ऑपरेशन सिंदूर: अमेरिकी उपराष्ट्रपति के साथ पीएम की कॉल – कूटनीति, सहयोग और सुरक्षा के मायने
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने एक ऑपरेशन के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति के साथ हुई अपनी बातचीत के बारे में एक महत्वपूर्ण खुलासा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने उनसे कई बार संपर्क करने का प्रयास किया था। यह बयान, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में, न केवल एक विशेष घटना पर प्रकाश डालता है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों की जटिलताओं, भू-राजनीतिक परिदृश्य और संकटकालीन कूटनीति के महत्व को भी रेखांकित करता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति जैसे विषयों को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
यह ब्लॉग पोस्ट ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के इर्द-गिर्द की घटनाओं, प्रधान मंत्री के बयान के निहितार्थों, भारत-अमेरिका संबंधों पर इसके प्रभाव, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर: एक सिंहावलोकन
‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक कूटनीतिक और सुरक्षा-संबंधी संदर्भ में इस्तेमाल किया गया शब्द है, जिसका सीधा संबंध किसी विशेष घटना या मिशन से हो सकता है। हालांकि सार्वजनिक डोमेन में इस ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी सीमित हो सकती है (जो अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से होता है), इसके संदर्भ से यह स्पष्ट है कि यह एक संवेदनशील स्थिति थी जिसमें भारत की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस ऑपरेशन की प्रकृति ऐसी रही होगी कि इसमें अन्य देशों, विशेष रूप से प्रमुख शक्तियों के साथ समन्वय और संचार की आवश्यकता पड़ी हो।
यह संभव है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संबंध किसी मानवीय सहायता मिशन, आतंकवाद विरोधी अभियान, या किसी क्षेत्रीय सुरक्षा संकट से रहा हो, जिसमें भारत की भागीदारी ने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया हो। ऐसे मिशनों में, प्रमुख देशों के नेताओं के बीच सीधा संचार, विशेष रूप से संकट के समय, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है।
प्रधान मंत्री का बयान: ‘उन्होंने मुझे कई बार फोन किया, लेकिन…’
प्रधान मंत्री का यह बयान अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:
- संवाद की अहमियत को उजागर करता है: यह दर्शाता है कि प्रमुख देशों के नेताओं के बीच संपर्क बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर अनिश्चित या संकटपूर्ण समय में।
- अमेरिका की भागीदारी का संकेत देता है: अमेरिकी उपराष्ट्रपति द्वारा बार-बार संपर्क का प्रयास, क्षेत्र में या घटना के संबंध में अमेरिका की रुचि और चिंता को दर्शाता है।
- कूटनीतिक जटिलताओं को दर्शाता है: ‘लेकिन…’ (but…) शब्द यह भी संकेत दे सकता है कि संपर्क स्थापित होने के बावजूद, कुछ कूटनीतिक या लॉजिस्टिक बाधाएं हो सकती हैं, या बातचीत उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं बढ़ी हो। यह कूटनीति की वास्तविकताओं को दर्शाता है, जो अक्सर सीधी और सरल नहीं होतीं।
- भारत की स्थिति को मजबूत करता है: यह दर्शाता है कि भारत ऐसे महत्वपूर्ण क्षणों में अपने हित साधने और अपने सहयोगियों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम है।
यह बयान, एक शिक्षक के दृष्टिकोण से, छात्रों को यह सिखाता है कि समाचारों में केवल सतही जानकारी न देखें, बल्कि उसके पीछे के गहरे अर्थों और निहितार्थों को समझने का प्रयास करें।
भारत-अमेरिका संबंध: एक बहुआयामी साझेदारी
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में अमेरिकी उपराष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत, भारत-अमेरिका संबंधों की व्यापक प्रकृति का एक प्रतिबिंब है। यह संबंध केवल रक्षा या आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक साझेदारी है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक शासन जैसे मुद्दों पर फैली हुई है।
“भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध 21वीं सदी में परिभाषित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है।” – पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री、
इस साझेदारी के प्रमुख स्तंभों में शामिल हैं:
- रणनीतिक और रक्षा सहयोग: भारत और अमेरिका विभिन्न रक्षा अभ्यासों (जैसे ‘मालाबार’ और ‘युद्ध अभ्यास’), संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, और रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में भाग लेते हैं। अमेरिका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा भागीदार है।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध: दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है। अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करती हैं, और भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: दोनों देश अंतरिक्ष, डिजिटल प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग करते हैं।
- साझा लोकतांत्रिक मूल्य: दोनों देश दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों में से हैं, जो साझा मूल्यों पर आधारित हैं।
- भू-राजनीतिक संरेखण: विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। क्वाड (QUAD) जैसे मंच इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री की अमेरिकी उपराष्ट्रपति के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान बातचीत, इस व्यापक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण पहलू – संकटकालीन कूटनीति और आपसी समन्वय – को दर्शाती है।
कूटनीति में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का महत्व
किसी भी ‘ऑपरेशन’ या संकट के दौरान, कूटनीति सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक बन जाती है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मामले में, अमेरिकी उपराष्ट्रपति का संपर्क भारत के लिए कई संकेत लेकर आया होगा:
- अंतर्राष्ट्रीय समर्थन: अमेरिकी उपराष्ट्रपति का संपर्क यह दर्शाता है कि अमेरिका इस ऑपरेशन को महत्वपूर्ण मानता है और संभवतः भारत के रुख का समर्थन करता है, या कम से कम स्थिति को समझने में रुचि रखता है।
- सूचना का आदान-प्रदान: ऐसे संकटों में, देशों के बीच सटीक और समय पर सूचना का आदान-प्रदान गलतफहमी को रोकने और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- सहयोग के अवसर: अमेरिकी संपर्क से यह भी संकेत मिल सकता है कि अमेरिका सहयोग के लिए तैयार है, चाहे वह लॉजिस्टिक्स, खुफिया जानकारी, या राजनयिक समर्थन के रूप में हो।
- कूटनीतिक संतुलन: भारत को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि वह अपनी राष्ट्रीय हितों को साधते हुए अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करे। इस बातचीत ने संभवतः इस संतुलन को बनाए रखने में मदद की होगी।
उपमा: सोचिए जैसे एक टीम खेल रही हो और एक खिलाड़ी घायल हो जाए। उस समय, टीम के कप्तान (प्रधानमंत्री) को न केवल अपनी टीम (भारत) की स्थिति को संभालना होता है, बल्कि विरोधी टीम (यदि कोई हो) और रेफरी (अंतर्राष्ट्रीय समुदाय) के साथ भी प्रभावी ढंग से संवाद करना होता है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति का फोन, एक महत्वपूर्ण टीम के सदस्य या एक विश्वसनीय रेफरी से संपर्क के समान है, जो स्थिति को समझने और समाधान खोजने में मदद कर सकता है।
चुनौतियाँ और अवसर
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मिशनों और उनके दौरान होने वाली कूटनीतिक बातचीत में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
चुनौतियाँ:
- सूचना की कमी: अक्सर, संकट के शुरुआती चरणों में, पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं होती है, जिससे निर्णय लेना कठिन हो जाता है।
- विभिन्न हित: विभिन्न देशों के हित अलग-अलग हो सकते हैं, जिससे सर्वसम्मति बनाना मुश्किल हो जाता है।
- गलत सूचना और दुष्प्रचार: विशेष रूप से आज के डिजिटल युग में, गलत सूचनाएं फैल सकती हैं जो जमीनी हकीकत को विकृत कर सकती हैं।
- लॉजिस्टिक्स और समय की कमी: संकटकालीन स्थितियों में, त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, लेकिन लॉजिस्टिक्स और संचार में देरी हो सकती है।
- कूटनीतिक दबाव: भारत पर अपनी विदेश नीति के संबंध में विभिन्न शक्तियों से दबाव आ सकता है।
अवसर:
- रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना: ऐसे अवसर भारत को अमेरिका जैसी प्रमुख शक्तियों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने का मौका देते हैं।
- वैश्विक नेतृत्व का प्रदर्शन: संकटों से प्रभावी ढंग से निपटने की भारत की क्षमता वैश्विक मंच पर उसके नेतृत्व को मजबूत करती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना: कूटनीतिक सफलता से राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
- अपनी कूटनीतिक क्षमता का प्रदर्शन: इस प्रकार की बातचीतें भारत की परिष्कृत कूटनीतिक मशीनरी और संकट प्रबंधन क्षमताओं को प्रदर्शित करती हैं।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई महत्वपूर्ण विषयों के लिए प्रासंगिक है:
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR): भारत-अमेरिका संबंध, क्वाड, भू-राजनीति, क्षेत्रीय सुरक्षा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: सीमा सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, रक्षा कूटनीति।
- विदेश नीति: भारत की विदेश नीति के सिद्धांत, बहु-ध्रुवीय विश्व में भारत की स्थिति।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन और मंच: UNSC, G20, SCO आदि में भारत की भूमिका।
- समसामयिक मामले (Current Affairs): हाल की घटनाओं का विश्लेषण और उनके दीर्घकालिक प्रभाव।
कैसे तैयारी करें?
UPSC उम्मीदवारों को ऐसे समाचारों का विश्लेषण करते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:
- घटना का संदर्भ समझें: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या था? इसका उद्देश्य क्या था?
- संबंधित देशों के हित पहचानें: भारत और अमेरिका के इस ऑपरेशन में क्या हित थे?
- द्विपक्षीय संबंधों का विश्लेषण करें: इस घटना का भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- भू-राजनीतिक प्रभाव का आकलन करें: यह घटना क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति को कैसे प्रभावित करती है?
- कूटनीतिक बारीकियों को समझें: ‘उन्होंने कई बार फोन किया, लेकिन…’ जैसे बयानों के पीछे छिपे अर्थों को समझें।
भविष्य की राह: भारत-अमेरिका सहयोग को मजबूत करना
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे क्षण भारत-अमेरिका संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भविष्य में, दोनों देशों को:
- निरंतर संवाद बनाए रखना: संकट और शांति दोनों समय में उच्च-स्तरीय संवाद जारी रखना महत्वपूर्ण है।
- विश्वास निर्माण: साझा हितों को बढ़ावा देने और गलतफहमी को कम करने के लिए विश्वास निर्माण उपायों पर काम करना।
- रणनीतिक समन्वय बढ़ाना: हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपनी रणनीतियों का समन्वय करना।
- पारस्परिक समझ बढ़ाना: दोनों देशों की जटिलताओं और राष्ट्रीय हितों को समझना और उनका सम्मान करना।
- आर्थिक और तकनीकी सहयोग को गहरा करना: साझेदारी को और मजबूत करने के लिए इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना।
प्रधानमंत्री का बयान एक अनुस्मारक है कि कूटनीति एक सतत प्रक्रिया है, जो कभी-कभी पृष्ठभूमि में काम करती है और कभी-कभी प्रमुखता से सामने आती है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उससे जुड़ी बातचीत, भारत की परिष्कृत कूटनीतिक क्षमताओं का एक उदाहरण है, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में प्रधान मंत्री के बयान का मुख्य निहितार्थ क्या था?
(a) अमेरिकी उपराष्ट्रपति से कोई संपर्क नहीं हुआ।
(b) अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कई बार संपर्क करने का प्रयास किया।
(c) ऑपरेशन को लेकर अमेरिकी उपराष्ट्रपति चिंतित थे।
(d) भारत को अमेरिकी सहायता की आवश्यकता थी।
उत्तर: (b)
व्याख्या: प्रधानमंत्री के बयान में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने उनसे ‘कई बार’ संपर्क करने का प्रयास किया था। यह संपर्क के प्रयास को दर्शाता है, न कि संपर्क की पूर्ण अनुपस्थिति या किसी विशिष्ट चिंता को। - प्रश्न 2: भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(a) यह केवल रक्षा सहयोग तक सीमित है।
(b) इसमें प्रौद्योगिकी और नवाचार का सहयोग शामिल है।
(c) दोनों देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हैं।
(d) हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा एक साझा चिंता है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: भारत-अमेरिका साझेदारी बहुआयामी है और इसमें रक्षा, आर्थिक, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और भू-राजनीतिक सहयोग शामिल हैं; यह केवल रक्षा तक सीमित नहीं है। - प्रश्न 3: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति द्वारा बार-बार संपर्क का प्रयास निम्नलिखित में से किस बात का संकेत दे सकता है?
1. अमेरिका की इस ऑपरेशन में गहरी रुचि।
2. जानकारी के आदान-प्रदान की आवश्यकता।
3. सहयोग की संभावना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: किसी प्रमुख राष्ट्र के उच्च अधिकारी का बार-बार संपर्क स्थापित करना, उस मामले में उनकी गहरी रुचि, सूचना के आदान-प्रदान की इच्छा और सहयोग की संभावना को दर्शाता है। - प्रश्न 4: प्रधान मंत्री के बयान में ‘लेकिन…’ (but…) शब्द कूटनीति के किस पहलू की ओर इशारा करता है?
(a) संचार की पूर्ण सफलता।
(b) संवाद में आने वाली बाधाएं या जटिलताएं।
(c) अमेरिकी प्रस्तावों की अस्वीकृति।
(d) सहयोग की पूर्ण अनुपस्थिति।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘लेकिन…’ शब्द अक्सर संवाद या प्रक्रिया में आने वाली किसी बाधा, जटिलता या अपेक्षा से भिन्न परिणाम को इंगित करता है। - प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मंच भारत और अमेरिका के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है?
(a) BRICS
(b) G20
(c) QUAD (क्वाड)
(d) SCO (शांघाई सहयोग संगठन)
उत्तर: (c)
व्याख्या: क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद) में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं और यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा रणनीतिक हितों पर सहयोग पर केंद्रित है। - प्रश्न 6: किसी संकटकालीन मिशन के दौरान प्रभावी कूटनीति का एक मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) अन्य देशों की राय को पूरी तरह से अनदेखा करना।
(b) गलतफहमी को रोकना और सहयोग सुनिश्चित करना।
(c) केवल राष्ट्रीय हितों को ही सर्वोपरि रखना, भले ही दूसरों को नुकसान हो।
(d) सार्वजनिक रूप से अपने विरोधियों की आलोचना करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: प्रभावी कूटनीति का उद्देश्य संवाद, सूचना के आदान-प्रदान और सहयोग के माध्यम से गलतफहमी को दूर करना और समाधान खोजना है। - प्रश्न 7: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में, प्रधान मंत्री का बयान किस प्रकार की कूटनीति का उदाहरण है?
(a) सार्वजनिक कूटनीति
(b) संकटकालीन कूटनीति
(c) आर्थिक कूटनीति
(d) सांस्कृतिक कूटनीति
उत्तर: (b)
व्याख्या: यह बयान एक विशेष ‘ऑपरेशन’ या संभावित संकट के संदर्भ में दिया गया था, जो इसे संकटकालीन कूटनीति का हिस्सा बनाता है। - प्रश्न 8: भारत-अमेरिका संबंधों का कौन सा पहलू उनके बीच ‘साझा लोकतांत्रिक मूल्य’ को दर्शाता है?
(a) संयुक्त सैन्य अभ्यास
(b) द्विपक्षीय व्यापार समझौता
(c) दोनों देशों में शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली
(d) अंतरिक्ष सहयोग
उत्तर: (c)
व्याख्या: साझा लोकतांत्रिक मूल्य उन राजनीतिक प्रणालियों को संदर्भित करते हैं जो स्वतंत्रता, चुनाव और मानवाधिकारों पर आधारित हैं। - प्रश्न 9: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी घटनाओं से भारत को किस प्रकार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं?
1. अपनी भू-राजनीतिक प्रासंगिकता बढ़ाना।
2. प्रमुख शक्तियों के साथ संबंधों को मजबूत करना।
3. राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र का परीक्षण करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: ऐसी घटनाएं भारत को अपनी वैश्विक भूमिका, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और राष्ट्रीय सुरक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करने और मजबूत करने का अवसर प्रदान करती हैं। - प्रश्न 10: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक गुप्त सैन्य अभियान हो सकता है।
2. प्रधान मंत्री का बयान भारत की कूटनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है।
कौन सा कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘ऑपरेशन’ शब्द अक्सर गुप्त सैन्य या कूटनीतिक मिशनों के लिए इस्तेमाल होता है। प्रधान मंत्री द्वारा जानबूझकर और सोच-समझकर दिया गया बयान, अपनी कूटनीतिक क्षमताओं और संबंधों के प्रबंधन में परिपक्वता को दर्शाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में प्रधान मंत्री के बयान का विश्लेषण करते हुए, भारत-अमेरिका संबंधों की गतिशीलता और संकटकालीन कूटनीति में इसके महत्व पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी घटनाओं से उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों का मूल्यांकन करें, खासकर भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 3: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी की व्याख्या करें और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी घटनाओं के माध्यम से इस साझेदारी के मजबूत होने की संभावनाओं पर प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 4: समकालीन भू-राजनीतिक परिदृश्य में, प्रमुख शक्तियों के बीच शीर्ष-स्तरीय संचार का महत्व क्या है? ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान प्रधानमंत्री और अमेरिकी उपराष्ट्रपति के बीच बातचीत के प्रकाश में समझाएं। (150 शब्द, 10 अंक)