उत्तराखंड की भयानक बादल फटने की घटना: 34 सेकंड में विनाश, 50 से ज़्यादा लापता, सेना का कैंप भी बहा – पूरी जानकारी
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में उत्तराखंड के धराली क्षेत्र में हुई बादल फटने की भयावह घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मात्र 34 सेकंड की इस अल्प अवधि में 3 जगहों पर बादल फटने से भारी तबाही मची। इस आपदा में जहाँ 4 लोगों की जान चली गई, वहीं सेना के एक महत्वपूर्ण कैंप के बह जाने की खबर है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस घटना में 10 जवानों सहित 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी गंभीर चिंता का विषय है। UPSC की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए यह घटना समसामयिक घटनाओं, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है।
बादल फटना क्या है? (What is Cloudburst?):**
बादल फटना, जिसे अंग्रेजी में ‘Cloudburst’ कहा जाता है, एक अत्यंत तीव्र और स्थानीयकृत वर्षा की घटना है। इसमें बहुत कम समय (आमतौर पर कुछ मिनटों) में अत्यधिक मात्रा में वर्षा होती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, बादल फटने की घटना तब मानी जाती है जब किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 100 मिमी (लगभग 4 इंच) से अधिक वर्षा हो जाती है।
बादल फटने के पीछे के कारण (Causes Behind Cloudburst):**
बादल फटने जैसी विनाशकारी घटनाएँ कई जटिल मौसमी और भौगोलिक कारकों के संयोजन से होती हैं:
- ऊष्मीय अशांति (Thermal Instability): जब गर्म, नम हवा तेजी से ऊपर उठती है और ठंडी, शुष्क हवा से मिलती है, तो वायुमंडल में एक प्रकार की अस्थिरता पैदा होती है। यह अस्थिरता बड़े और घने ‘क्युमुलोनिम्बस’ (Cumulonimbus) बादलों के निर्माण को बढ़ावा देती है।
- पहाड़ी स्थलाकृति (Mountainous Topography): उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों की टेढ़ी-मेढ़ी संरचना बादल फटने के लिए उत्प्रेरक का काम करती है। जब नम हवा पहाड़ों की ओर बढ़ती है, तो उसे ऊपर की ओर धकेला जाता है। यह ‘ओरोग्राफिक लिफ्टिंग’ (Orographic Lifting) हवा को तेजी से ठंडा करती है, जिससे उसमें मौजूद जलवाष्प संघनित होकर भारी मात्रा में पानी की बूंदों में बदल जाती है।
- वातावरण में नमी का उच्च स्तर (High Moisture Content in Atmosphere): जब वातावरण में पहले से ही बड़ी मात्रा में जलवाष्प मौजूद होती है, तो बादल फटने की संभावना बढ़ जाती है।
- ठंडी हवा का प्रवेश (Inflow of Cold Air): कभी-कभी, ऊपरी वायुमंडल में ठंडी हवा का अचानक प्रवेश, गर्म, नम हवा को और तेजी से ऊपर धकेलता है, जिससे बादल के अंदर जलवाष्प का तेजी से संघनन होता है।
- लंबे समय तक वर्षा (Prolonged Rainfall): कई बार, सामान्य वर्षा की स्थिति में भी, यदि हवा का ऊर्ध्वाधर विकास (Vertical Development) बहुत अधिक हो जाता है और बादल में जल धारण क्षमता से अधिक जलवाष्प जमा हो जाती है, तो वह अचानक फट सकता है।
धराली त्रासदी: घटना का विवरण (Dharali Tragedy: Event Details):
उत्तराखंड के धराली क्षेत्र में हुई यह घटना कई कारणों से असाधारण थी:
- एकाधिक बादल फटना (Multiple Cloudbursts): एक ही समय में तीन अलग-अलग स्थानों पर बादल फटने की घटना ने तबाही की तीव्रता को बढ़ाया।
- अत्यधिक तीव्र वर्षा (Extremely Intense Rainfall): मात्र 34 सेकंड के छोटे अंतराल में इतनी विनाशकारी वर्षा होना, यह दर्शाता है कि यह एक अत्यंत तीव्र और केंद्रित घटना थी।
- सेना के कैंप का बह जाना (Washing Away of Army Camp): भूस्खलन और बाढ़ के पानी ने सेना के एक महत्वपूर्ण कैंप को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें 10 जवान लापता हो गए। यह न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि रक्षा प्रतिष्ठानों की भेद्यता को भी उजागर करती है।
- बड़े पैमाने पर जनहानि और लापता (Mass Casualties and Missing Persons): 4 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोगों के लापता होना, इस घटना की भयावहता को दर्शाता है।
- बुनियादी ढाँचे का विनाश (Destruction of Infrastructure): सड़कें, पुल, घर और अन्य बुनियादी ढाँचे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिससे बचाव और राहत कार्यों में बाधा आ रही है।
आपदा प्रबंधन की चुनौतियाँ (Challenges in Disaster Management):**
ऐसी विनाशकारी और अचानक होने वाली आपदाओं का प्रबंधन अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है। धराली त्रासदी ने कई प्रमुख चुनौतियों को सामने लाया है:
“पहाड़ों की नाजुक पारिस्थितिकी और बदलता जलवायु पैटर्न, बादल फटने जैसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहा है। यह हमारे आपदा प्रबंधन प्रणालियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है।”
- शीघ्र चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): हालांकि भारत में मौसम संबंधी चेतावनी प्रणालियाँ मौजूद हैं, लेकिन अत्यंत तीव्र और स्थानीयकृत घटनाओं जैसे बादल फटने के लिए अधिक परिष्कृत और सटीक चेतावनी प्रणालियों की आवश्यकता है।
- पहुँच और लॉजिस्टिक्स (Access and Logistics): पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में बचाव और राहत टीमों का पहुँचना एक बड़ी चुनौती होती है, खासकर जब सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
- संचार अवरोध (Communication Breakdown): आपदा के दौरान अक्सर संचार लाइनें बाधित हो जाती हैं, जिससे बचाव कार्यों का समन्वय करना मुश्किल हो जाता है।
- पर्याप्त संसाधनों की कमी (Lack of Adequate Resources): विशेष रूप से शुरुआती घंटों में, बड़ी संख्या में हताहतों और लापता लोगों के लिए पर्याप्त चिकित्सा, बचाव और राहत संसाधनों की तत्काल आवश्यकता होती है।
- पुनर्निर्माण और पुनर्वास (Reconstruction and Rehabilitation):** आपदा के बाद, प्रभावित लोगों के पुनर्वास और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढाँचे के पुनर्निर्माण में लंबा समय और महत्वपूर्ण संसाधन लगते हैं।
- सुरक्षा कर्मियों की भेद्यता (Vulnerability of Security Personnel): सेना और अन्य सुरक्षा कर्मियों का आपदा राहत कार्यों में शामिल होना सराहनीय है, लेकिन इन घटनाओं में उनकी अपनी सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय बन जाती है, जैसा कि धराली मामले में देखा गया।
जलवायु परिवर्तन और बादल फटना (Climate Change and Cloudburst):
वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, बादल फटने जैसी चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके पीछे के कारण इस प्रकार हैं:
- बढ़ा हुआ वाष्पीकरण (Increased Evaporation): बढ़ते तापमान के कारण महासागरों और अन्य जल निकायों से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है, जिससे वायुमंडल में अधिक नमी उपलब्ध होती है।
- अस्थिरता में वृद्धि (Increased Instability): वातावरण में अधिक नमी का मतलब है कि अधिक ऊर्जा उपलब्ध है, जो संवहनी (convective) वर्षा और बादल फटने जैसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकती है।
- वायुमंडलीय परिसंचरण में बदलाव (Changes in Atmospheric Circulation): जलवायु परिवर्तन, हवा के पैटर्न और वायुमंडलीय परिसंचरण को बदल सकता है, जिससे कुछ क्षेत्रों में तीव्र वर्षा की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
- हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता (Vulnerability of Himalayan Region): हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है। यहाँ ग्लेशियरों का पिघलना, तापमान वृद्धि और वर्षा पैटर्न में बदलाव, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं के जोखिम को बढ़ाते हैं।
UPSC के संदर्भ में विश्लेषण (Analysis in the Context of UPSC):
यह घटना UPSC परीक्षा के विभिन्न पहलुओं के लिए प्रासंगिक है:
भूगोल (Geography):
- बादल फटने की प्रक्रिया, इसके भौगोलिक कारण (पहाड़ी स्थलाकृति, ओरोग्राफिक लिफ्टिंग)।
- भारत के वर्षा पैटर्न और चरम मौसमी घटनाएँ।
- हिमालयी क्षेत्र की भू-जलवायु विशेषताएँ।
पर्यावरण (Environment):
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और चरम मौसमी घटनाओं से इसका संबंध।
- पहाड़ी पारिस्थितिक तंत्र की नाजुकता और मानवीय गतिविधियों का प्रभाव।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और टिकाऊ विकास की आवश्यकता।
आपदा प्रबंधन (Disaster Management):
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ढाँचा (NDRF, NDMA)।
- आपदाओं को कम करने, प्रतिक्रिया देने और पुनर्प्राप्त करने के लिए रणनीतियाँ।
- चेतावनी प्रणालियाँ, तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र।
- बुनियादी ढाँचे का आपदा-प्रतिरोधी निर्माण।
सुरक्षा (Security):
- सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और आपदाओं के प्रति उनकी भेद्यता।
- आपदा राहत कार्यों में सेना की भूमिका और चुनौतियाँ।
- आंतरिक सुरक्षा पर प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव (जैसे, विस्थापन, संसाधनों की कमी)।
शासन (Governance):
- आपदा प्रबंधन में केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका।
- नीति निर्माण और कार्यान्वयन में चुनौतियाँ।
- अंतर-एजेंसी समन्वय (Inter-agency Coordination)।
भविष्य की राह: शमन और अनुकूलन (Way Forward: Mitigation and Adaptation):
इस तरह की त्रासदियों से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
- वर्धित चेतावनी प्रणालियाँ (Enhanced Warning Systems): बेहतर रडार, उपग्रह इमेजरी और स्थानीय मौसम पूर्वानुमानों का उपयोग करके बादल फटने जैसी घटनाओं के लिए पूर्व-चेतावनी के समय को बढ़ाना।
- शहरी और ग्रामीण योजना (Urban and Rural Planning): संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण को विनियमित करना, सुरक्षित स्थानों पर आवास का स्थानांतरण, और बाढ़-प्रूफ बुनियादी ढाँचे का विकास।
- वन संरक्षण और वृक्षारोपण (Forest Conservation and Afforestation):** पहाड़ी ढलानों पर वनों की कटाई को रोकना और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देना, जो मिट्टी को स्थिर करने और जल प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
- सामुदायिक सहभागिता (Community Participation):** स्थानीय समुदायों को आपदा तैयारी, प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया में शामिल करना। सामुदायिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना।
- बुनियादी ढाँचे को मजबूत बनाना (Strengthening Infrastructure):** सड़कों, पुलों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का निर्माण इस तरह से करना कि वे चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर सकें।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन (Adaptation to Climate Change):** जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाना।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार (Improving Emergency Response Capabilities):** बचाव और राहत टीमों को अत्याधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षण से लैस करना।
- आपदा बीमा (Disaster Insurance):** प्रभावित परिवारों और व्यवसायों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए बीमा योजनाओं को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष (Conclusion):
धराली में हुई बादल फटने की घटना एक गंभीर चेतावनी है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से बदलती जलवायु के संदर्भ में, कितनी गंभीरता से तैयारी करने की आवश्यकता है। यह घटना न केवल जान-माल के नुकसान का कारण बनी है, बल्कि इसने हमारे सुरक्षा तंत्र और आपदा प्रबंधन की तैयारियों की कमजोरियों को भी उजागर किया है। UPSC उम्मीदवारों को इन घटनाओं का विश्लेषण केवल एक समाचार के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यापक नीतिगत और रणनीतिक चुनौती के रूप में करना चाहिए, जिसमें पर्यावरण, सुरक्षा, शासन और समाज के सभी पहलू शामिल हों। हमें भविष्य में ऐसी त्रासदियों के प्रभाव को कम करने के लिए एक मजबूत, सतर्क और अनुकूलनीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित में से कौन सी घटना बादल फटने का मुख्य कारण है?
(a) उच्च वायुमंडलीय दबाव
(b) वायुमंडल में नमी का अत्यधिक जमाव और अचानक संघनन
(c) सतह पर तापमान का अचानक गिरना
(d) तेज हवाओं का न चलना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: बादल फटने की घटना तब होती है जब वायुमंडल में भारी मात्रा में जलवाष्प जमा हो जाती है और किसी कारणवश (जैसे पहाड़ी स्थलाकृति या तीव्र ऊर्ध्वाधर वायु प्रवाह) उसका तेजी से संघनन होकर अत्यधिक वर्षा होती है।
2. “ओरोग्राफिक लिफ्टिंग” (Orographic Lifting) क्या है, जो बादल फटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) गर्म हवा का ठंडी सतह पर संघनित होना
(b) हवा का पर्वतीय बाधाओं द्वारा ऊपर की ओर धकेला जाना
(c) ठंडी हवा का गर्म हवा को नीचे धकेलना
(d) हवा में धूल कणों द्वारा जलवाष्प का अवशोषण
उत्तर: (b)**
व्याख्या: ओरोग्राफिक लिफ्टिंग वह प्रक्रिया है जिसमें हवा को किसी पर्वतीय श्रृंखला जैसी भौगोलिक बाधा से गुजरते समय ऊपर की ओर धकेला जाता है। इससे हवा ठंडी होती है और बादल बनते हैं, जो बादल फटने की संभावना बढ़ाते हैं।
3. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, बादल फटने की घटना कब मानी जाती है?
(a) एक घंटे में 50 मिमी से अधिक वर्षा
(b) एक घंटे में 75 मिमी से अधिक वर्षा
(c) एक घंटे में 100 मिमी से अधिक वर्षा
(d) 24 घंटे में 200 मिमी से अधिक वर्षा
उत्तर: (c)**
व्याख्या: IMD के अनुसार, एक घंटे में 100 मिमी या उससे अधिक वर्षा को बादल फटना माना जाता है।
4. निम्नलिखित में से कौन सा कारक उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने के जोखिम को बढ़ाता है?
I. तीव्र ढलान वाले इलाके
II. वनों की कटाई
III. हिमनदों का पिघलना
IV. कम वायुमंडलीय आर्द्रता
(a) I, II और III
(b) II, III और IV
(c) I और IV
(d) I, II, III और IV
उत्तर: (a)**
व्याख्या: तीव्र ढलान, वनों की कटाई (जो मिट्टी को अस्थिर करती है) और जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों का पिघलना, सभी बादल फटने के जोखिम को बढ़ाते हैं। कम वायुमंडलीय आर्द्रता इसके विपरीत, बादल फटने की संभावना को कम करती है।
5. “क्युमुलोनिम्बस” (Cumulonimbus) बादल किस प्रकार के मौसम से जुड़े हैं?
(a) हल्की और मध्यम वर्षा
(b) तेज हवाओं और गरज के साथ भारी वर्षा, ओलावृष्टि और बिजली गिरना
(c) कोहरा और धुंध
(d) शुष्क और स्थिर मौसम
उत्तर: (b)**
व्याख्या: क्युमुलोनिम्बस बादल, जिन्हें अक्सर “तूफान के बादल” कहा जाता है, गंभीर मौसम की घटनाओं जैसे भारी वर्षा, गरज, बिजली और ओलावृष्टि से जुड़े होते हैं, और बादल फटने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
6. आपदाओं के शमन (Mitigation) से क्या तात्पर्य है?
(a) आपदा के बाद त्वरित राहत प्रदान करना
(b) आपदा के प्रभाव और गंभीरता को कम करने के उपाय करना
(c) आपदा की भविष्यवाणी करना
(d) आपदा के बारे में लोगों को जागरूक करना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: शमन का अर्थ है ऐसी गतिविधियों को करना जो किसी आपदा के होने पर उसके नकारात्मक प्रभावों को कम करें, जैसे कि निर्माण मानकों को मजबूत करना या प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ स्थापित करना।
7. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना किस वर्ष की गई थी?
(a) 2000
(b) 2004
(c) 2005
(d) 2007
उत्तर: (c)**
व्याख्या: NDMA की स्थापना आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी।
8. हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील क्यों है?
I. तीव्र तापमान परिवर्तन
II. उच्च ऊंचाई पर वायुमंडलीय दबाव में भिन्नता
III. ग्लेशियरों का पिघलना
IV. वनों की कटाई का बढ़ता दर
(a) I, II और III
(b) II, III और IV
(c) I, III और IV
(d) I, II, III और IV
उत्तर: (c)**
व्याख्या: हिमालयी क्षेत्र तीव्र तापमान परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने और वनों की कटाई के बढ़ते दर के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रति अति संवेदनशील है। उच्च वायुमंडलीय दबाव में भिन्नता एक प्राकृतिक कारक है, जो संवेदनशीलता का मुख्य कारण नहीं है।
9. आपदा प्रबंधन में “प्रतिक्रिया” (Response) चरण में क्या शामिल होता है?
(a) जोखिम मूल्यांकन और शमन योजनाएँ
(b) सामुदायिक जागरूकता अभियान
(c) बचाव, राहत और पुनर्वास कार्य
(d) पुनर्निर्माण और दीर्घकालिक विकास
उत्तर: (c)**
व्याख्या: प्रतिक्रिया चरण में आपदा के घटित होने के तुरंत बाद की जाने वाली तत्काल कार्रवाई शामिल होती है, जैसे बचाव अभियान, चिकित्सा सहायता और अस्थायी आवास प्रदान करना।
10. धराली त्रासदी में सेना के कैंप का प्रभावित होना, किस सुरक्षा चिंता को उजागर करता है?
(a) सीमा सुरक्षा में चूक
(b) चरम मौसमी घटनाओं के प्रति सैन्य प्रतिष्ठानों की भेद्यता
(c) आतंकवादियों द्वारा सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला
(d) सैनिकों के प्रशिक्षण में कमी
उत्तर: (b)**
व्याख्या: सेना के कैंप का बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होना, यह दर्शाता है कि महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान भी ऐसी घटनाओं के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं और उन्हें ऐसी आपदाओं से बचाने के लिए योजना की आवश्यकता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहा है।” उपरोक्त कथन के प्रकाश में, भारत में बादल फटने की घटनाओं पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें और ऐसे शमन उपायों पर प्रकाश डालें जो भारत की पहाड़ी क्षेत्रों की भेद्यता को कम कर सकें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. उत्तराखंड की धराली त्रासदी जैसी घटनाओं ने भारत के आपदा प्रबंधन ढाँचे की तैयारियों और प्रतिक्रिया में क्या कमियाँ उजागर की हैं? एक प्रभावी और भविष्य के लिए तैयार आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए आवश्यक सुधारों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
3. प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से भू-आपदाओं (जैसे भूस्खलन और बादल फटना) के प्रति हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाली रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालें। (150 शब्द, 10 अंक)
4. आपदा राहत कार्यों में सेना की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन धराली त्रासदी में सेना के जवानों के लापता होने से यह भी स्पष्ट होता है कि वे भी जोखिम में हैं। आपदाओं से निपटने के दौरान सुरक्षा बलों की तैयारी, प्रशिक्षण और उनके कल्याण से संबंधित मुद्दों का विश्लेषण करें। (150 शब्द, 10 अंक)