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कालचक्र का महा-मुकाबला: 25 प्रश्न, 25 उत्तर

कालचक्र का महा-मुकाबला: 25 प्रश्न, 25 उत्तर

तैयार हो जाइए इतिहास के एक रोमांचक सफर के लिए! आज हम आपको समय के धागों में बुनकर लाए हैं 25 ऐसे सवाल, जो आपकी ऐतिहासिक सूझबूझ और तैयारी की धार को तीक्ष्ण करेंगे। क्या आप प्राचीन सभ्यताओं की धूूल, मध्यकालीन साम्राज्यों की गाथाओं और आधुनिक भारत के संघर्षों से पार पाने के लिए तैयार हैं? आइए, कालचक्र के इस महा-मुकाबले में अपनी क्षमता को परखें!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के निम्नलिखित में से किस स्थल से एक विशाल स्नानागार (Great Bath) प्राप्त हुआ है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विशाल स्नानागार (Great Bath) सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थलों में से एक, मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ है। यह अपनी उन्नत शहरी योजना और वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है। यह विशाल स्नानागार संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता था। इसके चारों ओर कमरे और एक जटिल जल निकासी प्रणाली थी।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा एक अन्य महत्वपूर्ण हड़प्पा स्थल है, जहाँ से श्रमिक आवास और कांसे की नर्तकी की मूर्ति मिली है। लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, जहाँ से गोदी (dockyard) के प्रमाण मिले हैं। कालीबंगन से जूते हुए खेतों के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: ऋग्वैदिक काल में ‘उत्तरवैदिक काल’ से किस प्रकार भिन्न था?

  1. लोहे का व्यापक उपयोग
  2. स्थायी ग्राम समुदायों का विकास
  3. जाति व्यवस्था का अधिक कठोर होना
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ऋग्वैदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) की तुलना में उत्तरवैदिक काल (लगभग 1000-500 ईसा पूर्व) में लोहे का व्यापक उपयोग शुरू हो गया था, जिससे कृषि और औजारों में क्रांति आई।
  • संदर्भ और विस्तार: उत्तरवैदिक काल में अर्थव्यवस्था अधिक विकसित हुई, जिससे स्थायी ग्राम समुदायों का विकास हुआ। इस काल में राजा की शक्ति बढ़ी और सामंती व्यवस्था की नींव पड़ी। सामाजिक संरचना में जाति व्यवस्था अधिक कठोर हो गई, जिसमें ब्राह्मणों और क्षत्रियों का प्रभुत्व बढ़ा। कर्मकांड और यज्ञों का महत्व भी बढ़ा।
  • गलत विकल्प: ऋग्वैदिक काल में समाज अधिक सरल था, लोहे का ज्ञान कम था, और जाति व्यवस्था उतनी कठोर नहीं थी। इसलिए, उत्तरवैदिक काल इन सभी मायनों में भिन्न था।

प्रश्न 3: चंद्रगुप्त मौर्य के किस सलाहकार ने अर्थशास्त्र की रचना की?

  1. मेगास्थनीज
  2. चाणक्य (कौटिल्य)
  3. पणिनी
  4. वसुमित्र

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार और मंत्री, चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, ने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की।
  • संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र शासन, राजनीति, कूटनीति, अर्थशास्त्र और सैन्य रणनीति पर एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है। यह मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और समाज की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को नंद वंश को उखाड़ फेंकने और मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • गलत विकल्प: मेगास्थनीज एक यूनानी राजदूत था जिसने ‘इंडिका’ नामक पुस्तक लिखी। पणिनी एक महान वैयाकरण थे जिन्होंने ‘अष्टाध्यायी’ की रचना की। वसुमित्र बौद्ध धर्म के एक विद्वान थे जिन्होंने चौथी बौद्ध संगीति में भाग लिया था।

प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. कला, साहित्य और विज्ञान का उत्कृष्ट विकास
  2. समृद्ध आर्थिक स्थिति
  3. शांति और राजनीतिक स्थिरता
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, वास्तुकला और दर्शन के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों ने अपनी कृतियाँ लिखीं, आर्यभट्ट ने गणित और खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया (जैसे शून्य का सिद्धांत), और अजंता की गुफाओं में उत्कृष्ट भित्ति चित्र बनाए गए। गुप्त शासकों के अधीन भारत ने राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक उन्नति का अनुभव किया।
  • गलत विकल्प: ये सभी कारक गुप्त काल को ‘स्वर्ण युग’ बनाने में सहायक थे, इसलिए कोई भी विकल्प असत्य नहीं है।

प्रश्न 5: चोल साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति का प्रमुख केंद्र कौन सा था?

  1. कांचीपुरम
  2. तंजावुर
  3. मदुरै
  4. पुहार (कावेरीपट्टनम)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: चोल साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति का एक प्रमुख केंद्र पुहार (जिसे कावेरीपट्टनम भी कहा जाता है) था, जो कावेरी नदी के मुहाने पर स्थित था।
  • संदर्भ और विस्तार: चोल अपने शक्तिशाली नौसैनिक बेड़े के लिए जाने जाते थे, जिसने उन्हें दक्षिण पूर्व एशिया (जैसे श्रीविजय साम्राज्य) के साथ व्यापार करने और यहाँ तक कि सैन्य अभियान चलाने में भी सक्षम बनाया। पुहार एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था जहाँ से समुद्री व्यापार संचालित होता था।
  • गलत विकल्प: कांचीपुरम पल्लवों की राजधानी थी, तंजावुर चोलों की राजधानी बनी, और मदुरै पांड्यों का प्रमुख शहर था। ये शहर महत्वपूर्ण थे, लेकिन पुहार नौसैनिक गतिविधियों का एक विशिष्ट केंद्र था।

प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. मुहम्मद बिन तुगलक

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: दिल्ली सल्तनत के शासक गयासुद्दीन बलबन (शासनकाल: 1266-1287 ईस्वी) ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक एक प्रभावी सैन्य विभाग की स्थापना की।
  • संदर्भ और विस्तार: बलबन एक योग्य शासक था जिसने मंगोल आक्रमणों से सल्तनत की रक्षा के लिए सेना को मजबूत करने पर जोर दिया। दीवान-ए-अर्ज का उद्देश्य सेना की भर्ती, प्रशिक्षण, हथियार और रसद का प्रबंधन करना था। बलबन ने ‘लौह और रक्त’ की नीति का पालन करते हुए अपनी शक्ति को मजबूत किया।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘तुर्क-ए-चहलगानी’ (40 सरदारों का समूह) का गठन किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली और स्थायी सेना का विकास किया। मुहम्मद बिन तुगलक ने कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शुरू कीं।

प्रश्न 7: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘कृष्णदेव राय’ थे?

  1. संगम वंश के
  2. सलुव वंश के
  3. तुलुव वंश के
  4. अराविडु वंश के

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध और महानतम शासकों में से एक थे, और वे तुलुव वंश से संबंधित थे।
  • संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेव राय का शासनकाल (1509-1529 ईस्वी) विजयनगर साम्राज्य के चरमोत्कर्ष का काल माना जाता है। वे स्वयं एक विद्वान और कवि थे, और उन्होंने तेलुगु साहित्य को संरक्षण दिया। उनके शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार हुआ और कला, वास्तुकला व साहित्य का अभूतपूर्व विकास हुआ। प्रसिद्ध ‘विट्ठल मंदिर’ का निर्माण उनके शासनकाल में ही हुआ।
  • गलत विकल्प: संगम वंश ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी। सलुव वंश ने संगम वंश के बाद शासन किया, और अराविडु वंश विजयनगर के पतन के बाद सत्ता में आया।

प्रश्न 8: ‘अष्टदिग्गज’ किसके दरबार को सुशोभित करते थे?

  1. सम्राट अशोक
  2. सम्राट हर्षवर्धन
  3. कृष्णदेव राय
  4. अकबर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘अष्टदिग्गज’ (आठ महान तेलुगु कवि) विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेव राय के दरबार की शोभा बढ़ाते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: ये आठ कवि तेलुगु साहित्य के महानतम विद्वानों में से थे और उन्होंने कृष्णदेव राय के संरक्षण में कई महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की। इनमें अलसानी पेद्दाना, नंदी तिम्मन्ना, धूर्जटि आदि प्रमुख थे। कृष्णदेव राय स्वयं एक कुशल कवि थे और उन्होंने ‘आमुक्तमाल्यता’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की।
  • गलत विकल्प: सम्राट अशोक मौर्य वंश के थे और उनका काल बौद्ध धर्म के प्रसार से जुड़ा है। हर्षवर्धन गुप्तों के पतन के बाद उत्तर भारत के एक प्रमुख शासक थे, जिनके दरबार में ह्वेन त्सांग आए थे। अकबर मुगल सम्राट थे जिनके दरबार में नवरत्न थे।

प्रश्न 9: ‘इबादत खाना’ (House of Worship) की स्थापना किसने की थी?

  1. हुमायूँ
  2. अकबर
  3. जहाँगीर
  4. औरंगजेब

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मुगल बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी में ‘इबादत खाना’ (प्रार्थना गृह) की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इबादत खाना की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और दर्शनों के विद्वानों को एक साथ लाकर धार्मिक संवाद को बढ़ावा देना था। यहाँ पर वे विभिन्न धार्मिक विषयों पर बहस करते थे। यह अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न मतों को समझने की गहरी रुचि का प्रतीक था।
  • गलत विकल्प: हुमायूँ अकबर के पिता थे। जहाँगीर और औरंगजेब दोनों की धार्मिक नीतियाँ अकबर से भिन्न थीं। जहाँगीर ने धार्मिक सहिष्णुता को कुछ हद तक बनाए रखा, जबकि औरंगजेब ने अधिक रूढ़िवादी इस्लामी नीति अपनाई।

प्रश्न 10: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से इसका नेतृत्व किसने किया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. बहादुर शाह ज़फ़र
  3. तात्या टोपे
  4. नाना साहेब

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, कानपुर शहर से विद्रोह का नेतृत्व नाना साहेब ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में विद्रोहियों का नेतृत्व किया। उन्होंने खुद को ‘पेशवा’ घोषित किया और अंग्रेजों को खदेड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हालांकि अंततः वे असफल रहे और नेपाल भाग गए।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से नेतृत्व किया था। बहादुर शाह ज़फ़र दिल्ली से प्रतीक के रूप में नेता थे। तात्या टोपे नाना साहेब के प्रमुख सेनापति थे और उन्होंने भी कानपुर और अन्य क्षेत्रों में विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

प्रश्न 11: ‘लॉर्ड डलहौजी’ की ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) का उद्देश्य क्या था?

  1. भारतीय राज्यों का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय
  2. भारत में रेलवे का विकास
  3. स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना
  4. भारतीयों को सरकारी सेवाओं में शामिल करना

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: लॉर्ड डलहौजी की ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) का मुख्य उद्देश्य ऐसे भारतीय रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में विलय करना था जिनके शासकों की मृत्यु के बाद कोई प्राकृतिक उत्तराधिकारी नहीं होता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नीति ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विस्तारवादी नीति का हिस्सा थी। इसके तहत सतारा, जयपुर, संभलपुर, झाँसी और नागपुर जैसी कई रियासतों को ब्रिटिश शासन के अधीन लाया गया। इस सिद्धांत ने 1857 के विद्रोह के कारणों में से एक के रूप में भी योगदान दिया।
  • गलत विकल्प: भारत में रेलवे का विकास डलहौजी का एक महत्वपूर्ण कार्य था, लेकिन यह सिद्धांत का उद्देश्य नहीं था। स्थानीय स्वशासन या भारतीयों को सेवाओं में शामिल करना इस नीति का लक्ष्य नहीं था।

प्रश्न 12: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ‘गरम दल’ के प्रमुख नेताओं में कौन शामिल नहीं थे?

  1. बाल गंगाधर तिलक
  2. लाला लाजपत राय
  3. बिपिन चंद्र पाल
  4. गोपाल कृष्ण गोखले

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ‘नरम दल’ के प्रमुख नेता थे, जबकि बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें ‘लाल-बाल-पाल’ की तिकड़ी कहा जाता है) ‘गरम दल’ के प्रमुख नेता थे।
  • संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस में 1907 के सूरत अधिवेशन में नरम दल और गरम दल के बीच स्पष्ट विभाजन हो गया था। गरम दल स्वराज्य प्राप्ति के लिए अधिक आक्रामक और प्रत्यक्ष कार्रवाई की वकालत करता था, जबकि नरम दल याचिका, प्रार्थना और शिष्टमंडल जैसे संवैधानिक तरीकों में विश्वास रखता था।
  • गलत विकल्प: तिलक, लाजपत राय और पाल तीनों गरम दल के प्रमुख विचारक और नेता थे।

प्रश्न 13: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना किसने की थी?

  1. एम.जी. रानाडे
  2. गोपाल कृष्ण गोखले
  3. महात्मा गांधी
  4. स्वामी विवेकानंद

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संस्था का उद्देश्य भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार करना, शिक्षा का प्रसार करना और गरीबों व वंचितों की सेवा करना था। गोखले समाज सुधार और राजनीतिक सुधार दोनों के प्रबल समर्थक थे।
  • गलत विकल्प: एम.जी. रानाडे गोखले के राजनीतिक गुरु थे और उन्होंने ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना में मदद की। महात्मा गांधी ने ‘सत्याग्रह आश्रम’ (बाद में साबरमती आश्रम) की स्थापना की। स्वामी विवेकानंद ने ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की।

प्रश्न 14: भारतीय संविधान के मसौदा समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष कौन थे?

  1. जवाहरलाल नेहरू
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल
  3. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
  4. डॉ. राजेंद्र प्रसाद

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: भारतीय संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर थे।
  • संदर्भ और विस्तार: मसौदा समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था और इसका मुख्य कार्य संविधान का प्रारूप तैयार करना था। डॉ. अम्बेडकर को उनके गहन ज्ञान और कानूनी विशेषज्ञता के कारण यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे ‘संविधान के पिता’ के रूप में भी जाने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और संघ शक्ति समिति के अध्यक्ष थे। सरदार वल्लभभाई पटेल ने मौलिक अधिकारों और अल्पसंख्यक मामलों की समितियों की अध्यक्षता की। डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे।

प्रश्न 15: 1905 में बंगाल विभाजन किसने किया था?

  1. लॉर्ड कर्जन
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड विलियम बेंटिक
  4. लॉर्ड कैनिंग

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: 1905 में लॉर्ड कर्जन, तत्कालीन भारत के वायसराय, ने बंगाल का विभाजन किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कर्जन ने प्रशासनिक सुविधा का हवाला देते हुए बंगाल को पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल में विभाजित किया। हालाँकि, इसका मुख्य उद्देश्य बंगाली राष्ट्रवाद को कमजोर करना था। इस विभाजन के कारण पूरे देश में तीव्र विरोध हुआ, जिसने स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी की व्यपगत का सिद्धांत प्रसिद्ध है। लॉर्ड विलियम बेंटिक को आधुनिक भारत के सुधारों के लिए जाना जाता है। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे।

प्रश्न 16: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) के लेखक कौन हैं, जो कार्ल मार्क्स के प्रमुख कार्यों में से एक है?

  1. फ्रेडरिक एंगेल्स
  2. व्लादिमीर लेनिन
  3. कार्ल मार्क्स
  4. मार्क ट्वेन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) के लेखक कार्ल मार्क्स हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘दास कैपिटल’ मार्क्सवाद का केंद्रीय पाठ है, जिसमें वे पूंजीवाद के विश्लेषण, उसके आंतरिक विरोधाभासों और सर्वहारा वर्ग के उदय की भविष्यवाणी करते हैं। यह पुस्तक साम्यवाद और समाजवाद के विचारों के प्रसार में अत्यधिक प्रभावशाली रही है।
  • गलत विकल्प: फ्रेडरिक एंगेल्स मार्क्स के करीबी सहयोगी थे और उन्होंने ‘दास कैपिटल’ के अंतिम खंडों को संपादित किया। व्लादिमीर लेनिन रूसी क्रांति के नेता थे। मार्क ट्वेन एक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक थे।

प्रश्न 17: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का मुख्य नारा क्या था?

  1. शांति, रोटी और भूमि
  2. गणतंत्र, स्वतंत्रता, समानता
  3. नस्लीय समानता
  4. राष्ट्रवाद और संघवाद

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का सबसे प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नारा क्रांति के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता था, जिसने फ्रांस को राजशाही से गणराज्य में परिवर्तित किया और पूरे यूरोप में राजनीतिक और सामाजिक विचारों पर गहरा प्रभाव डाला। स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्तिगत अधिकारों की गारंटी, समानता का अर्थ कानून के समक्ष सभी की बराबरी, और बंधुत्व का अर्थ राष्ट्रीय एकता और भाईचारा था।
  • गलत विकल्प: ‘शांति, रोटी और भूमि’ रूसी क्रांति (1917) का नारा था। अन्य विकल्प क्रांति के तत्व हो सकते हैं, लेकिन मुख्य नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ था।

प्रश्न 18: किस ब्रिटिश वायसराय के कार्यकाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई?

  1. लॉर्ड डफरिन
  2. लॉर्ड कर्जन
  3. लॉर्ड रिपन
  4. लॉर्ड लिटन

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी, और उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड डफरिन थे।
  • संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस की स्थापना के पीछे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की कुछ नीतियां और भारतीय राष्ट्रवादियों की बढ़ती मांगें थीं। लॉर्ड डफरिन के शासनकाल को राजनीतिक पुनरुद्धार का काल माना जाता है, और यह दिलचस्प है कि कांग्रेस की स्थापना उनके कार्यकाल में हुई।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन किया। लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा दिया। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट जैसे दमनकारी कानून लागू किए।

प्रश्न 19: ‘जालियाँवाला बाग नरसंहार’ किस वर्ष हुआ था?

  1. 1917
  2. 1918
  3. 1919
  4. 1920

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: जालियाँवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: अमृतसर के जालियाँवाला बाग में जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अत्यंत क्रूर और दुखद अध्याय है, जिसने भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ और अधिक दृढ़ बना दिया।
  • गलत विकल्प: 1917 में रूस में क्रांति हुई। 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ।

प्रश्न 20: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?

  1. 1925
  2. 1929
  3. 1930
  4. 1931

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समझौते पर महात्मा गांधी और भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत, सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने के बदले में, ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और नमक सत्याग्रह जैसे कुछ नागरिक अधिकारों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की। यह समझौता गोलमेज सम्मेलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण था।
  • गलत विकल्प: 1925 में काकोरी कांड हुआ। 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग की। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हुआ था।

प्रश्न 21: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) में कौन सा देश शामिल नहीं था?

  1. ग्रेट ब्रिटेन
  2. फ्रांस
  3. रूस
  4. ऑस्ट्रिया-हंगरी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में ऑस्ट्रिया-हंगरी केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) में शामिल था, न कि मित्र राष्ट्रों में।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रथम विश्व युद्ध मुख्य रूप से दो प्रमुख गुटों के बीच लड़ा गया था: मित्र राष्ट्र (ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, बाद में इटली और अमेरिका) और केंद्रीय शक्तियाँ (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया)। युद्ध की शुरुआत आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या से हुई, जो ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी थे।
  • गलत विकल्प: ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और रूस प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों के प्रमुख सदस्य थे।

प्रश्न 22: ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का संबंध किस सिख गुरु से है?

  1. गुरु नानक देव
  2. गुरु गोविंद सिंह
  3. गुरु अर्जुन देव
  4. गुरु हरबिंदर साहिब

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का संबंध सीधे तौर पर किसी सिख गुरु से नहीं है, बल्कि यह 1984 में भारतीय सेना द्वारा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन का नाम था, जो पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की कुछ प्रतियों और सिख धार्मिक साहित्य को ऑपरेशन के दौरान नुकसान पहुँचाने या नष्ट होने की घटनाओं से जुड़ा है। हालांकि, इस घटना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को सिख समुदाय के लिए एक अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दा बना दिया। यह सिख अलगाववादी आंदोलन और स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए एक सैन्य कार्रवाई थी। यह प्रश्न थोड़ा अप्रत्याशित है क्योंकि यह सीधे तौर पर गुरुओं से संबंधित नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक घटना से जो गुरुओं से जुड़े पवित्र स्थल से संबंधित थी। सबसे उपयुक्त उत्तर ‘गुरु गोविंद सिंह’ होगा क्योंकि वे खालसा पंथ के संस्थापक और दशम ग्रंथ के रचनाकार थे, जो सिख धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जून 1984 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर, भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे उग्रवादियों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चलाया। इस ऑपरेशन में मंदिर परिसर को काफी नुकसान पहुँचा और कई जानें गईं, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया।
  • गलत विकल्प: गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे। गुरु अर्जुन देव ने स्वर्ण मंदिर का निर्माण करवाया और पाँचवें गुरु थे। गुरु हरबिंदर साहिब ने पाँचवें गुरु के बाद उनका स्थान लिया।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से किसने ‘हिंद स्वराज’ (Hind Swaraj) पुस्तक लिखी?

  1. बाल गंगाधर तिलक
  2. महात्मा गांधी
  3. लाला लाजपत राय
  4. सरदार भगत सिंह

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘हिंद स्वराज’ (Hind Swaraj) पुस्तक महात्मा गांधी ने लिखी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक 1909 में गुजराती भाषा में लिखी गई थी और इसमें गांधीजी ने पश्चिमी सभ्यता, औद्योगीकरण, आधुनिक मशीनों और ब्रिटिश शासन की आलोचना करते हुए भारतीय सभ्यता, स्वदेशी, स्वराज और ग्राम स्वराज्य के अपने विचारों को प्रस्तुत किया। यह उनके राजनीतिक और दार्शनिक विचारों का आधार स्तंभ मानी जाती है।
  • गलत विकल्प: बाल गंगाधर तिलक ने ‘गीतारहस्य’ लिखा। लाला लाजपत राय एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे। सरदार भगत सिंह ने भी अपने विचारों को व्यक्त किया, लेकिन ‘हिंद स्वराज’ गांधीजी की रचना है।

प्रश्न 24: चौरी-चौरा की घटना, जिसने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का कारण बनी, कब हुई थी?

  1. 1920
  2. 1921
  3. 1922
  4. 1923

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: चौरी-चौरा की घटना 5 फरवरी 1922 को हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा नामक स्थान पर एक हिंसक भीड़ ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। इस घटना से आहत होकर महात्मा गांधी ने ‘अहिंसक’ आंदोलन के अपने सिद्धांत का हवाला देते हुए असहयोग आंदोलन को अचानक वापस लेने का निर्णय लिया। इस निर्णय से कई राष्ट्रवादी नेता निराश हुए।
  • गलत विकल्प: 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ था। 1921 में आंदोलन अपने चरम पर था। 1923 में स्वराज पार्टी की स्थापना हुई।

प्रश्न 25: ‘द थ्री पिलर्स ऑफ द रिपब्लिक’ (The Three Pillars of the Republic) पुस्तक किसने लिखी है, जो भारतीय संविधान पर आधारित है?

  1. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
  2. एम. सी. शीतलवाड़
  3. एच. एम. सीतलवाड़
  4. पद्मनाभैया

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘द थ्री पिलर्स ऑफ द रिपब्लिक’ (The Three Pillars of the Republic) पुस्तक प्रसिद्ध भारतीय विधि विशेषज्ञ और भारत के प्रथम महान्यायवादी (Attorney General) रहे एच. एम. सीतलवाड़ (Harilal Maneklal Setalvad) ने लिखी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक भारत के संविधान के तीन मुख्य स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – के कामकाज और परस्पर संबंधों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह भारतीय संवैधानिक प्रणाली को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ है।
  • गलत विकल्प: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। एम. सी. शीतलवाड़ (संभवतः एच. एम. सीतलवाड़ का गलत लेखन) भारतीय वायु सेना से जुड़े थे। पद्मनाभैया एक अन्य व्यक्तित्व हो सकते हैं, लेकिन पुस्तक एच. एम. सीतलवाड़ द्वारा लिखी गई है।

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