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ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में हंगामा: 2014 के पहले के बम धमाके और पाकिस्तान नीति पर नड्डा के तीखे सवाल

ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में हंगामा: 2014 के पहले के बम धमाके और पाकिस्तान नीति पर नड्डा के तीखे सवाल

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारतीय संसद के उच्च सदन, राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने 2014 से पहले के राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार की पाकिस्तान के प्रति विदेश नीति की भी कड़ी आलोचना की, आरोप लगाते हुए कहा कि उस दौर में देश में जगह-जगह बम धमाके हो रहे थे, जबकि सरकार पाकिस्तान को ‘मिठाई खिलाती रही’। नड्डा के इस बयान ने न केवल राज्यसभा के सत्र में गरमा-गरमी पैदा की, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई और विदेश नीति के ऐतिहासिक संदर्भों को फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है।

यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे तौर पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’, ‘आतंकवाद’, ‘भारत की विदेश नीति’, ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ और ‘समसामयिक घटनाक्रम’ जैसे मुख्य परीक्षा के साथ-साथ प्रारंभिक परीक्षा के सिलेबस के महत्वपूर्ण हिस्सों से जुड़ा हुआ है। आइए, इस पूरे मुद्दे को गहराई से समझें, इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालें और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसका विश्लेषण करें।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और राज्यसभा की गरमागरम बहस

‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द का प्रयोग किस विशिष्ट घटना या मामले के लिए किया गया है, यह संदर्भ के अनुसार भिन्न हो सकता है, लेकिन राज्यसभा में इस पर हुई चर्चा का मुख्य आधार श्री नड्डा द्वारा उठाए गए मुद्दे थे। उन्होंने 2014 से पहले के भारत की सुरक्षा स्थिति को वर्तमान से तुलना करते हुए, तत्कालीन सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उनकी बातों के मुख्य बिंदु इस प्रकार थे:

  • बढ़ते आतंकी हमले: नड्डा ने दावा किया कि 2014 से पहले देश में नियमित अंतराल पर बम धमाके हो रहे थे, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती थे।
  • ‘मिठाई’ कूटनीति: उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार पर पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने ‘मिठाई खिलाना’ जैसी संज्ञा दी। इसका अर्थ यह था कि पाकिस्तान द्वारा की गई आतंकी गतिविधियों या उकसावों के बावजूद, भारत की प्रतिक्रिया पर्याप्त कठोर नहीं थी।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा में बदलाव: नड्डा ने अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दिया कि 2014 के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा स्थिति बेहतर हुई है।

यह बहस विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा, सरकारों की आतंकवाद से निपटने की क्षमता और कूटनीतिक रणनीतियों पर राजनीतिक विमर्श का प्रतिनिधित्व करती है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: 2014 से पहले का सुरक्षा परिदृश्य

श्री नड्डा द्वारा उठाए गए 2014 से पहले के सुरक्षा परिदृश्य को समझने के लिए, हमें उस दौर की कुछ प्रमुख घटनाओं और चुनौतियों पर एक नज़र डालनी होगी:

प्रमुख आतंकी हमले (2000-2014)

यह अवधि भारत के लिए गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का दौर रहा, जिसमें कई बड़े आतंकवादी हमले हुए:

  • 2001: संसद पर आतंकवादी हमला
  • 2006: मुंबई ट्रेन बम धमाके
  • 2008: मुंबई आतंकवादी हमला (26/11)
  • 2010: पुणे जर्मन बेकरी बम धमाका
  • 2013: हैदराबाद में धमाके
  • 2014: बोधगया मंदिर में धमाके

इन हमलों ने न केवल भारी जनहानि की, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़े किए।

पाकिस्तान के प्रति कूटनीतिक दृष्टिकोण (UPA शासन)

यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान, पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद को लेकर। सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखने की नीति अपनाई, जिसे अक्सर ‘संवाद की प्रक्रिया’ कहा जाता था। हालाँकि, पाकिस्तान द्वारा समर्थित या उसकी धरती से निर्देशित आतंकी हमलों ने इस संवाद को कई बार बाधित किया।

“भारत ने हमेशा पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखने का प्रयास किया, लेकिन जब भी सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा मिला, हमने अपनी दृढ़ता भी दिखाई।” – (यह एक सामान्य कूटनीतिक बयान का उदाहरण है, जो उस दौर की नीति को दर्शाता है)

नड्डा का ‘मिठाई खिलाना’ वाला बयान इसी ओर इशारा करता है कि, उनके अनुसार, यूपीए सरकार की पाकिस्तान नीति प्रतिक्रियात्मक और कमजोर थी, बजाय इसके कि वह आतंकवाद के स्रोत पर सीधा प्रहार करे या उस पर कड़ा दबाव बनाए।

राष्ट्रीय सुरक्षा: अवधारणाएं और सिद्धांत

राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें किसी राष्ट्र की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा शामिल है। UPSC के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न आयामों को समझना महत्वपूर्ण है:

  • पारंपरिक सुरक्षा: इसमें राज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सैन्य क्षमताएं, कूटनीति और गठबंधन शामिल हैं।
  • गैर-पारंपरिक सुरक्षा: इसमें आतंकवाद, सीमा पार अपराध, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरणीय खतरे, महामारी और मानव सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं।
  • आंतरिक सुरक्षा: देश के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखना, उग्रवाद, अलगाववाद और आतंकवाद का मुकाबला करना।
  • बाह्य सुरक्षा: पड़ोसी देशों के साथ संबंध, सीमा प्रबंधन, और बाहरी खतरों से निपटना।

श्री नड्डा के बयान ने विशेष रूप से ‘आतंकवाद’ (गैर-पारंपरिक) और ‘आंतरिक सुरक्षा’ के साथ-साथ ‘पाकिस्तान के साथ संबंध’ (बाह्य सुरक्षा का हिस्सा) पर ध्यान केंद्रित किया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस का UPSC के लिए महत्व

यह मुद्दा UPSC परीक्षा के कई पहलुओं को छूता है:

1. राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला

  • आतंकवाद के कारण: सीमा पार आतंकवाद, वैचारिक कट्टरवाद, राज्य प्रायोजित आतंकवाद।
  • आतंकवाद से निपटने के तरीके: सैन्य कार्रवाई, कूटनीति, खुफिया जानकारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, वित्तीय प्रतिबंध, कट्टरता को रोकना।
  • भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ: कश्मीर, पूर्वोत्तर, नक्सलवाद, शहरी आतंकवाद।
  • सुरक्षा तंत्र: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC), गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, खुफिया एजेंसियां (RAW, IB), अर्धसैनिक बल।

उदाहरण: 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत की प्रतिक्रिया, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाइयां, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्थापना – ये सभी भारत की सुरक्षा नीतियों के विकास को दर्शाते हैं।

2. भारत की विदेश नीति

  • पड़ोसी देशों के साथ संबंध: विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन के साथ।
  • कूटनीति के उपकरण: बातचीत, शिखर सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध।
  • ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति: वर्तमान सरकार की विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ।
  • ‘दृढ़ता’ बनाम ‘संवाद’: भारत की विदेश नीति में इन दोनों के बीच संतुलन।

केस स्टडी: भारत-पाकिस्तान के रिश्ते अक्सर ‘अविश्वास’ और ‘टकराव’ से भरे रहे हैं। 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत द्वारा बातचीत स्थगित करना, या हाल के वर्षों में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत का कड़ा रुख, विदेश नीति के बदलते आयामों को दिखाता है।

3. शासन और राजनीतिक आख्यान

  • राजनीतिक बयानबाजी: सरकारें अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा और शासन के मुद्दों का उपयोग जनसमर्थन जुटाने के लिए करती हैं।
  • विपक्षी दलों की भूमिका: मौजूदा सरकार की नीतियों की आलोचना करके वैकल्पिक आख्यान प्रस्तुत करना।
  • चुनाव और सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्री नड्डा का बयान एक राजनीतिक आख्यान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं के सामने एक स्पष्ट अंतर प्रस्तुत करना है – एक ‘कमजोर’ अतीत बनाम एक ‘मजबूत’ वर्तमान।

पक्ष और विपक्ष (Arguments For and Against)

नड्डा के दावों के पक्ष में (Arguments in Favor of Nadda’s Claims):

  • स्पष्ट नीति का अभाव: आलोचक मानते हैं कि यूपीए सरकार की पाकिस्तान नीति में अक्सर दोहराव और अस्पष्टता थी, जिससे पाकिस्तान को भारत के धैर्य को कमज़ोरी समझने का मौका मिला।
  • गंभीर हमलों का प्रभाव: 2008 के मुंबई हमलों जैसी घटनाओं ने दिखाया कि भारत की प्रतिक्रिया पर्याप्त निवारक नहीं थी।
  • आंतरिक सुरक्षा पर चिंता: 2014 से पहले देश के विभिन्न हिस्सों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने इस बात पर जोर दिया कि आंतरिक सुरक्षा को पर्याप्त प्राथमिकता नहीं दी जा रही थी।

नड्डा के दावों के विपक्ष में (Arguments Against Nadda’s Claims):

  • ‘मिठाई’ कूटनीति का सरलीकरण: यूपीए सरकार ने पाकिस्तान के साथ संवाद बनाए रखने का प्रयास किया, जिसका उद्देश्य तनाव को कम करना और शांतिपूर्ण समाधान खोजना था। इसे केवल ‘मिठाई खिलाना’ कहकर सरलीकृत करना कूटनीति की जटिलताओं की उपेक्षा है।
  • वैश्विक दबाव: उस समय भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में भी था कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखे, ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।
  • आतंकवाद की प्रकृति: पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद एक जटिल समस्या थी, जिसे केवल एक सरकार की नीति से हल नहीं किया जा सकता था। कई अंतरराष्ट्रीय कारक भी इसमें शामिल थे।
  • अन्य कारण: 2014 से पहले के सुरक्षा संबंधी मुद्दे केवल तत्कालीन सरकार की नीतियों तक सीमित नहीं थे, बल्कि इसमें देश की आंतरिक क्षमताएं, खुफिया तंत्र की प्रभावशीलता और वैश्विक भू-राजनीति भी शामिल थी।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

वर्तमान चुनौतियाँ:

  • सीमा पार आतंकवाद: पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
  • अफगानिस्तान का प्रभाव: अफगानिस्तान में बदलते घटनाक्रम का भारतीय उपमहाद्वीप की सुरक्षा पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
  • साइबर आतंकवाद और हाइब्रिड युद्ध: नए प्रकार के खतरे बढ़ रहे हैं।
  • असममित युद्ध: पारंपरिक युद्ध के बजाय, गैर-राज्य अभिकर्ताओं (non-state actors) के माध्यम से युद्ध।

भविष्य की राह:

  • दृढ़ और संतुलित नीति: आतंकवाद के विरुद्ध आक्रामक रणनीति के साथ-साथ कूटनीति का भी प्रभावी उपयोग।
  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र।
  • आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों पर प्रहार: मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर रोक।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सक्रिय भूमिका।
  • सामुदायिक जुड़ाव: उग्रवाद और कट्टरता को रोकने के लिए समाज के सभी वर्गों को जोड़ना।
  • तकनीकी उन्नयन: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग।

UPSC उम्मीदवारों को यह समझना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा कोई स्थिर विषय नहीं है, बल्कि यह निरंतर विकसित हो रही है। सरकारों के दावे और उनकी नीतियों का विश्लेषण आलोचनात्मक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए, जिसमें ऐतिहासिक संदर्भ, नीतिगत प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ शामिल हों।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा हाल ही में हुई।
2. भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने 2014 से पहले की यूपीए सरकार की पाकिस्तान नीति की आलोचना की।
3. नड्डा ने कहा कि 2014 से पहले देश में हर जगह बम ब्लास्ट होते थे।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: दिए गए समाचार के अनुसार, तीनों कथन सही हैं। नड्डा ने राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बोलते हुए 2014 से पहले के सुरक्षा हालात और यूपीए की पाकिस्तान नीति की आलोचना की।

2. 2014 से पहले भारत में हुए प्रमुख आतंकवादी हमलों में निम्नलिखित में से कौन सा एक शामिल नहीं है?
(a) 2001 संसद पर हमला
(b) 2008 मुंबई आतंकवादी हमला (26/11)
(c) 2015 पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर हमला
(d) 2010 पुणे जर्मन बेकरी बम धमाका
उत्तर: (c)
व्याख्या: पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर हमला 2016 में हुआ था, जो 2014 के बाद का घटनाक्रम है। अन्य सभी 2014 से पहले हुए थे।

3. ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के संदर्भ में, ‘गैर-पारंपरिक सुरक्षा’ में निम्नलिखित में से क्या शामिल है?
1. अंतर्राष्ट्रीय सीमा की रक्षा
2. आतंकवाद का मुकाबला
3. साइबर सुरक्षा
4. आर्थिक स्थिरता
सही कूट का प्रयोग करें:
(a) केवल 1 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (b)
व्याख्या: गैर-पारंपरिक सुरक्षा में आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, महामारी, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण जैसे मुद्दे शामिल होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सीमा की रक्षा पारंपरिक सुरक्षा का हिस्सा है।

4. निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के लिए नोडल एजेंसी है?
(a) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS)
(b) गृह मंत्रालय
(c) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
(d) सीमा सुरक्षा बल (BSF)
उत्तर: (c)
व्याख्या: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का गठन 2008 के मुंबई हमलों के बाद आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी के रूप में किया गया था।

5. ‘मिठाई कूटनीति’ जैसे शब्द का प्रयोग अक्सर उस नीति को दर्शाने के लिए किया जाता है जहाँ:
(a) दो देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है।
(b) एक देश दूसरे देश के प्रति नरम या रियायत देने वाला रवैया अपनाता है, खासकर प्रतिद्वंद्विता के बावजूद।
(c) आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
(d) सैन्य गठबंधन बनाए जाते हैं।
उत्तर: (b)
व्याख्या: यह शब्द आमतौर पर विरोधी या प्रतिद्वंद्वी देश के प्रति अत्यधिक उदार या क्षमाशील नीति को व्यंग्यात्मक रूप से व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

6. भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ (Neighbourhood First) नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) पड़ोसी देशों के साथ सैन्य अभ्यास बढ़ाना।
(b) अपने पड़ोसियों के साथ बहुआयामी जुड़ाव को प्राथमिकता देना।
(c) चीन के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतिक साझेदारी बनाना।
(d) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) को मजबूत करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का उद्देश्य भारत के पड़ोसियों के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करना है।

7. “संवाद की प्रक्रिया” (Process of Dialogue) भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख तत्व रही है, खासकर पाकिस्तान के संदर्भ में। इस नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) पाकिस्तान को पूरी तरह से अलग-थलग करना।
(b) अनसुलझे मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल करने का प्रयास करना।
(c) पाकिस्तान को हथियार की आपूर्ति करना।
(d) सीमा पर लगातार सैन्य तनाव बनाए रखना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: संवाद की प्रक्रिया का लक्ष्य तनाव को कम करना और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान से स्पष्टता और कार्रवाई की मांग करना होता है।

8. हाल के वर्षों में भारत की सुरक्षा रणनीतियों में किस प्रकार के युद्ध (Warfare) के बढ़ते महत्व को देखा गया है?
1. असममित युद्ध (Asymmetric Warfare)
2. साइबर युद्ध (Cyber Warfare)
3. हाइब्रिड युद्ध (Hybrid Warfare)
सही कूट का प्रयोग करें:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत को असममित युद्ध (जैसे आतंकवाद), साइबर युद्ध और हाइब्रिड युद्ध (विभिन्न प्रकार के राजनीतिक, आर्थिक, सूचनात्मक और सैन्य उपायों का मिश्रण) जैसे नए खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

9. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council – NSC) का प्रमुख कार्य क्या है?
(a) राष्ट्रीय खेलों का आयोजन करना।
(b) आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस बल का प्रबंधन करना।
(c) राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना।
(d) अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) प्रधान मंत्री के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर एक शीर्ष सलाहकार निकाय है।

10. 2014 से पहले भारत में बार-बार बम धमाकों के संदर्भ में, यह निम्न में से किस प्रकार की सुरक्षा चुनौती का संकेत देता है?
(a) केवल पारंपरिक सुरक्षा चुनौती
(b) केवल बाह्य सुरक्षा चुनौती
(c) मुख्य रूप से आंतरिक सुरक्षा चुनौती, जो बाह्य शक्तियों से प्रभावित हो सकती है
(d) केवल आर्थिक सुरक्षा चुनौती
उत्तर: (c)
व्याख्या: देश के भीतर बार-बार होने वाले बम धमाके सीधे तौर पर आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं, और अक्सर इनका संबंध सीमा पार आतंकवाद या बाहरी शक्तियों के समर्थन से होता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “2014 से पहले का भारत तीव्र आतंकवादी हमलों और पाकिस्तान के प्रति एक ‘नरम’ विदेश नीति का अनुभव कर रहा था।” इस कथन का विश्लेषण राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के संदर्भ में करें। उन कारकों पर प्रकाश डालें जिन्होंने इस धारणा को जन्म दिया और वर्तमान सरकार की नीतियों में क्या बदलाव देखे गए हैं।
(15 अंक, 250 शब्द)

2. भारत को आज किस प्रकार की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों खतरे शामिल हैं? पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों और आतंकवाद के मुकाबले की रणनीतियों के आलोक में इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की वर्तमान नीतियों और भविष्य की राह का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
(15 अंक, 250 शब्द)

3. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दों पर संसद में होने वाली चर्चाएं राजनीतिक आख्यान (political narrative) को कैसे आकार देती हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करने के क्या निहितार्थ हैं?
(10 अंक, 150 शब्द)

4. भारत की पाकिस्तान नीति को अक्सर ‘संवाद की प्रक्रिया’ और ‘दृढ़ता’ के बीच संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखा गया है। 2014 से पहले और बाद के घटनाक्रमों का उदाहरण देते हुए इस संतुलन पर चर्चा करें।
(15 अंक, 250 शब्द)

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