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कनाडा में फायरिंग, मुंबई को धमकी: क्या भारत पर है गिरोहों का साया?

कनाडा में फायरिंग, मुंबई को धमकी: क्या भारत पर है गिरोहों का साया?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, प्रसिद्ध भारतीय कॉमेडियन और अभिनेता कपिल शर्मा के कनाडा के वैंकूवर स्थित कैफे पर अज्ञात हमलावरों द्वारा गोलीबारी की गई। इस घटना के तुरंत बाद, कथित तौर पर खालिस्तानी अलगाववादी समूह के सदस्यों द्वारा “मुंबई अगला” (Mumbai next) जैसी धमकियाँ दी गईं। इस घटना ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। यह मामला भारत में संगठित अपराध, गिरोहों की अंतर्राष्ट्रीय पहुँच, और राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में गंभीर सवाल खड़े करता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह विषय आंतरिक सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, और समसामयिक मामलों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

घटना का विवरण और इसके निहितार्थ (The Incident and its Implications):

घटना वैंकूवर, कनाडा में हुई, जहाँ कपिल शर्मा का एक कैफे है। गोलीबारी की घटना के संबंध में स्थानीय पुलिस जाँच कर रही है। हालांकि, इस घटना के पीछे के मकसद और जिम्मेदार लोगों के बारे में फिलहाल पूरी जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन, जिस तरह से इस घटना को खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों से जोड़ा जा रहा है और “मुंबई अगला” जैसी धमकियाँ दी जा रही हैं, यह साफ संकेत देता है कि यह केवल एक स्थानीय आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि इसके तार अंतर्राष्ट्रीय अलगाववादी आंदोलनों और संगठित अपराध से जुड़े हो सकते हैं।

“इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर किया है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पार कर आपराधिक और आतंकवादी गतिविधियां संचालित हो सकती हैं, और कैसे लक्षित हमलों के माध्यम से भय और अस्थिरता फैलाने का प्रयास किया जाता है।”

गैंगवार, अलगाववाद और अंतर्राष्ट्रीय संबंध: एक जटिल जाल (Gangwar, Separatism, and International Relations: A Complex Web):

यह घटना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है। कनाडा जैसे देश में, जहाँ भारतवंशी समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है, अलगाववादी तत्वों की सक्रियता कोई नई बात नहीं है। लेकिन, जब यह अलगाववाद संगठित अपराध और हिंसा के साथ जुड़ जाता है, तो यह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन जाता है।

  • संगठित अपराध का अंतर्राष्ट्रीयकरण: आधुनिक युग में, अपराध और आतंकवाद की सीमाएं धुंधली हो गई हैं। गिरोह और आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, संचार प्रौद्योगिकी और वित्तीय साधनों का उपयोग करते हैं। ड्रग तस्करी, मानव तस्करी, हथियार तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों के माध्यम से वे अपनी पकड़ मजबूत करते हैं।
  • अलगाववादी आंदोलनों का दुरुपयोग: कई बार, अलगाववादी या चरमपंथी समूह अपनी विचारधारा को फैलाने और समर्थन जुटाने के लिए संगठित अपराध से जुड़े संसाधनों का उपयोग करते हैं। वे आपराधिक गतिविधियों से कमाए पैसे का उपयोग अपनी गतिविधियों को वित्तपोषित करने, हथियार खरीदने और दुष्प्रचार फैलाने के लिए करते हैं।
  • भारत-कनाडा संबंध पर प्रभाव: इस तरह की घटनाएँ भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकती हैं। भारत हमेशा से कनाडा से अपने क्षेत्र में सक्रिय अलगाववादी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह करता रहा है। ऐसी घटनाएँ भारत को कनाडा पर और अधिक दबाव बनाने का अवसर देती हैं।

भारत की आंतरिक सुरक्षा पर संभावित खतरे (Potential Threats to India’s Internal Security):

यदि “मुंबई अगला” की धमकी को गंभीरता से लिया जाए, तो यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकेत है। इसका मतलब यह हो सकता है कि:

  • लक्षित हमलों का खतरा: गिरोह और चरमपंथी समूह भारत के प्रमुख शहरों में, खासकर आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्रों जैसे मुंबई में, लक्षित हमले करने की क्षमता रखते हैं।
  • जागरूकता की कमी: यह घटना दर्शाती है कि भारत को अपनी सुरक्षा एजेंसियों को न केवल देश के भीतर बल्कि विदेशों में भी सक्रिय गिरोहों और उनके नेटवर्क पर पैनी नजर रखने के लिए तैयार रहना होगा।
  • खुफिया तंत्र की भूमिका: ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत और चुस्त खुफिया तंत्र की आवश्यकता है, जो समय रहते ऐसी धमकियों का पता लगा सके और उन्हें विफल कर सके।

UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से विश्लेषण (Analysis from UPSC Exam Perspective):

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी है:

1.GS-I: सामाजिक मुद्दे / GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध / GS-III: आंतरिक सुरक्षा

क. आंतरिक सुरक्षा (Internal Security):

  • संगठित अपराध: आधुनिक संगठित अपराध की प्रकृति, इसके प्रकार (ड्रग, हथियार, मानव तस्करी), और भारत में इसका प्रभाव।
  • सीमा पार अपराध (Cross-border Crime): यह कैसे काम करता है, और इसे रोकने में चुनौतियाँ।
  • आतंकवाद और अलगाववाद: कैसे ये आपस में जुड़ते हैं, और राष्ट्र की सुरक्षा को कैसे प्रभावित करते हैं।
  • खुफिया तंत्र की भूमिका: IB, RAW, NIA जैसी एजेंसियों का महत्व, और उनके समक्ष चुनौतियाँ।
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ: पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) की भूमिका और उनकी क्षमताएँ।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: अपराध को रोकने और जाँच में साइबर सुरक्षा, डेटा विश्लेषण, और निगरानी का महत्व।

b. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):

  • द्विपक्षीय संबंध: भारत और कनाडा के बीच वर्तमान संबंध, संप्रभुता, सुरक्षा सहयोग, और प्रत्यर्पण संधियाँ।
  • प्रवासी समुदाय और अलगाववाद: विदेशों में बसे भारतीय समुदायों के बीच अलगाववादी विचारधाराओं का प्रसार और उनके निहितार्थ।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों के साथ सहयोग का महत्व।
  • भू-राजनीति: कैसे इस तरह की घटनाएँ क्षेत्रीय भू-राजनीति को प्रभावित कर सकती हैं।

c. सामाजिक मुद्दे (Social Issues):

  • आपराधिक न्याय प्रणाली: अपराधियों को पकड़ने, मुकदमा चलाने और दंडित करने की प्रक्रिया।
  • सुरक्षा संस्कृति: आम जनता में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता।

2. GS-IV: नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिवृत्ति (Ethics, Integrity, and Aptitude):

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: एक नागरिक और भावी प्रशासक के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है?
  • सार्वजनिक जीवन में सुरक्षा: हस्तियों और सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में राज्य की भूमिका।
  • कानून का शासन (Rule of Law): चाहे वह कितना भी शक्तिशाली गिरोह क्यों न हो, कानून के शासन को बनाए रखना क्यों आवश्यक है।

चुनौतियाँ और भारत की प्रतिक्रिया (Challenges and India’s Response):

भारत के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं:

  • सबूत जुटाना: कनाडा में हुई घटना के लिए ठोस सबूत जुटाना और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना।
  • प्रत्यार्पण: यदि अपराधी भारतीय नागरिक हैं, तो उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया।
  • कूटनीतिक दबाव: कनाडा पर अलगाववादी तत्वों के खिलाफ और अधिक कड़ी कार्रवाई करने के लिए कूटनीतिक दबाव बनाना।
  • खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान: मित्र देशों के साथ प्रभावी खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान सुनिश्चित करना।
  • राष्ट्रव्यापी सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना: देश के भीतर गिरोहों के नेटवर्क को तोड़ने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करना।

सरकार ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और कनाडा सरकार से इस मामले में उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। भारत की विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसी हिंसक गतिविधियाँ अस्वीकार्य हैं।

भविष्य की राह (Way Forward):

इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  1. खुफिया तंत्र को मजबूत करना: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुफिया जानकारी एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ाना।
  2. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद, संगठित अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दों पर अन्य देशों के साथ सहयोग को गहरा करना। प्रत्यर्पण संधियों को मजबूत करना और सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाना।
  3. साइबर सुरक्षा: गिरोहों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऑनलाइन नेटवर्क पर निगरानी रखना और उन्हें बाधित करना।
  4. कानून प्रवर्तन का आधुनिकीकरण: विशेष रूप से सीमा पार अपराधों से निपटने के लिए पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नवीनतम तकनीक और प्रशिक्षण से लैस करना।
  5. सार्वजनिक जागरूकता: आम जनता को ऐसे खतरों के प्रति जागरूक करना और उन्हें सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित करना।
  6. कूटनीति: उन देशों के साथ राजनयिक संबंध मजबूत करना जहाँ भारतीय समुदाय रहते हैं और जहाँ से ऐसे खतरे उत्पन्न हो सकते हैं, ताकि वे अपनी धरती का उपयोग भारत के विरुद्ध न होने दें।

“किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा उसकी आंतरिक स्थिरता पर निर्भर करती है। जब यह स्थिरता बाहरी तत्वों द्वारा चुनौती दी जाती है, तो एक सशक्त और त्वरित प्रतिक्रिया आवश्यक हो जाती है।”

निष्कर्ष (Conclusion):

कपिल शर्मा के कैफे पर फायरिंग और उसके बाद दी गई धमकियाँ केवल एक सेलिब्रिटी पर हमला नहीं हैं, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक वेक-अप कॉल है। यह दर्शाता है कि कैसे संगठित अपराध, अलगाववाद और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क आपस में जुड़कर भारत की शांति और स्थिरता को भंग करने का प्रयास कर सकते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का विश्लेषण आंतरिक सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शासन के दृष्टिकोण से करना महत्वपूर्ण है। भारत को इन उभरते खतरों से निपटने के लिए अपने सुरक्षा तंत्र को लगातार मजबूत करना होगा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करना होगा। ‘मुंबई अगला’ की धमकी को हल्के में नहीं लिया जा सकता; यह एक गंभीर चेतावनी है जिस पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. कथन: हाल ही में कनाडा में एक भारतीय नागरिक के कैफे पर गोलीबारी की घटना के बाद ‘मुंबई अगला’ जैसी धमकियाँ दी गई हैं।
संदर्भ: निम्नलिखित में से कौन सा या कौन से कारक इस घटना को भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रासंगिक बनाते हैं?
1. अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार संगठित अपराध का प्रसार।
2. अलगाववादी आंदोलनों द्वारा हिंसा का उपयोग।
3. भारत की वित्तीय राजधानी को लक्षित करने की संभावना।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन इस घटना के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रासंगिक पहलुओं को दर्शाते हैं। यह घटना अंतरराष्ट्रीय गिरोहों की पहुँच, अलगाववादी समूहों द्वारा हिंसा के उपयोग और भारत के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को लक्षित करने की उनकी क्षमता को उजागर करती है।

2. कथन: खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों से जुड़ी धमकियों के संदर्भ में, ‘कठोर शक्ति’ (Hard Power) और ‘नरम शक्ति’ (Soft Power) की अवधारणाओं को कैसे लागू किया जा सकता है?
विकल्प:
(a) कठोर शक्ति का अर्थ है कूटनीतिक बातचीत, जबकि नरम शक्ति का अर्थ है सैन्य हस्तक्षेप।
(b) कठोर शक्ति का अर्थ है सैन्य बल या आर्थिक प्रतिबंध, जबकि नरम शक्ति का अर्थ है सांस्कृतिक प्रभाव या कूटनीति।
(c) दोनों ही अवधारणाएँ केवल सैन्य बल के उपयोग से संबंधित हैं।
(d) नरम शक्ति का उपयोग केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जा सकता है।
उत्तर: (b) कठोर शक्ति का अर्थ है सैन्य बल या आर्थिक प्रतिबंध, जबकि नरम शक्ति का अर्थ है सांस्कृतिक प्रभाव या कूटनीति।
व्याख्या: कठोर शक्ति में बल-आधारित साधनों का उपयोग शामिल है, जबकि नरम शक्ति में आकर्षण और अनुनय के माध्यम से प्रभाव डालना शामिल है। इस संदर्भ में, कनाडा पर अलगाववादी गतिविधियों को रोकने के लिए दबाव डालना (कूटनीतिक/आर्थिक) नरम शक्ति का उदाहरण हो सकता है, जबकि यदि आवश्यक हो तो किसी भी प्रत्यक्ष खतरे से निपटना कठोर शक्ति का।

3. हालिया घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी भारत में सीमा पार अपराधों से निपटने के लिए जिम्मेदार हो सकती है?
1. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA)
2. सीमा सुरक्षा बल (BSF)
3. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: NIA आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित मामलों की जाँच करती है, BSF सीमा की सुरक्षा करती है, और CBI भी विभिन्न प्रकार के गंभीर अपराधों और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों की जाँच में भूमिका निभा सकती है।

4. “मुंबई अगला” जैसी धमकियाँ मुख्य रूप से किस प्रकार के सुरक्षा खतरे को इंगित करती हैं?
(a) केवल स्थानीय गिरोहों द्वारा की जाने वाली सामान्य आपराधिक गतिविधियाँ।
(b) संगठित अपराध का अंतर्राष्ट्रीयकरण और लक्षित हमलों का जोखिम।
(c) विदेशी हस्तक्षेप से रहित पूरी तरह से एक आंतरिक सुरक्षा मामला।
(d) केवल राजनीतिक विरोध का एक रूप।
उत्तर: (b) संगठित अपराध का अंतर्राष्ट्रीयकरण और लक्षित हमलों का जोखिम।
व्याख्या: यह धमकी विदेशी धरती से उत्पन्न होती है और भारत के एक प्रमुख शहर को लक्षित करने की क्षमता रखती है, जो संगठित अपराध के अंतर्राष्ट्रीयकरण और लक्षित हमलों के जोखिम को दर्शाती है।

5. कनाडा जैसे देशों में भारतीय मूल के लोगों के बीच अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा देने वाले कारकों में शामिल हो सकते हैं:
1. ऐतिहासिक शिकायतें और गलत सूचना का प्रसार।
2. वित्तीय सहायता और बाहरी समर्थन।
3. स्थानीय राजनीतिक वातावरण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ऐतिहासिक कारण, दुष्प्रचार, वित्तीय सहायता और स्थानीय कानून (जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) मिलकर ऐसे आंदोलनों के फलने-फूलने का कारण बन सकते हैं।

6. निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी भारत के बाहर खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
(a) इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
(b) रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)
(c) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
(d) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA)
उत्तर: (b) रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)
व्याख्या: RAW भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है, जो देश के बाहर के खतरों पर नज़र रखती है।

7. अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यर्पण संधियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) विभिन्न देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना।
(b) भगोड़े अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए सहयोग को सुविधाजनक बनाना।
(c) सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
(d) अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ाना।
उत्तर: (b) भगोड़े अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए सहयोग को सुविधाजनक बनाना।
व्याख्या: प्रत्यर्पण संधियाँ अपराधियों को एक देश से दूसरे देश में प्रत्यर्पित करने की कानूनी प्रक्रिया को परिभाषित करती हैं।

8. भारतीय संविधान के अनुसार, सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) और पुलिस किस सूची का विषय हैं?
(a) संघ सूची (Union List)
(b) राज्य सूची (State List)
(c) समवर्ती सूची (Concurrent List)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b) राज्य सूची (State List)
व्याख्या: संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य सूची के विषय हैं, यद्यपि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।

9. “आतंकवाद का वित्तपोषण” (Terror Financing) का मुकाबला करने में निम्नलिखित में से कौन सी संस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
1. वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit – FIU)
2. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED)
3. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: FIU, ED और RBI सभी मिलकर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और उनका पता लगाने के लिए काम करते हैं।

10. “नरम शक्ति” (Soft Power) का सर्वोत्तम उदाहरण क्या है, जिसे भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग कर सकता है?
(a) सैन्य अभ्यास
(b) सांस्कृतिक प्रभाव और योग को बढ़ावा देना
(c) आर्थिक प्रतिबंध लगाना
(d) सीमा सुरक्षा बढ़ाना
उत्तर: (b) सांस्कृतिक प्रभाव और योग को बढ़ावा देना
व्याख्या: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, योग, और भारतीय सिनेमा जैसे तत्व भारत की नरम शक्ति के उदाहरण हैं, जो आकर्षण और अनुनय के माध्यम से प्रभाव डालते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. हाल की घटनाओं के आलोक में, अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध और अलगाववादी आंदोलनों के बीच बढ़ते संबंध पर चर्चा करें। भारत की आंतरिक सुरक्षा पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें और ऐसे खतरों से निपटने के लिए भारत की रणनीतियों और चुनौतियों का मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. “आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच की रेखा अक्सर धुंधली हो जाती है, विशेष रूप से जब वे राष्ट्र-राज्यों के लिए खतरा पैदा करने के लिए मिलकर काम करते हैं।” इस कथन की पुष्टि करते हुए, कनाडा में हुई हाल की घटना जैसे उदाहरणों से समझाएं कि कैसे भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत ‘समग्र सुरक्षा’ (Comprehensive Security) दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें प्रभावी सीमा प्रबंधन, खुफिया सहयोग और कूटनीति शामिल हो। (250 शब्द, 15 अंक)
3. विदेशों में बसे भारतीय समुदायों के बीच अलगाववादी विचारधाराओं के प्रसार को नियंत्रित करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सुरक्षा चुनौती है। इस संदर्भ में, भारत को ऐसे तत्वों से निपटने के लिए किन ‘नरम शक्ति’ (Soft Power) और ‘कठोर शक्ति’ (Hard Power) आधारित रणनीतियों को अपनाना चाहिए? इन रणनीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं पर भी प्रकाश डालें। (150 शब्द, 10 अंक)
4. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए ‘सीमा पार अपराध’ (Cross-border Crime) एक गंभीर खतरा है। संगठित अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों से निपटने में खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (150 शब्द, 10 अंक)

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