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उत्तराखंड आपदा: मजाड़ा के पुनर्निर्माण की राह और सीएम धामी की दिवाली – क्या है आगे की रणनीति?

उत्तराखंड आपदा: मजाड़ा के पुनर्निर्माण की राह और सीएम धामी की दिवाली – क्या है आगे की रणनीति?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के मजाड़ा गाँव में हुई विनाशकारी आपदा ने कई लोगों को बेघर कर दिया। ऐसे मुश्किल समय में, जहाँ कईयों ने अपना सब कुछ खो दिया, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इन प्रभावित परिवारों के साथ मिलकर दिवाली मनाई। यह घटना न केवल सामुदायिक भावना का प्रतीक है, बल्कि सरकारी संवेदनशीलता और मीडिया की भूमिका को भी उजागर करती है। अमर उजाला समाचार पत्र ने इस गाँव की पीड़ा को प्रमुखता से उठाकर सरकारी तंत्र का ध्यान आकर्षित किया था, जिसके फलस्वरूप यह मानवीय पहल संभव हो सकी। यह ब्लॉग पोस्ट मजाड़ा में हुई आपदा, मुख्यमंत्री की दिवाली मनाने की पहल, अमर उजाला की रिपोर्टिंग के महत्व, और सबसे महत्वपूर्ण, इस त्रासदी से उबरने और पुनर्निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की चुनौतियों और रणनीतियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जो UPSC परीक्षाओं के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आपदा का मंज़र: मजाड़ा की वह भयावह रात (The Disaster Scene: That Horrific Night in Majara)

उत्तराखंड, अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, वहीं यह भूस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति भी संवेदनशील है। टिहरी गढ़वाल जिले का मजाड़ा गाँव भी इसी संवेदनशीलता का शिकार हुआ। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने इस पहाड़ी गाँव को अपनी चपेट में ले लिया।

  • कारण: तीव्र और अनियंत्रित वर्षा, ढलानों का कमजोर होना, और संभवतः अनियोजित निर्माण गतिविधियों ने भूस्खलन को आमंत्रित किया।
  • प्रभाव: कई घर धराशायी हो गए, लोगों की जीविका के साधन नष्ट हो गए, और कई परिवार बेघर हो गए। जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ।
  • तत्काल प्रतिक्रिया: स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) और एनडीआरएफ (National Disaster Response Force) की टीमों ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया।

यह दृश्य किसी भी ऐसे क्षेत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है। यह केवल इमारतों का गिरना नहीं था, बल्कि लोगों के सपनों, उनकी मेहनत और उनकी आजीविका का अंत था।

आशा की किरण: सीएम धामी की दिवाली (A Ray of Hope: CM Dhami’s Diwali)

आपदा के बाद, जब समुदाय गहरे सदमे और अनिश्चितता से जूझ रहा था, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मजाड़ा गाँव का दौरा और वहाँ के लोगों के साथ दिवाली मनाना एक महत्वपूर्ण मानवीय gesture था।

“किसी भी आपदा से उबरने में समुदाय का मनोबल सर्वोपरि होता है। ऐसे समय में, जब लोग दुखी और निराश हों, उनके साथ खड़े होना, उनकी पीड़ा साझा करना और उन्हें यह अहसास कराना कि वे अकेले नहीं हैं, सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।” – एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी (काल्पनिक)

इस पहल के पीछे के उद्देश्य:

  • सामुदायिक मनोबल बढ़ाना: प्रभावित लोगों को यह दिखाना कि सरकार और समाज उनके साथ हैं, जिससे उनका हौसला बढ़े।
  • सहानुभूति व्यक्त करना: सीधे तौर पर पीड़ितों से मिलकर उनकी व्यथा सुनना और सहानुभूति व्यक्त करना।
  • पुनर्निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता जताना: यह संदेश देना कि सरकार उनके पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
  • मीडिया का ध्यान आकर्षित करना: इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक बनाए रखना।

यह केवल एक प्रतीकात्मक कार्य नहीं था, बल्कि इस बात का संकेत था कि सरकार जमीन पर समस्याओं को समझ रही है और समाधान की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

मीडिया की भूमिका: अमर उजाला की आवाज़ (The Role of Media: Amar Ujala’s Voice)

किसी भी समाज में, मीडिया एक ‘वॉचडॉग’ और ‘इन्फॉर्मेशन ब्रिज’ की भूमिका निभाता है। मजाड़ा गाँव के मामले में, अमर उजाला की रिपोर्टिंग ने इस भूमिका को बखूबी निभाया।

  • जनता की आवाज़ बनना: जब सरकारी तंत्र तुरंत अपनी पूरी क्षमता से प्रतिक्रिया नहीं दे पाता, तो मीडिया उन लोगों की आवाज़ बनता है जो सुने नहीं जा रहे। अमर उजाला ने मजाड़ा के लोगों की पीड़ा को देश के सामने रखा।
  • जवाबदेही तय करना: मीडिया की रिपोर्टिंग अक्सर सरकारों और अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करती है। इसने अधिकारियों को मजाड़ा की स्थिति की गंभीरता को समझने और त्वरित कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
  • जागरूकता फैलाना: इस घटना ने अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के लिए भी एक सबक का काम किया और आपदा पूर्व-तैयारी और प्रतिक्रिया प्रणालियों पर चर्चा को बढ़ावा दिया।

यह घटना इस बात का जीवंत उदाहरण है कि कैसे एक जिम्मेदार और सक्रिय मीडिया, शासन और जनता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता है। यह दर्शाता है कि कैसे एक समाचार पत्र केवल सूचना देने का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली उत्प्रेरक भी बन सकता है।

आपदा प्रबंधन: सिद्धांत और व्यवहार (Disaster Management: Theory and Practice)

मजाड़ा की आपदा, भारत में आपदा प्रबंधन की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालती है। आपदा प्रबंधन के चार मुख्य चरण होते हैं:

  1. शमन (Mitigation): आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्घकालिक उपाय।
  2. तैयारी (Preparedness): आपदा आने से पहले की योजनाएँ, प्रशिक्षण और संसाधन जुटाना।
  3. प्रतिक्रिया (Response): आपदा के दौरान और तुरंत बाद की जाने वाली आपातकालीन गतिविधियाँ।
  4. पुनर्प्राप्ति (Recovery): सामान्य स्थिति की बहाली और पुनर्निर्माण।

मजाड़ा के संदर्भ में:

  • शमन की कमी: शायद पहाड़ी ढलानों पर अनियोजित निर्माण और वनों की कटाई जैसी शमन की कमी ने समस्या को बढ़ाया।
  • तत्काल प्रतिक्रिया: राहत और बचाव कार्य भले ही तत्काल हुए हों, लेकिन दीर्घकालिक पुनर्निर्माण एक बड़ी चुनौती है।
  • पुनर्प्राप्ति और पुनर्निर्माण: यह वह चरण है जहाँ सरकार की प्रतिबद्धता और संसाधनों का वास्तविक परीक्षण होता है। प्रभावित लोगों के लिए सुरक्षित आश्रय, आजीविका के नए साधन और आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण महत्वपूर्ण है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMAs) की भूमिका, आपदाओं के लिए एकीकृत दृष्टिकोण, और ‘बिल्डिंग बैक बेटर’ (Building Back Better) की अवधारणा को समझना आवश्यक है।

पुनर्निर्माण की राह: चुनौतियाँ और रणनीतियाँ (The Path to Reconstruction: Challenges and Strategies)

मजाड़ा के पुनर्निर्माण का कार्य केवल ईंट-पत्थर जोड़ने तक सीमित नहीं है; यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई हितधारक शामिल होते हैं और विभिन्न चुनौतियाँ सामने आती हैं।

प्रमुख चुनौतियाँ (Major Challenges):

  • वित्तीय संसाधन: पुनर्निर्माण के लिए भारी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है, जिसके लिए सरकारी बजटीय आवंटन, केंद्रीय सहायता और संभवतः अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता होती है।
  • भूमि अधिग्रहण और योजना: सुरक्षित स्थानों पर नए आवासों का निर्माण, उचित योजना और भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक जटिल कार्य हो सकता है, खासकर पहाड़ी इलाकों में।
  • स्थायी आजीविका: जिन लोगों की आजीविका (जैसे कृषि, पशुपालन) नष्ट हो गई है, उनके लिए स्थायी और वैकल्पिक रोज़गार के अवसर पैदा करना एक बड़ी चुनौती है।
  • पर्यावरणीय संवेदनशीलता: पुनर्निर्माण गतिविधियों को पर्यावरणीय नियमों और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं का खतरा कम हो।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी: पुनर्निर्माण योजनाओं में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना ताकि उनकी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को समझा जा सके।
  • प्रशासनिक विलंब: नौकरशाही की लालफीताशाही और धीमी गति से कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा डाल सकती है।

प्रभावी रणनीतियाँ (Effective Strategies):

  • ‘बिल्डिंग बैक बेटर’ (BBB) ​​दृष्टिकोण: केवल पूर्व-आपदा स्थिति की बहाली नहीं, बल्कि बेहतर, अधिक सुरक्षित और अधिक लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण। इसमें भूकंप-रोधी निर्माण, भूस्खलन-सुरक्षित क्षेत्रों का चयन आदि शामिल हैं।
  • एकीकृत आपदा प्रबंधन: सभी संबंधित सरकारी विभागों (जैसे लोक निर्माण, राजस्व, पर्यावरण, वित्त) और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के बीच समन्वय स्थापित करना।
  • सामुदायिक-आधारित पुनर्निर्माण: स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
  • वित्तीय नवाचार: आपदा बीमा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल, और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) फंड का प्रभावी उपयोग।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: जीआईएस (Geographic Information System) और रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करना और बेहतर योजना बनाना।
  • लघु और मध्यम अवधि की आजीविका पहल: कौशल विकास, स्वरोजगार योजनाएं, और स्थानीय उत्पादों के विपणन के लिए सहायता।
  • निरंतर निगरानी और मूल्यांकन: पुनर्निर्माण की प्रगति की नियमित निगरानी और आवश्यकतानुसार योजनाओं में सुधार करना।

मुख्यमंत्री का दिवाली मनाना इस पुनर्निर्माण यात्रा का पहला कदम है। असली चुनौती अब इस यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने में है।

निष्कर्ष: आगे की राह (Conclusion: The Way Forward)

मजाड़ा की आपदा और उसके बाद मुख्यमंत्री की दिवाली मनाने की पहल, उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह मानवीय संकटों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता, मीडिया की जनहितैषी भूमिका, और एक जिम्मेदार नागरिक समाज के महत्व को रेखांकित करता है।

हालांकि, घटना का उत्सव समाप्त हो जाता है, लेकिन पुनर्निर्माण की राह लंबी और कठिन होती है। यह समय है कि हम केवल सहानुभूति से आगे बढ़कर ठोस कार्यों पर ध्यान केंद्रित करें।

  • सरकार के लिए: अल्पकालिक राहत के साथ-साथ दीर्घकालिक पुनर्निर्माण योजनाओं को तेज़ी से और कुशलता से लागू करने की आवश्यकता है। पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • मीडिया के लिए: केवल आपदा को कवर करने तक सीमित न रहकर, पुनर्निर्माण की प्रगति और आने वाली चुनौतियों पर भी नज़र रखना।
  • नागरिक समाज और NGOs के लिए: सरकारी प्रयासों में सहयोग करना और प्रभावित समुदायों को सशक्त बनाना।
  • आम जनता के लिए: आपदा पूर्व-तैयारी के महत्व को समझना और स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करना।

मजाड़ा की कहानी भारत के उन कई पहाड़ी और आपदा-प्रवण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है जो लगातार प्राकृतिक खतरों का सामना कर रहे हैं। इस घटना से सीख लेकर, हमें एक अधिक लचीला, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा। मुख्यमंत्री की दिवाली, उस भविष्य की आशा की एक छोटी सी लौ है, जिसे हमें निरंतर प्रज्वलित रखना है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. मजाड़ा गाँव, जहाँ हाल ही में आपदा की घटना हुई, भारत के किस राज्य में स्थित है?
(a) हिमाचल प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) जम्मू और कश्मीर
(d) सिक्किम

उत्तर: (b) उत्तराखंड
व्याख्या: मजाड़ा गाँव उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है, जहाँ हाल ही में भूस्खलन की घटना हुई।

2. प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के चार प्रमुख चरण कौन से हैं?
(a) शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति
(b) भविष्यवाणी, चेतावनी, बचाव, पुनर्निर्माण
(c) निगरानी, ​​निवारण, राहत, पुनर्वसन
(d) जोखिम मूल्यांकन, शमन, प्रतिक्रिया, दीर्घकालिक विकास

उत्तर: (a) शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति
व्याख्या: आपदा प्रबंधन के चार व्यापक चरण हैं: शमन (Mitigation), तैयारी (Preparedness), प्रतिक्रिया (Response), और पुनर्प्राप्ति (Recovery)।

3. ‘बिल्डिंग बैक बेटर’ (Building Back Better – BBB) ​​अवधारणा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) आपदा के बाद केवल पूर्व-आपदा स्थिति को बहाल करना।
(b) आपदा के बाद पूर्व-आपदा स्थिति से अधिक सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना।
(c) आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करना।
(d) पुनर्निर्माण के लिए केवल स्थानीय संसाधनों पर निर्भर रहना।

उत्तर: (b) आपदा के बाद पूर्व-आपदा स्थिति से अधिक सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना।
व्याख्या: BBB का लक्ष्य सिर्फ सामान्य स्थिति में लौटना नहीं, बल्कि आपदा से सीखकर भविष्य के लिए अधिक मजबूत और सुरक्षित निर्माण करना है।

4. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
1. यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है।
2. यह गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के अधीन कार्य करता है।
3. इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है, गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है, और इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।

5. भारत में भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों को वर्गीकृत करने में निम्नलिखित में से कौन सी तकनीकें सहायक हो सकती हैं?
1. भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS)
2. रिमोट सेंसिंग (RS)
3. ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: GIS, RS और GPS जैसी प्रौद्योगिकियाँ जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान, मानचित्रण और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो भूस्खलन के अध्ययन के लिए आवश्यक हैं।

6. मीडिया की ‘वॉचडॉग’ (Watchdog) भूमिका से क्या तात्पर्य है?
(a) केवल मनोरंजक सामग्री प्रदान करना।
(b) सरकारी कार्यों की निगरानी करना, अनियमितताओं को उजागर करना और जनता को सूचित करना।
(c) पक्षपातपूर्ण समाचारों को बढ़ावा देना।
(d) केवल व्यापारिक हितों का समर्थन करना।

उत्तर: (b) सरकारी कार्यों की निगरानी करना, अनियमितताओं को उजागर करना और जनता को सूचित करना।
व्याख्या: वॉचडॉग भूमिका में मीडिया सरकार और संस्थानों पर नज़र रखता है और जनता के हितों की रक्षा के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

7. मजाड़ा गाँव की घटना के संदर्भ में, मुख्यमंत्री की दिवाली मनाने का प्राथमिक उद्देश्य क्या था?
(a) केवल सरकारी खजाने पर खर्च बढ़ाना।
(b) प्रभावित लोगों के बीच आशा और आत्मविश्वास जगाना तथा सरकार की प्रतिबद्धता दिखाना।
(c) केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित करना।
(d) स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना।

उत्तर: (b) प्रभावित लोगों के बीच आशा और आत्मविश्वास जगाना तथा सरकार की प्रतिबद्धता दिखाना।
व्याख्या: यह एक मानवीय पहल थी जिसका उद्देश्य पीड़ितों का मनोबल बढ़ाना और उनके प्रति एकजुटता दिखाना था।

8. भारत में पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के प्रमुख गैर-मानवजनित (non-anthropogenic) कारण निम्नलिखित में से कौन से हैं?
1. भारी वर्षा
2. भूकंपीय गतिविधियाँ
3. वनस्पति आवरण में वृद्धि
4. नदी अपरदन (River erosion)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) 1, 2 और 4
(b) 1 और 2
(c) 2, 3 और 4
(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (a) 1, 2 और 4
व्याख्या: भारी वर्षा, भूकंपीय गतिविधियाँ और नदी अपरदन भूस्खलन के प्राकृतिक कारण हैं। वनस्पति आवरण में वृद्धि अक्सर भूस्खलन को रोकने में मदद करती है, न कि उसे बढ़ाती है।

9. निम्नलिखित में से कौन सी सरकारी संस्था आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए जिम्मेदार होती है?
(a) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
(b) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(c) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
(d) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)

उत्तर: (c) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
व्याख्या: NDRF विशेष रूप से आपदाओं के दौरान खोज, बचाव और राहत कार्यों के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित है। ISRO इसरो (ISRO) प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करता है, RBI वित्तीय मामलों से संबंधित है, और NHAI राजमार्गों से।

10. उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देना।
(b) राज्य में आपदाओं से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करना।
(c) केवल राज्य के वन संसाधनों का प्रबंधन करना।
(d) राज्य की अर्थव्यवस्था को विनियमित करना।

उत्तर: (b) राज्य में आपदाओं से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करना।
व्याख्या: SDMA राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन योजनाओं के निर्माण, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. मजाड़ा गाँव में हुई आपदा की घटना के प्रकाश में, भारत में आपदा प्रबंधन की चुनौतियों और उसमें मीडिया की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)

2. ‘बिल्डिंग बैक बेटर’ (Building Back Better) के सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में पुनर्निर्माण परियोजनाओं के संदर्भ में इसके महत्व और कार्यान्वयन की व्यवहार्यता पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)

3. प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित समुदायों के पुनर्वास और पुनर्जीवन में सरकारी सहायता, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भागीदारी और स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। मजाड़ा जैसी घटनाओं के आलोक में उदाहरण दीजिए। (150 शब्द, 10 अंक)

4. उत्तराखंड में भूस्खलन और अन्य भू-विपत्तियों के बढ़ते खतरे के मद्देनजर, सरकार को शमन (mitigation) और तैयारी (preparedness) के उपायों को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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