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‘ईंटें गिर रही थीं, सर’: बच्चों की चीखें अनसुनी, राजस्थान स्कूल हादसे की गहराई

‘ईंटें गिर रही थीं, सर’: बच्चों की चीखें अनसुनी, राजस्थान स्कूल हादसे की गहराई

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में राजस्थान के एक स्कूल में हुई दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एक पुरानी, जर्जर इमारत ढह जाने से सात निर्दोष बच्चों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। इस हादसे का सबसे मार्मिक पहलू यह है कि बच्चों ने और शायद उनके शिक्षकों ने भी, इमारत की बिगड़ती हालत को लेकर पहले ही अधिकारियों को आगाह किया था। यह घटना न केवल एक स्थानीय त्रासदी है, बल्कि यह देश भर में शिक्षा के बुनियादी ढांचे, सरकारी पर्यवेक्षण, सार्वजनिक सुरक्षा मानकों के अनुपालन और जवाबदेही की प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह मामला शासन, आपदा प्रबंधन, सार्वजनिक नीति, शहरी नियोजन और सामाजिक न्याय जैसे विषयों के गहन अध्ययन का अवसर प्रदान करता है।

परिचय: जब सुरक्षा दांव पर लग जाती है

कोई भी इमारत सिर्फ ईंटों और गारे का ढांचा नहीं होती; वह ज्ञान, सपनों और भविष्य की आशाओं का मंदिर होती है। जब कोई स्कूल की इमारत ढह जाती है, तो यह सिर्फ भौतिक क्षति नहीं होती, बल्कि यह व्यवस्था की विफलता, चेतावनियों की अनदेखी और सबसे कमजोर वर्गों के प्रति उपेक्षा का प्रतीक बन जाती है। राजस्थान के इस हादसे ने हमें याद दिलाया है कि सुरक्षा केवल एक प्रोटोकॉल नहीं, बल्कि एक मूलभूत अधिकार है, खासकर उन बच्चों के लिए जो अपना बचपन ज्ञान अर्जित करने में व्यतीत कर रहे हैं। यह कहानी एक ऐसी घटना का वृत्तांत है, जहाँ बच्चों की चीखें अनसुनी रह गईं, और एक पुरानी इमारत के साथ-साथ सुरक्षा की उम्मीदें भी ताश के पत्तों की तरह बिखर गईं।

हादसे का विवरण: एक भयावह सत्य

राजस्थान के जिस हिस्से में यह घटना हुई, वहाँ की स्कूल की इमारत दशकों पुरानी थी। स्थानीय रिपोर्टों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के अनुसार, इमारत की दीवारों में दरारें थीं, प्लास्टर झड़ रहा था, और छत भी कमजोर हो चुकी थी। स्कूल के बच्चे और शिक्षक इस स्थिति से भलीभांति परिचित थे। कुछ छात्रों ने तो अपनी चिंताओं को “सर” (संभवतः प्रधानाध्यापक या किसी अन्य जिम्मेदार व्यक्ति) तक पहुंचाया भी था, यह बताते हुए कि “ईंटें गिर रही थीं”। यह चेतावनी, जो कि भविष्य में होने वाली तबाही का स्पष्ट संकेत थी, शायद अनसुनी कर दी गई या उस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।

“We told sir bricks were falling.” – यह एक बच्चे का हृदय विदारक बयान है, जो सिस्टम की घोर लापरवाही को दर्शाता है।

यह वाक्य केवल एक तथ्य का बयान नहीं है, बल्कि यह उन अनकही कहानियों का प्रतीक है जो अक्सर ऐसी त्रासदियों के पीछे छिपी होती हैं। जब एक इमारत ढह गई, तो उसके मलबे के नीचे केवल सात बच्चों के शव ही नहीं दबे, बल्कि व्यवस्था की नैतिकता, निरीक्षण की जवाबदेही और सामुदायिक कल्याण की भावना भी दब गई।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: बहुआयामी विश्लेषण

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:

  • शासन (Governance): यह घटना सरकारी मशीनरी की दक्षता, निगरानी तंत्र, जन कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और सार्वजनिक संस्थानों के रखरखाव में उसकी भूमिका पर प्रश्न उठाती है।
  • आपदा प्रबंधन (Disaster Management): किस प्रकार पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ काम करती हैं, क्या उनका उचित मूल्यांकन किया जाता है, और निवारक उपाय कितने प्रभावी हैं, यह सब इसके अंतर्गत आता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा (Public Health & Safety): विशेष रूप से बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी है।
  • बुनियादी ढांचा विकास (Infrastructure Development): विशेषकर सरकारी स्कूलों जैसे सार्वजनिक भवनों के निर्माण और रखरखाव के मानक।
  • नागरिक समाज की भूमिका (Role of Civil Society): क्या नागरिक समाज (छात्र, अभिभावक, स्थानीय समुदाय) अपनी चिंताओं को प्रभावी ढंग से उठा सकते हैं?
  • जवाबदेही और पारदर्शिता (Accountability & Transparency): जब ऐसी घटनाएँ होती हैं, तो जिम्मेदार व्यक्तियों को कैसे जवाबदेह ठहराया जाता है?
  • नीति निर्माण और कार्यान्वयन (Policy Making & Implementation): क्या सुरक्षा मानकों से संबंधित नीतियाँ पर्याप्त हैं, और क्या उनका जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन सही ढंग से हो रहा है?

‘ईंटें गिर रही थीं’: चेतावनी और उपेक्षा का चक्र

यह घटना एक व्यापक समस्या का सूचक है: हमारे देश में कई सार्वजनिक भवन, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, जर्जर हालत में हैं। स्कूल, अस्पताल, सरकारी कार्यालय – ये सभी सुरक्षित और सुलभ होने चाहिए। जब छात्र और शिक्षक इमारत की गिरती ईंटों को देखते हैं, तो यह एक आपातकाल की स्थिति का संकेत है।

चेतावनी के प्रकार:

  1. प्रत्यक्ष अवलोकन: दीवारों में दरारें, छत से पानी टपकना, प्लास्टर का गिरना, बीमों का कमजोर होना।
  2. ध्वनि: छत से खड़खड़ाहट की आवाजें, या गिरने वाली ईंटों की आवाजें।
  3. अनुभव: इमारत का हिलना, असामान्य कंपन महसूस होना।

इस मामले में, बच्चों द्वारा “ईंटें गिर रही थीं” कहना, एक स्पष्ट और प्रत्यक्ष चेतावनी थी। ऐसे मामलों में, तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है, जिसमें इमारत का स्थिरीकरण, वैकल्पिक व्यवस्था करना, और एक विशेषज्ञ टीम द्वारा मूल्यांकन शामिल है।

उपेक्षा के संभावित कारण:

  • धन की कमी: रखरखाव और मरम्मत के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन न होना।
  • लालफीताशाही: अनुमोदन प्रक्रियाओं में देरी, जिससे आवश्यक कार्य समय पर नहीं हो पाते।
  • भ्रष्टाचार: मरम्मत के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग।
  • जागरूकता की कमी: अधिकारियों द्वारा खतरों को गंभीरता से न लेना।
  • पुरानी संरचनाएं: कई इमारतें अपने जीवनकाल के अंत के करीब हैं और उन्हें नियमित रूप से मजबूत करने की आवश्यकता होती है।

यह खेदजनक है कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के बजाय, उपेक्षा का चक्र जारी रहा, जिसका अंतिम परिणाम दुखद रहा।

सुरक्षा मानक और उनका अनुपालन: एक राष्ट्रीय चिंता

भारत में, इमारतों के निर्माण और सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code of India) जैसे मानक मौजूद हैं। सार्वजनिक भवनों, विशेषकर स्कूलों के लिए, इन मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है।

प्रमुख सुरक्षा पहलू:

  • भूकंपरोधी डिजाइन: देश के विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों के अनुसार इमारतों का डिजाइन।
  • अग्निशमन सुरक्षा: आग लगने की स्थिति में निकासी के लिए आपातकालीन निकास, अग्निशामक यंत्र।
  • संरचनात्मक अखंडता: इमारत के भार-वहन की क्षमता, दीवारों, छतों और नींव की मजबूती।
  • सामग्री की गुणवत्ता: निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता और मानकों का पालन।
  • रखरखाव: इमारतों का नियमित निरीक्षण और आवश्यक मरम्मत।

राजस्थान के स्कूल हादसे के मामले में, यह स्पष्ट है कि या तो ये मानक मौजूद नहीं थे, या उनका पालन नहीं किया गया, या फिर समय पर रखरखाव नहीं हुआ।

हादसे के बाद की कार्रवाई: तत्काल और दीर्घकालिक

किसी भी दुखद घटना के बाद, तत्काल राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ दीर्घकालिक सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता होती है।

तत्काल कार्रवाई:

  • बचाव और राहत: घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता देना, परिवारों को सहायता प्रदान करना।
  • जांच: घटना के कारणों की निष्पक्ष जांच करना।
  • जिम्मेदारी तय करना: लापरवाही या मिलीभगत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना।

दीर्घकालिक उपाय:

  • संपत्ति का ऑडिट: देश भर के सभी सरकारी स्कूलों और सार्वजनिक भवनों का व्यापक संरचनात्मक ऑडिट कराना।
  • मरम्मत और पुनर्निर्माण: जर्जर इमारतों की तत्काल मरम्मत या पुनर्निर्माण करना।
  • निवारक रखरखाव: एक मजबूत निवारक रखरखाव प्रणाली स्थापित करना।
  • जागरूकता अभियान: छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करना।
  • प्रशिक्षण: सरकारी अधिकारियों और निर्माण श्रमिकों को सुरक्षा मानकों पर प्रशिक्षित करना।
  • सक्षम प्राधिकरण की स्थापना: सार्वजनिक भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित और सशक्त प्राधिकरण का गठन।

यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसे हादसे सिर्फ दुखद घटनाएँ बनकर न रह जाएं, बल्कि वे व्यवस्था में सुधार के लिए उत्प्रेरक का काम करें।

UPSC परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु

इस घटना के विश्लेषण से UPSC उम्मीदवारों को निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:

  1. सरकार की भूमिका: नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है।
  2. निगरानी तंत्र की विफलता: चेतावनी मिलने के बावजूद कार्रवाई न होना, निगरानी तंत्र के कमजोर होने का प्रमाण है।
  3. बुनियादी ढांचे का महत्व: शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए मजबूत और सुरक्षित बुनियादी ढांचा आवश्यक है।
  4. जवाबदेही की कमी: अक्सर ऐसी घटनाओं में जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई धीमी या नगण्य होती है, जिससे हतोत्साहन बढ़ता है।
  5. स्थानीय सरकार की भूमिका: स्थानीय निकाय और प्रशासन अक्सर ऐसे मुद्दों के पहले संपर्क बिंदु होते हैं, उनकी क्षमता और सक्रियता महत्वपूर्ण है।

यह घटना हमें सिखाती है कि “प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर” (Prevention is better than cure) का सिद्धांत सार्वजनिक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आगे की राह: सुरक्षित भविष्य का निर्माण

यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चों की चीखें अनसुनी न रह जाएं, हमें एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है:

  • नीति सुधार: मौजूदा बिल्डिंग कोड और सुरक्षा नियमों की समीक्षा करना और उन्हें मजबूत बनाना, खासकर सार्वजनिक भवनों के लिए।
  • वित्तीय आवंटन: शिक्षा और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए पर्याप्त धन का प्रावधान सुनिश्चित करना।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: इमारतों की संरचनात्मक स्वास्थ्य की निगरानी के लिए नवीनतम तकनीकों (जैसे ड्रोन, सेंसर) का उपयोग करना।
  • नागरिक सहभागिता: स्थानीय समुदायों को निरीक्षण और निगरानी प्रक्रियाओं में शामिल करना।
  • कठोर दंड: सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने वाले ठेकेदारों, अधिकारियों और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान।

एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना जहां बच्चे सुरक्षित महसूस कर सकें, जहाँ उनकी चिंताएं सुनी जाएं, और जहाँ उनके भविष्य के साथ कोई समझौता न हो, यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। राजस्थान स्कूल हादसे की दुखद घटना एक गंभीर चेतावनी है, जिसे हमें एक बड़े सुधार के अवसर के रूप में लेना चाहिए।

निष्कर्ष

राजस्थान स्कूल हादसे ने देश को झकझोर दिया है। बच्चों द्वारा दी गई चेतावनी, “ईंटें गिर रही थीं”, सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता का एक मूक साक्षी है। यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उपेक्षा, अकर्मण्यता और जवाबदेही की कमी का परिणाम है। UPSC की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटना शासन, सार्वजनिक नीति और सामाजिक न्याय के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करने का एक अवसर है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी त्रासदियाँ न हों, और प्रत्येक बच्चे को सीखने के लिए एक सुरक्षित वातावरण मिले। सुरक्षा मानकों का पालन, नियमित निरीक्षण और प्रभावी निगरानी भविष्य की पीढ़ियों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: राजस्थान स्कूल हादसे के संदर्भ में, बच्चों द्वारा दी गई चेतावनी “ईंटें गिर रही थीं” निम्नलिखित में से किस समस्या की ओर सर्वाधिक संकेत करती है?
    (a) सामान्य मौसम परिवर्तन
    (b) संरचनात्मक क्षरण और सुरक्षा जोखिम
    (c) बच्चों द्वारा शरारत
    (d) अपर्याप्त सफाई व्यवस्था
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: “ईंटें गिर रही थीं” का सीधा अर्थ है कि इमारत की संरचनात्मक अखंडता कमजोर हो गई थी, जिससे यह गिरने के कगार पर थी। यह एक स्पष्ट सुरक्षा जोखिम को दर्शाता है।

  2. प्रश्न: सार्वजनिक भवनों, विशेषकर स्कूलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत में कौन सी संस्था या नियम प्रमुख रूप से प्रासंगिक हैं?
    (a) भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानक
    (b) राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code of India)
    (c) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दिशानिर्देश
    (d) स्थानीय नगर निगम के उपनियम
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) भारत में निर्माण, सामग्री और सुरक्षा के लिए व्यापक दिशानिर्देश प्रदान करती है।

  3. प्रश्न: इस प्रकार की घटनाओं में अक्सर सरकारी प्रतिक्रिया में देरी या उपेक्षा के निम्नलिखित में से कौन से संभावित कारण हो सकते हैं?
    1. अपर्याप्त धन आवंटन
    2. लालफीताशाही और नौकरशाही की अक्षमता
    3. भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी
    4. नागरिक समाज की प्रभावी निगरानी का अभाव
    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 1, 2 और 3
    (c) केवल 2, 3 और 4
    (d) 1, 2, 3 और 4
    उत्तर: (d)
    व्याख्या: ये सभी कारक सरकारी प्रतिक्रिया में देरी या उपेक्षा में योगदान कर सकते हैं।

  4. प्रश्न: “प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर” (Prevention is better than cure) का सिद्धांत सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में क्या दर्शाता है?
    (a) घटना के बाद प्रतिक्रिया पर अधिक ध्यान देना
    (b) समस्या उत्पन्न होने से पहले ही निवारक उपाय करना
    (c) केवल तत्काल समाधान पर ध्यान केंद्रित करना
    (d) राहत कार्यों को प्राथमिकता देना
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: इस सिद्धांत का अर्थ है कि किसी घटना के घटित होने के बाद उसकी भरपाई करने से कहीं बेहतर है कि ऐसी घटना को होने ही न दिया जाए, जिसके लिए निवारक उपाय आवश्यक हैं।

  5. प्रश्न: सार्वजनिक संस्थानों (जैसे स्कूल) के रखरखाव और सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी किस स्तर पर होती है?
    (a) केवल केंद्रीय सरकार
    (b) केवल राज्य सरकार
    (c) स्थानीय स्व-शासन निकाय और संबंधित सरकारी विभाग
    (d) केवल गैर-सरकारी संगठन (NGOs)
    उत्तर: (c)
    व्याख्या: हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें नीतियाँ बनाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन और रखरखाव की प्राथमिक जिम्मेदारी अक्सर स्थानीय निकायों और संबंधित विभागों की होती है।

  6. प्रश्न: राजस्थान स्कूल हादसे की घटना किस व्यापक नीतिगत मुद्दे पर प्रकाश डालती है?
    (a) पर्यावरण संरक्षण
    (b) शिक्षा का सार्वभौमीकरण
    (c) सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का रखरखाव और सुरक्षा
    (d) राष्ट्रीय सुरक्षा
    उत्तर: (c)
    व्याख्या: यह घटना मुख्य रूप से सार्वजनिक भवनों, विशेषकर शिक्षा संस्थानों के रखरखाव और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उठाती है।

  7. प्रश्न: “संरचनात्मक अखंडता” (Structural Integrity) का अर्थ क्या है?
    (a) इमारत का सौंदर्यशास्त्र
    (b) इमारत की भार-वहन क्षमता और स्थिरता
    (c) इमारत में बिजली की फिटिंग
    (d) इमारत में पेंट का प्रकार
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: संरचनात्मक अखंडता से तात्पर्य किसी संरचना की अपनी भार-वहन क्षमता को बनाए रखने और बाहरी ताकतों (जैसे गुरुत्वाकर्षण, हवा, भूकंप) के तहत स्थिर रहने की क्षमता से है।

  8. प्रश्न: इस तरह के हादसों के बाद, ‘जवाबदेही’ (Accountability) सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
    1. जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान
    2. निष्पक्ष और समय पर जांच
    3. दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
    4. पीड़ितों के लिए मुआवजे की व्यवस्था
    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 1, 2 और 3
    (c) केवल 2, 3 और 4
    (d) 1, 2, 3 और 4
    उत्तर: (d)
    व्याख्या: जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी उपरोक्त कदम आवश्यक हैं।

  9. प्रश्न: यदि किसी स्कूल की इमारत में दरारें दिखाई दें, तो वह किस प्रकार की चेतावनी का संकेत है?
    (a) केवल कॉस्मेटिक समस्या
    (b) संभावित संरचनात्मक विफलता
    (c) बिजली की खराबी
    (d) स्वच्छता की समस्या
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: इमारतों में दरारें अक्सर संरचनात्मक कमजोरियों का संकेत होती हैं, जो संभावित विफलता की ओर ले जा सकती हैं।

  10. प्रश्न: बच्चों की सुरक्षा के संबंध में राज्य का प्राथमिक कर्तव्य क्या है?
    (a) केवल शैक्षिक सामग्री प्रदान करना
    (b) बच्चों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना
    (c) केवल परीक्षा आयोजित करना
    (d) बच्चों को खेलकूद की सुविधाएँ देना
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: बच्चों का सुरक्षित वातावरण में सीखना उनका अधिकार है, और यह राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह इस अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: राजस्थान स्कूल हादसे के आलोक में, भारत में सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और रखरखाव से संबंधित चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। सरकार द्वारा उठाए जाने वाले सुधारात्मक और निवारक उपायों का सुझाव दें। (शासन, निबंध, सामान्य अध्ययन पेपर II, सामान्य अध्ययन पेपर I)
  2. प्रश्न: “बच्चों द्वारा दी गई चेतावनी का अनसुना कर दिया जाना, यह केवल एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि पूरे देश में शिक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर एक गंभीर सवाल उठाता है।” इस कथन का विस्तार से वर्णन करें और बताएं कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत ‘जवाबदेही तंत्र’ (Accountability Mechanism) कैसे स्थापित किया जा सकता है। (निबंध, सामान्य अध्ययन पेपर II, सामान्य अध्ययन पेपर IV)
  3. प्रश्न: भारत में आपदा प्रबंधन के संदर्भ में, पूर्व-चेतावनी प्रणालियों (Early Warning Systems) की प्रभावशीलता और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में उनकी भूमिका पर चर्चा करें। राजस्थान स्कूल हादसे से क्या सबक सीखे जा सकते हैं? (आपदा प्रबंधन, सामान्य अध्ययन पेपर III)
  4. प्रश्न: सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा राज्य की जिम्मेदारी है, विशेषकर बच्चों और कमजोर वर्गों के लिए। इस कथन के प्रकाश में, राजस्थान स्कूल हादसे को एक केस स्टडी के रूप में लेते हुए, सार्वजनिक भवनों के निरीक्षण, रखरखाव और सुरक्षा मानकों के अनुपालन में सुधार के लिए एक व्यापक नीतिगत ढाँचे (Policy Framework) का प्रस्ताव करें। (शासन, निबंध, सामान्य अध्ययन पेपर II)

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