- तुलसीदास
- सूरदास
- तानसेन
- रहीम
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: तानसेन। तानसेन, जिनका मूल नाम रामतनु पांडे था, अकबर के दरबार के नौ रत्नों (नवरत्नों) में से एक थे और उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानतम गायकों में गिना जाता है। उनकी गायकी से प्रसन्न होकर अकबर ने उन्हें ‘तानसेन’ की उपाधि दी थी।
- संदर्भ और विस्तार: तानसेन अपनी रागों (जैसे मियां की सारंग, मियां की तोड़ी, दरबारी कान्हड़ा) और गायन शैलियों के लिए प्रसिद्ध थे। ग्वालियर के राजा वीर सिंह ने उन्हें संरक्षण दिया था, और बाद में वे अकबर के दरबार में आ गए।
- गलत विकल्प: तुलसीदास एक महान संत कवि थे जिन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। सूरदास एक प्रसिद्ध भक्ति कवि थे, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं के गायक थे। रहीम (अब्दुर रहीम खान-ए-खाना) भी अकबर के दरबार के एक महत्वपूर्ण कवि और संरक्षक थे, लेकिन तानसेन को विशेष रूप से संगीतकार के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 13: ‘अमर नायक’ प्रणाली किस साम्राज्य से संबंधित थी?
- मौर्य साम्राज्य
- गुप्त साम्राज्य
- विजयनगर साम्राज्य
- मुगल साम्राज्य
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही उत्तर: विजयनगर साम्राज्य। ‘अमर नायक’ प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था थी। इस प्रणाली के तहत, साम्राज्य के विभिन्न प्रदेशों को ‘अमर नायक’ नामक सैन्य कमांडरों को सौंपा जाता था।- संदर्भ और विस्तार: ये अमर नायक अपने अधीन क्षेत्रों से राजस्व एकत्र करते थे, सैनिकों और घोड़ों का रखरखाव करते थे, और अपने शासक की सेवा में सैन्य बल प्रदान करते थे। वे अपने प्रदेशों में नायक कहलाते थे और उन्हें यह पद वंशानुगत मिल सकता था। यह प्रणाली साम्राज्य की सैन्य शक्ति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण थी।
- गलत विकल्प: मौर्य, Gupta, और Mughal साम्राज्यों में अपनी विशिष्ट प्रशासनिक संरचनाएं थीं, लेकिन ‘अमर नायक’ प्रणाली विशेष रूप से विजयनगर साम्राज्य से जुड़ी हुई है।
प्रश्न 14: ‘सिख पंथ’ के संस्थापक कौन थे?
- गुरु गोविंद सिंह
- गुरु नानक देव
- गुरु तेग बहादुर
- गुरु अर्जुन देव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: गुरु नानक देव। गुरु नानक देव (1469-1539 ई.) सिख धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने एकेश्वरवाद, प्रेम, समानता और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित एक नए धर्म की स्थापना की। उन्होंने ‘लंगर’ (सामुदायिक रसोई) की परंपरा शुरू की, जो सेवा और समानता का प्रतीक है।
- संदर्भ और विस्तार: गुरु नानक देव ने अपने उपदेशों के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों का खंडन किया और ‘ईश्वर एक है’ का संदेश दिया। उनके बाद नौ गुरुओं ने सिख धर्म का नेतृत्व किया।
- गलत विकल्प: गुरु गोविंद सिंह दसवें गुरु थे जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु तेग बहादुर नौवें गुरु थे। गुरु अर्जुन देव पांचवें गुरु थे जिन्होंने आदि ग्रंथ (गुरु ग्रंथ साहिब का प्रारंभिक रूप) संकलित किया।
प्रश्न 15: भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना किस वर्ष हुई?
- 1599
- 1600
- 1608
- 1612
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: 1600। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 को लंदन में हुई थी। इसे महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा रॉयल चार्टर प्रदान किया गया था, जिससे उन्हें ‘भारत और पूर्वी देशों के साथ व्यापार करने का एकाधिकार’ मिला।
- संदर्भ और विस्तार: कंपनी की प्रारंभिक गतिविधियाँ मुख्य रूप से व्यापार तक सीमित थीं। कंपनी ने 1608 में सूरत में अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की, लेकिन 1612 तक उन्होंने जहांगीर से फैक्ट्री स्थापित करने की अनुमति प्राप्त कर ली।
- गलत विकल्प: 1599 वह वर्ष था जब कंपनी के गठन की योजना बनी। 1608 में पहली अस्थायी फैक्ट्री स्थापित हुई और 1612 में स्थायी फैक्ट्री की अनुमति मिली।
प्रश्न 16: 1757 की प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का नेतृत्व किसने किया था?
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड डलहौजी
- रॉबर्ट क्लाइव
- वारेन हेस्टिंग्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: रॉबर्ट क्लाइव। 1757 में हुई प्लासी की लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इस लड़ाई में कंपनी की सेना का नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था। इस लड़ाई में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की हार हुई और भारत में ब्रिटिश शासन की नींव पड़ी।
- संदर्भ और विस्तार: क्लाइव ने अपनी सैन्य कुशलता और विश्वासघात (मीर जाफर का सहयोग) का उपयोग करके सिराजुद्दौला को पराजित किया। यह लड़ाई सीधे तौर पर सैन्य शक्ति से अधिक कूटनीति और धोखे का परिणाम थी।
- गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए कुख्यात हैं। वारेन हेस्टिंग्स भारत के पहले गवर्नर-जनरल थे।
प्रश्न 17: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
- डलहौजी की हड़प नीति
- भारतीयों का धार्मिक असंतोष
- एनफील्ड राइफल में प्रयुक्त कारतूस
- लॉर्ड विलियम बेंटिक की नीतियां
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एनफील्ड राइफल में प्रयुक्त कारतूस। 1857 के विद्रोह का सबसे तात्कालिक कारण नई एनफील्ड राइफल में प्रयुक्त कारतूस थे, जिनके बारे में कहा जाता था कि उनमें गाय और सूअर की चर्बी लगी होती थी। यह गाय और सूअर की चर्बी से संबंधित था, जिसे हिंदू और मुस्लिम सैनिकों द्वारा धार्मिक अपमान माना गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना ने सैनिकों के बीच लंबे समय से पनप रहे असंतोष को हवा दी। लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति, सामाजिक सुधार, और ब्रिटिश शासन की अन्य नीतियां विद्रोह के पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण थीं, लेकिन कारतूसों ने आग में घी का काम किया।
- गलत विकल्प: डलहौजी की हड़प नीति और अन्य नीतियां विद्रोह के महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि कारण थे, लेकिन तात्कालिक उत्प्रेरक कारतूस ही थे। लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती प्रथा का अंत जैसे कुछ सुधार किए थे, जिन्हें कुछ रूढ़िवादी वर्गों ने पसंद नहीं किया, लेकिन ये 1857 के विद्रोह का मुख्य तात्कालिक कारण नहीं थे।
प्रश्न 18: 19वीं शताब्दी में भारत में ‘बाल विवाह’ और ‘विधवा पुनर्विवाह’ जैसी सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध महत्वपूर्ण आंदोलन चलाने वाले समाज सुधारक कौन थे?
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- राजा राम मोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
- ज्योतिबा फुले
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: ईश्वर चंद्र विद्यासागर। ईश्वर चंद्र विद्यासागर (1820-1891) 19वीं सदी के एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 को पारित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठाई।
- संदर्भ और विस्तार: विद्यासागर ने स्वयं अपने बेटे का विवाह एक विधवा से कराया, जो उस समय एक क्रांतिकारी कदम था। उनकी शिक्षा और सामाजिक सेवाओं के लिए उन्हें ‘विद्यासागर’ (ज्ञान का सागर) की उपाधि दी गई थी।
- गलत विकल्प: राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रह्म समाज की स्थापना की। स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की और वेदों की ओर लौटो का नारा दिया। ज्योतिबा फुले ने दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया।
प्रश्न 19: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन कब और कहाँ आयोजित हुआ था?
- 1885, कोलकाता
- 1885, मुंबई
- 1886, कोलकाता
- 1887, मद्रास
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: 1885, मुंबई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी। इसका प्रथम अधिवेशन मुंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी (W.C. Bonnerjee) ने की थी और इसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन का उद्देश्य भारतीयों को एक मंच पर लाना और ब्रिटिश शासन के प्रति उनकी शिकायतों को उठाना था। इसकी स्थापना का श्रेय ए.ओ. ह्यूम, एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी को दिया जाता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प गलत वर्ष या स्थान बताते हैं। 1886 में अगला अधिवेशन कोलकाता में हुआ था, जिसकी अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी ने की थी।
प्रश्न 20: बंगाल के विभाजन (1905) के समय भारत का वायसराय कौन था?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड मिंटो द्वितीय
- लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
- लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: लॉर्ड कर्जन। लॉर्ड कर्जन (1900-1905) उस समय भारत के वायसराय थे जब 1905 में बंगाल का विभाजन किया गया था। यह विभाजन प्रशासनिक सुविधा के नाम पर किया गया था, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद को कमजोर करना और हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ना था।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन और बहिष्कार आंदोलन ने जोर पकड़ा, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। लॉर्ड कर्जन अपनी साम्राज्यवादी नीतियों और भारतीय संस्थानों में हस्तक्षेप के लिए भी जाने जाते हैं।
- गलत विकल्प: लॉर्ड मिंटो द्वितीय ने 1909 में मार्ले-मिंटो सुधार लाए। लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के काल में राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित हुई। लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में प्रथम विश्व युद्ध और जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ।
प्रश्न 21: महात्मा गांधी द्वारा नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) कब शुरू किया गया था?
- 1920
- 1930
- 1935
- 1942
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: 1930। नमक सत्याग्रह, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, सविनय अवज्ञा आंदोलन का एक महत्वपूर्ण भाग था। महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात के तट पर स्थित एक गाँव) तक 240 मील की यात्रा शुरू की।
- संदर्भ और विस्तार: इस मार्च का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कानून को तोड़ना था, जो भारतीयों को नमक बनाने या बेचने से रोकता था और नमक पर भारी कर लगाता था। 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुँचकर गांधीजी ने मुट्ठी भर नमक उठाकर कानून तोड़ा, जिससे सविनय अवज्ञा आंदोलन ने गति पकड़ी।
- गलत विकल्प: 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। 1935 में भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ।
प्रश्न 22: भारत के विभाजन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष कौन थे?
- जवाहरलाल नेहरू
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- जे.बी. कृपलानी
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: जे.बी. कृपलानी। भारत के विभाजन (1947) के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष आचार्य जे.बी. कृपलानी थे। वे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक और समाजवादी नेता थे।
- संदर्भ और विस्तार: कृपलानी ने विभाजन के मुश्किल दौर में कांग्रेस का नेतृत्व किया। हालांकि, उस समय कांग्रेस के भीतर और बाहर कई प्रमुख नेता थे, जैसे जवाहरलाल नेहरू (जो प्रधानमंत्री बने) और सरदार वल्लभभाई पटेल, जो देश के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
- गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। सरदार वल्लभभाई पटेल ने देशी रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने।
प्रश्न 23: ‘पेरिस की शांति संधि’ (Treaty of Paris) किस युद्ध के अंत का प्रतीक थी?
- प्रथम विश्व युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध
- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम
- फ्रांसीसी क्रांति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम। पेरिस की शांति संधि पर 3 सितंबर 1783 को हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने औपचारिक रूप से अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (American Revolutionary War) को समाप्त कर दिया। इस संधि के तहत, ग्रेट ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता को मान्यता दी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संधि के द्वारा ग्रेट ब्रिटेन ने अमेरिका को मिसिसिपी नदी तक के क्षेत्र पर अधिकार प्रदान किया और दोनों देशों के बीच व्यापार और अन्य संबंधों को विनियमित किया।
- गलत विकल्प: प्रथम विश्व युद्ध का अंत वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) से हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के लिए कई संधियाँ हुईं, जिनमें जापान के साथ सितंबर 1945 की संधि प्रमुख है। फ्रांसीसी क्रांति स्वयं एक लंबी प्रक्रिया थी, जिसका अंत किसी एक संधि से नहीं हुआ।
प्रश्न 24: फ्रांसीसी क्रांति का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- रक्त और लौह
- सभी शक्तियां ईश्वर और जनता को
- जनता की सत्ता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व (Liberté, égalité, fraternité)। यह नारा फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है। इन मूल्यों ने क्रांति को प्रेरित किया और पूरे यूरोप में समानता और स्वतंत्रता के विचारों को फैलाया।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा फ्रांसीसी गणराज्य का आदर्श वाक्य भी बना। इसने राजशाही और सामंती व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई को वैचारिक आधार प्रदान किया।
- गलत विकल्प: ‘रक्त और लौह’ बिस्मार्क की एक नीति थी। अन्य विकल्प क्रांतिकारी या राजनीतिक नारों से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ फ्रांसीसी क्रांति का मूल नारा है।
प्रश्न 25: प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत किस घटना से हुई?
- पर्ल हार्बर पर हमला
- आस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या
- जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण
- ट्रैफलगर का युद्ध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या। 28 जून 1914 को बोस्निया की राजधानी साराजेवो में आस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या एक सर्बियाई राष्ट्रवादी, गैवरिलो प्रिंसिप ने कर दी थी। इस घटना को प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस हत्या के कारण आस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया, और इसके परिणामस्वरूप विभिन्न यूरोपीय देशों के बीच गठबंधन (Alliance System) के कारण एक के बाद एक देश युद्ध में शामिल होते गए, जिससे प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया।
- गलत विकल्प: पर्ल हार्बर पर हमला द्वितीय विश्व युद्ध का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत थी। ट्रैफलगर का युद्ध 1805 में हुआ था, जो नेपोलियन के काल से संबंधित है।
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