इतिहास की गहराइयों से: अपनी तैयारी को परखें!
क्या आप इतिहास के महासागर में गोता लगाने और अपने ज्ञान के मोतियों को खोजने के लिए तैयार हैं? आज का हमारा विशेष प्रश्नोत्तरी आपको प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युगांतकारी घटनाओं तक के सफर पर ले जाएगा। अपनी तैयारी को धार दें और देखें कि आप इतिहास के कितने बड़े सारथी हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट विशेषता थी?
- पक्की ईंटों से बने भवन
- विकसित जल निकासी प्रणाली
- विशाल सार्वजनिक स्नानघर
- विस्तृत व्यापार नेटवर्क
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500-1750 ईसा पूर्व) को इसकी शहरी नियोजन और विशेष रूप से इसके उन्नत जल निकासी और सीवेज सिस्टम के लिए जाना जाता है। हर घर में पानी की आपूर्ति और शौचालय की व्यवस्था थी, जो मुख्य सड़कों के नीचे बहने वाली एक जटिल भूमिगत सीवेज प्रणाली से जुड़ी हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसे शहर इस उत्कृष्ट जल निकासी प्रणाली के प्रमुख उदाहरण थे। यह उस समय की अन्य समकालीन सभ्यताओं से बहुत आगे था।
- गलत विकल्प: पक्की ईंटों का उपयोग भी महत्वपूर्ण था, लेकिन जल निकासी प्रणाली अधिक विशिष्ट थी। विशाल सार्वजनिक स्नानघर (जैसे मोहनजोदड़ो का ग्रेट बाथ) भी थे, लेकिन वे जल निकासी प्रणाली जितने सर्वव्यापी नहीं थे। विस्तृत व्यापार नेटवर्क भी मौजूद था, लेकिन शहरी अवसंरचना की बात करें तो जल निकासी प्रणाली सबसे अनूठी थी।
प्रश्न 2: ‘अमुक्तमाल्यदा’ नामक महाकाव्य की रचना किसने की थी?
- कृष्णदेवराय
- कंपन
- बुक्का
- हरिहर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘अमुक्तमाल्यदा’ (अर्थात, ‘वह देवी जिसने मालाएं पहनी हैं’) विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्णदेवराय (शासनकाल 1509-1529 ईस्वी) द्वारा संस्कृत में रचित एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति है। यह भगवान विष्णु और देवी गोदा (अंडाल) के प्रेम का वर्णन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय स्वयं एक विद्वान और कवियों के संरक्षक थे। उन्होंने तेलुगु में ‘मनुचरित्रम’ जैसे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का भी समर्थन किया।
- गलत विकल्प: कंपन, बुक्का और हरिहर विजयनगर साम्राज्य के प्रारंभिक संस्थापक और शासक थे, लेकिन ‘अमुक्तमाल्यदा’ की रचना का श्रेय कृष्णदेवराय को जाता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस वायसराय ने भारत में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा अधिनियम 1916 पारित किया था?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड मिंटो
- लॉर्ड चैम्सफोर्ड
- लॉर्ड हार्डिंग
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (शासनकाल 1910-1916) के दौरान, भारत में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1916 में एक अधिनियम पारित किया गया था। यह भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने विभिन्न प्रांतों को अपने अधिकार क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने की शक्ति दी, हालांकि इसका कार्यान्वयन चरणों में हुआ।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन (1899-1905) ने 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया और शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए, लेकिन अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा अधिनियम उनका नहीं था। लॉर्ड मिंटो (1905-1910) को मार्ले-मिंटो सुधारों के लिए जाना जाता है। लॉर्ड चैम्सफोर्ड (1916-1921) के कार्यकाल में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार हुए।
प्रश्न 4: ‘जमीनी’ नामक कर प्रणाली किस सल्तनत काल के शासक से जुड़ी है?
- इल्तुतमिश
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
- फिरोज शाह तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘जमीनी’ या ‘जमीनी’ कर का संबंध अलाउद्दीन खिलजी (शासनकाल 1296-1316) से है। यह भूमि से प्राप्त होने वाले राजस्व का एक हिस्सा था, जिसे ‘खराज’ भी कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: अलाउद्दीन खिलजी ने भूमि राजस्व प्रणाली में कई महत्वपूर्ण सुधार किए थे। उसने भूमि की पैमाइश करवाई और उपज का आधा हिस्सा (50%) कर के रूप में तय किया, जिसे ‘खराज’ या ‘जमीनी’ कहा जाता था। इसने राज्य की आय को बढ़ाने और सेना के खर्चों को पूरा करने में मदद की।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने सैन्य जागीरों की शुरुआत की। मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के कारण जाना जाता है, जिसमें कृषि सुधार भी शामिल थे, लेकिन ‘जमीनी’ कर सीधे उससे नहीं जुड़ा है। फिरोजशाह तुगलक ने शरीयत के अनुसार कर लगाए, जिसमें ‘जकात’, ‘खराज’, ‘जजिया’ और ‘जकात’ शामिल थे, लेकिन ‘जमीनी’ शब्द अलाउद्दीन से अधिक मजबूती से जुड़ा है।
प्रश्न 5: प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था?
- जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण
- ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या
- लंदन पर जर्मन हवाई हमला
- रूस का ऑस्ट्रिया-हंगरी पर आक्रमण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का तात्कालिक कारण 28 जून, 1914 को साराजेवो में ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या थी। इस हत्या को एक सर्बियाई राष्ट्रवादी समूह ‘ब्लैक हैंड’ के सदस्य गैवरिलो प्रिंसिपल ने अंजाम दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना के बाद, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया, जिसे सर्बिया ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा कर दी, जिससे यूरोप की विभिन्न गठबंधन प्रणालियां सक्रिय हो गईं और युद्ध फैल गया।
- गलत विकल्प: जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध का कारण था। लंदन पर जर्मन हवाई हमले प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुए, लेकिन वे तात्कालिक कारण नहीं थे। रूस का ऑस्ट्रिया-हंगरी पर आक्रमण ऑस्ट्रिया के सर्बिया पर युद्ध की घोषणा के बाद हुआ, जो श्रृंखला की अगली कड़ी थी, न कि पहला कारण।
प्रश्न 6: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वह अधिवेशन जो ‘गर्म दल’ और ‘नरम दल’ में विभाजन के लिए जाना जाता है?
- 1905 का बनारस अधिवेशन
- 1906 का कोलकाता अधिवेशन
- 1907 का सूरत अधिवेशन
- 1908 का मद्रास अधिवेशन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: 1907 का सूरत अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ‘गर्म दल’ (चरमपंथी) और ‘नरम दल’ (मध्यमार्गी) के बीच गंभीर मतभेदों के कारण विभाजित हो गया था।
- संदर्भ और विस्तार: लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर यह विभाजन हुआ था। रास बिहारी घोष को अध्यक्ष चुना गया, लेकिन गर्म दल के नेता, जैसे बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल, कांग्रेस के मंच से अलग हो गए। इसने स्वदेशी आंदोलन के बाद की दिशा को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: 1905 का बनारस अधिवेशन गोखले की अध्यक्षता में हुआ और इसने स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया। 1906 का कोलकाता अधिवेशन दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में हुआ, जहाँ ‘स्वराज’ का नारा पहली बार कांग्रेस के मंच से बुलंद किया गया। 1908 का मद्रास अधिवेशन भी किसी बड़े विभाजन के लिए नहीं जाना जाता।
प्रश्न 7: मौर्य साम्राज्य में ‘अशोक मेहता’ कौन थे?
- राजस्व मंत्री
- सेनापति
- न्यायाधीश
- अर्थशास्त्री
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मौर्य साम्राज्य के प्रशासन में, ‘अशोक मेहता’ (या ‘अमात्य’) का पद राजस्व या वित्त मंत्री से संबंधित था। वे राज्य के वित्तीय मामलों और करों के संग्रह के प्रभारी होते थे।
- संदर्भ और विस्तार: कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में मौर्य प्रशासन के विभिन्न विभागों और अधिकारियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। ‘अमात्य’ राज्य के महत्वपूर्ण अधिकारियों में से एक था, जो अक्सर ‘सचिव’ के रूप में भी कार्य करता था।
- गलत विकल्प: ‘सेनापति’ सेना का प्रमुख होता था, ‘न्यायाधीश’ न्याय का, और ‘अर्थशास्त्री’ एक विद्वान होता था, न कि एक प्रशासनिक पद। मौर्य प्रशासन में इन पदों के लिए अन्य विशिष्ट शब्द थे।
प्रश्न 8: ‘नील दर्पण’ नाटक का लेखक कौन है, जिसने ब्रिटिश नील बागान मालिकों के अत्याचारों को चित्रित किया?
- बंकिम चंद्र चटर्जी
- Dinabandhu Mitra
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘नील दर्पण’ (1860) नामक नाटक दीनबंधु मित्र द्वारा लिखा गया था। यह नाटक बंगाल में नील विद्रोह (1859-1860) के दौरान भारतीय किसानों पर ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा किए गए क्रूर अत्याचारों और शोषण का एक शक्तिशाली चित्रण है।
- संदर्भ और विस्तार: इस नाटक का मंचन ब्रिटिश अधिकारियों के लिए एक शर्मिंदगी का कारण बना और इसने सार्वजनिक रूप से नील बागान मालिकों के खिलाफ आवाज़ उठाई। इस नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद डब्ल्यू. एस. क्लीवलैंड ने किया था।
- गलत विकल्प: बंकिम चंद्र चटर्जी ‘आनंद मठ’ के लेखक थे। ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक महान समाज सुधारक थे। सुरेंद्रनाथ बनर्जी कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
प्रश्न 9: हड़प्पा सभ्यता का कौन सा स्थल गुजरात में स्थित था?
- कालीबंगन
- लोथल
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: लोथल, जो खंभात की खाड़ी के पास, भोगवा नदी के तट पर स्थित था, हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख बंदरगाह शहर था और यह वर्तमान गुजरात राज्य में स्थित है।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल में एक बड़ा गोदी (dockyard) मिला है, जो इसके समुद्री व्यापार की महत्ता को दर्शाता है। यहाँ से हड़प्पाकालीन मुहरें, पक्की मिट्टी के बर्तन और हाथीदांत की कंघी भी मिली हैं।
- गलत विकल्प: कालीबंगन राजस्थान में, हड़प्पा अविभाजित पंजाब (पाकिस्तान) में और मोहनजोदड़ो सिंध (पाकिस्तान) में स्थित थे।
प्रश्न 10: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत किस मुगल सम्राट ने की थी?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘दीन-ए-इलाही’ (अर्थात ‘ईश्वर का धर्म’) की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी। यह एक सिंक्रेटिक धर्म था जिसमें विभिन्न धर्मों के तत्वों को शामिल करने का प्रयास किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: अकबर एक धार्मिक रूप से सहिष्णु शासक था और उसने सभी प्रमुख धर्मों (इस्लाम, हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, पारसी धर्म, जैन धर्म) के विचारों का अध्ययन किया था। दीन-ए-इलाही का उद्देश्य इन विभिन्न मान्यताओं के बीच सद्भाव और एकता स्थापित करना था, हालांकि यह व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया और कुछ ही लोगों ने इसे अपनाया। बीरबल इस धर्म को स्वीकार करने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तियों में से थे।
- गलत विकल्प: जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब ने ‘दीन-ए-इलाही’ को आगे नहीं बढ़ाया; बल्कि, जहाँगीर ने इसके प्रति कुछ संदेह व्यक्त किया था, और औरंगजेब ने अधिक रूढ़िवादी इस्लामी नीतियों को अपनाया।
प्रश्न 11: प्राचीन भारत में ‘गौतम बुद्ध’ को ज्ञान प्राप्त हुआ था:
- राजगृह
- पाटलिपुत्र
- बोधगया
- वैशाली
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सिद्धार्थ गौतम (बाद में बुद्ध) को गया के पास, निरंजना नदी के तट पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था, जिसे आज बोधगया के नाम से जाना जाता है। यह घटना उन्हें 35 वर्ष की आयु में प्राप्त हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: ज्ञान प्राप्ति के बाद, वे ‘बुद्ध’ (जागृत व्यक्ति) कहलाए। बोधगया बौद्ध धर्म का एक अत्यंत पवित्र स्थल है और दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थान है।
- गलत विकल्प: राजगृह (मगध की प्राचीन राजधानी) बुद्ध के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान थे, जहाँ उन्होंने उपदेश भी दिए थे। पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) भी मौर्य काल की राजधानी रहा। वैशाली भी बुद्ध के जीवन से संबंधित है, जहाँ उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था।
प्रश्न 12: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- तात्या टोपे
- नाना साहब
- बहादुर शाह द्वितीय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब ने किया था। उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया।
- संदर्भ और विस्तार: नाना साहब ने बिठूर से अपना अभियान चलाया और कानपुर पर कब्ज़ा कर लिया। उनके साथ तात्या टोपे जैसे महत्वपूर्ण नेता भी थे, जिन्होंने बाद में ग्वालियर का भी नेतृत्व किया।
- गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी से नेतृत्व किया था। तात्या टोपे ने कानपुर और ग्वालियर दोनों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन कानपुर में प्राथमिक नेतृत्व नाना साहब का था। बहादुर शाह द्वितीय दिल्ली से विद्रोह के नाममात्र के नेता थे।
प्रश्न 13: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- गुप्त काल में सोने के सिक्कों का व्यापक प्रचलन था
- इस काल में कला, विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ
- गुप्त शासकों ने सोने के विशाल भंडार जमा किए थे
- गुप्त काल में विदेशी व्यापार बहुत समृद्ध था
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में असाधारण प्रगति हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस युग में कालिदास जैसे महान कवियों का उदय हुआ, आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली और शून्य का सिद्धांत दिया, वराहमिहिर ने खगोल विज्ञान पर कार्य किया, और अजंता की गुफाओं और सारनाथ के स्तूप जैसे उत्कृष्ट वास्तुकला के नमूने बने।
- गलत विकल्प: सोने के सिक्कों का प्रचलन, सोने के भंडार और विदेशी व्यापार समृद्धि के संकेतक हो सकते हैं, लेकिन वे ‘स्वर्ण युग’ कहने का प्राथमिक कारण नहीं हैं। ज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में हुई समग्र उन्नति ही इस उपाधि का मुख्य आधार है।
प्रश्न 14: ‘रयतवाड़ी प्रणाली’ के तहत, भूमि का स्वामी किसे माना जाता था?
- जमींदार
- सरकार
- किसान (रयत)
- गांव का मुखिया
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: रयतवाड़ी प्रणाली (जो मद्रास, बॉम्बे, असम और कूर्ग जैसे क्षेत्रों में लागू की गई थी) में, प्रत्येक व्यक्तिगत किसान (रयत) को भूमि का स्वामी माना जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली में, किसानों को सीधे सरकार को भू-राजस्व का भुगतान करना पड़ता था, और उन्हें अपनी भूमि पर खेती करने और उसे बेचने का अधिकार था। इससे जमींदारी प्रथा की समाप्ति हुई, लेकिन यह प्रणाली भी किसानों पर भारी बोझ डाल सकती थी, खासकर खराब फसल होने पर। इस प्रणाली को थॉमस मुनरो और कैप्टन अलेक्जेंडर रीड ने पेश किया था।
- गलत विकल्प: जमींदार (जो स्थायी बंदोबस्त का हिस्सा थे), सरकार या गांव का मुखिया भूमि का प्रत्यक्ष स्वामी नहीं था; वह अधिकार सीधे किसान को दिया गया था।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘ऋग्वैदिक’ नदी है, जिसका उल्लेख बार-बार किया गया है?
- यमुना
- सतलुज
- सिंधु
- गंगा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ऋग्वेद में सबसे अधिक बार उल्लेखित नदी ‘सिंधु’ (सिंधु नदी) है। इसे ‘नदीमातर’ (नदियों की माँ) भी कहा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियाँ आर्यों के प्रारंभिक जीवन का केंद्र थीं, और ऋग्वेद में उनके जल, शक्ति और समृद्धि के लिए स्तुति की गई है। सरस्वती नदी का भी ऋग्वेद में महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे अक्सर पवित्र नदी के रूप में वर्णित किया गया है।
- गलत विकल्प: यमुना और गंगा का उल्लेख ऋग्वेद में अपेक्षाकृत कम हुआ है, और वे उत्तरवैदिक काल में अधिक महत्वपूर्ण हो गईं। सतलुज (प्राचीन काल में ‘शतद्रु’) का उल्लेख है, लेकिन सिंधु नदी का उल्लेख सबसे अधिक बार हुआ है।
प्रश्न 16: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक कौन था?
- जियाउद्दीन बरनी
- इब्न बतूता
- मिन्हाज-उस-सिराज
- अमीर खुसरो
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ (फिरोजशाह तुगलक का इतिहास) जियाउद्दीन बरनी द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कृति है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक गियासुद्दीन तुगलक से लेकर फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल तक के तुगलक वंश के इतिहास का वर्णन करती है। बरनी ने अपने समय के समाज, राजनीति और आर्थिक जीवन का भी विस्तृत विवरण दिया है।
- गलत विकल्प: इब्न बतूता मोरक्को का यात्री था जिसने ‘रेहला’ लिखी। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबकात-ए-नासिरी’ लिखी, जिसमें दिल्ली सल्तनत के प्रारंभिक काल का वर्णन है। अमीर खुसरो एक महान कवि और विद्वान थे जिन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जैसे ‘तुगलकनामा’ और ‘खज़ाइन-उल-फुतूह’।
प्रश्न 17: साइमन कमीशन का गठन कब हुआ था?
- 1925
- 1927
- 1929
- 1930
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: साइमन कमीशन का गठन ब्रिटिश सरकार द्वारा 1927 में किया गया था। इस आयोग को भारत में संवैधानिक सुधारों की जांच करने के लिए भेजा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आयोग की प्रमुख विशेषता यह थी कि इसमें कोई भी भारतीय सदस्य शामिल नहीं था, जिसके कारण भारत में इसका व्यापक विरोध हुआ। आयोग 1928 में भारत आया था।
- गलत विकल्प: 1925 में साइमन कमीशन का गठन नहीं हुआ था। 1929 में, ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि भारत को डोमिनियन स्टेटस दिया जाएगा, और 1930 में गोलमेज सम्मेलन शुरू हुए।
प्रश्न 18: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) की शुरुआत किसने की थी?
- लॉर्ड कार्नवालिस
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड डलहौजी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ की शुरुआत लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था के तहत, जमींदारों को भूमि का मालिक माना गया और उनसे यह अपेक्षा की गई कि वे सरकार को एक निश्चित राशि भू-राजस्व के रूप में जमा करें, जिसे कभी बदला नहीं जा सकता था। यह व्यवस्था ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की राजस्व संग्रह प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
- गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि प्रणाली (Subsidiary Alliance) पेश की। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को सती प्रथा के उन्मूलन के लिए जाना जाता है। लॉर्ड डलहौजी की ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) प्रसिद्ध है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘आधुनिक काल’ के संदर्भ में ‘पुनर्जागरण’ (Renaissance) के बारे में गलत है?
- इसने अंधविश्वास और रूढ़िवादिता को चुनौती दी।
- यह केवल यूरोप तक सीमित था।
- इसने मानववाद (Humanism) पर जोर दिया।
- इसने कला, साहित्य और विज्ञान को पुनर्जीवित किया।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: यह कथन गलत है कि पुनर्जागरण केवल यूरोप तक सीमित था। हालाँकि इसका जन्म और सबसे बड़ा प्रभाव यूरोप में था, लेकिन इसके विचार और इसका प्रभाव दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैला, भले ही विभिन्न रूपों में। भारतीय पुनर्जागरण भी इसी काल के आसपास शुरू हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: पुनर्जागरण (लगभग 14वीं से 16वीं शताब्दी) मध्ययुगीन काल के अंत और आधुनिक काल की शुरुआत में यूरोप में एक सांस्कृतिक, कलात्मक, राजनीतिक और आर्थिक पुनर्जन्म था। इसने प्राचीन यूनानी और रोमन ज्ञान के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे मानवतावाद, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और वैज्ञानिक अन्वेषण को बढ़ावा मिला।
- गलत विकल्प: अन्य सभी कथन सही हैं। पुनर्जागरण ने निश्चित रूप से अंधविश्वासों और रूढ़िवादी विचारों को चुनौती दी, मानववाद पर जोर दिया, और कला, साहित्य और विज्ञान में एक नया जीवन फूंका।
प्रश्न 20: ‘कुतुब मीनार’ के निर्माण का कार्य किस शासक ने शुरू किया था?
- इल्तुतमिश
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 ईस्वी में शुरू करवाया था।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में इसका निर्माण करवाया था। हालांकि, कुतुब मीनार की पहली मंजिल का निर्माण पूरा करने के बाद उनकी मृत्यु हो गई। इल्तुतमिश ने इसे पूरा किया और फिरोजशाह तुगलक ने इसकी पांचवीं मंजिल का पुनर्निर्माण करवाया।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने इसे पूरा किया, लेकिन शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी। अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने मीनार के निर्माण में योगदान नहीं दिया।
प्रश्न 21: 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, महात्मा गांधी ने कौन सा प्रसिद्ध नारा दिया था?
- इंकलाब जिंदाबाद
- पूर्ण स्वराज
- करो या मरो
- दिल्ली चलो
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ (Do or Die) का प्रसिद्ध नारा दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस नारे का अर्थ था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए या तो अपने जीवन का बलिदान दें या सफलता प्राप्त करें। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के अंत की मांग के साथ शुरू हुआ था, और गांधीजी ने देशवासियों को अंतिम संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया था।
- गलत विकल्प: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा भगत सिंह से जुड़ा है। ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग 1929 के लाहौर अधिवेशन में की गई थी। ‘दिल्ली चलो’ का नारा सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ा है।
प्रश्न 22: ‘मेगस्थनीज’ किसके दरबार में आया था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- समुद्रगुप्त
- हर्षवर्धन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मेगस्थनीज, एक यूनानी राजदूत, चंद्रगुप्त मौर्य (मौर्य साम्राज्य के संस्थापक) के दरबार में आया था।
- संदर्भ और विस्तार: मेगस्थनीज ने सेल्यूकस प्रथम निकेटर के दूत के रूप में भारत की यात्रा की और लगभग 5 वर्षों तक चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा। उसने ‘इंडिका’ नामक एक पुस्तक लिखी, जिसमें उसने मौर्यकालीन भारत के समाज, प्रशासन और संस्कृति का विस्तृत वर्णन किया है, हालांकि मूल पुस्तक अब उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके अंश अन्य लेखकों के कार्यों में मिलते हैं।
- गलत विकल्प: अशोक, समुद्रगुप्त और हर्षवर्धन बाद के शासक थे। मेगस्थनीज का आगमन चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल (लगभग 322-298 ईसा पूर्व) में हुआ था।
प्रश्न 23: ‘द फर्स्ट वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- वीर सावरकर
- सर सैयद अहमद खान
- जवाहरलाल नेहरू
- राजेंद्र प्रसाद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) ने 1857 के विद्रोह पर ‘द फर्स्ट वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ (The First War of Indian Independence) नामक पुस्तक लिखी थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, सावरकर ने 1857 के विद्रोह को एक सुनियोजित राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के रूप में प्रस्तुत किया, न कि केवल एक सैनिक विद्रोह के रूप में। यह पुस्तक भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हुई।
- गलत विकल्प: सर सैयद अहमद खान ने 1857 के विद्रोह पर ‘कॉज ऑफ द इंडियन रिबेलियन’ (Causes of the Indian Rebellion) लिखी थी, जिसमें उन्होंने विद्रोह के कारणों का विश्लेषण किया था। जवाहरलाल नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ लिखी, और राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे।
प्रश्न 24: विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हंपी किस नदी के तट पर स्थित थी?
- गोदावरी
- कृष्णा
- तुंगभद्रा
- कावेरी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: विजयनगर साम्राज्य की भव्य राजधानी हंपी, तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित थी।
- संदर्भ और विस्तार: हंपी अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला, मंदिरों और महलों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर अपनी सामरिक स्थिति और प्राकृतिक सुरक्षा के कारण विजयनगर शासकों के लिए एक आदर्श राजधानी थी। आज हंपी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- गलत विकल्प: गोदावरी, कृष्णा और कावेरी दक्षिण भारत की अन्य महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, लेकिन विजयनगर की राजधानी हंपी तुंगभद्रा नदी के किनारे ही बसी थी।
प्रश्न 25: ‘भूदान आंदोलन’ का नेतृत्व किसने किया था?
- महात्मा गांधी
- जयप्रकाश नारायण
- विनोबा भावे
- आचार्य कृपलानी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘भूदान आंदोलन’ (भूमि उपहार आंदोलन) का नेतृत्व विनोबा भावे ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन 1951 में तेलंगाना के पोचमपल्ली गाँव से शुरू हुआ, जहाँ विनोबा भावे ने भूमिहीन किसानों के लिए भूमि दान की अपील की। रामचन्द्र रेड्डी नामक एक जमींदार ने सबसे पहले 100 एकड़ भूमि दान की, जिसके बाद इस आंदोलन ने जोर पकड़ा। इसका उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करना और अहिंसक तरीके से भूमि का वितरण करना था।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी भूदान आंदोलन के प्रेरणा स्रोत थे, लेकिन इसका नेतृत्व विनोबा भावे ने किया। जयप्रकाश नारायण ने भी सामाजिक कार्यों में भाग लिया, लेकिन भूदान आंदोलन का नेतृत्व विनोबा भावे ने ही किया। आचार्य कृपलानी कांग्रेस के प्रमुख नेता थे।