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कालचक्र: आपकी तैयारी का आज का महा-अभ्यास

कालचक्र: आपकी तैयारी का आज का महा-अभ्यास

आइए, इतिहास के पन्नों में एक रोमांचक यात्रा पर चलें! क्या आप अपने ज्ञान की गहराई और सटीकता को परखने के लिए तैयार हैं? हर दिन एक नया अवसर है, और आज का यह 25 प्रश्नों का अभ्यास आपको प्राचीन काल की सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग के संघर्षों तक, इतिहास की विस्तृत धारा में ले जाएगा। अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए जुट जाइए!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से एक स्टेडियम जैसा विशाल सार्वजनिक भवन मिला है, जहाँ विभिन्न सार्वजनिक समारोह आयोजित किए जाते थे?

  1. लोथल
  2. धौलावीरा
  3. कालीबंगा
  4. हड़प्पा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: धौलावीरा। गुजरात में स्थित धौलावीरा, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है। यहाँ से मिले साक्ष्य एक विशाल स्टेडियम की ओर इशारा करते हैं, जहाँ खेलकूद के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक सभाएं और समारोह होते होंगे।
  • संदर्भ और विस्तार: धौलावीरा की जल प्रबंधन प्रणाली भी अत्यधिक उन्नत थी, जिसमें विशाल जलाशय और एक जटिल पाइपलाइन नेटवर्क शामिल था। यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है। लोथल में एक गोदी (dockyard) मिला था, कालीबंगा में जुते हुए खेत के प्रमाण और लकड़ी के हल मिले थे, जबकि हड़प्पा से अन्नागार और कब्रिस्तान जैसे साक्ष्य मिले थे।
  • गलत विकल्प: लोथल, कालीबंगा और हड़प्पा से भी महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं, लेकिन स्टेडियम जैसे विशाल सार्वजनिक भवन का विशिष्ट प्रमाण धौलावीरा से ही प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 2: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?

  1. घोड़ा
  2. बैल
  3. गाय
  4. हाथी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गाय। ऋग्वेद, जो प्राचीनतम वैदिक साहित्य है, में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग गाय के लिए किया गया है। इसका शाब्दिक अर्थ है ‘जो वध करने योग्य न हो’ या ‘जिसका वध नहीं किया जाना चाहिए’।
  • संदर्भ और विस्तार: गाय को वैदिक काल में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता था। यह धन, समृद्धि और जीवन का प्रतीक थी। अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पशुधन पर आधारित था, जिसमें गाय सबसे महत्वपूर्ण थी।
  • गलत विकल्प: घोड़ा, बैल और हाथी भी वैदिक काल में महत्वपूर्ण थे (घोड़ा रथों के लिए, बैल कृषि के लिए), लेकिन ‘अघन्य’ शब्द विशेष रूप से गाय के लिए प्रयुक्त होता था।

प्रश्न 3: मौर्य वंश के किस शासक ने ‘सुदर्शन झील’ का जीर्णोद्धार करवाया था?

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. बिंदुसार
  3. अशोक
  4. बृहद्रथ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अशोक। मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में, सौराष्ट्र (गुजरात) के प्रांतपति तुषास्प ने ‘सुदर्शन झील’ का जीर्णोद्धार करवाया था। यह झील चंद्रगुप्त मौर्य के काल में भी मौजूद थी और उसका निर्माण उनके एक अधिकारी पुष्यगुप्त वैश्य ने करवाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: सुदर्शन झील का उल्लेख जूनागढ़ अभिलेख (रुद्रदामन का) में मिलता है। यह झील सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना थी, जो ग्रीक गवर्नर यवनराज तुषास्प के संरक्षण में अशोक के काल में फिर से निर्मित की गई।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने झील का निर्माण करवाया था, लेकिन जीर्णोद्धार का श्रेय अशोक को (उनके अधिकारी के माध्यम से) जाता है। बिंदुसार और बृहद्रथ के शासनकाल में इस झील के जीर्णोद्धार का कोई महत्वपूर्ण उल्लेख नहीं मिलता।

प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. बड़े पैमाने पर युद्ध और विजयों के कारण
  2. कला, विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला के अभूतपूर्व विकास के कारण
  3. विदेशी आक्रमणों की निरंतरता के कारण
  4. दास प्रथा के चरम पर पहुंचने के कारण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कला, विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला के अभूतपूर्व विकास के कारण। गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) में भारत में राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ। इस काल में कालिदास जैसे महान साहित्यकार, आर्यभट्ट जैसे खगोलशास्त्री और गणितज्ञ, और उत्कृष्ट मंदिरों व मूर्तिकला का निर्माण हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युग में अजंता की गुफाओं के कुछ बेहतरीन चित्र, सारनाथ की बुद्ध प्रतिमाएं, और महरौली लौह स्तंभ जैसी उपलब्धियां हासिल हुईं। साहित्य में ‘मेघदूत’, ‘कुमारसंभव’, ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ जैसे ग्रंथ इसी काल के हैं।
  • गलत विकल्प: यह काल विजयों से रहित नहीं था, लेकिन स्वर्ण युग का मुख्य कारण सांस्कृतिक और बौद्धिक उन्नति है। विदेशी आक्रमण तो गुप्तों के पतन का कारण बने, न कि स्वर्ण युग का। दास प्रथा थी, पर यह इसका चरम नहीं था और न ही स्वर्ण युग का कारण।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (गुलामों का विभाग) की स्थापना की थी?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. फिरोज शाह तुगलक

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: फिरोज शाह तुगलक। तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह तुगलक (1351-1388 ईस्वी) ने प्रशासनिक सुधारों के तहत ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की थी। यह विभाग राज्य के गुलामों (सैनिकों और अन्य कर्मचारियों) की देखरेख और प्रबंधन के लिए था।
  • संदर्भ और विस्तार: फिरोज शाह तुगलक ने दास प्रथा को संगठित रूप दिया और उनकी संख्या बढ़ाकर एक लाख से अधिक कर दी थी। इन गुलामों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था और उन्हें प्रशासन के विभिन्न पदों पर भी नियुक्त किया जाता था। उन्होंने ‘दीवान-ए-खैरात’ (दान विभाग) और ‘दीवान-ए-इस्तिहाक’ (पेंशन विभाग) की भी स्थापना की।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (40 सरदारों का समूह) की स्थापना की थी। बलबन ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) को सुदृढ़ किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और स्थायी सेना पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘अष्टदिग्गज’ नामक तेलुगु कवियों के एक समूह को संरक्षण दिया?

  1. देवराय प्रथम
  2. कृष्णदेव राय
  3. देवराय द्वितीय
  4. वीर नरसिंह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कृष्णदेव राय। विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्णदेव राय (1509-1529 ईस्वी) अपने दरबार में तेलुगु साहित्य के आठ महान कवियों, जिन्हें ‘अष्टदिग्गज’ कहा जाता था, के लिए प्रसिद्ध थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इन कवियों में अल्लसानी पेडना (जिन्हें ‘आंध्र कविता पितामह’ भी कहा जाता है), नंदी तिम्मना, धुरजटी आदि शामिल थे। कृष्णदेव राय स्वयं एक विद्वान और कवि थे और उन्होंने तेलुगु में ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक महाकाव्य की रचना की।
  • गलत विकल्प: देवराय प्रथम और द्वितीय, तथा वीर नरसिंह भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन ‘अष्टदिग्गज’ का संरक्षण विशेष रूप से कृष्णदेव राय से जुड़ा है।

प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से इसका नेतृत्व किसने किया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. तात्या टोपे
  3. नाना साहेब
  4. कुंवर सिंह

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: नाना साहेब। 1857 के भारतीय विद्रोह में, कानपुर शहर विद्रोह का एक प्रमुख केंद्र था और इसका नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ने के लिए अपनी सेना का गठन किया और कानपुर पर कब्जा कर लिया। तात्या टोपे उनके एक प्रमुख सेनापति थे और बाद में उन्होंने भी विद्रोह का नेतृत्व संभाला। रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से, और कुंवर सिंह ने बिहार (आरा) से नेतृत्व किया था।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और कुंवर सिंह सभी 1857 के महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन कानपुर का प्राथमिक नेतृत्व नाना साहेब के हाथों में था।

प्रश्न 8: ‘रयतवाड़ी बंदोबस्त’ प्रणाली की शुरुआत भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा मुख्य रूप से किस क्षेत्र में की गई थी?

  1. बंगाल प्रेसीडेंसी
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत
  3. मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी
  4. पंजाब

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी। रयतवाड़ी बंदोबस्त, जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान लागू किया गया था, का मुख्य उद्देश्य सीधा राजस्व संग्रह था। यह प्रणाली मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी के बड़े हिस्सों के साथ-साथ कुर्ग और असम के कुछ हिस्सों में लागू की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली में, किसानों (जिन्हें ‘रयत’ कहा जाता था) को सीधे भूमि का मालिक माना जाता था और वे सरकार को सीधे राजस्व का भुगतान करते थे। थॉमस मुनरो ने मद्रास में और कैप्टन रीड ने बॉम्बे में इसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह स्थायी बंदोबस्त (बंगाल) और महालवाड़ी बंदोबस्त (उत्तर-पश्चिम) से भिन्न थी।
  • गलत विकल्प: बंगाल में स्थायी बंदोबस्त लागू था, जबकि उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत और पंजाब में महालवाड़ी बंदोबस्त का प्रभाव अधिक था।

प्रश्न 9: ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना 1866 में लंदन में किसने की थी?

  1. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
  2. दादाभाई नौरोजी
  3. गोपाल कृष्ण गोखले
  4. बाल गंगाधर तिलक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: दादाभाई नौरोजी। ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध दादाभाई नौरोजी ने 1866 में लंदन में ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संगठन का उद्देश्य ब्रिटेन में भारतीय अधिकारों और हितों की पैरवी करना, भारत के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना करना और ब्रिटिश जनता को भारत की वास्तविक स्थिति से अवगत कराना था। इसका उद्देश्य भारतीयों के राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के लिए आवाज उठाना था।
  • गलत विकल्प: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने ‘इंडियन नेशनल एसोसिएशन’ की स्थापना की थी। गोपाल कृष्ण गोखले ने ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की थी। बाल गंगाधर तिलक स्वराज के प्रबल समर्थक थे, लेकिन इस एसोसिएशन की स्थापना उन्होंने नहीं की थी।

प्रश्न 10: 1905 में बंगाल के विभाजन की घोषणा किस वायसराय ने की थी?

  1. लॉर्ड डलहौजी
  2. लॉर्ड कर्जन
  3. लॉर्ड मिंटो द्वितीय
  4. लॉर्ड चेम्सफोर्ड

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: लॉर्ड कर्जन। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने 20 जुलाई 1905 को बंगाल के विभाजन की घोषणा की, जो 16 अक्टूबर 1905 को प्रभावी हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: कर्जन ने विभाजन का औचित्य प्रशासनिक सुधार बताते हुए पूर्वी बंगाल को पश्चिमी बंगाल से अलग किया, लेकिन भारतीयों ने इसे ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का हिस्सा माना। इस विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन और बहिष्कार आंदोलन चलाए गए, जिसने भारतीय राष्ट्रवाद को तीव्र किया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1857 के विद्रोह से पहले की नीतियों (जैसे ‘लैप्स का सिद्धांत’) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड मिंटो द्वितीय ने 1909 में मार्ले-मिंटो सुधार लागू किए। लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार आए।

प्रश्न 11: किस गुप्त सम्राट को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. कुमारगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: समुद्रगुप्त। महान गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ईस्वी) को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि उन्हें इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने उनकी विशाल विजयों और साम्राज्य विस्तार के कारण दी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने उत्तर भारत के कई राज्यों को जीत लिया था और दक्षिण भारत के राज्यों को भी हराया था। उनके प्रयाग प्रशस्ति (हरिषेण द्वारा रचित) में उनकी सैन्य उपलब्धियों का विस्तृत वर्णन है। उनकी आक्रामकता और सैन्य क्षमता इतनी अधिक थी कि उन्हें यूरोप के महान योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट से तुलना की गई।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश के संस्थापक थे। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने शकों को पराजित किया और यह भी एक महान शासक थे, लेकिन ‘भारत का नेपोलियन’ उपाधि समुद्रगुप्त के लिए आरक्षित है। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।

प्रश्न 12: ‘अलाई दरवाजा’ का निर्माण किस सुल्तान ने करवाया था?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. गयासुद्दीन तुगलक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अलाउद्दीन खिलजी। खिलजी वंश के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ईस्वी) ने कुतुब मीनार परिसर में ‘अलाई दरवाजा’ का निर्माण करवाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अलाई दरवाजा भारतीय-इस्लामी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका निर्माण 1305-1306 ईस्वी में किया गया था। यह अपनी मेहराबदार संरचना, संगमरमर के काम और ज्यामितीय डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध है। इसे दिल्ली सल्तनत की पहली ऐसी संरचना माना जाता है जिसमें वास्तविक मेहराब (true arch) का प्रयोग हुआ।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया और कुतुब उल इस्लाम मस्जिद बनवाई। इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण पूरा करवाया और अपनी बेटी रजिया के लिए मकबरा बनवाया। गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद शहर और तुगलक वंश की नींव रखी।

प्रश्न 13: ‘शिवाजी महोत्सव’ का प्रारंभ किस भारतीय राष्ट्रवादी नेता ने 1895 में किया था?

  1. बाल गंगाधर तिलक
  2. लाला लाजपत राय
  3. बिपन चंद्र पाल
  4. महात्मा गांधी

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: बाल गंगाधर तिलक। राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में मराठा योद्धा राजा शिवाजी के सम्मान में ‘शिवाजी महोत्सव’ का प्रारंभ किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस महोत्सव का उद्देश्य महाराष्ट्र के लोगों में राष्ट्रीय भावना, एकता और आत्मविश्वास को बढ़ावा देना था। यह गणपति उत्सव की तरह ही सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाया जाता था, जिससे लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट हो सकें। तिलक ने ‘गणपति उत्सव’ का भी पुनरुद्धार किया था।
  • गलत विकल्प: लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल लाल-बाल-पाल तिकड़ी का हिस्सा थे, लेकिन इस विशेष महोत्सव का प्रारंभ तिलक ने किया था। महात्मा गांधी का राष्ट्रवाद का स्वरूप थोड़ा भिन्न था और उन्होंने इस तरह के सार्वजनिक उत्सवों की शुरुआत नहीं की थी।

प्रश्न 14: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के लेखक कौन हैं, जिसने आर्य समाज की स्थापना की?

  1. स्वामी दयानंद सरस्वती
  2. स्वामी विवेकानंद
  3. राजा राम मोहन राय
  4. ईश्वर चंद्र विद्यासागर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: स्वामी दयानंद सरस्वती। ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के लेखक स्वामी दयानंद सरस्वती हैं, जिन्होंने 1875 में बम्बई (अब मुंबई) में आर्य समाज की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ (सत्य का प्रकाश) आर्य समाज का प्रमुख ग्रन्थ है, जो वेदों के सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें मूर्ति पूजा, बहुदेववाद, जाति व्यवस्था आदि का खंडन किया गया है। स्वामी दयानंद ने ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया और पाखंडों का विरोध कर समाज सुधार का कार्य किया।
  • गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन से जुड़े थे और उन्होंने वेदांत दर्शन का प्रसार किया। राजा राम मोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे। ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक प्रमुख समाज सुधारक थे जिन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।

प्रश्न 15: भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय कौन था?

  1. वास्को डी गामा
  2. अल्फांसो डी अल्बुकर्क
  3. फ्रांसिस्को डी अल्मेडा
  4. नीनो डी कुन्हा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: फ्रांसिस्को डी अल्मेडा। 1505 में, पुर्तगाल के राजा ने फ्रांसिस्को डी अल्मेडा को भारत में अपना पहला वायसराय नियुक्त किया।
  • संदर्भ और विस्तार: अल्मेडा का मुख्य उद्देश्य भारतीय महासागर में पुर्तगाली व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना और एक नौसैनिक शक्ति के रूप में पुर्तगाल की श्रेष्ठता को बनाए रखना था। उसने ‘ब्लू वॉटर पॉलिसी’ (नीली जल नीति) अपनाई, जिसका अर्थ था कि पुर्तगाली जहाजों को हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहिए। वास्को डी गामा पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत की समुद्री यात्रा की (1498)। अल्फांसो डी अल्बुकर्क ने गोवा पर कब्जा किया और वह अल्मेडा के बाद वायसराय बने।
  • गलत विकल्प: वास्को डी गामा खोजकर्ता थे। अल्बुकर्क एक शक्तिशाली गवर्नर थे जिन्होंने पुर्तगाली शक्ति का विस्तार किया, लेकिन अल्मेडा पहले वायसराय थे। नीनो डी कुन्हा ने कोचीन से गोवा में अपना मुख्यालय स्थानांतरित किया।

प्रश्न 16: भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान, किस समानांतर सरकार का गठन उत्तर प्रदेश में किया गया था?

  1. प्रति सरकार, बलिया
  2. जातक सरकार, मिदनापुर
  3. सम्राट सरकार, तांस्क
  4. स्वतंत्र सरकार, बांसक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रति सरकार, बलिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, चित्तू पांडे के नेतृत्व में बलिया (उत्तर प्रदेश) में एक समानांतर सरकार (प्रति सरकार) का गठन किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सरकार कुछ समय के लिए प्रभावी रही और इसने स्थानीय प्रशासन पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। यह भारत छोड़ो आंदोलन की सबसे प्रमुख समानांतर सरकारों में से एक थी। अन्य समानांतर सरकारें भी विभिन्न स्थानों पर स्थापित हुईं, जैसे मिदनापुर (बंगाल) में तमलुक जातीय सरकार।
  • गलत विकल्प: ‘जातक सरकार, मिदनापुर’ (जिसे तमलुक जातीय सरकार कहा जाता है) एक समानांतर सरकार थी, लेकिन यह उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि बंगाल में थी। ‘सम्राट सरकार, तांस्क’ और ‘स्वतंत्र सरकार, बांसक’ नाम की कोई उल्लेखनीय समानांतर सरकारें इस संदर्भ में नहीं जानी जाती हैं।

प्रश्न 17: किस मुगल बादशाह ने ‘जजिया कर’ को पुनः लागू किया था?

  1. अकबर
  2. जहाँगीर
  3. शाहजहाँ
  4. औरंगजेब

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: औरंगजेब। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1679 ईस्वी में गैर-मुस्लिमों पर लगने वाले ‘जजिया कर’ को पुनः लागू किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अकबर ने 1564 ईस्वी में जजिया कर समाप्त कर दिया था, लेकिन औरंगजेब ने धार्मिक कट्टरता के चलते इसे फिर से शुरू किया। इस कर का उद्देश्य गैर-मुस्लिमों को राज्य की रक्षा के बदले में एक विशेष शुल्क देने के लिए मजबूर करना था, लेकिन इसे मुस्लिम शासन की श्रेष्ठता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता था।
  • गलत विकल्प: अकबर ने जजिया समाप्त किया था। जहाँगीर और शाहजहाँ ने इस नीति को जारी नहीं रखा; हालांकि, जहाँगीर ने कुछ हद तक इस्लामी कानून को लागू करने का प्रयास किया था, लेकिन जजिया को पुनः लागू करने का श्रेय औरंगजेब को जाता है।

प्रश्न 18: ‘सती प्रथा’ के विरुद्ध कानून बनाने में राजा राम मोहन राय की प्रमुख भूमिका थी। यह कानून किस वायसराय के कार्यकाल में पारित हुआ?

  1. लॉर्ड विलियम बेंटिक
  2. लॉर्ड कैनिंग
  3. लॉर्ड डलहौजी
  4. लॉर्ड कर्जन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: लॉर्ड विलियम बेंटिक। राजा राम मोहन राय के अथक प्रयासों और सामाजिक सुधारों के चलते, वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिक ने 1829 में ‘सती प्रथा’ को अवैध घोषित करने वाला कानून पारित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस कानून (Regulation XVII of 1829) ने बंगाल, मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी में सती प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया। राजा राम मोहन राय ने इस क्रूर प्रथा के विरुद्ध जनजागरण अभियान चलाया था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे। लॉर्ड डलहौजी ‘लैप्स के सिद्धांत’ और रेलवे के विस्तार के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था।

प्रश्न 19: किस चोल शासक ने ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ नामक अपनी नई राजधानी बसाई और ‘गंगईकोंडचोल’ की उपाधि धारण की?

  1. राजराज प्रथम
  2. राजेंद्र प्रथम
  3. कुलोत्तुंग प्रथम
  4. विक्रम चोल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: राजेंद्र प्रथम। चोल शासक राजेंद्र प्रथम (1014-1044 ईस्वी) ने उत्तर भारत तक एक सफल सैन्य अभियान चलाया, गंगा नदी तक पहुंचा और ‘गंगईकोंडचोल’ (गंगा घाटी का विजेता) की उपाधि धारण की।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी राजधानी को तंजौर से बदलकर ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ नामक एक नए शहर में स्थानांतरित किया, जहाँ उन्होंने एक विशाल मंदिर (बृहदीश्वर मंदिर का ही एक प्रतिरूप) का निर्माण करवाया। उनकी विजयों ने चोल साम्राज्य को एक शक्तिशाली साम्राज्य बना दिया।
  • गलत विकल्प: राजराज प्रथम ने तंजौर में प्रसिद्ध बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था और चोल शक्ति का विस्तार किया था। कुलोत्तुंग प्रथम और विक्रम चोल बाद के शासक थे।

प्रश्न 20: प्रथम विश्व युद्ध का तत्कालीन कारण क्या था?

  1. जर्मनी का ऑस्ट्रिया पर आक्रमण
  2. आस्ट्रिया के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या
  3. रूस का ऑस्ट्रिया पर युद्ध की घोषणा
  4. फ्रांस और जर्मनी के बीच सीमा विवाद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या। 28 जून 1914 को साराजेवो में ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या एक सर्बियाई राष्ट्रवादी द्वारा कर दी गई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस हत्या ने यूरोप में तनाव को बढ़ा दिया, जिससे ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया। एक महीने के भीतर, विभिन्न गठबंधनों के कारण, यूरोप की प्रमुख शक्तियाँ युद्ध में शामिल हो गईं, जिससे प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का आरंभ हुआ। राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, सैन्यवाद और गुटबंदी जैसे कारण इसके मूल में थे, लेकिन हत्या तत्कालीन चिंगारी थी।
  • गलत विकल्प: जर्मनी का ऑस्ट्रिया पर आक्रमण प्रथम विश्व युद्ध का कारण नहीं था, बल्कि ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा की, और फिर जर्मनी ऑस्ट्रिया का समर्थन करने और रूस के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए युद्ध में शामिल हुआ। रूस ने ऑस्ट्रिया पर युद्ध की घोषणा की (सर्बिया के समर्थन में)। फ्रांस और जर्मनी के बीच सीमा विवाद (जैसे अल्सेस-लॉरेन) पहले से थे, लेकिन वे तत्कालीन कारण नहीं बने।

प्रश्न 21: ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना भगत सिंह ने कब की थी?

  1. 1920
  2. 1924
  3. 1926
  4. 1930

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: 1926। महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने 1926 में लाहौर में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पंजाब के युवाओं में राष्ट्रवादी भावना को जागृत करना, किसानों और मजदूरों के अधिकारों की वकालत करना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा देना था। यह एक गुप्त संगठन के रूप में शुरू हुआ और बाद में इसका प्रभाव बढ़ा।
  • गलत विकल्प: 1920 में असहयोग आंदोलन चरम पर था। 1924 में काकोरी ट्रेन डकैती हुई। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हुआ। 1926 उस काल के लिए अधिक प्रासंगिक है जब क्रांतिकारी आंदोलन अपनी जड़ें जमा रहा था।

प्रश्न 22: ‘शिवाजी की राज्याभिषेक’ किस किले में हुआ था?

  1. रायगढ़
  2. तोरणा
  3. सिंहगढ़
  4. प्रतापगढ़

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रायगढ़। मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी जिसने शिवाजी को एक स्वतंत्र राजा के रूप में मान्यता दी। इस समारोह के बाद उन्हें ‘छत्रपति’ की उपाधि दी गई। रायगढ़ शिवाजी के प्रशासन का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
  • गलत विकल्प: तोरणा शिवाजी द्वारा जीता गया पहला किला था। सिंहगढ़ और प्रतापगढ़ भी उनके अभियानों में महत्वपूर्ण किले थे, लेकिन राज्याभिषेक रायगढ़ में हुआ था।

प्रश्न 23: किसने कहा था, “संपत्ति का निकास सिद्धांत (Drain of Wealth Theory) ब्रिटिश शासन का सबसे बड़ा अभिशाप है”?

  1. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
  2. दादाभाई नौरोजी
  3. गोपाल कृष्ण गोखले
  4. महादेव गोविंद रानाडे

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: दादाभाई नौरोजी। दादाभाई नौरोजी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Poverty and Un-British Rule in India’ (1871) में ‘संपत्ति के निकास सिद्धांत’ का विस्तृत वर्णन किया और इसे ब्रिटिश शासन का एक गंभीर दोष बताया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, भारत की राष्ट्रीय आय का एक बड़ा हिस्सा (धन, संसाधन, उत्पाद) ब्रिटेन को निर्यात किया जा रहा था, जिससे भारत गरीब हो रहा था। नौरोजी ने तर्क दिया कि यह धन का एकतरफा हस्तांतरण है जो भारत के आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है।
  • गलत विकल्प: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले और महादेव गोविंद रानाडे सभी भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता थे और उन्होंने भी ब्रिटिश आर्थिक नीतियों की आलोचना की, लेकिन ‘ड्रेन ऑफ वेल्थ’ सिद्धांत को सबसे व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने और उसे प्रमुखता से उठाने का श्रेय दादाभाई नौरोजी को ही जाता है।

प्रश्न 24: 1917 की रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण क्या था?

  1. ज़ार निकोलस द्वितीय का निरंकुश शासन
  2. प्रथम विश्व युद्ध में रूस की लगातार हारें और भुखमरी
  3. बोल्शेविक पार्टी का उदय
  4. किसानों का भारी असंतोष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध में रूस की लगातार हारें और भुखमरी। हालांकि जार का निरंकुश शासन, बोल्शेविकों का उदय और किसानों का असंतोष क्रांति के दीर्घकालिक कारण थे, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में रूस की करारी हार, सैनिकों का मनोबल गिरना, बड़े पैमाने पर हताहत होना और देश में व्यापक भुखमरी तथा आर्थिक तंगी ने फरवरी 1917 की क्रांति को जन्म दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: युद्ध ने रूसी अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया था। लोगों में जार के शासन और युद्ध में भागीदारी के प्रति गहरा आक्रोश था। इसी असंतोष ने अंततः फरवरी क्रांति (जिसमें जार का शासन समाप्त हुआ) और फिर अक्टूबर क्रांति (जिसमें बोल्शेविक सत्ता में आए) को जन्म दिया।
  • गलत विकल्प: जार का निरंकुश शासन और किसानों का असंतोष तो पहले से ही मौजूद थे। बोल्शेविक पार्टी ने क्रांति का नेतृत्व किया, लेकिन उसका उदय तात्कालिक कारण नहीं था। युद्ध की विफलताएं और उससे उत्पन्न अकाल तथा आर्थिक कष्ट तात्कालिक कारण थे।

प्रश्न 25: सिंधु घाटी सभ्यता में ‘सेंधव लिपि’ कैसी थी?

  1. चित्रलिपि (Pictographic)
  2. अक्षरात्मक (Alphabetic)
  3. अक्षरात्मक-चित्रलिपि (Logographic-Syllabic)
  4. भावचित्रात्मक (Ideographic)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: चित्रलिपि (Pictographic)। सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि, जिसे सेंधव लिपि कहा जाता है, मुख्य रूप से चित्रलिपि है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस लिपि में प्रतीकों का उपयोग किया गया है, जो वस्तुओं या विचारों को दर्शाते हैं। यह दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी। हालांकि, इस लिपि को अभी तक पूरी तरह से पढ़ा नहीं जा सका है, जिससे इसके स्वरूप और भाषा के बारे में अंतिम निष्कर्ष निकालना कठिन है। वर्तमान में उपलब्ध अधिकांश लेख मुहरों पर पाए गए हैं।
  • गलत विकल्प: यह लिपि अक्षरात्मक (जैसे हिंदी या अंग्रेजी) या भावचित्रात्मक (जैसे कुछ चीनी अक्षर) नहीं है। हालांकि यह कुछ हद तक लॉोग्राफिक (शब्द-आधारित) या सिलेबिक (अक्षर-आधारित) हो सकती है, लेकिन इसका प्राथमिक और सबसे स्पष्ट स्वरूप चित्रलिपि का है।

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