इतिहास की गहन परीक्षा: 25 प्रश्नों का महासंग्राम!
तैयार हो जाइए इतिहास के रोमांचक सफर के लिए! आज हम आपके ज्ञान की परख करने के लिए लाए हैं 25 अद्वितीय प्रश्न, जो प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक विश्व तक के कालखंडों को समेटे हुए हैं। अपनी तैयारी को धार दें और देखें कि आप अतीत के रहस्यों को कितना जानते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सैंधव सभ्यता के किस स्थल से एक पकी हुई मिट्टी का हल मिला है?
- मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा
- बनावली
- धौलावीरा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: बनावली (बनावली) वह स्थल है जहाँ से पकी हुई मिट्टी का एक हल मिला है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्यों में से एक है।
- संदर्भ और विस्तार: बनावली, जो वर्तमान हरियाणा में स्थित है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से जल-निकासी प्रणाली का अभाव, शतरंज के मोहरों का प्रयोग और मिट्टी का हल जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं।
- गलत विकल्प: मोहनजोदड़ो से विशाल स्नानागार, मातृ देवी की मूर्तियाँ और पुरोहित-राजा की मूर्ति मिली है। हड़प्पा से हड़प्पा लिपि युक्त मुहरें और ताबूत मिले हैं। धौलावीरा से जल प्रबंधन की उत्कृष्ट व्यवस्था के साक्ष्य मिले हैं।
प्रश्न 2: ऋग्वैदिक काल में ‘बलि’ का क्या अर्थ था?
- सेना का एक सैनिक
- राजस्व या भेंट
- पशुओं का समूह
- यज्ञ का एक प्रकार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: ऋग्वैदिक काल में ‘बलि’ का अर्थ राजा को जनता द्वारा दी जाने वाली एक प्रकार की भेंट या राजस्व था, जो अक्सर स्वैच्छिक होती थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह भेंट राजा के निर्वाह और राज्य के कार्यों को चलाने में सहायक होती थी। यह कर-प्रणाली का प्रारंभिक रूप था, जो बाद के कालों में अधिक व्यवस्थित हो गया।
- गलत विकल्प: सेना का सैनिक, पशुओं का समूह या यज्ञ का प्रकार उस समय के अन्य सामाजिक और धार्मिक संदर्भों से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन ‘बलि’ का मुख्य अर्थ भेंट या राजस्व ही था।
प्रश्न 3: सम्राट अशोक का कौन सा शिलालेख कौशाम्बी में पाया गया था?
- मास्की का शिलालेख
- गुर्जर्रा का शिलालेख
- कालसी का शिलालेख
- रानी का शिलालेख
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: कौशाम्बी में स्थित “रानी का शिलालेख” (Queen’s Edict) सम्राट अशोक से संबंधित है। इसमें उनकी पत्नी कारुवाकी द्वारा बौद्ध भिक्षुओं को दान देने का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख को “कौशाम्बी शिलालेख” या “सांची शिलालेख” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसी का एक पाठ सांची में भी मिला है। यह अशोक के व्यक्तिगत जीवन और उनकी दानशीलता को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: मास्की और गुर्जर्रा शिलालेखों में अशोक का नाम ‘अशोक’ मिलता है, जो उनके देवनागरी देवनाम्प्रिय उपाधि से भिन्न है। कालसी का शिलालेख (उत्तराखंड) अशोक के प्रमुख शिलालेखों में से एक है, जिसमें धम्म नीति का वर्णन है।
प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि इस काल में सोने के सिक्कों का सर्वाधिक प्रचलन था।
- क्योंकि इस काल में कला, विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ।
- क्योंकि इस काल में गुप्त शासकों ने स्वर्ण के सिक्के जारी किए थे।
- क्योंकि इस काल में गुप्त साम्राज्य बहुत विशाल था।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, विज्ञान, साहित्य, गणित, खगोल विज्ञान और वास्तुकला के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों ने अपनी रचनाएं कीं, आर्यभट्ट ने शून्य का सिद्धांत और दशमलव प्रणाली का विकास किया, और गुप्तकालीन मंदिर स्थापत्य कला अपने चरम पर थी।
- गलत विकल्प: सोने के सिक्कों का प्रचलन एक महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू था, लेकिन यह ‘स्वर्ण युग’ कहने का एकमात्र कारण नहीं है। साम्राज्य का विस्तार भी एक कारक था, लेकिन बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास अधिक निर्णायक थे।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस सूफी संत को ‘महबूब-ए-इलाही’ (ईश्वर का प्रिय) कहा जाता था?
- शेख फरीद
- कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
- शेख सलीम चिश्ती
- निजामुद्दीन औलिया
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: हजरत निजामुद्दीन औलिया को ‘महबूब-ए-इलाही’ (ईश्वर का प्रिय) कहा जाता था। वे दिल्ली सल्तनत के सबसे प्रभावशाली सूफी संतों में से एक थे।
- संदर्भ और विस्तार: वे चिश्ती सिलसिले (Order) से संबंधित थे और दिल्ली में उनकी दरगाह आज भी लाखों लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। उन्होंने सात सुल्तानों का शासन देखा लेकिन किसी के दरबार में नहीं गए।
- गलत विकल्प: शेख फरीद (बाबा फरीद) भी चिश्ती सिलसिले से थे और गंज-ए-शकर के नाम से जाने जाते थे। कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दिल्ली सल्तनत की स्थापना में महत्वपूर्ण थे और कुतुब मीनार का नाम उन पर ही पड़ा है। शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे और फतेहपुर सीकरी में उनकी दरगाह है।
प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक को ‘आंध्र भोज’ के नाम से जाना जाता है?
- देव राय प्रथम
- कृष्ण देव राय
- अच्युत देव राय
- सदाशिव राय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासक कृष्ण देव राय को ‘आंध्र भोज’ की उपाधि से नवाजा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्ण देव राय एक विद्वान, कुशल प्रशासक और कला के संरक्षक थे। वे स्वयं एक अच्छे कवि थे और तेलुगु साहित्य को उन्होंने विशेष प्रोत्साहन दिया, जिसके कारण उन्हें ‘आंध्र भोज’ कहा गया। उनके शासनकाल को विजयनगर साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
- गलत विकल्प: अन्य शासक भी महत्वपूर्ण थे, लेकिन ‘आंध्र भोज’ की उपाधि विशेष रूप से कृष्ण देव राय से जुड़ी है।
प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कैनिंग का कार्यकाल 1856 से 1862 तक रहा। 1857 के विद्रोह को दबाने और उसके बाद की प्रशासनिक व्यवस्था को संभालने का श्रेय उन्हें जाता है। विद्रोह के बाद, भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया और गवर्नर-जनरल का पद वायसराय में बदल गया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1857 के विद्रोह से ठीक पहले गवर्नर-जनरल थे और उनकी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) को विद्रोह के कारणों में से एक माना जाता है। लॉर्ड लिटन और लॉर्ड कर्जन बाद के गवर्नर-जनरल थे, जिन्होंने महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार (और कुछ विवादास्पद निर्णय) किए।
प्रश्न 8: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा किसने दिया था?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- भगत सिंह
- सुभाष चंद्र बोस
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का प्रसिद्ध नारा भगत सिंह ने दिया था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा केंद्रीय विधानमंडल (Central Legislative Assembly) में बम फेंकने के बाद काफी प्रसिद्ध हुआ। यह नारा भारतीय युवाओं में क्रांति और स्वतंत्रता की भावना जगाने का प्रतीक बन गया।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने-अपने नारे और विचारधाराएँ दीं, लेकिन ‘इंकलाब जिंदाबाद’ विशेष रूप से भगत सिंह से जुड़ा है।
प्रश्न 9: प्रथम विश्व युद्ध की अवधि क्या थी?
- 1910-1914
- 1914-1918
- 1918-1922
- 1939-1945
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रथम विश्व युद्ध की अवधि 1914 से 1918 तक थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा सर्बिया पर युद्ध की घोषणा के साथ शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ। इस युद्ध में दुनिया के प्रमुख राष्ट्र दो विरोधी गुटों में बँट गए थे: मित्र राष्ट्र (Allied Powers) और केंद्रीय शक्तियाँ (Central Powers)।
- गलत विकल्प: 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि है।
प्रश्न 10: सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी कहाँ स्थापित की थी?
- पाटलिपुत्र
- दिल्ली
- कन्नौज
- तंजावुर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी प्रारंभिक तौर पर थानेश्वर (वर्तमान हरियाणा) में स्थापित की थी, और बाद में इसे कन्नौज (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में स्थानांतरित कर दिया था, जो उनके साम्राज्य का केंद्र बन गया।
- संदर्भ और विस्तार: हर्षवर्धन (शासनकाल 606-647 ई.) उत्तर भारत के एक महान शासक थे। कन्नौज को स्थापित करने के बाद यह शहर उत्तर भारत का प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया। उनके शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेन त्सांग भारत आए थे।
- गलत विकल्प: पाटलिपुत्र प्राचीन मगध और मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी। दिल्ली बाद में सल्तनत काल और मुगल काल की राजधानी बनी। तंजावुर चोल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण शहर था।
प्रश्न 11: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत किसने की थी?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहां
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ई. में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सार्वभौमिक धर्म (universal religion) था जो सभी धर्मों के प्रमुख सिद्धांतों को मिलाकर बनाया गया था। इसका उद्देश्य सभी प्रजाओं को एक सूत्र में पिरोना था। हालांकि, यह केवल कुछ ही लोगों द्वारा अपनाया गया और जल्द ही अप्रचलित हो गया।
- गलत विकल्प: जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब मुगल सम्राट थे, लेकिन उन्होंने ‘दीन-ए-इलाही’ को आगे नहीं बढ़ाया।
प्रश्न 12: महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन कब शुरू किया था?
- 1919
- 1920
- 1922
- 1930
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को शुरू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारत में बढ़ते असंतोष, खिलाफत आंदोलन के समर्थन और जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में शुरू किया गया था। इस आंदोलन का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार को असहयोग करके स्वराज प्राप्त करना था। चौरी-चौरा की घटना के कारण 1922 में गांधीजी ने इसे वापस ले लिया था।
- गलत विकल्प: 1919 में रॉलेट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह हुआ था। 1922 में असहयोग आंदोलन समाप्त हुआ। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह) शुरू हुआ था।
प्रश्न 13: चौरी-चौरा की घटना कब हुई थी?
- 1919
- 1920
- 1922
- 1924
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: चौरी-चौरा की घटना 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले (उत्तर प्रदेश) के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना में, असहयोग आंदोलन में भाग ले रहे प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी जिंदा जल गए थे। इस हिंसक घटना के कारण महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह को स्थगित कर दिया था और असहयोग आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया था।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प असहयोग आंदोलन के काल से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन चौरी-चौरा की सटीक तिथि 4 फरवरी 1922 है।
प्रश्न 14: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
- 1885
- 1890
- 1905
- 1910
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना ब्रिटिश प्रशासक ए.ओ. ह्यूम ने की थी और इसके पहले अध्यक्ष डब्ल्यू.सी. बनर्जी थे। कांग्रेस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को राजनीतिक और सामाजिक रूप से संगठित करना और ब्रिटिश सरकार के समक्ष उनकी मांगे रखना था।
- गलत विकल्प: ये अन्य महत्वपूर्ण वर्षों के आसपास की घटनाएं हैं, लेकिन कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी।
प्रश्न 15: किस वायसराय के कार्यकाल में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित हुई?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
- लॉर्ड मिंटो
- लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II) के कार्यकाल में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित हुई।
- संदर्भ और विस्तार: 1911 में जॉर्ज पंचम के दिल्ली दरबार के अवसर पर राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई थी। राजधानी स्थानांतरण 1912 में प्रभावी हुआ। इस निर्णय को बंगाल विभाजन (1905) को रद्द करने के बाद राष्ट्रवादियों को शांत करने के प्रयास के रूप में भी देखा जाता है।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल में बंगाल का विभाजन हुआ था। लॉर्ड मिंटो 1909 के मार्ले-मिंटो सुधारों के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार आए थे।
प्रश्न 16: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कहाँ हुई थी?
- लंदन
- दिल्ली
- सैन फ्रांसिस्को
- टोक्यो
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी की स्थापना लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और अन्य भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था। गदर नामक उर्दू साप्ताहिक पत्र इस आंदोलन का प्रमुख प्रचार माध्यम था।
- गलत विकल्प: लंदन, दिल्ली और टोक्यो महत्वपूर्ण शहर थे, लेकिन गदर पार्टी का केंद्र सैन फ्रांसिस्को था।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा हड़प्पा स्थल गुजरात में स्थित नहीं है?
- लोथल
- धौलावीरा
- सुरकोटदा
- रोपड़
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: रोपड़ (Ropar) पंजाब में स्थित है, न कि गुजरात में।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल, धौलावीरा और सुरकोटदा सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल हैं जो वर्तमान गुजरात राज्य में स्थित हैं। लोथल एक प्रमुख बंदरगाह था, धौलावीरा अपनी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है, और सुरकोटदा से घोड़े के अवशेष मिले हैं। रोपड़, सतलज नदी के किनारे स्थित, स्वतंत्रता के बाद खोजा गया पहला हड़प्पा स्थल था।
- गलत विकल्प: लोथल, धौलावीरा और सुरकोटदा सभी गुजरात में स्थित हड़प्पा स्थल हैं।
प्रश्न 18: द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन कहाँ हुआ था?
- राजगृह
- वैशाली
- पाटलिपुत्र
- कुंडलवन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संगीति ईसा पूर्व चौथी शताब्दी (लगभग 383 ईसा पूर्व) में कालाशोक (या काकवर्ण) के संरक्षण में आयोजित की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध संघ की अनुशासनिक व्यवस्था पर विवादों को सुलझाना था। इस संगीति में बौद्ध धर्म के भिक्षु चार प्रमुख मतभेदों पर विभाजित हुए थे, जिसे ‘सात मतभेद’ (Sapta Padartha) कहा जाता है।
- गलत विकल्प: पहली बौद्ध संगीति राजगृह में, तीसरी पाटलिपुत्र में और चौथी कुंडलवन (कश्मीर) में हुई थी।
प्रश्न 19: ‘जजिया’ कर किसने पुनः लागू किया था?
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
- फिरोजशाह तुगलक
- सिकंदर लोदी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: फिरोजशाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388) ने जजिया कर को पुनः लागू किया और इसे अधिक व्यवस्थित रूप दिया।
- संदर्भ और विस्तार: जजिया एक धार्मिक कर था जो गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता था। हालांकि इल्तुतमिश ने इसे शुरू किया था, लेकिन इसे गंभीरता से लागू नहीं किया गया था। फिरोजशाह तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगाया, जो उस समय तक कर से मुक्त थे।
- गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने कर सुधार किए थे, लेकिन जजिया को पुनः लागू करने का श्रेय फिरोजशाह तुगलक को जाता है। सिकंदर लोदी ने भी कुछ करों को संशोधित किया था।
प्रश्न 20: प्रसिद्ध ‘गीत गोविंद’ के रचयिता कौन थे?
- कबीर
- सूरदास
- तुलसीदास
- जयदेव
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रसिद्ध संस्कृत महाकाव्य ‘गीत गोविंद’ के रचयिता जयदेव थे।
- संदर्भ और विस्तार: जयदेव पाल राजवंश के शासक लक्ष्मण सेन के दरबारी कवि थे (12वीं शताब्दी)। ‘गीत गोविंद’ में राधा और कृष्ण के प्रेम प्रसंग का वर्णन है और यह भारतीय साहित्य तथा संगीत का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
- गलत विकल्प: कबीर, सूरदास और तुलसीदास मध्यकालीन भारत के प्रसिद्ध संत-कवि थे, लेकिन उनकी रचनाएँ ‘गीत गोविंद’ से भिन्न हैं।
प्रश्न 21: ‘सब कुछ का अंत’ (Everything is ending) की घोषणा निम्नलिखित में से किस युद्ध के बाद हुई?
- प्रथम विश्व युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध
- शीत युद्ध
- फ्रांस की क्रांति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद “सब कुछ का अंत” (Everything is ending) की भावना व्यापक रूप से व्यक्त की गई थी, जो युद्ध के विनाशकारी प्रभाव, परमाणु हथियारों के उदय और पुरानी विश्व व्यवस्था के विघटन को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी संघर्ष था, जिसने दुनिया को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद, नए विश्व व्यवस्था की स्थापना, संयुक्त राष्ट्र का गठन और शीत युद्ध की शुरुआत ने दुनिया को एक नई अनिश्चितता में डाल दिया।
- गलत विकल्प: प्रथम विश्व युद्ध भी विनाशकारी था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव कहीं अधिक व्यापक और परिवर्तनकारी था। फ्रांस की क्रांति ने राजशाही का अंत किया, लेकिन यह युद्ध से भिन्न संदर्भ में था। शीत युद्ध एक लंबी अवधि की तनातनी थी।
प्रश्न 22: खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- भारतीय मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा
- तुर्की के खलीफा के पद को बनाए रखना
- भारत में खिलाफत स्वराज की स्थापना
- भारत में मुस्लिम लीग को मजबूत करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा के पद को बचाए रखना था, जिसके ब्रिटिश सरकार द्वारा अपमानजनक व्यवहार पर भारतीय मुसलमान आक्रोशित थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन 1919-1924 तक चला। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को असहयोग आंदोलन के साथ जोड़कर राष्ट्रीय आंदोलन को मजबूत करने का प्रयास किया। मोहम्मद अली जिन्नाह और महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने खलीफा को समर्थन दिया।
- गलत विकल्प: जबकि आंदोलन के नेताओं ने भारतीय मुसलमानों के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी, लेकिन इसका मुख्य केंद्र तुर्की का खलीफा ही था। खिलाफत स्वराज या मुस्लिम लीग को मजबूत करना इसके प्रत्यक्ष लक्ष्य नहीं थे, बल्कि इसके परिणाम या सहायक उद्देश्य हो सकते थे।
प्रश्न 23: मौर्य वंश का संस्थापक कौन था?
- बिंदुसार
- चंद्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- बृहद्रथ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: चंद्रगुप्त मौर्य (शासनकाल 322-298 ईसा पूर्व) मौर्य वंश का संस्थापक था।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को परास्त करके भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उन्होंने चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से मौर्य साम्राज्य की नींव रखी, जो भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था।
- गलत विकल्प: बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र और उत्तराधिकारी था, जबकि अशोक बिंदुसार का पुत्र और मौर्य वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था। बृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था।
प्रश्न 24: ‘सती प्रथा’ को समाप्त करने का श्रेय किस ब्रिटिश अधिकारी को जाता है?
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड हेस्टिंग्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: राजा राममोहन राय के प्रयासों से लॉर्ड विलियम बेंटिंक (तत्कालीन गवर्नर-जनरल) ने 1829 में सती प्रथा को प्रतिबंधित करने वाला कानून (Regulation XVII of 1829) पारित किया।
- संदर्भ और विस्तार: राजा राममोहन राय ने सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई और सती प्रथा के विरुद्ध जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बेंटिंक ने उनके प्रयासों को पहचाना और इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए साहसिक कदम उठाया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी व्यपगत के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय गवर्नर-जनरल थे। लॉर्ड हेस्टिंग्स ने आंग्ल-नेपाल युद्ध के बाद अपनी स्थिति मजबूत की थी।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन’ के संबंध में सही नहीं है?
- 1857 का विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था।
- स्वदेशी आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश माल का बहिष्कार करना था।
- भगत सिंह ने ‘हिन्द स्वराज’ नामक पुस्तक लिखी थी।
- गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया था।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: ‘हिन्द स्वराज’ नामक पुस्तक महात्मा गांधी ने लिखी थी, न कि भगत सिंह ने।
- संदर्भ और विस्तार: 1857 के विद्रोह को अक्सर भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के रूप में जाना जाता है। स्वदेशी आंदोलन (1905) का उद्देश्य ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार और भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना था। महात्मा गांधी ने 1930 में नमक सत्याग्रह के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था। भगत सिंह एक प्रमुख क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन उनकी मुख्य लेखन और गतिविधियाँ क्रांतिकारी विचारधारा पर केंद्रित थीं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (d) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में बिल्कुल सही कथन हैं।