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इतिहास रणभूमि: अपनी तैयारी को परखें!

इतिहास रणभूमि: अपनी तैयारी को परखें!

हर दिन इतिहास के गलियारों में एक नई यात्रा पर निकलें और अपनी ज्ञान की मशाल जलाएं! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक विश्व तक के महत्वपूर्ण पड़ावों को छूते हुए 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से आपकी तैयारी का गहन विश्लेषण करेंगे। क्या आप अपनी ऐतिहासिक सूझबूझ को साबित करने के लिए तैयार हैं?

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से विशाल स्नानागार (Great Bath) का साक्ष्य मिला है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मोहनजोदड़ो (अर्थात् ‘मृतकों का टीला’) सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था, जहाँ से एक विशाल स्नानागार प्राप्त हुआ है। यह ईंटों से निर्मित एक प्रभावशाली संरचना थी, जिसे संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह स्नानागार लगभग 12 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा और 2.4 मीटर गहरा था। इसके चारों ओर सीढ़ियाँ बनी थीं और इसमें पानी भरने तथा निकालने की उत्कृष्ट व्यवस्था थी। यह उस समय की उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली का प्रमाण है।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा से कब्रिस्तान (R-37) और अन्नागार मिले हैं। लोथल से एक गोदी (dockyard) का साक्ष्य मिला है, जो व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र था। कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: ‘महायान’ और ‘हीनयान’ बौद्ध धर्म के किस सम्मेलन के दौरान अलग हुए?

  1. प्रथम बौद्ध संगीति
  2. द्वितीय बौद्ध संगीति
  3. तृतीय बौद्ध संगीति
  4. चतुर्थ बौद्ध संगीति

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: महायान और हीनयान (जिसे थेरवाद भी कहा जाता है) बौद्ध धर्म की प्रमुख शाखाएं चतुर्थ बौद्ध संगीति के दौरान अलग हुईं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संगीति ईस्वी सन् की पहली शताब्दी में कुषाण शासक कनिष्क के संरक्षण में कश्मीर के कुंडलवन में आयोजित की गई थी। इस संगीति में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की पुनर्व्याख्या की गई, जिससे महायान संप्रदाय का उदय हुआ, जो बुद्ध की मूर्तियों की पूजा और बोधिसत्वों के विचार पर बल देता था, जबकि हीनयान या थेरवाद मूल उपदेशों और व्यक्तिगत मुक्ति पर केंद्रित रहा।
  • गलत विकल्प: प्रथम बौद्ध संगीति राजगृह में अजातशत्रु के संरक्षण में हुई, दूसरी वैशाली में कालाशोक के संरक्षण में, और तीसरी पाटलिपुत्र में अशोक के संरक्षण में हुई। इन संगीतियों में बौद्ध धर्म के त्रिपिटकों का संकलन और व्यवस्थापन हुआ, न कि शाखाओं का विभाजन।

प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-खैरात’ नामक एक नए विभाग की स्थापना की थी?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. फिरोज शाह तुगलक

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: फिरोज शाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388 ई.) ने ‘दीवान-ए-खैरात’ नामक एक विभाग की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का मुख्य कार्य मुस्लिम अनाथों, विधवाओं और गरीबों की सहायता करना था। फिरोजशाह तुगलक एक जन कल्याणकारी शासक के रूप में जाना जाता है और उसने कई ऐसे विभाग स्थापित किए थे जो जनता की भलाई के लिए समर्पित थे, जैसे कि ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दासों के लिए विभाग)।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीस तुर्की सरदारों’ का एक दल (चहलगानी) बनाया था। बलबन ने राजत्व सिद्धांत को सुदृढ़ किया और ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी।

प्रश्न 4: किस मध्यकालीन भारतीय शासक ने ‘सिक्का’ (टंक) और ‘जीतल’ नामक सिक्के जारी किए?

  1. सिकंदर लोदी
  2. शेरशाह सूरी
  3. इल्तुतमिश
  4. मुहम्मद बिन तुगलक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश (शासनकाल 1211-1236 ई.) ने चांदी का ‘टंका’ (लगभग 175 ग्रेन) और तांबे का ‘जीतल’ नामक सिक्के जारी किए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इन सिक्कों का प्रचलन सल्तनत काल में वित्तीय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण आधार बना। इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है, जिसने अपनी प्रशासनिक और मौद्रिक सुधारों से सल्तनत को स्थिरता प्रदान की।
  • गलत विकल्प: सिकंदर लोदी ने लोदी वंश के सुधार किए थे, पर इन सिक्कों का श्रेय इल्तुतमिश को है। शेरशाह सूरी ने ‘रुपया’ नामक चांदी का सिक्का जारी किया था। मुहम्मद बिन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा (token currency) जारी की थी।

प्रश्न 5: ‘फतुहात-ए-फिरोजशाही’ किसकी आत्मकथा है?

  1. अलाउद्दीन खिलजी
  2. गयासुद्दीन तुगलक
  3. फिरोजशाह तुगलक
  4. बलबन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘फतुहात-ए-फिरोजशाही’ (Fatuhat-i-Firoz Shahi) दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक की आत्मकथा है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, फिरोजशाह तुगलक ने अपने शासनकाल की घटनाओं, अपनी प्रशासनिक नीतियों, धार्मिक विचारों और कल्याणकारी कार्यों का विवरण दिया है। यह मध्यकालीन भारत के इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी या बलबन ने ऐसी कोई आत्मकथा नहीं लिखी। गयासुद्दीन तुगलक तुगलक वंश का संस्थापक था, पर उसकी कोई आत्मकथा इस नाम से उपलब्ध नहीं है।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक को ‘आंध्र भोज’ के नाम से जाना जाता है?

  1. कृष्ण देव राय
  2. देव राय प्रथम
  3. देव राय द्वितीय
  4. राम राय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रतापी शासकों में से एक, कृष्ण देव राय (शासनकाल 1509-1529 ई.) को ‘आंध्र भोज’ के नाम से जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने साहित्य, कला और वास्तुकला को बहुत संरक्षण दिया। वे स्वयं एक विद्वान और कवि थे और तेलुगु साहित्य के ‘अष्टदिग्गज’ (आठ महान कवि) उनके दरबार में सुशोभित थे। ‘आंध्र भोज’ उपाधि उनकी विद्वत्ता और प्रजा के प्रति प्रेम को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: देव राय प्रथम और द्वितीय भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन ‘आंध्र भोज’ की उपाधि कृष्ण देव राय से विशेष रूप से जुड़ी है। राम राय विजयनगर के अंतिम महान शासक थे जिन्होंने तालीकोटा के युद्ध (1565 ई.) में भाग लिया था।

प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के दौरान, अवध (Awadh) का नेतृत्व किसने किया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. बेगम हजरत महल
  3. तात्या टोपे
  4. कुंवर सिंह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: 1857 के विद्रोह के दौरान, अवध (वर्तमान लखनऊ) का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अवध को 1856 में डलहौजी की ‘व्यपगत नीति’ (Doctrine of Lapse) के तहत ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया था। जब विद्रोह भड़का, तो बेगम हजरत महल ने अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कद्र को अवध का नवाब घोषित किया और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी का नेतृत्व किया था। तात्या टोपे ने कानपुर और अन्य क्षेत्रों में विद्रोह का समर्थन किया था, और कुंवर सिंह ने जगदीशपुर (बिहार) से नेतृत्व किया था।

प्रश्न 8: ‘दास प्रथा’ का उन्मूलन भारतीय इतिहास में किस वायसराय के कार्यकाल में हुआ?

  1. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड कैनिंग
  4. लॉर्ड लिटन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दास प्रथा (slavery) का उन्मूलन 1843 में लॉर्ड विलियम बेंटिंक के कार्यकाल के दौरान हुआ था, जो भारत के पहले गवर्नर-जनरल थे।
  • संदर्भ और विस्तार: 1833 के चार्टर अधिनियम ने भारत में दास प्रथा को समाप्त करने की व्यवस्था की थी, और 1843 में एक्ट V के तहत भारत में दासता को कानूनी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया था। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी (1848-1856) व्यपगत नीति के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग (1856-1862) 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे। लॉर्ड लिटन (1876-1880) वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 9: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) किस वर्ष प्रारंभ हुआ?

  1. 1930
  2. 1935
  3. 1942
  4. 1947

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ 1942 में प्रारंभ हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को बंबई (अब मुंबई) के ग्वालिया टैंक मैदान में ‘करो या मरो’ के नारे के साथ इस आंदोलन का शुभारंभ किया था। इसका मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत को तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। इस आंदोलन के जवाब में, ब्रिटिश सरकार ने ऑपरेशन ‘अर्थर’ चलाया और कांग्रेस के लगभग सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
  • गलत विकल्प: 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) शुरू हुआ था। 1935 भारत सरकार अधिनियम का वर्ष था, और 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ।

प्रश्न 10: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का लक्ष्य घोषित किया गया?

  1. लाहौर अधिवेशन (1929)
  2. फैजपुर अधिवेशन (1936)
  3. रामगढ़ अधिवेशन (1940)
  4. त्रिपुरी अधिवेशन (1939)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (1929) में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का लक्ष्य घोषित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य अब डोमिनियन स्टेटस नहीं, बल्कि पूर्ण स्वराज की प्राप्ति होगा। इसके परिणामस्वरूप, 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया गया।
  • गलत विकल्प: फैजपुर अधिवेशन (जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में) कांग्रेस का पहला अधिवेशन था जो किसी गांव में हुआ। रामगढ़ अधिवेशन (मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में) भारत छोड़ो आंदोलन से ठीक पहले हुआ था। त्रिपुरी अधिवेशन सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारमैया के बीच अध्यक्ष पद के चुनाव के कारण महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 11: ‘नील दर्पण’ नाटक के लेखक कौन हैं, जिसने नील विद्रोह के किसानों की दुर्दशा को दर्शाया?

  1. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
  2. दीनबंधु मित्र
  3. शरतचंद्र चटर्जी
  4. रवींद्रनाथ टैगोर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘नील दर्पण’ (Nil Darpan) नामक नाटक के लेखक दीनबंधु मित्र हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नाटक 1859-60 के नील विद्रोह के समय लिखा गया था और इसमें ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा बंगाल के किसानों पर किए गए अत्याचारों और शोषण को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया था। इस नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद मि. लॉन्ग ने किया था, जिसके कारण उन्हें मुकदमा झेलना पड़ा था।
  • गलत विकल्प: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘आनंद मठ’ लिखा था, जिसमें ‘वंदे मातरम्’ गीत है। शरतचंद्र चटर्जी ने ‘देवदास’ और ‘श्रीकांत’ जैसे उपन्यास लिखे। रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार विजेता कवि और लेखक थे।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी धातु हड़प्पा सभ्यता में नहीं पाई जाती थी?

  1. सोना
  2. चांदी
  3. तांबा
  4. लोहा

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: हड़प्पा सभ्यता (लगभग 2500-1900 ईसा पूर्व) के लोग सोना, चांदी और तांबा जैसी धातुओं का उपयोग करते थे, लेकिन वे लोहे से अनभिज्ञ थे।
  • संदर्भ और विस्तार: हड़प्पा सभ्यता को कांस्य युग (Bronze Age) की सभ्यता कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कांस्य (तांबा और टिन का मिश्रण) का व्यापक रूप से औजार, हथियार और कलाकृतियाँ बनाने में उपयोग किया। लोहे का ज्ञान उन्हें बाद में, उत्तर वैदिक काल (लगभग 1000 ईसा पूर्व के आसपास) में हुआ।
  • गलत विकल्प: सोना अफगानिस्तान और मध्य एशिया से, चांदी राजस्थान और अफगानिस्तान से, और तांबा राजस्थान (खेत्री) और बलूचिस्तान से प्राप्त होता था।

प्रश्न 13: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?

  1. 1925
  2. 1930
  3. 1931
  4. 1935

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समझौता महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुआ था। इस समझौते में सविनय अवज्ञा आंदोलन को निलंबित करने के बदले में ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और शांतिपूर्ण सत्याग्रह की अनुमति देने जैसे कुछ रियायतें दीं। इस समझौते को अक्सर ‘दिल्ली समझौता’ भी कहा जाता है।
  • गलत विकल्प: 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। 1935 भारत सरकार अधिनियम का वर्ष था, और 1925 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई थी।

प्रश्न 14: हर्यक वंश के किस शासक को ‘पितृहंता’ कहा जाता है?

  1. बिम्बिसार
  2. अजातशत्रु
  3. उदायिन
  4. नागदशक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु को ‘पितृहंता’ कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को मगध के सिंहासन पर बैठने के लिए जेल में डाल दिया था और संभवतः उनकी हत्या भी करवाई थी। इसके बाद, अजातशत्रु के पुत्र उदायिन ने भी अपने पिता अजातशत्रु की हत्या करके गद्दी हासिल की। इस प्रकार, हर्यक वंश को ‘पितृहंता वंश’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: बिम्बिसार हर्यक वंश का संस्थापक था। उदायिन ने पाटलिपुत्र (पटना) की स्थापना की थी। नागदशक हर्यक वंश का अंतिम शासक था।

प्रश्न 15: 1793 में स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) किस वायसराय के कार्यकाल में लागू किया गया?

  1. लॉर्ड कॉर्नवालिस
  2. लॉर्ड वेलेजली
  3. लॉर्ड डलहौजी
  4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: स्थायी बंदोबस्त 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस के कार्यकाल में लागू किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था के तहत, जमींदारों को भूमि का मालिक बनाया गया और उनसे कहा गया कि वे सरकार को निश्चित भू-राजस्व का भुगतान करें। यह व्यवस्था बंगाल, बिहार, उड़ीसा और बनारस जैसे क्षेत्रों में लागू की गई थी। इसका उद्देश्य राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित करना और जमींदारों को ब्रिटिश शासन का समर्थक बनाना था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली सहायक संधि (Subsidiary Alliance) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत नीति लागू की थी। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा का अंत किया था।

प्रश्न 16: ‘गीत गोविंद’ के रचनाकार जयदेव किसके दरबारी कवि थे?

  1. लक्ष्मण सेन
  2. विजय सेन
  3. वल्लभ सेन
  4. सामंत सेन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘गीत गोविंद’ के प्रसिद्ध रचनाकार जयदेव, बंगाल के सेन वंश के शासक लक्ष्मण सेन (शासनकाल 1179-1206 ई.) के दरबारी कवि थे।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘गीत गोविंद’ एक उत्कृष्ट संस्कृत काव्य है जिसमें राधा और कृष्ण के प्रेम का वर्णन है। यह मध्यकालीन भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है। लक्ष्मण सेन को एक कला-प्रेमी शासक के रूप में जाना जाता था और उनके दरबार में पंचरत्न (जयदेव, धौई, हलायुध आदि) सुशोभित थे।
  • गलत विकल्प: विजय सेन, वल्लभ सेन और सामंत सेन भी सेन वंश के शासक थे, लेकिन जयदेव विशेष रूप से लक्ष्मण सेन के दरबार से जुड़े थे।

प्रश्न 17: प्रथम गोलमेज सम्मेलन (First Round Table Conference) का आयोजन किस वर्ष किया गया था?

  1. 1928
  2. 1929
  3. 1930
  4. 1931

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन 1930 में किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सम्मेलन लंदन में आयोजित किया गया था और इसका उद्देश्य साइमन कमीशन की रिपोर्ट और भारत के लिए संवैधानिक सुधारों पर विचार-विमर्श करना था। इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था, क्योंकि वह सविनय अवज्ञा आंदोलन में व्यस्त थी।
  • गलत विकल्प: 1928 में साइमन कमीशन भारत आया था। 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ। 1931 में दूसरा गोलमेज सम्मेलन हुआ था, जिसमें गांधीजी ने भाग लिया था।

प्रश्न 18: ‘तैशत-ए-तैमूरी’ (Tuzuk-i-Timuri) या ‘तुजुके तैमुरी’ नामक आत्मकथा किस शासक से संबंधित है?

  1. बाबर
  2. हुमायूँ
  3. अकबर
  4. तैमूर

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘तैशत-ए-तैमूरी’ (Tuzuk-i-Timuri) या ‘तुजुके तैमुरी’ (Timur’s Autobiography) मंगोल शासक तैमूर (1398 में भारत पर आक्रमण) की आत्मकथा है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में तैमूर ने अपने विजय अभियानों, अपने जीवन और अपने विचारों का वर्णन किया है। यह मध्य एशिया और भारत के इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है।
  • गलत विकल्प: बाबर ने ‘तुजुके बाबरी’ (Baburnama) लिखी थी। हुमायूँ की आत्मकथा ‘हुमायूँनामा’ गुलबदन बेगम ने लिखी थी। अकबर ने अपनी आत्मकथा नहीं लिखी, बल्कि ‘अकबरनामा’ अबुल फजल ने लिखा था।

प्रश्न 19: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में पहला गवर्नर-जनरल कौन था?

  1. रॉबर्ट क्लाइव
  2. वारेन हेस्टिंग्स
  3. लॉर्ड कॉर्नवालिस
  4. लॉर्ड वेलेजली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: वारेन हेस्टिंग्स (1772-1785) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत के पहले गवर्नर-जनरल थे।
  • संदर्भ और विस्तार: 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर को गवर्नर-जनरल का पदनाम दिया गया और मद्रास व बंबई प्रेसीडेंसी को उसके अधीन कर दिया गया। वारेन हेस्टिंग्स ने भारत में कंपनी के शासन को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें न्याय प्रणाली, राजस्व प्रशासन और प्रशासनिक सुधार शामिल थे।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट क्लाइव बंगाल के पहले गवर्नर थे, लेकिन वे गवर्नर-जनरल नहीं थे। लॉर्ड कॉर्नवालिस 1786-1793 तक गवर्नर-जनरल रहे और स्थायी बंदोबस्त लागू किया। लॉर्ड वेलेजली 1798-1805 तक गवर्नर-जनरल रहे और सहायक संधि प्रणाली शुरू की।

प्रश्न 20: ‘अकाल तख्त’ (The Throne of Truth) का निर्माण किसने करवाया था?

  1. गुरु नानक
  2. गुरु अंगद
  3. गुरु हरगोबिंद
  4. गुरु तेग बहादुर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘अकाल तख्त’ का निर्माण सिख धर्म के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद ने 1606 ई. में अमृतसर में करवाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अकाल तख्त सिखों का सबसे पवित्र स्थल है और यह आध्यात्मिक अधिकार का प्रतीक है। गुरु हरगोबिंद ने सिखों को सैन्य प्रशिक्षण लेने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए तैयार रहने का भी निर्देश दिया था, जिसके कारण उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता है।
  • गलत विकल्प: गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे। गुरु अंगद दूसरे गुरु थे और उन्होंने गुरुमुखी लिपि का विकास किया। गुरु तेग बहादुर नौवें गुरु थे, जिन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचारों का विरोध करते हुए शहादत दी थी।

प्रश्न 21: फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) का प्रमुख नारा क्या था?

  1. स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व (Liberty, Equality, Fraternity)
  2. राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद (Nationalism, Imperialism, Colonialism)
  3. धर्म, राष्ट्र, राजा (Religion, Nation, King)
  4. संघर्ष, त्याग, विजय (Struggle, Sacrifice, Victory)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) का प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, Égalité, Fraternité) था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नारा फ्रांसीसी गणराज्य का आदर्श वाक्य बन गया और आज भी फ्रांस का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है। यह क्रांति के प्रमुख उद्देश्यों को दर्शाता है: व्यक्तिगत स्वतंत्रता की स्थापना, सभी नागरिकों के लिए समानता और आपसी भाईचारा।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प क्रांति के मूल्यों या उस समय की अवधारणाओं से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 22: ‘रेडक्लिफ रेखा’ (Radcliffe Line) किन दो देशों के बीच सीमांकन करती है?

  1. भारत और चीन
  2. भारत और पाकिस्तान
  3. भारत और अफगानिस्तान
  4. पाकिस्तान और अफगानिस्तान

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान के बीच सीमांकन करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस रेखा का नाम इसके निर्माता, ब्रिटिश वकील सिर सिरिल रेडक्लिफ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1947 में भारत के विभाजन के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं निर्धारित की थीं। यह रेखा मोटे तौर पर दोनों देशों के बीच विभाजन को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: भारत-चीन सीमा को मैकमोहन रेखा कहा जाता है। भारत-अफगानिस्तान सीमा को डूरंड रेखा कहा जाता है, हालांकि पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच भी यह सीमा लागू होती है।

प्रश्न 23: ‘सहायक संधि प्रणाली’ (Doctrine of Subsidiary Alliance) को किस ब्रिटिश गवर्नर-जनरल ने लागू किया?

  1. लॉर्ड कॉर्नवालिस
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड वेलेजली
  4. लॉर्ड हेस्टिंग्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सहायक संधि प्रणाली को लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) ने लागू किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, भारतीय राज्यों को अपनी सेना भंग कर ब्रिटिश सेना को बनाए रखना पड़ता था और ब्रिटिश निवासी को अपने राज्य में रखना पड़ता था। बदले में, ब्रिटिश कंपनी उस राज्य को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करती थी। यह ब्रिटिश प्रभाव बढ़ाने और भारतीय राज्यों को अपने नियंत्रण में लाने की एक प्रमुख नीति थी। हैदराबाद, मैसूर, तंजौर और अवध जैसे राज्यों ने सबसे पहले इस संधि को स्वीकार किया था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कॉर्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया था। लॉर्ड डलहौजी व्यपगत नीति के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड हेस्टिंग्स ने 1813-1823 तक गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया और कुछ हद तक सहायक संधि का विस्तार किया, लेकिन इसके प्रवर्तन का मुख्य श्रेय वेलेजली को जाता है।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस मुगल सम्राट ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नया धर्म चलाया?

  1. बाबर
  2. अकबर
  3. जहांगीर
  4. औरंगजेब

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मुगल सम्राट अकबर (शासनकाल 1556-1605) ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नए धर्म या पंथ की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही सभी प्रमुख धर्मों के सार को मिलाकर बनाया गया एक संश्लेषण था, जिसका उद्देश्य सभी धार्मिक समुदायों के बीच एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना था। इसमें एकेश्वरवाद, पारसी धर्म, हिंदू धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम के तत्व शामिल थे। हालांकि, इसे व्यापक स्वीकार्यता नहीं मिली और यह एक अल्पकालिक प्रयोग बनकर रह गया।
  • गलत विकल्प: बाबर ने दीन-ए-इलाही नहीं चलाया। जहांगीर ने अपने पिता अकबर की धार्मिक नीतियों को जारी रखा लेकिन दीन-ए-इलाही को बढ़ावा नहीं दिया। औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था और उसने दीन-ए-इलाही को समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 25: किस घटना के कारण 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ?

  1. सविनय अवज्ञा आंदोलन
  2. खिलाफत आंदोलन
  3. रॉलेट एक्ट
  4. साइमन कमीशन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 में रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act) के विरोध में अमृतसर में हो रही एक शांतिपूर्ण सभा पर जनरल डायर के आदेश पर गोलीबारी के कारण हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: रॉलेट एक्ट, जिसे ‘बिना दलील, बिना वकील, बिना अपील’ वाला कानून भी कहा जाता था, ब्रिटिश सरकार को किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के जेल में डालने का अधिकार देता था। इसके विरोध में 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण जनसभा बुलाई गई थी। जनरल डायर ने भीड़ पर अंधाधुंध गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और तेज कर दिया।
  • गलत विकल्प: सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में शुरू हुआ। खिलाफत आंदोलन 1919-1924 के दौरान चला, लेकिन इसका सीधा संबंध जलियांवाला बाग नरसंहार से नहीं था। साइमन कमीशन 1927 में भारत आया था।

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