इतिहास मंथन: 25 प्रश्नों का महासंग्राम!
नमस्कार, भावी सरकारी अधिकारीगण! इतिहास की गहराइयों में उतरने और अपने ज्ञान के रथ को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो जाइए। आज का यह मॉक टेस्ट सिर्फ प्रश्नों का संग्रह नहीं, बल्कि बीते हुए कल की रोमांचक यात्रा है। क्या आप प्राचीन सभ्यताओं, मध्यकालीन साम्राज्यों, आधुनिक भारत के संघर्षों और विश्व इतिहास की निर्णायक लड़ाइयों के रहस्यों को उजागर करने के लिए तैयार हैं? आइए, अपनी तैयारी को परखें और खुद को एक कदम और आगे बढ़ाएं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस सिंधु घाटी सभ्यता स्थल से ‘घोड़े के अवशेष’ प्राप्त हुए हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- सुरकोटड़ा
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सुरकोटड़ा (Surkotda), जो गुजरात में स्थित है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है जहाँ से घोड़े के अवशेष मिले हैं। यह खोज सिंधु घाटी सभ्यता में घोड़े के उपयोग या उपस्थिति पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है, हालांकि इसके प्रमाण अभी भी बहस का विषय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सुरकोटड़ा से मिले घोड़े के अवशेषों को पुरातत्वविदों द्वारा महत्वपूर्ण माना गया है। यह स्थल अन्य स्थलों जैसे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से भिन्न है क्योंकि यहाँ से किलेबंद शहर के प्रमाण मिलते हैं।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो प्रमुख स्थल हैं जहाँ से मानव कंकाल, सील, और शहरी नियोजन के प्रमाण मिले हैं, लेकिन घोड़े के सीधे अवशेषों के प्रमुख साक्ष्य यहाँ से नहीं मिले हैं। लोथल एक गोदी (dockyard) के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 2: ‘धर्म’ और ‘नैतिकता’ के सिद्धांतों को किस मौर्य सम्राट ने अपनी प्रजा के लिए प्रसारित किया?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- बिंदुसार
- अशोक
- बृहद्रथ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सम्राट अशोक, मौर्य राजवंश के सबसे महान शासकों में से एक थे, जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद ‘धर्म’ (धम्म) के सिद्धांतों को अपनाया और अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए इसका प्रसार किया।
- संदर्भ और विस्तार: अशोक ने अपने शिलालेखों (Rock Edicts) और स्तंभ लेखों (Pillar Edicts) के माध्यम से ‘धर्म’ के सार्वजनिक प्रसार पर जोर दिया, जिसमें अहिंसा, सहिष्णुता, दान और सभी प्राणियों के प्रति दया जैसे मूल्य शामिल थे।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म को अपनाया और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में संन्यास लिया। बिंदुसार ने आजीवक संप्रदाय का समर्थन किया। बृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था।
प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गयासुद्दीन बलबन (1266-1287 ईस्वी), जो इल्तुतमिश का एक दास और बाद में सुल्तान बना, ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ की स्थापना की, जो एक केंद्रीय सैन्य विभाग था।
- संदर्भ और विस्तार: बलबन ने राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और मंगोल आक्रमणों से बचाव के लिए एक शक्तिशाली सेना की आवश्यकता महसूस की। दीवान-ए-अर्ज का उद्देश्य सैनिकों की भर्ती, प्रशिक्षण, वेतन और साज-सज्जा की व्यवस्था करना था।
- गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने सल्तनत की नींव रखी। इल्तुतमिश ने एकता प्रणाली की शुरुआत की। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार सुधार और स्थायी सेना की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण सैन्य और प्रशासनिक सुधार किए, लेकिन दीवान-ए-अर्ज की स्थापना का श्रेय बलबन को जाता है।
प्रश्न 4: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक को ‘आंध्रभोज’ की उपाधि प्राप्त थी?
- हरिहर प्रथम
- बुक्का प्रथम
- देवराय द्वितीय
- कृष्ण देवराय
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कृष्ण देवराय (1509-1529 ईस्वी), विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे, जिन्हें उनके विद्वता, कला और तेलुगु साहित्य के प्रति योगदान के कारण ‘आंध्रभोज’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्ण देवराय स्वयं एक विद्वान थे और उन्होंने तेलुगु में ‘अमुक्तमाल्यदा’ नामक ग्रंथ की रचना की। उनके शासनकाल में विजयनगर कला, साहित्य और वास्तुकला के चरम पर था।
- गलत विकल्प: हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी। देवराय द्वितीय भी एक योग्य शासक थे, लेकिन ‘आंध्रभोज’ की उपाधि विशेष रूप से कृष्ण देवराय से जुड़ी है।
प्रश्न 5: 1857 के विद्रोह के दौरान कानपुर का नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- बेगम हजरत महल
- ताना टोपे
- नाना साहेब
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1857 के विद्रोह में कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहेब पेशवा ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने अंग्रेजों द्वारा उनकी पेंशन और उपाधियों को बंद किए जाने के कारण विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने कानपुर पर कब्जा कर लिया और खुद को पेशवा घोषित किया।
- गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से नेतृत्व किया। बेगम हजरत महल ने लखनऊ से नेतृत्व किया। ताना टोपे नाना साहेब के प्रमुख सहयोगी थे और उन्होंने कानपुर के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन प्राथमिक नेतृत्व नाना साहेब का था।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन हड़प्पा सभ्यता के संबंध में सत्य नहीं है?
- यह एक नगरीय सभ्यता थी।
- इसमें सुनियोजित नगरों का विकास हुआ था।
- यहां के लोग लोहे का उपयोग जानते थे।
- इसमें विशाल स्नानागार पाए गए हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: हड़प्पा सभ्यता (लगभग 2500-1750 ईसा पूर्व) एक कांस्य युगीन सभ्यता थी, और यहाँ के लोग लोहे का उपयोग नहीं जानते थे। लोहे का ज्ञान भारतीय उपमहाद्वीप में वैदिक काल के बाद फैला।
- संदर्भ और विस्तार: हड़प्पा सभ्यता अपने उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी व्यवस्था, ईंटों के मकानों और सार्वजनिक स्नानागार (मोहनजोदड़ो में) के लिए जानी जाती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं हैं। विकल्प (c) असत्य है क्योंकि हड़प्पावासी लोहे से अपरिचित थे।
प्रश्न 7: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किसने किया था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- हर्षवर्धन
- शिवाजी
- समुद्रगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था, जिसे ‘अष्टप्रधान’ कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में प्रधान (प्रधानमंत्री), आमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), सेनापति (सेना प्रमुख), पंडितराव (धार्मिक कार्य), न्यायाधीश (न्याय प्रमुख) और वाकयान्वीस (सूचना मंत्री) जैसे पद शामिल थे।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने साम्राज्य के लिए मंत्रिपरिषद का गठन किया था, लेकिन इसे ‘अष्टप्रधान’ नहीं कहा गया। हर्षवर्धन का प्रशासन भी सुगठित था, लेकिन अष्टप्रधान शिवाजी से संबंधित है। समुद्रगुप्त एक महान योद्धा थे।
प्रश्न 8: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समुद्रगुप्त (लगभग 335-375 ईस्वी) को उनकी विजयों और विशाल साम्राज्य के विस्तार के कारण भारतीय इतिहासकार स्मिथ द्वारा ‘भारत का नेपोलियन’ कहा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों को जीता और दक्षिण भारत में भी कई राज्यों को अपने अधीन किया। उनकी वीरता और सैन्य उपलब्धियों ने उन्हें यह उपाधि दिलाई।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश की नींव रखी। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) भी एक महान शासक थे जिन्होंने मालवा पर विजय प्राप्त की। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।
प्रश्न 9: ‘तैमूरलंग’ ने भारत पर कब आक्रमण किया?
- 1296 ईस्वी
- 1325 ईस्वी
- 1398 ईस्वी
- 1526 ईस्वी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: तैमूरलंग (Tamerlane), जो मध्य एशिया का एक तुर्क-मंगोल विजेता था, ने 1398 ईस्वी में भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली को लूटा।
- संदर्भ और विस्तार: तैमूर के आक्रमण ने दिल्ली सल्तनत को बहुत कमजोर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप तुगलक राजवंश का पतन हुआ और दिल्ली सल्तनत में अराजकता फैल गई।
- गलत विकल्प: 1296 ईस्वी अलाउद्दीन खिलजी के राज्याभिषेक का वर्ष है। 1325 ईस्वी मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल की शुरुआत का वर्ष है। 1526 ईस्वी पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ, जिसमें बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
प्रश्न 10: ‘अकबरनामा’ का लेखक कौन है?
- अबुल फजल
- फैजी
- बदायुनी
- इनायत खान
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘अकबरनामा’, मुगल सम्राट अकबर के जीवन और शासनकाल का एक विस्तृत इतिहास है, जिसके लेखक अबुल फजल हैं, जो अकबर के नौ रत्नों (Navaratnas) में से एक थे।
- संदर्भ और विस्तार: अबुल फजल ने अकबर की आज्ञा पर ‘अकबरनामा’ की रचना की, जो तीन खंडों में विभाजित है। इसका तीसरा खंड ‘आईन-ए-अकबरी’ के नाम से जाना जाता है, जो अकबर के प्रशासन, अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन का विवरण देता है।
- गलत विकल्प: फैजी अबुल फजल का भाई था और वह भी अकबर के दरबार में एक विद्वान था। बदायुनी ने ‘मुंतखब-उत-तवारीख’ लिखी, जिसमें उसने अकबर के प्रति कुछ आलोचनात्मक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। इनायत खान ने ‘शाहजहाँनामा’ लिखा।
प्रश्न 11: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ‘गरम दल’ के प्रमुख नेता कौन थे?
- दादाभाई नौरोजी
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- बाल गंगाधर तिलक
- गोपाल कृष्ण गोखले
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय और अरविंद घोष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ‘गरम दल’ (Extremists) के प्रमुख नेता थे।
- संदर्भ और विस्तार: 1907 में सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का गरम दल और नरम दल में विभाजन हो गया। गरम दल के नेता स्वराज्य, बहिष्कार और स्वदेशी जैसे उपायों से ब्रिटिश शासन का विरोध करते थे।
- गलत विकल्प: दादाभाई नौरोजी और सुरेंद्रनाथ बनर्जी नरम दल के प्रमुख नेता थे, जबकि गोपाल कृष्ण गोखले भी नरम दल के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे।
प्रश्न 12: ‘अभिनव भारत’ नामक गुप्त क्रांतिकारी संगठन की स्थापना किसने की थी?
- खुदीराम बोस
- प्रफुल्ल चाकी
- विनायक दामोदर सावरकर
- भगत सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) ने 1904 में ‘अभिनव भारत’ नामक गुप्त क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति करना था।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अभिनव भारत’ की शुरुआत मित्र मेला (Mitra Mela) के रूप में हुई थी, जो बाद में अभिनव भारत के रूप में पुनर्गठित हुआ। इस संगठन ने ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या और अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी मुजफ्फरपुर बम कांड से जुड़े थे। भगत सिंह एक प्रमुख समाजवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) जैसे संगठनों में काम किया।
प्रश्न 13: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रमुख नारा क्या था?
- ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’
- ‘राष्ट्र सर्वोपरि’
- ‘सरकार जनता के लिए, जनता द्वारा’
- ‘शांति, भूमि, रोटी’
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली नारा ‘Liberté, égalité, fraternité’ था, जिसका अर्थ है ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा क्रांति के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता था और इसने फ्रांस में राजशाही के अंत और गणराज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने दुनिया भर में स्वतंत्रता आंदोलनों को भी प्रेरित किया।
- गलत विकल्प: ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ का नारा अक्सर राष्ट्रवादी आंदोलनों से जुड़ा होता है। ‘सरकार जनता के लिए, जनता द्वारा’ अब्राहम लिंकन के भाषण से प्रेरित है। ‘शांति, भूमि, रोटी’ 1917 की रूसी क्रांति का नारा था।
प्रश्न 14: ‘दास प्रथा’ को औपचारिक रूप से किस वर्ष समाप्त किया गया?
- 1857
- 1858
- 1861
- 1865
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1857 के विद्रोह के बाद, भारत सरकार अधिनियम 1858 ने भारत में दास प्रथा को समाप्त करने का आदेश दिया। हालाँकि, इसे पूरी तरह से समाप्त करने की प्रक्रिया 1865 तक चली।
- संदर्भ और विस्तार: भारत सरकार अधिनियम 1858 को 1857 के विद्रोह के बाद लाया गया था, जिसने भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन के सीधे नियंत्रण में ला दिया। इस अधिनियम ने कंपनी शासन का अंत किया और भारत में कई सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया, जिसमें दास प्रथा का उन्मूलन भी शामिल था।
- गलत विकल्प: 1857 विद्रोह का वर्ष है। 1861 में भारतीय परिषद अधिनियम पारित हुआ। 1865 में दासता उन्मूलन अधिनियम (Indian Slavery Act) पारित किया गया, जिसने दासता को पूर्ण रूप से अवैध घोषित कर दिया। हालांकि, 1858 का अधिनियम एक निर्णायक कदम था।
प्रश्न 15: ‘जलियानवाला बाग हत्याकांड’ कब हुआ था?
- 13 अप्रैल 1919
- 01 अगस्त 1920
- 06 अप्रैल 1919
- 30 मई 1919
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जलियानवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुआ था, जब जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे भारतीय प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं।
- संदर्भ और विस्तार: यह घटना रौलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाल्ड डायर के आदेश पर हुई। इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए या घायल हुए, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया।
- गलत विकल्प: 01 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई। 06 अप्रैल 1919 को देश भर में रौलेट एक्ट के विरोध में हड़तालें हुईं। 30 मई 1919 को जलियानवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए हंटर आयोग का गठन किया गया।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से किस अभिलेख से कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि का पता चलता है?
- मंदसौर अभिलेख
- यूँ-खाँ का जूनागढ़ शिलालेख
- रवा तक का शिलालेख
- शाहबाजगढ़ी शिलालेख
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रवा तक का शिलालेख (Rewataka Inscription), जिसे कभी-कभी एक अलग रूप में भी संदर्भित किया जाता है, कनिष्क के राज्याभिषेक से संबंधित जानकारी प्रदान करता है, जिससे उसकी गद्दी पर बैठने की तिथि का अनुमान लगाया जा सकता है। विशेष रूप से, 78 ईस्वी को कनिष्क के राज्याभिषेक वर्ष के रूप में स्वीकार किया जाता है, जिसे शक युग की शुरुआत माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: रवा तक का शिलालेख कुछ विद्वानों द्वारा कनिष्क के शासनकाल के शुरुआती वर्षों से संबंधित माना जाता है, और इसके आधार पर ही कनिष्क के राज्याभिषेक का वर्ष (78 ईस्वी) निर्धारित किया गया है, जो शक युग की भी शुरुआत है।
- गलत विकल्प: मंदसौर अभिलेख गुप्त काल के बाद का है। जूनागढ़ शिलालेख रुद्रदामन से संबंधित है। शाहबाजगढ़ी शिलालेख अशोक के हैं।
प्रश्न 17: ‘सिजदा’ और ‘पैबोस’ की प्रथाएँ किसने शुरू कीं?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: बलबन (1266-1287 ईस्वी) ने फारसी दरबारी शिष्टाचार को अपनाते हुए ‘सिजदा’ (सुल्तान के सामने घुटनों के बल झुकना) और ‘पैबोस’ (सुल्तान के पैरों को चूमना) की प्रथाएँ शुरू कीं।
- संदर्भ और विस्तार: इन प्रथाओं का उद्देश्य सुल्तान की निरंकुश शक्ति और दैवीय अधिकार का प्रदर्शन करना था, साथ ही दरबार में अनुशासन और सम्मान सुनिश्चित करना था। बलबन ने ‘राजत्व का दैवीय सिद्धांत’ (Divine Theory of Kingship) का भी समर्थन किया।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने तुर्क सरदारों की शक्ति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और स्थायी सेना की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण सुधार किए। मुहम्मद बिन तुगलक अपने प्रयोगों के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 18: ‘बाबरनामा’ किस भाषा में लिखा गया था?
- फारसी
- तुर्की
- उर्दू
- अरबी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘बाबरनामा’, मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की आत्मकथा है, जिसे उन्होंने तुर्की भाषा (विशेष रूप से चगताई तुर्की) में लिखा था।
- संदर्भ और विस्तार: यह बाबर के बचपन, उसके सैन्य अभियानों, भारत की विजय और उसके राजनीतिक विचारों का प्रत्यक्ष विवरण प्रदान करता है। यह आत्मकथात्मक साहित्य का एक महत्वपूर्ण नमूना है।
- गलत विकल्प: मुगलों की दरबारी भाषा फारसी थी, और बाद में अकबरनामा जैसे ग्रंथ फारसी में लिखे गए। उर्दू और अरबी भाषाएँ भी भारत में प्रचलित थीं, लेकिन बाबरनामा मूल रूप से तुर्की में लिखा गया था।
प्रश्न 19: ‘लॉर्ड कर्जन’ किस भारतीय वायसराय के कार्यकाल से संबंधित है?
- बंगाल का विभाजन
- असहयोग आंदोलन
- साइमन कमीशन
- भारत छोड़ो आंदोलन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लॉर्ड कर्जन (1899-1905) भारत के वायसराय थे, जिनके कार्यकाल के दौरान 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: कर्जन ने प्रशासनिक सुविधा का हवाला देते हुए बंगाल का विभाजन किया, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य बंगाल में बढ़ती राष्ट्रवादी भावना को दबाना था। इस विभाजन के कारण देश भर में तीव्र विरोध प्रदर्शन हुए, जिन्हें ‘स्वदेशी आंदोलन’ के रूप में जाना जाता है।
- गलत विकल्प: असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। साइमन कमीशन 1927 में आया था। भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में शुरू हुआ था।
प्रश्न 20: ‘चौरी-चौरा की घटना’ किस आंदोलन को स्थगित करने का कारण बनी?
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
- खिलाफत आंदोलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) में हुई हिंसक घटना के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना में, आंदोलनकारियों की एक भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन को घेर लिया और आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। गांधीजी, जो अहिंसा के समर्थक थे, इस हिंसा से बहुत आहत हुए और उन्होंने आंदोलन को वापस ले लिया।
- गलत विकल्प: सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में शुरू हुआ। भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में हुआ। खिलाफत आंदोलन असहयोग आंदोलन के साथ मिलकर लड़ा गया था।
प्रश्न 21: ‘मेगस्थनीज’ द्वारा लिखी गई पुस्तक का नाम क्या है?
- इंडिका
- अर्थशास्त्र
- महाभाष्य
- राजतरंगिणी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मेगस्थनीज, जो एक यूनानी राजदूत था और चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था, उसने ‘इंडिका’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उसने भारतीय समाज, संस्कृति और प्रशासन का वर्णन किया है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि ‘इंडिका’ का मूल पाठ खो गया है, लेकिन इसके अंश अन्य लेखकों जैसे एरियन, प्लिनी और स्ट्रैबो द्वारा उद्धृत किए गए हैं, जो मौर्य साम्राज्य की जानकारी के लिए एक अमूल्य स्रोत हैं।
- गलत विकल्प: ‘अर्थशास्त्र’ कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा लिखी गई है। ‘महाभाष्य’ पतंजलि का ग्रंथ है। ‘राजतरंगिणी’ कल्हण द्वारा लिखी गई है।
प्रश्न 22: ‘सूफीवाद’ का संस्थापक किसे माना जाता है?
- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती
- बाबा फरीद
- मुईनुद्दीन सिद्दीकी
- अबू इशाक शमी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सूफीवाद, इस्लाम का एक रहस्यवादी और आध्यात्मिक आंदोलन है। हालांकि इसका कोई एक ‘संस्थापक’ नहीं है, लेकिन कुछ विद्वान अबू इशाक शमी (9वीं शताब्दी) को सूफीवाद की प्रारंभिक अवस्था के विकास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति मानते हैं। हालांकि, भारतीय उपमहाद्वीप में सूफीवाद के आगमन और प्रसार में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती जैसे संतों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि प्रश्न ‘भारतीय सूफीवाद’ के संदर्भ में है, तो ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अधिक प्रासंगिक होंगे, लेकिन सामान्यतः सूफीवाद के विकास में अबू इशाक शमी को प्रारंभिक चरण से जोड़ा जाता है। (नोट: यह प्रश्न सूफीवाद के व्यापक संदर्भ में पूछा गया है, इसलिए प्रारंभिक विकास पर ध्यान देना उचित है।)
- संदर्भ और विस्तार: सूफीवाद का उद्देश्य ईश्वर के साथ प्रत्यक्ष, व्यक्तिगत अनुभव प्राप्त करना है, जो अक्सर प्रेम, वैराग्य और आत्म-त्याग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
- गलत विकल्प: ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भारत में चिश्ती सिलसिले के संस्थापक थे। बाबा फरीद भी एक प्रमुख भारतीय सूफी संत थे। मुईनुद्दीन सिद्दीकी एक व्यापक शब्द हो सकता है, लेकिन अबू इशाक शमी प्रारंभिक विकास से अधिक जुड़े हैं।
प्रश्न 23: ‘ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी’ की स्थापना कब हुई थी?
- 1599
- 1600
- 1608
- 1612
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 को लंदन में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: कंपनी को महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा शाही चार्टर प्रदान किया गया था, जिससे इसे पूर्वी देशों के साथ व्यापार का एकाधिकार प्राप्त हुआ। इसने धीरे-धीरे भारत में अपना प्रभाव बढ़ाया और अंततः व्यापारिक कंपनी से एक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी।
- गलत विकल्प: 1599 में कंपनी के गठन की योजना शुरू हुई। 1608 में विलियम हॉकिंस जहांगीर के दरबार में पहुँचा। 1612 में सूरत में कंपनी को व्यापारिक कोठी स्थापित करने की अनुमति मिली।
प्रश्न 24: ‘अमीर खुसरो’ को किस वाद्य यंत्र के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है?
- सितार
- तबला
- दोनों (सितार और तबला)
- सरोद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: अमीर खुसरो (1253-1325 ईस्वी), जो एक महान कवि, संगीतकार और विद्वान थे, को सितार और तबला दोनों वाद्य यंत्रों के विकास या आविष्कार का श्रेय दिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: माना जाता है कि उन्होंने वीणा और फारसी ल्यूट (saz) के संयोजन से सितार का विकास किया। तबला, जो दो ड्रमों से बना है, को भी उनके द्वारा विकसित किया गया माना जाता है। उन्होंने भारतीय और फारसी संगीत शैलियों को मिलाकर ‘कव्वाली’ और ‘क़व्वाली’ जैसी गायन शैलियों को भी लोकप्रिय बनाया।
- गलत विकल्प: सरोद एक अन्य महत्वपूर्ण भारतीय वाद्य यंत्र है, लेकिन इसका आविष्कार अमीर खुसरो से नहीं जोड़ा जाता है।
प्रश्न 25: ‘अग्नि’ का वर्णन ऋग्वेद के किस मंडल में प्रमुखता से किया गया है?
- प्रथम मंडल
- द्वितीय मंडल
- तीसरा मंडल
- चौथा मंडल
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ऋग्वेद के प्रथम मंडल (First Mandala) में अग्नि (Agní) को समर्पित कई सूक्त (hymns) हैं, जो अग्नि को ऋग्वैदिक देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अग्नि को यज्ञों का पुरोहित, देवताओं का दूत और मनुष्यों का रक्षक माना जाता था। वेदों में अग्नि की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे यज्ञ के माध्यम से देवताओं तक आहुतियाँ पहुँचाते थे। प्रथम मंडल में उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों का वर्णन है।
- गलत विकल्प: ऋग्वेद के अन्य मंडलों में भी अग्नि का उल्लेख है, लेकिन प्रथम मंडल में उनके प्रति विशेष रूप से अधिक सूक्त समर्पित हैं। द्वितीय मंडल विश्वामित्र से, तीसरा मंडल वशिष्ठ से, और चौथा मंडल वामदेव से संबंधित सूक्तों के लिए जाना जाता है, जिनमें अन्य देवताओं का भी वर्णन है।