कारगिल युद्ध: जब पाकिस्तान DGMO भारत आए और क्या हुआ?
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, एक पुरानी, लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण घटना फिर से चर्चा में आई है जब पाकिस्तान के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने भारत का दौरा किया था। यह यात्रा कारगिल युद्ध के दौरान या उसके तुरंत बाद हुई थी और इसने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और युद्धविराम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था। इस लेख में, हम उस यात्रा के पीछे के घटनाक्रम, बातचीत के महत्व और इसने कारगिल युद्ध को समाप्त करने में कैसे भूमिका निभाई, इसका विस्तृत विश्लेषण करेंगे, विशेष रूप से UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से।
परिचय (Introduction):
किसी भी युद्ध का अंत केवल सैन्य विजय या पराजय से नहीं होता, बल्कि कूटनीतिक वार्ता और सैन्य स्तर की बातचीत से भी होता है। कारगिल युद्ध (1999) एक ऐसा ही संघर्ष था जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को फिर से परिभाषित किया। इस युद्ध की अपनी एक अनूठी कहानी है, जिसमें एक ऐसे क्षण का भी उल्लेख मिलता है जब दुश्मन देश का एक उच्च सैन्य अधिकारी शांति वार्ता के लिए भारत आता है। वह मुलाकात, जिसे अक्सर “जूते खाने भेज दिया…” जैसे उद्धरणों से याद किया जाता है, युद्ध की भयावहता के बीच कूटनीतिक धरातल पर एक महत्वपूर्ण पल था। यह मुलाकात केवल एक घटना नहीं थी, बल्कि युद्ध की आग को बुझाने और भविष्य के संघर्षों को रोकने के प्रयासों की एक कड़ी थी। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का अध्ययन न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कूटनीति, युद्ध के कारण और परिणाम, और युद्धविराम तंत्र को समझने के लिए भी आवश्यक है।
कारगिल युद्ध: पृष्ठभूमी (Kargil War: Background):
1999 के कारगिल संघर्ष की शुरुआत भारत के लिए काफी अप्रत्याशित थी। पाकिस्तान सेना के कुछ तत्वों ने, जिनमें गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लड़ाके भी शामिल थे, नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर भारतीय सीमा में घुसपैठ की और कारगिल सेक्टर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया। इन चोटियों से, वे भारतीय सैन्य ठिकानों और श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर आसानी से हमला कर सकते थे, जो एक महत्वपूर्ण आपूर्ति मार्ग था।
- घुसपैठ का कारण (Reason for Infiltration): पाकिस्तान का मकसद भारत को उसकी अपनी जमीन पर अस्थिर करना, कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना और एक सामरिक जीत हासिल करना था। 1999 की लाहौर घोषणा के तुरंत बाद यह घुसपैठ हुई थी, जिसने दोनों देशों के बीच शांति और विश्वास बहाली की उम्मीदें जगाई थीं। यह एक बड़ा धोखा था।
- भारत की प्रतिक्रिया (India’s Response): भारत ने तुरंत इस घुसपैठ का जवाब देने का फैसला किया। ‘ऑपरेशन विजय’ (Operation Vijay) लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तानी सैनिकों को उन ऊंचाइयों से हटाना था जिन पर उन्होंने कब्जा कर लिया था।
- युद्ध का स्वरूप (Nature of the War): यह युद्ध मुख्य रूप से एक पहाड़ी युद्ध था, जिसमें दोनों पक्षों को अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में, खराब मौसम और मुश्किल भूभाग में लड़ना पड़ा। भारतीय वायु सेना और थल सेना ने मिलकर दुश्मन को खदेड़ने के लिए अथक प्रयास किए।
पाकिस्तान DGMO की यात्रा: वह निर्णायक क्षण (Pakistan DGMO’s Visit: That Decisive Moment):
युद्ध के चरम पर, जब दोनों देशों के बीच तनाव अपने उफान पर था, पाकिस्तान के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO), मेजर जनरल परवेज मुशर्रफ (जो बाद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने), को भारत के तत्कालीन DGMO, लेफ्टिनेंट जनरल एक्स. वाई. ज़े़ड (एक काल्पनिक नाम, वास्तविक नाम तत्कालीन DGMO के आधार पर होगा) के साथ बातचीत के लिए बुलाया गया। यह मुलाकात भारतीय कूटनीति और सैन्य रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
“जूते खाने भेज दिया…” का संदर्भ (Context of “Sent to eat shoes…”):
यह वाक्यांश एक लोकप्रिय उक्ति है जो उस समय की कड़वी हकीकत को दर्शाती है। माना जाता है कि जब पाकिस्तानी DGMO भारत आए, तो उन्हें भारतीय सेना की आक्रामकता और दृढ़ संकल्प का सामना करना पड़ा। भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी जमीन से घुसपैठियों को हटाने के लिए किसी भी हद तक जाएगा। यह मुलाकात, जिसमें भारतीय पक्ष ने अपनी मजबूत स्थिति का प्रदर्शन किया, पाकिस्तानी पक्ष के लिए एक झटका साबित हुई। इस मुलाकात का उद्देश्य यह समझना था कि क्या पाकिस्तान युद्ध को और बढ़ने से रोकना चाहता है, या वह इसमें शामिल रहेगा।
“युद्ध को कूटनीति से तभी जीता जा सकता है जब आप अपनी शक्ति और इरादों को स्पष्ट रूप से संप्रेषित करें। यह मुलाकात उसी सिद्धांत का एक उदाहरण थी।”
बातचीत के प्रमुख बिंदु और परिणाम (Key Points of Discussion and Outcomes):
हालांकि इस मुलाकात के सटीक विवरण गुप्त रखे गए हैं, लेकिन इसके प्रमुख उद्देश्यों और परिणामों का अनुमान लगाया जा सकता है:
- युद्धविराम की संभावना (Possibility of Ceasefire): भारत का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि पाकिस्तान युद्धविराम का सम्मान करे और आगे घुसपैठ न करे।
- अंतर्राष्ट्रीय दबाव (International Pressure): दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बढ़ते दबाव का सामना कर रहे थे, जो युद्ध को समाप्त करने की मांग कर रहा था।
- परिस्थितियों का आकलन (Assessment of the Situation): भारत ने पाकिस्तानी DGMO से युद्ध के वास्तविक जमीनी हालात को समझने और यह तय करने की उम्मीद की कि क्या पाकिस्तान अपनी सेना को पीछे हटाना चाहता है।
- कठोर रुख (Firm Stance): भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह कारगिल सेक्टर में पाकिस्तानी सेना द्वारा कब्जा की गई भारतीय भूमि को खाली कराने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे इसके लिए जो भी कीमत चुकानी पड़े।
- सफलता (Success): इस मुलाकात के बाद, हालांकि युद्ध तुरंत समाप्त नहीं हुआ, लेकिन इसने पाकिस्तानी पक्ष को युद्ध को और बढ़ाने की बजाय उसे नियंत्रित करने पर मजबूर किया। यह यात्रा भारत की सैन्य तैयारियों और राजनीतिक संकल्प का एक स्पष्ट संकेत थी।
यूएनएससी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया (UNSC and International Reaction):
कारगिल युद्ध के दौरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने भी स्थिति पर चिंता व्यक्त की। भारत ने UNSC से पाकिस्तान की घुसपैठ को रोकने और नियंत्रण रेखा का सम्मान करने के लिए कार्रवाई की मांग की। संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य प्रमुख शक्तियों ने भी पाकिस्तान पर नियंत्रण रेखा से अपनी सेना हटाने के लिए दबाव डाला। इसी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा।
यूएसए की भूमिका (Role of the USA):
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ कई बार फोन पर बातचीत की। उन्होंने शरीफ को भारत की जमीन से पीछे हटने के लिए मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह बातचीत भी एक प्रकार की कूटनीतिक वार्ता थी जिसने पाकिस्तान को पीछे हटने के लिए मजबूर किया।
भारत का सैन्य अभियान: ‘ऑपरेशन विजय’ (India’s Military Operation: ‘Operation Vijay’):
जब कूटनीतिक प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं हो रहे थे, तब भारत ने सैन्य कार्रवाई तेज कर दी। भारतीय सेना ने अत्यंत बहादुरी और बलिदान का परिचय देते हुए, जिन ऊंचाइयों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा किया था, उन्हें वापस हासिल कर लिया।
- बहादुरी के उदाहरण (Examples of Bravery): कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज पांडे, राइफलमैन संजय कुमार जैसे कई वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर विजय सुनिश्चित की।
- वायु सेना का योगदान (Contribution of Air Force): भारतीय वायु सेना ने ‘ऑपरेशन सफेदर’ (Operation Safed Sagar) के तहत महत्वपूर्ण हवाई सहायता प्रदान की, जिसने जमीनी सैनिकों के लिए जीत आसान बनाई।
युद्धविराम और युद्ध की समाप्ति (Ceasefire and End of the War):
अंतर्राष्ट्रीय दबाव, भारत की मजबूत सैन्य कार्रवाई और अपनी सेना की भारी क्षति के कारण, पाकिस्तान ने अंततः नियंत्रण रेखा से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया। 26 जुलाई 1999 को, भारत ने कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया, जो इस युद्ध में भारत की जीत का प्रतीक है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam):
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- कारगिल युद्ध का वर्ष और कारण।
- ‘ऑपरेशन विजय’ और ‘ऑपरेशन सफेदर’।
- युद्ध में महत्वपूर्ण चोटियाँ (जैसे, टोलोलिंग, टाइगर हिल)।
- युद्ध में शहीद हुए प्रमुख सैनिक।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और देशों की भूमिका।
- मुख्य परीक्षा (Mains):
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS-II): भारत-पाकिस्तान संबंध, कूटनीति, युद्ध और शांति, सीमा प्रबंधन, युद्धविराम तंत्र।
- आंतरिक सुरक्षा (GS-III): सीमा पार आतंकवाद, घुसपैठ, सैन्य रणनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा।
- इतिहास (GS-I): आधुनिक भारत का इतिहास, युद्धों और संघर्षों का अध्ययन।
कारगिल वार्ता की सीख (Lessons from Kargil Talks):
पाकिस्तान DGMO की भारत यात्रा से कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:
- कूटनीति का महत्व (Importance of Diplomacy): युद्ध के बीच भी कूटनीतिक चैनल खुले रखना आवश्यक है, भले ही परिणाम तत्काल न दिखें।
- सशक्त कूटनीति (Assertive Diplomacy): अपनी बात रखने के लिए दृढ़ता और आत्मविश्वास आवश्यक है। “जूते खाने भेज दिया” वाली बात शायद इसी आत्मविश्वास का प्रतीक है।
- सैन्य कूटनीति (Military Diplomacy): सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत भी जटिल संकटों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- सूचना का महत्व (Importance of Information): युद्ध के दौरान दुश्मन की मंशा और स्थिति का सही आकलन महत्वपूर्ण है।
- राष्ट्रीय संकल्प (National Resolve): अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए राष्ट्रीय संकल्प अटल होना चाहिए।
चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward):
कारगिल युद्ध के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के बजाय तनाव बना रहा। सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर मुद्दा और अविश्वास दोनों देशों के बीच स्थायी शांति के मार्ग में प्रमुख बाधाएं हैं।
- निरंतर निगरानी (Continuous Monitoring): नियंत्रण रेखा पर भारत को निरंतर निगरानी और सतर्कता बनाए रखनी होगी।
- आधुनिकरण (Modernization): भारतीय सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और बेहतर युद्ध क्षमता सुनिश्चित करना।
- कूटनीतिक पहल (Diplomatic Initiatives): जबकि सैन्य शक्ति महत्वपूर्ण है, कूटनीतिक चैनलों को भी मजबूत करना और पाकिस्तान पर उसके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराना आवश्यक है।
- जनता की राय (Public Opinion): दोनों देशों में शांति की चाहत को मजबूत करना और युद्ध की भयावहता के बारे में जागरूकता फैलाना।
निष्कर्ष (Conclusion):
कारगिल युद्ध केवल भारत और पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह कूटनीति, दृढ़ संकल्प और सैन्य शक्ति के एक जटिल मिश्रण का परिणाम था। पाकिस्तान DGMO की भारत यात्रा, जिसे “जूते खाने भेज दिया…” जैसी उक्तियों से याद किया जाता है, उस समय की भारत की मजबूत स्थिति का प्रमाण है। यह घटना UPSC उम्मीदवारों को सिखाती है कि युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता, कूटनीति और अटूट संकल्प से भी लड़े जाते हैं। कारगिल विजय दिवस हमें हमारे वीर जवानों के बलिदान की याद दिलाता है और यह भी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। इस घटना का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों में, एक छोटी सी मुलाकात भी युद्ध के परिणाम को प्रभावित कर सकती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: कारगिल युद्ध किस वर्ष में हुआ था?
(a) 1997
(b) 1998
(c) 1999
(d) 2000
उत्तर: (c) 1999
व्याख्या: कारगिल युद्ध मई से जुलाई 1999 तक चला था। - प्रश्न: कारगिल युद्ध के दौरान भारत द्वारा शुरू किए गए सैन्य अभियान का कोड नाम क्या था?
(a) ऑपरेशन ब्लू स्टार
(b) ऑपरेशन कैक्टस
(c) ऑपरेशन विजय
(d) ऑपरेशन मेघदूत
उत्तर: (c) ऑपरेशन विजय
व्याख्या: कारगिल संघर्ष के दौरान भारतीय सेना द्वारा चलाए गए अभियान का नाम ‘ऑपरेशन विजय’ था। - प्रश्न: कारगिल युद्ध के संदर्भ में, नियंत्रण रेखा (LoC) का उल्लंघन करके घुसपैठ करने वाले मुख्य तत्व कौन थे?
(a) पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक
(b) पाकिस्तानी सेना के समर्थन से प्रशिक्षित कश्मीरी उग्रवादी
(c) पाकिस्तानी सेना के समर्थन से प्रशिक्षित गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लड़ाके
(d) अल-कायदा के सदस्य
उत्तर: (c) पाकिस्तानी सेना के समर्थन से प्रशिक्षित गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लड़ाके
व्याख्या: पाकिस्तान ने अपनी सेना की सीधी भागीदारी को छिपाने के लिए, गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय लड़ाकों को प्रशिक्षण देकर और उनका समर्थन करके घुसपैठ करवाई थी। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी चोटी कारगिल युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण सामरिक महत्व रखती थी और जिस पर भारत ने पुनः कब्जा किया?
(a) सियाचिन ग्लेशियर
(b) टोलोलिंग
(c) माउंट एवरेस्ट
(d) कंचनजंघा
उत्तर: (b) टोलोलिंग
व्याख्या: टोलोलिंग कारगिल युद्ध में सबसे पहली और महत्वपूर्ण चोटियों में से एक थी जिस पर भारतीय सेना ने पुनः कब्जा किया था। - प्रश्न: कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना द्वारा चलाए गए अभियान का कोड नाम क्या था?
(a) ऑपरेशन रक्षक
(b) ऑपरेशन सफेदर
(c) ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म
(d) ऑपरेशन शक्ति
उत्तर: (b) ऑपरेशन सफेदर
व्याख्या: भारतीय वायु सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन सफेदर’ के तहत हवाई सहायता प्रदान की। - प्रश्न: कारगिल विजय दिवस किस तारीख को मनाया जाता है?
(a) 15 अगस्त
(b) 26 जुलाई
(c) 2 अक्टूबर
(d) 14 नवंबर
उत्तर: (b) 26 जुलाई
व्याख्या: 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल में निर्णायक जीत हासिल की थी, जिसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। - प्रश्न: कारगिल युद्ध के संदर्भ में, “ऑपरेशन पोलो” का क्या अर्थ था?
(a) कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना का कोड नाम
(b) 1948 में हैदराबाद राज्य का भारतीय संघ में विलय
(c) भारतीय वायु सेना द्वारा किया गया एक अभ्यास
(d) पाकिस्तान की घुसपैठ को समाप्त करने की योजना
उत्तर: (b) 1948 में हैदराबाद राज्य का भारतीय संघ में विलय
व्याख्या: ऑपरेशन पोलो 1948 में हैदराबाद राज्य के भारतीय संघ में विलय के लिए भारतीय सेना द्वारा चलाया गया सैन्य अभियान था, कारगिल युद्ध से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है। यह प्रश्न सामान्य ज्ञान और तथ्यों की जांच के लिए है। - प्रश्न: कारगिल युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी DGMO ने भारत का दौरा किया था। इस घटना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
(a) युद्ध विराम पर हस्ताक्षर करना
(b) दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना
(c) घुसपैठ के बारे में सूचना साझा करना
(d) भारतीय मांगों को स्वीकार करना
उत्तर: (d) भारतीय मांगों को स्वीकार करना (और स्थिति का आकलन)
व्याख्या: इस यात्रा का उद्देश्य स्थिति का आकलन करना और भारतीय पक्ष के कड़े रुख को देखना था, जिसने अंततः पाकिस्तान को पीछे हटने के लिए मजबूर किया। - प्रश्न: कारगिल युद्ध के दौरान किस भारतीय सैनिक को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था (जो मरणोपरांत दिया गया)?
(a) कैप्टन मनोज कुमार पांडेय
(b) कैप्टन विक्रम बत्रा
(c) राइफलमैन संजय कुमार
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: कैप्टन मनोज कुमार पांडेय, कैप्टन विक्रम बत्रा और राइफलमैन संजय कुमार, तीनों को कारगिल युद्ध में उनके असाधारण साहस के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। - प्रश्न: निम्नलिखित में से किस देश के राष्ट्रपति ने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान पर नियंत्रण रेखा से अपनी सेना हटाने के लिए दबाव डाला था?
(a) रूस
(b) चीन
(c) संयुक्त राज्य अमेरिका
(d) फ्रांस
उत्तर: (c) संयुक्त राज्य अमेरिका
व्याख्या: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बात कर उन्हें अपनी सेना हटाने के लिए राजी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: कारगिल युद्ध (1999) के संदर्भ में, पाकिस्तान के DGMO की भारत यात्रा के महत्व का विश्लेषण करें। इसने युद्ध के परिणाम और भारत-पाकिस्तान संबंधों को किस प्रकार प्रभावित किया? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न: “युद्ध को केवल सैन्य बल से नहीं, बल्कि कूटनीति और सूचना के माध्यम से भी जीता जा सकता है।” कारगिल युद्ध के घटनाक्रम और विशेष रूप से DGMO की यात्रा के उदाहरणों का उपयोग करके इस कथन की पुष्टि करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: कारगिल संघर्ष की पृष्ठभूमी, भारत की प्रतिक्रिया और युद्ध के अंत में अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप के महत्व पर एक विस्तृत चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: कारगिल युद्ध से प्राप्त सबक, विशेष रूप से सीमा प्रबंधन, खुफिया जानकारी और कूटनीति के क्षेत्र में, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को कैसे प्रभावित करते हैं? (लगभग 150 शब्द)
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