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उधमपुर में सीआरपीएफ बस दुर्घटना: 3 जवान शहीद, 10 घायल – सुरक्षा, चुनौतियाँ और भविष्य

उधमपुर में सीआरपीएफ बस दुर्घटना: 3 जवान शहीद, 10 घायल – सुरक्षा, चुनौतियाँ और भविष्य

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

जम्मू और कश्मीर के उधमपुर में एक भीषण सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों से भरी एक बस गहरी खाई में गिर गई। इस दुखद घटना में तीन वीर जवानों ने अपने प्राण गंवा दिए, जबकि दस अन्य घायल हो गए। यह हादसा एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों के सामने आने वाली चुनौतियों, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में यात्रा की कठिनाइयों और आवश्यक सुरक्षा प्रोटोकॉल्स पर प्रकाश डालता है। यह घटना न केवल प्रभावित परिवारों के लिए एक बड़ा सदमा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में भी कई महत्वपूर्ण सवालों को जन्म देती है।

यह घटना क्यों मायने रखती है?

जम्मू और कश्मीर, एक संवेदनशील राज्य होने के नाते, देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां तैनात सीआरपीएफ सहित विभिन्न सुरक्षा बल लगातार आतंकवाद विरोधी अभियानों और सीमा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, इन जवानों की यात्रा को सुरक्षित बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उधमपुर की यह दुर्घटना हमें उन जोखिमों की याद दिलाती है जिनका सामना हमारे सुरक्षाकर्मी हर दिन करते हैं, न केवल दुश्मन की गोलियों से, बल्कि खराब सड़क की स्थिति, अप्रत्याशित मौसम और वाहन की खराबी जैसी सामान्य लगने वाली लेकिन जानलेवा परिस्थितियों से भी।

घटना का विवरण: क्या हुआ?

यह हृदयविदारक हादसा उधमपुर के ,,,(यहाँ घटना के विशिष्ट स्थान का उल्लेख किया जाएगा यदि ज्ञात हो, अन्यथा इसे सामान्य रखा जा सकता है) के पास हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों और प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, सीआरपीएफ के जवानों को ले जा रही बस, संभवतः एक तेज मोड़ या ढलान पर नियंत्रण खो बैठी और सड़क से फिसलकर लगभग [खाई की गहराई, यदि ज्ञात हो, अन्यथा ‘गहरी’] खाई में जा गिरी। तुरंत बचाव कार्य शुरू किया गया, जिसमें स्थानीय पुलिस, सेना और अन्य बचाव दल शामिल थे। घायलों को निकटतम चिकित्सा केंद्रों में ले जाया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। तीन बहादुर जवानों की इस दुर्घटना में दुखद मृत्यु हो गई, जिससे राष्ट्रव्यापी शोक की लहर दौड़ गई।

घटना के पीछे संभावित कारण: एक विस्तृत विश्लेषण

किसी भी सड़क दुर्घटना के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, और इस मामले में भी, हम कुछ प्रमुख संभावित कारणों पर विचार कर सकते हैं:

  • खराब सड़क अवसंरचना: जम्मू और कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में, सड़कें अक्सर संकरी, घुमावदार और खराब स्थिति में होती हैं। कई जगहों पर सड़क किनारे सुरक्षा के इंतजाम, जैसे बैरिकेडिंग, अपर्याप्त होते हैं। उधमपुर जैसे इलाके में, जो अपनी पहाड़ी स्थलाकृति के लिए जाना जाता है, खराब सड़क का होना कोई नई बात नहीं है।
  • तेज गति या लापरवाही से वाहन चलाना: हालांकि यह अभी जांच का विषय है, लेकिन तेज गति या ड्राइवर की लापरवाही भी दुर्घटना का एक प्रमुख कारण हो सकती है, खासकर ऐसी सड़कों पर जहाँ अचानक मोड़ आते हैं।
  • वाहन की यांत्रिक खराबी: पुराने या खराब रखरखाव वाले वाहन भी दुर्घटनाओं को न्योता दे सकते हैं। बस के ब्रेक, टायर या स्टीयरिंग में कोई खराबी आई हो, इसकी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
  • मौसम की स्थिति: यदि दुर्घटना के समय मौसम खराब था, जैसे घना कोहरा, बारिश या बर्फबारी, तो दृश्यता कम हो सकती है और सड़क फिसलन भरी हो सकती है, जिससे वाहन पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाता है।
  • ड्राइवर की थकान: लंबी यात्राओं के दौरान ड्राइवरों का थका हुआ होना भी खतरनाक हो सकता है।
  • सामग्री की ओवरलोडिंग (यदि लागू हो): हालांकि यह एक यात्री बस है, लेकिन कभी-कभी इन वाहनों में अतिरिक्त उपकरण या कार्गो ले जाया जाता है, जिससे वाहन का संतुलन बिगड़ सकता है।

सरकार और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया

इस दुर्घटना के तुरंत बाद, स्थानीय प्रशासन और सीआरपीएफ मुख्यालय ने स्थिति का जायजा लिया। बचाव और राहत कार्यों के लिए तत्काल कदम उठाए गए। घायलों के बेहतर इलाज के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया। शहीदों के परिवारों को वित्तीय सहायता और अन्य सहायता प्रदान करने की घोषणा की गई। यह घटना सुरक्षा बलों के मनोबल पर भी असर डालती है, और ऐसे समय में सरकार का त्वरित और प्रभावी समर्थन महत्वपूर्ण हो जाता है।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों के समक्ष चुनौतियाँ

यह दुर्घटना एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा कर्मियों के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों को उजागर करती है:

1. दुर्गम भूभाग: घाटी की पहाड़ी और अक्सर बर्फ से ढकी सड़कें सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती हैं। इन सड़कों पर वाहन चलाना बेहद जोखिम भरा होता है, खासकर भारी वाहनों के लिए।

2. आतंकवाद और उग्रवाद: सुरक्षा कर्मियों को न केवल प्राकृतिक खतरों का सामना करना पड़ता है, बल्कि उन्हें लगातार आतंकवादियों और उग्रवादियों से भी निपटना पड़ता है। इसके लिए उन्हें चौबीसों घंटे सतर्क रहना पड़ता है।

3. मौसम की मार: अत्यधिक ठंड, बर्फबारी और भूस्खलन जैसी मौसमी परिस्थितियाँ भी उनके काम को और कठिन बना देती हैं।

4. लंबी और थकाऊ यात्राएँ: अभियानों के दौरान या विभिन्न स्थानों पर जवानों को ले जाने के लिए अक्सर लंबी और थकाऊ यात्राएँ करनी पड़ती हैं, जिससे थकान और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

5. अवसंरचनात्मक कमी: कुछ दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में, सड़क संपर्क और अन्य आवश्यक अवसंरचना अभी भी अपर्याप्त है, जिससे रसद और आपातकालीन प्रतिक्रिया में बाधा आती है।

जम्मू-कश्मीर में सड़क सुरक्षा: एक व्यापक दृष्टिकोण

यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि जम्मू-कश्मीर में सड़क सुरक्षा के व्यापक मुद्दे पर एक चेतावनी है, खासकर उन लोगों के लिए जो हमारी रक्षा के लिए वहां तैनात हैं। इस समस्या का समाधान एक बहु-आयामी दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए:

  • सड़क अवसंरचना का उन्नयन: केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मिलकर पहाड़ी सड़कों की गुणवत्ता में सुधार, चौड़ीकरण और सुरक्षा बैरिकेडिंग को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
  • वाहन बेड़े का आधुनिकीकरण: सुरक्षा बलों के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों का नियमित रखरखाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही, आधुनिक, पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त और सुरक्षित वाहनों को शामिल किया जाना चाहिए।
  • ड्राइवर प्रशिक्षण और कल्याण: सुरक्षा बलों के ड्राइवरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, जिसमें पहाड़ी इलाकों में ड्राइविंग, आपातकालीन प्रतिक्रिया और तनाव प्रबंधन शामिल हो। ड्राइवरों की ड्यूटी के घंटों पर भी सख्त नियम होने चाहिए और उनकी थकान का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • तकनीकी निगरानी: संवेदनशील सड़कों पर जीपीएस ट्रैकिंग और स्पीड मॉनिटरिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है ताकि किसी भी असामान्य गतिविधि या दुर्घटना की स्थिति में तुरंत पता लगाया जा सके।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली: दुर्घटनाओं के त्वरित जवाब के लिए एक मजबूत और सुलभ आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली होनी चाहिए, जिसमें पर्याप्त एम्बुलेंस, चिकित्सा कर्मी और बचाव उपकरण शामिल हों।
  • मौसम की पूर्व सूचना: खराब मौसम की विश्वसनीय पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए ताकि यात्रा की योजना उसी के अनुसार बनाई जा सके और जोखिमों से बचा जा सके।

सुरक्षा बलों की भूमिका और बलिदान

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बल हमारे देश की सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा की रक्षा के लिए अथक प्रयास करते हैं। वे अपने परिवारों से दूर, अक्सर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करते हैं। उनका बलिदान अमूल्य है। इस तरह की दुर्घटनाएं उनके परिवारों के लिए अपूरणीय क्षति होती हैं, और राष्ट्र के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदानों का सम्मान करें और उनके परिवारों का ख्याल रखें।

भविष्य की राह: निवारक उपाय और नीतियाँ

यह दुखद घटना भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर देती है। सरकार को निम्नलिखित पर विचार करना चाहिए:

  • सुरक्षा ऑडिट: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी सड़कों का नियमित सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए और सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
  • तकनीकी समाधान: आधुनिक तकनीक, जैसे कि डैश कैम, लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, को वाहनों में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।
  • मानव संसाधन प्रबंधन: ड्राइवरों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए।
  • अंतर-एजेंसी समन्वय: सड़क निर्माण, यातायात प्रबंधन और सुरक्षा के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाया जाना चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: स्थानीय आबादी और यात्रियों के बीच भी सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में।

निष्कर्ष

उधमपुर में सीआरपीएफ बस दुर्घटना हमारे उन नायकों के प्रति हमारे समर्पण और कर्तव्य को याद दिलाने वाली एक मार्मिक घटना है जो हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। यह हादसा केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के जटिल सुरक्षा परिदृश्य और हमारे बहादुर जवानों द्वारा सामना की जाने वाली अनगिनत चुनौतियों का प्रतिबिंब है। इन घटनाओं से सीखना और निवारक उपाय करना हमारा सामूहिक दायित्व है। सड़कों को सुरक्षित बनाना, वाहनों का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित करना और हमारे जवानों की भलाई का ध्यान रखना, यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि वे अपने महत्वपूर्ण मिशन को प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से पूरा कर सकें। इस दुखद घटना में जान गंवाने वाले वीर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: हाल ही में उधमपुर में सीआरपीएफ जवानों से भरी बस के खाई में गिरने की घटना के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह घटना जम्मू और कश्मीर राज्य में सुरक्षा कर्मियों की यात्रा में आने वाली कठिनाइयों को उजागर करती है।
  2. पहाड़ी क्षेत्रों में खराब सड़क अवसंरचना दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण हो सकती है।
  3. सुरक्षा बलों के वाहनों के रखरखाव में लापरवाही दुर्घटनाओं को न्योता दे सकती है।

उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

उत्तर: (D) उपरोक्त सभी

व्याख्या: तीनों कथन घटना के संदर्भ में प्रासंगिक हैं और सामान्य रूप से सड़क सुरक्षा और सुरक्षा बलों से जुड़ी चुनौतियों को दर्शाते हैं।

2. प्रश्न: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) का प्राथमिक कार्य क्या है?

  1. सीमा सुरक्षा
  2. आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना
  3. खुफिया जानकारी जुटाना
  4. नौसेना की सुरक्षा

उत्तर: (B) आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना

व्याख्या: सीआरपीएफ का मुख्य कार्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस बलों के एक सहायक बल के रूप में उनकी कानून और व्यवस्था और आतंकवाद विरोधीDuties में सहायता करना है।

3. प्रश्न: जम्मू और कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में सड़क सुरक्षा से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण कारक नहीं है?

  1. संकीर्ण और घुमावदार सड़कें
  2. अचानक मौसम परिवर्तन
  3. अत्यधिक यातायात घनत्व
  4. खराब सड़क किनारे सुरक्षा बैरिकेडिंग

उत्तर: (C) अत्यधिक यातायात घनत्व

व्याख्या: पहाड़ी इलाकों में, संकीर्ण सड़कें, मौसम परिवर्तन और खराब बैरिकेडिंग आम चुनौतियाँ हैं, लेकिन “अत्यधिक यातायात घनत्व” पहाड़ी सड़कों के लिए उतना विशिष्ट या प्रमुख कारक नहीं है जितना कि अन्य विकल्प।

4. प्रश्न: सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा एक निवारक उपाय हो सकता है?

  1. नियमित यांत्रिक जांच और रखरखाव
  2. ड्राइवरों के लिए उच्च गति सीमा निर्धारित करना
  3. वाहन में अतिरिक्त यात्री क्षमता बढ़ाना
  4. दीर्घकालिक, बिना ब्रेक के ड्राइविंग की अनुमति देना

उत्तर: (A) नियमित यांत्रिक जांच और रखरखाव

व्याख्या: वाहनों का नियमित रखरखाव यह सुनिश्चित करता है कि वे अच्छी कार्यशील स्थिति में हैं, जिससे यांत्रिक विफलताओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का खतरा कम हो जाता है।

5. प्रश्न: उधमपुर की दुर्घटना के संदर्भ में, “मानव संसाधन प्रबंधन” के तहत निम्नलिखित में से कौन सा बिंदु विचारणीय हो सकता है?

  1. ड्राइवरों के लिए आरामदायक सीट की व्यवस्था
  2. ड्राइवरों की ड्यूटी के घंटों पर सख्त नियम और थकान का प्रबंधन
  3. ड्राइवरों को नवीनतम संगीत प्रणाली प्रदान करना
  4. वाहन में उन्नत मनोरंजन प्रणाली

उत्तर: (B) ड्राइवरों की ड्यूटी के घंटों पर सख्त नियम और थकान का प्रबंधन

व्याख्या: ड्राइवरों की थकान दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है, इसलिए उनके ड्यूटी घंटों को नियंत्रित करना और थकान से बचाव के उपाय करना मानव संसाधन प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

6. प्रश्न: किस केंद्रीय मंत्रालय के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) आता है?

  1. गृह मंत्रालय
  2. रक्षा मंत्रालय
  3. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
  4. गृह मंत्रालय

उत्तर: (D) गृह मंत्रालय

व्याख्या: सीआरपीएफ, सीमा सुरक्षा बल (BSF), और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) जैसे बल गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आते हैं।

7. प्रश्न: सुरक्षा बलों की यात्राओं के दौरान सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक मददगार हो सकती है?

  1. GPS ट्रैकिंग
  2. केवल GPS ट्रैकिंग
  3. GPS ट्रैकिंग और स्पीड मॉनिटरिंग
  4. केवल स्पीड मॉनिटरिंग

उत्तर: (C) GPS ट्रैकिंग और स्पीड मॉनिटरिंग

व्याख्या: GPS ट्रैकिंग से वाहनों की लोकेशन पता चलती है, जबकि स्पीड मॉनिटरिंग ओवर-स्पीडिंग को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे संयुक्त रूप से सुरक्षा बढ़ती है।

8. प्रश्न: उधमपुर की घटना की जांच में ‘वाहन की यांत्रिक खराबी’ को एक संभावित कारण माना जाता है। यांत्रिक खराबी के जोखिम को कम करने के लिए क्या आवश्यक है?

  1. केवल ड्राइवरों का प्रशिक्षण
  2. वाहन के पुर्जों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना
  3. वाहन का नियमित और गुणवत्तापूर्ण रखरखाव
  4. केवल बीमा करवाना

उत्तर: (C) वाहन का नियमित और गुणवत्तापूर्ण रखरखाव

व्याख्या: नियमित और गुणवत्तापूर्ण रखरखाव यह सुनिश्चित करता है कि वाहन के महत्वपूर्ण पुर्जे (जैसे ब्रेक, टायर, स्टीयरिंग) ठीक से काम कर रहे हैं।

9. प्रश्न: जम्मू और कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा के संबंध में निम्नलिखित में से किस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है?

  1. सड़क चौड़ीकरण
  2. सड़क किनारे सुरक्षा बैरिकेडिंग को मजबूत करना
  3. दोनों (A) और (B)
  4. किसी पर भी नहीं

उत्तर: (C) दोनों (A) और (B)

व्याख्या: पहाड़ी सड़कों की संकीर्णता और घुमावदार स्वभाव को देखते हुए, सड़क चौड़ीकरण और सुरक्षा बैरिकेडिंग दोनों ही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

10. प्रश्न: उधमपुर में हुई दुर्घटना ने सुरक्षा कर्मियों की परिचालन क्षमता पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों पर भी प्रकाश डाला है। इसका सबसे सटीक चित्रण कौन सा कथन करता है?

  1. सुरक्षा कर्मियों का मनोबल बढ़ना
  2. सुरक्षा कर्मियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव और भविष्य की यात्राओं के प्रति चिंता
  3. सुरक्षा कर्मियों का अधिक आत्मविश्वासी होना
  4. सुरक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण कम करना

उत्तर: (B) सुरक्षा कर्मियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव और भविष्य की यात्राओं के प्रति चिंता

व्याख्या: ऐसी दुर्घटनाएं स्वाभाविक रूप से जवानों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं और भविष्य की यात्राओं के दौरान असुरक्षा की भावना पैदा कर सकती हैं, जिससे उनकी सतर्कता और प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: उधमपुर में सीआरपीएफ बस दुर्घटना को जम्मू और कश्मीर जैसे अशांत और पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों के समक्ष मौजूद व्यापक सड़क सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में विश्लेषित करें। इसके मूल कारणों की पहचान करें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निवारक उपायों और नीतिगत सुझावों का प्रस्ताव करें। (250 शब्द, 15 अंक)

2. प्रश्न: “भारत की आंतरिक सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके सामने आने वाली लॉजिस्टिक और परिचालन चुनौतियाँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।” इस कथन के आलोक में, उधमपुर दुर्घटना जैसी घटनाओं से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें और इन चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी नवाचारों और अवसंरचनात्मक सुधारों की भूमिका पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)

3. प्रश्न: जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस दृष्टिकोण के प्रमुख घटकों पर विस्तार से चर्चा करें, जिसमें अवसंरचना विकास, वाहन प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली शामिल हों। (150 शब्द, 10 अंक)

4. प्रश्न: उधमपुर की दुर्घटना हमारे सुरक्षा कर्मियों द्वारा किए जा रहे बलिदानों की याद दिलाती है। इन बलिदानों को स्वीकार करते हुए, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए कि हमारे जवानों को सुरक्षित वातावरण मिले और उनके परिवारों को उचित सहायता मिले? (150 शब्द, 10 अंक)

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