ऑप महादेव: सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में 3 आतंकवादी ढेर, जारी है घेराबंदी
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, जम्मू और कश्मीर के एक संवेदनशील इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई एक भीषण मुठभेड़ ने देश का ध्यान फिर से खींचा है। ‘ऑपरेशन महादेव’ के कोड-नाम से चलाए गए इस अभियान में, भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के वीर जवानों ने असाधारण साहस का परिचय देते हुए तीन खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया। हालांकि, यह ऑपरेशन अभी भी जारी है, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा की चिंता बनी हुई है। यह घटना न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की निरंतर लड़ाई को रेखांकित करती है, बल्कि उन जटिलताओं और चुनौतियों को भी उजागर करती है जिनका सामना हमारे सुरक्षा बल इन अभियानों के दौरान करते हैं।
यह ब्लॉग पोस्ट ‘ऑप महादेव’ जैसी घटनाओं के महत्व, इसके पीछे की रणनीतियों, सुरक्षा बलों के सामने आने वाली चुनौतियों, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके विभिन्न आयामों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है। हम इस ऑपरेशन के ऐतिहासिक संदर्भ, आतंकवाद के खिलाफ भारत की समग्र रणनीति, और भविष्य की राह पर भी प्रकाश डालेंगे।
ऑपरेशन महादेव: जमीनी हकीकत और सुरक्षा बल की भूमिका
यह मुठभेड़ जम्मू और कश्मीर के किसी दूरस्थ या पहाड़ी इलाके में हुई, जहाँ आतंकवादियों ने घात लगाकर सुरक्षा बलों पर हमला करने की कोशिश की। सुरक्षा बलों को इस प्रयास की भनक लगते ही, एक सुनियोजित ‘ऑपरेशन’ शुरू किया गया, जिसे ‘ऑप महादेव’ नाम दिया गया। इस ऑपरेशन का प्राथमिक उद्देश्य आतंकवादियों को बेअसर करना और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखना था।
- परिचय: ऑपरेशन की शुरुआत खुफिया जानकारी के आधार पर हुई, जिसमें आतंकवादियों की मौजूदगी का संकेत मिला था।
- कार्रवाई: सुरक्षा बलों ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए इलाके को घेर लिया और आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने का अल्टीमेटम दिया।
- मुठभेड़: आतंकवादियों द्वारा गोलीबारी शुरू करने के बाद, सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे एक भीषण गोलीबारी हुई।
- परिणाम: इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए, जबकि सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त किया।
- जारी अभियान: यह ऑपरेशन अभी भी जारी है, जिसका अर्थ है कि इलाके की तलाशी और अन्य संभावित खतरों को बेअसर करने के प्रयास चल रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की राष्ट्रीय रणनीति: एक विस्तृत अवलोकन
भारत आतंकवाद के खिलाफ एक बहुआयामी राष्ट्रीय रणनीति अपनाता है। ‘ऑप महादेव’ जैसी घटनाएं इस व्यापक ढांचे के भीतर होने वाले विशिष्ट सैन्य अभियानों का हिस्सा हैं।
1. मजबूत रक्षा और खुफिया तंत्र:
भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत किया है। आधुनिक हथियारों, उन्नत निगरानी प्रणालियों और प्रभावी खुफिया नेटवर्क का जाल बिछाया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य खुफिया एजेंसियां आतंकवादी गतिविधियों की पहचान करने और उन्हें रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
2. सैन्य और सुरक्षा अभियान:
जम्मू और कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, भारतीय सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल (जैसे CRPF, BSF) आतंकवादियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाते हैं। इन अभियानों का उद्देश्य आतंकवादियों को बेअसर करना, उनके द्वारा बनाए गए सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करना और आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करना है। ‘ऑप महादेव’ इसी प्रकार का एक ऑपरेशन है।
3. कानूनी ढांचा:
भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कानून बनाए हैं, जैसे कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)। ये कानून सरकार को आतंकवाद से जुड़े व्यक्तियों और संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए आवश्यक अधिकार प्रदान करते हैं।
4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
भारत आतंकवाद को एक वैश्विक समस्या मानता है और विभिन्न देशों के साथ सहयोग करता है। इसमें खुफिया जानकारी साझा करना, प्रत्यर्पण संधियाँ और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से आतंकवाद विरोधी प्रयासों में भाग लेना शामिल है।
5. मूल कारणों का समाधान:
केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। भारत सरकार आतंकवाद के मूल कारणों को दूर करने के लिए भी प्रयासरत है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक असमानता, राजनीतिक असंतोष और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले बाहरी प्रभाव शामिल हैं।
‘ऑप महादेव’ जैसे अभियानों के पीछे की रणनीति
इस तरह के ऑपरेशनों में उच्च स्तर की योजना, समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।
1. खुफिया जानकारी का एकत्रीकरण और विश्लेषण:
किसी भी सफल ऑपरेशन की नींव मजबूत खुफिया जानकारी होती है। इसमें मानव खुफिया (Human Intelligence), सिग्नल इंटेलिजेंस (Signal Intelligence) और इमेजरी इंटेलिजेंस (Imagery Intelligence) शामिल हैं।
“खुफिया जानकारी युद्ध की पहली रणनीति है। बिना इसके, आप अंधेरे में तीर चला रहे होते हैं।” – एक अनुभवी सैन्य अधिकारी
2. योजना और तैयारी:
एक बार जब खुफिया जानकारी सत्यापित हो जाती है, तो एक विस्तृत ऑपरेशनल योजना बनाई जाती है। इसमें शामिल होते हैं:
- लक्ष्य निर्धारण: आतंकवादियों की संख्या, उनके हथियारों और उनके इरादों का सटीक आकलन।
- बल का नियोजन: शामिल किए जाने वाले सुरक्षा बलों की संख्या, उनकी विशेषज्ञता और उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरण।
- समन्वय: सेना, पुलिस, वायु सेना (यदि आवश्यक हो), और खुफिया एजेंसियों के बीच निर्बाध समन्वय।
- आपातकालीन योजनाएँ: किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए बैकअप योजनाएँ।
3. निष्पादन:
ऑपरेशन के निष्पादन में सबसे महत्वपूर्ण पहलू सटीकता, गति और न्यूनतम नागरिक हताहतों को सुनिश्चित करना है।
- घेराबंदी (Cordon): सबसे पहले, क्षेत्र को सुरक्षित रूप से घेर लिया जाता है ताकि आतंकवादी भाग न सकें।
- तलाश (Search): इसके बाद, सावधानीपूर्वक तलाशी अभियान चलाया जाता है।
- संपर्क (Contact): जब आतंकवादी मिल जाते हैं, तो उनसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा जाता है। यदि वे मना करते हैं, तो जवाबी कार्रवाई की जाती है।
- निष्क्रियण (Neutralization): लक्ष्य आतंकवादियों को मार गिराना या पकड़ना होता है।
4. पोस्ट-ऑपरेशन कार्रवाई:
- सबूत संग्रह: मारे गए आतंकवादियों के पास से मिले हथियार, गोला-बारूद और अन्य सामग्री को सबूत के तौर पर इकट्ठा किया जाता है।
- पहचान: आतंकवादियों की पहचान की जाती है और उनके आतंकी संगठनों से संबंधों की जांच की जाती है।
- इलाके की सफाई: यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई और खतरा न हो, इलाके की पूरी तरह से तलाशी ली जाती है।
सुरक्षा बलों के सामने चुनौतियाँ
आतंकवाद विरोधी अभियानों में हमारे सुरक्षा बलों को कई अनूठी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- असमान युद्ध (Asymmetrical Warfare): आतंकवादी अक्सर गुरिल्ला रणनीति, घात लगाकर हमला और नागरिक आबादी का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में करते हैं, जिससे सुरक्षा बलों के लिए उन्हें सीधे मुकाबले में शामिल करना मुश्किल हो जाता है।
- कठिन भूभाग: जम्मू और कश्मीर जैसे पहाड़ी और दुर्गम इलाके आतंकवादियों को छिपने और छिपकर हमला करने का अवसर देते हैं।
- स्थानीय आबादी का सहयोग: कभी-कभी, आतंकवादियों को स्थानीय आबादी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन मिल जाता है, जिससे उनकी पहचान करना और उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
- मानवाधिकारों की चिंताएँ: सुरक्षा अभियानों के दौरान, सुरक्षा बलों को मानवाधिकारों का कड़ाई से पालन करना पड़ता है, जिससे उन्हें सावधानी से कार्रवाई करनी पड़ती है। किसी भी अतिरेक से अंतर्राष्ट्रीय आलोचना और स्थानीय विरोध हो सकता है।
- बदलती रणनीति: आतंकवादी अपने तरीकों और तकनीकों को लगातार बदलते रहते हैं, जिससे सुरक्षा बलों को भी अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करना पड़ता है।
- साइबर आतंकवाद: अब आतंकवादियों द्वारा दुष्प्रचार फैलाने और भर्ती करने के लिए ऑनलाइन माध्यमों का भी उपयोग किया जा रहा है, जो एक नई चुनौती है।
“हमारे सैनिक हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं, न केवल देश की रक्षा के लिए, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी लड़ाई नियमों के अनुसार हो।” – एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
‘ऑप महादेव’ का महत्व और निहितार्थ
इस तरह के ऑपरेशन सिर्फ आतंकवादियों को मारने से कहीं अधिक हैं:
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: आतंकवादियों के खिलाफ सफलता सुरक्षा बलों और देश के मनोबल को बढ़ाती है।
- आतंकवादी नेटवर्क को तोड़ना: मारे गए आतंकवादियों की पहचान और उनके नेटवर्क की जांच से आतंकी संगठनों की कार्यप्रणाली और उनकी भविष्य की योजनाओं का पता चलता है।
- स्थिरता की बहाली: ऐसे ऑपरेशन क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय छवि: आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने की भारत की क्षमता उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि को मजबूत करती है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- भूगोल: जम्मू और कश्मीर के उस विशिष्ट क्षेत्र के बारे में प्रश्न पूछे जा सकते हैं जहाँ यह घटना हुई।
- समसामयिक मामले: आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा, सुरक्षा बल, खुफिया एजेंसियां और उनसे संबंधित सरकारी योजनाएँ।
- रक्षा और सुरक्षा: भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल, और उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले हथियार और तकनीकें।
- कानून: UAPA जैसे आतंकवाद विरोधी कानून।
2. मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-I (भूगोल): “भारत की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कारक, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद।”
- GS-III (सुरक्षा): “आतंकवाद के विभिन्न रूप और उनके निहितार्थ; भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उनका खतरा; आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की रणनीति।”
- GS-III (सुरक्षा): “सुरक्षा बलों के सामने आने वाली चुनौतियाँ और उनसे निपटने के उपाय।”
- GS-IV (नैतिकता): “राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में सुरक्षा बलों के निर्णय लेने में नैतिकता का महत्व।”
चुनौतियों से निपटने और भविष्य की राह
आतंकवाद एक सतत चुनौती है, और इससे निपटने के लिए भारत को अपनी रणनीतियों को लगातार विकसित करना होगा।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: ड्रोन, AI-संचालित निगरानी, और बेहतर संचार प्रणालियों जैसी नई तकनीकों को अपनाने से सुरक्षा बलों की क्षमताएं बढ़ेंगी।
- खुफिया जानकारी को मजबूत करना: स्थानीय आबादी के साथ संबंधों को बेहतर बनाकर और अधिक प्रभावी मानव खुफिया तंत्र विकसित करके।
- आतंकवाद के वित्तपोषण पर नकेल: यह सुनिश्चित करना कि आतंकवादियों को धन प्राप्त न हो, उनकी गतिविधियों को रोकने में महत्वपूर्ण है।
- समग्र विकास: जम्मू और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
- साइबर सुरक्षा: ऑनलाइन दुष्प्रचार और कट्टरता से लड़ने के लिए एक मजबूत साइबर सुरक्षा रणनीति विकसित करना।
- कानूनी ढांचे को मजबूत करना: यह सुनिश्चित करना कि हमारे कानून आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पर्याप्त हैं।
‘ऑप महादेव’ जैसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि हमारे सुरक्षा बल राष्ट्र की सेवा में कितना बड़ा बलिदान देते हैं। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता का एक और प्रमाण है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह न केवल एक समसामयिक घटना है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीति और शासन जैसे महत्वपूर्ण विषयों की गहरी समझ विकसित करने का एक अवसर भी है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: ‘ऑपरेशन महादेव’ एक गुप्त सैन्य अभियान को दिया गया नाम है।
कथन 2: ऐसे ऑपरेशन का प्राथमिक उद्देश्य आतंकवादियों को बेअसर करना होता है।
कूट:
(a) केवल कथन 1 सत्य है।
(b) केवल कथन 2 सत्य है।
(c) दोनों कथन सत्य हैं।
(d) दोनों कथन असत्य हैं।
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘ऑपरेशन महादेव’ जैसे नाम गुप्त सैन्य अभियानों के लिए रखे जाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य आतंकवादियों को बेअसर करना, उनकी गतिविधियों को रोकना और क्षेत्र में सुरक्षा बहाल करना होता है।
2. भारत में आतंकवाद विरोधी कानूनों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को रोकने और उनसे निपटने के लिए एक प्रमुख कानून है।
2. NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच के लिए जिम्मेदार है।
कूट:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: UAPA भारत का मुख्य आतंकवाद विरोधी कानून है और NIA को आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार है।
3. भारतीय सेना की एक प्रमुख चुनौती ‘असमान युद्ध’ (Asymmetrical Warfare) है। इसका अर्थ क्या है?
(a) सेना का पारंपरिक युद्ध में भारी नुकसान होना।
(b) युद्ध में दोनों पक्षों द्वारा समान संख्या में सैनिकों का उपयोग करना।
(c) एक पक्ष का दूसरे पक्ष की तुलना में कम संसाधन या गुरिल्ला रणनीति का उपयोग करना।
(d) युद्ध में उन्नत तकनीकों का उपयोग न करना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: असमान युद्ध में, एक पक्ष (जैसे आतंकवादी) अक्सर पारंपरिक सेनाओं की तुलना में कम संसाधनों के साथ गुरिल्ला रणनीति, घात लगाकर हमला, और गैर-पारंपरिक तरीकों का उपयोग करता है।
4. हाल के वर्षों में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित में से किस पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है?
1. खुफिया जानकारी जुटाने में प्रौद्योगिकी का बढ़ा हुआ उपयोग।
2. आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों का आधुनिकीकरण।
3. साइबर सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना।
कूट:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी (खुफिया जानकारी, निगरानी), अर्धसैनिक बलों का आधुनिकीकरण और साइबर सुरक्षा पर समान रूप से जोर दिया है।
5. निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण (Terrorism Financing) की जांच और रोकथाम में भूमिका निभाती है?
(a) प्रवर्तन निदेशालय (ED)
(b) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
(c) केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC)
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: ED, NIA और CBIC (अपने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी से संबंधित जांच के माध्यम से) सभी अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण की रोकथाम में भूमिका निभाते हैं।
6. ‘ऑपरेशन महादेव’ जैसे अभियानों में, सुरक्षा बलों के लिए स्थानीय आबादी का सहयोग प्राप्त करना क्यों महत्वपूर्ण है?
1. आतंकवादियों की पहचान और उन्हें बेअसर करने में सहायता के लिए।
2. कानूनी और मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को कम करने के लिए।
3. आतंकवादियों के लिए स्थानीय समर्थन को कम करने के लिए।
कूट:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: स्थानीय आबादी का सहयोग आतंकवादियों की पहचान, उन्हें पकड़ने, और क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि ऑपरेशन मानवाधिकारों के अनुरूप हों।
7. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का एक प्रमुख तत्व अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
1. खुफिया जानकारी साझा करना।
2. प्रत्यर्पण संधियाँ।
3. संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर आतंकवाद विरोधी प्रस्तावों का समर्थन।
कूट:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लेता है, जिसमें खुफिया जानकारी साझा करना, प्रत्यर्पण संधियाँ करना और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करना शामिल है।
8. ‘ऑपरेशन महादेव’ का उद्देश्य केवल आतंकवादियों को मारना नहीं है, बल्कि इसके और भी व्यापक निहितार्थ हैं। इनमें से कौन से निहितार्थ सही हैं?
1. सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाना।
2. आतंकवादी नेटवर्क की कार्यप्रणाली को समझना।
3. क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयास को मजबूत करना।
कूट:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: इस तरह के सफल अभियान सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाते हैं, आतंकी नेटवर्क पर प्रकाश डालते हैं और क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद करते हैं।
9. निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय सुरक्षा एजेंसी विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर जैसे राज्यों में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) राष्ट्रीय राइफल्स (RR)
(b) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
(c) भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
(d) सीमा सुरक्षा बल (BSF)
उत्तर: (b)
व्याख्या: CRPF भारत में आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और आतंकवाद विरोधी अभियानों में प्रमुख भूमिका निभाता है, खासकर जम्मू और कश्मीर जैसे राज्यों में। राष्ट्रीय राइफल्स (RR) भारतीय सेना का एक हिस्सा है जो विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए है।
10. ‘ऑपरेशन महादेव’ में मारे गए आतंकवादियों से बरामद की गई सामग्री को किस उद्देश्य से एकत्र किया जाता है?
1. आतंकवादी हमलों के पैटर्न को समझने के लिए।
2. आतंकवादी संगठनों की आपूर्ति श्रृंखला का पता लगाने के लिए।
3. न्यायिक कार्यवाही के लिए साक्ष्य के रूप में।
कूट:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: बरामदगी का उपयोग आतंकवाद के पैटर्न, आपूर्ति श्रृंखला और भविष्य के अभियोजन के लिए सबूत के रूप में किया जाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, आतंकवाद एक गंभीर और लगातार खतरा बना हुआ है। ‘ऑपरेशन महादेव’ जैसी हालिया घटनाओं के आलोक में, आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण करें और इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. प्रश्न: ‘असमान युद्ध’ (Asymmetrical Warfare) के बढ़ते परिदृश्य में, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को कैसे अनुकूलित किया जाना चाहिए? ‘ऑप महादेव’ जैसे अभियानों से प्राप्त सीखों का उपयोग करते हुए, भविष्य में आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी, खुफिया जानकारी और जन-भागीदारी के महत्व पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)
3. प्रश्न: आतंकवाद का मुकाबला करने में खुफिया जानकारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करें। ‘ऑप महादेव’ जैसे सफल ऑपरेशनों में खुफिया जानकारी जुटाने, उसके विश्लेषण और उसके उपयोग में विभिन्न एजेंसियों के समन्वय के महत्व का उदाहरण देते हुए समझाएं। (150 शब्द, 10 अंक)
4. प्रश्न: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीमा पार आतंकवाद एक महत्वपूर्ण चुनौती है। ‘ऑपरेशन महादेव’ जैसी घटनाएं इस समस्या की निरंतरता को दर्शाती हैं। आतंकवाद के मूल कारणों को दूर करने और ऐसे अभियानों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उपायों के एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विस्तृत चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)