इतिहास मंथन: 25 प्रश्नों का ज्ञानवर्धक अभ्यास
समय की गहराइयों में गोता लगाने और अपने ऐतिहासिक ज्ञान की धार को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए! आज का अभ्यास सत्र आपको प्राचीन भारत के रहस्यों से लेकर आधुनिक युग के निर्णायक क्षणों तक की यात्रा पर ले जाएगा। क्या आप इन 25 चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं?
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल को ‘मृतकों का टीला’ कहा जाता है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मोहनजोदड़ो, जिसका सिंधी भाषा में अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था। यहां बड़ी संख्या में मानव कंकाल और दफनाने की प्रथाओं के प्रमाण मिले थे, जिससे इसे यह नाम मिला।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में आर.डी. बनर्जी ने की थी। यह सिंधु नदी के तट पर स्थित था और अपनी सुनियोजित शहरी व्यवस्था, विशाल स्नानागार, अन्नागार और कांस्य नर्तकी की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला सिंधु स्थल था जिसे खोजा गया था; लोथल एक बंदरगाह शहर था; कालीबंगा को ‘काली चूड़ियाँ’ के नाम से जाना जाता है और वहां जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।
प्रश्न 2: ‘अभिधर्म पिटक’ किस बौद्ध संगीति के समय संकलित हुआ था?
- प्रथम बौद्ध संगीति
- द्वितीय बौद्ध संगीति
- तृतीय बौद्ध संगीति
- चतुर्थ बौद्ध संगीति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अभिधर्म पिटक, बौद्ध धर्म के त्रिपिटक का तीसरा भाग है, और इसका संकलन तृतीय बौद्ध संगीति के दौरान हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक के संरक्षण में 250 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। इस संगीति की अध्यक्षता मोग्गलिपुत्त तिस्स ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म को भ्रामक विचारों से शुद्ध करना था और इसी दौरान अभिधर्म पिटक को अंतिम रूप दिया गया।
- गलत विकल्प: प्रथम बौद्ध संगीति राजगृह में अजातशत्रु के संरक्षण में हुई थी जहाँ विनय पिटक और सुत्त पिटक को संकलित किया गया था। द्वितीय बौद्ध संगीति वैशाली में कालाशोक के संरक्षण में हुई थी। चतुर्थ बौद्ध संगीति कश्मीर में कनिष्क के संरक्षण में हुई थी।
प्रश्न 3: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- यह काल अत्यधिक आर्थिक समृद्धि का था।
- कला, साहित्य, विज्ञान और धर्म का अभूतपूर्व विकास हुआ।
- साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हुआ।
- लोकतंत्र की स्थापना हुई।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान और दर्शन जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
- संदर्भ और विस्तार: कालिदास जैसे महान कवियों ने इस युग में अपनी रचनाएँ कीं, आर्यभट्ट ने शून्य का सिद्धांत और दशमलव प्रणाली विकसित की, वराहमिहिर ने खगोल विज्ञान पर काम किया। मंदिरों का निर्माण, मूर्तिकला और चित्रकला में भी उच्च कोटि की कृतियाँ सामने आईं।
- गलत विकल्प: हालांकि यह काल आर्थिक रूप से समृद्ध था (a), लेकिन ‘स्वर्ण युग’ की उपाधि मुख्य रूप से सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास को दर्शाती है। साम्राज्य का विस्तार हुआ था, लेकिन यह मुख्य कारण नहीं है। लोकतंत्र की स्थापना इस काल में नहीं हुई थी।
प्रश्न 4: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की थी, जो दास (गुलाम) विभाग था?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोज शाह तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: फिरोज शाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388) ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक विशेष विभाग की स्थापना की, जिसका उद्देश्य राजकीय दासों (गुलामों) की देखभाल, प्रशिक्षण और नियुक्ति करना था।
- संदर्भ और विस्तार: फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में दासों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई थी, और उसने उनकी देखभाल के लिए यह विभाग बनाया। इसने सैन्य और प्रशासनिक कार्यों में दासों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया। उसने अन्य कल्याणकारी कार्य जैसे अस्पताल (दार-उल-शिफा) और नहरों का निर्माण भी करवाया।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीस के गिरोह’ (तुर्कान-ए-चहलगानी) की स्थापना की थी। बलबन ने राजत्व की अवधारणा पर जोर दिया और ‘चालीस के गिरोह’ को समाप्त किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और स्थायी सेना की स्थापना की।
प्रश्न 5: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘कृष्णदेवराय’ की उपाधि धारण की थी?
- हरिहर प्रथम
- बुक्का प्रथम
- देवराय द्वितीय
- कृष्णदेवराय
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कृष्णदेवराय, विजयनगर साम्राज्य के तुलुव वंश के सबसे महान शासक थे, और उन्होंने ‘कृष्णदेवराय’ की उपाधि धारण की थी।
- संदर्भ और विस्तार: उनका शासनकाल (1509-1529) विजयनगर साम्राज्य का चरमोत्कर्ष काल माना जाता है। वे स्वयं एक विद्वान, कवि और कला के संरक्षक थे। उन्होंने ‘अमुक्तमाल्यदा’ नामक तेलुगु काव्य की रचना की। उनके शासनकाल में साम्राज्य ने आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि हासिल की।
- गलत विकल्प: हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम ने विजयनगर की स्थापना की थी। देवराय द्वितीय भी एक महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन कृष्णदेवराय की उपाधि उन्हीं के नाम पर थी।
प्रश्न 6: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- बेगम हजरत महल
- नाना साहेब
- कुंवर सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व नाना साहेब ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और ब्रिटिश सरकार द्वारा उनकी पेंशन रोके जाने के कारण ब्रिटिश विरोधी थे। उन्होंने कानपुर पर कब्जा कर लिया और स्वयं को पेशवा घोषित किया। तात्या टोपे उनके प्रमुख सहयोगी थे।
- गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी से, बेगम हजरत महल ने लखनऊ से, और कुंवर सिंह ने जगदीशपुर (बिहार) से नेतृत्व किया था।
प्रश्न 7: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ किस वर्ष प्रारंभ हुआ?
- 1920
- 1930
- 1942
- 1947
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में मुंबई में शुरू किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन का मुख्य नारा ‘करो या मरो’ था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को भारत से तुरंत समाप्त करवाना था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जिसमें बड़े पैमाने पर जन भागीदारी देखी गई।
- गलत विकल्प: 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह) शुरू हुआ था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।
प्रश्न 8: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रमुख नारा क्या था?
- ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’
- ‘धर्म, राष्ट्र, शासक’
- ‘एक राष्ट्र, एक नियम’
- ‘सभी के लिए शांति’
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का सबसे प्रसिद्ध नारा ‘Liberté, égalité, fraternité’ था, जिसका अनुवाद ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा फ्रांसीसी गणराज्य के आदर्शों का प्रतीक बन गया और आज भी फ्रांस का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है। यह क्रांति के तीन प्रमुख उद्देश्यों को दर्शाता है: व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक समानता और राष्ट्रों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प फ्रांसीसी क्रांति के विशिष्ट नारे नहीं थे।
प्रश्न 9: अशोक का ‘धम्म’ किस सिद्धांत पर आधारित था?
- सभी मनुष्यों के प्रति सहिष्णुता, अहिंसा और नैतिक आचरण
- जाति व्यवस्था का समर्थन
- सैन्य विजय का विस्तार
- कठोर अनुष्ठान और बलिदान
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सम्राट अशोक का ‘धम्म’ एक नैतिक और सामाजिक आचार संहिता थी, जो सभी मनुष्यों के प्रति सहिष्णुता, अहिंसा, प्रेम, करुणा और नैतिक आचरण पर आधारित थी।
- संदर्भ और विस्तार: कलिंग युद्ध के भयानक परिणामों से द्रवित होकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और अपने शासनकाल में धम्म के सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास किया। उसने अपने शिलालेखों में इन सिद्धांतों का प्रचार किया, जो समाज में शांति और सद्भाव स्थापित करने का लक्ष्य रखते थे।
- गलत विकल्प: धम्म जाति व्यवस्था का समर्थन नहीं करता था, बल्कि सभी के लिए समान व्यवहार पर जोर देता था। सैन्य विजय इसके मुख्य सिद्धांत नहीं थे, बल्कि अहिंसा पर बल था। यह कठोर अनुष्ठानों और बलिदानों के बजाय नैतिक आचरण पर केंद्रित था।
प्रश्न 10: ‘सबका साथ, सबका विकास’ की तर्ज पर, किस मुगल बादशाह ने ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत की थी?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) नामक एक नवीन धार्मिक विचार प्रस्तुत किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक ऐसा धर्म था जिसमें विभिन्न धर्मों के अच्छे तत्वों को मिलाकर एक ऐसे नए पंथ का निर्माण किया गया था जिसका उद्देश्य सभी समुदायों के बीच धार्मिक सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देना था। अकबर ने स्वयं इसे स्वीकार किया था, लेकिन यह बहुत व्यापक रूप से नहीं फैला।
- गलत विकल्प: जहांगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब ने अपने-अपने शासनकाल में अलग-अलग नीतियाँ अपनाईं। जहांगीर कला और न्याय के लिए जाना जाता है, शाहजहाँ स्थापत्य कला के लिए, और औरंगजेब धार्मिक रूढ़िवादिता के लिए।
प्रश्न 11: लॉर्ड डलहौजी द्वारा लागू की गई ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- देशी रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाना
- भारतीयों को शिक्षा प्रदान करना
- रेलवे का विस्तार करना
- सेना का आधुनिकीकरण करना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लॉर्ड डलहौजी, जो 1848 से 1856 तक भारत के गवर्नर-जनरल थे, द्वारा लागू की गई ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) का मुख्य उद्देश्य ऐसी भारतीय रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाना था जिनके शासकों की मृत्यु बिना किसी प्राकृतिक उत्तराधिकारी के हो जाती थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के तहत, सतारा (1848), जयपुर (1849), संभलपुर (1850), उदयपुर (1852), झाँसी (1853) और नागपुर (1854) जैसी कई रियासतों को ब्रिटिश भारत में मिला लिया गया। यह नीति भारतीय शासकों में असंतोष का एक प्रमुख कारण बनी और 1857 के विद्रोह में योगदान दिया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ने शिक्षा और रेलवे के विस्तार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन ‘व्यपगत का सिद्धांत’ का सीधा उद्देश्य रियासतों का विलय करना था।
प्रश्न 12: चौरी-चौरा की घटना, जिसने असहयोग आंदोलन को वापस लेने पर मजबूर किया, कब हुई थी?
- 1919
- 1920
- 1922
- 1924
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: चौरी-चौरा की हिंसक घटना 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना में भीड़ ने एक पुलिस थाने को आग लगा दी थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। महात्मा गांधी, जो अहिंसा के सिद्धांत में विश्वास करते थे, इस घटना से बहुत आहत हुए और उन्होंने असहयोग आंदोलन (1920-22) को तुरंत समाप्त करने का निर्णय लिया।
- गलत विकल्प: 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ था। 1924 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन कानपुर में हुआ था।
प्रश्न 13: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कहाँ और कब हुई थी?
- लंदन, 1913
- न्यूयॉर्क, 1915
- सैन फ्रांसिस्को, 1913
- बर्लिन, 1914
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी की स्थापना लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और अन्य भारतीय देशभक्तों ने की थी, जिनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में सशस्त्र क्रांति लाना था। इसका मुख्य पत्र ‘गदर’ था, जिसे उर्दू, पंजाबी और अन्य भाषाओं में प्रकाशित किया जाता था।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प स्थान और वर्ष की गलत जानकारी देते हैं।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था?
- मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा
- लोथल
- धौलावीरा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लोथल, गुजरात में स्थित, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख बंदरगाह शहर था।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल में एक विशाल गोदी (dockyard) के अवशेष मिले हैं, जो तत्कालीन उन्नत समुद्री व्यापार को दर्शाता है। यहां से फारस की खाड़ी से व्यापार के प्रमाण भी मिलते हैं। यह शहर अपनी सुनियोजित ग्रिड प्रणाली और ईंटों से बने घरों के लिए भी जाना जाता है।
- गलत विकल्प: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा बड़े शहर थे, लेकिन मुख्य रूप से व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र थे, न कि विशेष बंदरगाह। धौलावीरा एक महत्वपूर्ण स्थल है, लेकिन यह लोथल की तरह एक प्रमुख बंदरगाह नहीं था।
प्रश्न 15: ‘सती प्रथा’ का अंत किस गवर्नर-जनरल के कार्यकाल में हुआ था?
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सती प्रथा का अंत 1829 में राजा राम मोहन राय के प्रयासों और लॉर्ड विलियम बेंटिंक के सहयोग से हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने ‘बंगाल सती विनियमन, 1829’ लागू करके सती प्रथा को गैरकानूनी और दंडनीय घोषित किया। यह भारतीय समाज सुधार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली सहायक संधि के लिए जाने जाते हैं, लॉर्ड डलहौजी व्यपगत के सिद्धांत के लिए, और लॉर्ड कर्जन बंगाल विभाजन के लिए।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा वेद ‘गद्य’ और ‘पद्य’ दोनों में लिखा गया है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: यजुर्वेद, जो यज्ञों और अनुष्ठानों से संबंधित है, गद्य और पद्य दोनों शैलियों में लिखा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यजुर्वेद के दो मुख्य भाग हैं: शुक्ल (शुद्ध) यजुर्वेद, जो केवल मंत्रों में है, और कृष्ण (अंधेरा) यजुर्वेद, जिसमें मंत्रों के साथ-साथ गद्य में उनकी व्याख्याएं भी शामिल हैं। यह इसे अन्य वेदों से अलग करता है जो मुख्य रूप से पद्य में हैं।
- गलत विकल्प: ऋग्वेद मुख्य रूप से पद्य में है, सामवेद संगीत पर आधारित है, और अथर्ववेद जादू-टोना व वशीकरण से संबंधित है, ये भी मुख्य रूप से पद्य में हैं।
प्रश्न 17: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किस मराठा शासक ने किया था?
- शिवाजी
- संभाजी
- बाजीराव प्रथम
- मल्हार राव होलकर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था, जिसे ‘अष्टप्रधान’ कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), सुरनवीस (पत्राचार मंत्री), पंडितराव (धर्माध्यक्ष) और सेनापति (सेना प्रमुख) जैसे पद शामिल थे। इसने शिवाजी को कुशल शासन स्थापित करने में मदद की।
- गलत विकल्प: संभाजी, बाजीराव प्रथम और मल्हार राव होलकर ने भी मराठा साम्राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन अष्टप्रधान की व्यवस्था शिवाजी द्वारा शुरू की गई थी।
प्रश्न 18: किस वायसराय के काल में ‘बंगाल का विभाजन’ (1905) हुआ था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लॉर्ड कर्जन, जो 1899 से 1905 तक भारत के वायसराय थे, के कार्यकाल में 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: ब्रिटिश सरकार ने प्रशासनिक सुविधा का हवाला देते हुए बंगाल का विभाजन किया, लेकिन भारतीय जनता ने इसे ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत राष्ट्रवाद को तोड़ने का प्रयास माना। इस विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन और बहिष्कार आंदोलन जोर पकड़े।
- गलत विकल्प: अन्य वायसराय विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़े हैं, जैसे डलहौजी (व्यपगत का सिद्धांत), लिटन (वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट), और चेम्सफोर्ड (जलियांवाला बाग हत्याकांड)।
प्रश्न 19: ‘वेदांत’ की शिक्षा का मूल सिद्धांत क्या है?
- कर्मकांडों का पालन
- ईश्वर की भक्ति
- ब्रह्म की एकरूपता और आत्मा की ब्रह्म में विलीनता
- बहुदेववाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वेदांत, भारतीय दर्शन की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जिसका मूल सिद्धांत ‘ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः’ है, जिसका अर्थ है कि केवल ब्रह्म ही सत्य है, यह संसार मिथ्या है, और आत्मा ब्रह्म से भिन्न नहीं है, बल्कि ब्रह्म ही है।
- संदर्भ और विस्तार: वेदांत के विभिन्न स्कूल (जैसे अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, द्वैत) हैं, लेकिन सभी आत्मा और ब्रह्म के संबंध पर विचार करते हैं। इसका अंतिम लक्ष्य मोक्ष या कैवल्य की प्राप्ति है, जो आत्म-ज्ञान के माध्यम से संभव है।
- गलत विकल्प: वेदांत कर्मकांडों (a) या केवल भक्ति (b) पर उतना जोर नहीं देता जितना आत्म-ज्ञान पर। यह बहुदेववाद (d) के बजाय ब्रह्म की एकरूपता पर बल देता है।
प्रश्न 20: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान ‘ट्रिपल एन्ते’ (Triple Entente) में कौन से देश शामिल थे?
- जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, इटली
- फ्रांस, ब्रिटेन, रूस
- अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन
- रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ‘ट्रिपल एन्ते’ (Triple Entente) में मुख्य रूप से फ्रांस, ब्रिटेन और रूस शामिल थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सैन्य गठबंधन था जो जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली (केंद्रीय शक्तियों) के खिलाफ युद्ध में लड़ा। बाद में, इटली ने अपना पक्ष बदला और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका भी मित्र राष्ट्रों (मित्र राष्ट्रों) में शामिल हो गया, जिससे एन्ते एक व्यापक गठबंधन में विकसित हुआ।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) केंद्रीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। विकल्प (c) में अमेरिका युद्ध के अंतिम चरण में शामिल हुआ। विकल्प (d) में देश विभिन्न गुटों में विभाजित थे।
प्रश्न 21: ‘कुतुब मीनार’ का निर्माण किसने शुरू करवाया था?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोजशाह तुगलक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में शुरू करवाया था।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में इसका निर्माण शुरू किया था। हालांकि, वह केवल पहली मंजिल का निर्माण ही पूरा करवा पाए। इसका निर्माण कार्य इल्तुतमिश ने पूरा करवाया और बाद में फिरोजशाह तुगलक ने क्षतिग्रस्त मंजिलों की मरम्मत करवाई।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने निर्माण पूरा करवाया, जबकि अलाउद्दीन खिलजी और फिरोजशाह तुगलक ने बाद में इसमें सुधार या विस्तार किया।
प्रश्न 22: ‘गुप्त काल’ में प्रचलित सिक्कों में सबसे अधिक किस धातु के सिक्के मिलते हैं?
- तांबा
- सीसा
- सोना
- रजत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहने में सोने के सिक्कों (दिनार) की प्रचुरता का एक बड़ा योगदान था।
- संदर्भ और विस्तार: गुप्त शासकों ने बड़ी संख्या में सोने के सिक्के जारी किए, जिन पर शासकों के चित्र, देवी-देवताओं की आकृतियाँ और विभिन्न उपाधियाँ अंकित होती थीं। ये सिक्के तत्कालीन आर्थिक समृद्धि और व्यापार के विकास का प्रमाण हैं। चांदी और तांबे के सिक्के भी जारी किए गए थे, लेकिन सोने के सिक्के सबसे प्रमुख थे।
- गलत विकल्प: यद्यपि अन्य धातुओं के सिक्के भी प्रचलित थे, लेकिन स्वर्ण सिक्के गुप्त काल की पहचान बन गए थे।
प्रश्न 23: ‘बाबरनामा’ (तुज़ुक-ए-बाबरी) की रचना किस भाषा में की गई थी?
- फारसी
- तुर्की
- अरबी
- उर्दू
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘बाबरनामा’ (जिसे ‘तुज़ुक-ए-बाबरी’ भी कहा जाता है) की रचना मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने अपनी आत्मकथा के रूप में तुर्की भाषा में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह बाबर के जीवन, उसके विजय अभियानों, भारत की तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक स्थिति और प्राकृतिक सौंदर्य का सजीव चित्रण करती है। यह उस काल की एक अनमोल ऐतिहासिक कृति है। बाद में इसका अनुवाद फारसी सहित कई अन्य भाषाओं में किया गया।
- गलत विकल्प: फारसी मुगलों की राजभाषा थी, लेकिन बाबरनामा मूल रूप से तुर्की में लिखी गई थी। अरबी और उर्दू उस समय इस रचना के लिए प्रमुख भाषाएँ नहीं थीं।
प्रश्न 24: ‘ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी’ के शासनकाल में, ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ की शुरुआत किस क्षेत्र में हुई थी?
- बंगाल
- पंजाब
- दक्षिण भारत
- उत्तर प्रदेश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लागू की गई ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ की शुरुआत मुख्य रूप से दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों, जैसे मद्रास प्रेसीडेंसी, और बाद में बंबई प्रेसीडेंसी के कुछ क्षेत्रों में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था में, किसानों (रैयत) को सीधे जमीन का मालिक माना जाता था और उनसे सीधे भू-राजस्व वसूला जाता था। इस व्यवस्था को थॉमस मुनरो और कैप्टन रीड जैसे अधिकारियों द्वारा लागू किया गया था। इसका उद्देश्य बिचौलियों को हटाकर राजस्व संग्रह को अधिक कुशल बनाना था।
- गलत विकल्प: बंगाल में स्थायी बंदोबस्त, और पंजाब में महालवाड़ी व्यवस्था जैसी अन्य भू-राजस्व प्रणालियाँ लागू की गई थीं।
प्रश्न 25: ‘प्रथम गोलमेज सम्मेलन’ (1930-31) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- भारत का विभाजन
- साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर चर्चा
- भारत में पूर्ण स्वराज्य की मांग
- भारतीय स्वतंत्रता की तत्काल घोषणा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930-31) का मुख्य उद्देश्य भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा करना था, विशेष रूप से साइमन कमीशन की रिपोर्ट के संदर्भ में, और भारत के लिए एक संघीय ढांचा तैयार करना।
- संदर्भ और विस्तार: इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ ब्रिटिश सरकार के सदस्य भी शामिल थे। हालांकि, कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण इसमें भाग नहीं लिया, जिससे यह शुरू में अप्रभावी रहा। दूसरे गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग लिया।
- गलत विकल्प: भारत का विभाजन (a) बाद की घटना थी। पूर्ण स्वराज्य की मांग (c) कांग्रेस का प्रमुख लक्ष्य था, लेकिन सम्मेलन का तात्कालिक उद्देश्य संवैधानिक सुधारों पर चर्चा करना था। तत्काल स्वतंत्रता की घोषणा (d) सम्मेलन का एजेंडा नहीं था।