इतिहास के महासागर में गोता लगाएँ: 25 प्रश्न, 25 ज्ञानवर्धक खुलासे!
नमस्कार, भविष्य के दिग्गजों! क्या आप इतिहास के गलियारों में खो जाने और अपनी ज्ञान की मशाल को प्रज्वलित करने के लिए तैयार हैं? आज का यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपको प्राचीन सभ्यताओं से लेकर स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला तक, एक रोमांचक ऐतिहासिक यात्रा पर ले जाएगा। अपनी तैयारी को परखें और इन 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से अपनी समझ को और गहरा करें!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से “पुरोहित राजा” की मूर्ति प्राप्त हुई थी?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो से मिली “पृष्ठभूमि वाली दाढ़ी वाले व्यक्ति” की प्रसिद्ध मूर्ति को अक्सर “पुजारी राजा” के रूप में पहचाना जाता है। यह मूर्ति मोहनजोदड़ो की सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में से एक है।
- संदर्भ और विस्तार: यह टेराकोटा (पक्की मिट्टी) से बनी एक छोटी मूर्ति है, जो सिंधु घाटी सभ्यता के शहरी नियोजन और कलात्मक कौशल का प्रमाण देती है। मूर्ति की दाढ़ी, सिर पर पहनी जाने वाली टोपी और की गई अलंकृत शॉल इसके तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक जीवन की झलक देती है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा से “नृत्य मुद्रा में स्त्री” की कांस्य प्रतिमा मिली थी, जबकि लोथल एक बंदरगाह शहर था और कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले थे।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समुद्रगुप्त (लगभग 335-375 ईस्वी) को उनके सैन्य अभियानों और विशाल साम्राज्य विस्तार के कारण भारतीय इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने ‘भारत का नेपोलियन’ कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने अपनी दिग्विजय यात्राओं के माध्यम से उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों को विजित किया और दक्षिण भारत के कई राज्यों पर भी अपनी प्रभुता स्थापित की। प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख) में उनके विजय अभियानों का विस्तृत विवरण मिलता है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश के संस्थापक थे, चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने शकों का उन्मूलन किया और साहित्य को संरक्षण दिया, जबकि कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘आजीवक संप्रदाय’ के संबंध में सत्य है?
- यह बौद्ध धर्म की एक शाखा थी।
- इसके संस्थापक मखलीपुत्र गोशाल थे।
- यह कर्मफल के सिद्धांत को अस्वीकार करता था।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आजीवक संप्रदाय, जो प्राचीन भारत के छः प्रमुख दार्शनिक संप्रदायों में से एक था, वास्तव में बौद्ध और जैन धर्मों के साथ-साथ विकसित हुआ। इसके संस्थापक मखलीपुत्र गोशाल थे, जो महावीर के पूर्व शिष्य थे। यह संप्रदाय नियतिवाद (fatalism) में विश्वास करता था, जिसका अर्थ था कि सब कुछ पूर्वनिर्धारित है और कर्मफल का सिद्धांत लागू नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: नियतिवाद का सिद्धांत बताता है कि मनुष्य की नियति पूर्वनिर्धारित है और व्यक्ति का अपने भाग्य पर कोई नियंत्रण नहीं है। यह संप्रदाय प्रारंभिक काल में काफी लोकप्रिय था, लेकिन बाद में इसका प्रभाव कम हो गया।
- गलत विकल्प: यह बौद्ध धर्म से संबंधित नहीं था, बल्कि एक स्वतंत्र दर्शन था। कर्मफल के सिद्धांत को अस्वीकार करना इसकी एक प्रमुख विशेषता थी, इसलिए विकल्प (a), (b) और (c) सभी सत्य हैं।
प्रश्न 4: ‘अष्टप्रधान’ नामक मंत्रिपरिषद का गठन किस मराठा शासक ने किया था?
- शिवाजी
- संभाजी
- बाजीराव प्रथम
- बाजीराव द्वितीय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में ‘पेशवा’ (प्रधानमंत्री), ‘अमात्य’ (वित्त मंत्री), ‘सचिव’ (गृह सचिव), ‘सुमंत’ (विदेश मंत्री), ‘सेनापति’ (सेनाध्यक्ष), ‘पंडितराव’ (धार्मिक मामलों के मंत्री), ‘न्यायाधीश’ (न्याय मंत्री) और ‘सुमंत’ (गृह मंत्री) जैसे पद शामिल थे। यह शिवाजी की कुशल शासन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग था।
- गलत विकल्प: संभाजी शिवाजी के पुत्र थे और उन्होंने अपने पिता की प्रशासनिक व्यवस्था को जारी रखा, लेकिन ‘अष्टप्रधान’ का मूल गठन शिवाजी द्वारा ही किया गया था। बाजीराव प्रथम और द्वितीय पेशवा थे और उनके शासनकाल में पेशवा का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो गया था।
प्रश्न 5: 1857 के विद्रोह के दौरान निम्नलिखित में से किस स्थान से रानी लक्ष्मीबाई ने नेतृत्व किया था?
- लखनऊ
- कानपुर
- झांसी
- जगदीशपुर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ वीरतापूर्वक संघर्ष किया और झांसी का नेतृत्व किया।
- संदर्भ और विस्तार: रानी लक्ष्मीबाई ने लॉर्ड डलहौजी की ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के तहत अपने दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी स्वीकार न किए जाने पर अंग्रेजों का विरोध किया। ग्वालियर के पास वीरगति प्राप्त करने से पहले उन्होंने कानपुर में तात्या टोपे के साथ मिलकर भी अंग्रेजों का सामना किया।
- गलत विकल्प: लखनऊ से बेगम हजरत महल, कानपुर से नाना साहब और तात्या टोपे, और जगदीशपुर (बिहार) से कुंवर सिंह ने विद्रोह का नेतृत्व किया था।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘इल्तुतमिश’ के बारे में सत्य नहीं है?
- वह दिल्ली सल्तनत का तीसरा शासक था।
- उसने ‘तुर्क-ए-चहलगानी’ (चालीसा) का गठन किया।
- उसने अपनी राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित की।
- उसने ‘इक्ता’ प्रणाली की शुरुआत की।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है और वह कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद व उत्तराधिकारी था, जिसने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। हालांकि, वह ऐबक के बाद गद्दी पर बैठने वाला दूसरा शासक था, न कि तीसरा।
- संदर्भ और विस्तार: इल्तुतमिश (शासनकाल 1211-1236 ई.) ने “तुर्क-ए-चहलगानी” नामक 40 तुर्क सरदारों का एक समूह बनाया, जिसने सल्तनत की शक्ति को सुदृढ़ करने में मदद की। उसने लाहौर से दिल्ली राजधानी स्थानांतरित करके दिल्ली सल्तनत को केंद्रीय शक्ति का केंद्र बनाया। उसने ‘इक्ता’ प्रणाली की भी शुरुआत की, जिसमें प्रांतों को इक्ताओं में विभाजित कर अधिकारियों को वेतन के बदले भू-राजस्व का अधिकार दिया जाता था।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश पहला शासक नहीं, बल्कि दूसरा शासक (ऐबक के बाद) था। अन्य सभी कथन सत्य हैं।
प्रश्न 7: ‘अकबरनामा’ का लेखक कौन था?
- अबुल फजल
- फैजी
- बदायूनी
- अबदुर रहीम खान-ए-खाना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अकबरनामा’ मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल का आधिकारिक इतिहास है, जिसके लेखक सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक, अबुल फजल थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ फारसी भाषा में लिखा गया है और इसे तीन खंडों में विभाजित किया गया है। पहले खंड में तैमूर से लेकर अकबर तक के पूर्वजों का इतिहास है, दूसरे खंड में अकबर के शासनकाल का विवरण है, और तीसरा खंड ‘आईन-ए-अकबरी’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें अकबर की प्रशासनिक, राजस्व, सैन्य और सांस्कृतिक व्यवस्था का विस्तृत वर्णन है।
- गलत विकल्प: फैजी अबुल फजल का भाई था और वह भी अकबर का दरबारी कवि था। बदायूनी ने ‘मुंतखब-उत-तवारीख’ लिखी, जिसमें उसने अकबर की नीतियों की आलोचना भी की। अब्दुर रहीम खान-ए-खाना एक महान विद्वान और कवि थे।
प्रश्न 8: ब्रिटिश भारत में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का प्रयोग किस वायसराय ने प्रमुखता से किया?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड मिंटो
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हालांकि ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति ब्रिटिश शासन की एक सतत रणनीति रही, लेकिन 1909 के ‘मार्ले-मिंटो सुधार’ के दौरान, जिसमें सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत हुई, वायसराय लॉर्ड मिंटो (1905-1910) ने इस नीति का प्रभावी रूप से प्रयोग किया।
- संदर्भ और विस्तार: मार्ले-मिंटो सुधारों ने मुसलमानों के लिए अलग चुनावी मंडल की व्यवस्था की, जिसने भारतीय समाज में सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करने में योगदान दिया। लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया, जो भी इसी नीति का एक उदाहरण माना जाता है। लॉर्ड डलहौजी व्यपगत के सिद्धांत और सहायक संधि के लिए जाने जाते थे।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन (बंगाल विभाजन), लॉर्ड डलहौजी (व्यपगत का सिद्धांत) और लॉर्ड लिटन (वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट) की नीतियां महत्वपूर्ण थीं, लेकिन सांप्रदायिक विभाजन की नीति का प्रमुखता से उपयोग लॉर्ड मिंटो के कार्यकाल में हुआ।
प्रश्न 9: ‘कॉमरेड’ (Comrade) नामक समाचार पत्र किसने शुरू किया था?
- महात्मा गांधी
- मौलाना मोहम्मद अली
- लाला लाजपत राय
- बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मौलाना मोहम्मद अली, जो खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे, ने 1912 में कलकत्ता से अंग्रेजी साप्ताहिक ‘कॉमरेड’ और उर्दू दैनिक ‘हमदर्द’ का प्रकाशन शुरू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: ‘कॉमरेड’ ने अपनी तीक्ष्ण संपादकीय शैली और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचारों के लिए ख्याति प्राप्त की। यह भारतीय मुसलमानों के बीच तुर्की के खलीफा के प्रति समर्थन व्यक्त करने वाले प्रमुख मंचों में से एक था।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने ‘यंग इंडिया’ और ‘हरिजन’ का संपादन किया, लाला लाजपत राय ने ‘द पंजाबी’ और ‘द वंदे मातरम्’ का संपादन किया, और बाल गंगाधर तिलक ने ‘केसरी’ (मराठी) और ‘मराठा’ (अंग्रेजी) का संपादन किया।
प्रश्न 10: भारत में ‘पंचवर्षीय योजनाओं’ की अवधारणा किस देश से प्रेरित थी?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- सोवियत संघ
- जर्मनी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत ने अपनी पहली पंचवर्षीय योजना (1951-1956) की शुरुआत सोवियत संघ (USSR) की पंचवर्षीय योजना मॉडल से प्रेरित होकर की थी।
- संदर्भ और विस्तार: सोवियत संघ के जोसेफ स्टालिन ने 1928 में पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य देश के औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास को तीव्र गति से बढ़ाना था। इस मॉडल ने भारत के प्रारंभिक योजनाकारों को केंद्रीयकृत नियोजन की अवधारणा को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में मिश्रित अर्थव्यवस्था है, यूनाइटेड किंगडम एक संसदीय लोकतंत्र है, और जर्मनी भी एक विकसित औद्योगिक अर्थव्यवस्था है, लेकिन भारत की प्रारंभिक योजनाबद्ध विकास की अवधारणा सीधे तौर पर सोवियत मॉडल से प्रभावित थी।
प्रश्न 11: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ (Garden of Sind) या ‘मृतकों का टीला’ (Mound of the Dead) कहलाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- रोपड़
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका सिंधी भाषा में अर्थ “मृतकों का टीला” होता है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख और विशालतम स्थल था। इसे प्राचीन काल में “सिंधु का बाग” भी कहा जाता था, जो इसके समृद्ध जीवन और जल प्रबंधन का संकेत देता है।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो अपने विशाल स्नानागार (Great Bath), अन्नागार (Granary) और सुनियोजित सड़कों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी नगरीय व्यवस्था और सार्वजनिक निर्माण कार्य उस समय की उन्नत सभ्यता को दर्शाते हैं।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला खोजा गया स्थल था, लोथल एक बंदरगाह शहर था, और रोपड़ (पंजाब) में मानव के साथ कुत्ते को दफनाने के प्रमाण मिले थे।
प्रश्न 12: किस मुगल बादशाह ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नए धर्म की शुरुआत की थी?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) नामक एक संश्लेषित धर्म या जीवन पद्धति की शुरुआत की थी।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही कोई नया धर्म नहीं था, बल्कि यह विभिन्न धर्मों (जैसे इस्लाम, हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, पारसी धर्म, जैन धर्म) के मुख्य सिद्धांतों का एक मिश्रण था, जिसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव को बढ़ावा देना था। अकबर ने इसे सभी के लिए अनिवार्य नहीं किया था, और इसे अपनाने वाले लोगों की संख्या बहुत कम थी। अबुल फजल इसके मुख्य समर्थक थे।
- गलत विकल्प: हुमायूँ, जहांगीर और शाहजहाँ ने अपने-अपने शासनकाल में विभिन्न सांस्कृतिक और प्रशासनिक नीतियों को लागू किया, लेकिन दीन-ए-इलाही की अवधारणा केवल अकबर से संबंधित है।
प्रश्न 13: ‘अकाल तख्त’ (सत्य का सिंहासन) की स्थापना किसने की थी?
- गुरु नानक देव
- गुरु हरगोबिंद
- गुरु तेग बहादुर
- गुरु गोबिंद सिंह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद ने 1606 ईस्वी में अमृतसर में ‘अकाल तख्त’ का निर्माण करवाया था।
- संदर्भ और विस्तार: अकाल तख्त, जो हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के सामने स्थित है, सिखों का सर्वोच्च आध्यात्मिक और अस्थायी अधिकार का केंद्र है। गुरु हरगोबिंद ने सिख धर्म को एक सैन्य शक्ति के रूप में संगठित करना शुरू किया था, और अकाल तख्त इसी का प्रतीक था, जो धर्म के साथ-साथ राजनीतिक और न्यायिक मामलों का भी केंद्र था।
- गलत विकल्प: गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे। गुरु तेग बहादुर ने शहादत दी, और गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की और दशम ग्रंथ की रचना की।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से किस अधिनियम ने भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की?
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909, जिसे ‘मार्ले-मिंटो सुधार’ के नाम से भी जाना जाता है, ने पहली बार भारत में मुस्लिमों के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीयों को शासन में अधिक प्रतिनिधित्व देना था, लेकिन इसके तहत मुस्लिमों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाकर ब्रिटिश सरकार ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को आगे बढ़ाया, जिससे सांप्रदायिक भावनाएं भड़कीं।
- गलत विकल्प: 1861 का अधिनियम भारतीयों को विधायी परिषदों में शामिल करने का पहला कदम था। 1892 का अधिनियम अप्रत्यक्ष निर्वाचन की शुरुआत करता है, लेकिन सांप्रदायिक आधार पर नहीं। 1919 का अधिनियम द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत करता है और सांप्रदायिक निर्वाचन को अन्य समुदायों तक विस्तारित करता है।
प्रश्न 15: ‘खुदाई खिदमतगार’ नामक एक अहिंसक राष्ट्रवादी आंदोलन किसने चलाया था?
- खान अब्दुल गफ्फार खान
- मौलाना अबुल कलाम आजाद
- सर सैयद अहमद खान
- अल्लामा इक़बाल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सीमांत गांधी के नाम से प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खान ने 1929 में पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (वर्तमान पाकिस्तान का हिस्सा) में ‘खुदाई खिदमतगार’ (ईश्वर के सेवक) नामक एक अहिंसक राष्ट्रवादी आंदोलन की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन के सदस्य लाल रंग के कपड़े पहनते थे, इसलिए उन्हें ‘लाल कुर्ती’ के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा का मार्ग अपनाया। खान अब्दुल गफ्फार खान महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित थे।
- गलत विकल्प: मौलाना अबुल कलाम आजाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। सर सैयद अहमद खान अलीगढ़ आंदोलन के प्रवर्तक थे, और अल्लामा इक़बाल पाकिस्तान के निर्माता माने जाते हैं।
प्रश्न 16: ईसा पूर्व छठी शताब्दी में भारत में कितने महाजनपदों का उल्लेख मिलता है?
- 10
- 12
- 16
- 20
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ईसा पूर्व छठी शताब्दी (लगभग 600-300 ईसा पूर्व) प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल था, जब उत्तरी भारत में 16 बड़े राज्यों या महाजनपदों का उदय हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इन महाजनपदों का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ ‘अंगुत्तर निकाय’ और जैन ग्रंथ ‘भगवती सूत्र’ में मिलता है। ये राज्य अपनी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए जाने जाते थे। इनमें मगध, कोशल, वत्स, अवंती, गांधार आदि प्रमुख थे। इनमें से मगध सबसे शक्तिशाली बनकर उभरा और उसने नंद और मौर्य जैसे साम्राज्यों की नींव रखी।
- गलत विकल्प: 16 महाजनपदों का उल्लेख सबसे प्रामाणिक माना जाता है। अन्य संख्याएँ इस कालखंड के राजनीतिक परिदृश्य का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।
प्रश्न 17: ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा किसने दिया था?
- स्वामी विवेकानंद
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- राजा राम मोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘वेदों की ओर लौटो’ का प्रसिद्ध नारा 19वीं सदी के एक प्रमुख समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक, स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों को ज्ञान का सर्वोपरि स्रोत माना और उनका मानना था कि तत्कालीन भारतीय समाज में जो कुरीतियाँ (जैसे जातिवाद, बाल विवाह, छुआछूत) व्याप्त थीं, वे वेदों के सच्चे सिद्धांतों से भटकी हुई थीं। उन्होंने वेदों के पुनरुद्धार और उनके संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया। उनकी पुस्तक ‘सत्यार्थ प्रकाश’ इसी विचार का प्रतिनिधित्व करती है।
- गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन के संस्थापक थे और उन्होंने भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता का पाश्चात्य जगत में प्रसार किया। राजा राम मोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे और उन्हें ‘भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत’ कहा जाता है। ईश्वर चंद्र विद्यासागर विधवा पुनर्विवाह और शिक्षा सुधार के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से किस युद्ध के बाद भारत में ब्रिटिश सत्ता की नींव दृढ़ हो गई?
- प्लासी का युद्ध (1757)
- बक्सर का युद्ध (1764)
- वांडीवाश का युद्ध (1760)
- पानीपत का तृतीय युद्ध (1761)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1764 का बक्सर का युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए निर्णायक साबित हुआ, जिसने भारत में ब्रिटिश सत्ता की वास्तविक नींव को दृढ़ कर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: बक्सर के युद्ध में, कंपनी की सेना ने मीर कासिम (बंगाल का पूर्व नवाब), अवध के नवाब शुजा-उद-दौला और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना को पराजित किया। इस विजय के परिणामस्वरूप, कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के दीवानी (भू-राजस्व वसूली) अधिकार प्राप्त हुए, जिसने उसे एक वास्तविक राजनीतिक शक्ति बना दिया। प्लासी के युद्ध ने ब्रिटिश प्रभाव की शुरुआत की थी, लेकिन बक्सर ने उसे एक मजबूत आधार प्रदान किया।
- गलत विकल्प: प्लासी के युद्ध ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल का प्रभावी शासक बना दिया था, लेकिन बक्सर की जीत ने इसे भारत के बड़े हिस्से पर राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने का अधिकार दिया। वांडीवाश का युद्ध फ्रांसीसियों को भारत से बाहर खदेड़ने में निर्णायक था, और पानीपत का तृतीय युद्ध मराठों की हार का कारण बना।
प्रश्न 19: ‘दास प्रथा’ को ब्रिटिश भारत में कब समाप्त किया गया?
- 1833
- 1843
- 1853
- 1858
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में दास प्रथा को आधिकारिक तौर पर 1843 में ‘भारतीय दासता उन्मूलन अधिनियम’ (Indian Slavery Abolition Act, 1843) द्वारा समाप्त कर दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम के तहत, भारत में दासता को अवैध घोषित कर दिया गया था, और किसी भी व्यक्ति को दास के रूप में खरीदा या बेचा नहीं जा सकता था। हालांकि, यह अधिनियम 1833 के चार्टर अधिनियम के प्रावधानों को लागू करता था, जिसने भारत में दास प्रथा को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए थे।
- गलत विकल्प: 1833 का चार्टर अधिनियम ने भारत में दास व्यापार को गैर-कानूनी घोषित किया था, न कि दासता को पूरी तरह से समाप्त किया था। 1853 का अधिनियम रेलवे के विस्तार और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने की ओर एक कदम था। 1858 का अधिनियम ब्रिटिश ताज के शासन की शुरुआत करता है।
प्रश्न 20: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान भारत का वायसराय कौन था?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
- लॉर्ड चेम्सफोर्ड
- लॉर्ड रीडिंग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (1910-1916) भारत के वायसराय थे जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा था।
- संदर्भ और विस्तार: उनके कार्यकाल के दौरान, 1911 में कलकत्ता से दिल्ली राजधानी स्थानांतरित की गई थी। प्रथम विश्व युद्ध के प्रकोप पर, उन्होंने ब्रिटिश युद्ध प्रयासों का समर्थन करने के लिए भारत के संसाधनों और सैनिकों को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गदर आंदोलन जैसे राष्ट्रवादी आंदोलनों का भी उनके कार्यकाल में सामना करना पड़ा।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन (1905-1910) प्रथम विश्व युद्ध से पहले वायसराय थे। लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921) युद्ध के उत्तरार्ध और उसके तुरंत बाद के वर्षों में वायसराय थे, जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ। लॉर्ड रीडिंग (1921-1926) चंपारण सत्याग्रह के बाद भारत आए थे।
प्रश्न 21: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना किसने की थी?
- गोपाल कृष्ण गोखले
- बाल गंगाधर तिलक
- एम. जी. रानाडे
- एस. एन. बनर्जी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गोपाल कृष्ण गोखले, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमपंथी नेता और महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे, ने 1905 में ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संस्था का मुख्य उद्देश्य भारत में राष्ट्रीय शिक्षा का प्रसार करना, नागरिकता की भावना विकसित करना और स्वदेशी को बढ़ावा देना था। गोखले का मानना था कि राष्ट्र निर्माण के लिए भारतीयों को समाज सेवा के प्रति समर्पित होना चाहिए।
- गलत विकल्प: बाल गंगाधर तिलक ‘गरम दल’ के नेता थे और उन्होंने ‘होम रूल लीग’ की स्थापना की। एम. जी. रानाडे गोखले के गुरु थे और उन्होंने ‘पुणे सार्वजनिक सभा’ की स्थापना की। एस. एन. बनर्जी ‘इंडियन एसोसिएशन’ के संस्थापक थे।
प्रश्न 22: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) प्रणाली किसने लागू की थी?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड कॉर्नवॉलिस
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड कॉर्नवॉलिस, जो 1786 से 1793 तक बंगाल के गवर्नर-जनरल थे, ने 1793 में स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) प्रणाली लागू की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, जमींदारों को भूमि का मालिक बना दिया गया और उनसे यह अपेक्षा की गई कि वे सरकार को निश्चित भू-राजस्व का भुगतान करें, चाहे फसल कैसी भी हो। यह बंदोबस्त बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस और मद्रास के कुछ हिस्सों में लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य राजस्व संग्रह को स्थिर करना और जमींदारों को ब्रिटिश शासन का समर्थक बनाना था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी (व्यपगत का सिद्धांत), लॉर्ड कर्जन (बंगाल विभाजन), और लॉर्ड विलियम बेंटिंक (सती प्रथा का अंत) अन्य महत्वपूर्ण सुधारों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन स्थायी बंदोबस्त का संबंध लॉर्ड कॉर्नवॉलिस से है।
प्रश्न 23: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?
- 1929
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस समझौते पर महात्मा गांधी और भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) को समाप्त करने के संदर्भ में हुआ था। समझौते के तहत, गांधीजी ने आंदोलन स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की, और सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और नमक कर में ढील देने जैसे कुछ रियायतें देने का वादा किया। इसने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया।
- गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ जिसमें पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। 1932 में पूना पैक्ट हुआ।
प्रश्न 24:FATF का पूरा नाम क्या है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है?
- Finance Action Task Force
- Financial Aid Task Force
- Financial Action Task Force
- Federal Action Task Force
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: FATF का पूरा नाम Financial Action Task Force है।
- संदर्भ और विस्तार: FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसकी स्थापना 1989 में पेरिस में G7 देशों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और अन्य संबंधित वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए की गई थी। यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिए मानक निर्धारित करता है और सदस्य देशों को इन मानकों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प FATF के सही पूर्ण रूप का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ‘Financial Aid Task Force’ या ‘Federal Action Task Force’ जैसे नाम गलत हैं।
प्रश्न 25: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) के दौरान महात्मा गांधी ने क्या प्रसिद्ध नारा दिया था?
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
- इंकलाब जिंदाबाद
- करो या मरो
- तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1942 में शुरू हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान महात्मा गांधी ने भारतीय लोगों को अंतिम संघर्ष के लिए प्रेरित करते हुए ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस नारे का अर्थ था कि या तो स्वतंत्रता प्राप्त करें या इस प्रयास में अपने प्राण न्योछावर कर दें। यह नारा स्वतंत्रता संग्राम के निर्णायक चरण का प्रतीक बन गया और इसने आंदोलन को एक नई तीव्रता प्रदान की।
- गलत विकल्प: ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ बाल गंगाधर तिलक का प्रसिद्ध नारा था। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ भगत सिंह से जुड़ा एक लोकप्रिय क्रांतिकारी नारा था, और ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा था।