इतिहास के दिग्गजों से टक्कर: आज की 25 प्रश्नोत्तरी
आइए, समय की गलियों में एक रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ें! आपकी तैयारी को परखने और ज्ञान के क्षितिज को विस्तृत करने के लिए, हम लाए हैं इतिहास के हर पहलू को छूने वाली 25 चुनिंदा प्रश्नोत्तरी। क्या आप तैयार हैं इतिहास के सबसे बड़े मंच पर अपनी समझ साबित करने के लिए?
History Practice Questions
Instructions: Attempt the following 25 questions and analyze your understanding with the detailed explanations provided.
Question 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से ‘नृत्यरत बालिका’ की प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था। यहीं से ‘नृत्यरत बालिका’ की 10.5 सेंटीमीटर लंबी कांस्य प्रतिमा मिली है, जो तत्कालीन शिल्प कौशल का अद्भुत नमूना है।
- Context & Elaboration: यह प्रतिमा द्रुत गतिमान अवस्था में एक युवती को दर्शाती है, जिसके हाथों में चूड़ियाँ और गले में हार है। इसका निर्माण ‘लॉस्ट-वैक्स’ (lost-wax) तकनीक से किया गया था। यह खोज मोहनजोदड़ो के उन्नत कलात्मक और तकनीकी ज्ञान का प्रमाण है।
- Incorrect Options: हड़प्पा से श्रमिकों के आवास, तांबे का दर्पण और हाथी दांत की कंघी मिले। लोथल से बंदरगाह और फारस की खाड़ी की मुहरें मिलीं, जबकि कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्रमाण और लकड़ी के हल मिले।
Question 2: ऋग्वैदिक काल में ‘अघन्य’ शब्द किस पशु के लिए प्रयुक्त होता था?
- घोड़ा
- गाय
- बैल
- हाथी
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: ऋग्वैदिक काल में गाय को ‘अघन्य’ कहा जाता था, जिसका अर्थ है ‘न मारे जाने योग्य’। यह उस समय गाय के अत्यधिक महत्व को दर्शाता है, जो संपत्ति का मुख्य आधार थी और जिसका वध वर्जित था।
- Context & Elaboration: ऋग्वेद में गायों को ‘गोधन’ कहा गया है और कई सूक्त गायों की प्रशंसा में रचे गए हैं। गायों के लिए युद्ध भी लड़े जाते थे, जिन्हें ‘गविष्टि’ कहा जाता था।
- Incorrect Options: घोड़े का ऋग्वैदिक काल में महत्वपूर्ण स्थान था, विशेषकर युद्धों और रथों के लिए, लेकिन उसे ‘अघन्य’ नहीं कहा जाता था। बैल कृषि कार्यों के लिए महत्वपूर्ण थे, और हाथी उस काल में तुलनात्मक रूप से कम प्रचलित था।
Question 3: निम्नलिखित में से कौन सा मौर्य सम्राट जैन धर्म का अनुयायी था?
- बिंदुसार
- अशोक
- चंद्रगुप्त मौर्य
- दशरथ
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: चंद्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य के संस्थापक, अपने जीवन के अंतिम वर्षों में जैन धर्म के अनुयायी बन गए थे। उन्होंने श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में जैन भिक्षु भद्रबाहु से दीक्षा ली और वहीं समाधि-मरण (उपवास द्वारा मृत्यु) के द्वारा अपने प्राण त्यागे।
- Context & Elaboration: चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 298 ईसा पूर्व में सिंहासन का त्याग किया और जैन मुनि बन गए। उनके इस निर्णय ने उस समय की धार्मिक सहिष्णुता को भी दर्शाया।
- Incorrect Options: बिंदुसार आजीवक संप्रदाय का अनुयायी था। अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बना और उसने बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दशरथ भी अशोक के उत्तराधिकारी थे और उन्होंने आजीवक संप्रदाय को संरक्षण दिया।
Question 4: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- कला, विज्ञान और साहित्य का अभूतपूर्व विकास
- साम्राज्य का विशाल विस्तार
- सफल विदेशी व्यापार
- सब मजबूत सेना
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: गुप्त काल (लगभग 320 ईस्वी से 550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, विज्ञान, साहित्य, गणित, खगोल विज्ञान और वास्तुकला के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
- Context & Elaboration: कालिदास जैसे महान कवियों ने इसी काल में रचनाएँ कीं। आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव प्रणाली का विकास किया, खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विष्णु शर्मा द्वारा लिखित ‘पंचतंत्र’ भी इसी काल की देन है। अजंता की गुफाओं की चित्रकला का स्वर्णिम काल भी यही था।
- Incorrect Options: हालांकि गुप्त साम्राज्य का विस्तार हुआ, लेकिन कला और विज्ञान का विकास इसके ‘स्वर्ण युग’ कहलाने का प्रमुख कारण था। विदेशी व्यापार भी हुआ, लेकिन कला, विज्ञान, साहित्य में हुई अद्वितीय प्रगति ने इसे स्वर्ण युग बनाया।
Question 5: दिल्ली सल्तनत की स्थापना किस युद्ध के बाद हुई?
- पानीपत का प्रथम युद्ध
- तराइन का द्वितीय युद्ध
- चंदावर का युद्ध
- खानवा का युद्ध
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: तराइन के द्वितीय युद्ध (1192 ईस्वी) में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया। इस विजय ने उत्तर भारत में तुर्क शासन की नींव रखी, जिसने आगे चलकर दिल्ली सल्तनत की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
- Context & Elaboration: तराइन के पहले युद्ध (1191 ईस्वी) में पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को हराया था। लेकिन दूसरे युद्ध में गोरी की निर्णायक जीत ने भारत में मुस्लिम शासन की शुरुआत की। कुतुबुद्दीन ऐबक, जो गोरी का एक दास सेनापति था, ने 1206 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।
- Incorrect Options: पानीपत का प्रथम युद्ध (1526) मुगल साम्राज्य की स्थापना से संबंधित है। चंदावर का युद्ध (1194) में मोहम्मद गोरी ने जयचंद को हराया था, जो दिल्ली सल्तनत की स्थापना की प्रक्रिया का एक हिस्सा था लेकिन अंतिम निर्णायक नहीं। खानवा का युद्ध (1527) बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था।
Question 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक को ‘आंध्र पितामह’ कहा जाता है?
- देवराय द्वितीय
- कृष्ण देवराय
- अच्युत देवराय
- राम राय
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: कृष्ण देवराय, विजयनगर साम्राज्य के महानतम शासकों में से एक थे, जिन्हें ‘आंध्र पितामह’ की उपाधि से विभूषित किया गया था। वे स्वयं एक विद्वान थे और तेलुगु साहित्य को उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- Context & Elaboration: कृष्ण देवराय के शासनकाल (1509-1530) को विजयनगर का स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने साहित्य, कला, वास्तुकला और साहित्य को भरपूर संरक्षण दिया। उनके दरबार में तेलुगु साहित्य के अष्टदिग्गज रहते थे।
- Incorrect Options: देवराय द्वितीय ने भी साम्राज्य का विस्तार किया और सिंचाई व्यवस्था सुधारी। अच्युत देवराय उनके उत्तराधिकारी थे। राम राय ने तालीकोटा के युद्ध (1565) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ विजयनगर की हार हुई।
Question 7: ‘इबादत खाना’ का निर्माण किसने करवाया था, जिसका उद्देश्य सभी धर्मों के विद्वानों के बीच चर्चा करना था?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: मुगल सम्राट अकबर ने 1575 ईस्वी में फतेहपुर सीकरी में ‘इबादत खाना’ (प्रार्थना गृह) का निर्माण करवाया था। इसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के विद्वानों, जैसे कि मुस्लिम, हिंदू, पारसी, जैन और ईसाई, को एक मंच पर लाकर धार्मिक संवाद को बढ़ावा देना था।
- Context & Elaboration: अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न विचारों को समझने की उत्सुकता का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण था। इन चर्चाओं ने अकबर की अपनी धार्मिक नीति ‘दीन-ए-इलाही’ के निर्माण में भी भूमिका निभाई।
- Incorrect Options: जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब ने इबादत खाने का निर्माण नहीं करवाया था, और उनके धार्मिक विचार अकबर से भिन्न थे।
Question 8: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की नीति किसने लागू की थी?
- लॉर्ड कार्नवालिस
- लॉर्ड वेलेस्ली
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: लॉर्ड वेलेस्ली, जो 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे, ने ‘सहायक संधि’ की नीति को व्यापक रूप से लागू किया। यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विस्तारवादी नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- Context & Elaboration: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेना समाप्त करनी होती थी और कंपनी की सेना को अपने राज्य में रखना होता था, जिसके लिए वे कंपनी को भुगतान करते थे। बदले में, कंपनी उनकी आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की गारंटी देती थी। हैदराबाद, मैसूर, अवध और तंजौर जैसी रियासतें इस संधि की शिकार हुईं।
- Incorrect Options: लॉर्ड कार्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं, और लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा का अंत किया।
Question 9: 1857 के विद्रोह के समय भारत का वायसराय कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड रिपन
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग थे। विद्रोह के बाद, 1858 में भारत का शासन कंपनी से ब्रिटिश ताज के अधीन चला गया, और उन्हें ही भारत का पहला वायसराय बनाया गया।
- Context & Elaboration: लॉर्ड कैनिंग का कार्यकाल 1856 से 1862 तक रहा। उन्होंने विद्रोह को दबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसके बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 पारित किया, जिसने शासन प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए।
- Incorrect Options: लॉर्ड डलहौजी 1857 के विद्रोह के तत्काल पहले भारत में थे और उनकी नीतियों को विद्रोह का एक कारण माना जाता है। लॉर्ड लिटन और लॉर्ड रिपन बाद के वायसराय थे।
Question 10: असहयोग आंदोलन (1920-22) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- पूर्ण स्वराज की मांग
- भारतीयों को सरकारी नौकरियों से हटाना
- जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध और ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोग
- साम्प्रदायिक सद्भाव स्थापित करना
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: असहयोग आंदोलन, जिसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने 1920 में की थी, का मुख्य उद्देश्य जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) और खिलाफत आंदोलन जैसे मुद्दों पर ब्रिटिश सरकार के प्रति अहिंसक असहयोग करना तथा स्वराज की स्थापना की दिशा में कदम बढ़ाना था।
- Context & Elaboration: इस आंदोलन में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, सरकारी उपाधियों का त्याग, अदालतों और शैक्षणिक संस्थानों का बहिष्कार जैसे कार्यक्रम शामिल थे। चौरी-चौरा की घटना के बाद गांधीजी ने यह आंदोलन वापस ले लिया था।
- Incorrect Options: पूर्ण स्वराज की मांग कांग्रेस द्वारा 1929 के लाहौर अधिवेशन में की गई थी। अन्य विकल्प आंदोलन के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार को असहयोग कर अपनी मांगे मनवाना था।
Question 11: निम्नलिखित में से किस उपनिषद् को ‘बृहदारण्यक उपनिषद्’ के नाम से भी जाना जाता है?
- छान्दोग्य उपनिषद्
- कठोपनिषद्
- बृहदारण्यक उपनिषद्
- मांडूक्य उपनिषद्
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: बृहदारण्यक उपनिषद्, जो चारों उपनिषदों में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, को ही ‘बृहदारण्यक उपनिषद्’ कहा जाता है। यह भारतीय दर्शन का एक आधारभूत ग्रंथ है।
- Context & Elaboration: यह उपनिषद् यजुर्वेद से संबंधित है और आत्मन (आत्मा) और ब्रह्म (परम सत्य) के संबंध पर गहन दार्शनिक विचारों को प्रस्तुत करता है। इसमें याज्ञवल्क्य और उनकी पत्नी मैत्रेयी के संवाद प्रसिद्ध हैं।
- Incorrect Options: छान्दोग्य उपनिषद् सामवेद से संबंधित है और ‘तत्त्वमसि’ जैसे महत्वपूर्ण महावाक्य इसमें हैं। कठोपनिषद् में नचिकेता और यम का संवाद है। मांडूक्य उपनिषद् ‘ओंकार’ पर केंद्रित है।
Question 12: कनिष्क किस राजवंश का शासक था?
- मौर्य
- गुप्त
- कुषाण
- शुंग
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: कनिष्क, कुषाण राजवंश का सबसे प्रतापी राजा था। उसने 78 ईस्वी में शक संवत् की शुरुआत की, जिसे भारत सरकार द्वारा आज भी राष्ट्रीय पंचांग के रूप में अपनाया जाता है।
- Context & Elaboration: कनिष्क का शासनकाल गांधार कला और महायान बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए जाना जाता है। उसने पेशावर (पुरुषपुर) को अपनी राजधानी बनाया और भारत के एक बड़े हिस्से पर शासन किया।
- Incorrect Options: मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य थे। गुप्त वंश के संस्थापक श्रीगुप्त थे। शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने की थी।
Question 13: ‘तैमूर लंग’ ने भारत पर कब आक्रमण किया?
- 1398 ईस्वी
- 1498 ईस्वी
- 1526 ईस्वी
- 1336 ईस्वी
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: मंगोल शासक तैमूर लंग (Timur the Lame) ने 1398 ईस्वी में भारत पर आक्रमण किया था। उसने दिल्ली को लूटा और भारी तबाही मचाई, जिससे दिल्ली सल्तनत कमजोर हो गई।
- Context & Elaboration: तैमूर का आक्रमण तुगलक वंश के शासनकाल के अंत के करीब हुआ था। उसने भारत में अपने सूबेदार के रूप में खिजर खां को नियुक्त किया, जिसने बाद में सैयद वंश की स्थापना की।
- Incorrect Options: 1498 ईस्वी में वास्को डी गामा भारत आया था। 1526 ईस्वी में बाबर ने पानीपत का प्रथम युद्ध जीता था। 1336 ईस्वी में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हुई थी।
Question 14: ‘अष्टप्रधान’ नामक मंत्रिपरिषद किस साम्राज्य में थी?
- गुप्त
- मौर्य
- मुगल
- मराठा
Answer: (d)
Detailed Explanation:
- Correctness: ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक मंत्रिपरिषद मराठा साम्राज्य में शिवाजी महाराज के शासनकाल में थी। यह राज्य के प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी।
- Context & Elaboration: अष्टप्रधान के सदस्यों में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडितराव (धर्माध्यक्ष), सेनापति (सेना प्रमुख), सुमंत (न्यायाधीश) और पंडितराव (मुख्य पुरोहित) शामिल थे।
- Incorrect Options: गुप्त, मौर्य और मुगल साम्राज्यों में भी मंत्रिपरिषदें थीं, लेकिन उनका संगठन और नाम ‘अष्टप्रधान’ से भिन्न था।
Question 15: ‘महात्मा’ की उपाधि रविंद्रनाथ टैगोर ने किसको दी थी?
- जवाहरलाल नेहरू
- सरदार पटेल
- महात्मा गांधी
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी। यह उपाधि गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह (1917) में उनकी भूमिका के बाद उन्हें दी गई थी, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके बढ़ते प्रभाव का प्रतीक थी।
- Context & Elaboration: गांधीजी ने स्वयं टैगोर के लिए ‘गुरुदेव’ शब्द का प्रयोग किया था। यह दोनों महान हस्तियों के बीच गहरे सम्मान और विचारों के आदान-प्रदान का प्रतीक था।
- Incorrect Options: अन्य विकल्प भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन ‘महात्मा’ उपाधि गांधीजी को टैगोर द्वारा ही दी गई थी।
Question 16: 1930 में दांडी मार्च का क्या उद्देश्य था?
- पूर्ण स्वराज की घोषणा
- गांधी-इरविन समझौता
- नमक कानून को तोड़ना
- सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: 1930 में गांधीजी के नेतृत्व में दांडी मार्च, जिसे ‘नमक सत्याग्रह’ भी कहा जाता है, का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए नमक कानून को तोड़ना था। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- Context & Elaboration: गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात) के लिए 240 मील की यात्रा शुरू की। 6 अप्रैल 1930 को उन्होंने समुद्र तट पर नमक बनाकर इस कानून को तोड़ा, जिसने पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कर दी।
- Incorrect Options: पूर्ण स्वराज की घोषणा 1929 में हुई थी। गांधी-इरविन समझौता 1931 में हुआ था, जो दांडी मार्च के बाद हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन दांडी मार्च से शुरू हुआ, लेकिन इसका तात्कालिक उद्देश्य नमक कानून तोड़ना था।
Question 17: ‘हर्षवर्धन’ ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कहाँ स्थानांतरित की थी?
- पाटलिपुत्र
- कन्नौज
- वाराणसी
- दिल्ली
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: उत्तर भारत के सम्राट हर्षवर्धन (शासनकाल 606-647 ईस्वी) ने अपनी राजधानी थानेश्वर (हरियाणा) से कन्नौज (उत्तर प्रदेश) स्थानांतरित की थी।
- Context & Elaboration: कन्नौज उस समय एक समृद्ध और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर था। कन्नौज को राजधानी बनाने से हर्षवर्धन को अपनी शक्ति को मजबूत करने और उत्तर भारत पर नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिली।
- Incorrect Options: पाटलिपुत्र मौर्य और गुप्त काल की राजधानी रही थी। दिल्ली बाद के काल में एक प्रमुख राजधानी बनी, और हर्षवर्धन के समय इसका इतना महत्व नहीं था।
Question 18: सल्तनत काल में ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक विभाग का क्या कार्य था?
- राजस्व विभाग
- विदेश विभाग
- न्याय विभाग
- सैन्य विभाग
Answer: (d)
Detailed Explanation:
- Correctness: दिल्ली सल्तनत में ‘दीवान-ए-अर्ज’ या ‘दीवान-ए-आरिज’ नामक विभाग सैन्य विभाग था, जिसका प्रमुख ‘आरिज-ए-मुमालिक’ होता था। यह विभाग सेना के संगठन, भर्ती, वेतन और घोड़ों के निरीक्षण से संबंधित था।
- Context & Elaboration: इस विभाग की स्थापना बलबन ने की थी, जिसका उद्देश्य एक शक्तिशाली और अनुशासित सेना का निर्माण करना था। यह सैन्य शक्ति सल्तनत की सुरक्षा और विस्तार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
- Incorrect Options: दीवान-ए-विजारत राजस्व विभाग था। दीवान-ए-इन्शा पत्राचार और शाही फरमानों से संबंधित था। दीवान-ए-काजी न्याय विभाग से संबंधित था।
Question 19: ‘जजिया कर’ को अंतिम रूप से किसने समाप्त किया था?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: शाहजहाँ ने 1633 ईस्वी में जजिया कर को फिर से लागू किया था, लेकिन इसे अंतिम रूप से 1679 ईस्वी में औरंगजेब ने पुनः लागू किया था। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से, अकबर ने 1564 में जजिया कर समाप्त कर दिया था। प्रश्न में “अंतिम रूप से” का प्रयोग भ्रमित करने वाला हो सकता है, लेकिन यदि संदर्भ मुगल काल की शुरुआत से देखें तो अकबर द्वारा समाप्ति महत्वपूर्ण है। हालाँकि, यदि प्रश्न का आशय ‘स्थायी रूप से’ नहीं बल्कि ‘अंतिम बार लागू करने वाले’ से है, तो औरंगजेब उत्तर होगा। लेकिन आम तौर पर ‘समाप्त’ का अर्थ अकबर से ही लिया जाता है, जिसने इसे पहली बार समाप्त किया था। प्रश्न की पुनर्रचना आवश्यक है, लेकिन यदि दिए गए विकल्पों में से चुनना हो और “अंतिम रूप से” का मतलब “पुनः लागू करके फिर से समाप्त करने वाले” से न हो, तो अकबर सही है। यदि प्रश्न का अर्थ “अंततः समाप्त करने वाले” से है (जैसे कि इसका दोबारा लागू न होना), तो वह किसी अन्य शासक के समय हुआ होगा। यहाँ प्रश्न की प्रकृति को देखते हुए, जहाँ अकबर को धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता है, यह संभव है कि प्रश्न का आशय अकबर द्वारा समाप्ति से हो। हालांकि, प्रश्न को अधिक सटीक बनाया जा सकता था। लेकिन सामान्य ज्ञान और परीक्षाओं के दृष्टिकोण से, जजिया को समाप्त करने के प्रमुख कार्य के लिए अकबर को ही श्रेय दिया जाता है, भले ही बाद में इसे औरंगजेब ने पुनः लागू किया। दिए गए विकल्पों में, यदि हम “अंतिम रूप से” को “मुगल काल में पहली बार समाप्त करने” के अर्थ में लें, तो अकबर उत्तर है। यदि “अंतिम बार लागू करने वाले” के बाद “फिर समाप्त करने वाले” के अर्थ में लें, तो फिर से स्पष्टता की आवश्यकता है। यहाँ हम अकबर को उत्तर मान रहे हैं क्योंकि उन्होंने इसे पहली बार प्रभावी ढंग से समाप्त किया था।
- Context & Elaboration: अकबर ने 1564 में जजिया कर को समाप्त कर दिया था, जो गैर-मुस्लिमों पर लगाया जाने वाला एक धार्मिक कर था। यह उसकी धार्मिक सहिष्णुता की नीति का हिस्सा था। बाद में, औरंगजेब ने 1679 में इसे फिर से लागू कर दिया था।
- Incorrect Options: जहांगीर और शाहजहाँ ने भी कुछ समय के लिए जजिया कर के संबंध में नीतियाँ बदलीं, लेकिन अकबर की समाप्ति और औरंगजेब द्वारा पुनः लागू करना अधिक महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं।
Question 20: ‘नील दर्पण’ का लेखक कौन था?
- बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
- दीनबंधु मित्र
- शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
- रविंद्रनाथ टैगोर
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: ‘नील दर्पण’ नाटक के लेखक दीनबंधु मित्र थे। यह नाटक 1859 में लिखा गया था और 1860 में प्रकाशित हुआ। यह नील बागान मालिकों द्वारा भारतीय किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों का यथार्थवादी चित्रण था।
- Context & Elaboration: यह नाटक बंगाल में नील विद्रोह (1859-60) के दौरान लिखा गया था और इसने इस विद्रोह को व्यापक जनसमर्थन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद डब्ल्यू. एस. कैर द्वारा किया गया था।
- Incorrect Options: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘आनंदमठ’ लिखा था। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय और रविंद्रनाथ टैगोर अन्य प्रसिद्ध बंगाली लेखक थे।
Question 21: प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक चला?
- 1914-1918
- 1939-1945
- 1905-1907
- 1899-1902
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ। यह युद्ध यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के कई हिस्सों में लड़ा गया था।
- Context & Elaboration: इस युद्ध में मित्र राष्ट्रों (जैसे फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, बाद में इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका) का मुकाबला केंद्रीय शक्तियों (जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य) से हुआ। इसने दुनिया के राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया और कई देशों में क्रांति को बढ़ावा दिया।
- Incorrect Options: 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का काल है। 1905-1907 रूस-जापान युद्ध और 1899-1902 दूसरा बोअर युद्ध जैसे संघर्ष हुए थे।
Question 22: ‘पुनर्विवाह अधिनियम’ (Widow Remarriage Act) किस वर्ष पारित हुआ?
- 1850
- 1856
- 1858
- 1861
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: विधवा पुनर्विवाह अधिनियम (1856) लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में पारित हुआ था, हालांकि इसे लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल में लागू किया गया। यह ईश्वर चंद्र विद्यासागर के प्रयासों का परिणाम था।
- Context & Elaboration: इस अधिनियम ने हिंदू विधवाओं को पुनर्विवाह करने का कानूनी अधिकार प्रदान किया, जिससे समाज सुधार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। इसने वर्षों से चली आ रही एक अमानवीय प्रथा को समाप्त करने में मदद की।
- Incorrect Options: 1850 में दास प्रथा उन्मूलन अधिनियम पारित हुआ था। 1858 में भारत सरकार अधिनियम आया, और 1861 में भारतीय परिषद अधिनियम आया।
Question 23: किस मुगल बादशाह को ‘चित्रकला का सम्राट’ कहा जाता है?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: मुगल बादशाह जहांगीर (शासनकाल 1605-1627) को ‘चित्रकला का सम्राट’ कहा जाता है। वह स्वयं एक कुशल चित्रकार था और उसने लघु चित्रकला (miniature painting) को अपने शासनकाल में चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया।
- Context & Elaboration: जहांगीर के संरक्षण में मुग़ल चित्रकला ने यथार्थवाद, व्यक्तिगत चित्रण (portraits) और रंग-रूप के सटीक निरूपण में अभूतपूर्व प्रगति की। मंसूर और बिशनदास जैसे महान चित्रकार उसके दरबार में थे।
- Incorrect Options: अकबर ने भी चित्रकला को प्रोत्साहन दिया था, लेकिन जहांगीर का योगदान अधिक विशिष्ट माना जाता है। शाहजहाँ वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं, और औरंगजेब ने चित्रकला को हतोत्साहित किया था।
Question 24: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?
- 1928
- 1930
- 1931
- 1932
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन और महात्मा गांधी के बीच एक राजनीतिक समझौता था।
- Context & Elaboration: इस समझौते के परिणामस्वरूप, गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को निलंबित कर दिया और कांग्रेस दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए सहमत हुई। समझौते में कुछ महत्वपूर्ण रियायतें शामिल थीं, जैसे कि समुद्र से नमक बनाने का अधिकार।
- Incorrect Options: 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। 1932 में पूना पैक्ट हुआ था। 1928 में साइमन कमीशन भारत आया था।
Question 25: ‘फ्रांस की राज्य क्रांति’ (French Revolution) का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय गौरव
- लोकतंत्र, गणराज्य, स्वतंत्रता
- धर्म, राष्ट्र, शासक
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: फ्रांस की राज्य क्रांति (1789-1799) का प्रमुख नारा ‘लिबर्टे, इगैलिते, फ्रेटरनिते’ (Liberté, égalité, fraternité) था, जिसका हिंदी अनुवाद ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ है।
- Context & Elaboration: यह नारा क्रांति के आदर्शों को दर्शाता है, जिसने फ्रांसीसी समाज और शासन में मौलिक परिवर्तन लाए। इसने न केवल फ्रांस, बल्कि पूरी दुनिया में राजनीतिक विचार और आंदोलनों को प्रभावित किया।
- Incorrect Options: अन्य विकल्प राजनीतिक आदर्शों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, लेकिन ये फ्रांस की क्रांति के विशिष्ट नारे नहीं थे।