ऑपरेशन सिंदूर, ट्रम्प के दावे और संसद का अल्टीमेटम: भारत की विदेश नीति की अग्निपरीक्षा?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस चौंकाने वाले दावे ने भारतीय राजनीतिक गलियारों और कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, जिसमें उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” नामक एक गुप्त अमेरिकी सैन्य अभियान का जिक्र किया। ट्रम्प के अनुसार, इस ऑपरेशन का उद्देश्य भारत में ओसामा बिन लादेन को खोजना था। इस दावे ने न केवल भारत की संप्रभुता और खुफिया तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों की संवेदनशीलता को भी उजागर किया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में स्पष्टीकरण की मांग की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दृढ़ता से कहा है कि “कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चलेगा,” यानी सरकार के किसी अन्य मंत्री के बजाय प्रधानमंत्री स्वयं इस संवेदनशील मुद्दे पर जवाब दें। यह घटनाक्रम भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और संसदीय जवाबदेही के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है।
क्या है “ऑपरेशन सिंदूर” का दावा और इसका संदर्भ? (What is the Claim of “Operation Sindoor” and its Context?)
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी हालिया टिप्पणियों में दावा किया कि उनके प्रशासन के दौरान एक गुप्त अमेरिकी सैन्य अभियान, जिसे उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया, भारत में अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को खोजने के लिए चलाया गया था। ट्रम्प ने कथित तौर पर यह भी दावा किया कि बिन लादेन को भारत में पाया गया था, जबकि ऐतिहासिक रूप से यह स्थापित है कि वह 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में एक अमेरिकी ऑपरेशन (ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर) में मारा गया था।
- दावे का स्रोत: यह दावा डोनाल्ड ट्रम्प की सार्वजनिक टिप्पणियों और उनकी नई किताब से संबंधित बताया जा रहा है। ट्रम्प अक्सर अपने राजनीतिक अभियानों और सार्वजनिक भाषणों में विवादास्पद या असत्यापित दावे करते रहे हैं।
- लादेन का स्थान: यह सर्वविदित तथ्य है कि ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी नौसेना सील द्वारा मार गिराया गया था। ट्रम्प का यह दावा कि वह भारत में पाया गया था, तथ्यों के विपरीत है और गंभीर भ्रम पैदा करता है।
- “ऑपरेशन सिंदूर” की अस्पष्टता: “ऑपरेशन सिंदूर” नाम का कोई ज्ञात अमेरिकी सैन्य अभियान, विशेष रूप से भारत में, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी में मौजूद नहीं है। यह नाम या तो ट्रम्प द्वारा गढ़ा गया है, या किसी अन्य ऑपरेशन का गलत संदर्भ है, या यह वास्तव में एक अत्यंत गुप्त अभियान हो सकता है जिसके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। हालांकि, इसकी संभावना कम है।
- महत्व: यदि ऐसा कोई ऑपरेशन वास्तव में भारत में उसकी जानकारी या अनुमति के बिना हुआ होता, तो यह भारत की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन होता। यदि यह दावा गलत है, तो भी इसके राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ गंभीर हैं।
कांग्रेस के 3 सवाल और संसदीय जवाबदेही की मांग (Congress’s 3 Questions and Demand for Parliamentary Accountability)
ट्रम्प के दावों के सामने आने के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सरकार पर तीखे हमले किए हैं और प्रधानमंत्री से जवाबदेही मांगी है। जयराम रमेश ने विशेष रूप से 3 प्रमुख प्रश्न उठाए हैं:
- क्या ट्रम्प का “ऑपरेशन सिंदूर” का दावा सत्य है?
यह सबसे मूलभूत प्रश्न है। क्या भारत सरकार को ऐसे किसी ऑपरेशन की जानकारी थी? क्या ट्रम्प का दावा केवल एक चुनावी बयानबाजी है या इसमें कोई सच्चाई है? यदि ऐसा कोई ऑपरेशन हुआ, तो यह भारत की संप्रभुता का सीधा उल्लंघन होगा और देश की खुफिया एजेंसियों की विफलता पर सवाल उठाएगा। सरकार को इस दावे की सत्यता पर स्पष्ट और आधिकारिक रुख अपनाना चाहिए।
- यदि यह सत्य है, तो भारत सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी?
यदि ट्रम्प का दावा सही है और अमेरिका ने भारत में उसकी अनुमति के बिना एक गुप्त सैन्य अभियान चलाया, तो भारत सरकार ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी? क्या कोई विरोध दर्ज कराया गया? क्या राजनयिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाया गया? यह प्रश्न राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा में सरकार की तत्परता और क्षमता पर केंद्रित है।
- यदि यह असत्य है, तो सरकार अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस गलत जानकारी का खंडन कैसे करेगी?
यदि ट्रम्प का दावा निराधार है और एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा गलत सूचना फैलाई जा रही है, तो भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसका खंडन करे और भारत की छवि को किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से बचाए। अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसे दावों का प्रभावी ढंग से खंडन करना भारत की कूटनीतिक विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस की “कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चलेगा” की मांग इस बात पर जोर देती है कि यह मुद्दा इतना संवेदनशील है कि केवल प्रधानमंत्री ही संसद में इस पर जवाब दें। यह दर्शाता है कि विपक्ष इसे राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और भारत-अमेरिका संबंधों के एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में देखता है, जिस पर सर्वोच्च नेतृत्व की स्पष्टता आवश्यक है।
“लोकतंत्र में, संसद जनता के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही का सर्वोच्च मंच है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता जैसे संवेदनशील मुद्दे उठते हैं, तो प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत स्पष्टीकरण न केवल राजनीतिक आवश्यकता बन जाता है, बल्कि संवैधानिक नैतिकता का भी परिचायक होता है।”
भारत-अमेरिका संबंध: एक जटिल ताना-बाना (India-US Relations: A Complex Web)
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंध हाल के दशकों में एक रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुए हैं, जो वैश्विक भू-राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- रणनीतिक अभिसरण: दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, रक्षा सहयोग, व्यापार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर साझा हित रखते हैं। QUAD जैसे मंच इस साझेदारी को और मजबूत करते हैं।
- रक्षा सहयोग: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार और हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया है। नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास और खुफिया जानकारी साझा करना इस संबंध का अभिन्न अंग है।
- आर्थिक संबंध: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय डायस्पोरा भी संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- चुनौतियां: इन मजबूत संबंधों के बावजूद, चुनौतियां भी मौजूद हैं। इनमें व्यापार संबंधी मुद्दे (जैसे टैरिफ), वीजा नीतियां, मानवाधिकारों पर कभी-कभी अलग-अलग दृष्टिकोण, और भारत की रूस के साथ ऐतिहासिक रक्षा संबंध (जो CAATSA जैसे अमेरिकी कानूनों के तहत तनाव पैदा कर सकते हैं) शामिल हैं।
ट्रम्प का “ऑपरेशन सिंदूर” का दावा, चाहे वह सत्य हो या असत्य, इन संबंधों पर एक संभावित ग्रहण लगा सकता है। यदि सत्य है, तो यह विश्वास का गंभीर उल्लंघन है; यदि असत्य है, तो यह गलत सूचना के प्रसार और एक महत्वपूर्ण सहयोगी के बारे में अनर्गल बयानबाजी का उदाहरण है, जिससे संबंधों में अनावश्यक खटास आ सकती है।
संसदीय जवाबदेही और विदेश नीति (Parliamentary Accountability and Foreign Policy)
संसद में विदेश नीति पर चर्चा और जवाबदेही किसी भी जीवंत लोकतंत्र का एक अनिवार्य पहलू है।
- कार्यपालिका पर नियंत्रण: संसद, विशेषकर लोकसभा, सरकार की विदेश नीति पर निगरानी रखती है। यह सुनिश्चित करती है कि सरकार की नीतियां राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हों और पारदर्शिता बनाए रखी जाए।
- सार्वजनिक बहस: संसद में होने वाली बहसें जनता को महत्वपूर्ण विदेशी मामलों के बारे में सूचित करती हैं और विभिन्न दृष्टिकोणों को सामने लाती हैं।
- राष्ट्रीय सर्वसम्मति: महत्वपूर्ण कूटनीतिक मुद्दों पर संसदीय बहस राष्ट्रीय सर्वसम्मति बनाने में मदद कर सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति मजबूत होती है।
- जयराम रमेश का जोर: “कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चलेगा” की टिप्पणी इस बात पर जोर देती है कि जब राष्ट्रीय संप्रभुता और विदेशी सैन्य अभियानों जैसे गंभीर आरोप हों, तो प्रधानमंत्री (जो विदेश मंत्रालय का प्रभार भी संभाल सकते हैं या नीति निर्माण में अंतिम प्राधिकारी होते हैं) का सीधा हस्तक्षेप आवश्यक है। यह केवल एक राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि संसदीय प्रक्रियाओं में प्रधानमंत्री के पद के महत्व और उनकी अंतिम जवाबदेही को रेखांकित करता है।
भारत के लिए कूटनीतिक निहितार्थ और चुनौतियाँ (Diplomatic Implications and Challenges for India)
ट्रम्प के दावे और उस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया ने भारत के लिए कई कूटनीतिक चुनौतियाँ खड़ी की हैं:
- राष्ट्रीय संप्रभुता का मुद्दा: यदि ट्रम्प का दावा सच होता है, तो यह भारत की संप्रभुता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। किसी भी विदेशी शक्ति द्वारा भारत की अनुमति के बिना उसकी धरती पर सैन्य अभियान चलाना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा।
- विश्वास का क्षरण: यदि भारत-अमेरिका संबंधों के भीतर ऐसे गुप्त अभियान हुए हैं, तो यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर करेगा। विश्वास किसी भी मजबूत द्विपक्षीय संबंध का आधार होता है।
- गलत सूचना का प्रबंधन: यदि ट्रम्प का दावा असत्य है, तो भारत को एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा फैलाई गई गलत सूचना का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना होगा। ऐसे झूठे दावों को अनियंत्रित छोड़ना भारत की छवि और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।
- घरेलू राजनीतिक दबाव: विपक्ष द्वारा संसद में स्पष्टीकरण की मांग सरकार पर घरेलू राजनीतिक दबाव बनाती है। सरकार को राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए इस दबाव को संतुलित करना होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय छवि: यह घटना भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर प्रभाव डाल सकती है। यदि यह धारणा बनती है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में विफल रहा है, तो यह उसकी वैश्विक स्थिति को कमजोर कर सकता है।
- गुप्त खुफिया जानकारी: यदि ऐसा कोई ऑपरेशन वास्तव में हुआ था, तो यह भारत की खुफिया जानकारी साझा करने की प्रक्रियाओं और क्षमताओं पर भी सवाल उठाता है। क्या भारत के पास ऐसी किसी गतिविधि को रोकने या उसका पता लगाने के लिए पर्याप्त तंत्र थे?
आगे की राह (Way Forward)
इस संवेदनशील मामले को संबोधित करने के लिए भारत सरकार के समक्ष कई विकल्प और कार्यप्रणालियाँ हैं:
- संसद में स्पष्टीकरण: सबसे तत्काल आवश्यकता संसद में एक व्यापक और निर्णायक स्पष्टीकरण प्रदान करना है। प्रधानमंत्री स्वयं या विदेश मंत्री के माध्यम से, इस मुद्दे पर सरकार का आधिकारिक रुख स्पष्ट करें। यह न केवल विपक्ष के सवालों का जवाब देगा बल्कि जनता को भी आश्वस्त करेगा।
- राजनयिक चैनलों का उपयोग: भारत को अमेरिकी सरकार से आधिकारिक तौर पर संपर्क करना चाहिए और ट्रम्प के दावों की सत्यता पर स्पष्टीकरण मांगना चाहिए। यदि दावा झूठा है, तो अमेरिका को इसे सार्वजनिक रूप से खंडन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- गलत सूचना का खंडन: यदि दावा निराधार है, तो भारत को सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और मीडिया के माध्यम से इसका खंडन करना चाहिए। विदेश मंत्रालय को एक विस्तृत बयान जारी करना चाहिए जो तथ्यों को स्पष्ट करे।
- द्विपक्षीय संबंधों का सुदृढ़ीकरण: इस घटना को भारत-अमेरिका संबंधों में विश्वास बहाली के अवसर के रूप में देखा जा सकता है। दोनों देशों को रणनीतिक पारदर्शिता और खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को और मजबूत करना चाहिए।
- राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की समीक्षा: चाहे दावा सत्य हो या असत्य, यह घटना भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया तंत्रों की एक आंतरिक समीक्षा का अवसर प्रदान करती है, ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी संभावित घुसपैठ को रोका जा सके।
अंततः, इस मुद्दे का प्रबंधन भारत की कूटनीतिक परिपक्वता, उसकी राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति प्रतिबद्धता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को जटिल परिस्थितियों में संचालित करने की उसकी क्षमता का एक महत्वपूर्ण परीक्षण होगा। भारत को न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है, बल्कि एक जिम्मेदार और संप्रभु वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी छवि भी बनाए रखनी है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें)
-
हाल ही में चर्चा में रहा “ऑपरेशन सिंदूर” किससे संबंधित है?
(a) भारत द्वारा शुरू किया गया एक सीमा सुरक्षा अभियान।
(b) अमेरिका द्वारा भारत में ओसामा बिन लादेन को खोजने का डोनाल्ड ट्रम्प का दावा।
(c) भारत और अमेरिका के बीच एक संयुक्त आतंकवाद विरोधी सैन्य अभ्यास।
(d) भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक आर्थिक सुधार कार्यक्रम।
उत्तर: (b)
व्याख्या: “ऑपरेशन सिंदूर” पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस दावे से संबंधित है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत में ओसामा बिन लादेन को खोजने के लिए यह गुप्त अभियान चलाया था। -
ओसामा बिन लादेन को किस देश में अमेरिकी सेना द्वारा मारा गया था?
(a) अफगानिस्तान
(b) इराक
(c) पाकिस्तान
(d) यमन
उत्तर: (c)
व्याख्या: ओसामा बिन लादेन को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी नौसेना सील द्वारा “ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर” में मार गिराया गया था। -
भारत में कार्यपालिका की जवाबदेही के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- मंत्री सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- प्रधानमंत्री का संसद में व्यक्तिगत रूप से जवाब देना केवल राजनीतिक औपचारिकता है, संवैधानिक आवश्यकता नहीं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल I और II
(c) केवल II और III
(d) I, II और III
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्री सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं। अनुच्छेद 75(2) के अनुसार, मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं। प्रधानमंत्री का संसद में जवाब देना महत्वपूर्ण संवैधानिक और लोकतांत्रिक आवश्यकता है, विशेषकर संवेदनशील मुद्दों पर। -
हाल ही में, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने “कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चलेगा” टिप्पणी का प्रयोग किस संदर्भ में किया?
(a) क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम के चयन पर।
(b) संसद में ट्रम्प के दावों पर प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत जवाब की मांग के संबंध में।
(c) आर्थिक नीति पर वित्त मंत्री की अनुपस्थिति के संबंध में।
(d) रक्षा खरीद में पारदर्शिता की कमी पर।
उत्तर: (b)
व्याख्या: जयराम रमेश ने यह टिप्पणी डोनाल्ड ट्रम्प के “ऑपरेशन सिंदूर” के दावे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में सीधे जवाब की मांग करते हुए की। -
निम्नलिखित में से कौन-सा भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ नहीं है?
(a) रक्षा सहयोग
(b) आतंकवाद विरोधी प्रयास
(c) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा
(d) शीत युद्ध युग की गुटनिरपेक्ष नीति का पुनरुद्धार
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत-अमेरिका संबंध शीत युद्ध के बाद से काफी विकसित हुए हैं और अब गुटनिरपेक्ष नीति के बजाय रणनीतिक साझेदारी और बहु-संरेखण पर केंद्रित हैं। -
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में, “संप्रभुता” (Sovereignty) का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?
(a) एक राष्ट्र की सैन्य शक्ति।
(b) एक राज्य की बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने क्षेत्र पर सर्वोच्च अधिकार रखने की क्षमता।
(c) एक देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता।
(d) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति।
उत्तर: (b)
व्याख्या: संप्रभुता एक राज्य की वह सर्वोच्च शक्ति है जिसके तहत वह बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के अपने आंतरिक और बाहरी मामलों को नियंत्रित कर सकता है। -
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों का सबसे अच्छा वर्णन करता है?
(a) अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता है, और दोनों देश नियमित संयुक्त अभ्यास करते हैं।
(b) भारत और अमेरिका के बीच कोई महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग नहीं है।
(c) भारत अमेरिका से केवल छोटे हथियार खरीदता है, बड़े सैन्य प्लेटफॉर्म नहीं।
(d) अमेरिका भारत का मुख्य रक्षा भागीदार नहीं है, बल्कि रूस है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: अमेरिका हाल के वर्षों में भारत का एक प्रमुख रक्षा भागीदार बन गया है, जो उन्नत सैन्य उपकरण और प्रौद्योगिकी प्रदान करता है, और दोनों देश नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास में संलग्न होते हैं। -
भारत में संसदीय बहस और कार्यपालिका की जवाबदेही का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- सार्वजनिक नीति निर्माण में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- सरकार के निर्णयों पर निगरानी रखना।
- राष्ट्रीय सहमति और जनता का विश्वास प्राप्त करना।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) केवल I और II
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
व्याख्या: संसदीय बहसें और कार्यपालिका की जवाबदेही लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जो पारदर्शिता, निगरानी, राष्ट्रीय सहमति और जनता का विश्वास सुनिश्चित करते हैं। -
“CAATSA” (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) किस देश से संबंधित अमेरिकी कानून है जो भारत-रूस रक्षा संबंधों को प्रभावित कर सकता है?
(a) ईरान
(b) उत्तर कोरिया
(c) रूस
(d) चीन
उत्तर: (c)
व्याख्या: CAATSA एक अमेरिकी संघीय कानून है जो रूस, ईरान और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून उन देशों पर भी प्रतिबंध लगा सकता है जो इन देशों से महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण खरीदते हैं, जिससे भारत के रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने पर असर पड़ सकता है। -
यदि कोई देश किसी दूसरे संप्रभु राष्ट्र की अनुमति के बिना उसके क्षेत्र में सैन्य अभियान चलाता है, तो इसे आमतौर पर क्या माना जाता है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय सहायता
(b) संप्रभुता का उल्लंघन
(c) एक संयुक्त अभ्यास
(d) शांति स्थापना अभियान
उत्तर: (b)
व्याख्या: किसी संप्रभु राष्ट्र की अनुमति के बिना उसके क्षेत्र में सैन्य अभियान चलाना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन माना जाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
(निम्नलिखित विश्लेषणात्मक प्रश्नों के उत्तर लगभग 250-400 शब्दों में दें)
- डोनाल्ड ट्रम्प के “ऑपरेशन सिंदूर” के दावे ने भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाए हैं। इस दावे के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करें और बताएं कि यह घटना भारत-अमेरिका संबंधों और भारत की विदेश नीति के लिए क्या चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।
- “संसद कार्यपालिका की जवाबदेही का सर्वोच्च मंच है।” इस कथन के आलोक में, भारत जैसे लोकतंत्र में संसदीय बहसों का महत्व समझाएं, विशेषकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक संवेदनशीलता से जुड़े मुद्दे सामने आते हैं। जयराम रमेश की “कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चलेगा” टिप्पणी का इस संदर्भ में विश्लेषण करें।
- भारत-अमेरिका संबंध रणनीतिक अभिसरण और जटिल चुनौतियों के एक अनूठे मिश्रण को दर्शाते हैं। वर्तमान घटनाक्रम (ट्रम्प के दावे) इस संबंध को कैसे प्रभावित कर सकता है? भारत को भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने और अपनी कूटनीतिक विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
- गलत सूचना (disinformation) का प्रसार आधुनिक वैश्विक राजनीति में एक बढ़ती हुई चुनौती है। “ऑपरेशन सिंदूर” के दावे के संदर्भ में, सरकार के लिए गलत सूचना का प्रभावी ढंग से खंडन करना और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना क्यों महत्वपूर्ण है? आप इस चुनौती से निपटने के लिए क्या रणनीतिक सुझाव देंगे?