इतिहास की महापरीक्षा: ज्ञान की कसौटी पर परखें अपना दम!
प्रतियोगी परीक्षाओं के महासंग्राम में इतिहास का ज्ञान ही आपका सबसे बड़ा हथियार है! आज हम आपको समय के गलियारों में ले चलेंगे, जहाँ प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक क्रांतियों तक के सफर में आपके ज्ञान की परीक्षा होगी। तैयार हो जाइए, यह केवल प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि अपने आप को परखने का एक अनूठा अवसर है!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट विशेषता थी?
- पक्की ईंटों का निर्माण
- नियोजित शहर योजना
- बुद्ध प्रतिमा का निर्माण
- लोहे का उपयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500-1700 ईसा पूर्व) अपनी उन्नत नगर नियोजन प्रणाली के लिए अत्यंत विशिष्ट थी। इसमें ग्रिड पैटर्न पर सड़कें, भूमिगत जल निकासी व्यवस्था और सुनियोजित आवासीय भवन शामिल थे।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसे शहर इस नियोजित शहरीकरण के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सड़कें समकोण पर काटी जाती थीं, और हर घर में जल निकासी की व्यवस्था थी जो मुख्य सीवर से जुड़ती थी।
- गलत विकल्प: पक्की ईंटों का प्रयोग अन्य सभ्यताओं में भी हुआ, हालांकि सिंधु घाटी में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हुआ। बुद्ध की प्रतिमाएं मुख्य रूप से बुद्ध के जीवनकाल के बाद विकसित हुईं। लोहे का उपयोग सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद शुरू हुआ।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस वेद को ‘भारतीय संगीत का उद्गम’ कहा जाता है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामवेद, ऋग्वेद की ऋचाओं पर आधारित एक स्तोत्र ग्रंथ है, जिसमें मुख्य रूप से यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्र (साम) संकलित हैं। इसलिए इसे ‘भारतीय संगीत का उद्गम’ माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामवेद के मंत्रों को सुरों के साथ गाने का विधान है। इसमें सप्तक (सा, रे, ग, म, प, ध, नि) के स्वरों का प्रारंभिक स्वरूप मिलता है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत की नींव है।
- गलत विकल्प: ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है और इसमें देवताओं की स्तुति में मंत्र हैं। यजुर्वेद में यज्ञों के मंत्रों के साथ-साथ उनके विधान भी दिए गए हैं। अथर्ववेद में जादू-टोना, चिकित्सा और अन्य लोक-विज्ञान से संबंधित मंत्र हैं।
प्रश्न 3: पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी के रूप में किसने स्थापित किया था?
- बिम्बिसार
- अजातशत्रु
- उदयन
- महापद्मनन्द
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मगध के हर्यक वंश के शासक उदयन (उदयभद्र) ने गंगा और सोन नदियों के संगम पर स्थित पाटलिग्राम (बाद में पाटलिपुत्र) को अपनी राजधानी बनाया था।
- संदर्भ और विस्तार: उदयन ने लगभग 460 ईसा पूर्व से 440 ईसा पूर्व तक शासन किया। उसने अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित की, जो एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान था क्योंकि यह व्यापार मार्गों के केंद्र में था और जल-सुरक्षा प्रदान करता था।
- गलत विकल्प: बिम्बिसार ने अपनी राजधानी राजगृह में स्थापित की थी। अजातशत्रु ने भी राजगृह को ही राजधानी रखा, हालांकि उसने राजगृह के पास एक नया दुर्ग बनवाया था। महापद्मनन्द नंद वंश का संस्थापक था, जिसने बाद में पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया।
प्रश्न 4: तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन किसके शासनकाल में हुआ था?
- कनिष्क
- अशोक
- कालाशोक
- अजातशत्रु
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में पाटलिपुत्र में 250 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संगीति की अध्यक्षता स्थविर मोग्गलिपुत्त तिस्स ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म को शुद्ध करना और उसमें पनप रहे बाहरी तत्वों व भ्रांतियों को दूर करना था। इसी संगीति में ‘कथावत्थु’ नामक ग्रंथ की रचना हुई, जो अभिधम्म पिटक का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: प्रथम बौद्ध संगीति राजगृह में अजातशत्रु के शासनकाल में हुई थी। द्वितीय बौद्ध संगीति वैशाली में कालाशोक के शासनकाल में हुई थी। चतुर्थ बौद्ध संगीति कश्मीर में कनिष्क के शासनकाल में हुई थी।
प्रश्न 5: ‘अमुक्तमाल्यद’ नामक ग्रंथ के रचनाकार कौन थे?
- कृष्णदेव राय
- बुक्का प्रथम
- हरिहर प्रथम
- देवराय द्वितीय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘अमुक्तमाल्यद’ (या ‘विषनुवैदेवी’ के नाम से भी जाना जाता है) विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्णदेव राय द्वारा तेलुगु भाषा में लिखा गया एक महत्वपूर्ण साहित्यिक ग्रंथ है।
- संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ भगवान विष्णु की देवी लक्ष्मी के साथ विवाह से संबंधित है, जो तमिल भक्ति कवि पेरुम्बाथरैयर द्वारा रचित ‘थिरुमोझि’ का एक तेलुगु रूपांतरण है। कृष्णदेव राय स्वयं एक महान विद्वान, कवि और कला के संरक्षक थे।
- गलत विकल्प: बुक्का प्रथम और हरिहर प्रथम विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे, लेकिन वे साहित्यिक योगदान के लिए विशेष रूप से नहीं जाने जाते। देवराय द्वितीय एक प्रख्यात शासक थे, लेकिन ‘अमुक्तमाल्यद’ उनकी कृति नहीं है।
प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘दीवान-ए-आरिज’ नामक एक सैन्य विभाग की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मोहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: बलबन (1266-1287), दिल्ली सल्तनत के मामलुक वंश का एक शक्तिशाली शासक था, जिसने ‘दीवान-ए-आरिज’ नामक एक स्वतंत्र सैन्य विभाग की स्थापना की।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का मुख्य कार्य सेना के संगठन, प्रशिक्षण, वेतन और उपकरणों की देखरेख करना था। बलबन ने अपने शासनकाल में मंगोल आक्रमणों के खतरे को देखते हुए सेना को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया था। उसने यह विभाग इसलिए स्थापित किया ताकि वह सुल्तान के सीधे नियंत्रण में रहे और किसी भी असंतुष्ट वर्ग या अमीर का उस पर प्रभाव न हो।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) की स्थापना की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (बकाया लगान की वसूली) और ‘दीवान-ए-रियासत’ (बाजार नियंत्रण) जैसे विभाग स्थापित किए। मोहम्मद बिन तुगलक ने ‘दीवान-ए-कोही’ (कृषि विभाग) की स्थापना की।
प्रश्न 7: भक्ति आंदोलन के संदर्भ में, ‘शंकराचार्य’ किस दार्शनिक विचारधारा से जुड़े थे?
- द्वैतवाद
- विशिष्टाद्वैतवाद
- अद्वैतवाद
- द्वैताद्वैतवाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आदि शंकराचार्य (लगभग 8वीं शताब्दी ईस्वी) अद्वैतवाद के प्रमुख प्रतिपादक थे।
- संदर्भ और विस्तार: अद्वैतवाद का अर्थ है ‘कोई दूसरा नहीं’। यह दर्शन मानता है कि ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है और बाकी सब मिथ्या (माया) है। आत्मा (जीव) और ब्रह्म वास्तव में एक ही हैं। शंकराचार्य ने पूरे भारत में यात्रा कर इस दर्शन का प्रचार किया और चार प्रमुख मठों (शारदा पीठ, गोवर्धन पीठ, श्रृंगेरी पीठ, ज्योतिर्मठ) की स्थापना की।
- गलत विकल्प: रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैतवाद (11वीं शताब्दी) के, माधवाचार्य द्वैतवाद (13वीं शताब्दी) के, और निंबार्काचार्य द्वैताद्वैतवाद के प्रतिपादक थे।
प्रश्न 8: 1793 का ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) किसके द्वारा लागू किया गया था?
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड कॉर्नवालिस
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस, जो उस समय बंगाल के गवर्नर-जनरल थे, ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा और मद्रास के कुछ हिस्सों में ‘स्थायी बंदोबस्त’ लागू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था के तहत, जमींदारों को रैयत (किसान) से राजस्व वसूलने का अधिकार दिया गया था और उन्हें उस राजस्व का एक निश्चित हिस्सा (दस ग्यारहवां भाग) कंपनी को देना पड़ता था, जबकि शेष एक ग्यारहवां भाग वे अपने पास रख सकते थे। यह व्यवस्था राजस्व की एक निश्चित और स्थायी आय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाई गई थी, लेकिन इसने जमींदारों को भूमि का स्वामी बना दिया और किसानों की स्थिति दयनीय हो गई।
- गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली सहायक संधि प्रणाली के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए प्रसिद्ध हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा उन्मूलन जैसे सुधार किए थे।
प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1857 के भारतीय विद्रोह के समय, भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग थे।
- संदर्भ और विस्तार: कैनिंग ने 1856 से 1862 तक गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया। विद्रोह के बाद, 1857 के अधिनियम के तहत, भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया, और लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वाइसरॉय बने।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1856 में अपने पद से हट गए थे, ठीक विद्रोह शुरू होने से पहले। लॉर्ड लिटन 1876-1880 तक वाइसरॉय रहे, जब वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू हुआ। लॉर्ड कर्जन 1905 में बंगाल विभाजन के लिए कुख्यात हैं।
प्रश्न 10: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?
- 1929
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च, 1931 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में महात्मा गांधी और भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुआ था। इस समझौते के परिणामस्वरूप, कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को निलंबित कर दिया और लंदन में होने वाली द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर सहमति व्यक्त की। इसके बदले में, सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और कुछ जब्त की गई संपत्तियों को लौटाने पर सहमति व्यक्त की।
- गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ जहाँ पूर्ण स्वराज की मांग की गई। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ और प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ। 1932 में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर हुए।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस स्थान को ‘भारत का मैनचेस्टर’ कहा जाता है?
- अहमदाबाद
- मुंबई
- कोलकाता
- कानपुर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अहमदाबाद, गुजरात को ‘भारत का मैनचेस्टर’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपनाम अहमदाबाद को सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र होने के कारण दिया गया है, ठीक वैसे ही जैसे मैनचेस्टर (इंग्लैंड) को औद्योगिक क्रांति के दौरान सूती कपड़ा उत्पादन के लिए जाना जाता था। यहाँ सूती वस्त्र की कई मिलें हैं और यह वस्त्र निर्यात का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
- गलत विकल्प: मुंबई को ‘भारत की आर्थिक राजधानी’ कहा जाता है और यह भी एक प्रमुख औद्योगिक शहर है, लेकिन मैनचेस्टर से तुलना अहमदाबाद की अधिक सटीक है। कोलकाता एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र है। कानपुर चमड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 12: ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ की स्थापना किसने की थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने 1936 में ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ (ILP) की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना था। अंबेडकर ने इस पार्टी के माध्यम से मजदूरों और दलितों के राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम किया। यह पार्टी बॉम्बे विधान परिषद के चुनावों में सक्रिय रही।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी कांग्रेस से जुड़े थे और उन्होंने ‘हरिजन सेवक संघ’ जैसे संगठन स्थापित किए। जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। सरदार पटेल ने भी कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ‘बारडोली सत्याग्रह’ का नेतृत्व किया।
प्रश्न 13: चीनी यात्री ‘ह्वेन त्सांग’ किसके शासनकाल में भारत आया था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- समद्रगुप्त
- हर्षवर्धन
- स्कंदगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: चीनी यात्री ह्वेन त्सांग (Xuanzang) 7वीं शताब्दी ईस्वी में उत्तर भारत के शासक हर्षवर्धन (606-647 ईस्वी) के शासनकाल में भारत आया था।
- संदर्भ और विस्तार: ह्वेन त्सांग बौद्ध धर्म का अध्ययन करने के उद्देश्य से भारत आया था और उसने लगभग 15 वर्षों तक भारत में बिताए। उसने अपने यात्रा वृत्तांत ‘सी-यू-की’ ( the Records of Western Regions) में तत्कालीन भारत की सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थिति का विस्तृत वर्णन किया है। वह विशेष रूप से नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए आया था।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में मेगास्थनीज आया था। समुद्रगुप्त एक महान गुप्त सम्राट था। स्कंदगुप्त के शासनकाल में हूणों के आक्रमण हुए थे।
प्रश्न 14: ‘तैमूर का भारत पर आक्रमण’ किस वर्ष हुआ था?
- 1398
- 1498
- 1526
- 1336
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: तैमूर लंग (Timur) ने 1398-99 में भारत पर आक्रमण किया था।
- संदर्भ और विस्तार: उस समय दिल्ली सल्तनत पर नसीरुद्दीन महमूद तुगलक का शासन था, जो कमजोर शासक था। तैमूर के आक्रमण ने दिल्ली को बुरी तरह लूटा और विनाश किया, जिससे दिल्ली सल्तनत की कमर टूट गई और यह पतन की ओर अग्रसर हुई। तैमूर ने इस आक्रमण के बाद भारत से अकूत धन-संपत्ति लूटी और अपने साथ कुशल कारीगरों को समरकंद ले गया।
- गलत विकल्प: 1498 में वास्को डी गामा भारत आया था। 1526 में बाबर ने पानीपत का प्रथम युद्ध जीता और मुगल साम्राज्य की नींव रखी। 1336 में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हुई थी।
प्रश्न 15: ‘अकबरनामा’ का लेखक कौन है?
- अबुल फजल
- बदायुनी
- फैजी
- इनायत खान
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘अकबरनामा’, मुगल सम्राट अकबर के इतिहास का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसके लेखक अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल थे।
- संदर्भ और विस्तार: अबुल फजल ने अकबर के शासनकाल के 16वें वर्ष (1572 ईस्वी) से लेकर 46वें वर्ष (1602 ईस्वी) तक का वृतांत लिखा है। यह दो भागों में विभाजित है: पहला भाग अकबर के जीवन और उसके पूर्वजों का वर्णन करता है, जबकि दूसरा भाग ‘आईन-ए-अकबरी’ है, जिसमें अकबर के साम्राज्य, उसकी प्रशासनिक व्यवस्था, भू-राजस्व प्रणाली, संस्कृति, भूगोल और समाज का विस्तृत विवरण मिलता है।
- गलत विकल्प: बदायुनी ने ‘तारीख-ए-बदायुनी’ (मुंतखब-उत-तवारीख) लिखी, जो अकबर के प्रति आलोचनात्मक है। फैजी अकबर के दरबारी कवियों में से एक थे। इनायत खान ने ‘शाहजहाँनामा’ लिखी।
प्रश्न 16: ‘शिवाजी की मराठा राज्य की राजधानी’ कौन सी थी?
- पुणे
- रायगढ़
- तंजौर
- सतारा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने मराठा राज्य की राजधानी के रूप में रायगढ़ किले को चुना था।
- संदर्भ और विस्तार: रायगढ़ को 1674 ईस्वी में शिवाजी के राज्याभिषेक के समय मराठा साम्राज्य की राजधानी घोषित किया गया था। यह किला रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह एक पहाड़ी पर स्थित था और आसानी से दुश्मन की पहुँच से बाहर था। यहाँ से शिवाजी ने अपने प्रशासन और सैन्य अभियानों का संचालन किया।
- गलत विकल्प: पुणे उनके प्रारंभिक गतिविधियों का केंद्र था, लेकिन राजधानी रायगढ़ थी। तंजौर मराठा साम्राज्य का बाद का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना, खासकर शिवाजी के भाई वेंकोजी द्वारा शासित होने पर। सतारा भी मराठा राज्य के बाद के काल में एक राजधानी रहा।
प्रश्न 17: ‘प्लासी का युद्ध’ किस वर्ष हुआ था?
- 1757
- 1764
- 1765
- 1772
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना, जिसका नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था, और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना के बीच हुआ था। युद्ध का परिणाम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पक्ष में रहा, क्योंकि सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर ने विश्वासघात किया। इस युद्ध ने भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व की नींव रखी और बंगाल पर कंपनी का नियंत्रण स्थापित किया।
- गलत विकल्प: 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ, जो प्लासी के युद्ध से अधिक निर्णायक था। 1765 में इलाहाबाद की संधि हुई। 1772 में ब्रिटिश भारत में द्वैध शासन की समाप्ति हुई।
प्रश्न 18: ‘दयानंद सरस्वती’ द्वारा स्थापित प्रमुख संगठन कौन सा था?
- ब्रह्म समाज
- आर्य समाज
- रामकृष्ण मिशन
- थियोसोफिकल सोसाइटी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1875 में बंबई में ‘आर्य समाज’ की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: आर्य समाज एक सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन था जिसने वेदों को परम प्रमाण माना और मूर्ति पूजा, कर्मकांडों, जाति प्रथा और बाल विवाह का विरोध किया। इसका मुख्य नारा ‘वेदों की ओर लौटो’ था। इसने शिक्षा के प्रसार पर भी जोर दिया और ‘गुरुकुल’ जैसी संस्थाएं स्थापित कीं।
- गलत विकल्प: ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राममोहन राय ने 1828 में की थी। रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1897 में की थी। थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना मैडम एच.पी. ब्लावात्स्की और कर्नल एच.एस. ऑलकॉट ने 1875 में की थी।
प्रश्न 19: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?
- दिल्ली
- लखनऊ
- रामगढ़
- वर्धा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव 8 अगस्त, 1942 को कांग्रेस के वर्धा अधिवेशन (महाराष्ट्र) में पारित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया और देशव्यापी अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की। हालांकि, आंदोलन शुरू होने से पहले ही गांधी जी और अन्य प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
- गलत विकल्प: दिल्ली, लखनऊ और रामगढ़ कांग्रेस के अन्य अधिवेशन थे, लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव वर्धा में पारित हुआ था।
प्रश्न 20: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ कब हुई थी?
- 1776
- 1789
- 1815
- 1830
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति 1789 में शुरू हुई थी, जिसकी शुरुआत 14 जुलाई, 1789 को बास्तील के पतन के साथ हुई।
- संदर्भ और विस्तार: इस क्रांति ने फ्रांस में राजशाही को समाप्त कर दिया और गणतंत्र की स्थापना की। इसने ‘स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) के नारे को बुलंद किया, जिसने दुनिया भर के राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित किया। क्रांति का मुख्य कारण पुरानी सामंती व्यवस्था, आर्थिक असमानता और निरंकुश राजशाही थी।
- गलत विकल्प: 1776 में अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा हुई। 1815 में वाटरलू का युद्ध हुआ जिसने नेपोलियन के शासन का अंत किया। 1830 में फ्रांस में एक और क्रांति हुई, जिसे ‘जुलाई क्रांति’ कहा जाता है।
प्रश्न 21: ‘सिन्धु घाटी सभ्यता’ के किस स्थल से ‘घोड़े के अवशेष’ मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- सुरकोटदा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुजरात के कच्छ जिले में स्थित सुरकोटदा नामक सिंधु घाटी सभ्यता स्थल से घोड़े के दंत अवशेष और कुछ अन्य अस्थि अवशेष मिले हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि सिंधु सभ्यता में घोड़े के पालतूकरण और उसके महत्व पर विद्वानों में मतभेद है, सुरकोटदा से मिले अवशेष इस बात का संकेत देते हैं कि घोड़े वहाँ उपस्थित थे। अन्य प्रमुख स्थलों जैसे हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल से घोड़े के टेराकोटा मॉडल या मुहरें मिली हैं, लेकिन वास्तविक अस्थि अवशेष सुरकोटदा से प्राप्त हुए हैं।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से घोड़ों के टेराकोटा मॉडल मिले हैं, लेकिन अस्थि अवशेष नहीं। लोथल से डॉकयार्ड मिला है और हाथी दाँत की सील मिली है, लेकिन घोड़े के विशेष अस्थि अवशेष नहीं।
प्रश्न 22: ‘वैदिक काल’ में ‘सभा’ और ‘समिति’ का उल्लेख किस वेद में मिलता है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ऋग्वेद में ‘सभा’ और ‘समिति’ नामक दो प्रमुख जनसभाओं का उल्लेख मिलता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सभा’ संभवतः एक कुलीन या वृद्ध व्यक्तियों की परिषद थी, जबकि ‘समिति’ एक विस्तृत लोक सभा थी जिसमें आम लोग भाग लेते थे। ये दोनों संस्थाएं कबीलाई समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं और राजा के चुनाव, निर्णय लेने तथा न्याय व्यवस्था में सलाह देती थीं। इन्हें वैदिक काल की प्रजातांत्रिक संस्थाओं के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में इन संस्थाओं का इतना विस्तृत वर्णन नहीं मिलता जितना ऋग्वेद में है।
प्रश्न 23: ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना किस मुगल शासक ने की थी?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वरीय धर्म) की स्थापना मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही का उद्देश्य विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच सद्भाव स्थापित करना और उन्हें एक सार्वभौमिक धर्म के तहत लाना था। यह किसी नए धर्म का निर्माण नहीं था, बल्कि विभिन्न धार्मिक विश्वासों, दार्शनिक विचारों और नैतिक उपदेशों का एक समन्वय था। इसमें पारसी, हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों के अच्छे तत्वों को शामिल करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, इसे व्यापक स्वीकार्यता नहीं मिली और इसे केवल अकबर के कुछ करीबी लोगों ने ही अपनाया।
- गलत विकल्प: हुमायूँ, जहाँगीर और शाहजहाँ अन्य महत्वपूर्ण मुगल सम्राट थे, लेकिन उन्होंने दीन-ए-इलाही की स्थापना नहीं की थी।
प्रश्न 24: ‘सती प्रथा’ को प्रतिबंधित करने वाला गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड कॉर्नवालिस
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड कैनिंग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लॉर्ड विलियम बेंटिंक, जो 1828 से 1835 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे, ने 1829 में सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: राजा राममोहन राय जैसे समाज सुधारकों के अथक प्रयासों और राजा राममोहन राय के समर्थन से, बेंटिंक ने इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए ‘बंगाल सती रेगुलेशन एक्ट’ (Regulation XVII of 1829) पारित किया। इस कानून ने बंगाल प्रेसीडेंसी में सती प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया, और बाद में इसे मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी में भी लागू किया गया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कॉर्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया। लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत का सिद्धांत प्रस्तुत किया। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय गवर्नर-जनरल थे।
प्रश्न 25: ‘आयरलैंड में अकाल’ (Great Famine of Ireland) किस वर्ष शुरू हुआ था?
- 1815
- 1845
- 1865
- 1905
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आयरलैंड का महान अकाल (Great Famine of Ireland), जिसे ‘आलू अकाल’ के नाम से भी जाना जाता है, 1845 में शुरू हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह अकाल मुख्य रूप से ‘फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टैन्स’ (Phytophthora infestans) नामक कवक के कारण आलू की फसल के खराब होने से उत्पन्न हुआ था। आयरलैंड की अधिकांश आबादी, विशेष रूप से गरीब किसान, आलू पर अत्यधिक निर्भर थी। अकाल के कारण लगभग एक मिलियन लोगों की मृत्यु हुई और लाखों लोग आयरलैंड छोड़कर अन्य देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया चले गए। इस घटना का आयरलैंड के सामाजिक, राजनीतिक और जनसांख्यिकीय परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ा।
- गलत विकल्प: 1815 में नेपोलियन का पतन हुआ। 1865 में भारत में अकाल पड़ा था। 1905 में रूस-जापान युद्ध हुआ और भारत में बंगाल विभाजन हुआ।