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इतिहास की गहराई में उतरें: दैनिक ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तरी

इतिहास की गहराई में उतरें: दैनिक ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तरी

क्या आप इतिहास के महासागर में गोता लगाने और अपने ज्ञान के मोतियों को खोजने के लिए तैयार हैं? हर दिन, हम आपके लिए लाते हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपको प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग तक की यात्रा पर ले जाएंगे। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और हर गुजरते दिन के साथ इतिहास के रहस्यों को सुलझाएं!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पश्चिमी बिंदु था?

  1. हड़प्पा
  2. लोथल
  3. सुतकागेंडोर
  4. मोहनजोदड़ो

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सुतकागेंडोर (वर्तमान बलूचिस्तान, पाकिस्तान में) सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पश्चिमी स्थल था। यह दाश नदी के किनारे स्थित था।
  • संदर्भ और विस्तार: सुतकागेंडोर व्यापारिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, खासकर फारस की खाड़ी से व्यापार के लिए। यह स्थल अपने बंदरगाह महत्व के लिए जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो प्रमुख शहर थे लेकिन भौगोलिक रूप से सुतकागेंडोर जितना पश्चिम में नहीं थे। लोथल गुजरात में एक बंदरगाह शहर था, जो दक्षिण-पश्चिम में था।

प्रश्न 2: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग किस पशु के लिए किया गया है?

  1. घोड़ा
  2. गाय
  3. बैल
  4. भेड़

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग गाय के लिए किया गया है, जिसका अर्थ है ‘जिसे मारा न जा सके’।
  • संदर्भ और विस्तार: वैदिक काल में गाय को अत्यंत पवित्र और मूल्यवान माना जाता था। यह संपत्ति का प्रतीक थी और आर्थिक गतिविधियों का आधार थी। इसका वध वर्जित था।
  • गलत विकल्प: घोड़ा रथों और युद्ध के लिए महत्वपूर्ण था, लेकिन ‘अघन्य’ का संबंध गाय से है। बैल कृषि के लिए महत्वपूर्ण थे, और भेड़ें ऊन के लिए, लेकिन पवित्रता के संदर्भ में गाय सर्वोपरि थी।

प्रश्न 3: मौर्य काल में ‘सीताध्यक्ष’ का क्या कार्य था?

  1. राज्य के खजाने का प्रबंधन
  2. कृषि का निरीक्षण
  3. सैनिकों के लिए रसद की व्यवस्था
  4. व्यापार मार्गों की सुरक्षा

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मौर्य काल में ‘सीताध्यक्ष’ कृषि विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘सीता’ शब्द राजकीय भूमि से प्राप्त आय या उससे उत्पन्न उपज को संदर्भित करता था। सीताध्यक्ष यह सुनिश्चित करता था कि कृषि उत्पादन सुचारू रूप से हो और राजकीय भूमि का प्रबंधन ठीक से हो।
  • गलत विकल्प: राज्य के खजाने का प्रबंधन ‘सन्निधाता’ करता था। सैनिकों के लिए रसद की व्यवस्था ‘पर्णपाल’ या अन्य सैन्य अधिकारियों के अधीन आती थी। व्यापार मार्गों की सुरक्षा ‘पण्याध्यक्ष’ (व्यापार अधीक्षक) के कार्यों से संबंधित हो सकती थी।

प्रश्न 4: प्रसिद्ध ‘महाबलीपुरम के रथ’ का निर्माण किस पल्लव शासक के शासनकाल में हुआ?

  1. महेंद्रवर्मन प्रथम
  2. नरसिंहवर्मन प्रथम
  3. नंदिवर्मन द्वितीय
  4. अपराजितवर्मन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: महाबलीपुरम (मामल्लपुरम) के रथ मंदिरों का निर्माण पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम (जिन्हें ‘मामल्ल’ भी कहा जाता था) के शासनकाल में हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: ये रथ मंदिरों की एक श्रृंखला है जो एकाश्म (एक ही पत्थर से तराशी हुई) वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन्हें द्रौपदी रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, धर्मराज रथ, सहदेव रथ और नकुल-सहदेव रथ के नाम से जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: महेंद्रवर्मन प्रथम एक महान विद्वान और कला संरक्षक था, जिसने ‘मत्तविलास प्रहसन’ लिखा, लेकिन रथों का निर्माण उसके बाद हुआ। नंदिवर्मन द्वितीय ने कांचीपुरम में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत में ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक सैन्य विभाग की स्थापना किस सुल्तान ने की थी?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. फिरोज शाह तुगलक

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक सैन्य विभाग की स्थापना बलबन ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: बलबन ने सल्तनत की आंतरिक स्थिरता और बाहरी खतरों से निपटने के लिए एक मजबूत सैन्य प्रणाली की आवश्यकता महसूस की। दीवान-ए-अर्ज को सैन्य मामलों, सैनिकों की भर्ती, प्रशिक्षण और उन्हें वेतन देने का कार्य सौंपा गया था।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) का गठन किया था। अलाउद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (बकाया वसूली विभाग) की स्थापना की और अपनी सेना का विस्तार किया। फिरोजशाह तुगलक ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दासों का विभाग) की स्थापना की।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘अष्टदिग्गज’ नामक तेलुगु कवियों के समूह को संरक्षण दिया?

  1. देवराय प्रथम
  2. कृष्णदेवराय
  3. अच्युत देवराय
  4. सदाशिव राय

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रतापी शासक कृष्णदेवराय (शासनकाल 1509-1529) ने ‘अष्टदिग्गज’ नामक आठ महान तेलुगु कवियों को अपने दरबार में संरक्षण दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इन कवियों में अल्लसानी पेडन्ना, नान्दी तिम्मन्ना, धुरजति, तेनालीरामकृष्ण जैसे विद्वान शामिल थे। कृष्णदेवराय स्वयं एक विद्वान थे और उन्होंने ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक तेलुगु ग्रंथ की रचना की।
  • गलत विकल्प: अन्य शासकों ने भी कला और साहित्य को संरक्षण दिया, लेकिन ‘अष्टदिग्गज’ का काल विशेष रूप से कृष्णदेवराय से जुड़ा है।

प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के दौरान, दिल्ली में विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?

  1. नना साहब
  2. रानी लक्ष्मीबाई
  3. बहादुर शाह द्वितीय
  4. खान बहादुर खान

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: 1857 के विद्रोह के दौरान, दिल्ली में विद्रोह का नेतृत्व मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय (जिसे बहादुर शाह ज़फ़र भी कहा जाता है) ने किया।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि वे वृद्ध थे और उनका साम्राज्य नाममात्र का था, विद्रोहियों ने उन्हें भारत का सम्राट घोषित कर दिया। वास्तविक सैन्य नेतृत्व जनरल बख्त खान ने संभाला था।
  • गलत विकल्प: नाना साहब कानपुर से, रानी लक्ष्मीबाई झाँसी से और खान बहादुर खान बरेली से विद्रोह का नेतृत्व कर रहे थे।

  • प्रश्न 8: ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व निम्नलिखित में से किसने किया था?

    1. तिलक मांझी
    2. सिद्धू और कान्हू
    3. बिरसा मुंडा
    4. बुद्धू भगत

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: संथाल विद्रोह (1855-56) का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो भाइयों ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ संथाल जनजाति का एक बड़ा विद्रोह था, जो मुख्य रूप से वर्तमान झारखंड और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में हुआ था।
  • गलत विकल्प: तिलक मांझी ने 1784 में आदिवासियों के खिलाफ ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में ‘उलगुलन’ विद्रोह का नेतृत्व किया था। बुद्धू भगत ने भी ब्रिटिश शासन के खिलाफ महत्वपूर्ण विद्रोह किया था।

  • प्रश्न 9: ‘रैयतवाड़ी बंदोबस्त’ को सबसे पहले मद्रास प्रेसीडेंसी में किस वर्ष लागू किया गया?

    1. 1793
    2. 1802
    3. 1820
    4. 1858

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मद्रास प्रेसीडेंसी में रैयतवाड़ी बंदोबस्त को मुख्य रूप से 1820 में लागू किया गया था, हालांकि इसके प्रारंभिक प्रयोग 1792 में मद्रास के कुछ जिलों में शुरू हुए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: थॉमस मुनरो ने मद्रास के गवर्नर के रूप में इसके व्यापक कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस व्यवस्था में, प्रत्येक व्यक्तिगत कृषक (रैयत) को भूमि का मालिक माना जाता था और उससे सीधे लगान वसूला जाता था।
  • गलत विकल्प: 1793 स्थायी बंदोबस्त (Third Cornwalls) से संबंधित है। 1802 में वेल्लोर विद्रोह हुआ था। 1858 भारत सरकार अधिनियम से संबंधित है।

  • प्रश्न 10: भारत में ‘स्वदेशी आंदोलन’ का प्रारंभ किस घटना के प्रत्युत्तर में हुआ?

    1. जलियांवाला बाग हत्याकांड
    2. साइमन कमीशन का आगमन
    3. बंगाल का विभाजन
    4. प्रथम विश्व युद्ध का प्रारंभ

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: भारत में स्वदेशी आंदोलन का प्रारंभ 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन की घोषणा के प्रत्युत्तर में हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करना, भारतीय उद्योगों और शिक्षा को बढ़ावा देना था। यह भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
  • गलत विकल्प: जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 में हुआ, साइमन कमीशन 1928 में आया, और प्रथम विश्व युद्ध 1914 में शुरू हुआ, ये सभी बाद की घटनाएं थीं।

  • प्रश्न 11: हड़प्पा सभ्यता की किस मुहर पर एक योगी या महादेव की आकृति अंकित है, जिसे ‘पशुपति महादेव’ की मुहर कहा जाता है?

    1. हड़प्पा
    2. लोथल
    3. मोहनजोदड़ो
    4. कालीबंगा

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक सील (मुहर) पर एक त्रिशूल मुद्रा में बैठी आकृति है, जिसके चारों ओर हाथी, गेंडा, भैंसा और हिरण जैसे जानवर हैं। इसे मार्शल द्वारा ‘पशुपति महादेव’ की मुहर के रूप में पहचाना गया है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह मुहर सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। आकृति के सिर पर सींगों का एक संयोजन है, और यह पद्मासन (योग मुद्रा) में बैठी हुई है।
    • गलत विकल्प: हड़प्पा, लोथल और कालीबंगा से भी महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं, लेकिन पशुपति की मुहर विशेष रूप से मोहनजोदड़ो से संबंधित है।

    प्रश्न 12: किस उपनिषद में ‘सत्यमेव जयते’ का नारा मिलता है?

    1. बृहदारण्यक उपनिषद
    2. छान्दोग्य उपनिषद
    3. मुंडक उपनिषद
    4. कठोपनिषद

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘सत्यमेव जयते’ (सत्य की ही विजय होती है) का नारा मुंडक उपनिषद से लिया गया है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह उपनिषद सत्य, ज्ञान और आत्म-ज्ञान के महत्व पर जोर देता है। यह तीन खंडों (मुंडक) में विभाजित है। भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ इसी उपनिषद के तीसरे खंड, अध्याय 1, श्लोक 6 से लिया गया है।
    • गलत विकल्प: बृहदारण्यक उपनिषद सबसे पुराने उपनिषदों में से एक है, जो ज्ञान और आत्म-ज्ञान पर विस्तृत चर्चा करता है। छान्दोग्य उपनिषद भक्ति और बलिदान के महत्व पर प्रकाश डालता है। कठोपनिषद यम और नचिकेता की कहानी के माध्यम से मृत्यु और आत्मा के रहस्य की पड़ताल करता है।

    प्रश्न 13: गुप्त काल में ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ नामक प्रसिद्ध नाटक की रचना किसने की?

    1. कालिदास
    2. विशाखदत्त
    3. भास
    4. शुद्रक

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: प्रसिद्ध संस्कृत नाटक ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ की रचना महान कवि और नाटककार कालिदास ने की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: कालिदास गुप्त काल (चौथी-छठी शताब्दी ईस्वी) के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी पर आधारित है और इसे संस्कृत साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों में गिना जाता है।
    • गलत विकल्प: विशाखदत्त ने ‘मुद्राराक्षस’ की रचना की। भास ने ‘स्वप्नवासवदत्तम्’ जैसे कई नाटक लिखे। शुद्रक ने ‘मृच्छकटिकम्’ की रचना की।

    प्रश्न 14: चोल साम्राज्य के किस शासक ने ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ नामक नई राजधानी का निर्माण करवाया और ‘गंगईकोंडचोल’ की उपाधि धारण की?

    1. राजराज प्रथम
    2. राजेंद्र प्रथम
    3. कुलोतुंग प्रथम
    4. विक्रम चोल

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: राजेंद्र प्रथम (शासनकाल 1014-1044 ई.) ने गंगा नदी तक अपनी सैन्य विजय के उपलक्ष्य में ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ नामक एक नई राजधानी का निर्माण करवाया और ‘गंगईकोंडचोल’ (गंगा का विजेता चोल) की उपाधि धारण की।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विजय अभियान उत्तर भारत तक फैला था और इसने चोल साम्राज्य की शक्ति और प्रभाव को दूर-दूर तक पहुंचाया। गंगईकोंडचोलपुरम की वास्तुकला और मंदिर चोल कला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
    • गलत विकल्प: राजराज प्रथम ने तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया और चोल नौसेना को मजबूत किया। कुलोतुंग प्रथम और विक्रम चोल बाद के महत्वपूर्ण चोल शासक थे।

    प्रश्न 15: ‘अकबरनामा’ का लेखक कौन था, जिसने आईने-अकबरी की भी रचना की?

    1. फैजी
    2. अबुल फजल
    3. बदायूँनी
    4. महाबत खान

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘अकबरनामा’ और ‘आईने-अकबरी’ के लेखक अबुल फजल थे, जो मुगल सम्राट अकबर के दरबार के नौ रत्नों (नवरत्नों) में से एक थे।
    • संदर्भ और विस्तार: ‘अकबरनामा’ अकबर के शासनकाल का विस्तृत इतिहास है, जबकि ‘आईने-अकबरी’ अकबर के साम्राज्य, उसके प्रशासन, राजस्व, सेना, संस्कृति और भूगोल का विस्तृत विवरण है। यह अकबर के शासनकाल के साथ-साथ उस युग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने का एक अमूल्य स्रोत है।
    • गलत विकल्प: फैजी अबुल फजल का भाई और एक प्रसिद्ध कवि था। बदायूँनी ने ‘मुन्तखब-उत-तवारीख’ लिखी, जो अकबर के शासन की एक आलोचनात्मक जीवनी है। महाबत खान एक सैन्य कमांडर था।

    प्रश्न 16: किस सिख गुरु ने ‘काल तख्त’ (सिखों का सिंहासन) की स्थापना की?

    1. गुरु हरगोबिंद
    2. गुरु तेग बहादुर
    3. गुरु गोबिंद सिंह
    4. गुरु नानक देव

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद ने 1606 में अमृतसर में ‘काल तख्त’ की स्थापना की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: काल तख्त का अर्थ है ‘समय का सिंहासन’ या ‘शक्ति का सिंहासन’। यह सिख धर्म के पांच सबसे पवित्र स्थानों (तख्तों) में से एक है और यह सिख समुदाय के लिए आध्यात्मिक और अस्थायी मामलों पर निर्णय लेने का स्थान रहा है। गुरु हरगोबिंद ने सिखों को आध्यात्मिक और सैन्य दोनों भूमिकाओं के महत्व पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: गुरु तेग बहादुर नौवें गुरु थे, जिन्हें औरंगजेब ने शहीद किया था। गुरु गोबिंद सिंह दसवें और अंतिम गुरु थे, जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे।

    प्रश्न 17: ‘सहायक संधि प्रणाली’ (Subsidiary Alliance) को किस ब्रिटिश गवर्नर-जनरल ने प्रस्तुत किया था?

    1. लॉर्ड कॉर्नवालिस
    2. लॉर्ड वेलेस्ली
    3. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
    4. लॉर्ड डलहौजी

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: सहायक संधि प्रणाली को लॉर्ड वेलेस्ली, जो 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल थे, द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
    • संदर्भ और विस्तार: इस नीति के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेनाएँ भंग करनी पड़ती थीं और ब्रिटिश सेना का खर्च उठाना पड़ता था। बदले में, ब्रिटिश उनकी रक्षा करते थे और किसी बाहरी आक्रमण या आंतरिक विद्रोह से सुरक्षा प्रदान करते थे। इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले राज्य ब्रिटिश नियंत्रण में आ जाते थे।
    • गलत विकल्प: लॉर्ड कॉर्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए कुख्यात थे।

    प्रश्न 18: 1930 में, निम्नलिखित में से किस राष्ट्रवादी नेता ने ‘विजया దశमी’ के दिन भारत के वायसराय को चुनौती देते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए दांडी मार्च की शुरुआत की?

    1. जवाहरलाल नेहरू
    2. सरदार वल्लभभाई पटेल
    3. महात्मा गांधी
    4. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: 1930 में, महात्मा गांधी ने ‘विजया दशमी’ के दिन (जो 2 अक्टूबर 1930 को था, हालाँकि दांडी मार्च 12 मार्च 1930 को शुरू हुआ था, लेकिन गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण दिन पर हुई) भारतीय वायसराय को चुनौती देते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन के हिस्से के रूप में दांडी मार्च की शुरुआत की।
  • संदर्भ और विस्तार: दांडी मार्च का उद्देश्य नमक कानून को तोड़ना था, जो ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाया गया एक अन्यायपूर्ण कर था। गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की यात्रा की और नमक बनाकर कानून तोड़ा, जिसने सविनय अवज्ञा आंदोलन को गति दी।
  • गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू आंदोलन के महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन दांडी मार्च का नेतृत्व गांधीजी ने किया था। सरदार पटेल ने भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाई, और मौलाना आजाद भी प्रमुख कांग्रेसी नेता थे।

  • प्रश्न 19: ‘अठारह सौ सत्तावन की क्रांति’ के संदर्भ में, किस भारतीय शासक ने विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार का साथ दिया?

    1. सिंधिया (ग्वालियर)
    2. होल्कर (इंदौर)
    3. निजाम (हैदराबाद)
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: 1857 के विद्रोह के दौरान, ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर और हैदराबाद के निजाम जैसे कई भारतीय शासकों ने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शासकों ने अपनी राजनीतिक स्थिति और सत्ता को बनाए रखने के लिए ब्रिटिशों का समर्थन करना बेहतर समझा। उनके समर्थन ने विद्रोह को कुचलने में ब्रिटिशों की महत्वपूर्ण मदद की।
  • गलत विकल्प: हालांकि अन्य रियासतें भी थीं, लेकिन ये तीनों प्रमुख शक्तियां थीं जिन्होंने ब्रिटिशों का साथ दिया।

  • प्रश्न 20: ‘इल्बर्ट बिल’ का विवाद किस वायसराय के कार्यकाल से संबंधित है?

    1. लॉर्ड लिटन
    2. लॉर्ड डफरिन
    3. लॉर्ड कर्जन
    4. लॉर्ड रिपन

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: इल्बर्ट बिल का विवाद 1883-84 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल से संबंधित है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस बिल का उद्देश्य भारतीय न्यायाधीशों को उसी स्तर के यूरोपीय या ब्रिटिश अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने का अधिकार देना था, जैसा कि ब्रिटिश न्यायाधीशों के पास था। इस बिल ने भारत में ब्रिटिश समुदाय के बीच भारी विरोध पैदा कर दिया, जिसके कारण बिल में संशोधन करना पड़ा।
    • गलत विकल्प: लॉर्ड लिटन के कार्यकाल में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट पारित हुआ। लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया।

    • प्रश्न 21: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान, किस प्रमुख कांग्रेस नेता को हजारीबाग जेल से गिरफ्तार किया गया था?

      1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
      2. महात्मा गांधी
      3. आचार्य कृपलानी
      4. जय प्रकाश नारायण

      उत्तर: (d)

      विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (1942) के दौरान, जय प्रकाश नारायण को हजारीबाग जेल से गिरफ्तार किया गया था।
    • संदर्भ और विस्तार: जय प्रकाश नारायण, जिन्हें जेपी के नाम से भी जाना जाता है, समाजवादी नेता थे और उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भूमिगत रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें ऑपरेशन जीरो आवर के तहत गिरफ्तार किया गया था।
    • गलत विकल्प: महात्मा गांधी को आगा खां पैलेस, पुणे में नजरबंद किया गया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पटना जेल में रखा गया था। आचार्य कृपलानी को भी अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था।

    • प्रश्न 22: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, निम्नलिखित में से किस देश को ‘धुरी राष्ट्र’ (Axis Powers) के रूप में नहीं जाना जाता था?

      1. जर्मनी
      2. ऑस्ट्रिया-हंगरी
      3. ओटोमन साम्राज्य
      4. इटली

      उत्तर: (d)

      विस्तृत व्याख्या:

      • सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में, इटली शुरुआत में धुरी राष्ट्रों (केंद्रीय शक्तियों) के साथ था, लेकिन 1915 में वह मित्र राष्ट्रों (Allies) के साथ शामिल हो गया। इसलिए, युद्ध के अधिकांश समय के लिए, इटली को धुरी राष्ट्रों के रूप में नहीं माना जाता था।
      • संदर्भ और विस्तार: प्रथम विश्व युद्ध में मुख्य धुरी राष्ट्र जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया और ओटोमन साम्राज्य थे। मित्र राष्ट्रों में मुख्य रूप से फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, जापान और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे।
      • गलत विकल्प: जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ओटोमन साम्राज्य प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों (धुरी राष्ट्रों) के मुख्य सदस्य थे।

      • प्रश्न 23: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का तात्कालिक कारण क्या था?

        1. ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध
        2. अमीर वर्ग द्वारा विशेषाधिकारों का त्याग
        3. बेस्टिल का पतन
        4. आर्थिक संकट और भारी कर

        उत्तर: (d)

        विस्तृत व्याख्या:

        • सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण फ्रांस का गंभीर आर्थिक संकट था, जो राजा लुई सोलहवें के शासनकाल में भारी कर्ज, खर्चीली जीवन शैली और अप्रभावी कराधान प्रणाली के कारण उत्पन्न हुआ था।
        • संदर्भ और विस्तार: करों का बोझ मुख्य रूप से तीसरे एस्टेट (सामान्य लोग) पर था, जबकि पादरी (पहला एस्टेट) और कुलीन वर्ग (दूसरा एस्टेट) को महत्वपूर्ण कर छूट प्राप्त थी। इस असमानता ने सामाजिक असंतोष को बढ़ाया।
        • गलत विकल्प: ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध एक परिणाम था, न कि तात्कालिक कारण। बेस्टिल का पतन क्रांति की एक महत्वपूर्ण घटना थी, न कि इसका कारण। विशेषाधिकारों का त्याग क्रांति का एक परिणाम था।

        • प्रश्न 24: ‘सामंतवाद’ (Feudalism) की व्यवस्था में, जमीन के एक टुकड़े पर अधिकार रखने वाले को क्या कहा जाता था?

          1. दास (Serf)
          2. जागीरदार (Vassal)
          3. स्वामी (Lord)
          4. नाइट (Knight)

          उत्तर: (c)

          विस्तृत व्याख्या:

          • सटीकता: सामंतवाद व्यवस्था में, जमीन के एक टुकड़े (जिसे ‘फीफ’ या जागीर कहा जाता था) पर अधिकार रखने वाले व्यक्ति को ‘स्वामी’ (Lord) कहा जाता था।
          • संदर्भ और विस्तार: सामंतवाद एक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था थी जो मध्ययुगीन यूरोप में प्रचलित थी। इसमें, एक स्वामी अपनी भूमि जागीरदार (Vassal) को सुरक्षा और सैन्य सेवा के बदले में प्रदान करता था। दास (Serf) जमीन से जुड़े मजदूर थे जो स्वामी की भूमि पर काम करते थे। नाइट एक योद्धा वर्ग था।
          • गलत विकल्प: जागीरदार वह व्यक्ति होता था जो स्वामी से भूमि प्राप्त करता था। दास भूमि से बंधा हुआ कृषक होता था। नाइट एक योद्धा था।

          • प्रश्न 25: 1917 की रूसी क्रांति का नेतृत्व किसने किया था?

            1. जोसेफ स्टालिन
            2. लियोन ट्रॉट्स्की
            3. व्लादिमीर लेनिन
            4. निकिता ख्रुश्चेव

            उत्तर: (c)

            विस्तृत व्याख्या:

            • सटीकता: 1917 की रूसी क्रांति (विशेष रूप से अक्टूबर क्रांति) का नेतृत्व व्लादिमीर लेनिन और बोल्शेविक पार्टी ने किया था।
            • संदर्भ और विस्तार: लेनिन एक प्रमुख रूसी क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ और राजनीतिक सिद्धांतकार थे। उन्होंने जारशाही शासन को उखाड़ फेंकने और सोवियत संघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
            • गलत विकल्प: जोसेफ स्टालिन लेनिन के बाद सत्ता में आए। लियोन ट्रॉट्स्की भी क्रांति के प्रमुख नेता थे, लेकिन नेतृत्व लेनिन के पास था। निकिता ख्रुश्चेव बाद में सोवियत संघ के नेता बने।

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