इतिहास की कालजयी यात्रा: आज का महा-मॉक टेस्ट!
क्या आप इतिहास के समंदर में गोता लगाने और अपने ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हैं? आज हम आपको प्राचीन भारत की गहराइयों से लेकर आधुनिक युग के संघर्षों तक और विश्व के महत्वपूर्ण मोड़ों तक ले चलेंगे। पेन और पेपर तैयार कर लीजिए, क्योंकि यह 25 प्रश्नों का यह मॉक टेस्ट आपकी तैयारी का सबसे बेहतरीन जासूस साबित होगा!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से एक ऐसी कब्र मिली है जिसमें एक पुरुष और एक महिला को एक साथ दफनाया गया है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- रोपड़
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लोथल, जो गुजरात में स्थित एक प्रमुख सिंधु घाटी सभ्यता स्थल था, से एक युगल कब्र (The Persian Gulf seal context) प्राप्त हुई है, जिसमें एक पुरुष और एक महिला को एक साथ दफनाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था और इसका व्यापारिक संबंध फारस की खाड़ी के देशों से था, जैसा कि वहां मिली फारसी मुहरों से पता चलता है। युगल कब्र के मिलने का महत्व आज भी पुरातात्विकों के लिए शोध का विषय है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो महत्वपूर्ण स्थल हैं जहाँ से कई कलाकृतियाँ मिली हैं, लेकिन युगल कब्र का विशेष प्रमाण लोथल से ही जुड़ा है। रोपड़ से तांबे की कुल्हाड़ी और चूड़ियाँ मिली थीं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा वैदिक काल का एक महत्वपूर्ण ‘गण’ (जनजातीय गणराज्य) था?
- मगध
- कुरु
- गांधार
- अंग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कुरु, वैदिक काल का एक प्रमुख ‘जन’ था जिसने बाद में एक शक्तिशाली ‘गण’ का रूप धारण किया। वे प्रारंभिक गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली के लिए जाने जाते थे।
- संदर्भ और विस्तार: वैदिक काल में ‘जन’ (कबीला) और ‘राष्ट्र’ (राज्य) दोनों शब्द प्रचलित थे। कुरुओं ने अपनी राजनीतिक व्यवस्था को संगठित किया और कुरुक्षेत्र एक महत्वपूर्ण युद्ध क्षेत्र भी बना।
- गलत विकल्प: मगध, अंग और गांधार बाद के महाजनपदों के रूप में अधिक प्रसिद्ध हुए, हालांकि वे भी वैदिक काल में अस्तित्व में थे, लेकिन कुरु का ‘गण’ के रूप में महत्व अधिक प्रारंभिक और विशिष्ट है।
प्रश्न 3: मौर्य काल में ‘अशोक मेहता’ का क्या कार्य था?
- गुप्तचर प्रमुख
- राजस्व मंत्री
- न्याय का मुख्य अधिकारी
- सेना का सेनापति
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मौर्य काल में ‘अशोक मेहता’ (या ‘धर्म मेहता’) जैसे पद गुप्तचर प्रमुख से संबंधित थे। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में गुप्तचरों के संगठन का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र में ‘संस्था’ (स्थायी गुप्तचर) और ‘संचार’ (भ्रमणशील गुप्तचर) का उल्लेख है। गुप्तचर व्यवस्था मौर्य साम्राज्य के कुशल प्रशासन का एक महत्वपूर्ण अंग थी, जो सूचना एकत्र करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहायक थी।
- गलत विकल्प: राजस्व मंत्री को ‘सन्निधाता’ या ‘समाहर्ता’ कहा जाता था, न्याय के मुख्य अधिकारी को ‘धर्मस्थ’ और सेनापति को ‘सेनानी’ कहा जाता था।
प्रश्न 4: गुप्तकालीन प्रसिद्ध खगोलशास्त्री ‘आर्यभट्ट’ ने किस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया?
- वास्तुकला
- चिकित्सा
- खगोल विज्ञान और गणित
- साहित्य
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: आर्यभट्ट गुप्त काल के एक महान खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे। उन्होंने ‘आर्यभट्टीय’ नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें खगोल विज्ञान, गणित और त्रिकोणमिति पर विस्तृत चर्चा है।
- संदर्भ और विस्तार: आर्यभट्ट ने पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने (परिभ्रमण) की अवधारणा प्रस्तुत की, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के कारणों का वैज्ञानिक विवरण दिया, और पाई (π) का मान भी ज्ञात किया। उन्होंने दशमलव प्रणाली के विकास में भी योगदान दिया।
- गलत विकल्प: वास्तुकला, चिकित्सा और साहित्य जैसे क्षेत्रों में अन्य गुप्तकालीन विद्वानों ने योगदान दिया, जैसे वास्तुकला में वराहमिहिर (जिन्होंने ज्योतिष पर भी काम किया) और साहित्य में कालिदास।
प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नया कृषि विभाग स्थापित किया?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मुहम्मद बिन तुगलक (शासनकाल 1325-1351 ई.) ने कृषि के विकास के लिए ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नया विभाग स्थापित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का उद्देश्य परती भूमि को आबाद करना, किसानों को बीज और औजारों के लिए ऋण (सौंदा) प्रदान करना और कृषि उत्पादन को बढ़ाना था। हालाँकि, तुगलक की यह योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पाई।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) नामक अमीरों के समूह का गठन किया। बलबन ने राजत्व के सिद्धांत को मजबूत किया और ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और भू-राजस्व नीतियों को लागू किया।
प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘अष्टदिग्गज’ नामक तेलुगु साहित्य के आठ महान विद्वानों को संरक्षण दिया?
- कृष्ण देवराय
- देवराय द्वितीय
- राम राय
- वीर नरसिंह
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्ण देवराय (शासनकाल 1509-1529 ई.) ने तेलुगु साहित्य के आठ महान विद्वानों के समूह, जिन्हें ‘अष्टदिग्गज’ कहा जाता था, को संरक्षण प्रदान किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टदिग्गज में पेद्दाना, धुरजति, अल्लसानी पेद्दाना आदि शामिल थे। कृष्ण देवराय स्वयं एक विद्वान कवि थे और उन्होंने ‘आमुक्तमाल्यता’ की रचना की, जिसे तेलुगु साहित्य का रत्न माना जाता है।
- गलत विकल्प: देवराय द्वितीय ‘अभिनव भोज’ के नाम से जाने जाते थे और उन्होंने महानाटकीय मंडली की स्थापना की। राम राय ने तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर का नेतृत्व किया। वीर नरसिंह तुलुव राजवंश के संस्थापक थे।
प्रश्न 7: मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में ‘जब्त’ प्रणाली का क्या अर्थ था?
- भूमि की पैमाइश और राजस्व का निर्धारण
- केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक
- सैन्य अधिकारियों का वर्गीकरण
- धार्मिक सहिष्णुता की नीति
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अकबर के शासनकाल में ‘जब्त’ प्रणाली एक भू-राजस्व व्यवस्था थी, जिसमें भूमि की पैमाइश (माप) की जाती थी और उसके आधार पर औसत उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा भू-राजस्व के रूप में निर्धारित किया जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, टोडरमल ने भूमि को चार श्रेणियों में विभाजित किया: पोलज (खेती योग्य), परौती (एक वर्ष छोड़कर परती), चाचर (तीन-चार साल परती) और बंजर (खेती अयोग्य)। ‘जब्त’ प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भू-राजस्व को एक निश्चित और सुसंगत आधार पर स्थापित करना था।
- गलत विकल्प: केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक को ‘मशवरा’ या ‘दीवान-ए-आम/खास’ कहा जाता था। सैन्य अधिकारियों का वर्गीकरण ‘मनसबदारी’ प्रणाली का हिस्सा था। धार्मिक सहिष्णुता की नीति ‘सुलह-ए-कुल’ थी।
प्रश्न 8: 1857 के विद्रोह के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा ‘कथन’ सही नहीं है?
- विद्रोह की शुरुआत मेरठ में हुई।
- विद्रोह का तात्कालिक कारण चर्बी वाले कारतूस थे।
- रानी लक्ष्मीबाई ने कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किया।
- दिल्ली में विद्रोह का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: यह कथन गलत है कि रानी लक्ष्मीबाई ने कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किया। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी से विद्रोह का नेतृत्व किया था। कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: 1857 का विद्रोह 10 मई 1857 को मेरठ छावनी से शुरू हुआ, जहाँ सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूसों के इस्तेमाल के खिलाफ विद्रोह कर दिया। बहादुर शाह जफर को दिल्ली में विद्रोह का नेता घोषित किया गया था, लेकिन वास्तविक नेतृत्व उनके पुत्रों और अन्य सरदारों द्वारा किया गया।
- गलत विकल्प: अन्य सभी कथन सत्य हैं। मेरठ से शुरुआत, चर्बी वाले कारतूस तात्कालिक कारण और बहादुर शाह जफर को दिल्ली का नेता बनाना, ये सभी 1857 के विद्रोह के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
प्रश्न 9: ‘रैयतवाड़ी बंदोबस्त’ की मुख्य विशेषता क्या थी?
- भूमि का स्वामित्व सीधे किसानों (रैयत) को दिया गया।
- जमींदारों को भूमि का स्वामित्व मिला।
- राजस्व सीधे राज्य द्वारा एकत्र किया जाता था, लेकिन कृषक जमींदार के अधीन था।
- भूमि को सरकार की संपत्ति माना गया और किसानों को किराएदार बनाया गया।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: रैयतवाड़ी बंदोबस्त की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें भूमि का स्वामित्व सीधे किसानों (रैयत) को प्रदान किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था मद्रास, बॉम्बे, असम और कूर्ग के कुछ हिस्सों में लागू की गई थी। इसमें भूमि का स्वामित्व व्यक्ति का था और भू-राजस्व सीधे सरकार द्वारा किसानों से एकत्र किया जाता था। यह व्यवस्था सूर्यास्त कानून से मुक्त थी, जो स्थायी बंदोबस्त में था।
- गलत विकल्प: स्थायी बंदोबस्त में जमींदारों को स्वामित्व मिलता था। तीसरे विकल्प में, किसान जमींदार के अधीन था, जो रैयतवाड़ी के विपरीत है। चौथे विकल्प में, भूमि सरकार की संपत्ति थी, जबकि रैयतवाड़ी में वह किसान की थी।
प्रश्न 10: भारत में ‘राष्ट्रीय आय’ की गणना का पहला प्रयास किसने किया?
- दादाभाई नौरोजी
- एम. विश्वेश्वरैया
- महात्मा गांधी
- आर.सी. दत्त
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दादाभाई नौरोजी, जिन्हें ‘भारत का महान वृद्ध व्यक्ति’ (Grand Old Man of India) कहा जाता है, ने 1867-68 में भारत की राष्ट्रीय आय का पहला वैज्ञानिक अनुमान प्रस्तुत किया था।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Poverty and Un-British Rule in India’ में ‘ड्रेन थ्योरी’ (Drain Theory) का प्रतिपादन करते हुए बताया कि कैसे भारत का धन अंग्रेजों द्वारा लूटा जा रहा है। उनके अनुमान के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय ₹20 थी।
- गलत विकल्प: एम. विश्वेश्वरैया ने ‘प्लांड इकोनॉमी फॉर इंडिया’ पुस्तक लिखी और भारत के औद्योगिकीकरण पर जोर दिया। महात्मा गांधी ने ‘ग्राम स्वराज’ और ‘सर्वोदय’ पर बल दिया। आर.सी. दत्त ने भी ‘The Economic History of India’ लिखी, लेकिन पहला अनुमान नौरोजी का था।
प्रश्न 11: ‘हिंदू स्वराज’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- महात्मा गांधी
- बाल गंगाधर तिलक
- लाला लाजपत राय
- एम.एन. रॉय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘हिंदू स्वराज’ (Hind Swaraj or Indian Home Rule) नामक पुस्तक के लेखक महात्मा गांधी हैं। उन्होंने यह पुस्तक 1909 में गुजराती भाषा में लिखी थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में गांधीजी ने आधुनिक सभ्यता, मशीनीकरण, औद्योगीकरण और पश्चिमी शिक्षा की आलोचना की है और स्वराज (आत्म-शासन) की अपनी अवधारणा प्रस्तुत की है, जिसमें राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ नैतिक और आध्यात्मिक मुक्ति भी शामिल है।
- गलत विकल्प: बाल गंगाधर तिलक ने ‘गीतारहस्य’ लिखी और ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा दिया। लाला लाजपत राय ने ‘यंग इंडिया’ का संपादन किया। एम.एन. रॉय एक क्रांतिकारी विचारक थे।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा वायसराय ‘भारतीय नगरपालिका अधिनियम’ 1882 के लिए जाना जाता है?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड रिपन
- लॉर्ड डफरिन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लॉर्ड रिपन (1880-1884) को ‘भारत के स्थानीय स्वशासन का जनक’ कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने 1882 में भारतीय नगरपालिका अधिनियम पारित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम के द्वारा स्थानीय निकायों को अधिक अधिकार और स्वायत्तता दी गई, जिससे स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा मिला। इसने शहरी स्थानीय निकायों को अधिक निर्वाचित सदस्यों के साथ अधिक स्वायत्तता दी।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन ने 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट (1878) और शस्त्र अधिनियम (1878) जैसे कठोर कानून लाए। लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई (1885)।
प्रश्न 13: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
- 1905
- 1907
- 1913
- 1914
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और अन्य भारतीय देशभक्तों द्वारा स्थापित इस पार्टी का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इसका मुख्यालय ‘यूनिटेरियन चर्च’ में था और इसने ‘गदर’ नामक एक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया।
- गलत विकल्प: 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ। 1907 में सूरत अधिवेशन हुआ जहाँ कांग्रेस में फूट पड़ी। 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से किस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया?
- कोलकाता अधिवेशन, 1928
- लाहौर अधिवेशन, 1929
- कराची अधिवेशन, 1931
- लखनऊ अधिवेशन, 1916
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1929 में लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसी अधिवेशन में यह भी तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इस प्रस्ताव ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
- गलत विकल्प: 1928 कोलकाता अधिवेशन में नेहरू रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। 1931 कराची अधिवेशन में मौलिक अधिकारों का प्रस्ताव पारित हुआ था। 1916 लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता हुआ था।
प्रश्न 15: ‘टुकड़ों में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ी हुई है, और वह मेरी निगाहों के सामने हिंदुस्तान की बादशाहत के लिए पतन का ताज है।’ – यह कथन ब्रिटिश सम्राट के बारे में किसने कहा था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लॉर्ड कर्जन ने 1901 में भारत के सम्राट के रूप में दिल्ली दरबार में भाग लिया था और उस समय उन्होंने ब्रिटिश सम्राट को ‘टुकड़ों में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ी हुई है, और वह मेरी निगाहों के सामने हिंदुस्तान की बादशाहत के लिए पतन का ताज है।’ कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: यह कथन लॉर्ड कर्जन की अपनी नीतियों और भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहाँ वे भारत को एक व्यवस्थित साम्राज्य के रूप में सुदृढ़ करना चाहते थे, लेकिन साथ ही उन्हें भारत की प्राचीन गरिमा और पतनशील अवस्था का अहसास भी था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में सुधारवादी नीतियों के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से किस आंदोलन का नारा था ‘स्वराज या मृत्यु’ (Swaraj or Death)?
- चंपारण सत्याग्रह
- खेड़ा सत्याग्रह
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘स्वराज या मृत्यु’ (Swaraj or Death) का प्रसिद्ध नारा महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) के दौरान दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा विशेष रूप से डांडी मार्च के बाद और नमक सत्याग्रह के दौरान लोकप्रिय हुआ। इसका अर्थ था कि भारतीयों के लिए या तो स्वराज प्राप्त करना है या फिर उसके लिए मर मिटना है। इसने आंदोलनकारियों के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया।
- गलत विकल्प: चंपारण सत्याग्रह (1917) नील बागान मालिकों के खिलाफ था। खेड़ा सत्याग्रह (1918) किसानों के लगान माफी के लिए था। असहयोग आंदोलन (1920-22) का नारा ‘एक वर्ष में स्वराज’ था।
प्रश्न 17: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किस भारतीय नेता ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में कहा था कि ‘हमारा उद्देश्य किसी भी तरह से ब्रिटेन की मदद करना है’?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- गोपाल कृष्ण गोखले
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गोपाल कृष्ण गोखले ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन का समर्थन करते हुए कहा था कि ‘हमारा उद्देश्य किसी भी तरह से ब्रिटेन की मदद करना है’।
- संदर्भ और विस्तार: गोखले, जो एक नरमपंथी कांग्रेसी नेता थे, ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति निष्ठावान थे और उनका मानना था कि युद्ध में ब्रिटेन की मदद करके भारत अपने लिए राजनीतिक अधिकार प्राप्त कर सकता है। यह नरमपंथियों के रुख को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन किया था, लेकिन यह विशिष्ट कथन गोखले से जुड़ा है। जवाहरलाल नेहरू और सुरेंद्रनाथ बनर्जी उस समय की प्रमुख कांग्रेसी हस्तियाँ थीं, लेकिन यह उद्धरण गोखले का है।
प्रश्न 18: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?
- मुंबई अधिवेशन, 1942
- दिल्ली अधिवेशन, 1942
- लखनऊ अधिवेशन, 1943
- कलकत्ता अधिवेशन, 1943
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को मुंबई (तत्कालीन बंबई) में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में पारित हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा दिया और आंदोलन को देशव्यापी स्तर पर फैलाने का आह्वान किया। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को भारत से तुरंत समाप्त करना था।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प गलत हैं क्योंकि प्रस्ताव विशेष रूप से मुंबई अधिवेशन में पारित किया गया था, जिसे ‘गोवालिया टैंक मैदान’ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 19: भारत के विभाजन के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन थे?
- विंस्टन चर्चिल
- क्लीमेंट एटली
- नेविल चेम्बरलेन
- मार्गरेट थैचर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारत के विभाजन (1947) के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली थे।
- संदर्भ और विस्तार: एटली के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने भारत को सत्ता हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और पाकिस्तान का विभाजन हुआ। एटली सरकार ने भारत की स्वतंत्रता के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: विंस्टन चर्चिल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री थे और वे भारत की स्वतंत्रता के विरोधी थे। नेविल चेम्बरलेन 1938 में म्यूनिख समझौते के लिए जाने जाते हैं। मार्गरेट थैचर 1980 के दशक में प्रधानमंत्री थीं।
प्रश्न 20: ‘The Spirit of Laws’ (कानून की आत्मा) नामक प्रसिद्ध पुस्तक किसने लिखी?
- जॉन लॉक
- जीन-जैक्स रूसो
- मोंटेस्क्यू
- वॉल्टेयर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘The Spirit of Laws’ (L’Esprit des lois) नामक प्रसिद्ध पुस्तक फ्रेंच दार्शनिक बैरन डी मोंटेस्क्यू (Baron de Montesquieu) ने लिखी थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में मोंटेस्क्यू ने शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार सरकार की शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित किया जाना चाहिए। यह सिद्धांत आधुनिक लोकतांत्रिक सरकारों के लिए एक आधार बना।
- गलत विकल्प: जॉन लॉक ने ‘टू ट्रीटीज ऑफ गवर्नमेंट’ लिखी जिसमें प्राकृतिक अधिकारों और सरकार की सहमति पर जोर दिया। रूसो ने ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ लिखी। वॉल्टेयर एक प्रमुख प्रबुद्ध विचारक थे जिन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत की।
प्रश्न 21: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का मुख्य नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- सरकार का दैवी अधिकार
- राष्ट्रीय एकता
- बुर्जुआ क्रांति
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का मुख्य नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) था।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा क्रांति के आदर्शों और उद्देश्यों का प्रतीक था। इसने फ्रांसीसी समाज में समानता, स्वतंत्रता और नागरिक बंधुत्व की स्थापना की वकालत की, जिसने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे यूरोप को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: ‘सरकार का दैवी अधिकार’ पुरानी राजशाही व्यवस्था का सिद्धांत था। ‘राष्ट्रीय एकता’ महत्वपूर्ण थी, लेकिन यह क्रांति का मुख्य नारा नहीं था। ‘बुर्जुआ क्रांति’ एक प्रकार का वर्गीकरण है, नारा नहीं।
प्रश्न 22: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) में कौन से प्रमुख देश शामिल थे?
- जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य
- फ्रांस, ब्रिटेन, रूस
- संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, इटली
- जापान, चीन, रूस
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान केंद्रीय शक्तियों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य (तुर्की) और बुल्गारिया प्रमुख देश थे।
- संदर्भ और विस्तार: केंद्रीय शक्तियों का मुख्य विरोध मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) से था, जिनमें मुख्य रूप से फ्रांस, ब्रिटेन, रूस (बाद में अमेरिका भी शामिल हुआ) थे। युद्ध का अंत केंद्रीय शक्तियों की हार के साथ हुआ।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) मित्र राष्ट्रों के प्रमुख देशों का समूह है। विकल्प (c) और (d) में देशों का मिश्रण है या गलत देश शामिल हैं।
प्रश्न 23: ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (Communist Manifesto) के लेखक कौन थे?
- व्लादिमीर लेनिन
- कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
- लेनिन और स्टालिन
- माओ ज़ेडोंग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) के लेखक कार्ल मार्क्स (Karl Marx) और फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह 1848 में प्रकाशित एक प्रभावशाली राजनीतिक पैम्फलेट है, जिसने साम्यवाद के सिद्धांतों का परिचय दिया। इसने सर्वहारा वर्ग (proletariat) को पूंजीपति वर्ग (bourgeoisie) के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया और एक वर्गहीन समाज की स्थापना की बात कही।
- गलत विकल्प: लेनिन रूसी क्रांति के नेता थे, स्टालिन उनके उत्तराधिकारी थे, और माओ ज़ेडोंग चीनी क्रांति के नेता थे। हालांकि वे सभी साम्यवादी विचारधारा से जुड़े थे, मैनिफेस्टो का लेखन मार्क्स और एंगेल्स ने किया था।
प्रश्न 24: अमेरिका में ‘दास प्रथा’ को समाप्त करने वाले ‘मुक्ति उद्घोषणा’ (Emancipation Proclamation) पर किसने हस्ताक्षर किए?
- जॉर्ज वाशिंगटन
- थॉमस जेफरसन
- अब्राहम लिंकन
- एंड्रयू जैक्सन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अमेरिका में दास प्रथा को समाप्त करने वाली ‘मुक्ति उद्घोषणा’ (Emancipation Proclamation) पर राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने हस्ताक्षर किए थे।
- संदर्भ और विस्तार: 1 जनवरी 1863 को जारी की गई इस उद्घोषणा ने अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान दक्षिणी राज्यों के गुलामों को मुक्त घोषित किया। हालांकि यह तुरंत प्रभावी नहीं हुई और इसकी सीमाएं थीं, इसने दास प्रथा के अंत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। अंततः, 1865 में 13वें संशोधन द्वारा दास प्रथा को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया।
- गलत विकल्प: जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे। थॉमस जेफरसन ने स्वतंत्रता की घोषणा का मसौदा तैयार किया था। एंड्रयू जैक्सन एक राष्ट्रपति थे जिन्होंने लोकलुभावन नीतियों को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 25: ‘राष्ट्र संघ’ (League of Nations) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना
- राष्ट्रों के बीच विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना
- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना करना
- सामूहिक सुरक्षा को मजबूत करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रों के बीच विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना और भविष्य में युद्धों को रोकना था।
- संदर्भ और विस्तार: प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1920 में इसकी स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य सामूहिक सुरक्षा, निशस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान करना था। हालाँकि, द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में यह असफल रहा, और इसके स्थान पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की स्थापना 1945 में की गई।
- गलत विकल्प: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना एक उद्देश्य हो सकता था, लेकिन मुख्य नहीं। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना बाद में हुई, यह राष्ट्र संघ का उद्देश्य नहीं था। सामूहिक सुरक्षा महत्वपूर्ण थी, लेकिन विवादों का शांतिपूर्ण समाधान इसका प्राथमिक लक्ष्य था।