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उत्तराखंड का मनसा देवी मंदिर: 6 जानें लेने वाली भगदड़ के पीछे की सच्चाई – चश्मदीद का दावा बनाम पुलिस की रिपोर्ट

उत्तराखंड का मनसा देवी मंदिर: 6 जानें लेने वाली भगदड़ के पीछे की सच्चाई – चश्मदीद का दावा बनाम पुलिस की रिपोर्ट

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में हुई दुखद भगदड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में जहां 6 लोगों की जान चली गई, वहीं 29 अन्य घायल हो गए। घटना मंदिर से मात्र 25 सीढ़ियाँ ऊपर हुई, जहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अनियंत्रित हो गई। इस घटना के बाद, चश्मदीदों द्वारा यह दावा किया गया कि बिजली के तार में करंट उतरने से अफरातफरी मची, जबकि पुलिस ने इसे महज़ अफवाह करार दिया है। यह घटना न केवल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि भीड़ प्रबंधन, बुनियादी ढांचे की कमी और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक उपायों पर भी प्रकाश डालती है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा, जिसमें इसके कारणों, परिणामों, प्रभावितों के प्रति सरकारी प्रतिक्रिया, और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए आवश्यक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हम इस घटना को UPSC परीक्षाओं के दृष्टिकोण से भी देखेंगे, जिसमें संबंधित विषय जैसे आपदा प्रबंधन, सामाजिक न्याय, सार्वजनिक स्वास्थ्य, और शासन शामिल हैं।

घटना का विवरण और प्रारंभिक प्रतिक्रिया (Incident Details and Initial Response):

हरिद्वार, भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक, अपने कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। मनसा देवी मंदिर, जो एक पहाड़ी पर स्थित है और देवी मनसा को समर्पित है, हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों और त्योहारों के दौरान। इस बार, एक सामान्य दिन पर भी, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी थी।

  • स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड।
  • समय: (समाचार में विशिष्ट समय का उल्लेख नहीं है, लेकिन यह एक सामान्य भीड़भाड़ वाला समय था।)
  • कारण (प्रारंभिक): अनियंत्रित भीड़, संभवतः संकीर्ण मार्ग और सुरक्षा व्यवस्था में खामियाँ।
  • हताहत: 6 लोगों की मृत्यु, 29 घायल।
  • चश्मदीद का दावा: बिजली के तार में करंट उतरने से भगदड़ मची।
  • पुलिस का खंडन: यह एक अफवाह है; भगदड़ भीड़ के दबाव से हुई।

घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के पास एक बिजली के तार से चिंगारी निकली या करंट उतरा, जिससे अचानक अफरातफरी मच गई और लोग भागने लगे। वहीं, स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने इस दावे को तुरंत खारिज करते हुए कहा कि प्राथमिक जांच में करंट उतरने का कोई सबूत नहीं मिला है और यह पूरी तरह से भीड़ के दबाव का परिणाम था। यह विरोधाभासी बयान जांच के महत्व और सूचना के प्रसार में स्पष्टता की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

भगदड़ के संभावित कारण: एक गहन विश्लेषण (Potential Causes of the Stampede: An In-depth Analysis):

किसी भी भगदड़ के पीछे एक अकेला कारण नहीं होता, बल्कि कई कारक मिलकर इस त्रासदी को अंजाम देते हैं। मनसा देवी मंदिर की इस घटना के संदर्भ में, हम निम्नलिखित संभावित कारणों का विश्लेषण कर सकते हैं:

1. भीड़ प्रबंधन में विफलता (Failure in Crowd Management):

  • अत्यधिक घनत्व: उत्सवों या विशेष दिनों में, मंदिर परिसर में क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं का जमावड़ा हो जाता है।
  • संकीर्ण मार्ग: मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते, विशेष रूप से सीढ़ियों के पास, भीड़ के दबाव को संभालने के लिए पर्याप्त चौड़े नहीं हो सकते हैं।
  • प्रवेश और निकास बिंदु: यदि प्रवेश और निकास द्वार सीमित हैं या अव्यवस्थित हैं, तो वे भीड़ को नियंत्रित करने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
  • प्रभावी निगरानी और नियंत्रण: पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मियों की अनुपस्थिति या उनके अप्रभावी तैनाती से भीड़ अनियंत्रित हो सकती है।

2. बुनियादी ढांचे की कमियाँ (Infrastructure Deficiencies):

  • सीढ़ियों की स्थिति: मंदिर तक पहुँचने वाली सीढ़ियाँ कितनी चौड़ी और सुरक्षित हैं? क्या उनकी रेलिंग मजबूत है?
  • आपातकालीन निकास: क्या मंदिर परिसर में पर्याप्त और स्पष्ट रूप से चिह्नित आपातकालीन निकास उपलब्ध हैं?
  • प्रकाश व्यवस्था और दिशा-निर्देश: अपर्याप्त प्रकाश व्यवस्था या स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी भ्रम और घबराहट पैदा कर सकती है।
  • बिजली की आपूर्ति: जैसा कि कुछ चश्मदीदों ने दावा किया, यदि बिजली के तार और उपकरण सुरक्षित रूप से स्थापित नहीं हैं, तो यह एक खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।

3. सूचना और संचार का अभाव (Lack of Information and Communication):

  • श्रद्धालुओं को चेतावनी: भीड़ बढ़ने या किसी संभावित खतरे के बारे में श्रद्धालुओं को पहले से सूचित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी।
  • अफवाहों का प्रसार: संचार की कमी के कारण, अफवाहें (जैसे करंट उतरना) तेजी से फैल सकती हैं और घबराहट बढ़ा सकती हैं।
  • नियंत्रित घोषणा प्रणाली: प्रभावी सार्वजनिक घोषणा प्रणाली की अनुपस्थिति में, स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।

4. मानव व्यवहार और मनोविज्ञान (Human Behavior and Psychology):

  • ‘बंचिंग’ प्रभाव: जब भीड़ किसी संकीर्ण स्थान पर एक साथ जमा होती है, तो आगे बढ़ने का दबाव बढ़ता है, जिससे धक्का-मुक्की होती है।
  • घबराहट और डर: एक छोटी सी घटना भी, जैसे कि किसी का गिरना, तुरंत घबराहट पैदा कर सकती है, जिससे बचने की प्रवृत्ति भगदड़ का रूप ले लेती है।
  • धार्मिक उत्साह: धार्मिक स्थलों पर, श्रद्धालुओं का उत्साह कभी-कभी विवेक पर हावी हो जाता है, जिससे वे सुरक्षा दिशानिर्देशों को नजरअंदाज कर देते हैं।

“भगदड़ें आमतौर पर तब होती हैं जब भीड़ इतनी सघन हो जाती है कि व्यक्तियों की व्यक्तिगत गतिशीलता समाप्त हो जाती है, और वे भीड़ के सामूहिक प्रवाह के साथ अनैच्छिक रूप से बहने लगते हैं।”

सरकारी प्रतिक्रिया और राहत कार्य (Government Response and Relief Operations):

इस दुखद घटना के बाद, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए।

  • घायलों का इलाज: घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने के लिए जिला अस्पताल और अन्य चिकित्सा केंद्रों में भेजा गया।
  • मृतकों की पहचान: मृतकों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की गई और उनके परिवारों को सूचित किया गया।
  • जांच का आदेश: घटना के कारणों की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की गई।
  • मुआवजा: राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
  • सुरक्षा उपायों की समीक्षा: भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंदिर परिसर और अन्य धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए।

यह महत्वपूर्ण है कि सरकारी प्रतिक्रिया त्वरित और प्रभावी हो, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण है कि इस घटना से सीख लेकर ठोस निवारक उपाय किए जाएं।

विवाद: चश्मदीद का दावा बनाम पुलिस की रिपोर्ट (The Controversy: Eyewitness Claim vs. Police Report):

इस घटना का एक विवादास्पद पहलू चश्मदीदों द्वारा बिजली के तार में करंट उतरने का दावा है, जिसे पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया है। यह विसंगति कई सवाल उठाती है:

  • क्या बिजली की व्यवस्था सुरक्षित थी? मंदिर जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बिजली के तारों का रखरखाव और सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • क्या चश्मदीद गलत थे? भगदड़ के दौरान, लोग घबराहट में गलत चीजें देख या अनुभव कर सकते हैं।
  • क्या पुलिस ने पर्याप्त जांच की? क्या पुलिस ने करंट की संभावना की जांच के लिए विशेषज्ञों को बुलाया था?
  • अफवाहों का प्रबंधन: पुलिस और प्रशासन को ऐसी अफवाहों को कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से खंडन करना चाहिए ताकि वे स्थिति को और न बिगाड़ें।

यह स्पष्ट है कि इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच आवश्यक है। यदि बिजली की अव्यवस्था या तार की समस्या थी, तो जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। यदि यह केवल एक अफवाह थी, तो यह स्थापित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसी अफवाहें कैसे फैलती हैं और उन्हें कैसे रोका जाए।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exams):

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए महत्वपूर्ण है:

1. सामान्य अध्ययन पेपर I (GS Paper I):

  • समाज: भारत की सांस्कृतिक विशेषताएँ, महत्वपूर्ण त्यौहार, तीर्थस्थल, सामाजिक मुद्दे, भीड़ प्रबंधन।

2. सामान्य अध्ययन पेपर II (GS Paper II):

  • शासन (Governance): सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में उनका हस्तक्षेप, विभिन्न मंत्रालयों की भूमिका, सार्वजनिक व्यस्था और सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा।
  • सामाजिक न्याय: कमजोर वर्गों के अधिकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा।

3. सामान्य अध्ययन पेपर III (GS Paper III):

  • आपदा प्रबंधन: भारत में आपदाओं के प्रकार, आपदा प्रबंधन के सिद्धांत, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका, निवारक और प्रशामक उपाय, आपदा प्रतिक्रिया।
  • आंतरिक सुरक्षा: सुरक्षा बल, आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कारक, आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ।

4. निबंध (Essay):

यह घटना “आपदा प्रबंधन: चुनौतियाँ और समाधान”, “सुरक्षा संस्कृति का निर्माण”, या “धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की आवश्यकता” जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए एक केस स्टडी के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है।

आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से (From the Perspective of Disaster Management):

मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ को एक ‘मानव-निर्मित’ या ‘भीड़-प्रेरित’ आपदा के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। एक प्रभावी आपदा प्रबंधन प्रणाली में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं, जो इस घटना के संदर्भ में प्रासंगिक हैं:

1. जोखिम मूल्यांकन और शमन (Risk Assessment and Mitigation):

  • संभावित जोखिमों की पहचान: मंदिर जैसे उच्च-फुटफॉल वाले स्थानों पर भीड़, संरचनात्मक कमजोरियाँ, बिजली की आपूर्ति, और भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों का नियमित मूल्यांकन।
  • शमन उपाय: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग, वन-वे ट्रैफिक सिस्टम, चौड़े रास्ते, और क्षमता से अधिक प्रवेश पर रोक लगाना।

2. तैयारी (Preparedness):

  • निकासी योजना: आपातकालीन निकासी के लिए स्पष्ट योजनाएँ और मॉक ड्रिल।
  • प्रशिक्षण: सुरक्षा कर्मियों, स्वयंसेवकों और स्थानीय कर्मचारियों को भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया में प्रशिक्षित करना।
  • संसाधन: पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी, चिकित्सा दल, एम्बुलेंस, प्राथमिक उपचार किट, और संचार उपकरण उपलब्ध रखना।
  • नियंत्रण कक्ष: एक केंद्रीयकृत नियंत्रण कक्ष स्थापित करना जो स्थिति की निगरानी कर सके और त्वरित निर्णय ले सके।

3. प्रतिक्रिया (Response):

  • त्वरित कार्रवाई: घटना की सूचना मिलते ही तुरंत राहत और बचाव दल भेजना।
  • प्राथमिक उपचार और चिकित्सा सहायता: घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करना।
  • व्यवस्था बनाए रखना: शांति और व्यवस्था बनाए रखना, अफवाहों को फैलने से रोकना।
  • सूचना का प्रसार: स्थिति के बारे में सटीक और अद्यतन जानकारी प्रदान करना।

4. पुनर्प्राप्ति (Recovery):

  • क्षति का आकलन: संरचनात्मक क्षति और अन्य हानियों का आकलन।
  • सहायता: प्रभावित लोगों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करना।
  • सीख: भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए घटना से मिली सीख को लागू करना।

भविष्य की राह: निवारक उपाय और सिफारिशें (The Way Forward: Preventive Measures and Recommendations):

इस दुखद घटना को दोहराए जाने से रोकने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

  1. कठोर भीड़ प्रबंधन नियम: सभी धार्मिक स्थलों, विशेष रूप से प्रसिद्ध और अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों पर, सख्त और प्रभावी भीड़ प्रबंधन नीतियां लागू की जानी चाहिए। इनमें क्षमता निर्धारण, प्रवेश/निकास प्रबंधन, और भीड़ घनत्व की निगरानी शामिल है।
  2. बुनियादी ढांचे का उन्नयन: मंदिर परिसरों और उनके आसपास के रास्तों को इस तरह से डिजाइन और बनाए रखा जाना चाहिए कि वे भारी भीड़ को संभाल सकें। इसमें चौड़े रास्ते, मजबूत रेलिंग, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था और स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल हैं।
  3. तकनीकी सहायता: भीड़ की निगरानी के लिए क्लोज-सर्किट टेलीविजन (CCTV) कैमरे, भीड़ घनत्व को मापने वाले सेंसर, और सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (PAS) का उपयोग किया जाना चाहिए।
  4. नियमित सुरक्षा ऑडिट: सभी धार्मिक स्थलों का नियमित अंतराल पर सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए, जिसमें बिजली के तार, संरचनात्मक अखंडता, और अग्नि सुरक्षा शामिल हो।
  5. प्रशिक्षण और जागरूकता: स्वयंसेवकों, मंदिर के कर्मचारियों, और सुरक्षा कर्मियों को भीड़ प्रबंधन, आपातकालीन प्रतिक्रिया, और प्राथमिक उपचार में नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। श्रद्धालुओं को भी सुरक्षा दिशानिर्देशों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
  6. आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों की तैनाती: महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों के दौरान, पहले से ही प्रशिक्षित आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों की तैनाती सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  7. अफवाह प्रबंधन: किसी भी अप्रिय घटना के दौरान, तत्काल और विश्वसनीय सूचना प्रसार के लिए एक मजबूत प्रणाली होनी चाहिए ताकि अफवाहों को रोका जा सके।
  8. कानूनी ढांचा: भीड़ प्रबंधन और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान हो।

“किसी भी त्रासदी से सबसे बड़ी सीख भविष्य को सुरक्षित बनाना है।”

निष्कर्ष (Conclusion):

हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ एक झकझोर देने वाली घटना है जिसने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के मुद्दे को फिर से सामने लाया है। 6 लोगों की जान और कई लोगों के घायल होने के साथ, यह घटना भीड़ प्रबंधन, बुनियादी ढांचे की कमियों और सुरक्षा प्रोटोकॉल के महत्व पर प्रकाश डालती है। चश्मदीदों के दावों और पुलिस की रिपोर्टों के बीच का विरोधाभास एक गहन जांच की आवश्यकता को दर्शाता है। भारत जैसे देश में, जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों में भारी भीड़ उमड़ती है, ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए एक सक्रिय, बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य है। सरकारों, धार्मिक संस्थानों और जनता को मिलकर काम करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आस्था के ये पवित्र स्थान सभी के लिए सुरक्षित रहें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. मनसा देवी मंदिर भगदड़ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह घटना हरिद्वार के एक प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर में हुई।
2. भगदड़ में 6 लोगों की मृत्यु हुई और 29 घायल हुए।
3. कुछ चश्मदीदों ने बिजली के तार में करंट उतरने का दावा किया, जिसे पुलिस ने अफवाह बताया।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन समाचार में दिए गए विवरण के अनुसार सत्य हैं।

2. भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी है?
(a) भीड़ को नियंत्रित करने के लिए केवल अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों की तैनाती।
(b) मंदिर परिसर में लाउडस्पीकर से लगातार घोषणाएँ करना।
(c) प्रभावी भीड़ प्रबंधन नीतियां, बुनियादी ढांचे का उन्नयन, और नियमित सुरक्षा ऑडिट।
(d) घटनाओं के बाद जांच और मुआवजे का प्रावधान।

उत्तर: (c)
व्याख्या: भगदड़ रोकने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसमें नीतियां, ढांचागत सुधार और नियमित जांच शामिल हैं। केवल एक उपाय पर्याप्त नहीं है।

3. आपदा प्रबंधन के किस चरण में जोखिम मूल्यांकन और शमन (Risk Assessment and Mitigation) शामिल है?
(a) प्रतिक्रिया (Response)
(b) पुनर्प्राप्ति (Recovery)
(c) तैयारी (Preparedness)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं (यह आपदा से पहले का चरण है)

उत्तर: (d)
व्याख्या: जोखिम मूल्यांकन और शमन आपदा से पहले की तैयारी का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य संभावित खतरों को पहचानना और उनके प्रभाव को कम करना है।

4. “भीड़ प्रबंधन” (Crowd Management) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक महत्वपूर्ण नहीं है?
(a) प्रवेश और निकास बिंदुओं का डिज़ाइन।
(b) भीड़ घनत्व की निगरानी।
(c) धार्मिक स्थलों पर मुफ्त वाई-फाई की उपलब्धता।
(d) भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग।

उत्तर: (c)
व्याख्या: भीड़ प्रबंधन में भौतिक और संगठनात्मक उपाय शामिल होते हैं। मुफ्त वाई-फाई की उपलब्धता सीधे तौर पर भीड़ को नियंत्रित करने से संबंधित नहीं है।

5. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) की भूमिका किस प्रकार की आपदाओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण है?
(a) केवल प्राकृतिक आपदाएँ।
(b) केवल मानव-निर्मित आपदाएँ।
(c) सभी प्रकार की आपदाएँ, जिनमें मानव-निर्मित और प्राकृतिक दोनों शामिल हैं।
(d) केवल वित्तीय आपदाएँ।

उत्तर: (c)
व्याख्या: NDMA भारत में सभी प्रकार की आपदाओं के प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है।

6. किसी घटना के दौरान अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
(a) सूचना के स्रोत पर विश्वास न करना।
(b) अफवाहों को अनदेखा करना।
(c) तत्काल, सटीक और विश्वसनीय सूचना का प्रसार।
(d) सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाना।

उत्तर: (c)
व्याख्या: विश्वसनीय सूचना का तीव्र प्रसार अफवाहों को प्रभावी ढंग से बेअसर कर सकता है।

7. मनसा देवी मंदिर की घटना किस प्रकार की आपदा का उदाहरण है?
(a) भूस्खलन
(b) बाढ़
(c) भीड़-प्रेरित या मानव-निर्मित आपदा
(d) भूकंप

उत्तर: (c)
व्याख्या: यह घटना मुख्य रूप से भीड़ के अनियंत्रित होने और संभवतः अव्यवस्था के कारण हुई।

8. “आपदा के बाद पुनर्प्राप्ति” (Post-Disaster Recovery) चरण में निम्नलिखित में से क्या शामिल है?
(a) तत्काल बचाव कार्य।
(b) प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करना और सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रयास।
(c) जोखिमों की पहचान करना।
(d) मॉक ड्रिल आयोजित करना।

उत्तर: (b)
व्याख्या: पुनर्प्राप्ति चरण में सामान्य स्थिति बहाल करने और दीर्घकालिक समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

9. किसी धार्मिक स्थल पर सुरक्षा ऑडिट में निम्नलिखित में से किस पर ध्यान नहीं दिया जाएगा?
(a) बिजली के तारों की सुरक्षित स्थापना।
(b) मंदिर की संरचनात्मक अखंडता।
(c) भीड़ प्रबंधन की योजना।
(d) पुजारी का व्यक्तिगत जीवन।

उत्तर: (d)
व्याख्या: सुरक्षा ऑडिट का उद्देश्य भौतिक और प्रक्रियात्मक सुरक्षा का मूल्यांकन करना है, न कि व्यक्तिगत जीवन का।

10. “भगदड़” (Stampede) की स्थिति में, सबसे आम कारण क्या होता है?
(a) भीड़ का अत्यधिक घनत्व और अनियंत्रित प्रवाह।
(b) अपर्याप्त भोजन की आपूर्ति।
(c) खराब मौसम की स्थिति।
(d) बिजली की कटौती।

उत्तर: (a)
व्याख्या: भगदड़ का मूल कारण अत्यधिक भीड़ का घनत्व और उस भीड़ का अनियंत्रित, धक्का-मुक्की वाला प्रवाह है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. मनसा देवी मंदिर में हुई हालिया भगदड़ की घटना को आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से विश्लेषित करें। भगदड़ों को रोकने के लिए प्रभावी भीड़ प्रबंधन नीतियों और ढांचागत सुधारों की विस्तृत चर्चा करें, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका पर भी प्रकाश डालें।
(लगभग 250 शब्द)

2. धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन एक गंभीर चुनौती है, जो अक्सर मानव-निर्मित आपदाओं को जन्म देती है। इस संदर्भ में, 2013 की केदारनाथ त्रासदी और हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर भगदड़ जैसी घटनाओं की तुलना करते हुए, इन आपदाओं के मूल कारणों और सरकार द्वारा उठाए गए/उठाए जाने वाले निवारक उपायों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
(लगभग 150 शब्द)

3. “चश्मदीद का दावा बनाम आधिकारिक रिपोर्ट” जैसी विरोधाभासी जानकारी किसी भी आपदा की स्थिति में सार्वजनिक विश्वास और प्रतिक्रिया को कैसे प्रभावित कर सकती है? मनसा देवी मंदिर की घटना के आलोक में, इस मुद्दे से निपटने के लिए पारदर्शिता, त्वरित सूचना प्रसार और निष्पक्ष जांच के महत्व पर चर्चा करें।
(लगभग 150 शब्द)

4. भारत में, धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों के दौरान बड़ी संख्या में लोग धार्मिक स्थलों पर एकत्रित होते हैं। इस प्रकार की सार्वजनिक सभाओं में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उपरोक्त घटना के मद्देनजर, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए तकनीकी समाधानों (जैसे सेंसर, CCTV, AI-आधारित निगरानी) और पारंपरिक सुरक्षा उपायों के संयोजन पर एक विस्तृत नोट लिखें।
(लगभग 150 शब्द)

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