उत्तर भारत में बाढ़: कारण, प्रभाव और UPSC परीक्षा के लिए तैयारी

उत्तर भारत में बाढ़: कारण, प्रभाव और UPSC परीक्षा के लिए तैयारी

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने कई राज्यों को प्रभावित किया है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। यह घटना न केवल मानवीय त्रासदी का प्रतीक है बल्कि UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और भौगोलिक पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है।

यह लेख उत्तर भारत में आई बाढ़ के कारणों, प्रभावों और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं की व्यापक रूप से पड़ताल करता है, साथ ही UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी प्रकाश डालता है।

बाढ़ के कारण (Causes of Floods):

उत्तर भारत में आई हालिया बाढ़ के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अत्यधिक वर्षा (Excessive Rainfall): मानसून की अत्यधिक सक्रियता और अप्रत्याशित रूप से भारी वर्षा प्रमुख कारण है। पश्चिमी विक्षोभों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि ने भी इसमें योगदान दिया है।
  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change): जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान से वाष्पीकरण की दर बढ़ती है, जिससे अधिक वर्षा होती है और बारिश के पैटर्न में बदलाव आता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालयी ग्लेशियरों का पिघलना भी बाढ़ का एक कारक है।
  • वन कटाई और भूमि क्षरण (Deforestation and Soil Erosion): वनों की कटाई और भूमि का क्षरण जलग्रहण क्षमता को कम करता है और बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है। पहाड़ों पर बड़े पैमाने पर वनों की कटाई से मिट्टी का कटाव बढ़ता है, जिससे नदियों में मिट्टी जमा होती है और जल प्रवाह बाधित होता है।
  • नदी तंत्र का अवरोध (Obstruction of River Systems): अवैज्ञानिक निर्माण कार्य, नदी के तट पर अतिक्रमण और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था बाढ़ को और भी गंभीर बनाती है। अनियोजित शहरीकरण और अवैध निर्माण भी नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करते हैं।
  • अनियोजित शहरीकरण (Unplanned Urbanization): शहरी क्षेत्रों में तेजी से विकास और अनियोजित शहरीकरण के कारण जल निकासी व्यवस्था कमज़ोर होती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है। कंक्रीट के निर्माण से भूमि की जल सोखने की क्षमता कम हो जाती है।

बाढ़ के प्रभाव (Impacts of Floods):

उत्तर भारत में आई बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव हैं:

  • जान का नुकसान (Loss of Life): बाढ़ से कई लोगों की जान चली गई है और कई लोग लापता हैं।
  • आर्थिक नुकसान (Economic Losses): कृषि भूमि, बुनियादी ढाँचा और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है, जिससे आर्थिक संकट पैदा हुआ है। यह किसानों के लिए विशेष रूप से विनाशकारी है।
  • विस्थापन (Displacement): हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं और राहत शिविरों में रह रहे हैं।
  • रोगों का प्रकोप (Disease Outbreaks): बाढ़ के बाद संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। स्वच्छता की समस्या से कई बीमारियां फैल सकती हैं।
  • पर्यावरणीय क्षति (Environmental Damage): बाढ़ से पारिस्थितिक तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा है और जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

बाढ़ प्रबंधन के उपाय (Flood Management Measures):

बाढ़ के जोखिम को कम करने और भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचने के लिए कई कदम उठाए जाने चाहिए:

  • वृक्षारोपण (Afforestation): वनों की कटाई को रोकना और व्यापक वृक्षारोपण करना जलग्रहण क्षमता को बढ़ाता है और मिट्टी के कटाव को कम करता है।
  • सतत कृषि पद्धतियाँ (Sustainable Agricultural Practices): जल संरक्षण और मिट्टी स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है।
  • बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं का निर्माण (Construction of Flood Control Structures): बाँध, तटबंध और जल निकासी प्रणाली का निर्माण बाढ़ के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।
  • पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): मौसम पूर्वानुमान और बाढ़ चेतावनी प्रणालियों में सुधार से लोगों को बाढ़ से बचने में मदद मिलती है।
  • जल संसाधन प्रबंधन (Water Resource Management): जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन बाढ़ के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शहरी नियोजन (Urban Planning): शहरों का नियोजन करते समय जल निकासी व्यवस्था और बाढ़ प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns): लोगों को बाढ़ के जोखिम और बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है।

UPSC परीक्षा के लिए तैयारी (Preparation for UPSC Exam):

UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए, उम्मीदवारों को निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

  • भूगोल (Geography): भारत का भौतिक भूगोल, जलवायु, नदियाँ, बाढ़ के मैदान, जलग्रहण क्षेत्र और जल प्रबंधन।
  • पर्यावरण अध्ययन (Environment Studies): जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय प्रभाव, बाढ़ की घटनाओं और उनके प्रबंधन के लिए रणनीतियाँ।
  • आपदा प्रबंधन (Disaster Management): बाढ़ प्रबंधन, आपदा राहत और पुनर्वास।
  • वर्तमान घटनाएँ (Current Events): हाल ही में हुई बाढ़ की घटनाएँ, उनके कारण और प्रभाव, सरकार द्वारा किए गए उपाय।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. **कथन 1:** उत्तर भारत में हालिया बाढ़ का मुख्य कारण अत्यधिक वर्षा है।
**कथन 2:** जलवायु परिवर्तन बाढ़ की तीव्रता को बढ़ाता है।
a) केवल कथन 1 सही है
b) केवल कथन 2 सही है
c) दोनों कथन सही हैं
d) दोनों कथन गलत हैं

**उत्तर: c) दोनों कथन सही हैं**

2. निम्नलिखित में से कौन सा कारक उत्तर भारत में बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है?
a) वनीकरण
b) सतत कृषि
c) अनियोजित शहरीकरण
d) बाढ़ नियंत्रण संरचनाएँ

**उत्तर: c) अनियोजित शहरीकरण**

3. बाढ़ के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में शामिल हैं:
a) केवल कृषि भूमि को नुकसान
b) केवल बुनियादी ढाँचे को नुकसान
c) केवल संपत्ति को नुकसान
d) उपरोक्त सभी

**उत्तर: d) उपरोक्त सभी**

4. निम्नलिखित में से कौन सा बाढ़ प्रबंधन का उपाय है?
a) वनों की कटाई
b) पूर्व चेतावनी प्रणाली
c) अनियोजित शहरीकरण
d) जल निकासी प्रणाली का विनाश

**उत्तर: b) पूर्व चेतावनी प्रणाली**

5. हिमालयी क्षेत्रों में बाढ़ के लिए कौन सा कारक सबसे अधिक जिम्मेदार है?
a) केवल अत्यधिक वर्षा
b) केवल ग्लेशियरों का पिघलना
c) अत्यधिक वर्षा और ग्लेशियरों का पिघलना दोनों
d) इनमें से कोई नहीं

**उत्तर: c) अत्यधिक वर्षा और ग्लेशियरों का पिघलना दोनों**

6. बाढ़ से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों में शामिल है:
a) कुपोषण
b) संक्रामक रोगों का प्रकोप
c) मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ
d) उपरोक्त सभी

**उत्तर: d) उपरोक्त सभी**

7. बाढ़ के जोखिम को कम करने में किसका योगदान महत्वपूर्ण है?
a) जल संसाधन प्रबंधन
b) शहरी नियोजन
c) जागरूकता अभियान
d) उपरोक्त सभी

**उत्तर: d) उपरोक्त सभी**

8. भारत में बाढ़ प्रबंधन से संबंधित कौन सी संस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
a) NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण)
b) IMD (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग)
c) CWC (केंद्रीय जल आयोग)
d) उपरोक्त सभी

**उत्तर: d) उपरोक्त सभी**

9. बाढ़ के कारण होने वाले पर्यावरणीय क्षति के उदाहरण हैं:
a) मृदा प्रदूषण
b) जल प्रदूषण
c) जैव विविधता का नुकसान
d) उपरोक्त सभी

**उत्तर: d) उपरोक्त सभी**

10. बाढ़ पूर्वानुमान में सुधार के लिए किस तकनीक का उपयोग किया जाता है?
a) रिमोट सेंसिंग
b) GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली)
c) हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग
d) उपरोक्त सभी

**उत्तर: d) उपरोक्त सभी**

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. उत्तर भारत में हालिया बाढ़ के कारणों पर विस्तृत चर्चा करें और उनके प्रभावों का मूल्यांकन करें। बाढ़ प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियों पर प्रकाश डालें।

2. जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उत्तर भारत में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि के कारणों पर चर्चा करें। बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार और नागरिकों की भूमिका का विश्लेषण करें।

3. बाढ़ से निपटने के लिए भारत में मौजूदा आपदा प्रबंधन तंत्र का आकलन करें। इसके सुधार के लिए सुझाव दें।

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