इतिहास मंथन: 25 प्रश्नों की महा-परीक्षा!
आइए, इतिहास के गलियारों में एक रोमांचक यात्रा पर चलें! आज का यह मॉक टेस्ट आपको प्राचीन भारत की गहराइयों से लेकर आधुनिक युग की उथल-पुथल तक, और विश्व के महत्वपूर्ण पलों से रूबरू कराएगा। क्या आप अपनी ऐतिहासिक समझ को परखने के लिए तैयार हैं? अपनी कलम उठाइए और शुरू हो जाइए!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से ‘नृत्यरत बालिका’ की कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- चन्हुदड़ो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘नृत्यरत बालिका’ की प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा लगभग 4 इंच लंबी है और उस समय की कलात्मक कुशलता का एक अद्भुत उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ है ‘मृतकों का टीला’, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख शहरी केंद्र था। यहाँ से विशाल स्नानागार, अन्नागार, और पक्की ईंटों के मकान भी मिले हैं। यह प्रतिमा भारतीय पुरातत्व में एक महत्वपूर्ण खोज मानी जाती है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा से ‘पुरुष धड़’ की लाल बलुआ पत्थर की प्रतिमा मिली है। लोथल एक बंदरगाह शहर था, जहाँ से गोदी (dockyard) के अवशेष मिले हैं। चन्हुदड़ो से सौंदर्य प्रसाधन (जैसे लिपस्टिक) और मनके बनाने के कारखाने के प्रमाण मिले हैं।
प्रश्न 2: किस अभिलेख से कालिदास के ‘रघुवंशम्’ का उल्लेख मिलता है?
- ऐहोल अभिलेख
- मंदसौर अभिलेख
- जुनागढ़ अभिलेख
- नासिक गुहालेख
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ऐहोल अभिलेख, चालुक्य राजा पुलकेसिन द्वितीय के दरबारी कवि रवि कीर्ति द्वारा रचित है। इसमें पुलकेसिन द्वितीय की उपलब्धियों का वर्णन है और इसमें कालिदास का भी अप्रत्यक्ष उल्लेख है, जहाँ रवि कीर्ति स्वयं की तुलना कालिदास से करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ऐहोल अभिलेख (ई. 634) के बारे में कहा जाता है कि इसने कालिदास की ‘रघुवंशम्’ को भी स्पर्श किया था। यह अभिलेख चालुक्य राजवंश और हर्षवर्धन के बीच युद्ध के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: मंदसौर अभिलेख (ई. 436-437) रेशम बुनकरों के गिल्ड से संबंधित है। जुनागढ़ अभिलेख (ई. 150) रुद्रदामा प्रथम से संबंधित है और संस्कृत में लिखा गया पहला लंबा अभिलेख है। नासिक गुहालेख सातवाहन शासकों, विशेषकर गौतमीपुत्र सातकर्णि से संबंधित है।
प्रश्न 3: ‘अष्टप्रधान’ नामक मंत्रिपरिषद किस साम्राज्य में थी?
- मौर्य साम्राज्य
- गुप्त साम्राज्य
- चालुक्य साम्राज्य
- मराठा साम्राज्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘अष्टप्रधान’ शिवाजी महाराज के शासनकाल में उनकी मंत्रिपरिषद का नाम था। इसमें आठ मंत्री होते थे, जो राज्य के विभिन्न विभागों के प्रमुख होते थे।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृहमंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडितराव (धर्माध्यक्ष), सेनापति (सेना प्रमुख), सुमंत (गुप्तचर प्रमुख), और न्यायाधीश (न्याय प्रमुख) शामिल थे। यह प्रणाली शिवाजी के कुशल प्रशासन का एक महत्वपूर्ण अंग थी।
- गलत विकल्प: मौर्य और गुप्त साम्राज्यों में भी मंत्रिपरिषद होती थी, लेकिन उन्हें ‘अष्टप्रधान’ नहीं कहा जाता था। चालुक्य साम्राज्य में भी मंत्रिपरिषद थी, लेकिन यह नाम मराठा साम्राज्य से विशेष रूप से जुड़ा है।
प्रश्न 4: सल्तनत काल में ‘दीवान-ए-आरिज’ का कार्य क्या था?
- पत्राचार विभाग का प्रमुख
- न्याय विभाग का प्रमुख
- सैन्य विभाग का प्रमुख
- वित्त विभाग का प्रमुख
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘दीवान-ए-आरिज’ सल्तनत काल में सैन्य विभाग का प्रमुख होता था। इस पद का सृजन बलबन ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: दीवान-ए-आरिज का मुख्य कार्य सेना का संगठन, सैनिकों की भर्ती, उनके प्रशिक्षण, और घोड़ों के रख-रखाव की व्यवस्था करना था। यह विभाग राज्य की सैन्य शक्ति को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: ‘दीवान-ए-इंशा’ पत्राचार विभाग का प्रमुख था। ‘दीवान-ए-काजी’ या ‘दीवान-ए-सदर’ न्याय या धार्मिक मामलों का प्रमुख होता था। ‘दीवान-ए-वजारत’ वित्त विभाग का प्रमुख होता था।
प्रश्न 5: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक कौन था?
- अमीर खुसरो
- जियाउद्दीन बरनी
- इब्न बतूता
- मिन्हाज-उस-सिराज
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ के लेखक जियाउद्दीन बरनी थे। यह ग्रंथ ग्यासुद्दीन तुगलक से लेकर फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल के शुरुआती वर्षों तक का इतिहास बताता है।
- संदर्भ और विस्तार: बरनी ने इस कृति में दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों की नीतियों, प्रशासन और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। वे सुल्तानों के संरक्षक के रूप में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: अमीर खुसरो ने ‘तुगलकनामा’ और ‘खज़ीन-उल-फुतूह’ जैसे ग्रंथ लिखे। इब्न बतूता ने ‘रेहला’ नामक यात्रा वृत्तांत लिखा। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबक़ात-ए-नासिरी’ लिखी, जो मुहम्मद गोरी से लेकर नसीरुद्दीन महमूद तक का इतिहास बताती है।
प्रश्न 6: वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन किस वायसराय ने किया था?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कैनिंग
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वर्ष 1905 में बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन द्वारा किया गया था। उन्होंने प्रशासनिक सुविधा का हवाला देते हुए इस विभाजन को अंजाम दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाजन का उद्देश्य बंगाल में बढ़ते राष्ट्रवाद को कमजोर करना था, लेकिन इसने भारतीयों के बीच आक्रोश पैदा किया और स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया। इस विभाजन को 1911 में रद्द कर दिया गया था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट लागू किया था। लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय थे और 1857 के विद्रोह के समय इसी पद पर थे।
प्रश्न 7: ‘गांधी-इरविन समझौता’ किस वर्ष हुआ था?
- 1929
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह समझौता कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस समझौते के तहत, सविनय अवज्ञा आंदोलन को निलंबित कर दिया गया था और गांधी जी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए सहमत हो गए थे। समझौते के बदले में, सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और आंदोलन के दौरान जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने का वादा किया।
- गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ जिसमें पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ और पहला गोलमेज सम्मेलन हुआ। 1932 में पूना पैक्ट हुआ।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी नदी सिंधु घाटी सभ्यता की बस्तियों के पास प्रवाहित होती थी?
- गंगा
- यमुना
- रावी
- ब्रह्मपुत्र
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख स्थल रावी नदी के तट पर स्थित था।
- संदर्भ और विस्तार: सिंधु घाटी सभ्यता के अधिकांश प्रमुख शहर सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे हुए थे, क्योंकि ये नदियाँ सिंचाई और व्यापार के लिए जल की आपूर्ति करती थीं। मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के तट पर स्थित था।
- गलत विकल्प: गंगा और यमुना उत्तर भारत में प्रवाहित होती हैं और सिंधु सभ्यता के मुख्य क्षेत्रों से बहुत दूर हैं। ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर भारत में बहती है।
प्रश्न 9: ‘सर्वोदय’ की अवधारणा का जनक किसे माना जाता है?
- महात्मा गांधी
- विनोबा भावे
- जयप्रकाश नारायण
- एम.एन. रॉय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘सर्वोदय’ शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी ने जॉन रस्किन की पुस्तक ‘अनटू दिस लास्ट’ के भारतीय अनुवाद के लिए किया था। गांधीजी ने इस शब्द के माध्यम से एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहाँ सबका उदय हो।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोदय का अर्थ है ‘सबका उदय’। यह एक ऐसी राजनीतिक और आर्थिक दर्शन है जो सभी के कल्याण पर जोर देती है, न कि केवल बहुसंख्यकों के। विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण जैसे लोगों ने भी इस विचार को आगे बढ़ाया।
- गलत विकल्प: विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन चलाया जो सर्वोदय के सिद्धांतों पर आधारित था। जयप्रकाश नारायण ने भी सर्वोदय के विचार का समर्थन किया। एम.एन. रॉय एक क्रांतिकारी समाजवादी विचारक थे।
प्रश्न 10: 1857 के विद्रोह के संबंध में ‘अवध’ का नेतृत्व किसने किया था?
- झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
- बेगम हजरत महल
- नाना साहेब
- कुंवर सिंह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1857 के विद्रोह के दौरान अवध (लखनऊ) का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया था। वे अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी थीं।
- संदर्भ और विस्तार: जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया, तो बेगम हजरत महल ने अपने नाबालिग बेटे बिरजिस कद्र को गद्दी पर बिठाया और विद्रोह का नेतृत्व संभाला। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरों की तरह लड़ाई लड़ी।
- गलत विकल्प: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी का नेतृत्व किया। नाना साहेब ने कानपुर का नेतृत्व किया। कुंवर सिंह ने जगदीशपुर (बिहार) का नेतृत्व किया।
प्रश्न 11: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- केवल आर्थिक समृद्धि के कारण
- केवल कला और साहित्य के विकास के कारण
- विज्ञान, कला, साहित्य और प्रशासन में हुए चहुंमुखी विकास के कारण
- सैन्य विजयों की अधिकता के कारण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस काल में विज्ञान, कला, साहित्य, वास्तुकला, खगोल विज्ञान, गणित और प्रशासन सहित लगभग सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों ने अपने ग्रंथ लिखे, आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव प्रणाली पर काम किया, और चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को विशेष रूप से कलात्मक उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। प्रशासन भी अत्यंत सुव्यवस्थित था।
- गलत विकल्प: केवल आर्थिक या कलात्मक विकास के कारण ही नहीं, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में हुए समग्र विकास के कारण इसे स्वर्ण युग कहा जाता है। सैन्य विजयें हुईं, लेकिन वे अन्य क्षेत्रों के विकास जितनी निर्णायक नहीं थीं।
प्रश्न 12: ‘हर्षचरित’ का लेखक कौन था?
- कालिदास
- बाणभट्ट
- हर्षवर्धन
- पुलकेसिन द्वितीय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘हर्षचरित’ के लेखक बाणभट्ट थे, जो राजा हर्षवर्धन के दरबारी कवि थे।
- संदर्भ और विस्तार: ‘हर्षचरित’ राजा हर्षवर्धन के जीवन और उसके शासनकाल का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और साहित्यिक विवरण प्रदान करता है। यह गद्य शैली में लिखा गया एक काव्यात्मक जीवनी है।
- गलत विकल्प: कालिदास गुप्त काल के कवि थे। हर्षवर्धन स्वयं एक विद्वान राजा था और उसने ‘प्रियदर्शिका’, ‘रत्नावली’, और ‘नागानंद’ जैसे नाटकों की रचना की। पुलकेसिन द्वितीय एक चालुक्य राजा था।
प्रश्न 13: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
- कृष्णदेव राय
- हरिहर और बुक्का
- देवराय प्रथम
- बुक्का प्रथम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह साम्राज्य दक्कन के पठार पर स्थापित हुआ था और संगम राजवंश का पहला राज्य था। विजयनगर साम्राज्य दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली और समृद्ध राज्य था, जो अपनी कला, संस्कृति और व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
- गलत विकल्प: कृष्णदेव राय विजयनगर के सबसे महान शासकों में से एक थे, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की स्थापना नहीं की थी। देवराय प्रथम और बुक्का प्रथम भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन वे साम्राज्य की स्थापना के बाद आए।
प्रश्न 14: ‘अमरनायक’ प्रणाली किस साम्राज्य से संबंधित थी?
- चोल साम्राज्य
- होयसल साम्राज्य
- विजयनगर साम्राज्य
- बहमनी साम्राज्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘अमरनायक’ प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, साम्राज्य को क्षेत्रों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक क्षेत्र का एक ‘अमरनायक’ होता था। अमरनायक को कर वसूलने, सेना बनाए रखने और अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार था। वे केंद्र को एक निश्चित राशि का भुगतान करते थे और सेना की टुकड़ियां भेजते थे।
- गलत विकल्प: चोल, होयसल और बहमनी साम्राज्य की अपनी प्रशासनिक व्यवस्थाएं थीं, लेकिन ‘अमरनायक’ प्रणाली विशेष रूप से विजयनगर साम्राज्य से जुड़ी है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन गदर पार्टी का संस्थापक नहीं था?
- लाला हरदयाल
- सोहन सिंह भाकना
- राम बिहारी बोस
- मोतीलाल नेहरू
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मोतीलाल नेहरू गदर पार्टी के संस्थापक नहीं थे। गदर पार्टी की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: लाला हरदयाल इस पार्टी के प्रमुख नेता और संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सोहन सिंह भाकना पार्टी के अध्यक्ष थे, और राम बिहारी बोस ने बाद में पार्टी से जुड़कर उसमें सक्रिय भूमिका निभाई। यह पार्टी भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी।
- गलत विकल्प: लाला हरदयाल, सोहन सिंह भाकना और राम बिहारी बोस सभी गदर पार्टी के प्रमुख नेता थे। मोतीलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे और स्वदेशी आंदोलन के समर्थक थे, लेकिन वे गदर पार्टी से सीधे तौर पर नहीं जुड़े थे।
प्रश्न 16: ‘दोहरा शतक’ (Double Century) लगाने वाले पहले भारतीय टेस्ट क्रिकेटर कौन थे?
- सुनील गावस्कर
- सचिन तेंदुलकर
- राहुल द्रविड़
- पॉली उमरीगर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पॉली उमरीगर टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक (200* रन) लगाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर थे। उन्होंने यह उपलब्धि 1955-56 में न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में हासिल की थी।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में कई दोहरे शतक बनाए हैं, लेकिन यह उपलब्धि सबसे पहले पॉली उमरीगर के नाम दर्ज हुई थी।
- गलत विकल्प: सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ भारत के महानतम बल्लेबाजों में से हैं, लेकिन वे दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय नहीं थे।
प्रश्न 17: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा दिया गया था?
- कलकत्ता अधिवेशन, 1920
- लाहौर अधिवेशन, 1929
- फैजपुर अधिवेशन, 1936
- रामगढ़ अधिवेशन, 1940
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन, 1929 में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद, 26 जनवरी 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया गया। इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
- गलत विकल्प: कलकत्ता अधिवेशन (1920) में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। फैजपुर अधिवेशन (1936) कांग्रेस का पहला ग्रामीण अधिवेशन था। रामगढ़ अधिवेशन (1940) में भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
प्रश्न 18: ‘गुप्तचर’ का उल्लेख करने वाला प्राचीनतम ग्रंथ कौन सा है?
- अर्थशास्त्र
- महाभारत
- रामायण
- भगवद गीता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र’ गुप्तचर व्यवस्था का विस्तृत विवरण देने वाला प्राचीनतम ग्रंथ है।
- संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र में राज्य के संचालन, कूटनीति, अर्थव्यवस्था और गुप्तचरों की विभिन्न भूमिकाओं का गहन वर्णन है। इसमें ‘संस्थान’ (स्थायी गुप्तचर) और ‘संचार’ (भ्रमणशील गुप्तचर) जैसे गुप्तचरों के प्रकार बताए गए हैं, जो राजा को सूचनाएं पहुंचाते थे।
- गलत विकल्प: महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में भी गुप्तचरों का उल्लेख है, लेकिन अर्थशास्त्र में उनकी भूमिका और व्यवस्था का जितना विस्तृत वर्णन मिलता है, उतना अन्यत्र नहीं। भगवद गीता एक दार्शनिक ग्रंथ है।
प्रश्न 19: चोल साम्राज्य का प्रसिद्ध बंदरगाह कौन सा था?
- मदुराई
- कांचीपुरम
- तंजावुर
- कावेरीपट्टनम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कावेरीपट्टनम (पुहार) चोल साम्राज्य का एक प्रमुख और प्रसिद्ध बंदरगाह था।
- संदर्भ और विस्तार: यह बंदरगाह चोलों के व्यापार और वाणिज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था, खासकर विदेशी व्यापार के लिए। यह संगम साहित्य में वर्णित एक महत्वपूर्ण शहर था।
- गलत विकल्प: मदुरई, कांचीपुरम और तंजावुर चोल साम्राज्य के महत्वपूर्ण शहर थे, लेकिन वे प्रमुख बंदरगाह के रूप में नहीं जाने जाते थे। कांचीपुरम पल्लवों की राजधानी थी।
प्रश्न 20: ‘बक्सर का युद्ध’ कब हुआ था?
- 1757
- 1761
- 1764
- 1765
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: बक्सर का युद्ध 1764 ईस्वी में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाएं थीं, जिनका नेतृत्व हेक्टर मुनरो ने किया था, और दूसरी ओर मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय, अवध के नवाब शुजाउद्दौला और बंगाल के अपदस्त नवाब मीर कासिम की संयुक्त सेनाएं थीं। इस युद्ध में अंग्रेजों की निर्णायक जीत हुई, जिसने भारत में उनके राजनीतिक प्रभुत्व को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: 1757 में प्लासी का युद्ध हुआ था। 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ था। 1765 में इलाहाबाद की संधि हुई थी।
प्रश्न 21: किस युद्ध को ‘आधुनिक युद्ध का अग्रदूत’ माना जाता है?
- पानीपत का प्रथम युद्ध
- पानीपत का द्वितीय युद्ध
- प्लासी का युद्ध
- बक्सर का युद्ध
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: बक्सर के युद्ध को अक्सर ‘आधुनिक युद्ध का अग्रदूत’ कहा जाता है क्योंकि इसमें यूरोपीय सैन्य रणनीति और अनुशासित सेनाओं की श्रेष्ठता साबित हुई, जिसने भविष्य के भारतीय युद्धों को प्रभावित किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं ने भारतीय शासकों की संयुक्त सेना को निर्णायक रूप से हराया। इसने दिखाया कि कैसे एक अनुशासित और सुनियोजित यूरोपीय सेना, भारतीय सेनाओं पर भारी पड़ सकती है, जिससे भारत में ब्रिटिश शक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- गलत विकल्प: पानीपत के युद्ध भारतीय इतिहास के निर्णायक युद्ध थे, लेकिन वे मध्यकालीन युद्ध प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्लासी का युद्ध राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, लेकिन बक्सर का युद्ध सैन्य दृष्टिकोण से अधिक निर्णायक साबित हुआ।
प्रश्न 22: ‘भूदान आंदोलन’ का नेतृत्व किसने किया था?
- महात्मा गांधी
- विनोबा भावे
- जयप्रकाश नारायण
- आचार्य कृपलानी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भूदान आंदोलन का नेतृत्व विनोबा भावे ने किया था। यह आंदोलन 1951 में तेलंगाना से शुरू हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन का उद्देश्य भूमिहीन किसानों को भूमि वितरित करना था, जिसमें भूमि मालिक स्वेच्छा से अपनी भूमि का एक हिस्सा दान करते थे। विनोबा भावे का मानना था कि यह अहिंसक क्रांति का एक माध्यम बनेगा।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी विनोबा भावे के गुरु थे और उन्होंने भूदान आंदोलन का समर्थन किया, लेकिन नेतृत्व विनोबा भावे का था। जयप्रकाश नारायण ने भी आंदोलन में योगदान दिया। आचार्य कृपलानी कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे।
प्रश्न 23: ‘सबिनय अवज्ञा आंदोलन’ किस वर्ष प्रारंभ हुआ था?
- 1920
- 1925
- 1930
- 1935
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सबिनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में प्रारंभ हुआ था, जिसकी शुरुआत महात्मा गांधी द्वारा डांडी मार्च से हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों के विरोध में चलाया गया था, जिसमें नमक कानून तोड़ना एक प्रमुख प्रतीक था। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: 1920 में असहयोग आंदोलन प्रारंभ हुआ था। 1925 और 1935 अन्य महत्वपूर्ण वर्षों में आए, लेकिन सबिनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में शुरू हुआ।
प्रश्न 24: ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व इनमें से किसने किया था?
- बिरसा मुंडा
- सिद्धू और कान्हू
- रानी दुर्गावती
- अल्लूरी सीताराम राजू
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संथाल विद्रोह (1855-56) का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो भाइयों ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह ब्रिटिश शासन, जमींदारों और साहूकारों के शोषण के विरुद्ध एक जन आंदोलन था। संथालों ने तत्कालीन बिहार (वर्तमान झारखंड) के क्षेत्र में ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी थी।
- गलत विकल्प: बिरसा मुंडा ने ‘मुंडा विद्रोह’ का नेतृत्व किया था। रानी दुर्गावती गोंडवाना की रानी थीं जिन्होंने मुगलों का विरोध किया। अल्लूरी सीताराम राजू ने आंध्र प्रदेश में रम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया था।
प्रश्न 25: प्रथम विश्व युद्ध की अवधि क्या थी?
- 1910-1914
- 1914-1918
- 1918-1922
- 1939-1945
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध की अवधि 1914 से 1918 तक थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में मित्र राष्ट्रों (जैसे फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, बाद में अमेरिका) और केंद्रीय शक्तियों (जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य) के बीच संघर्ष हुआ। इसने दुनिया के राजनीतिक मानचित्र को मौलिक रूप से बदल दिया और लाखों लोगों की जान ली।
- गलत विकल्प: 1910-1914 युद्ध पूर्व का काल था। 1918-1922 युद्ध के बाद की अवधि थी। 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि थी।