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एयर इंडिया 171 की तबाही: सुरक्षा के ‘रेड फ्लैग्स’ और भविष्य की राह – एक विस्तृत विश्लेषण

एयर इंडिया 171 की तबाही: सुरक्षा के ‘रेड फ्लैग्स’ और भविष्य की राह – एक विस्तृत विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में एयर इंडिया की उड़ान AI 171 के साथ हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने विमानन सुरक्षा के गंभीर सवालों को फिर से जन्म दिया है। इस दुर्घटना के बाद, जो चिंताजनक ‘रेड फ्लैग्स’ (लाल झंडे) सामने आए हैं, उन्होंने सरकार और राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया को सुरक्षा उपायों पर गहन विचार-विमर्श करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह घटना न केवल एयर इंडिया के लिए, बल्कि पूरे भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण वेक-अप कॉल है, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल देती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम AI 171 दुर्घटना के संदर्भ में सुरक्षा के मुद्दों, सरकार और एयर इंडिया द्वारा उठाए जा रहे कदमों, और भारतीय विमानन सुरक्षा के भविष्य की दिशा का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

1. AI 171 दुर्घटना: एक अवलोकन और सुरक्षा के ‘रेड फ्लैग्स’

किसी भी विमान दुर्घटना का विवरण अपने आप में एक दुखद घटना होती है, लेकिन जब यह किसी राष्ट्र के गौरवशाली विमान सेवा से जुड़ी हो, तो इसका प्रभाव और भी गहरा हो जाता है। AI 171 के साथ जो हुआ, वह कोई साधारण तकनीकी खराबी या मानवीय भूल का मामला नहीं था, बल्कि इसने कई अंतर्निहित सुरक्षा चिंताओं को उजागर किया है, जिन्हें ‘रेड फ्लैग्स’ के रूप में पहचाना गया है।

1.1 क्या थे ‘रेड फ्लैग्स’?

AI 171 से जुड़ी दुर्घटना के विशिष्ट विवरणों के सार्वजनिक होने के बाद, विमानन सुरक्षा विशेषज्ञों और नियामक निकायों ने कई चिंताजनक पहलुओं की ओर इशारा किया है। ये ‘रेड फ्लैग्स’ निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • पुराने या खराब रखरखाव वाले विमान: क्या जिस विमान का उपयोग किया गया, वह अपनी आयु सीमा के करीब था या उसका रखरखाव निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं किया गया था? पुरानी एयरलाइनों के लिए, बेड़े का आधुनिकीकरण एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है।
  • पायलटों की थकान या प्रशिक्षण की कमी: क्या पायलटों को पर्याप्त आराम मिल रहा था? क्या वे नवीनतम सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपातकालीन प्रक्रियाओं में अच्छी तरह से प्रशिक्षित थे? एयरलाइन कंपनियाँ अक्सर लागत कम करने के लिए प्रशिक्षण और उड़ान घंटों पर समझौता करती हैं, जो खतरनाक हो सकता है।
  • तकनीकी खराबी की अनदेखी: क्या विमान के किसी महत्वपूर्ण हिस्से में पहले से ही कोई मामूली खराबी थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया था? कई दुर्घटनाएँ छोटी-छोटी उपेक्षाओं का परिणाम होती हैं जो बड़ी बन जाती हैं।
  • संचार में कमी: क्या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और विमान के बीच संचार प्रभावी था? खराब संचार के कारण गलतफहमी हो सकती है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
  • सुरक्षा संस्कृति का अभाव: क्या एयर इंडिया में एक मजबूत सुरक्षा संस्कृति मौजूद है, जहाँ कर्मचारी बिना किसी डर के सुरक्षा चिंताओं को उठा सकें? एक ऐसी संस्कृति जहाँ रिपोर्टिंग को हतोत्साहित किया जाता है, खतरनाक प्रवृत्तियों को छिपा सकती है।
  • विमानन नियामक निकायों की निगरानी: क्या नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) जैसी नियामक संस्थाएं पर्याप्त रूप से एयरलाइनों की निगरानी कर रही हैं? नियामक निरीक्षकों की संख्या और उनकी क्षमताएं भी एक महत्वपूर्ण कारक हैं।

1.2 दुर्घटना का प्रभाव:

AI 171 जैसी घटनाएँ न केवल यात्रियों और चालक दल के लिए भयानक होती हैं, बल्कि:

  • यात्रियों के विश्वास को ठेस: यह आम लोगों के मन में विमान यात्रा की सुरक्षा को लेकर संदेह पैदा करती है।
  • एयरलाइन की प्रतिष्ठा पर दाग: यह एयरलाइन की ब्रांड छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है।
  • आर्थिक नुकसान: जांच, मरम्मत, मुआवजे और भविष्य की बुकिंग में कमी से भारी आर्थिक नुकसान होता है।
  • विमानन उद्योग के लिए नियामक दबाव: यह सरकार और नियामकों को सख्त नियम बनाने के लिए मजबूर करता है।

2. सरकार और एयर इंडिया का मंथन: सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास

AI 171 की घटना के बाद, सरकार और एयर इंडिया के नेतृत्व के बीच सुरक्षा को लेकर गहन विचार-विमर्श और कार्ययोजनाओं पर चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। यह एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि विमानन सुरक्षा एक बहु-आयामी मुद्दा है जिसमें कई हितधारक शामिल होते हैं।

2.1 सरकार की भूमिका और पहल:

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) जैसी सरकारी संस्थाएं सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। AI 171 के संदर्भ में, सरकार की भूमिका में शामिल हैं:

  • गहन जांच का आदेश: घटना के कारणों का पता लगाने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करना।
  • नियामक ढांचे की समीक्षा: मौजूदा सुरक्षा नियमों और मानकों की समीक्षा करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे नवीनतम अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं।
  • एयरलाइनों पर कड़ा निरीक्षण: सभी एयरलाइनों, विशेष रूप से राष्ट्रीय वाहक पर निरीक्षण और ऑडिट को बढ़ाना।
  • प्रशिक्षण और प्रमाणन मानकों को मजबूत करना: पायलटों, केबिन क्रू और रखरखाव कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और प्रमाणन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
  • सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा देना: एयरलाइनों को एक ऐसी सुरक्षा संस्कृति विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना जहाँ कर्मचारियों द्वारा चिंताओं को व्यक्त करना प्रोत्साहित हो।
  • तकनीकी उन्नयन में निवेश: नई प्रौद्योगिकियों और पुराने बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना।

2.2 एयर इंडिया की प्रतिक्रिया और रणनीतियाँ:

एक प्रमुख एयरलाइन के रूप में, एयर इंडिया की प्रतिक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। AI 171 के बाद, एयर इंडिया संभवतः निम्नलिखित रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रही होगी:

  • आंतरिक सुरक्षा ऑडिट: सभी विमानों, रखरखाव प्रक्रियाओं और पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रमों का तत्काल आंतरिक ऑडिट करना।
  • तकनीकी समस्याओं का समाधान: यदि दुर्घटना किसी विशिष्ट तकनीकी मुद्दे से जुड़ी थी, तो उस समस्या का स्थायी समाधान खोजना और संबंधित विमानों को ग्राउंड करना (यदि आवश्यक हो)।
  • कर्मचारी प्रशिक्षण में वृद्धि: आपातकालीन प्रतिक्रिया, सुरक्षा प्रक्रियाओं और थकान प्रबंधन पर चालक दल के प्रशिक्षण को बढ़ाना।
  • सुरक्षा रिपोर्टिंग प्रणाली में सुधार: एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना जहाँ कर्मचारी निर्भीक होकर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की रिपोर्ट कर सकें, और जहाँ इन रिपोर्टों पर कार्रवाई की जाए।
  • बेड़े का आधुनिकीकरण: पुराने विमानों को नए, अधिक सुरक्षित और ईंधन-कुशल विमानों से बदलने की योजनाओं को गति देना।
  • डिजिटल सुरक्षा उपकरणों का उपयोग: उड़ान डेटा मॉनिटरिंग, पायलट व्यवहार विश्लेषण और निवारक रखरखाव के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाना।
  • नियामकों के साथ सहयोग: DGCA और अन्य नियामक निकायों के साथ मिलकर सुरक्षा मानकों को पूरा करना और उनसे आगे बढ़ना।

3. भारतीय विमानन सुरक्षा: चुनौतियाँ और भविष्य की राह

AI 171 की घटनाएँ एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करती हैं कि कैसे भारत को अपनी विमानन सुरक्षा को और मजबूत करने की आवश्यकता है। यह सिर्फ एक एयरलाइन का मामला नहीं, बल्कि संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का है।

3.1 वर्तमान चुनौतियाँ:

  • बढ़ता हवाई यातायात: भारत का हवाई यातायात तेजी से बढ़ रहा है, जो सुरक्षा प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: हवाई अड्डों, ATC टावरों और अन्य सहायक बुनियादी ढांचे को इस वृद्धि के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।
  • मानव संसाधन की कमी: कुशल पायलटों, रखरखाव तकनीशियनों और सुरक्षा निरीक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती है।
  • लागत प्रबंधन बनाम सुरक्षा: एयरलाइनों पर लागत कम रखने का दबाव रहता है, जिससे कभी-कभी सुरक्षा पर समझौता हो सकता है।
  • पुराने विमानों का संचालन: कुछ एयरलाइनों के पास अभी भी पुराने विमान हैं जिनका रखरखाव और संचालन अधिक जटिल और महंगा हो सकता है।
  • वैश्विक मानकों का पालन: अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) जैसे वैश्विक निकायों द्वारा निर्धारित उच्च सुरक्षा मानकों को बनाए रखना।

3.2 भविष्य की राह:

AI 171 जैसी घटनाओं से सीखकर, भारतीय विमानन क्षेत्र को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • ‘प्रोएक्टिव’ सुरक्षा मॉडल: घटनाओं के घटित होने का इंतजार करने के बजाय, संभावित जोखिमों की पहचान करने और उन्हें रोकने के लिए एक ‘प्रोएक्टिव’ (सक्रिय) सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (SMS) को अपनाना।
  • डेटा-संचालित निर्णय: उड़ान डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके सुरक्षा रुझानों की पहचान करना और निवारक उपाय करना।
  • टेक्नोलॉजी का उपयोग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकों का उपयोग करके उपकरण की विफलता की भविष्यवाणी करना, रखरखाव को अनुकूलित करना और सुरक्षा प्रोटोकॉल की निगरानी करना।
  • सुरक्षा संस्कृति का निर्माण: शीर्ष प्रबंधन से लेकर ग्राउंड स्टाफ तक, हर स्तर पर सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाली एक मजबूत सुरक्षा संस्कृति का निर्माण करना। कर्मचारियों को सुरक्षित रूप से रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें समर्थन देना।
  • लगातार प्रशिक्षण और कौशल विकास: पायलटों, इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों के लिए नियमित और उन्नत प्रशिक्षण सुनिश्चित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सुरक्षा प्रौद्योगिकियों, प्रशिक्षण विधियों और नियामक सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग करना।
  • अनिवार्य सुरक्षा तंत्र: “ब्लैक बॉक्स” (FDR/CVR) डेटा के विश्लेषण से प्राप्त सीखों को अन्य विमानों में लागू करना।

“सुरक्षा कोई घटना नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है।” – एक अज्ञात विमानन विशेषज्ञ

यह कहावत भारतीय विमानन सुरक्षा के लिए सर्वोपरि है। AI 171 जैसी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि सुरक्षा में कोई भी ढिलाई अस्वीकार्य है। सरकार, एयरलाइनों और नियामक प्राधिकरणों को मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जहाँ हर यात्रा सुरक्षित हो और हर यात्री को विश्वास हो कि वे अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुँचेंगे।

4. UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: विमानन सुरक्षा से संबंधित ‘रेड फ्लैग्स’ (लाल झंडे) का क्या अर्थ है?
* (a) उड़ान के दौरान लाल बत्ती का जलना
* (b) किसी विमान या प्रक्रिया में संभावित खतरनाक या चिंताजनक संकेत
* (c) केवल खराब मौसम का संकेत
* (d) आपातकालीन लैंडिंग का संकेत
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: ‘रेड फ्लैग्स’ किसी भी प्रणाली में उन चिंताओं या चेतावनियों को संदर्भित करते हैं जो संभावित समस्याओं या जोखिमों का संकेत देते हैं, खासकर सुरक्षा के संदर्भ में।

2. प्रश्न: भारत में विमानन सुरक्षा के लिए कौन सी संस्था प्रमुख नियामक के रूप में कार्य करती है?
* (a) भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)
* (b) नागर विमानन मंत्रालय
* (c) नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA)
* (d) नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS)
* उत्तर: (c)
* व्याख्या: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) भारत में विमानन सुरक्षा मानकों को लागू करने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार प्राथमिक नियामक निकाय है।

3. प्रश्न: एक मजबूत ‘सुरक्षा संस्कृति’ (Safety Culture) का क्या तात्पर्य है?
* (a) नियमों और विनियमों का केवल अक्षरशः पालन करना।
* (b) कर्मचारियों द्वारा सुरक्षा चिंताओं को बिना किसी डर के रिपोर्ट करने और उन पर कार्रवाई को प्रोत्साहित करने वाला वातावरण।
* (c) केवल पायलटों और इंजीनियरों की जिम्मेदारी।
* (d) दुर्घटनाओं को दबाने की कोशिश करना।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: सुरक्षा संस्कृति में संगठन के सभी सदस्यों द्वारा सुरक्षा को प्राथमिकता देना, चिंताओं को खुलकर व्यक्त करना और सामूहिक रूप से सुरक्षा में सुधार के लिए काम करना शामिल है।

4. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन एक ‘सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली’ (Safety Management System – SMS) का मुख्य उद्देश्य है?
* (a) केवल दुर्घटनाओं के बाद प्रतिक्रिया देना।
* (b) संभावित जोखिमों की पहचान करना, उनका मूल्यांकन करना और उन्हें कम करना।
* (c) लागत कम करने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
* (d) कर्मचारियों की संख्या कम करना।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: SMS एक व्यवस्थित दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य जोखिमों की पहचान करके और उन्हें नियंत्रित करके सुरक्षा को सक्रिय रूप से प्रबंधित करना है।

5. प्रश्न: विमानन में ‘प्रोएक्टिव’ (सक्रिय) सुरक्षा का क्या अर्थ है?
* (a) समस्याओं के उत्पन्न होने की प्रतीक्षा करना और फिर प्रतिक्रिया देना।
* (b) संभावित खतरों का अनुमान लगाना और उन्हें घटित होने से पहले रोकना।
* (c) केवल दुर्घटनाओं की जांच करना।
* (d) सुरक्षा नियमों की उपेक्षा करना।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: प्रोएक्टिव सुरक्षा का अर्थ है कि संभावित जोखिमों को पहचानने और उन्हें दूर करने के लिए पहले से ही कदम उठाए जाएं, न कि समस्या होने के बाद समाधान खोजा जाए।

6. प्रश्न: AI 171 जैसे मामलों में विमानन नियामक निकायों पर क्या दबाव बढ़ जाता है?
* (a) केवल यात्री संख्या बढ़ाने का।
* (b) सुरक्षा मानकों की समीक्षा और उन्हें मजबूत करने का।
* (c) कम सुरक्षा नियमों को लागू करने का।
* (d) एयरलाइनों पर कम निरीक्षण करने का।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: दुर्घटनाएँ नियामकों को सुरक्षा प्रोटोकॉल और मानकों की प्रभावशीलता का पुनर्मूल्यांकन करने और आवश्यकतानुसार सुधार करने के लिए प्रेरित करती हैं।

7. प्रश्न: एयर इंडिया के बेड़े के आधुनिकीकरण से विमानन सुरक्षा पर क्या संभावित प्रभाव पड़ सकता है?
* (a) सुरक्षा जोखिमों में वृद्धि।
* (b) पुराने विमानों से जुड़े रखरखाव संबंधी मुद्दों में कमी और बेहतर तकनीकी विश्वसनीयता।
* (c) सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं।
* (d) केवल ईंधन दक्षता में सुधार।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: नए विमान अक्सर नवीनतम सुरक्षा तकनीकों और बेहतर विश्वसनीयता के साथ आते हैं, जो समग्र सुरक्षा में सुधार कर सकते हैं।

8. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) की भूमिका क्या है?
* (a) केवल संयुक्त राष्ट्र के लिए हवाई मार्ग तय करना।
* (b) विमानन सुरक्षा और नेविगेशन के लिए वैश्विक मानकों और प्रथाओं का विकास और मानकीकरण करना।
* (c) राष्ट्रीय एयरलाइनों को सीधे प्रबंधित करना।
* (d) विमानों का निर्माण करना।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: ICAO एक संयुक्त राष्ट्र विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन के सिद्धांतों और तकनीकों को निर्धारित करती है ताकि हवाई नेविगेशन की सुरक्षा और व्यवस्थित विकास सुनिश्चित हो सके।

9. प्रश्न: AI 171 के संदर्भ में, एयर इंडिया को किन प्रशिक्षण पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता हो सकती है?
* (a) केवल इन-फ्लाइट मनोरंजन।
* (b) पायलटों के लिए थकान प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया।
* (c) केबिन क्रू को केवल भोजन परोसने का प्रशिक्षण।
* (d) केवल ग्राउंड स्टाफ के लिए बैगेज हैंडलिंग।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: पायलटों की थकान एक ज्ञात सुरक्षा जोखिम है, और प्रभावी आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण जीवन रक्षक हो सकता है।

10. प्रश्न: विमानन सुरक्षा में डेटा-संचालित निर्णय लेने का क्या महत्व है?
* (a) यह केवल कागजी कार्रवाई को बढ़ाता है।
* (b) यह सुरक्षा के मुद्दों की पहचान करने और निवारक उपाय करने के लिए रुझानों और विसंगतियों को उजागर करता है।
* (c) यह निर्णय लेने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
* (d) यह केवल मानवीय त्रुटि पर निर्भर करता है।
* उत्तर: (b)
* व्याख्या: उड़ान डेटा और अन्य मेट्रिक्स का विश्लेषण सुरक्षा प्रदर्शन में सुधार के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: AI 171 जैसी घटनाओं के आलोक में, भारत में विमानन सुरक्षा संस्कृति (Safety Culture) को मजबूत करने के लिए सरकार और एयरलाइनों द्वारा उठाए जाने वाले विभिन्न उपायों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
* संकेत: चर्चा करें कि सुरक्षा संस्कृति क्या है, वर्तमान स्थिति क्या है, और इसमें सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं (जैसे रिपोर्टिंग प्रणाली, प्रशिक्षण, शीर्ष प्रबंधन की प्रतिबद्धता)।

2. प्रश्न: भारत में विमानन सुरक्षा को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों की पहचान करें और सुझाएं कि कैसे ‘प्रोएक्टिव’ (सक्रिय) सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (SMS) को अपनाकर इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। (250 शब्द)
* संकेत: चुनौतियों (जैसे मानव संसाधन, बुनियादी ढांचा, लागत) और SMS की भूमिका (जोखिम पहचान, मूल्यांकन, शमन) पर प्रकाश डालें।

3. प्रश्न: AI 171 की घटना से उत्पन्न ‘रेड फ्लैग्स’ (लाल झंडे) के संदर्भ में, भारतीय विमानन क्षेत्र में नियामक निरीक्षण (Regulatory Oversight) की भूमिका का विश्लेषण करें। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) जैसे निकायों को अपनी निगरानी क्षमताओं को कैसे बढ़ाना चाहिए? (150 शब्द)
* संकेत: DGCA की वर्तमान भूमिका, खामियां (यदि कोई हों), और निरीक्षकों की संख्या/प्रशिक्षण/प्रौद्योगिकी के उपयोग में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करें।

4. प्रश्न: भारत के तेजी से बढ़ते विमानन उद्योग के लिए, सुरक्षा को प्राथमिक चिंता के रूप में बनाए रखना क्यों आवश्यक है? AI 171 जैसी घटनाओं से प्राप्त सीखों का उपयोग करके भविष्य के लिए एक सुरक्षित हवाई यात्रा सुनिश्चित करने हेतु प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा करें। (250 शब्द)
* संकेत: बढ़ती हवाई यातायात का दबाव, सुरक्षा के आर्थिक और मानवीय पहलू, और AI, ML, डेटा एनालिटिक्स जैसी प्रौद्योगिकियों के उपयोग से सुरक्षा में सुधार पर विस्तृत चर्चा करें।

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